Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 04:06 PM,
#89
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
आशा करती हूं कि आप लोगों ने “कामिनी की कामुक गाथा के पिछले भाग जरूर पढ़ें होंगे जिसमे मेरे पापा के बारे में बताया था पर मेरे पापा के साथ और भी काफी कुछ हुआ था उसी होटल में, जिसके बारे में मैं बताना भूल गयी थी। उस कड़ी में आप ने पढ़ा कि मेरे पापा अपने स्कूली जीवन में ही किस तरह समलैंगिक संबंध से परिचित हुए। दादाजी के डर से घर से भाग कर किस तरह हावड़ा के एक होटल के मालिक के चंगुल में जा फंसे जिसने मेरे पापा की सुंदरता पर मोहित हो कर उन्हें अपने होटल में पनाह दी और उनका कौमार्य भंग किया या यों कहें कि उनकी कुंवारी गुदा का उद्घाटन कर दिया। यह मेरे पापा के जीवन में समलैंगिकता का प्रथम अनुभव था और आश्चर्यजनक रूप से उन्हें इसमें अद्भुत आनंद भी प्राप्त हुआ। प्रथम रात्रि में ही संभोग सुख से परिचित हो कर वे होटल मालिक के दीवाने हो गए। इसके आगे की कहानी उन्हीं की जुबानी सुनिए: –

“सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा कि मैं अभी भी नंगे, पूरी बेहयाई के साथ उस मोटे भैंसे के शरीर से चिपका और उनके मजबूत बांहों में सिमटा हुआ था। अब मैं ध्यान से उनके पूरे शरीर का मुआयना करने लगा। पूरा शरीर काले भैंस की तरह था और उसके सारे शरीर पर बाल ही बाल भरा हुआ था। बड़ा सा तोंद उनके सांसों के साथ फूल पिचक रहा था। बांहें मेरी जांघों की तरह मोटे मोटे थे। उनकी जांघें मेरी कमर की मोटाई के बराबर थे। उनका कद करीब करीब छः फुट के करीब रहा होगा। उनका लंड इस वक्त सोई हुई अवस्था में भी पांच इंच के करीब लंबा रहा होगा। मैं कल्पना करने लगा कि तनाव की स्थिति में यही लंड कम से कम छः से साढ़े छः इंच तो अवश्य रहा होगा या फिर सात इंच रहा होगा। लंबाई के हिसाब से भी उसकी मोटाई भी रही होगी जिसके प्रहार को मैं ने अपनी संकीर्ण गुदा मार्ग में झेला और उस प्रथम गुदा मैथुन के द्वारा मेरी गांड़ का कुंवारापन छिन गया था। मैं इस बात पर भी चकित था कि इस भैंसे सरीखे मर्द की काम पिपासा को किस तरह शांत कर सका। मेरे साथ जो भी हुआ वह आकस्मिक था, दर्दनाक था, किंतु अंततः इस घटना ने मुझे अत्यंत सुखद अनुभव भी प्रदान किया। मेरी गांड़ में अभी भी मीठा मीठा दर्द हो रहा था और मुझे ऐसा अनुभव हो रहा था कि मेरी गुदा का द्वार फूल गया है। मेरा हाथ अनायास ही मेरी गांड़ पर चला गया और मैं यह महसूस कर चौंक पड़ा, हाय राम, सचमुच में मेरी गुदा का द्वार काफी फूल गया था। खैर जो भी हो, मैं गुदा मैथुन के अनिर्वचनीय आनंद से परिचित हो गया था और इसके लिए मैं इस जंगली भैंसे का अहसानमंद था। मेरे लिए इस सुबह का सूरज एक नया दिन और नये सुखद अध्याय को लेकर उदय हुआ था। मैं कृतज्ञ था इस भैंसे का और अपनी कृतज्ञता जताने के लिए उस होटल के मालिक के नग्न देह से चिपक कर उनके बदशक्ल चेहरे पर बेसाख्ता चुंबनों की बौछार कर बैठा।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 04:06 PM

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