Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:44 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“यह प्यार नहीं है, प्यार जबर्दस्ती नहीं होता है।” कांपते हुए बोली मैं लेकिन मेरे होशोहवास अब मेरा साथ छोड़ रहे थे। मेरी अनिच्छा के बावजूद मेरा शरीर अवश होता जा रहा था। छि:, यह मुझे क्या हो रहा था। मन ग्लानि से भरा था किंतु तन? इस पापी तन का क्या करूं मैं? तन में तो मादकता भरी तरंगें हिलोरें ले रही थीं।

“अगर कोई माने नहीं तो?” बेहयाई से बोला वह।

“यह बलात्कार है, वासना में अंधे हर्र्र्र्र्रा्आ्आ्आम्म्म्मीई्ई्ई्ई, यह तेरी कामक्षुधा है, कामपिपाशा है।” मैं रोकने के क्रम में समझाने का व्यर्थ प्रयास कर रही थी।

“जो भी है, मैं तो करूंगा।” ढिठाई से बोला। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने अब मेरी पैंटी को पीछे से पकड़कर नीचे खींच दिया एक ही झटके में घुटनों तक। खुल गयी पैंटी, उतर गया आखिरी अंत:वस्त्र। अब मैं सर्वथा नंगी थी। मारे शर्म और अपनी विवशता की खीझ के मैं हलकान हो उठी।

“ओह जंगली जानवर, छोड़ मुझे, उफ्फ भगवान इस जलील कमीने से बचा मुझे ओह।” मैं तो बोल ही सकती थी। चीखना चिल्लाना खुद की बदनामी को आमंत्रण देना था। जो मैं कर सकती थी, विरोध, क्रोध, शारीरिक संघर्ष (हालांकि उसकी शारीरिक शक्ति के आगे नगण्य था), सब कुछ कर चुकी थी, कर रही थी, मगर नतीजा वही, ढाक के तीन पात। वह तो पूरी तरह मुझ पर हावी हो चुका था। तभी मैं चौंक उठी। मेरे बड़े बड़े नग्न नितंबों के मध्य दरार पर किसी मूसलाकार सख्त, गर्म सलाख के दबाव को साफ साफ महसूस कर रही थी। हिलने डुलने से लाचार थी, किंतु हाथ मेरा तो आजाद था, मैं बांये हाथ को अपने नितंबों की तरफ ले गयी और ज्योंहि उस सलाख से मेरे हाथ का संपर्क हुआ, ओह मेरे भगवान, मानो मुझे 440 वॉल्ट का करंट लगा। यह तो कठोर, गरमागरम गधे सरीखा विशालकाय लिंग था। हे भगवान, न जाने कब उसने अपने पैजामे को नीचे खिसका कर लिंग को मुक्त हवा में आजाद कर चुका था। उफ्फ, अब मैं क्या करूं? जल्लाद मुझे हलाल करने की पूरी तैयारी में था। पहले ही नैतिकता अनैतिकता के झंझावत से हलकान थी, अब यह दूसरी मुसीबत। देख तो नहीं सकी किंतु मेरे हाथ नें उसके अमानवीय लिंग के आकार का बखूबी आंकलन कर लिया था। असामान्य रूप से विशाल था उसका लिंग। पूरी उत्तेजना की अवस्था में दस इंच लंबाई से कत्तई कम न था। या फिर उससे भी ज्यादा। मोटाई का तो कहना ही क्या, पूरा मूसल था मूसल। उस लिंग से संभोग की कल्पना मात्र से मेरे शरीर में भय के मारे झुरझुरी दौड़ गयी।

“देख मॉम, अब मान भी जा।” प्रणय निवेदन था।

“नहीं।”

“प्यार ही तो करूंगा।”

“छि: जंगली, यह प्यार है?”

“खुशी से दो तो प्यार से करूंगा।”

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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:44 PM

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