RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अपने हाथों पर उसके सॉफ्ट ऑर छोटे छोटे बूब्स के एहसास ऑर उसी टाइम अपने लिप्स पर उसके मखमली
पेट का एहसास,,,,एक साथ दो तरफ़ा मस्ती से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ऑर कविता भी,,,मेरे लिप्स
जैसे ही उसके पेट को टच हुए उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपने पेट पर दबा दिया ऑर मेरे
लिप्स उसकी नाभि के पास जाके डब गये,,मैने अपने लिप्स से उसके पेट पेर नाभि के पास हल्की किस की ऑर
फिर अपनी ज़ुबान को उसकी नाभि मे हल्का सा घुसा दिया ऑर चाटने लगा उसी टाइम मैने उसके बूब्स
को भी अपने हाथों मे भरके दबा दिया,,,उसके बूब्स तो सॉफ्ट थे लेकिन उनकी डुंड़िया काफ़ी हार्ड हो
चुकी थी,,,मैं उसके बूब्स को मसल्ने लगा ऑर उसके पेट पर नाभि के पास किस करता हुआ उसकी नाभि
मे ज़ुबान डालके चाटने लगा,,उसके बूब्स की डुंड़िया जो हार्ड हो चुकी थी मैं उनको भी अपनी
उंगलियों मे भरके दबाने लगा,,,,
कविता भी लेटी हुई मेरे सर को प्यार से सहला रही थी ऑर अपने पेट पर दबा रही थी,,,साथ ही साथ वो
हल्की मस्ती मे धीरे धीरे सिसकियाँ भी ले रही थी,,,मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे ऑर मेरा सर
उसके पेट पर मैं हल्के हल्के उसके पेट पर किस करता हुआ उपर उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा ऑर
उपर बढ़ते हुए मैने अपनी ज़ुबान से उसके पेट को चाटना भी शुरू कर दिया,,,,धीरे धीरे मैं
उसके पेट से होता हुआ उसके बूब्स तक पहुँच गया ऑर एक बूब्स को अपने हाथ से दबा कर अपने मूह
मे भर लिया,,उसके बूब की डुँड़ी काफ़ी हार्ड हो चुकी थी इसलिए मैने डुँड़ी को अपने लिप्स मे पकड़ा
ऑर दबा दिया लेकिन इस से कुछ नही हुआ तो मैने उसकी डुँड़ी को अपने दाँतों मे पकड़ा ऑर हल्के
से काट दिया तो उसकी अहह निकल गयी,,,,मैने दूसरे बूब्स की डुँड़ी को भी ऐसे ही काट दिया
ऑर फिर बारी बारी दोनो बूब्स को चूस्ता ऑर दबाता गया,,,बीच बीच मे डुँड़ी का काटने भी लगा
जिस से वो हल्के दर्द से अहह करने लगती ,,,,,,,मैं उसके बूब्स चूस्ता हुआ अब उसके उपर लेट
चुका था ,,,अब मेरा लंड भी काफ़ी हार्ड हो गया था जिसका एहसास उसको भी अपनी चूत पर होने
लगा था,,,,मस्ती मे मैने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए आगे पीछे हिलना शुरू किया तो
उसने अपने हाथों को मेरी पीठ पर रखा ऑर मेरी टी-शर्ट को उपर उठाने लगी,,,मैने भी खुद के
जिस्म को उसके जिस्म से उपर उठाया ताकि वो मेरी टी-शर्ट निकाल सके,,,ऑर जब मेरी टी-शर्ट निकल गयी तो
उसने मेरी पीठ पर अपने हाथ रखे ऑर मुझे उपर नीचे करने लगी,,,मेरा लंड अब पहले से कहीं
ज़्यादा रगड़ लगा रहा था उसकी चूत पर लेकिन जीन्स की पॅंट होने की वजह से वो रगड़ कुछ ज़्यादा
काम नही आ रही थी,,,लेकिन फिर भी उसको हल्की मस्ती का एहसास तो मिल ही रहा था,,,
मैं अपने जिस्म को उपर नीचे करते हुए अपने लंड की हल्की रगड़ लगा रहा था उसकी चूत पर ऑर
उसके बूब्स को चूस रहा था ,,तभी उसने मेरे सर को पकड़ा ऑर उपर की तरफ आने का इशारा करने
लगी,,,मैने अपने सर को उसके बूब्स से उठा लिया ऑर उसके लिप्स की तरफ बढ़ गया उसने भी जल्दी से मेरे
लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया ऑर चूमना शुरू कर दिया,,उसने हाथ जो वापिस मेरी पीठ पर चले
गये थे उसने उन हाथों से मेरी पीठ को सहलाते हुए अपने हाथों को मेरे पयज़ामा के अंदर की
तरफ घुसना शुरू कर दिया,,,उसकी इस हरकत से मैने भी अपने हाथ उसकी कमर की तरफ बढ़ाने
शुरू किए ऑर कुछ ही देर मे मेरे हाथ उसकी जीन्स पर थे दोनो तरफ से,,,,मैने उसकी जीन्स को
खोलने की कोशिश की लेकिन उसके उपर लेट कर ऐसा करना मुश्किल लग रहा था मुझे,,इसलिए मैने
उसकी जीन्स कि ज़िप को खोल दिया ऑर जल्दी से मेरा हाथ उसकी ज़िप के अंदर चला गया,,,जैसे ही मेरा हाथ
उसकी ज़िप के अंदर गया मैं खुश हो गया,,,,क्यूकी उसने जीन्स के नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी ऑर
मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर लगा था जाके,,,मैने गौर किया कि उसकी चूत पर आज बाल नही '
थे शायद आज ही उसने शेव की थी चूत पर,,,,शायद ये घर से सोचकर आई थी ये सब करने के लिए
ऑर मुझे खुश करने के लिए,,,,क्यूकी आज उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक हो गयी थी,,,,
मैने किस करते हुए अपने हाथ को उसकी ज़िप के रास्ते उसकी जीन्स मे घुसा दिया ऑर उसकी चूत के उपर
उंगली से हल्की हल्की रगड़ लगाने लगा,,,उसके हाथ भी मेरे पयज़ामा के अंदर मेरी गान्ड पर थे
ऑर वो मुझे गान्ड से पकड़ कर तेज़ी से उपर नीचे कर रही थी,,,उसको मेरे लंड की रगड़ अच्छी लग
रही थी उसकी चूत पर ऑर अब मेरी उंगली की रगड़ भी ,,,इसलिए उंगली लगते ही उसने मुझे तेज़ी से
उपर नीचे करना शुरू कर दिया था,,शायद वो चाहती थी कि मैं उसको ज़्यादा मज़ा दूं इसलिए मैने
उंगली को उसकी चूत मे घुसा दिया ऐसा करते ही उसने मेरे लिप्स पर हल्के से काट दिया ऑर फिर पागल
बन के मुझे किस करने लगी,,,दोनो हाथों से मुझे तेज़ी से उपर नीचे करने लगी,,,मैने भी अपनी
उंगली को उसकी चूत से निकाला ऑर साथ ही अपने जिस्म को थोड़ा उपर करके अपने पयज़ामे को नीचे किया
ऑर लंड को बाहर निकाला लिया क्यूकी मैं समझ गया था अब उस से बर्दाश्त नही हो रहा ऑर वैसे
मेरे से भी बर्दाश्त नही हो रहा था,,,,मैने लंड को पयज़ामे से बाहर निकाला ऑर ज़िप के रास्ते अपने
लंड को उसकी चूत तक पहुँचा दिया ,,,,
लेकिन लंड बहुत मोटा था जो ज़िप के रास्ते ज़्यादा अंदर नही घुस रहा था लेकिन फिर भी लंड की टोपी
चूत पर टच होने लगी थी ऑर इसी एहसास से उसने ऑर भी तेज़ी से मुझे उपर नीचे करना शुरू कर
दिया,,,वो पागल हुई जा रही थी बस लंड को चूत मे घुसा लेना चाहती थी,,मैं भी जल्दी से लंड
को उसकी चूत मे घुसा देना चाहता था इसलिए मस्ती मे मेरी कमर भी उपर नीचे हिलने लगी ऑर
लंड की टोपी की हल्की रगड़ लगने लगी चूत पर जिस से मुझे मज़ा आने लगा ऑर शायद कविता को भी
लेकिन मुझे हल्का दर्द भी होने लगा हल्की जलन भी होने लगी क्यूकी ज़िप की साइड का लोहा मेरे लंड
पर रगड़ खा रहा था जिस से मुझे जलन हो रही थी,,,हल्का दर्द होने लगा था लेकिन कविता को इस
बात की टेन्षन नही थी वो तो तेज़ी से मुझे उपर नीचे करने मे लगी हुई थी,,,,,अब तो बर्दाश्त के
बाहर हो गया था,,,एक तो लंड चूत मे नही गया था उपर से ज़िप के लोहे की रगड़ से जलन होने
लगी थी,,,,
मैं जल्दी से उसके उपर से उठ गया ऑर खड़ा हो गया,,,,मैने जल्दी से अपने पयज़ामा निकाला ऑर मेरा
9 इंच से थोड़ा बड़ा लंड देखकर कविता की आँखें चमक गयी लेकिन जल्दी ही वो शरमा भी गयी ऑर
अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैं जल्दी से पयज़ामा निकाल कर वापिस घास पर बैठ गया
ऑर मैने कविता की जीन्स के बटन को खोल दिया ऑर जीन्स को थोड़ा नीचे कर दिया,,,लेकिन तभी कविता
ने शरमा कर मेरी तरफ देखा ऑर अपनी जीन्स के पास से मेरे हाथों को पकड़ लिया ऑर मुझे जीन्स
नही उतारने दी,,,मैं समझ गया ये शर्मा रही है,,,,,,
लेकिन तब तक उसकी जीन्स थोड़ी नीचे खिसक चुकी थी ऑर उसकी चूत नंगी हो गयी थी,,,,
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