Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 12:40 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मम्मी बोली एक बार तू घर आजा अबकी बार तेरे हाथो मे बेड़िया डाल कर ही रहूंगी एक बार पत्नी घर आ जाएगी तो फिर जल्दी जल्दी छुट्टी लेकर घर आया करेगा अब उसको क्या पता कि मैं तो अपनी होने वाली पत्नी के साथ ही था अब घर वालो की बात भी वैसे सही ही थी कि शादी की उमर भी हो रही थी पर यहाँ बात मेरी और मिथ्लेश की शादी की थी



मैं अपने ख़यालो मे खोने लगा तो मिता बोली क्या सोचने लगे मैने कहा यार कुछ नही बस अपनी शादी के बारे मे ही सोच रहा था तू कल ही कुछ दिनो की छुट्टी ले लेना हम गाँव जाएँगे कल तो वो बोली एक दो दिन तुम इधर ही रुक जाओ ना मुझे भी थोड़ा टाइम मिलेगा तुम्हारे साथ बिताने को वरना तुम तो बस पता नही किन चीज़ो मे ही बिज़ी रहते हो



मैने उसके चेहरे को अपने हाथो मे थाम लिया और उसके चश्मे को हटा कर साइड मे रख दिया एक भोली भाली मासूम सी सूरत जो मेरे बचपन का प्यार था मैने कहा तुम्हे याद है हम लोग पहली बार कहाँ मिले थे तो वो बोली हाँ याद है मेले मे मैने कहा तब कैसी लगती थी तुम, तो वो तुनकते हुवे बोली तो तुम कॉन सा सलमान ख़ान थे तुम भी तो ऐसे ही थे



मैने कहा यार देख ना टाइम कितना बदल गया वो सब दिन ना जाने कहाँ खो गये है अब पता नही कब जी सकेंगे उन लम्हो को हम मैने कहा यार अब गाँव मे मेला लगेगा तो तू भी आना पहले मेले मे तो तू अजनबी बन कर मिली थी अब साथ साथ ही झूला झूलेंगे तो मिता बस मुस्कुरा दी और मेरी आँखो मे देखने लगी…

उसकी झील सी गहरी आँखो मे मैं जैसे डूबने लगा था फिर दिल ने धड़कन से कुछ कहा मेरी सांसो की रफ़्तार अचानक से भी बढ़ गयी थी नसे भड़कने लगी थी मैने मिता को अपने आगोश मे भर लिया वो छूटने की कोशिश करने लगी पर फिर उसने भी खुद को मेरे हवाले कर दिया और मैने एक बार फिर से उसके शरबती लबों को अपने लबों मे थाम लिया



जैसे ही उसके होंठो को छुआ लगा किसी ने शहद की बूंदे मेरे मूह मे उडेल दी हो मिता ने अपनी आँखे बंद कर ली थी वो मुझसे किसी लता की तरह लिपट गयी थी आख़िर दो जवान जिस्म एक साथ थे तो केमिकल रियेक्शन तो होना ही था मैने अपनी जीभ उसके मूह मे डाल दी जिसे वो अपनी जीभ से रगड़ने लगी तो मैं और भी उन्माद मे आ गया था



दो जवान जिस्म एक बंद कमरे मे एक दूसरे की बाहों मे और फिर उपर से मोसम भी सर्दी का मैने उसी पल आगे बढ़ने का सोच लिया और अपनी उंगलिया मिता की जीन्स के बटन पर पहुचा दी पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कि बस यही पर रुक जाओ कही ऐसा ना हो कि हम कुछ ऐसा कर बैठे जिसकी अभी कोई ज़रूरत नही है तो मैने उसको अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया



वो बोली तुम्हारी आँखो मे नींद है थोड़ी देर सो लो तो ठीक रहेगा अब मेमसाहिब की बात तो मान नी ही थी मैं जब सोकर उठा तो शाम हो चुकी थी उसने मुझे चाइ बनाकर दी और कहा कि बाहर चलोगे क्या घूमने के लिए मैने कहा नही यार मैं तो बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहूँगा वैसे भी इतनी सर्दी है अब कहा चल्लेन्गे वो बोली जैसा तुम चाहो



मिता ने रेडियो ऑन कर दिया कुछ पुराने गाने चल रहे थे तो मामला थोड़ा सा रोमॅंटिक सा हो गया था पर बिना उसकी मर्ज़ी से किस से आगे बढ़ भी नही सकता था तो बस वो रात भी गुजर ही गयी पर इतना तो था कि कम से कम अपनी दिलरूबा के पास था अगली सुबह मैं ज़रा लेट उठा तो टेबल पर नोट था कि वो हॉस्पिटल जा रही है दोपहर तक छुट्टी लेकर आएगी



फिर गाँव चलेंगे खाना फ्रिड्ज मे रखा है गरम कर के खा लेना तो मुझे हँसी आ गयी , मैने फोन निकाला और अनिता भाभी का नंबर डाइयल किया और बताया कि मैं मिता के साथ अजमेर हूँ कल तक घर आउन्गा तो मेरे रूम की सफाई कर देना तो भाभी बोली वाह देवेर जी अब हमें पता चला कि आख़िर क्यो आप को छुट्टिया नही मिलती और आप घर क्यो नही आते हो



आपने तो अपनी गृहस्थी बाहर ही बसा ली है , कही ब्याह तो नही रचा लिया उधर ही मैने कहा क्या भाभी आप भी कुछ भी बोलती हो छुट्टी मिल गयी थी तोसोचा कि मिथ्लेश से भी मिलता चलूं तो अजमेर आ गया अभी आ तो रहा हूँ ना घर पर कल , भाभी चुटकी लेती हुई बोली हाँ जी अब भाभी को क्या पता कि दुनियादारी क्या होती है



मैने कहा भाभी अब आप शुरू ना हो जाओ बताओ आपके लिए कुछ लाना है क्या तो वो फिर से मज़े लेते हुए बोली कि देख लो कही हमारी देवरानी जी बुरा ना मान जाए मैने कहा भाभी अब रहने भी दो ना कितनी टाँग खीचोगी तो उन्होने कहा कि नही उन्हे कुछ नही चाहिए बस तुम जल्दी से घर आ जाओ और हाँ मिता को मेरी तरफ से एक साड़ी गिफ्ट कर देना मैने कहा ठीक है मेरी जान और फोन रख दिया



घर-परिवार भी एक अलग सा ही अहसास है ख़ासकर हम जैसे ख़ानाबदोश लोगो के लिए 6-6 महीने परिवार से दूर रहो कभी होली पे नही आ पाते कभी दीवाली सूनी रह जाती है कभी कभी लगता है कि बस सिविल जॉब ही करनी चाहिए रात को आकर अपने घर सो जाओ पर हम लोग जो करते है वो भी तो ज़रूरी है ना , दिल थोड़ा सा एमोशनल सा हो गया था घर की याद से



लंच ख़तम करके बर्तन सॉफ कर ही रहा था कि मिता वापिस आ गयी और बोली कि अरे ये क्या कर रहे हो तुम मैं कर लेती अच्छा लगता है क्या चलो इधर आओ मैने कहा कोई ना , वो बोली दो हफ्ते की छुट्टी ले आई हू बस अब पॅकिंग कर लेती हू फिर चलते है मैने कहा वो सब बाद मे भाभी का फोन आया था उन्होने कहा कि देवरानी को मस्त वाली साड़ियाँ दिलवा दूं उनकी तरफ से तो चलो बाजार चलते है



पर मिता बोली उसकी कोई ज़रूरत नही है पर मैं नही माना और उसको खीच कर बाजार ले गया कुछ कपड़े अपने लिए भी खरीद लिए कितने दिनो से मैने भी नयी जीन्स नही खरीदी थी तो फिर आते आते देर हो गयी थी जल्दी से मिता ने बॅग पॅक किया और हम चल पड़े बस स्टॅंड अपने सहर की बस डाइरेक्ट तो थी नही तो जयपुर से चेंज किया अब रात का सफ़र था



कभी मोबाइल पे गाने सुनते, कभी एक दूसरे से बाते करते तो फिर थोड़ी देर सोकर सफ़र काट लिया और सुबह 7 बजे के आस-पास हम लोग आख़िर पहुच ही गये बस स्टॅंड पर ही फ्रेश वग़ैरह हुए फिर बाहर एक रेस्टोरेंट मे नाश्ता-पानी करने के बाद हम चल पड़े चौक की ओर जहाँ पर हमारे रूट का टेंपो स्टॅंड था , वहाँ जाकर देखा कि अब टेंपो नही चलते थे


उनकी जगह ऑटो आ गयी थी , अब वो मज़ा कहाँ था जो हमारे स्कूल के दिनो मे था जब सुबह सुबह उदीतनारायण-कुमार शानू के रोमॅंटिक गाने बजा करते थे टेंपो मे तो दिल बस झूम ही जाया करता था हर सुबह बड़ी ताज़ा हो जाया करती थी मिता बोली क्या सोचने लगे चलना नही है क्या मैने कहा याद है तुम्हे जब हम स्कूल जाते थे तो कितना मज़ा आता था



वो बोली हम पर अब वो दिन कहाँ है अब मैने कहा तुम्हे याद है एक टेंपो वाला होता था जो हर सुबह तुम्हे देखे मेरी आँखे वाला गाना ही बजाता था मिता हँसते हुए बोली कि तुम्हे तो सबकुछ याद है मैने कहा मेरी जिंदगी मे तुम्हारे बाद बस ये छोटे छोटे लम्हो की यादे ही तो है वरना बाकी तो मैं फकीर ही हूँ ना तो मिता बोली चलो अब सीट भी पकड़ लो



मैं तो वैसे भी काफ़ी थक गयी हूँ जाते ही नींद लूँगी फिर हम ने अपनी अपनी सीट पकड़ ली मिता के साथ तो हर सफ़र खुशनुमा लगता था फिर करीब बीस मिनट बाद वो अपने स्टॅंड पर उतर गयी और इशारो मे बोली कि फोन करेगी मैने कहा ठीक है अब बस इंतज़ार था अपने गाँव के अड्डे का
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