Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
08-05-2018, 12:21 PM,
#30
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
पोलीस और घर वालों के नाम से अंकित का दिमाग़ कुछ शांत हुआ...लेकिन सिर्फ़ कुछ...अभी अभी गुस्सा

तो पूरा भरा था उसमे..दो थप्पड़ खाने के बाद वो पागल सा हो गया था..


अंकित :- ठीक है में तो चला जाता हूँ...लेकिन एक बात याद रखना...तू कभी शांति से सो नही

पाएगी..तुझे ये बात हमेशा ख़टकती रहेगी..कि तेरे बच्चे की ज़िंदगी की कीमत तू नही चुका पाई

तू अपने उस वादे को पूरा नही कर पाई जो तूने किया था...तेरे बच्चा जो तुझे इस दुनिया में

सबसे प्यारा है उसकी ज़िंदगी बचाने का एहसान पूरा नही कर पाई..हमेशा तुझे खटकती रहेगी...

याद रखना मेरी बात...


रितिका मूड जाती है..और अंकित की तरफ अपनी पीठ कर लेती है..उसकी आँखों से आँसू निकल के चेहरे पे

आ जाते हैं..

उधर अंकित गुस्से में खड़ा होके कुछ सेकेंड तक देखता है...और पीछे मुड़ता है...तभी..


भैया...चलो ना थोड़ी देर खेलने चलते हैं....पता है मेने मामा से कह के एक नया गेम

मँगवाया है...आप और में मिल के खेलेंगे..(आर्नव घर में आके भोले चेहरे से बोलता है)


अंकित जब आर्नव को देखता है....तो एक पल के लिए उस बच्चे के चेहरे को देखता है जो बहुत मासूम

सा था....और उस मासूम से चेहरे को देखने के बाद...उसका सारा गुस्सा जो उसके चेहरे पे था

सब ख़तम हो गया....


अंकित आर्नव के पास जाते हुए..


अंकित :- अच्छा..आप कमरे में जाके गेम निकालो...में अभी आता हूँ..


आर्नव चला जाता है...और अंकित वापिस मूड के किचन में काहदी रितिका सी...


अंकित ने अपनी नज़रे नीचे झुका रखी थी...और बड़ी मुश्किलों से उसने अपने मूह से बोला


अंकित :- ई ..ई..आ.म वर..य..सॉरी.....मफ्फी के काबिल तो नही हूँ...लेकिन फिर भी हो सक्के तो मुझे माफ़ कर

देना....रितिका जी..मेने आपके बारे में कभी ऐसा कुछ नही सोचा था.....

लेकिन कहते हैं ना..वासना के आगे आदमी की अकल काम कर देना बंद कर देती है...वही हुआ

मेरे साथ भी....आज के टाइम में आप 20 साल के हो जाओ और कोई गर्लफ्रेंड ना हो..बिना सेक्स के तो उस लड़के

की हालत ऐसी ही होती है कि बस वो यही चाहता है कि कोई लड़की मिल जाए और उसे वो सुख दे दे...

मेने आपको कभी उस नज़र से देखा ही नही....लेकिन उस दिन जब आप टेबल क्लीन कर रही थी..तब..

उस दिन से मेरे अंदर अजीब सा कुछ होने लगा..हर समय आँखों के आगे वही दिखने लगा..

वासना ने अपना पूरा क़ब्ज़ा कर लिया था मेरे दिमाग़ के अंदर...इसलिए सही और ग़लत का फ़ैसला नही

कर पाया और आपके साथ वो किया...छी..मुझे अपने उपर घिन आ रही है...

बॅस अब कभी में अपनी शक्ल नही दिखाउन्गा आपको....हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा...

मुझसे ज़्यादा घटिया लड़का सही कहा था आपने कभी नही देखा होगा..


रितिका बस उसकी बाते सुनती रही...उसने कुछ भी नही बोला....


अंकित :- आइ आम सॉरी...प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिएगा.....(बोलते हुए अंकित सीधा घर से बाहर ही निकल

जाता है)


रितिका के कानो में गेट बंद करने की आवाज़ पड़ी.....तब उसने आँखे बंद की और वो वहीं

फ्लोर बे बैठ गयी....और रोने लगी....रोती रही.....


उधर अंकित घर जाते हुए...उसे अपने उपर बहुत गुस्सा आ रहा था वो शायद अपनी ही नज़रों

में गिर गया था....


आर्नव जब कमरे से बाहर आया और जब उसने अपनी मम्मी को रोते देखा तो वो भागता हुआ..उसके पास

पहुचा..


आर्नव :- मामा आप रो क्यूँ रहे हो?


रितिका ने उसकी तरफ देखा और उसे गले लगा लिया.....


उधर अंकित ने ना तो ढंग से खाना खाया ना किसी से बात की...रात में पलंग पे लेट के अपनी

हरकतों के बारे में सोचने लगा..




उस दिन के बाद अंकित बिल्कुल बदल गया.....एक अच्छा ख़ासा खिलखिलाता हस्ता हुआ बंदा अब बिल्कुल

बदल गया था...


कॉलेज जाता लेकिन एक बुझा हुआ चेहरा लेकर.. अब उसे किसी को देखने की इच्छा नही थी ... बस में

सफ़र करता या फिर मेट्रो में बस मूह लटकाए लटकाए कॉलेज पहुच जाता...


कॉलेज में उपर से दिखाने की कॉसिश करता कि सब कुछ ठीक है...फेक स्माइल के साथ दोस्तों

से बातें करता....

अंकिता को कभी ये लगने नही दिया कि अब वो पहले वाला अंकित नही रहा......


लेकिन वो जानता था कि अब वो बदल गया है....पढ़ाई में उसका बिल्कुल मन ख़तम हो चुका था

क्लास में बस दिखाने के लिए लेक्चर अटेंड करता..लेकिन ध्यान बिल्कुल भी उसका पढ़ाई में था

ही नही.....


धीरे धीरे करते करते टाइम गुजरने लगा...35 दिन निकल गये...

लेकिन हालत नही बदली अंकित वैसा का वैसा ही अपने में ही और ज़्यादा गुम रहने लगा..

उसे अपनी की गयी हरकत पर बहुत बुरा लग रहा था....


केयी बार कुछ ऐसी बाते होती है जो इंसान किसी से नही कह पाता...और किसी को ना पता चले इसलिए अपना

वो दुख और अपनी तकलीफ़ चेहरे पे भी नही आने देता...


एग्ज़ॅम का दिन नज़दीक आ रहे थे.......कॉलेज बंद हो चुके थे...

घर पे पढ़ते वक़्त जब भी अंकित बुक खोल के बैठता उसके सामने वो दिन आ जाता ....

. फिर वो बुक को बंद कर के फैंक देता ......


2 महीने गुज़रे और साथ साथ एग्ज़ॅम भी निकल गये...अंकित ही जानता था कि उसने वो पेपर्स

कैसे दिए .....


टाइम का कुछ पता नही चलता कब कैसे फटाफट निकल जाता है .....

क्रमशः...........................
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RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की - by sexstories - 08-05-2018, 12:21 PM

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