Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:46 PM,
#49
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—25

जैसे ही कमिशनर ने ब्लॅक स्टार का नाम सुना तो उसके हाथ पैर काँपने लगे और मोबाइल हाथ से फिसल कर नीचे गिर गया….उसकी ये
हालत जब सब ने देखी तो वो भी थोड़ा चौंक गये.

राहुल—क्या हुआ कमिशनर साहब किसका फोन था…?

शमशेर—तुम इतना घबराए हुए क्यो लग रहे जो…? किसका कॉल था….?

कमिशनर ने कोई जवाब देने की जगह पर फोन उठा कर ठाकुर शमशेर सिंग को पकड़ा दिया…..ठाकुर ने जब देखा तो कॉल कट हो चुका था.

ठकुराइन—क्या बात है कमिशनर..तू इतना घबरा क्यो रहा है…?

कमिशनर—नही ऐसी कोई बात नही है….लेकिन मैं ये सोच रहा था ठकुराइन कि इस मामले को यहीं ख़तम कर दें.

राहुल (ज़ोर से)—तू होश मे तो है ना कमिशनर…? तू क्या चाहता है कि हम चूड़िया पहन ले…?

कमिशनर—नही…मैने ऐसा कब कहा…?

शमशेर—सॉफ सॉफ कहो कमिशनर कहो आख़िर तुम कहना क्या चाहते हो……?

कमिशनर—ठाकुर साहब…अगर इस केस की एफआइआर होगी तो ये खबर हर तरफ आग की तरह फैल जाएगी और इसमे बदनामी तो ठाकुर परिवार की ही होगी ना….ज़रा सोचिए लोगो के दिलो मे जो ख़ौफ़ अभी आपका है, ये जानने के बाद की कोई नीलेश ठाकुर की ऐसी हालत कर गया, क्या वो ख़ौफ़ फिर वैसा ही बना रहेगा….?

ठकुराइन—कमिशनर तू अपना दिमाग़ मत लगा….तू हमारा कुत्ता है और कुत्ते की तरह वफ़ादारी करता रह, इसी मे तेरी भलाई है.

शमशेर—शांत बहना..शांत……कमिशनर की बात सही है……नीलेश के साथ क्या हुआ है इसकी जानकारी पब्लिक तक नही पहुचनी चाहिए.

विक्रांत—तो क्या मेरे बेटे के साथ ऐसा घटिया सलूक करने वाले को यो ही आज़ाद घूमने दिया जाए….?

शमशेर—नही….ये काम अब हमारे आदमी करेंगे..और इसमे तुम्हारी मदद करेगा इनस्पेक्टर देशराज, वो बेहद दिलेर और हमारे भरोसे का आदमी है. लेकिन एफआइआर नही होगी.. उसके मिलते ही किसी भी जुर्म मे फँसा कर अंदर करवा देंगे, पर उसके खानदान को मिटाने और बर्बाद के बाद.

राहुल—ये काम मैं खुद ही देखूँगा अब.

शमशेर—ठीक है….

दूसरी तरफ सिटी मे एक आदमी पोलीस थाने मे कंप्लेन लिखने गया हुआ था…उसे रात मे डरावने सपने आते थे..उसे लगता था कि कोई
उसको जान से मारना चाहता है...उसके सामने उस थाने का इंचार्ज इनस्पेक्टर देश राज बैठा हुआ उसको घूर रहा था.

देशराज—क्या नाम है तेरा... ?

आदमी—जी दयाचंद.

देशराज—मेरे सवालो का सीधा जवाब दे...तूने असलम की हत्या क्यो की..... ?

दयाचंद—जी उसकी पत्नी से मेरे नाजायज़ संबंध थे.

"ओह्ह्ह्ह..." देशराज के चेहरे पर मौजूद ख़तरनाक भाव चमत्कारिक ढंग से व्यंग्यात्मक भाव मे तब्दील हो गये..." और यह भेद असलम पर खुल गया होगा".

दयाचंद—अगर मैं उसको नही मारता तो वो मुझे मार डालता.

देशराज—ऐसा क्यो….?

दयाचंद—उस रात असलम ज़बरदस्ती मुझे अपने घर ले गया था...वहाँ जाकर पता लगा कि उसने ना केवल बंग्लॉ के सभी नौकरो को छुट्टी
पर भेजा हुआ है बल्कि सलमा को भी उसके मायके भेज रखा है.

देशराज—सलमा….यानी कि उसकी बीवी…तेरी माशूका…?

दयाचंद—हमम्म

देशराज—इन्वेस्टिगेशन के वक़्त मैने उसे देखा था..इतनी खूबसूरत तो नही है वह, तू मरा भी तो किस पर….उससे लाख गुना लाजवाब चीज़
तो उसकी नौकरानी है…क्या नाम है उसका….? हां, शायद छमियां.

दयाचंद—(चुप)

देशराज—खैर एक कहावत है…..दिल आया गधी पर तो परी क्या चीज़ है…अब आगे बक

दयाचंद—उसने अपनी बीवी के नाम लिखे मेरे सभी लेटर सामने रख दिए…कहने लगा कि, मैने दोस्ती की पीठ मे छुरा भोंका है और अब
वह मेरे सीने मे छुरा भोंकेगा..इसके बाद उसने अपनी जेब से चाकू निकाल कर मुझ पर हमला कर दिया.

देशराज (व्यंग्य पूर्वक)—इस हाथा पाई मे चाकू तेरे हाथ लग गया और तूने उसका काम तमाम कर दिया.

दयाचंद—हमम्म

देशराज—और अब तुझे एक वीक से अजीब अजीब सपने दिखाई दे रहे हैं…कभी मैं तुझे हथकड़ी पहनाते नज़र आता हूँ, तो कभी तू खुद
को फाँसी के फंदे पर झूलते पाता है…और तो और असलम भी तुझे सपने मे आकर मारने लगा है.

दयाचंद—हां, इनस्पेक्टर साहब,,मैं तब से एक क्षण के लिए भी शांति से साँस नही ले पाया हूँ.

देशराज—जब इतने ही मरियल दिल का मालिक था तो हत्या ही क्यो की….?

दयाचंद—अगर मालूम होता कि खुद मर जाने से हज़ार गुना ज़्यादा दुखदायी है तो ये सच है इनस्पेक्टर साहब कि मैं खुद मर जाता किंतु
असलम की हत्या नही करता…मैं तो ख्वाब मे भी नही सोच सकता था कि ऐसे ऐसे भयानक ख्वाब दिखेंगे.

देशराज—तुझे थाने मे आ कर मुझे ये सब बताने मे डर नही लगा…?

दयाचंद—लगा तो था…मगर…..

देशराज—मगर…..?

दयाचंद—आपने असलम की फॅक्टरी के एक ऐसे यूनियन लीडर को डकैती के इल्ज़ाम मे फँसा कर जैल भिजवा दिया था जिसके कारण फॅक्टरी मे आए दिन हड़ताल हो जाती थी.

देशराज—फिर….?

दयाचंद—उन्ही दिनो मेरी असलम से बात हुई थी…उसका कहना था कि आपने उसे आश्वस्त कर दिया था कि कोई भी, कैसा भी काम हो,…आप अपनी फीस लेकर कर सकते हैं.

देशराज—फीस बताई थी उसने….?

दयाचंद—हाआँ

देशराज—क्या…?

दयाचंद—कह रहा था कि आपने पच्चीस हज़ार लिए.

देशराज—और तू यह सोच कर यहाँ अपनी करतूत बताने चला आया कि मैं फीस लेकर तेरी मदद कर दूँगा…?

दयाचंद—सोचा तो यही था इनस्पेक्टर साहब…अब आप मालिक हैं..चाहे असलम की हत्या के जुर्म मे पकड़ कर जैल भेज दे, या……

देशराज (घूरते हुए)—याअ…?

दयाचंद—या फिर मेरी मदद करे.

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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़ - by desiaks - 03-20-2021, 08:46 PM
Next update please - by Kprkpr - 11-10-2021, 02:42 PM

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