Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
10-07-2019, 01:21 PM,
RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मैं जब घर आया तो रात बहुत बीत गयी थी पर निशा दरवाज़ पे ही बैठी थी मेरे इंतज़ार मे मुझे देख कर उसको थोड़ी तसल्ली हुई मेरे बॅग को साइड मे रखा मैं भी उसके पास ही बैठ गया


वो- आज देर हो गयी


मैं- हाँ


वो-खाना खाओगे


मैं- तुमने खाया


वो- तुम्हारे बिना कैसे खाती


मैं- हाँ फिर ले आओ यही खाते है

कुछ देर बाद वो दो थालिया ले आई उसको अपने पास देख के मैं बहुत अच्छा फील करता था वैसे मुझे भूख नही थी पर अगर मैं नही ख़ाता तो वो भी नही खाती तो फिर मैने भी कुछ नीवाले खा लिए , उसने बर्तन समेटे मैं भी अंदर आ गया कुछ देर बाद वो मेरे पास आ बैठी


मैं- जानती हो निशा, जब तुम दूर थी मैं बहुत याद करता था तुम कहाँ हो किस हाल मे हो, मैं तुम्हे याद हूँ भी या नही


वो- तुम्हे कैसे भूल सकती थी मैं आज जो हूँ तुम्हारे कारण हूँ मैं


मैं- नही रे पगली , तेरी अपनी मेहनत है मैं क्या था एक आवारा जिसकी ना कोई मंज़िल थी ना कोई ठिकाना पर फिर तुम वो दोस्त बनकर मेरी जिंदगी मे आई जिसका हमेशा से मुझे इंतज़ार था और फिर ज़िंदगी बदल गयी कितना कुछ सीखा है तुमसे वो दिन भी क्या दिन थे बस ज़ी तो तभी ही लिए थे अब तो बस सांसो का बोझ ढो रहे है , वो छोटी छोटी बाते कितनी खुशियाँ देती थी दो रोटी थोड़ी सी सिल्वट पर पिसी हुई लाल मिर्च और एक गिलास लस्सी मे ही अपना पेट भर जाता था


और वो जलेबिया जो तुम लाया करती थी क्या महक आती थी उनमे से अब वो कहाँ , निशा जब तुम पानी भरने मंदिर के नलके पे आती थी मैं तुम्हे देखता था कसम से जैसे ही तुम्हारी इन हिरनी जैसी आँखो से आँखे मिलते ही पता नही क्या हो जाता था बस वो दो पल की मुलाकात ही होंठो को मुस्कुराने की एक वजह दे जाती थी


वो- और तुम जो अपने दोस्तो के साथ उल्जुलुल हरकते करते थे जैसे ही मैं आती कितना इतराते थे तुम कितने गंदे लगते थे तुम जब तुम अपने बालो को जेल लगाते थे और उस दिन जब तुम कीचड़ मे फिसल कर गिरे थे कितना हँसी थी मैं


मैं-वो तो मैं तुम्हे इंप्रेस करने के चक्कर मे गिर गया था पर कुछ भी कहो वो भी क्या दिन थे


वो- हाँ ये तो है


मैं- और वो तो बेस्ट था जब जयपुर मे तुम टल्ली होकर सड़क पर घूम रही थी और फिर उल्टी कर दी थी तुमने


वो- तुम्हे याद है वो


मैं- वो कोई भूलने की बात थोड़ी ना है


वो- पता है उसके बाद मैने फिर कभी नही पी


मैं- क्या बात कर रही हो


वो- कसम से


मैं- चल आज फिर आजा एक बार फिर घूमते है रोड पर टल्ली होके


वो- ना बाबा ना अब बात अलग है


मैं- क्या अलग है वो ही तुम हो वो ही मैं हूँ


वो- कही फिर टल्ली ना हो जाउ


मैं- तब भी संभाला था आज भी संभाल लूँगा


वो – एक बात पुछु


मैं- दो पूछ ले यारा


वो- चल जाने दे फिर कभी पूछूंगी मैं बॉटल लाती हूँ
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - by sexstories - 10-07-2019, 01:21 PM

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