RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मैने सोचा क्यूँ ना साले को अपने दिल की बात बता दूं कि औरत तभी मूह मारने बाहर जाती है जब चूत की
खुजली बढ़ जाती है,ऑर इसकी दीदी तो थी भी कमाल की मस्त माल,,,,,,,,,,बड़े बूब्स ,,,,,,गोरा रंग,,,लंबा
कद ,,,,,,काले बाल जो गान्ड से भी नीचे तक आते थे,,,,,,साली की शादी हो गई थी फिर चाहे अपने पति के
घर 1 महीना ही रही थी फिर भी उसके पति ने एक महीना तो जम कर चुदाई की होगी उसकी,,,,ऑर उसको अब तक
कोई लंड नही मिला होगा इसलिए ज़्यादा खुजली होने लगी होगी तभी तो बड़ी आसानी से अमित के चक्कर मे फस
गई,,,,,,,,,अमित साला था भी कमीना पता नही कितनी लड़कियों की ज़िंदगी खराब कर चुका था,,,,,बड़े बाप
का बेटा था इसलिए पोलीस भी कुछ नही कर सकती थी,,,,,,कॉलेज की 2 लड़कियों ने तो उसकी वजह से ख़ुदकुशी
भी की थी क्योंकि साले ने उनका एमएमएस बना कर सब दोस्तो को सेंड कर दिया था ऑर सब दोस्त भी उन लड़कियों को
अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यू ना साले को बता दूँ कि तू खुद अपनी बेहन की
चुदाई करनी शुरू कर्दे क्योंकि एक महीना अपने पति से चुदने के बाद अब उसको खुजली होने लगी है चूत मे
तू खुद उसकी चूत की खुजली दूर कर देगा तो उसको बाहर जाने की ज़रूरत ही नही पड़नी,,,,,,लेकिन साला पता
नही मेरी बात समझेगा या नही,,,,,,,,,,,
मैं-देख करण मेरे भाई,,,,,तू अमित से बदला लेना चाहता है तो गोली इसका एलाज़ नही है,,ऑर आज तू अमित को मार
देगा तो कल कोई ऑर आ जाएगा तेरी दीदी की लाइफ मे फिर तू क्या करेगा,,,,,,क्या उसको भी गोली मारेगा,,,,,,
करण-तो मैं क्या करू सन्नी तू ही बता,,,,वो साला मेरी बेहन की ज़िंदगी करब कर देगा,,,,ऑर मेरी बेहन मेरी
कोई बात नही सुनती,,,,,,
मैं-देख गोली इसका इलाज नही है,,,,,,,,,,,,जैसा मैं बोलता हूँ तू वैसा कर,,,,अगर मेरे पे यकीन है तो,,,
सबसे पहले तू अपनी दीदी को बोल कि अमित से शादी के लिए बात करे,,,,,फिर उसके बाद वो कम से कम उसको पूरे
15 दिन मिलें नही,,,,,,,,
करण--लेकिन सन्नी वो मेरी बात नही सुनेगी मैं जानता हूँ,,,,,,,,,
मैं--तू पूरी बात तू सुन यार,,,,,,,,,,,,दीदी को बोल कि उससे अपनी ऑर अमित की शादी की बात करे फिर,,कम से कम 15
दिन तक नही मिले,,,,,,,,,,ऑर बोल उसको कि 15 दिन मे तू उनको अमित के खिलाफ कोई पक्का सबूत लाके देगा
तभी वो तेरा यकीन करेगी,,,,,,,,,,ऑर अगर तू 15 दिन मे अमित क खिलाफ कोई सबूत लाने मे नाकाम रहा
तो फिर वो जो मर्ज़ी करे तू उसके बीच नही आएगा,,,,,,,,,,,,बस तू एक बार दीदी को इतना बोल ऑर बाकी सब मेरे
पर छोड़ दे,,,,,,,,,,
कारण-फिर तू क्या करेगा सन्नी..........ओर अगर दीदी नही मानी तो,,,,,,,,,,
मैं--मैं कुछ भी करूँ तेरे को अमित से छुटकारा दिला दूँगा बस,,,,,,,,,,ऑर दीदी को मनाना तेरा काम है,,,ये
तू कैसे करेगा ये तू देख,,,,,,,ऑर ये बात ज़ोर ज़बरदस्ती ऑर गुस्से से नही,,प्यार ऑर अपने पन से करना जैसे
तू उनका छोटा नही बड़ा भाई हाँ,ऑर प्यार से अपनी लिट्ल सिस को समझ रहा है,,,,,,,,,,,,,,,बाकी सब मैं खुद
संभाल लूँगा,,,,,,,,,ठीक है
करण-ठीक है सन्नी मैं कोशिश करता हूँ,,,,,,,,
मैं--कोशिश नही तुझे दीदी को मनाना ही होगा तभी मैं कुछ कर सकता हूँ,,,,,,
करण-ठीक है ,,,,मैं दीदी को मना लूँगा ,,,,वो भी प्यार से,,,,,,,,,,,
मैं-चल अब कॉफी पे ठंडी हो गई है,,,,,,,,ऑर टेन्षन भूल जा सारी अब ये तेरी टेन्षन मेरी टेन्षन है,,,,,
हम दोनो कॉफी पीने लगे,,,,अब करण के चेहरे पर टेन्षन नही थी,,,,वो मेरे को सब बता कर कुछ
राहत महसूस कर रहा था ऑर मैने जो उसको वादा किया था कि मैं अमित का कुछ ना कुछ एलाज़ कर दूँगा
वो भी पक्के तरीके से,,उसको इस बात से भी कुछ खुशी थी,,,,हम दोनो ने कॉफी ख़तम की ऑर मैं
उसको माल मे ले गया घुमाने के लिए ताकि वो कुछ मस्ती करे ऑर टेन्षन को पूरी तरह भूल जाए ऑर मैं
खुद भी उस टेन्षन को दिमाग़ से निकाल देना चाहता था क्योंकि मुझे रात को बड़ी पार्टी लेने बुआ के पास
जो जाना था,,,,,,,,काफ़ी टाइम हम लोग घूमते रहे ,,,,,,,,,,अभी हम लोग घर की तरफ जा रहे थे तभी बुआ का
फोन आ गया ,,,,,,,,,
बुआ-हेलो सन्नी,,,,,,,,,,आइ,म सॉरी बेटा आज भी तेरी बड़ी पार्टी नही हो सकती कुछ प्राब्लम हो गई है,,,,,,प्ल्ज़्ज़ आज तुम मत आना ,,,,,,,,,,,कल पक्का मैं कैसे भी करके तुझे बड़ी पार्टी ज़रूर दूँगी,
प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा,इतना बोलकर बुआ ने फोन काट दिया
मुझे कुछ बोलने का मोका ही नही दिया,,,,
करण-किसका फोन था सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--,कुछ नही यार घर से फोन था खाने पर बुला रहे है,,,,,,,,,मैने करण को उसको
घर छोड़ा ऑर खुद अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,,,मुझे घर दूसरे रास्ते से जाना था लेकिन मैने जान
भूज कर बुआ के बुटीक के रास्ते से जाने का सोचा आख़िर पता तो चले कि बड़ी पार्टी हर बार कॅन्सल क्यूँ
हो रही थी,,,,,,,,बुआ के बुटीक के पास गया तो देखा कि शॉप की तरफ का दरवाजा बंद था तो मैं पीछे
के रास्ते की तरफ गया ,,,,,बाइक साइड पर लगाके मेन गेट की एक साइड से देखा तो बुआ की कार अंदर ही थी,,ऑर
एक अक्तिवा भी था अंदर ये शोभा दीदी का नही था शायद पूजा का हो सकता था,,,,,वैसे भी पूजा ऑर उसकी
सिस अब बुटीक के उपर वाले फ्लॅट मे रहने लगी थी ऑर अगर पूजा अपनी सिस के सामने बुआ के साथ खेल सकती है
तो पक्का वो खुद भी शामिल होती होगी उनके खेल मे,,,ऑर अगर काम ही कर रही थी तो बुआ ने वहाँ रुक कर
क्या करना था ,,,,काम तो पूजा ऑर मनीषा ने ही करना था,,,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ,,,फिर
सोचा कि टेन्षन क्यू लेनी चलो घर चलते है,,मैने पॉकेट मे हाथ डाला बाइक की चाबी निकालने के लिए लेकिन
मेरे हाथ मे वो चाबी आ गई जो बुआ ने मुझे दी थी,,,,,बुटीक के पीछे वाले गेट की चाबी,,वही जिसपे अभी
मैं खड़ा हुआ था,,,मैने सोचा क्यूँ ना एक बार देख लिया जाए कि आख़िर हो क्या रहा है,,,,,अगर खेल चल
रहा है तो मैं भी खेलना शुरू कर दूँगा,,,,,,,,,,ऑर अगर वो लोग काम कर रही होंगी तो बोल दूँगा कि मैं
पास मे ही था तो सोचा एक बार मिलके चला जाता हूँ,,,,,,,,,
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