RE: Desi Porn Kahani करिश्मा किस्मत का
राजेश और रिंकी की प्रेमलीला
मेरी बात सुनकर राजेश की आँखों में दुबारा चमक लौट आई थी और उसने मुझे एक बार और गले से लगा लिया। मैंने उसे हिम्मत दी और उसे ऊपर भेज दिया। राजेश दौड़ कर रिंकी तीसरी मंजिल वाली रसोई में पहुँच गया। मेरी अपनी उत्तेजना राजेश से कहीं ज्यादा बढ़ गई थी यह देखने के लिए कि दोनों क्या क्या करेंगे। राजेश के जाते ही मैं भी उनकी तरफ दौड़ा और जाकर ऊपर रसोई के सामने वाले बेडरूम में छिप गया। हमारे घर कि बनावट ऐसी थी कि बेडरूम के ठीक सामने ही रसोई बनी हुई थी। मैं बेडरूम के दरवाजे के पीछे छुप कर बैठ गया। रिंकी उस वक्त रसोई में चाय बना रही थी और राजेश धीरे धीरे उसके पीछे पहुँच गया। उसने पीछे से जाकर रिंकी को अपनी बाहों में भर लिया।
रिंकी इसके लिए तैयार नहीं थी और वो चौंक गई, उसने तुरंत मुड़कर पीछे देखा और राजेश को देखकर हैरान रह गई, “यह क्या कर रहे हो, जाओ यहाँ से वरना सोनू को हम पर शक हो जायेगा।” यह कहते हुए रिंकी ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की।
राजेश ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे और जोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन पर चूमने लगा। रिंकी बार बार उसे मना करती रही और कहती रही कि सोनू आ जायेगा, सोनू आ जायेगा।
राजेश ने धीरे से अपनी गर्दन उठाई और उसको बोला," टेंशन मत लो मेरी जान, सोनू ने ही तो सब प्लान किया है। उसे हमारे बारे में सब पता है और उसने हम दोनों को मिलाने के लिए ही यह नाटक रचा है।”
“क्या आअ्अ!?! सोनू सब्ब् जानता है। हे भगवान !!!” इतना कहकर उसकी आँखें झुक गईं और मैंने देखा कि उसके चेहरे पर पहले कुछ चिन्ता का भाव आया और फिर अगले ही पल उसके होठों पर एक अजीब और हल्की सी निश्चन्तता भरी मुस्कान आ गई थी।
“जान, हमारे हाथ में ज्यादा समय नहीं है इन सब बातों में अपना वक्त मत बर्बाद करो”। यह बोलते बोलते राजेश ने रिंकी को अपनी तरफ घुमाया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके रसीले होठों को अपने होठों में भर लिया। रिंकी ने भी निश्चिंत होकर उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया। रिंकी के हाथ राजेश के पीठ पर घूम रहे थे और वो पूरे जोश में उसे अपने बदन से चिपकाये जा रही थी।
राजेश के हाथ अब धीरे धीरे रिंकी की चूचियों पर आ गए और उसने एक हल्का सा दबाव डाला। राजेश की इस हरकत से रिंकी ने अचानक अपने होठों को छुडाया और एक मस्त सी सिसकारी भरी। शायद पहली बार किसी ने उसकी चूचियों को छुआ था, उसके माथे पर पसीने की बूँदें झलक आई।
राजेश उसके बदन से थोड़ा अलग हुआ ताकि वो आराम से उसकी चूचियों का मज़ा ले सके। रिंकी ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए और राजेश के बालों में अपनी उँगलियाँ फेरने लगी। राजेश ने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें प्यार से सहलाने लगा। रिंकी के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं।
राजेश ने धीरे धीरे उसके गले को चूमते हुए उसकी चूचियों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये और रिंकी के टॉप के ऊपर से उसकी चूचियों को चूम लिया। जैसे ही राजेश ने अपने होंठ रखे, रिंकी ने उसके बालों को जोर से पकड़ कर खींचा। रिंकी का टॉप गोल गले का था जिसकी वजह से वो उसकी चूचियों की घाटी को देख नहीं पा रहा था। उसने अपना हाथ नीचे बढ़ाकर टॉप को धीरे धीरे ऊपर करना शुरू किया और साथ ही साथ उसे चूम भी रहा था। रिंकी अपनी धुन में मस्त थी और इस पल का पूरा पूरा मज़ा ले रही थी।
राजेश ने अब उसका टॉप उसकी चूचियों के ऊपर कर दिया। रिंकी को शायद इसका एहसास नहीं था, उसे पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है, वो तो मानो जन्नत में सैर कर रही थी।
“हम्मम्मम.....उम्म्म्म्म्म....ओह राजेश मत करो......”
राजेश ने उसकी तरफ देखा और अपने हाथ उसकी पीठ की तरफ बढ़ाकर रिंकी की काली ब्रा के हुक खोल दिए। रिंकी को इस बात का कोई पता नहीं था कि राजेश ने उसके उभारों को नंगा करने का पूरा इन्तजाम कर लिया है। राजेश ने अपने हाथों को सामने की तरफ किया और ब्रा के कप्स को ऊपर कर दिया जिससे रिंकी कि गोल मदहोश कर देने वाली बड़ी बड़ी बिल्कुल गोरी गोरी चूचियाँ बाहर आ गईं।
“हे भगवान!" मेरे मुँह से धीरे से निकल पड़ा।
सच कहता हूँ दोस्तो, इन्टरनेट पर तो बहुत सारी ब्लू फिल्में देखी थीं और नेट पर कई रंडियों और आम लड़कियों की चूचियों का दीदार किया था लेकिन जो चीज़ अभी मेरे सामने थी उसकी बात ही कुछ और थी। हलाकि मैं थोड़ी दूर खड़ा था लेकिन मैं साफ साफ उन दो प्रेम कलशों को देख सकता था।
34 इंच की बिल्कुल गोरी और गोल चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी और उनका आकार ऐसा था मानो किसी ने किसी मशीन से उन्हें गोलाकार रूप दे दिया है। उन दोनों कलशों के ऊपर ठीक बीच में बिल्कुल गुलाबी रंग के किशमिश जितने बड़े बड़े दाने थे जो कि उनकी खूबसूरती में चार नहीं आठ आठ चांद लगा रहे थे।
मेरे लंड ने तो मुझे तड़पा दिया और कहने लगा कि राजेश को हटा कर अभी तुरंत रिंकी को पटक कर चोद डालो। मैंने अपने लंड को समझाया कि यह दोस्त की महबूबा है और मुझे सिर्फ देख कर ही मजे लेना चाहिए। मैंने अपने मन से इस विचार को जबरजस्ती निकाल बाहर किया और आगे का खेल देखने लगा। रिंकी की चूचियों को आजाद करने के बाद राजेश रिंकी से थोड़ा अलग होकर खड़ा हो गया ताकि वो उसकी चूचियों का ठीक से दीदार कर सके। अचानक अलग होने से रिंकी को होश आया और उसने जब अपनी हालत देखी तो उसके मुँह से चीख निकल गई, “हे भगवान, तुमने यह क्या किया?” और रिंकी ने अपने हाथों से अपनी चूचियाँ छिपा ली।
राजेश ने कहा, “मेरी जान, मुझे मत तड़पाओ, मैं इन्हें जी भर के देखना चाहता हूँ। अपने हाथ हटा लो ना!”
रिंकी ने अपना सर नीचे कर लिया था और अपनी आँखों को एक मस्त सी अदा के साथ उठा कर राजेश को देखा और शरमा कर उसके गले से लिपट गई गई। राजेश ने उसे अलग किया और अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गया। नीचे बैठ कर राजेश ने रिंकी के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर की तरफ रखने का इशारा किया।
रिंकी ने शरमाते हुए अपने हाथ ऊपर अपने गर्दन के पीछे रख लिए। क्या बताऊँ यारो, उस वक्त रिंकी को देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा उतर आई हो ज़मीन पर। मेरे होठ सूख गए थे उसे इस हालत में देखकर। मैंने अपने होटों पर अपनी जीभ फिराई और अपनी आँखें फाड़ फाड़ कर उन दोनों को देखने लगा। राजेश ने नीचे बैठे बैठे अपने हाथ ऊपर किये और रिंकी की चूचियों के दो किसमिस के दानों को अपनी उँगलियों में पकड़ लिया। दानों को छेड़ते ही रिंकी के पाँव कांपने लगे और उसकी साँसें तेज हो गईं। आती–जाती साँसों की वजह से उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थी।
राजेश ने उसके दानों को जोर से मसल दिया और लाल कर दिया। रिंकी ने अपने होठों को गोल कर लिया और सिसकारियों की झड़ी लगा दी। रिंकी ने नीचे एक स्कर्ट पहन रखी थी जो उसकी नाभि से बहुत नीचे थी। राजेश ने अब अपने हाथो की हथेली खोल ली और उसकी चूचियों को अपने पूरे हाथों में भर लिया और दबाने लगा। रिंकी के हाथ अब भी ऊपर ही थे और वो मज़े ले रही थी। राजेश ने अपना काम जारी रखा था और धीरे से अपनी नाक को रिंकी की नाभि के पास ले जाकर उसे गुदगुदी करने लगा।
अपने नाक से उसकी नाभि को छेदने के बाद राजेश ने अपनी जीभ बाहर निकाली और धीरे से नाभि के अंदर डाल दिया।
“उम्म्म्म......ओह राजेश, ओह राजेश” रिंकी ने सिसकारी भरते हुए कहा और अपने हाथ नीचे करके राजेश के बालों को पकड़ लिया।
राजेश आराम से उसकी नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा और धीरे धीरे नाभि के नीचे की तरफ बढ़ने लगा। उधर रिंकी इस एहसास का मज़ा ले रही थी और इधर मेरी हालत तो ऐसी हो रही थी मानो मैं अपनी आँखों के सामने कोई जीती जागती असली ब्लू फिल्म देख रहा हूँ।
मैंने कब अपने लंड को बाहर निकाल लिया था, मुझे खुद पता नहीं चला। मेरे हाथ मेरे लंड की हल्की हल्की मालिश कर रहे थे।
सच कहूँ तो बार-बार मेरा दिल कर रहा था कि अभी उनके सामने चला जाऊँ और राजेश को हटा कर खुद रिंकी के बेमिसाल बदन का मजा लूँ। पर मैनें फिर से खुद को यह याद दिलाया कि यह दोस्त की महबूबा है और मुझे इसे सिर्फ देख कर ही मजे लेना चाहिए, मैंने अपने आप को सम्भाला और अपनी आँखें उनके ऊपर जमा दी।
अब मैंने देखा कि राजेश अपने दाँतों से रिंकी की स्कर्ट को नीचे खींचने की कोशिश कर रहा है और थोड़ा सा नीचे कर भी दिया था। ऐसा करने से रिंकी की पैंटी दिखने लगी थी। पता नहीं रिंकी को इन सब का होश भी था या नहीं, शायद नहीं क्यूंकि उसके चेहरे पर भाव हर पल बदल रहे थे और एक अजीब सी चहक उसकी आँखों में नज़र आ रही थी।
अब राजेश ने उसकी चूचियों को अपने हाथों से आजाद कर दिया था और अपने हाथों को नीचे लाकर स्कर्ट के अंदर से रिंकी की पिंडलियों को सहलाना शरू कर दिया।धीरे धीरे उसके पैरों को सहलाते–सहलाते उसकी स्कर्ट को भी साथ ही साथ ऊपर करने लगा था। रिंकी की गोरी–गोरी टाँगे अब सामने आ रही थीं। कसम से यारो, उसके पैरों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कभी भी उनके ऊपर कोई बाल उगे ही नहीं होंगे। इतनी चिकनी टाँगे कि ट्यूब लाईट की रोशनी में वो चमक रही थीं।
धीरे धीरे राजेश ने उसकी स्कर्ट को जांघों तक उठा दिया और बस यह देखते ही मानो राजेश बावला हो गया और अपने होठों से पूरी जांघों को पागलों की तरह चूमने और चाटने लगा। रिंकी की हालत अब भी खराब थी, वो बस अपनी आँखें बंद करके राजेश के बालों को सहला रही थी और अपने कांपते हुए पैरों को सम्भालने की कोशिश कर रही थी।
राजेश ने रिंकी की स्कर्ट को थोड़ा और ऊपर किया और अब हमारी आँखों के सामने वो था जिसकी कल्पना हर मर्द करता है। काली छोटी सी वी शेप की पैंटी जो कि रिंकी की चूत पर बिल्कुल फिट थी और ऐसा लग रहा था मानो उसने अपनी उस पैंटी को बिल्कुल अपनी त्वचा की तरह चढ़ा रखा हो।
पैंटी के आगे का भाग पूरी तरह से गीला था और हो भी क्यूँ ना, इतनी देर से राजेश उसे मस्त कर रहा था। इतने सब के बाद तो एक 80 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी पानी हो जाये। राजेश ने अब वो किया जिसकी कल्पना शायद रिंकी ने भी कभी नहीं की थी, उसने रिंकी की रस से भरी चूत को पैंटी के ऊपर से चूम लिया।
“हाय..... राजेश, यह क्या कर रहे हो? प्लीज़ वहाँ नहीं, वहाँ नहीं प्लीज़।” रिंकी के मुँह से बस इतना ही निकल पाया।
राजेश बिना कुछ सुने उसकी चूत को मज़े से चूमता रहा और इसी बीच उसने अपने होठों से रिंकी की पैंटी के एलास्टिक को पकड़ कर अपने दाँतों से खींचना शुरू किया। रिंकी बिल्कुल एक मजबूर लड़की की तरह खड़े खड़े अपनी पैंटी को नीचे खिसकते हुए महसूस कर रही थी।
राजेश की इस हरकत की कल्पना मैंने भी नहीं की थी। “साला, पूरा उस्ताद है।” मेरे मुँह से निकला।
जैसे जैसे पैंटी नीचे आ रही थी, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मेरा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा। मैंने सोचा कि जब अभी यह हाल है तो पता नहीं जब पूरी पैंटी उतर जाएगी और उसकी चूत सामने आएगी तो क्या होगा। खैर मैंने सोचना बंद किया और फ़िर से देखना शुरू कर दिया।
अब तक राजेश ने अपने दांतों का कमाल कर दिया था और पैंटी लगभग उसकी चूत से नीचे आ चुकी थी, काली-काली रेशमी मुलायम झांटों से भरी चूत को देखकर मेरा सर चकराने लगा। राजेश भी अपना सर थोड़ा अलग करके रिंकी की हसीन जन्नत के दर्शन करने लगा। रिंकी को जब इसका एहसास हुआ तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छिपा लिया और एक हाथ से अपनी पैंटी को ऊपर करने लगी।
राजेश ने मौका नहीं गंवाया और उसकी पैंटी को खींच कर पूरी तरह उसके पैरों से अलग कर दिया।
"हे भगवान”, अगर मैंने अपने आपको सम्भाला नहीं होता तो मेरे मुँह से जोर की आवाज़ निकल जाती। मैंने बहुत मुश्किल से अपने आपको रोका और अपने लंड को और जोर से सहलाने लगा। राजेश ने जल्दी से अपने होंठ रिंकी की चूत पर रख दिया और एक ज़ोरदार चुम्बन लिया।
"उम्म्म्म...आआहह्ह्ह, नहीं राजेश नहीं, प्लीज़ मुझे छोड़ दो।" यह कहते हुए रिंकी ने उसका सर हटाने की कोशिश की लेकिन राजेश भी खिलाड़ी था, उसने अपने सर के ऊपर से रिंकी का हाथ हटाया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर पूरी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
"ओह्ह मां, यह क्या कर रहे हो तुम...प्लीज़ ऐसा मत करो...मुझे कुछ हो रहा है...प्लीज़ ...प्लीज़ राजेश रूको प्लीज़, राजेश रूक जाओ प्लीज़। ह्म्म्म्म्..." रिंकी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं।
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