Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-05-2019, 01:19 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मैं रुक गया मामी ने मेरे होंठो को अपने मुँह मे भर लिया और उन्हे चबाने लगी कोई 5-6 मिनट तक वो बस मेरे लंड को फील ही करती रही मेरा हाल थोड़ा अजीब हो रहा था तो मैने उन्हे अड्जस्ट किया और उनके उपर गया अब मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया मामी ने भी अपनी टाँगो को खूब फैला लिया और अपनी चूत मराई का मज़ा लेने लगी मामी की चूत फुदक रही थी आज काफ़ी ज़्यादा गीलापन था उसमे से बस हमारी सांसो की सरगोसियाँ हर तरफ फैली हुई थी रज़ाई के अंदर उनको भोग रहा था मैं आधे-पोने घंटे तक ढंग से बजाया उनको और फिर एक बार अपने पानी से उनकी चूत की सिंचाई कर दी इस तरह सुबह होने तक ना मामी सोई ना मुझे एक पल को भी सोने दिया पूरी रात उनकी हवस को मिटाया ना जाने कितनिबार वो चुदि


कभी वीर्य पिया कभी लंड गान्ड मे लिया कभी बस चूसा ही इस तरह से पूरी रात उन्होने अपनी इच्छा को पूरी किया जितना उनकी आग भुजती उतना ही और भड़क जाती सुबह 7 बजे वो मुझसे अलग हुई और अपने कपड़े पहन ने लगी वो कच्छि को टाँगो पे चढ़ा ही रही थी कि मैने उन्हे रोका और उस छोटी से कच्छि को अपनी पेंट की जेब मे रख लिया मामी हँसी और सलवार को उपर चढ़ा लिया बाहर अभी भी थोड़ा अंधेरा सा ही था पंप बंद किया ताला लगाया और हम घर वापिस चल पड़े बदन बुरी तरह से थक चुका था ऐसा ही हाल मामी का भी था

घर पे आते ही मैं सीधा बाथरूम मे घूंस गया और नहाने लगा मामी रसोई मे चली गयी कोई 11 बजे मैं एक दम रेडी था वापिस होने के लिए बस पकड़ी और सहर चल पड़ा बस स्टॅंड आया अपनी टिकेट ली और अब वापसी का सफ़र करना था पूरी रात की नींद थी और सफ़र भी लंबा था तो बस मे सो गया कोई 5बजे मैं उठा बस एक ढाबे पे खड़ी थी बाहर आके मुँह धोया कुछ खाया पिया अभी एक घंटा और लगना था कुछ देर मे बस फिर चल पड़ी मैने अपने सर को खिड़की पे टिका लिया और हवा के झोंको का आनंद लेने लगा अपने सहर आते आते 7 बज गये थे अंधेरा पूरी तरह छा चुका था टेंपो भी नही मिलने वाला था इस टाइम लिमिटेड सर्विस ही चलती थी तो अब पैदल ही चलना था उपर से मेरा बॅग भी थोड़ा भारी था



पर और कोई रास्ता भी नही था तो चल पड़ा पेट मे चूहे कूद रहे थे सो अलग जैस तैसे करके धक्के खाते हुए घर पहुँच ही गया घरवालो से दुआ सलाम हुई फिर खाना वाना खाया कुछ सफ़र की थकान भी थी तो बस अपना कमरा खोला और बिस्तर पे पड़ गया फिर ना कोई होश रहा सुबह ही आँख खुली अपने होश संभाले कमरे की थोड़ी सफाई की इन सब मे ही दोपहर हो गयी फिर मैं अंदर गया तो बस चाची ही थी उन्होने बोला कुछ खाएगा मैने हाँ की तो उन्होने प्लेट मे खाना डाल के मुझे दिया और मेरे पास ही बैठ गयी उन्होने पूछा इस बार तो कई दिन लगा दिए क्या कोई मिल गयी थी वहाँ तो मैने कहा क्या आप भी ना पूरा टाइम खाल खेंचती रहती हो फिर खाना ख़तम किया मैने पूछा सब लोग कहाँ है तो बोले दो तो ऑफीस गये है
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