Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 11:20 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“अरे बलराम भाई, जरा चोद के तो देखो, ऐसा चूत पहले कभी नहीं चोदा होगा, कसम से, मजा नहीं आया तो मेरा नाम श्यामलाल से चूतलाल रख देना।” ड्राईव करते करते श्यामलाल बोला। उसकी बात सुनकर कोई भूमिका बांधे बिना सीधा मुद्दे पर आ गया। मेरे पैरों को फैलाया और अपनी एक उंगली मेरी योनी में घुसा दिया और उंगली निकाल कर चाट लिया।

“वाह, टेस्टी है” वह चटखारे ले कर बोला।

“छि: छि:” मेरे मुंंह से निकला। उसने फिर वही क्रम दुहराया, लेकिन इस बार उसने दो उंगलियां घुसा दीं। “आह्ह्ह्ह्ह, क्या करते हो” मेरे मुह से निकला। लेकिन अब वह दनादन दो उंगलियां अंदर बाहर करने लगा और करीब दो मिनट तक वह तूफानी रफ्तार से ऐसा ही करता रहा जिसके कारण मैं अपने को रोक नहीं पाई और “ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्” करती हुई मैं उसी वक्त झड़ गई। मेरी थरथराहट और मेरे मुख से निकले निश्वास से उसे पता चल गया कि मैं झड़ रही हूँ।

“इतनी जल्दी ढीली मत पड़ो मैडम, अभी तो जी भर के चोदुंगा तुम्हें। रोज कोई न कोई मिल जाती थी चोदने के लिए, लेकिन आज कोई औरत मिली नहीं और किस्मत से मिली भी तो इतनी मस्त चुदक्कड़ औरत। सच में मजा आ गया” कहते हुए उसने मेरी चूचियों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया। उंगलियां निकाल कर मेरी चूचियों पर मेरे चूत रस को मल दिया और बदस्तूर चाटता रहा चूसता रहा। फिर उसने अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उंगलियों से चोदना जारी रखा, उसकी इन हरकतों ने मुझे दुबारा जागृत कर दिया। मेरे बदन को ऐंठते देख कर वह समझ गया कि तवा गरम है, बिना एक पल गंवाए अपने विशालकाय लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख कर, मेरी कमर को कस के पकड़ा और एक करारा ठाप लगा दिया।

“ले साली कुतिया मैडम मेरा लौड़ा, ओह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म, ओह, साली इतना बड़ा भोंसड़ा मगर इतना टाईट? ओह्ह्ह्ह मजा आएगा अब सचमुच में चोदने में। सच बोला श्याम, साले मादरचोद, ऐसी माल को अकेले अकेले इतने दिन से चोदता रहा। हमें भूल गया था गांडू।” बलराम आनंदित होता हुआ बोला।

“हा्आ्आ्आ्आय्य्य्य्य्य्य रा्आ्आ्आ्आ्आम, फट्ट्ट्ट्ट गई््ईई््ईई््ईई््ईई,” सचमुच में इस प्रहार से दर्द के मारे बेहाल हो गई। मेरे अंदाज से कुछ ज्यादा ही मोटा था उसका लंड। ऐसा लग रहा था फट गई मेरी चूत। अपनी सीमा से बाहर फैल गई थी और मेरी चूत ने उसके लिंग को कस कर जकड़ लिया था।

“चिल्लाओगी हरामजादी, चिल्ला, जी भर के चिल्ला। पता नहीं कितने लोगों का लंड अपनी चूत में डलवाई है, अब मेरा लौड़ा गया तो गांड़ फट रही है, साली रंडी।” खूंखार हो गया था वह, मानो शेर को खून का स्वाद मिल गया हो। अब वह मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर मेरी कमर को सख्ती से अपनी दानवी गिरफ्त में ले कर गचागच चोदने में मशगूल हो गया। उफ्फ्फ, उसके चोदने का वह वहशियाना अंदाज, मेरी चूचियों पर अपने दांत गड़ा दिया, मेरे गालों को दांतों से काटने लगा था, मेरी गर्दन पर अपने दांतों का निशान लगाता जा रहा था। मेरे शरीर को किसी वहशी जानवर की तरह भंभोड़ता रहा करीब चालीस मिनट तक। शुरू में मैं उसकी पाशविक प्रवृत्ति से घबरा गई थी, किंतु कुछ मिनट पश्चात वही पीड़ा दायक पाशविक संभोग मुझे बेहद आनंदित करने लगा, “ओह्ह्ह्ह राजा, आह्ह्ह्ह्ह मेरे बल्लू (बलराम), ओह्ह्ह्ह चोदू, उफ्फ्फ मेरी मां, ओह मेरे कामदेव, ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला
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11-27-2020, 11:20 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
रज्ज्ज्ज्ज्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह, मार डालो मुझे ओह्ह्ह्ह भगवान, मां के लौड़े, ओह्ह्ह्ह मादरचोद, आह्ह्ह्ह्ह बहनचोद, रंडी बन गई रे तेरी ओह मैं कुतिया बन गई रे साले चूत के लौड़े,” आनंद के अतिरेक से बेहद गंदे अल्फाज निकल रहे थे मेरे मुह से। दूसरी ही दुनिया में पहुंच गई थी।

“हां मेरी रानी, मुझे भी ऐसी खूबसूरत चुदक्कड़ औरत से पहली बार पाला पड़ा है, ओह साली बुरचोदी रानी, आह रंडी, साले मादरचोद श्याम, ऐसी खूबसूरत छिना्आ्आ्आ्आल को कहां से पाया रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए ओह्ह्ह्स्स्स्साली्ई्ई्ई् की मस्त टाईट चूत, ओह्ह्ह्ह बुरचोदी की मस्त चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊचियां्आं्आं्आं” वह भी अनाप शनाप कुछ भी बोले जा रहा था और मैं भी तो ऐसी अवस्था में बिल्कुल जंगली बन जाती हूँ, बेहद गंदे अल्फाज मेरे मुह से भी निकल रहे थे। करीब चालीस मिनट की अंतहीन पाशविक चुदाई के बाद जब वह खलास हुआ, तबतक मैं दो बार झड़ चुकी थी, तीसरी बार अभी झड़ने ही वाली थी कि वह खलास होकर लुढ़क गया।

“उफ्फ्फ, चोदते रहो प्लीज मैं भी झड़ने वाली हूं” मेरी आवाज पता नहीं वह सुन पा रहा था कि नहीं, अचानक गाड़ी रुकी और श्यामलाल ने मानो मेरा उद्धार कर दिया।

कूद कर मेरे ऊपर आया और बदहवास, बेसब्री से चोदने का अधूरा काम पूरा करने में जुट गया, “साली कुतिया मैडम जी, बहुत देर बर्दाश्त किया साली बुरचोदी मैडम, ले अब मेरा लौड़ा खा मां की लौड़ी मैडम,” लगा धकाधक चोदने।

“आजा साले बहनचोद, तू भी आ जा,” मैं नीचे से उछल उछल कर चुदवाने लगी। पल भर में ही मैं झड़ गई। मगर श्यामलाल तो अभी शुरू ही हुआ था। वह भी करीब आधे घंटे तक मुझे झिंझोड़ता रहा। पूरा निचोड़कर रख दिया उन दोनों ने मुझे। ओह्ह्ह्ह ऐसा मजा जो उस दिन मुझे मिला वह अकथनीय था। जहां गाड़ी खड़ी थी वह रामपुर पार करके करीब अस्सी किलोमीटर की दूरी पर थी। मैं उन दोनों की दीवानी हो गयी थी और उनके साथ मस्ती का जो सिलसिला आज से दस साल पहले जो शुरू हुआ, वह आज तक जारी है। बलराम ने अपनी चुदाई कला और क्षमता से काफी प्रभावित किया था जिस कारण मैं सदैव उसके लिए उपलब्ध रहने की पूरी कोशिश करती थी। वह भी मुझसे काफी प्रभावित था जिस कारण मुझे चोदने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता था। बलराम के पास चार और गाड़ियां थीं जिन्हें वह भाड़े पर चलाता था। उसके पास चार ड्राईवर थे जो उसकी गाड़ियों को ऑर्डर पर ले कर जाते थे। यह तो संयोग था कि उस दिन उसका एक ड्राइवर नहीं आया था जिसके कारण श्यामलाल उसके स्कॉर्पियो को सर्विसिंग के लिए ले कर गया था और आगे जो कुछ हुआ मैं बता चुकी हूं। बलराम के संपर्क में आने के साथ ही साथ उसके ड्राईवरों के संपर्क में भी आई और एक बूढ़े शरीफ ड्राईवर को छोड़ कर बाकी तीन ड्राइवरों के साथ मेरा शारीरिक संबंध स्थापित हो चुका था जिससे बलराम अनभिज्ञ नहीं था। कुछ अवसरों में उन्होंने सामूहिक संभोग के लिए भी बाध्य किया, बाध्य क्या, यह समझ लीजिए कि मुझे राजी किया और मैं अपनी अदम्य कामुकता के वशीभूत उनके सम्मिलित संभोग का रसास्वादन करने को मजबूर हुई। फिलहाल अब वैसा रोजाना नहीं होता है, कभी दो हफ्ते में एक बार या कभी महीने में एक बार। अब तो वैसे भी मैं काफी व्यस्त हो गई हूं। ऑफिस का काम काफी बढ़ गया है और साथ ही साथ वृद्धाश्रम का काम भी देखना पड़ता है।
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11-27-2020, 11:20 PM,
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पिछली कड़ी में आप लोगों ने पढ़ा कि किस तरह मैं एक ऑटो ड्राइवर श्यामलाल और उसके साथी बलराम के संपर्क मे आई और उनके साथ रंगरेलियां मनायी। यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो आज तक बदस्तूर, निर्बाध जारी है। मेरी इस उम्र में भी (मैं अब 51 साल की हूँ) वे अपनी वासना की भूख मिटाने के लिए मेरे आकर्षण में खिंचे चले आते थे। हालांकि उनका संबंध कई स्त्रियों के साथ रह चुका था और आज भी अपनी हवस बुझाने के लिए किसी भी उम्र की, किसी भी स्तर की, किसी भी रूप रंग, आकर प्रकार की स्त्रियों के पीछे कुत्तों की तरह पड़े रहते थे लेकिन उनकी स्वीकारोक्ति के अनुसार आजतक जितनी औरतों के साथ संभोग किया, मुझसे बेहतर संभोग की संतुष्टि और आनंद कहीं प्राप्त नहीं हुआ, शायद मेरे शारीरिक गठन के बावजूद लचीलेपन के कारण विभिन्न मुद्राओं में कामक्रीड़ा हेतु सक्षम होने की वजह से। यह स्वीकारोक्ति मेरी झूठी प्रशंसा भी हो सकती है, जिससे मैं इनकार नहीं कर सकती हूं, लेकिन मैं तो खूब आनंद उठा रही थी और अब भी उठा रही हूं।

पिछली कड़ी में मैंने जिक्र किया था कि बलराम के ड्राइवरों के साथ भी मेरा शारीरक संबंध स्थापित हो चुका था। यह किस तरह हुआ वही मैं बताने जा रही हूं।

बलराम के चार ड्राइवरों में एक पचपन साल का आदमी धर्मेश यादव जी को पारिवारिक संबंध से इतर सेक्स में कोई रुचि नहीं थी लेकिन बाकी तीन लोग अपने मालिक बलराम की जूठन चाटने में पीछे नहीं थे। अपने मालिक की मेहरबानी से ऐसी कई स्त्रियों से उन्होंने परिचय बढ़ा कर उनपर हाथ साफ किया और करते आ रहे हैं। उन्हीं स्त्रियों की श्रेणी में मैं भी आती हूँ। यह बात अलग है कि उनमें से किसके साथ और कब, अकेले या सामूहिक रूप से मैं अपने शरीर की कामपिपासा शांत करूंगी, इसे मैं खुद तय करती थी। इसकी शुरुआत बलराम के संपर्क में आने के करीब दो महीने बाद हुई। उन तीन लोगों में, साहिल 55 साल का छरहरे बदन का सांवला, साधारण शख्शियत वाला, लंबोतरा चेहरा, लंबी नाक, आधे बाल सफेद, छ: फुटा मुसलमान, तेजेन्द्र सिंह 50 साल का करीब साढ़े पांच फुट का हट्ठा कट्ठा, गोरा चिट्टा पंजाबी, एक नंबर का पियक्कड़ और तीसरा एक स्थानीय आदीवासी, घासीराम, काला, गंजा, नाटा सा करीब साढ़े चार फुट का मोटा ताजा 60 वर्षीय खड़ूस, तीनों में सबसे अधिक कुरूप, बेढब शरीर वाला किंतु अत्यधिक कामुक।

एक दिन पूर्वनियोजित योजना के अनुसार ऑफिस से निकलने के बाद, करीब साढ़े सात बजे श्यामलाल मुझे लेकर बलराम के घर आया। बलराम घर में हमारा ही इंतजार कर रहा था। उसका घर हमारे घर से करीब आधा कि. मी. आगे बस्ती से बाहरी छोर पर है। काफी बड़ा दोमंजिला घर है जो करीब तीन हजार वर्गफुट में फैला हुआ है। घर का मुख्य द्वार पूरब की ओर है। उत्तर की ओर एक काफी बड़ा गैराज है जिसमें उसकी चारों गाड़ियों के लिए पार्किंग का समुचित स्थान है। गैराज से सटा हुआ 12/12 का एक बड़ा सा कमरा, जिसे प्रायः विश्रामगृह के रूप में उपयोग किया जाता है, उससे जुड़ा हुआ एक स्नानगृह और शौचालय है।
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11-27-2020, 11:20 PM,
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वैसे तो मैं अपने व्यवसायिक कार्यों के सिलसिले में यहां वहां जाकर क्लाईंट्स से मिलते और कई अवसरों पर पार्टियां अटेंड करते करते थोड़ा बहुत पीना सीख गई थी। कुछ पियक्कड़ क्लाईंट्स की रातें रंगीन करते करते मुझे भी शराब की लत लग गई थी। उस दिन बलराम कुछ अधिक ही बेसब्र हो रहा था। मैं जब श्यामलाल के साथ उसके घर पहुंची तो दरवाजा बलराम ने ही खोला और बड़ी बेसब्री से मुझे बाहों में भींच कर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बरसात कर बैठा। एक पल के लिए तो मैं घबरा गई थी। मेरे संभलने के पहले ही मुझे अपनी बांहों में उठा कर सीधे बिस्तर पर ला पटका।उसके बाद जो हुआ, क्या बताऊँ, खूब जम कर मेरी कुटाई हुई। कामांध श्यामलाल भी बलराम के साथ मिलकर इस दो घंटे की कमरतोड़ संभोग के दौरान मुझे भंभोड़ता रहा, झिंझोड़ता रहा, निचोड़ता रहा। इस पूरी कामलीला के दौरान उनके साथ तीन पैग शराब का चढ़ा गई थी। जब पूरी तरह निचुड़ कर लड़खड़ाते कदमों से बाहर निकल रही थी तो मेरी हालत देखकर बलराम ने घासीराम को आवाज दी जो उस वक्त विश्रामगृह में आराम कर रहा था। वह करीब एक घंटे पहले ही पटना से लौटा था और कमरे में शराब पी कर अपनी थकान उतार रहा था।

“घासीराम, क्या कर रहे हो? मैडम को जरा घर तक छोड़ दो।”

“आया साहब” कहते हुए वह कमरे से बाहर आया, सिर्फ लुंगी और बनियान में था वह। मेरे लड़खड़ाते कदमों और मेरी अस्त व्यस्त हालत को देखकर सब कुछ समझ गया था वह। मुझे अपनी बांहों का सहारा दे कर कार की ओर ले चला लेकिन कार में बैठाने की जगह गैराज से सटे विश्रामगृह में ले आया।

“आप बैठिए मैडम, जरा कपड़े तो पहन लें।” कहकर मुझे सामने बिस्तर पर बैठा दिया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।

“दरवाजा क्यों बंद कर दिया?” मैं सशंकित हो उठी, क्या उस खड़ूस की नीयत डोल गई मुझ पर?

“जी कपड़े बदल रहा हूं ना”

“बेशरम, मैं तो सामने हूँ ना।” मैं बोली। लेकिन तबतक वह अपनी लुंगी उतार चुका था। हे भगवान! अंडरवीयर उसका विशाल तंबू बना हुआ था। साफ दिख हो रहा था कि वह उत्तेजित है। तंबू का आकार बता रहा था कि काफी बड़े लिंग का स्वामी है वह, मगर कितना बड़ा? मैं उत्सुक हो उठी। पिछले दो घंटे के नोच खसोट से मेरे शरीर का सारा अंग अंग टूट रहा था किंतु शराब का नशा अब भी सर चढ़ कर बोल रहा था। एक नंबर की वासना की पुतली तो थी ही, उस ठिंगने आदीवासी के अंडरवियर का इतना विशाल तंबू मुझे फिर से आकर्षित कर रहा था। लेकिन मेरी कमीनगी तो देखिए, चेहरे से जाहिर नहीं कर रही थी कि मैं उसके लिंग के दीदार को ललायित हूं। मैं तिरछी नजरों से ही देख रही थी। वह खड़ूस भी कम खेला खाया नहीं था। मेरी नजरों को पढ़ चुका था कमीना। मैं खड़े होकर दूसरी ओर मुड़ने की कोशिश में जानबूझकर लड़खड़ाई और गिरने का नाटक करने लगी। तभी घासीराम ने झपट कर मुझे थाम लिया।
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11-27-2020, 11:20 PM,
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“अरे आप खड़ी क्यों हो रही हैं। बैठिए, अभी हम ले चलते हैं।” मुझे थाम कर फिर से बिस्तर पर बैठा दिया, लेकिन इस क्रम में उसने मेरी चूचियों को हाथ लगा दिया था। मैं गनगना उठी। उसके तंबू के अंदर से उसका लिंग भी मेरी जांघों के बीच दस्तक दे दिया था। अब मेरा धैर्य जवाब देने लगा। मेरी योनी पानी छोड़ने लगी।

“मुझे पता नहीं क्या हो रहा है?” मैं नशे का अभिनय करते हुए बोली।

“आप थोड़ी देर लेट जाईए, कुछ देर में जब ठीक लगेगा तो हम पहूंचा देंगे।” कहते हुए मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। आंखें बंद करके मैं पांव फैला कर पसर गई। घासीराम लार टपकाती नजरों से मुझे सर से पांव तक घूरता रहा। शायद झिझक रहा था मुझ पर हमला करने से। मैं अधमुंदी आंखों से उसकी हालत देख रही थी। उसे ललचाने के लिए मैंने अपने दोनों हाथ फैला दिए, साड़ी का पल्लू एक तरफ हो गया, मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां छोटे से ब्लाऊज को फाड़कर बाहर निकल पड़ने को बेताब थे। कुछ पलों के बाद जब उसे लगा कि मैं सो गयी, वह मेरे करीब आया और आहिस्ते से मेरे बगल में बैठ गया। उसकी सांसे धौंकनी की तरह चल रही थीं। उसने धीरे से मेरे सीने की ओर हाथ बढ़ाया और ब्लाऊज के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाना शुरू किया। उफ, मेरी चूचियों पर उसके हाथों की छुअन से मेरा शरीर अंदर तक तरंगित हो उठा। मैं अपनी उत्तेजना को बमुश्किल काबू में रख पा रही थी। अब वह थोड़ा और हिम्मत बटोर कर मेरे ब्लाऊज को खोलना शुरू किया। किसी तरह मेरे कसे हुए ब्लाऊज को सामने से खोल तो लिया, लेकिन अब मेरी ब्रा को कैसे खोलता। ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा। मेरा दिल भी उत्तेजना के मारे धाड़ धाड़ धड़क रहा था। मैं गहन निद्रा का ढोंग करती हुई करवट ले कर पलट गई। घासीराम झट से अपना हाथ खींच लिया। उसने कुछ पलों तक इंतजार किया, फिर दुबारा अपना हाथ मेेेरे ब्लाऊज को पूरी तरह खोलने की कोशिश करने लगा। मैंने अपने हाथ ढीले छोड़ रखे थे जिस कारण उसे मेरे ब्लाऊज को पूरी तरह खोलने में कोई परेशानी नहीं हुई। अब उसने मेरी ब्रा का हुक पीछे से खोल कर मेरी चूचियों को बंधन से मुक्त कर दिया। जैसे ही मुझे अहसास हुआ कि मेरी ब्रा का हुक खुल गया है मैं पुनः करवट बदल कर पूर्ववत हो गई, गहरी निद्रा का ढोंग करती हुई। एक पल के लिए वह चौंक कर अपने स्थान से खिसक गया। मेरे चेहरे को गौर से देखने लगा कि मैं जाग तो नहीं रही हूं। जब उसे विश्वास हो गया कि मैं सचमुच में नशे की जोर से नींद में ही हूं, वह पुनः मेरे पास आया और आहिस्ते से मेरी ब्रा को हटाने लगा। जैसे ही मेरी ब्रा का आवरण मेरी चूचियों पर से हटा, उसका मुह खुला का खुला रह गया। शायद अश्चर्य से कि इतनी बड़ी बड़ी चूचियां इस ब्रा से कैसे संभली हुई थीं। मेरी उत्तेजक चूचियों की खूबसूरती खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे तने हुए बड़े बड़े निप्पल्स। पहले वह धीरे धीरे सहलाया मेरी नग्न चूचियों को, निप्पल्स को चुटकियों में पकड़ कर शायद अपनी नजरों के विश्वसनीयता की ताकीद कर रहा था। अब उसे थोड़ी और हिम्मत आ गई थी। वह धीरे धीरे मेरी चूचियों को दबाने लगा। कुछ मिनटों के बाद अपने मुह से पहले मेरी चूचियों को चूमा, फिर हौले हौले मेरे निप्पल्स को चूसने लगा। इधर मेरी हालत बद से बदतर होती जा रही थी। वे पल मेरे लिए बेहद मुश्किल भरे थे। इस उत्तेजक क्रिया से भड़कती अपनी काम ज्वाला को नियंत्रित करना अब असंभव होता जा रहा था मेरे लिए। मेरे शरीर का ऊपरी भाग निर्वस्त्र हो चुका था। उसका एक हाथ अब धीरे धीरे नीचे खिसकते हुए मेरी नाभी से नीचे पहुंच चुका था। धीरे धीरे कमर में खोंसी हुई मेरी साड़ी को खोला और मेरे पेटीकोट के नाड़े की गांठ तलाशने लगा। ज्यों ही नाड़े का गांठ हाथ लगा, एक हल्के झटके से पेटी कोट ढीला कर दिया। अब उसके लिए समस्या थी कि इस अवस्था में मेरे शरीर से साड़ी और पेटीकोट अलग कैसे किया जाय।
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11-27-2020, 11:22 PM,
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वैसे भी अब उस बौने चुदक्कड़ के सब्र का पैमाना भर चुका था। जल्दी जल्दी किसी प्रकार खींच खांच कर अंततः मुझे साड़ी और पेटीकोट से मुक्त कर दिया। वह बार बार मेरे चेहरे को देखता जा रहा था कि कहीं मैं जाग तो नहीं रही हूँ, मगर मैं भी एक नंबर की नौटंकी बाज, उसे अहसास तक नहीं होने दिया कि मैं पूरे होशोहवास में हूं। अब सिर्फ रह गयी मेरी पैंटी। उधर उसकी हालत खराब और इधर मेरी। उफ्फ्फ, इंतजार की घड़ियां कितनी लंबी होती हैं, इसका अहसास मुझे अब हो रहा था। पैंटी के ऊपर से ही मेरी फूली हुई योनी को बड़े ही अविश्वसनीय नजरों से एकटक देखता रह गया। मेरी योनी के रस से भीगी पैंटी देख कर शायद उसे कुछ कुछ आभास होने लगा कि मैं जाग रही हूं। आखिर वह भी एक नंबर का चुदक्कड़ जो ठहरा, लेकिन मैं भी कम कमीनी नहीं थी, अब नींद का ढोंग छोड़ कर नशे का ढोंग करने लगी।

नशे से बोझिल अधमुंदी आंखों से देखती हुई लड़खड़ाती आवाज में बुदबुदाई, “क्क्क्क्य्य्य्य्आ्आ्आ क्क्क्क्र्र्र्र्र र्र्र्र्रहे होओ्ओ्ओ्ओ” बोलना अभी खत्म भी नहीं हुआ कि घासीराम एक ही झटके में मेरी पैंटी को नोच फेंका और लो, विस्मय से उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं, मुह खुला का खुला रह गया।

“बाप रे, बाप, ऐसी चूत!” अनायास उसके मुह से निकला।

“आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह्ह्, नंगी क क क्योंओंओं कककर्र्र््र दिया कमीनेए्ए्ए्ए?” मैं अब भी नशे में टुन्न होने का दिखावा कर रही थी।

“मैडमजी, आप का तो कहना ही क्या। चूची तो चूची, इत्त्त्त्त््त्त्आ्आ्आ्आ्आ चिकना और मालपुवे जैसा बूर पहली बार देखा। साली चुदक्कड़।” अब वह खुल कर मैदाने जंग में कूद पड़ने को उतावला हो उठा था। फटाफट अपने बनियान और अंडरवियर को उतार फेंंका। अब चौंकने की बारी मेरी थी। मादरजात नंगा मोटा ताजा, काला कलूटा, ठिंगना, तोंदू बदन किसी जंगली भालू की तरह दिख रहा था, उस पर आठ इंच का लंबा, जांघों के बीच झूलता, लपलपाता काला लिंग!

“ओह्ह्ह्ह भगवान, यह ततततुम ममममेरे साथ ककक्या्आ्आ कककककरने जजजजा्आ्आ रहे हो?” मैं हकलाहट का प्रदर्शन करते हुए घबराई आवाज बना कर बोली।

“इतना भी भोली मत बनो मैडम जी। आप की भीगी चूत और मेरा टनटन करता लौड़ा, अब आगे क्या होने वाला है यह भी बताना पड़ेगा क्या?” उसकी हिम्मत की कायल हो गई मैं।

“बबबबताआआने की जजजजरू्ऊ्ऊ्ऊरत नहीं है, लेकिन पपपपप्लीईईईज, मेरे साथ ऐसा मत ककककरो। मैं ऐसी औरत ननननहींईंईंई हूँ, छोड़ दो मममुझे, जजजजानेएएए दो।” मैं उठने की कोशिश करती हुई अपना ड्रामा जारी रखे हुए थी।
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11-27-2020, 11:22 PM,
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“क्या बोली? ऐसी औरत नहीं हैंं आप? साली कुतिया, सत्तर चूहे खाके बिल्ली चली हज को? आपकी चूत किसी गधी की चूत से कम है क्या? किसी औरत की चूत ऐसी होती है क्या? मां की लौड़ी। पता नहीं कितने मर्दों का लौड़ा घुस चुका है इस चूत में साली शरीफ की चूत। अब चोदने दे चुपचाप हरामजादी।” खूंखार लहजे में बोला।

“नहीं पपपप्लीईईईज” प्रत्यक्षतः मैं गिड़गिड़ाने लगी किंतु अंदर से तो ऐसे लंड को देखकर चुदने के लिए बेकरार हो रही थी।

“अब ना नुकुर करने से कोई फायदा नहीं। चल तैयार हो जा मेरा लौड़ा खाने के लिए, साली रंडी।” बड़ी उतावली से उसने मेरे पैरों को फैला कर ठीक मेरी चूत के मुहाने पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया। मैं इधर उधर होने की बेमतलब कोशिश करती दांत भींच कर उसके हमले का इंतजार कर रही थी। तभी उसने मेरी कमर को सख्ती से पकड़ कर गच्च से अपने लिंग का एक हौलनाक प्रहार मेरी योनी पर कर दिया, “हुम्म्म्म्मा्ह्ह्ह्ह”।

“”आह, मर गई मैं, ओह मां निकालो, हाय रे मेरी फटी,” मैं चीखी। एक ही करारे धक्के से उसने मेरी पनियायी योनी में अपना पूरा लिंग उतार दिया था।

“आह्ह्ह्ह्ह, तेरी चूत इतनी टाईट कैसे है मैडम? ओह साली देखने में इतना बड़ा गधी के बूर जैसा, ओह मगर अंदर इतना टाईट! तेरी चूत के अंंदर तो गरमागरम भट्ठा है। कमाल की चूत है। वाह मजा आ गया लंड घुसा कर।” वह बड़ी प्रसन्नता से बोला।

“ओह्ह्ह्ह हरामी, यह क्या कर दिया रे्ए्ए्ए्ए्ए्ए। हाय हाय, माआआआआर्र्रररररर डाआआआलाआआआ। बरबाद कर दिया मुझे” मैं छटपटाते हूए बोली। अंदर ही अंदर तो खुश हो रही थी कि चलो अंततः इंतजार की घड़ियां खत्म हुई।

“चुप हरामजादी कुतिया। हम तुझे क्या बरबाद करेंगे। तू तो पहले से खेली खाई चुदक्कड़ है। तेरी मालपुवे जैसी चूत को देखकर सब समझ में आता है। नाटक मत कर मैडम, चोदने दे आराम से।” ऐसा कहते कहते अब पूरी तरह शुरू हो गया। उसका मुह मेरी चूचियों तक पहुंच रहा था, फलस्वरूप वह मेरी चूचियों पर अपना मुंंह लगा दिया। उसकी जीभ किसी कुत्ते से कम नहीं थी। लंबी जीभ से चपर चपर मेरी चूचियों को चाटने लगा।

“आह्ह्ह्ह्ह” मैं अब और अपना नाटक कायम नहीं रख सकी। आनंदमयी सिसकारी निकाल बैठी।

“अब आ रहा है ना मजा। सब समझ में आ गया साली चुदक्कड़ औरत। अब देख कैसे चोदते हैं तुम्हें।” अब वह पिल पड़ा मुझ पर और दनादन दनादन पूरी रफ्तार से चोदने लगा। पूरे कमरे में फच्च फच्च की आवाज गूंजने लगी। मेरी चूचियों को चूसते हुए बीच बीच में अपने दांत गड़ा देता था जिससे मैं चिहुँक उठती थी।

अब मैं भी पूरे रंग में आ गई थी। अपने पैरों को उसकी कमर को लपेट कर पीठ पर चढ़ा बैठी थी और अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर उसके हर ठाप का जवाब ठाप से देने लगी। “आह राजा, ओह चोदू, हाय मेरे ठिंगने बलम, चोद अहा चोद, मुझे बना दिया रे रंडी, ओह्ह्ह्ह मेरी चूत की मस्ती उतार दे साले मां के लौड़े, प्यारे मादरचोद, आह”, मैं असलीयत पर उतर आई थी।
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11-27-2020, 11:25 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
पिछली कड़ी में आपलोगों ने पढ़ा कि किस तरह मैं श्यामलाल और बलराम के हवस की आग में झुलसते हुए अपनी कामक्षुधा तृप्त करती करती बलराम के ड्राईवर घासीराम की गोद में जा गिरी। घासीराम जैसा निहायत ही अनाकर्षक नाटा व्यक्ति भी मेरे लिए काफी संतोषजनक पुरुष साबित हुआ, जो 60 साल का होते हुए भी मेरी उद्दाप्त कामक्षुधा को सफलतापूर्वक मिटा सकने में सक्षम था। उस दिन पहली बार संयोग से जब मैं उसके बिस्तर तक पहुंची और हमारा एक दौर का संभोग संपन्न हुआ ही था कि बलराम का दूसरा ड्राईवर सरदार आ धमका। हम अपनी कामक्रीड़ा में इतने लीन थे कि उसके आने की आहट भी हमें सुनाई नहीं पड़ी। कमरे का दरवाजा सिर्फ उढ़का हुआ था, जल्दबाजी में घासीराम दरवाजा अंदर से बंद करना भूल गया था शायद। हमारे संभोग के अंतिम चरण में ही उसका पदार्पण हुआ था। जो कुछ उसने देखा, वह यह बताने के लिए काफी था कि मैं कितनी बड़ी चुदक्कड़ हूं।
अब आगे......
अभी घासीराम के साथ मेरी कामलीला खत्म ही हुई थी कि हम चौंक पड़े, "साले मादरचोद, इतनी मस्त माल को अकेले अकेले चोद लिया।" एक अजनबी आवाज पीछे से आई। सर उठा कर देखा तो एक हट्ठा कट्ठा, करीब 50 साल का सरदार खड़ा था। इससे पहले कि घासीराम कुछ बोलता, सरदार बोलने लगा, "साले हरामी, आज तक मजदूर रेजा, कोयला चुनने वाली औरतों और भिखमंगी औरतों को चोदने वाले कमीने, आज एक खूबसूरत औरत मिली तो अकेले अकेले हाथ साफ कर लिया भैणचोद।"
मैं पूरी नंगी अवस्था में अपने को ढंक सकने में अक्षम थी। मेरे कपड़े फर्श पर पड़े मुझे मुह चिढ़ा रहे थे। मैं हड़बड़ा कर उठना चाह रही थी कि सरदार ने मुझे दबोच लिया। "जाती कहाँ है मेरी जान, अभी तो मैं बाकी हूँ। कुछ देर में साहिल भी आ जाएगा। साली भैण की लौंडी, जब तक हम तुझे चोद नहीं लेते तू यहीं पड़ी रह। अबे ओ कलुए, मादरचोद, ग्लास में दारू डाल, अब मेरे साथ मैडम भी पिएगी। फिर मैं अपने लौड़े का जलवा दिखाऊंगा इस मैडम को। पहली बार ऐसी मस्त माल मिली है।" हाय राम, मैं यह कहाँ फंस गई थी। सरदार काफी हृष्ट पुष्ट आदमी था। रग्बी खिलाड़ियों की तरह उसके कंधे काफी चौड़े थे। हाथों की कलाईयाँ मेरी कलाईयों से करीब तीनगुना मोटी थीं। कद मुझसे करीब एक इंच छोटा ही होगा किंतु शरीर बेहद फैला हुआ और कुश्ती करने वाले पहलवानों की तरह गठा हुआ। सर पे सिर्फ फटका बांधा हुआ था। तेल मोबिल के दागों वाली गंदी शेरवानी पहने था।
"प्लीज सरदार जी अब मुझे जाने दीजिए। मैं बहुत थक चुकी हूं।" मैं सरदार जी की मजबूत पकड़ में छटपटाती हुई घिघियाते हुए बोली।
"ऐसे कैसे जाने दूं कुड़िए। इतनी खूबसूरत नंगी औरत सामने हो और न चोदूं, ऐसा कैसे हो सकता है। तेरी थकान का इलाज तो मैं अभी करता हूँ। अबतक घासीराम तीन ग्लास में देसी दारू भर कर ले आया। एक ग्लास सरदार लिया, एक ग्लास घासीराम लिया और तीसरा ग्लास मुझे देने लगा, "ले ले कुड़िए, पी जा, फिर देख तेरी सारी थकान कैसे गायब हो जाएगी।"
"नहीं, मैं नहीं पियूंगी," मैं मना करने लगी। देसी दारू की तीखी महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
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11-27-2020, 11:25 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
"ओए कुड़िए, नखरे न कर। चुपचाप पी ले, तभी तू मजे ले सकेगी, नहीं तो हम तो वेसे भी तुझे बिना चोदे छोड़ेंगे नहीं, जो तू बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।" सरदार मेरे अंग अंग को ललचाई नजरों से घूरते हुए गुर्राया। उसके तन से दुर्गंध का भभका आ रहा था, पता नहीं कितने दिनों से नहाया नहीं था। जब उसने देखा कि मैं ऐसे नहीं मान रही हूँ, एक हाथ से मुझे दबोच कर दूसरे हाथ से दारू का ग्लास उठाया और मेरे मुह से लगा दिया। न चाहते हुए भी मुझे मजबूरन उस तीखे महक वाली देसी शराब अपनी हलक में उतारनी पड़ी, ऐसा लगा मानो मेरे गले को जलाती हुई मेरे पेट के अंदर पहुंची हो। कुछ मेरे होठों से होते हुए मेरी गर्दन, चूचियों, पेट और योनि तक बह गयी। इतनी कड़ी शराब मैंने जिंदगी में पहली बार पी थी। शराब तुरंत ही अपना असर दिखाने लगा। मेरे शरीर की धमनियों में रक्त का संचार तूफानी गति से होने लगा। सारी थकान, और बदन की पीड़ा मानो कुछ ही पलों में छूमंतर हो गयी। नशे से मेरी आंखें बोझिल होने लगी किंतु ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अंदर पुनः वसना की ज्वाला भड़क उठी हो। मेरी हालत सरदार की अनुभवी आंखों से छिपी न रह सकी। अब वह मेरे नंगे बदन के उतार चढ़ाव को बड़ी भूखी आंखों से देखने लगा। उसकी नशे से सुर्ख आंखों में किसी भूखे भेड़िये सी चमक आ गई।
"वाह कुड़िए, आ गयी न जान तेरे बदन में?" मेरे नंगे बदन को अब भूखी नजरों से घूरने लगा। एक हाथ से मुझे थामे हुए था और दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसलते हुए बोला "एक ग्लास दारू और दे घासीराम, फिर इस लौंडिया से मस्ती करूँगा।"
"ओह्ह्ह्ह, मुझे ददर्रर्द होता है, ऐसे मत दबाआआईईएएए नाआआआह्ह्ह" मैं नशे से बोझिल आवाज में बोली।
"दर्द होता है, दर्द होता है? साली जब घासीराम नोच रहा था तो दर्द नहीं हो रहा था?" सरदार बेरहमी से मेरी चूचियों को दबाते हुए बोला। मैं समझ गई कि मेरा कुछ बोलना या विरोध करना बेमानी है। मैंने अपने शरीर को उस जालिम के रहमो करम पर समर्पण की मुद्रा में ढीला छोड़ दिया। चलो अब जो होना है, हो ही जाय तभी मुझे मुक्ति मिलेगी। उसने मेरी समर्पण की मुद्रा को भांप कर मेरे नग्न शरीर को अपने बंधन से मुक्त किया और अपने कपड़े उतारने लगा। जब वह पूरी तरह से नंगा हुआ तो उसके भीमकाय कसरती शरीर को देखकर मेरी रगों में बिजली सी कौंध गई। मैं भीतर ही भीतर सनसना गई। सारा शरीर गर्दन से नीचे बालों से भरा हुआ था। उसका तनतनाया हुआ लिंग बहुत लंबा नहीं था, करीब सात इंच रहा होगा लेकिन मोटा इतना कि मेरी घिग्घी बंध गई। किसी घोड़े के लिंग की तरह मोटा। आज तो तेरी चूत का भुर्ता बनने से कोई नहीं बचा सकता साली कामिनी, मैं मन ही मन भगवान को याद करने लगी। अबतक घासीराम दारू का दूसरा ग्लास ला चुका था। सरदार एक ही सांस में पूरा ग्लास गटक गया। उसकी नशे से सुर्ख आंखों को देखकर मेरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गई। अब तक मैं अपने मन को तैयार कर चुकी थी, अपने ऊपर आने वाली कयामत के लिए।
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11-27-2020, 11:25 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
दारू का ग्लास गटकने के पश्चात वह मेरे कामोत्तेजक तन को कुछ पलों तक निहारा और अपनी खुरदुरी हथेलियों को मेरे गालों, मेरी गर्दन, मेरी उत्तेजना से फूलती पिचकती बड़ी बड़ी चूचियों से होते हुए मेरी कमर और फिर ओह मां््आआंंआं, धीरे धीरे मेरी चूत के पास ले आया, मेरी योनी पर उसकी खुरदरी हथेलियों का स्पर्श मुझे अंदर तक तरंगित करने लगा। मेरे अंदर उत्तेजना का मानो सैलाब आ गया।
"ओय छिना्आ्आ्आ्आल, तेरी चूत है कि घोड़ी का भोसड़ा? साली इतनी बड़ी चूत तो पहली बार देख रहा हूं रे घासीराम। कितने लोगों से चुदी है रे रंडी? बिल्कुल कुत्ती है साली मां की लौड़ी। चलो कोई नहीं, अच्छा ही है, मेरा लौड़ा आराम से ले लेगी।" सरदार लार टपकाती नजरों से मेरी पावरोटी जैसी चूत को देख कर बोला।
"अरे तेजू, इसके भोंसड़े की साईज पर मत जा। बहुत टाईट है साली की चूत। चोद के तो देख, मजा न आए तो कहना। लगती है घोड़ी के चूत जैसी, लेकिन मजा देती है सोलह साल वाली लौंडिया के चूत जैसी। जब मेरा लौड़ा लेने में रो रही थी तो तेरी तो बात ही और है। हमसे भी डबल मोटा, साले घोड़े लंड वाले सरदार।" घासीराम तेजेन्द्र को उकसाता हुआ बोला। देख कर ही सिहर उठी थी मैं, उसपर घासीराम की भयभीत करने वाली बातें। सरदार उसकी बात पर ऐसे कैसे विश्वास करता हरामी, अपने हाथों से मेरी योनी को सहलाते सहलाते अचानक उसने अपनी एक उंगली मेरी रसीली यौन गुहा में उतार दिया, "आह्ह्ह्ह्ह" मेरे मुह से आनंद भरी सिसकी निकल पड़ी।
"उफ्फ्फ, सच्ची रे घासीराम, टाईट भी है और गरम भी। वाह, मजा आएगा इसकी चूत चोदने में। चल मैं तूझे कुत्ती की तरह चोदुंगा," कहते हुए मुझे किसी हल्की फुल्की गुड़िया की तरह पलट दिया। "अरे वाह, इसकी गांड़ तो गजब की है रे घासीराम, इतनी मस्त, गोल गोल, चिकनी और बड़ी बड़ी।" मेरे नितंबों पर चपत लगाते हुए बोला। "इसकी गांड़ चोदने का तो मजा ही कुछ और होगा, लेकिन पहले इसकी चूत का मजा तो ले लूं।"

कांप उठी मैं उसकी बातें सुनकर, "तो क्या इतने मोटे लिंग से मेरी गुदा का हाल बेहाल करने की सोच रहा है कमीना?" मैं भयभीत हो उठी, लेकिन मेरे भय पर मेरी कमीनी कामुकता हावी हो गई। "अब मेरी चूत चोदे या गांड़, परवाह नहीं, ट्राई करने में हर्ज ही क्या है," मैं सोचने लगी। भय, उत्सुकता और उत्कंठा के मिले जुले भाव के साथ झिझकते हुए मैं उसकी कुतिया बन गई। वह मेरे पीछे आया और अपने घोड़े जैसे लिंग का विशाल सुपाड़े पर थूक लगाकर मेरी योनि के प्रवेश द्वार से सटा दिया। उफ्फ्फ उसके लिंग का वह स्पर्श मेरी योनी पर, सनसना उठी मैं, मेरी सांसे धौंकनी की तरह चल रही थीं। उसने मेरी कमर को बेहद सख्ती से थामा और धीरे धीरे अपने लिंग पर दबाव देने लगा। जैसे ही उसका सुपाड़ा मेरी योनी को चीरता हुआ फच्च से अंदर घुसा, ऐसा लगा मेरी योनी फट गई हो।
अकथनीय पीड़ा से मैं चीख पड़ी और जिबह होती बकरी की तरह छटपटाने लगी, "आह्ह्ह्ह्ह मैं मरी ओह प्लीज सरदार जी, छोड़ दीजिए मुझे, आह", मेरा सारा नशा काफूर हो गया। बाप रे बाप, इतना मोटा लिंग आज तक मैं ने झेला नहीं था। मेरी चीख पुकार का उस सरदार पर कोई असर नहीं हुआ, उल्टे मेरी कमर और जोर से पकड़ कर अपने विशाल लिंग को जबर्दस्ती घुसाता चला गया।
"चीखो मत साली कुतिया। तुझे कुछ नहीं होगा मैडम। आराम से चोदने दे। देख मेरा पूरा लंड चला गया।" सरदार को मेरी चूत का स्वाद मिल गया था। "अहा, इतनी टाईट चूत? साली मजा आ गया। अब मजा आएगा चोदने में। तू मेरी कुतिया बनी रह, तुझे भी मजा आएगा।"
"नहीं प्लीज, कुछ मजा वजा नहीं, मेरी चूत का बाजा बजा दिया हाय रा्आ्आ्आ्आ्आम" मैं दर्द से बिलबिला रही थी।
"तू ऐसे नहीं मानेगी हरामजादी। पूरा लौड़ा अपनी चूत में खा कर रो रही है बुरचोदी। तेरी चूत देख कर तो कोई भी बता सकता है कि तू कितनी बड़ी चुदक्कड़ है। हां ये बात और है कि मेरा लौड़ा औरों से ज्यादा मोटा है, लेकिन देख, कितने आराम से चला गया तेरी चूत में। रो मत मैडम, तेरी टाईट चूत को मैं ने अपने लंड के हिसाब से बना दिया है। फटी नहीं है। तू इसी तरह कुतिया बनी रह, फिर देख कितना मजा आता है मेरे लौड़े से चुदवाने में," कहते हुए धीरे धीरे कुछ देर अपने लिंग को अंदर बाहर करता रहा। एक दो मिनट में ही चमत्कारी रूप से मेरी चूत का दर्द कहाँ छू मंतर हो गया मुझे पता ही नहीं चला। मेरी कमीनी चुदासी चूत भी अपने हिसाब से फैल कर उसके लिंग को अपने अंदर ग्रहण कर ली। उसके बाद तो फिर मुझे भी मजा आने लगा।
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