Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:47 PM,
#5
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
स्कूल में पूनम का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लग रहा था। उसे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था। उसके सामने कभी भी आज तक ऐसी स्थिति नहीं आई थी। क्योंकि पूनम इन सब चपेड़ो में कभी पड़ती ही नहीं थी। वह बेहद भोली भाली और सीधी सादी थी प्यार व्यार की बातों से कोसों दूर रहती थी हालांकि स्कूल के कई मनचले लड़कों ने उसके सामने अपने दिल की बात रखनी तो चाही लेकिन वह किसी को भी जरा सा भी भाव नहीं दि। घर में पहले से ही उसके पापा और उसके चाचाओ ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि अगर कभी भी उसका नाम बाहर ही लड़कों से जुड़ा प्यार व्यार के चक्कर में वह पड़ी तो उस दिन भूल जाएंगे कि वह उसकी लड़की है। तब से तो पूनम के मन में और भी ज्यादा डर गया था कि कहीं कोई भूल से भी उसे कुछ बोल ना दे इसलिए तो वह स्कूल से सीधा घर और घर से सीधा स्कूल आती जाती थी लेकिन आज उसका मन परेशान हो चुका था। बेला ने ही उसे बताई थी की उस लड़के का नाम मनोज है क्योंकि लड़कियों में काफी मशहूर है। क्योंकि वह काफी हैंडसम लगता था कद-काठी गोरा रंग एक लड़की को जिस तरह का बॉयफ्रेंड चाहिए था वह सारी खूबियां उसके मे थी,,,, और अपनी ईन्ही खूबियों की बदौलत उसने काफी लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बनाया और अपना मतलब निकल जाने पर उसे छोड़ दिया,,,,, काफी दिनों से उसकी नजर पूनम पर थी उसकी खूबसूरती उसकीे सादगी उसके चेहरे का भोलापन,,, उसे भा गया था और वह उसके पीछे लग गया था।दीन रात उठते बैठते हमेशा उसकी आंखों के सामने बस पूनम का ही चेहरा नाचता रहता था,,, इसलिए वह पूरी तैयारी के साथ पूनम के पीछे पड़ गया था लेकिन काफी दिनों से उसे बिल्कुल भी कामयाबी नहीं मिल रही थी हालांकि वह पूनम से बात करने के लिए उसकी सहेली बेला और सुलेखा दोनों को पटा रखा था। सुलेखा तो पहले से ही मनोज की दीवानी थी लेकिन मनोज ताकि उसे जरा भी भाव नहीं देता था जबकि बेला और सुलेखा अच्छी तरह से जानती थी कि मनोज किसी से भी दोस्ती करता है उसे अपने बिस्तर पर जरूर ले जाता है। और यह दोनों भी मनोज कितनी दीवानी थी कि सब कुछ जानते हुए भी उस से दोस्ती करने के लिए तड़पती थी,,, हां इतना भी था कि उमर के साथ साथ देना और जुलेखा की जांघो के बीच चीटियां रेंगना शुरू हो गई थी और वह दोनों तो अपनी बुर की खुजली मिटाने के लिए भी तैयार थी। मनोज केवल उन लोगों से बातचीत भर कर सके इतने से ही वह दोनों पूनम को मनोज से बात कराने का बहाना ढूंढ रही थी लेकिन पूनम के गुस्से को देखते हुए दोनों हमेशा बात को टाल जाती थी। लेकिन आज हिम्मत करके जब पूनम ने उस लड़के के बारे में पूछे तो वह सब कुछ बोलदी,,,, लेकिन पूनम को अपनी दोनों सहेलियों की बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था यही सब वह क्लास में बैठकर सोच रही थी। पूनम को इस तरह से ख्यालों में खोया हुआ देखकर बेला बोली,,,

क्या हुआ पूनम तुम पर भी उसके इश्क का जादू लगता है चढ़ने लगा है तभी तो उसके ख्यालों में खोई हुई हो,,,,,( वह पूनम को छेंड़ती हुई बोली। )

बकवास बंद कर बोला तुझे अच्छी तरह से पता है कि मुझे ऐसा बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और अगर यह बात मेरे घर वालों को पता चल गई तो मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा इसलिए मैं परेशान हूं। 


क्यों डरती है पूनम अरे कुछ नहीं होगा आखिर वह तुझसे प्यार करने लगा है,,,।


तू खुद ही सीख प्यार की एबीसीडी मुझे नहीं सीखना,,,,,,

अरे यार तू तो नाराज होने लगी। 


अब नाराज ना होऊ तो क्या करूं,,,,बात ही ऐसी है। बेला तुम नहीं जानती मेरे घरवालों को मुझ पर बहुत ज्यादा विश्वास है वह लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं कभी भी कोई भी गलत काम नहीं करूंगी, जिससे मेरे खानदान की बदनामी हो इसलिए मैं इन सब बातों से डरती हूं।

पूनम तू खाना खा चिंता करती है तू थोड़ी उसके पीछे पड़ी है वह पागल की तरह तेरे पीछे पड़ा है इसमें कौन सी बदनामी होगी जब तू आगे जाकर के उस से बात करेगी तभी ना किसी को पता चलेगा कि तुम दोनों के बीच में कुछ है तू ऐसा करेगी ही नहीं तो कितना भी तेरे पीछे पड़ जाए तुझे घबराने की जरूरत नहीं है।
( बेला अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह इस बात को ज्यादा तूल देगी तो पूनम खामखा बात का बतंगड़ बना देगी इसलिए वह उसे समझा बुझाकर हाथ झाँड़ने की कोशिश करने लगी,,, पूनम के चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन कुदरत ने पूनम को इतनी सादगी से बड़े ही फुर्सत से बनाया था की परेशानी की हालत में भी उसकी खूबसूरती निखरकर. आंखों को ठंडक देती थी। 
धीरे-धीरे करके कब समय गुजर गया इस बात का ख्याल पूनम को तब हुआ जब छुट्टी की घंटी बजने लगी। उसके मन में एक अजीब सा डर बन चुका था क्योंकि उसे पता था कि वह लड़का फिर से उसी जगह उसका इंतजार कर रहा होगा पहले तो उसके मन में उसके प्रति लेकर कोई भी भावना डर जैसा कुछ भी नहीं था लेकिन जब से बेला ने उस लड़के के बारे में उस को बताई थी तब से उसके मन में अजीब सा डर बैठ गया था। यह पूनम के लिए डर था लेकिन पूनम की जगह अगर कोई और लड़की होती तो उसके लिए यह मजा होता,,,, बेला और सुलेखा तो इस पल के लिए ना जाने कब से तड़प रही थी,,,,, खैर पूनम डर को अपने अंदर समेट ए अपनी दोनों सहेलियों के साथ बातें करते हैं अपने घर की तरफ चली जा रही थी लेकिन बार-बार पूनम की नजर रास्ते पर उसी को ढूंढ रही थी । और वैसा ही हुआ जैसा कि रोज होता था वह लड़का फिर से उसी मोड़ पर उसका इंतजार करता हुआ उसे दिखाई दे गया जैसे जैसे वह आगे बढ़ रही थी उस की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। पूनम नजरे झुका कर जल्दी-जल्दी चली जा रही थी लेकिन बार-बार उसकी नजरें अपने आप उसकी तरफ चली जाती थी जो कि वह पूनम को ही घूर रहा था। उसे यूं अपनी तरफ देखता हुआ पाकर उसका बदन पूरी तरह से गनगना जा रहा था। जैसे-जैसे उसके बीच की दूरी कम होती जा रही थी वैसे वैसे उसकी धड़कन तेज गति से दौड़ रही थी। मनोज बिना पलक झपकाए बस ऊसे ही एक टक देखे जा रहा था। उसकी आंखों से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पूनम के फुल से बदन का रस किसी भवरे की तरह धीरे धीरे करके निचोड़ता हुआ पी रहा हो। पूनम डर के मारे उसकी तरफ नजर नहीं बना पाई और तेज कदमों के साथ आगे बढ़ गई जब कुछ दूरी पर गई तो ना चाहते हुए भी वह पीछे मुड़ कर देखें लेकिन उस जगह पर अभी भी वहां खडे होकर उसे ही देख रहा था,,, पूनम उसे देखी तो मन में बड़बड़ाते हुए जाने लगी,,,,, 
पूनम को इस तरह से बड़बड़ाते हुए देखकर बेला मुस्कुराते हुए बोली।

क्या बेला क्यों उस बेचारे को तू इतना कोर्स रही है दिख नहीं रही कितना दीवानों की तरह तेरे आगे पीछे लगा हुआ है।
काश हम लोगों की भी किस्मत ऐसी होती,,,,,,


तो जा बोल दे लग जाएगा वह ं तेरे पीछे,,,,,( पूनम गुस्सा दिखाते हुए बोली।)

अरे बोल तो दूं लेकिन वह तो तेरा दीवाना होगा हम लोगों के पीछे कहां पड़ने वाला है। 


देख दिला सकती कुछ ज्यादा ही बक बक कर रही है हम लोग यहां पढ़ने आते हैं ना कि लड़कों के साथ मटरगस्ती करने और तुझे भी यही सब करना है तो पढ़ाई छोड़ दे लग जा इन लफंगों के पीछे,,,,,,

अरे यार तु तो नाराज हो जाती है।,,, 

नहीं मैं तेरी पूजा करूं चल अब बस बहुत हो गया पढ़ाई पर ध्यान दे अगले महीने से एग्जाम आने वाले हैं। अगर अभी पढ़ाई में ध्यान नहीं दी तो एग्जाम पेपर पर लिखना मनोज मनोज मनोज,,,,,,,,


अरे वाह पूनम रानी एक ही दिन में उसका नाम भी तुझको याद हो गया,,,,,,

तू नहीं सुधरेगी,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह बेला को मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ी की बेला और सुबह का दोनों हंसते हुए भाग खड़े हुए,,,,, पूनम वही रुपए क्योंकि उसका घर आ चुका था और वह दोनों हंसते हुए अपने घर की तरफ चले गए पूनम भी कुछ देर में ही खड़ी होकर सोचने लगी कि यह उसे क्या हो गया है,,, क्यों उसका नाम उसके होठों पर आ गया,,,,,,, साला हरामी,,,,,, 

( पूनम मन में गाली देकर अपने घर में चली गई,,,,, जाते ही वह अपने कपड़े बदल कर खाना खाने बैठ गई उसके बाद थोड़ा बहुत काम कर के अपने कमरे में जाकर सो गई।
दोपहर में अक्सर सब लोग कुछ देर आराम ही करते थे। यह रोज का ही था। बिस्तर पर लेटते ही फिर से उसे मनोज याद आ गया जैसे तैसे करके उसे नींद आई। 
शाम को उसकी नींद खुली तो सब लोग कुछ ना कुछ काम कर ही रहे थे। वह भी अपने कमरे से बाहर आकर हाथ मुंह धो कर,,,,, झाड़ू उठाई और पूरे घर में झाड़ू लगाना शुरु कर दी वैसे तो घर में हर कोई झाड़ू लगाता था लेकिन आज उसकी मम्मी और उसकी दोनों चाहिए किसी और काम में लगे हुए थे इसलिए वह खुद ही झाड़ू उठा कर पूरे आंगन में झाड़ू लगाने लगी। तभी उसकी संध्या चाची जोकि गेहूं साफ कर रही थी वह पूनम की तरफ देख कर हंसते हुए बोली।।

पूनम आज तुमने जो सुबह-सुबह इतनी अच्छी पिक्चर दिखाई हो उसे देखने के बाद तो हम लोगों के होश ही उड़ गए हैं।( इतना कहने के साथ ही संध्या के साथ साथ उसकी छोटी चाची और उसकी बुआ तीनों ठहाके लगा कर हंसने लगे,, उनको हंसता हुआ देखकर पूनम बोली,,,,,)

चाची जितना हंसना याद करो मेरी तो तुमसे अपने आधी पिक्चर देखे थे लेकिन देखना एक दिन में तुम सब की पूरी पिक्चर देखूंगी और उस दिन बताऊंगीे कि किसकी पिक्चर अच्छी थी। 

हां हां,,, देख लेना हमें भी उस दिन का इंतजार रहेगा,,,
( इसके बाद उन लोगों में हंसी मजाक का दौर शुरू हो गया हर तरह से यह परिवार पूरी तरह से सुखी और संपन्न था आपस में किसी के बीच किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं था। आपस में सभी लोग बड़े प्यार से रहते थे उन सबके बीच में पूनम सबकी लाडली थी। 
शाम को सभी लोग मिलकर खाना बनाए और उसकी चाची खाना परोस परोसकर थाली लगाती और पूनम सभी को खाने की थाली ले जा कर देती,,,,, इस तरह से सभी लोग को खाना खिलाने के बाद पूनम और उसकी चाची और बुआ सब साथ में मिलकर खाना खाते थे। खाना खाने के बाद सभी औरतें और पूनम मिलकर घर के बर्तन को भी साफ करके रखते थे।
गांव में अक्सर लाइट आती थी चली जाती थी,,,, अधिकतर गांव में अंधेरा ही रहता था,, लाइट के आने और जाने का कोई समय निश्चित नहीं था। हमेशा की तरह आज भी लाइट नहीं थी एकदम अंधेरा छाया हुआ था। घर का सारा काम खत्म करने के बाद घर की औरतें बैठकर कुछ देर गप्पे लड़ाया करते थे। रोज की तरह आज भी पूनम,,, पूनम की दोनों चाचीया और उसकी बुआ बैठ कर इधर उधर की बातें करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहीे थी। गर्मी अपने जोरों पर थी, पूनम की दोनों साथिया बहुत ही खूबसूरत और भरे हुए बदन की थी उसकी बुआ भी किसी से कम नहीं थी। या यूं कह दो कि पूनम के घर में पूनम के साथ साथ सभी औरतें बहुत खूबसूरत हैं लेकिन इन सभी में पूनम की खूबसूरती उन लोगों से एक कदम ज्यादा ही थी। उन लोगों को वहां बैठे बैठे काफी समय बीत गया था। जैसे-जैसे रात गहरा रही थी वैसे वैसे,,,,शीतल हवा का झोंका गर्मी के जोर. को कम कर रहा था। वह लोग वहां से उठकर अपने अपने कमरे में जाने वाले ही थे कि तभी पूनम के चाचा ने संध्या को आवाज लगाकर कमरे में बुलाने लगे,,,,, पूनम के चाचा की आवाज सुनकर पूनम की छोटी चाची हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,,,


जाओ दीदी लगता है,,,, की भाई साहब का खड़ा हो गया है,,,
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