Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-05-2019, 01:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
वो बोले आने से पहले बता देता तो मैं बस स्टॅंड आ जाता तो मैने कहा कोई बात नही पापा अब तो आदत हो गयी है और वैसे भी फोजी और कुली मे कोई ज़्यादा फरक नही होता है तो वो हँसने लगे तो मैने कहा पापा घर चले तो उहोने अपने असिस्टेंट को बुलाया और कुछ समझाया और फिर हम स्कूटर पर चल पड़े संदूक को जैसे तैसे अड्जस्ट कर ही लिया मैने जब हम घर पहुचे तो मैं हैरान रह गया

मेरे घर की जगह पर एक चमचमाती हुई कोठी खड़ी थी मैने कहा पापा ये क्या तो उन्होने कहा कि बेटा तू अब अफ़सर बन गया है तो तेरे स्टॅंडर्ड के हिसाब से ही घर भी होना चाहिए ना और फिर मकान पुराने भी हो गये थे तो उन सबको तुड़वा कर पिछले साल ये नयी कोठी बनवा ली तो मैने कहा पर पापा मुझे तो वो घर ही पसंद था मुझे अच्छा नही लगा अब ना घर के सामने नीम का पेड़ था जिस पर मैं बचपन मे झूले पर पींगे चढ़ाया करता था ना वो पुराना छप्पर था सब कुछ बदल दिया गया था पापा बोले क्या सोचने लगा चल अंदर चल जब उहोने घंटी बजाई तो मम्मी ने दरवाजा खोला जैसे ही उहोने मुझे गेट पर खड़े हुए देखा खींच कर दो-चार झापड़ मुझे लगा दिए और भावुक आवाज़ मे बोली मिल गयी तुझे फ़ुर्सत आ गयी माँ-बाप की याद तुझे क्या पड़ी है हम लोग जिए या मरे तुझे अब हमारी चिंता कहाँ तो मैने कहा मम्मी अंदर तो आने दो मम्मी की शिकायते चलती ही रही तो मैने उनको बताया कि अभी आप चुप हो जाओ मैं आ गया हू तो अब पूरे डेढ़ महीने यही पर रहूँगा तब जाकर उको थोड़ी से शान्ती हुई ना जाने क्यू मुझे ये नया घर अपना सा नही लगा मेरी सारी यादे तो उस पुराने वाले घर के साथ ही जैसे खो गयी थी

मेरा दम सा घुटने लगा तो मैने पूछा मेरा कमरा कौन सा है तो पता चला कि मम्मी पापा नीचे रहते है और उपर वाली मंज़िल पर चाचा और मेरा कमरा था मैने अपना संदूक उठाया और उपर चल पड़ा मैने कमरा खोला काफ़ी बड़ा कमरा था जिसके बीचो बीच एक बेड पड़ा था और साइड मे एक अलमारी थी मैने अलमारी खोली तो उसमे बस मेरे कुछ कपड़े ही रखे हुए थे बाकी कुछ नही था तो मैं नीचे आया और मम्मी से पूछा कि मेरा पुरानी अलमारी मे जो सामान रखा था वो कहाँ पर है तो मम्मी बोली कि वो सब कचरा तो उन्होने जला दिया मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया मुझे बहुत तेज गुस्सा आया पर किसी तरह खुद को कंट्रोल करते हुए मैने कहा मम्मी आप जानती थी ना कि वो मेरे जीवन मे बहुत इंपॉर्टेंट था फिर भी आपने उसको जला दिया तो वो बोली उनको अपने घर मे कचरा पसंद नही है तो मैने एक फीकी मुस्कान के साथ कहा हाँ मम्मी मैं तो भूल ही गया था कि ये आपका घर है और मैं उसी समय वहाँ से निकल गया मैं तो बड़ा ही खुश हो कर चला था कि इतने दिनो बाद गाँव जाउन्गा पर सारी खुशी पल भर मे ही काफूर हो गयी थी मैं पैदल ही गाँव के बाहर की ओर चल पड़ा एक बात मैने गौर की कि अब ये मेरा वो गाँव नही रह गया था

सब कुछ इन चार सालो मे बदल गया था रास्ते मे कुछ लोगो ने पहचाना और कुछ ने नही गाँव के बस अड्डे का तो नक्शा ही बदल गया था वो सादगी ना जाने कहा छुप गयी थी मुझे वो पानी की टंकी नही दिखी जहाँ पर अक्सर मैं अपने मूह को धोया करता था हम एक साइड मे वाटरकूलर ज़रूर लगा हुआ था तो मैं मंदिर की तरफ चला गया तालाब की सीढ़ियो पर जाके बैठा तो अनचाहे ही कुछ यादो ने घेर लिया मैने अपने जूते खोले और अपने पैरो को ठंडे पानी मे डाल दिया पता नही कब मेरी आँख भर आई बहुत देर तक मैं वही पर बैठा रहा जब कुछ होश आया तो घड़ी शाम के सात बजा रही थी कि मुझे निशा का ख़याल आया तो मैं उसके घर की तरफ मूड गया पर उसके घर पे ताला लगा था धूल जमी पड़ी थी जैसे कयि दिनो से वहाँ कोई आया नही हो तो मैं पड़ोस के घर मे गया और एक औरत से पूछा कि यहाँ पर निशा रहती थी तो वो मुझे अंदर ले गयी और बिठाया और बताया कि वो निशा की चाची है वो कहने लगी कि उसकी बॅंक मे नौकरी लग गयी तो वो बस एक दिन ही आई थी और अगले दिन ही अपनी माँ को लेकर चली गयी डेढ़ साल हो गया है पर उसने ना कोई फोन किया ना कोई संदेशा आया हम तो खुद ही बड़े परेशान है गाँव मे लोग कहते है कि वो भाग गयी मैने कहा ऐसा नही हो सकता

तो वो बोली बेटा उपर वाला ही जाने फिर मैं उके घर से वापिस हो लिया मेरा मूड और भी ऑफ हो गया था एक तो घर आते ही और उपर से निशा का भी पता नही मिला मैं जंगल की तरफ जाने वाली पुलिया पर बैठ गया और विचार करने लगा रात घिर चुकी थी अंधेरा फैल गया था टाइम 9 से उपर हो रहा था कि तभी चाचा मुझे ढूँढते हुए उसी तरफ आ गाए जब उहोने मुझे पुलिया पर बैठे तो उनकी सांस मे सांस आई वो बोले अरे मैं कब से तुझे ढूँढ रहा हू और तू यहाँ पर बैठा है घर नही आना क्या तो मैने कहा कि कौन सा घर चाचा वो मेरा घर नही है वो तो मम्मी का घर है तो चाचा बोले की और मम्मी किस की है तो मैं कुछ नही बोला वो बोले बेटा अगर घर वाले कुछ कह भी दे तो ऐसे नाराज़ नही होते है सब कुछ तेरा ही तो है
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