RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था,,,,,,दिल करता था साले अमित की माँ चोद कर रख दूं,,,,,
मैं--क्या तू भी उसकी इस हरकत मे हिस्सेदार होता था,,,,क्या तेरे को पता है वो जगह कॉन्सी है जहाँ
वो लड़की को लेके जाता है ऑर जहाँ वो सब सीडी पड़ी हुई है,,,,,,,,,
सुमित-नही सन्नी भाई मैं तो बस उसके नशे की आदत को पूरा करता हूँ,,,,,,,,बड़े बाप का बेटा है
तो खुद समान लेके आने से डरता है,,,,मैं उसको समान लाके देता हूँ तो उसमे से कुछ मुझे
भी मिल जाता है,,,,,,,,,लेकिन एक बार मैने भी उसकी ब्लॅकमेल की हुई लड़की से सेक्स किया था ,,बस एक
बार ही,,वो भी मैने अमित को ज़िद की थी कि मुझे भी सेक्स करना है वरना मैं समान नही लेके
आउन्गा तो वो मान गया था,,,,,,,ऑर उसी रूम मे वो सीडी भी पड़ी हुई है,,,,,,,,जो लड़कियाँ मर गई
उनकी सीडी तो जला चुके है वो,कहीं किसी के हाथ सबूत नही लग जाए इसलिए,,,,,,लेकिन अपने कॉलेज
की एक लड़की की वीडियो अभी भी उसके पास है ओर वो उसको ब्लॅकमेल करके यूज़ करता है,,,,,साथ मे
उसके 2-3 दोस्त ऑर होते है,,,,,
मैं--तुझे पता है वो रूम कहाँ है,,,,,
सुमित--क्यू सन्नी भाई आपने क्या करना उस रूम मे,,,,,वो शक की नज़र से मेरी तरफ देख रहा था,,,,
मैं--अबे यार मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था,,क्योंकि मेरी भी एक गर्लफ्रेंड है,,,लेकिन मेरे पास कोई जगह नही
है जहाँ उसके साथ टाइम बिता सकूँ,,,,तू अगर कोई जुगाड़ कर सकता है तो बता मैं भी तुझे
खुश कर सकता हूँ,,,,,,,,तेरे नशे के लिए पैसे दे सकता हूँ,,,,,,,,
वो ध्यान से मेरी बात को सुन रहा था ,,ऑर नशे के लिए पैसे की बात सुनके वो थोड़ा खुश भी
हो गया था,,,,,
उसको ऑर ज़्यादा खुश करने के लिए मैं 500 का नोट निकाला ऑर उसको देते हुए बोला,,,,,,,ये लो अभी के
लिए ये रखो,,,ऑर जब रूम का इंतज़ाम हो जाए तो बता देना,,फिर इस से भी ज़्यादा दूँगा तेरे को,
लेकिन किसी को कुछ बोलना नही,,,,,,
पैसे पकड़ते ही साला बंदर की तरह गुलाटी मारने लगा,,,,ये साला तो बॉटल मे उतर गया था,,,,,
सुमित--भाई रूम तो है एक ,,,लेकिन किराया कुछ ज़्यादा है,,,,,,,
मैं--तू पैसे की टेन्षन नही ले रूम बता बस,,,ऑर जगह सेफ होनी चाहिए जहाँ कोई पंगा नही हो,,
सुमित--भाई ऐसी जगह है जहाँ कोई टेन्षन नही है,,,,,,,,,जब तक चाहो आराम से रहो ऑर मज़ा करो,,
मैं--अच्छा,,,ऐसी कॉन सी जगह है,,,,,,,,
सुमित--मेरा घर भाई,,,,,अमित भी वहीं जाता है,,,,आप भी जा सकते हो,,,,,,,,लेकिन पैसे ज़्यादा लगने
है,,,,,दिन का 1000 ऑर 2500 दोगे तो रात को भी नही आउन्गा घर वापिस,,,,,,,,,
मैं--उसको अपना घर देके तू खुद कहाँ जाता है,,,,
सुमित--भाई मेरा क्या है,,,दिन हो तो कॉलेज मे रहता हूँ ऑर अगर रात हो तो कभी स्टेटिओं तो कभी कोई
पार्क मे सो जाता हूँ,,,,आप बोलो आपको कब चाहिए,ऑर कितनी देर के लिए चाहिए,,,,,,
मैं--मेरे को दिन मे चाहिए,,,,,लेकिन तू पैसा बहुत ज़्यादा बोल रहा है,,,,,,,,मैं इतना नही दूँगा,,,
सुमित--ठीक है भाई अपने मेरी इतनी हेल्प की है आप कुछ भी नही दोगे तो भी चलेगा,,,बस बता देना
कब चाहिए,,,,,
तभी कॉलेज की छुट्टी हो गई,,,,,,,,
सुमित--ओके भाई मैं चलता हूँ छुट्टी हो गई,,,,,,,
मैं--अबे कैसे जाएगा तू घर,,,,
सुमित--सन्नी भाई मैं ऑटो से जाउन्गा,,,,,
मैं--ऑटो से क्यू यार मैं हूँ ना तेरा दोस्त,चल मैं तुझे छोड़ देता हूँ घर,,ऑर तेरा घर भी
देख लूँगा कि मेरे लिए सेफ है या नही,,,,,,,अगर तुझे कोई एतराज़ नही हो तो,,,,,
सुमित--भाई मुझे क्या एतराज़ हो सकता है,,,,
मैं--तो ठीक है तुम गेट पर चलो मैं बाइक लेके आता हूँ,,,,,वो उठा ऑर गेट की तरफ चला गया
मैने भी बाइक लिया ऑर गेट की तरफ चलने लगा,,,तभी मैने देखा कि सोनिया गेट के पास खड़ी
हुई थी,,उसने मुझे आते देखा तो मैने बाइक स्लो कर लिया तभी वो मेरी तरफ चलने लगी,,मैने
'बाइक उस से थोड़ी दूर रोक दिया वो चलके मेरी तरफ आ रही थी तभी सुमित मेरी बाइक पर बैठ
गया,,,,,,ऑर मैने बाइक चला शुरू कर दिया,,,,सोनिया मेरी तरफ बड़ी अजीब नज़रो से देख रही थी
उसके चहरे पर हल्का गुस्सा भी था ऑर हल्की सी उदासी थी,,,,तभी कविता अक्तिवा लेके वहाँ आ गई
ऑर सोनिया मेरी तरफ देखती हुई अक्तिवा पर बैठ गई,,कविता का ध्यान मेरी तरफ नही था उसने
जल्दी से अक्तिवा चलाई ऑर वो दोनो वहाँ से चली गई,,,,,,,,ऑर मैं सोनिया को जाते हुए देखने लगा
वो भी पीछे मूड के मेरी तरफ देख रही थी,,,,मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी,,,लेकिन मुझे
भी सुमित का घर देखने जाना था तो मैने बाइक दूसरी तरफ टर्न करदी जिधर सुमित ने मुझे बोला
ऑर हम सुमित के घर की तरफ चल पड़े,,,,,,,,,,,करीब 40 - 45 मिनट बाद हम सुमित के घर
पहुँच गये,,,उसका घर सहर से थोड़ा हटके था,,,हर तरफ खेत ही खेत थे,,,और बहुत सारी
खुली ज़मीन थी वहाँ,,,,,,आस पास कोई घर भी नही था,,,,,2-3 घर थे लेकिन बहुत दूर थे
,,उसका घर बहुत पुराना था,,,घर पर एक पुराना सा गेट लगा हुआ जिसमे कोई लॉक भी नही लगा
हुआ था,,ऑर लॉक लगा कर करता भी क्या,,,,घर की चार दीवारी भी 4-5 फीट उँची थी ,,कोई भी
बड़े आराम से दीवार से जंप लगा कर अंदर जा सकता था,,बाहर से ही देखने पर पता चल रहा
था कि घर मे एक ही कमरा था,,,,,,,एक घर की एक कॉर्नर मे छोटा सा किचन,,,ऑर गते से अंदर
जाते ही एक साइड पर बातरूम था जिसका कोई दरवाजा ही नही था,,,,,,,,
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