Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 11:57 AM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
अच्छा तो भाभी ने बताया तुझे,,,,,क्या ऐसी बातें करती है तू भाभी के साथ,,,,

हां ना करती हूँ,,,,कामिनी मेरी भाभी नही बहुत अच्छी दोस्त भी है,,,,,,उन्होने ही मुझे आज
नीचे शेव करने को भी बोला था,,,जब मैने उनको बताया कि मैं तुमसे मिलने जा रही हूँ तो
उन्होने बोला कि नीचे शेव कर्लो और हो सके तो पीछे वाले होल को भी तैयार कर लो,,,क्यूकी तुमको
पीछे से ज़्यादा मज़ा आता है,,,और वैसे मुझे भी मज़ा आएगा लेकिन तुम्हारा वो बहुत बड़ा है ना
मेरी जान निकाल देगा वो,,,,,पीछे आराम से नही घुसेगा,,,,इतना बोलकर वो फिर से शरमा गयी,,,,


अच्छा तो इसको तैयार कैसे करोगी मेरे लिए,,,ये नही बताया क्या भाभी ने,,,,मैने फिर से मज़ाक मे
बोला


बताया था ना ,,,वही नकली वाला छोटा खिलोना है ना उस से,,,,लेकिन मुझे नही लेना उसको अपने पीछे
मुझे सिर्फ़ तुम्हारा खिलोना ही लेना है,,,,सिर्फ़ उसी का हक़ है मुझपे और किसी का नही फिर वो नकली
ही क्यूँ ना हो,,,,

खिलोना नही है वो डिल्डो है ,,,नकली लंड रब्बर वाला,,,,,,और वैसे क्यूँ नही लेना,,,,जानता हूँ
तुमपर और तुम्हारे जिस्म पर मेरा ही हक़ है और किसी का नही लेकिन दर्द से बचने के लिए और होल
को खोलने के लिए ये ज़रूरी है कविता ,,वरना बहुत दर्द होगा तुमको इस असली वाले खिलोने को अपने
पीछे वाले होल मे लेने पर,,,,,

अच्छा बाबा ठीक है,,,,,,,,भाभी ने बोला था उस से दर्द भी नही होगा और होल भी तेरे इस बड़े खिलोने
क लिए तैयार हो जाएगा,,,,

अच्छा तो कब तैयार करना है पीछे वाले होल को बोलो,,,,

जब भी तुम बोलो,,,,उसने इतना बोला और बहुत ज़्यादा शरमा गयी,,,,

मैं तो अभी तैयार हूँ,,,बस तुम पहले सोनिया को फोन करके पूछो कि वो कब आएगी तुमको लेने


उसने भी जल्दी से मेरे से अलग होके अपनी जीन्स की पेंट से अपना फोन निकाला जो पेंट सोफे पर पड़ी हुई
थी और सोनिया को कॉल करदी,,,,

मैं समझ गया कि इसको भी आग तो लगी हुई है गान्ड मरवाने की लेकिन ये डर रही है,,और डरती भी
क्यूँ नही इसकी कुवारि और सील पॅक गान्ड की धज्जियाँ उड़ा देगा मेरा ये मूसल,,


उसने सोनिया से बात की और फोन कट कर दिया,,,


सोनिया 6 बजे आएगी सन्नी,,,,,,,,,,,,,मैने क्लॉक की तरफ देखा तो अभी 1 ही बजा था,,,,

ये तो अच्छी बात है,,फिर तो बहुत टाइम है हम लोगो के पास ,,,,तो क्या बोलती हो चले एक बार फिर से
मस्ती की सैर पर और तुम्हारी गान्ड के होल को भी तैयार कर दूँगा मैं अपने इस बड़े खिलोने के लिए

लेकिन कैसे सन्नी,,,,,वो नकली खिलोना तो कामिनी भाभी के पास है,,,

नही एक मेरे पास भी है,,,,

तुम्हारे पास ,,,,,,,,,,,उसने हैरान होके पूछा,,,,,तुम्हारे पास कैसे आया वो,,,


अरे मैने ही तो भाभी को लाके दिया था वो,,,सूरज भाई के कहने पर ,,एक ग़लती से मेरे पास ही रह
गया मेरे बॅग मे,,,


कहाँ है वो लेके आओ उसको,,,,,उसने थोड़ा शर्माके लेकिन खुश होके बोला,,

ठीक है तुम मोम के रूम मे चलो मैं लेके आता हूँ,,,,,

वो शरमा कर मोम के रूम मे चली गयी और मैं उपर शोभा के रूम मे और नकली लंड लेके वापिस
मोम के रूम मे आ गया,,,,जहाँ कविता नंगी होके लेट चुकी थी,,,,


उसके बाद मैने कविता की 2 बार और चुदाई की और उसकी गान्ड के होल को भी थोड़ा खुला कर दिया
लेकिन अभी लंड नही घुसाया था मैने उसकी गान्ड मे ,,,,क्यूकी मैं चाहता था वो घर जाके भाभी
से वो नकली लंड लेके अच्छी तरह से थोड़ा और खोल ले अपनी गान्ड को,,,,वो भी इस बात के लिए मान गयी
थी,,,,लेकिन उसने भाभी से नकली लंड लेने से मना कर दिया और उसी लंड को अपने बॅग मे डाल लिया जिस
से मैं उसकी गान्ड के होल को खुला कर रहा था,,,

फिर करीब करीब 6 बजे सोनिया आ गयी थी और कविता को ले गयी थी,,,,कविता का दिल नही था घर जाने
को और मेरा भी दिल नही था उसको यहाँ से भेजने को,,लेकिन उसका जाना ज़रूरी था,,,


उसके जाने के बाद रात कब हुई पता ही नही चला ,,,,और रात कैसे कटी ये सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ
,,पूरा दिन इतनी मस्ती की थी कविता के साथ की रात को सोना मुश्किल हो गया था मस्ती किए बिना,,इसलिए
पौर्न मूवीस देखकर मूठ मारनी पड़ी मुझे,,,,


नेक्स्ट डे लास्ट एग्ज़ॅम था,,,,एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन की तरफ चलने लगा ,,मैने करण को भी
इशारा किया था कॅंटीन मे मिलने को लेकिन उसने मेरी तरफ देखा ही नही था,,मैं उस से पहले
एग्ज़ॅम देके बाहर आ गया था सोचा कि जब वो बाहर आएगा तो उस से बात करूँगा,,,इसलिए मैं कॅंटीन
मे आ गया,,,,

मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि अमित कॅंटीन मे खड़ा हुआ था और कॅंटीन वाले को किसी बात पर
गालियाँ दे रहा था और कॅंटीन वाला रो रहा था,,,

अमित>>अबे साले दोबारा अगर पैसे माँगे तो जान ले लूँगा तेरी और कॅंटीन को भी आग लगा दूँगा
इतना बोलकर अमित ने 2-3 थप्पड़ लगा दिए कॅंटीन वाले को,,

तभी अमित के पीछे खड़े हुए लड़के का ध्यान आया मेरी तरफ और उसने अमित को बता दिया मेरे आने
के बारे मे,,,,अमित ने पीछे मूड के मुझे देखा और गुस्से से 1 थप्पड़ और मारा कॅंटीन वाले को
और वहाँ से चला गया,,और जाते हुए फिर से अपने अंदाज़ मे बोलता हुआ गया,,,,,,याद रखा ये कॉलेज
भी मेरे बाप का है और ये कॅंटीन भी,,,,दोबारा से अगर कोई ग़लती हुई तो ना तू रहेगा और ना तेरी
ये कॅंटीन ,,,,


अमित अपने चम्चो को लेके वहाँ से चला गया,,,कॅंटीन वाला समझ गया था कि अमित ने उसको इतनी
जल्दी कैसे छोड़ दिया,,,वो तो कब्से उसको मार रहा था लेकिन मुझे देखकर अमित वहाँ से भाग
गया था,,,,इसलिए कॅंटीन वाला मेरे पास आके रोने लगा,,,,,अच्छा हुआ सन्नी भाई आप आ गये वरना वो
और भी मारता मुझे,,,,

पहले तो ये बचो की तरह रोना बंद करो,,,,और क्यूँ मारा अमित ने तुमको ये बताओ,,,

सन्नी भाई उसका कॅंटीन का बिल 30000 हो गया था आज जब मैने पैसे माँगे तो मुझे मारने लगा
वो,,,अपना और अपने बाप का रौब दिखाने लगा,,,साला बड़े बाप का बेटा है फिर भी भीख माँगके
ख़ाता है,,,,


अभी तू उसके जाने के बाद उसको बुरा बोल रहा है लेकिन जब वो तुझे मार रहा था तब तेरी ज़ुबान
क्यूँ नही चल रही थी,,,तब गूंगा क्यूँ बन गया था तू,,,,


सन्नी भाई मैं ग़रीब आदमी हूँ,,लाचार हूँ और वो बड़े बाप का बेटा है,,,अगर मैं उसको
कुछ बुरा बोलता तो वो मेरी जान ले लता और कॅंटीन भी बंद करवा देता,,,यही कॅंटीन मेरी रोज़ी रोटी
चलती है सन्नी भाई,,,,


बस यही तो पंगा है तुम लोगो का,,,,खुद को ग़रीब और लाचार समझ लेते हो,,,लेकिन तुम लोगो को
ये नही पता कि भले ही तुम लोगो के पास पैसा नही है लेकिन फिर भी तुम लोगो के पास एक ताक़त
ऐसी है जो इन अमीर लोगो के पास नही है,,,,,वो है तुम लोगो की एकता,,,,,,तुम लोग सब एक साथ मिल
जाओ तो तुम लोगो से बड़ी ताक़त कोई नही है,,,और फिर अमित और अमित के बाप जैसे चन्द लोग तुम्हारा
कुछ नही कर सकते,,,,अभी भी तुम लोग 5 थे,,,1 तुम और 4 कॅंटीन मे काम करने वाले,,,और
अमित के साथ तो 2 ही लड़के थे,,,,अगर तुम चाहते तो उन लोगो की हालत खराब कर सकते थे,,,वैसे
भी तुम कुछ ग़लत तो नही कर रहे थे ना,,,,अपने हक़ का पैसा ही माँग रहे थे कोई उधार
तो नही माँग रहे थे जो डर कर या सर झुका कर माँगना पड़े,,,

सन्नी भाई मैं आपकी बात समझता हूँ लेकिन मैं क्या कर सकता हूँ,,,,मेरा बाप पहले से बीमार
है,,,हॉस्पिटल मे है वो,,,,,छोटा भाई भी कल ही गया है गाँव,,मैं कहाँ इन लड़ाई झगडो मे पड़
सकता हूँ,,,,सोचा था कल से छुट्टियाँ शुरू है कॉलेज की तो मैं भी कुछ पैसे लेके गाँव चला
जाउन्गा और अपने बाप का इलाज करवा लूँगा ,,,लेकिन अमित ने तो पैसा देने तक से मना कर दिया,,अब
मैं उस से झगड़ा करूँ या अपने बाप और भाई के बारे मे सोचु,,,,,वो फिर से रोने लगा,,,

अच्छा चल अब रो मत,,,,मैं तुझे पैसे देता हूँ,,,मैं कॉलेज से बाहर गया जहाँ एटीएम
लगा हुआ था और पैसे निकलवा कर कॅंटीन वाले को दे दिए,,


ये लो पैसे और गाँव जाके अपने बाप का इलाज कर्वाओ,,,,

भाई मैं ये पैसे कैसे ले सकता हूँ आपसे,,,और आप क्यूँ दोगे मुझे पैसा,,,मुझे तो अमित से पैसा
लेना है ना,,,

अच्छा ठीक है भाई ,,,,जानता हूँ तूने अमित से पैसे लेने है लेकिन उसने मना कर दिया ना,,,अब तुझे
पैसे की ज़रूरत तो है ना इसलिए मेरे से पैसे लेले और जब अमित पैसे दे देगा तो तुम मेरे पैसे लौटा
देना,,,

मैने उसको पैसे दिए तो वो मेरे पैरो मे गिर गया,,,,,,भाई मैं आपका अहसान कैसे चुकाउन्गा और
कैसे वापिस करूँगा ये पैसे,,,,,अगर अमित ने फिर से पैसे देने से मना कर दिया तो,,,,

तू दूर की मत सोच मेरे भाई,,,,पहले गाँव जाके अपने बाप का इलाज करवा ,,बाकी सब बाद मे देख
लेंगे,,,,,

वो मेरे पैरो मे गिरकर रोने लगा,,,,फुट फुट कर रोने लगा,,,,मैने उसको उपर उठाया तो वो
मेरे गले लग गया,,,,मैं सच मे आपका ये अहसान कभी नही भूलूंगा सन्नी भाई,,

चल बड़ा आया अहसान वाला,,वैसे तो मैं कोई अहसान नही कर रहा तेरे पर लेकिन अगर तुझे फिर भी
ये सब अहसान लगता है तो तुझे भी कभी मौका दूँगा ये अहसान चुकाने का,,,,,अब रोना बंद
कर और अच्छी सी कॉफी पिला मुझे,,,

उसने आँखें सॉफ करते हुए ,,,,आज मैं आपको स्पेशल कॉफी पिलाउन्गा सन्नी भाई,,,,अपने हाथ
से बना कर,,वो खुश होता हुआ चला गया,,,,

वाह जी वाह,,,सन्नी थे ग्रेट,,,,दोस्तो का दोस्त और सबका भला करने वाला,,,मैने पीछे मूड के
देखा तो कविता और सोनिया मेरे पीछे खड़ी हुई थी और ये बात बोल रही थी सोनिया,,,

वो दोनो चलके मेरे पास आ गयी और मेरे टेबल पर बैठ गयी,,,,,,सोनिया तो मुस्कुरा रही थी लेकिन
कविता थोड़ा शरमा भी रही थी मेरे से,,,,,,

तुम लोग यहाँ कैसे,,,,,और कब आई,,,,

जब तुम कॅंटीन वाले का भला कर रहे थे तब आई हम दोनो,,,तू सच मे कितना अच्छा है भाई,,
लेकिन दूसरों के साथ,,,,अपनो के साथ तो तू हमेशा लड़ता-झगड़ता ही रहता है,,सोनिया ने ये बात
थोड़ी नखरे से बोली और फिर हँसने लगी,,,साथ मे कविता भी हँसने लगी,,,

मैं समझ गया कि सोनिया क्यूँ ऐसे बोल रही थी इसलिए मैने बात पलट दी,,,,,,,अच्छा तो कविता अब
छुट्टियाँ हो गयी है कुछ दिनो की तो क्या प्लान है छुट्टीओं का,,,,


हम लोगो का प्लान तो बन गया है सन्नी तू अपनी सुना,,,,कविता ने हँसके बोला तो सोनिया भी हँसने
लगी,,,,


तुम लोगो का क्या प्लान बन गया मुझे भी तो पता चले,,,

तभी कॅंटीन वाला कॉफी लेके आ गया ,,,वो भी 3 कप,,,,

तभी सोनिया ने एक कप कॉफी उठा ली,,,,,,,क्यूँ तुमको क्यूँ बताए हम लोग की हमारा प्लान क्या है,,
सोनिया फिर से नखरे से बोली,,,

हम लोगो का कुछ प्लान है सन्नी ,,,तुम टेन्षन मत लो बाद मे बता दूँगी तुमको,.,ये बात बोली
कविता ने

फिर हम लोग कॉफी पीने लगे और बातें करने लगे,,,,लेकिन मैं ये सोच रहा था कि अब इन लोगो
का क्या प्लान बन गया है,,,,जो मुझे नही बता रही ये दोनो,,,,खैर मुझे क्या,,,,कम से कम सोनिया
मेरे से तो दूर ही रहेगी मेरे लिए यही काफ़ी था,,,,


कॉफी पेके मैं चला अपने रास्ते और कविता और सोनिया गयी अपने रास्ते,,,,इन सब के बीच मे करण
को मिलना तो भूल ही गया था,,,लेकिन अब मैं उसके घर भी नही जा सकता था क्यूकी वहाँ रितिका
थी और मैं उसके पास नही जाना चाहता था,,,,मैं कारण से बाहर ही बात करना चाहता था वो भी
अकेले मे,,,,मैने करण को फोन किया लेकिन उसका फोन ऑफ था,,,,

खैर मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,


घर पहुँचा तो कपड़े चेंज करके आराम से लेट गया,,,,क्यूकी कल से कॉलेज की छुट्टियाँ थी कुछ दिन
की इसलिए मैं बहुत खुश था और आराम से लेट कर टीवी देखने लगा था,,,तभी कुछ देर बाद,,,,???
आराम से सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था तभी बाहर बेल बजने की आवाज़ आई,,

साला अब कॉन आ गया आराम हराम करने,,,चैन से बैठकर टीवी भी नही देखने देते लोग,,

उठकर दरवाजे के पास गया और जैसे ही दरवाजा खोला बाहर कविता खड़ी हुई थी,,कविता
ने दरवाजा खुलते ही मुझे हेलो बोला,,,,,

मैने उसको हेलो बोलना था लेकिन तभी मेरी नज़र पड़ी गेट के पास खड़ी हुई कार पर और
कार के बाहर खड़ी हुई थी सोनिया,,,जो कार से पीठ लगा कर हम लोगो की तरफ देख रही
थी,,,


ओये सन्नी कहाँ खो गया हेलो का जवाब तो देदे,,,कविता ने मेरे सर पर हल्का हाथ मारते
हुए बोला,,,,,

मेरा ध्यान सोनिया से पलट कर वापिस कविता की तरफ आया,,,,ओह्ह सौरी कविता हेलो ,,,हाई

तुम दोनो यहाँ क्या कर रही हो,,,,

भूल गया सन्नी मैने कॉलेज मे क्या बोला था,,,,मेरा और सोनिया का प्रोग्राम बन गया है
छुट्टियाँ मनाने का ,,,,मैं सोच रही थी तुम भी हम लोगो के साथ चलो,,,सौरी मैं
नही हम दोनो सोच रही थी,,,इतना बोलके कविता ने सोनिया की तरफ इशारा किया,,


तभी याद आया सोनिया ने बोला था कॉलेज मे कि उन दोनो का प्लान बन गया है,,लेकिन ये
मुझे क्यूँ साथ लेके जाना चाहती है,,और सबसे बड़ी बात सोनिया कैसे तैयार हो गयी मुझे
भी साथ लेके जाने को,,,वो तो कभी ना लेके जाती मुझे अपने साथ,,,और वैसे भी मुझे भी
नही जाना था सोनिया के साथ मैं तो जितना हो सके उस से दूर ही रहना चाहता था क्यूकी
दूर रहके ही हम दोनो की भलाई थी और अब तो मैं उसको प्यार करने लगा था और चाह कर
भी उसको हर्ट नही करना चाहता था,,,
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RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 07-16-2019, 11:57 AM

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