Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-05-2019, 01:37 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

आख़िर मैं क्यो उसको इतना याद किया करता था जिंदगी के सफ़र मे पता नही कितने लोग मिलते है कितने बिछड़ जाते है फिर मैं क्यो निशा को अपनी लाइफ से अलग नही कर पा रहा था आख़िर क्यो मुझे हर पल वो इतनी अज़ीज़ थी क्यो वो मेरे लिए मिता से भी ज़्यादा बढ़ कर होने लगी थी जब गर्मी को सहना मुश्किल हो गया तो मैं वापिस घर आ गया और थोड़ी देर सो गया दो दिन और ऐसे ही गुजर गये थे मैने सोच लिया था कि आज गीता से ज़रूर मिलने जाउन्गा मैं तैयारी कर ही रहा था कि पापा का फोन आ गया उन्होने बताया कि तेरे नाना जी एक्सपाइर हो गये है ये सुनते ही मुझे सॉक लगा वो बोले कि डेड बॉडी को गाँव लेकर आ रहे है अंतिम संस्कार मे आ जाना तो मैने तुरंत ही चाचा को फोन किया और बताया तो उन्होने कहा कि मैं अभी आता हू कोई आधे घंटे बाद वो घर आ गये तो मैं रवि और चाचा चल पड़े मामा के गाँव सूकर है चाचा ने कार बुक कर ली थी वरना कहाँ धक्के खाते जब हम वहाँ पर पहुचे तो माहौल काफ़ी गमगीन सा था चारो तरफ चीख पुकार मची थी मेरी भी रुलाई फुट पड़ी शाम तक अंतिम संस्कार भी हो गया था सभी घरवालो का हाल परेशान सा था चूँकि मैने पहले किसी की डेथ देखी नही थी तो मुझे थोड़ा सा अजीब अजीब लग रहा था खैर ये बारह दिन तो बड़े ही मुश्किल गुजरने थे रोज अलग अलग रिश्तेदारियो से लोग आते थे अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए तीन चार दिन ऐसे ही बीत गये अब ताइजी का ऑपरेशन भी करवाना था तो पापा मुझे बोले कि वैसे तो तेरे मामा है ही पर फिर भी तू भी थोड़ा संभाल लियो हमे जाना पड़ेगा भाभी का ऑपरेशन है तो पापा और चाचा निकल गये घर मैं शाम को होदि पे नहा रहा था तो मेरी मुलाकात सरोज से हो गयी वो मेरे पास आई और बोले अरे तुम तो हमारा रास्ता भूल ही गये तो मैने कहा हाँ वो थोड़ी छुट्टियो की प्राब्लम रहती है तो उसने कहा कि अभी तो यही हो फिर हमारी तरफ भी कुछ ध्यान देना तो मैने कहा कि इधर घर पे तो सारा दिन रोना- पीटना ही चलता रहता है मैं तो खुद ही परेशान हू तो उसने कहा कि कल मेरे कुँए पे आ जाना फिर मैं तुम्हारा मूड तोड़ा हल्का करती हू तो मैने कहा कि पर मुझे तो आपके कुँए का पता ही नही है तो उसने कहा तुम अपना नंबर मुझे दे दो मैं कल तुम्हे फोन करूगी तो मैने अपना नंबर उसके फोन मे सेव कर दिया


मैने सोचा चलो ये भी ठीक है कल इसको ही चोद लुगा और अगले दिन का इंतज़ार करने लगा रात को मैं सोया ही था कि मिता के फोन की वजह से मेरी नींद टूट गयी वो मुझसे मिलना चाहती थी तो मैने उसको अपनी मजबूरी बताई पर मैने कहा कि मैं जल्दी ही टाइम सेट कर लुगा अब मिता से बात हो रही थी तो नींद किसे आनी थी मैं नीम के पेड़ के नीचे अपनी खाट डाले अपनी प्रेयसी से बाते कर रहा था मिता की कशिश मुझे अपनी ओर खीचे जा रही थी मैं अपना दिल जो हार बैठा था उसपे जब तक हमारा बॅलेन्स नही ख़तम हो गया हम लगे रहे दिल मे एक तस्सल्ली थी कि चलो कोई तो है अपना भी इस दुनियाँ मे एक आस थी उसको अपना बना ने की जिस के सहारे मैं जी रहा था आँखो मे एक सपना संजोया था अपनी प्रेयसी के साथ घर बसाने का .

अगले दिन मैं थोड़ा सा खुश था कि आज तो सरोज की चूत मारने को मिलेगी कोई 11 बजे मुझे सरोज का फोन आया और उसने मुझे बताया कि कौशल्या के घर के पास जो आम का बाग है उस के थोड़ी आगे चलने पर ही उसका कुँआ है मैं उधर ही आ जाउ तो मैं पैदल ही उस तरफ सरक लिया और आधे घंटे बाद मैं सरोज की आँखो के सामने था मैं बोला मामी इधर कोई आ गया तो ?????????????????


सरोज बोली अरे मैं तुम्हारे साथ हू ना पहली बात तो ये है कि इतनी गर्मी मे कोई आएगा ही नही और फिर अगर कुछ बात हुई भी तो मैं हू ना संभालने के लिए तुम तो बस जो आग मेरे अंदर लगी पड़ी है उसको बुझा दो बस सरोज ने अपने घाघरे का नाडा खोला और उसको उतार कर साइड मे रख दिया अंदर कच्छि ना पहनी होने के कारण नीचे से वो नंगी ही थी कुछ ही देर मे उसने अपना ब्लाउज और ब्रा भी उतार कर जनमजात अवस्था मे आ गयी और खड़ी खड़ी ही अपनी चूचियो को दबाती हुई मेरी तरफ हवस से भरी हुई नज़रो से देखने लगी उनको नंगी देखते ही मेरा लड तो झट से अपनी औकात मे आ गया तो मैने भी अपने कपड़ो को उतार फेंका और उनको अपने से सटा ते हुए उनके होंठो को चबाने लगा उनके गुलाबी होंठ देखकर ऐसा लगा जैसे अभी उसमे से खून छलक उठेगा और दूसरी तरफ अपने हाथो से उसके मोटे मोटे कुल्हो को थाम लिया और उनको दबाने लगा मैं कई दिनो से गान्ड मे लड नही डाला था तो मैने कहा मामी पहले मैं तुम्हारी गान्ड मारूगा तो वो बोली पर मेरी तो इसमे आग लगी है और अपनी चूत मे उगली करने लगी तो मैने कहा मामी बहुत दिन हो गये गान्ड नही मारी है तो पहले मैं आपकी गान्ड ही मरूगा आप जल्दी से तैयार हो जाओ तो वो बोली अब तुम्हारी इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गयी हू चलो आओ और खोल डालो मेरी गान्ड का ढक्कन मैं खुश हो गया उसके कुल्हो का कटाव देखते ही बनता था बीते सालो मे उसकी जवानी और भी निखर आई थी अब उसको चुदाई के अलावा और काम भी क्या था मैं उसकी गान्ड पर थूका और अपनी एक उगली को अंदर सरका दिया उसने अपने कुल्हो को भींच लिया और इतराते हुए बोली कि आह तोड़ा सा आराम से इसको फाड़ोगे क्या मैं उगली अंदर बाहर करने लगा
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