Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:22 PM,
#25
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरी जाँघो पर दब्ते उसके नितंब मुझे कुछ अलग ही अहसास करा रहे थे, जो मैने पहले कभी नही किया था, मैं अपनी दोनो जाँघो को जोड़ उसके नितंबो को दबाने लगा और उसी वक़्त मेरे दिमाग़ मे थरक भर गयी और मैं दीपिका मॅम से बोला कि मैं इन्हे बिना कपड़ो के देखना चाहता हूँ तो जवाब मे वो सिर्फ़ मुस्कुरा दी, अब मुझे उसकी मुस्कान ,उसकी सूरत, उसके गुलाबी रसभरे होंठ अच्छे लगने लगे थे....अब मैं भी दीपिका को वही पटक कर चोदना चाह रहा था.....

"एक चुम्मि ले लूँ क्या..."उसके कमर को अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए मैने सोचा, और दीपिका मॅम जो कि मेरे उपर सवार थी उन्हे अपने करीब खींच कर लाया.....उस वक़्त ऐसा मैने इसलिए किया था क्यूंकी मैने बीएफ, फ़िल्मो मे ये सब देखा था....लेकिन दीपिका मॅम को रियल एक्सपीरियेन्स था, वो हसीन होने के साथ साथ किसी कातिल हसीना की तरह बहुत चालाक भी थी, उन्हे सब मालूम था कि कब ,क्या और कहाँ करना है और शायद यही वजह है कि वो आज तक इस कॉलेज मे थी,वरना ऐसी स्लट टीचर ,जो हर हफ्ते नये लंड की तलाश मे रहती है, को कॉलेज मॅनेज्मेंट चोद-चोद के बाहर निकाल देता, और मेरी जानकारी के मुताबिक कॉलेज मॅनेज्मेंट के कयि हाइ पोस्ट वालो आदमियो से भी दीपिका मॅम का चक्कर था.....दीपिका मॅम के पूरे जिस्म मे हवस भरी थी, जो उस वक़्त मैं महसूस कर रहा था, वो मेरे उपर बैठी हुई मेरे सर को बहुत तेज़ी से सहलाते हुए मेरा हेरस्टाइल बिगड़ रही थी....वो तो अपने काम मे लगी हुई थी,लेकिन मैं क्या करूँ ये मुझे नही सूझ रहा था....कभी मैं सोचता कि उस दिन की तरह आज भी इसके सीने को दबाऊ ,लेकिन फिर सोचता कि उसकी गान्ड को मसलता हूँ, और बाद मे सोचा कि पहले एक किस ले ली जाए, उस वक़्त मैं इसी उलझन मे था कि शुरू कहाँ से करूँ....वो तो अपनी गान्ड उपर नीचे करके मेरे सर पे अपना हाथ फिरा रही थी और मैं किसी बच्चे की तरह उसे ऐसा करते हुए देख रहा था.........
"मॅम...."बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ी उसे रोकने के लिए, इस वक़्त मैने उनकी कमर को कसकर पकड़ रक्खा था और उनकी तरफ देख रहा था....
"क्या हुआ..."
"चुम्मि लेनी है....ओह मेरा मतलब एक किस...."
"किधर गाल पर या..."अपने होंठ पर उंगली रखते हुए वो बोली "या फिर यहाँ....या फिर वहाँ "
दीपिका मॅम के होंठ को देखकर मैने अपने होंठ पर जीभ फिराई ,
"लिपस्टिक का रंग तुम्हारे होंठो मे लग जाएगा....सोच लो"
"मतलब कि...."
"मतलब की गान्ड फाड़ बेज़्जती...."मुझे बीच मे रोक कर वो बोली...और मुझे उदास देख उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के पास ले जाते हुए बोली"मसल दो....बाहर से ही उंगली डालने की कोशिश करो...."
"आपने वो नही पहना है क्या...."
"क्या..."
"वो क्या बोलते है, जो लड़किया इधर पहनती है..."उसकी चूत की तरफ इशारा करते हुए मैने कहा"वो जो पानी सोख लेता है, और गद्देदार होता है...."
"बेवकूफ़ उसे पॅड कहते है...."मेरे गाल पर धीरे से लाफा मारते हुए उसने कहा"छु कर देखो की पहना है या नही...."

मैने ठीक वैसा ही किया,जैसा दीपिका मॅम ने कहा, मैने उनकी चूत को पहले धीरे से सहलाया और फिर दबा कर चेक करने लगा कि उन्होने पॅड पहना है या नही....मेरी इस हरकत पर वो खिलखिला पड़ी, और मेरे गालो को अपने दोनो हाथो से नोचते हुए बोली कि मैं बहुत स्वीट हूँ......

"है , आपने पहना है...."मैं पता नही क्यूँ बहुत खुश हो गया था, उस वक़्त....

"तो अब क्या विचार है..."अब दीपिका मॅम को मेरी बातो मे मज़ा आने लगा था, वो अब मेरे उपर शांत बैठी हुई मुझे निहार रही थी....
"म...मैं अब...."
"कच्ची काली है तू, तेरा रस पीने मे मज़ा आएगा...."

रस तो मैं पीना चाहता था, लेकिन साली मौका ही नही दे रही थी....मुझे ख़याल आया कि मेरे जेब मे नॅपकिन है और यहाँ से कुछ ही दूरी पर बाथरूम भी है, मैने खुद को मज़बूत किया और अपने हाथो से उसके चेहरे को नीचे किया, और फिर उसके बाद हम दोनो की आँखे, हम दोनो के होंठ एक दूसरे के करीब आते गये, मैने अंदर ही अंदर एमरान हाशमी की फ़िल्मो के सीन याद किया और झपट्टा मार कर दीपिका मॅम के होंठो को अपने होंठो से जाकड़ लिया, लेकिन मैं सफल नही हो पाया क्यूंकी दीपिका मॅम ने मुझे तुरंत दूर किया और गुस्से से मुझे देखती हुए अपने होंठो पर हाथ फिराने लगी....
"दिमाग़ सही है क्या..."
"क्या हुआ..."
"दाँत गढ़ा दिया,..."
"सॉरी ,वो फर्स्ट टाइम हैं तो थोड़ा...."
"अबे उल्लू, किस ऐसे नही ऐसे किया जाता है...."उसने मुझसे कहा और ये भी बोली की मैं कुछ ना करूँ ,वो मुझे सिखा देगी.....

दीपिका मॅम ने पहले मेरे होंठो को चूमा और फिर धीरे से अपने होंठो से मेरे होंठो पर दबाव डालने लगी....लंड जो पहले से खड़ा था वो दीपिका मॅम की इस हरकत से अब और टाइट होने लगा,...अब वो मेरे होंठो को चूसने लगी थी, ......क्या बताऊ साला कितना मज़ा आ रहा था...धीरे धीरे मैने भी अपने होंठ हिलाने शुरू कर दिए और फिर हम दोनो एक दूसरे के होंठ को तेज़ी से चूसने लगे.....दीपिका मॅम अब भी मेरे उपर बैठी थी, उस वक़्त एक टीचर और एक स्टूडेंट लॅब मे चेयर पर बैठकर रोमॅन्स कर रहे थे......

"आअहह......"जब दीपिका मॅम ने मुझे छोड़ा तो मैं हाँफ रहा था,

"नोट बॅड..."मेरे उपर से उठते हुए वो बोली....

"टाइम कितना हुआ..."अपने होंठो पर हाथ फेरते हुए मैने दीपिका मॅम से पुछा....

"10 मिनट. बचे है, अब तुम जाओ और उपर जाने से पहले तुम्हारे होंठो पर जो गुलाबी छाप है वो सॉफ कर लेना....."

मैने पहले नॅपकिन से अपने होंठ सॉफ किया और फिर बाथरूम मे जाकर खुद को तैयार किया....उसकी लिपस्टिक और उसके जिस्म की खुसबू मैं अब भी महसूस कर रहा था, मुझे उस वक़्त बाथरूम मे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसका होंठ अब भी मेरे होंठो से कसकर चिपका हुआ है, मुझे उस वक़्त बहुत अच्छा लग रहा था.....लेकिन मुझे मालूम नही था कि मेरी चार साल की बर्बादी की दास्तान का पहला कदम यही थी......
.
"हे स्टुपिड...."सीढ़ियो से उपर जाते हुए मैं किसी लड़की से टकराया, ग़लती मेरी ही थी जो मैं दीपिका मॅम के ख़यालो मे खोया हुआ सीढ़िया चल रहा था....मैं जिस लड़की से टकराया था वो तो मेरे लिए एक नॉर्मल सी लड़की थी लेकिन उस लड़की के साथ जो खड़ी थी वो मेरे लिए नॉर्मल लड़की नही थी,...
"जान बुझ कर टकराते हो..."एश मुझे देख कर बोली...
"सॉरी, मैने ध्यान नही दिया..."
"अभी मैं भी तुम्हे ऐसे धक्का देकर गिरा दूं ,जैसे तुमने मेरे फ्रेंड को गिराया है और फिर सॉरी बोलू तो तुम्हे कैसा लगेगा...."
"बहुत अच्छा लगेगा, प्लीज़ ट्राइ इट..."
"ज़्यादा मुस्कुराने की ज़रूरत नही है..."लड़कियो वाली हरकत करते हुए उसने अपने होंठो को शेप चेंज किया....लेकिन फिर जैसे उसे आज सुबह वाली घटना याद आई और उसने मुझे पहचान लिया कि उसके बाय्फ्रेंड से लड़ने वाला मैं ही था तो उसके तेवर बहुत जल्दी बदल गये, उसने अपनी सहेली का हाथ थामा और वहाँ से आगे बढ़ गयी......

"ये लड़की मेरा दिल निकाल कर ही मानेगी..."उसे जाते हुए मैने देखा, और जब वो दूर हो गयी तो मैं वापस सीढ़ियो के रास्ते से अपनी क्लास की तरफ चल दिया....

कुछ लफ्ज़ बिना कहे कह गये....
कुछ लोग खास तो थे, लेकिन वक़्त की शिलाओ पर सब साथ छोड़ गये....
रिश्ता-नाता तो बहुत पुराना सा लगा सबसे,
लेकिन अफ़सोस कि सब एक पल मे उस रिश्ते को कच्चे धागे की तरह तोड़ गये.....


दारू की बोतल खाली करने के बाद काम करने मे बहुत मज़ा आता है, इस वक़्त वरुण आलू काट रहा था और अरुण को मैने बाहर दुकान भेजा हुआ था कुछ समान लाने के लिए.....
"उस दिन दीपिका ने कुछ और नही किया क्या..."आलू काट कर उसने मुझसे पुछा"तेरी बकवास लव स्टोरी को छोड़ कर सब कुछ बढ़िया चल रहा है,लेकिन एक बात बता तूने सच मे उस दिन दीपिका के साथ कुछ नही किया...."
"और ये तू क्यूँ पुच्छ रहा है..."
"क्यूंकी कोई भी नॉर्मल लड़का अपने हाथ मे आया हुआ मौका ऐसे ही नही छोड़ देगा...."
"दीपिका मॅम, हम दोनो से ज़्यादा चालू थी, इसीलिए तो उसने मुझे फसाया था...."
"वो सब तो ठीक है, पहले ये देख की दारू बची है या लानी पड़ेगी...."
"एक बोतल है..."
"ले पेग बना और फिर तेरी सड़ी हुई लाइफ मे दोबारा जाते है...."
तब तक अरुण भी आ गया और मुझे पेग बनाते हुए देखकर बोला"साले तेरी छुप-छुप के दारू पीने की आदत अभी तक नही गयी..."
"पहले ढंग से देख तीन ग्लास रक्खी है वहाँ...."
"ओह सॉरी ! "
.
.
बहुत ख्वाहिश थी, उसके साथ ज़िंदगी का हर पल, हर वक़्त बिताने की.....
लेकिन अफ़सोस कि कभी ना तो वो पल आया और ना ही कभी वो वक़्त......

"ये दीपिका मॅम के लिए है या एश डार्लिंग के लिए...."अरुण ने मुझसे पुछा....
हम दोनो अपने रूम मे बुक खोल कर बैठे हुए थे, अरुण बुक खोल कर क्या कर रहा था ये तो मुझे नही मालूम,लेकिन मैं बुक खोल कर अपने ख़यालात मे उड़ रहा था, कभी दीपिका मॅम दिखती तो कभी उसके साथ लॅब मे बिताया आज का वक़्त दिखता...तो कभी एश दिखती, उसकी भूरी-भूरी आँखे दिखती,उसके गोरे-गोरे गाल दिखते....लेकिन मज़ा तब किरकिरा हो जाता जब उसके साथ वो चूतिया गौतम दिखता.......
"बस ऐसे ही, सोचा कि आज कुछ शायरी-वायरी लिखू और ये लिख डाला...."मैने अरुण से बोला"कैसा था..."
"एकदम बकवास....बोरिंग, पकाऊ "
"आइ विल फक यू आगे से भी और पीछे से भी यदि तूने आगे कुछ और कहा तो...."
"आगे से भी और पीछे से भी "दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए उसने कहा"तेरे पास दो लंड क्या है,एक आगे और एक पीछे..."
"हाँ है तो"
"दो दो लंड वाले बाबा.."
आज से कुछ साल पहले का तो कन्फर्म नही बता सकता लेकिन उस समय कॉलेज लाइफ से फ़ेसबुक ना जुड़ा हो ये इंपॉसिबल ही होता था, ये एक वाइरस की तरह फैला हुआ था , जिन लड़को की गर्ल फ्रेंड होती वो तो अपने मोबाइल मे बिज़ी रहते और जिन लड़को की गर्ल फ्रेंड नही थी वो अक्सर देर रात तक फ़ेसबुक मे अपने लिए माल ढूँढने मे लगे रहते, अरुण की भी कोई गर्ल फ्रेंड नही थी, और यही वजह थी कि उसके मोबाइल मे फ़ेसबुक हमेशा खुला रहता,.....

"दीपिका मॅम, की आइडी मिल गयी "अरुण बिस्तर से कूद कर मेरे पास आया और मुझे दीपिका मॅम की प्रोफाइल दिखाते हुए बोला"अब मैं इसको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजूँगा, फिर हम दोनो देर रात तक चट्टिंग सट्टिंग करेंगे..."
"कहीं तुझे ब्लॉक कर दिया तो..."
""
"मैं तो बस अंदाज़ा लगा रहा हूँ..."
अरुण के 140 एमएम चौड़े ,167एमएम लंबे ,93 एमएम उचाई और 150 पॉंड वेट वाले ब्रेन मे एक शिकारी चाल उस वक़्त उतर कर आई, उसने मुझसे मेरी फ़ेसबुक आइडी माँगी, और जब मैने उसे कहा कि मैं फेसबुक मे नही हूँ तो वो दाँत दिखाकर हँसते हुए अपने मोबाइल मे बिज़ी हो गया कुछ ही देर मे उसने खुद से मेरी फेसबुक आइडी बना दी और मुझे ईमेल आइडी और पासवर्ड देते हुए बोला...
"ये रही तेरी फेसबुक आइडी, और आज के बाद कोई भी पुच्छे तो यही आइडी बताना..."
"तू करने क्या वाला है...."
"दीपिका मॅम को इससे रिक्वेस्ट भेजूँगा, और रात भर उससे चॅट करूँगा...."
"अबे मरवाएगा क्या भाई, वो 200 असाइनमेंट देगी मुझे फिर..."
"टेन्षन मत ले, ये फर्स्ट टाइम नही है...जब मैं अपने दोस्तो की फ़ेसबुक आइडी से चॅट करूँगा..."
क्या करता मैं, उसकी बात माननी पड़ी दोस्त जो था मेरा....पता नही साले से लगाव सा हो गया था, उसकी बक्चोदि अच्छि लगने लगी थी और एक बात जो थी कि वो मुझे एक काबिल इंजिनियर बना रहा था ,रोज रात को खुद सिगरेट तो पीता और मुझे भी पिलाता लेकिन पैसे कभी नही माँगता, और अब उसका प्लान मुझे दारू पिलाने का भी था, वो अक्सर यही कहता कि अभी टेस्ट कर ले वरना हॉस्टिल के सीनियर फ्रेशर और फेरवेल मे गान्ड फाड़ दारू पिलाएँगे तब क्या करेगा, उसकी इस बात पर मैं बस इतना ही कहता तुझे दे दूँगा, तू पी लेना....फिर क्या था उसके बाद हम दोनो एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालते और फिर लड़कियों की बाते करते......
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