RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
सौरभ और अरुण को मानने मे बहुत दिमाग़ खफ़ाना पड़ा और ये मैं पहले से जानता था कि वो दोनो मुझे ऐसा हरगिज़ नही करने देंगे और वो दोनो कैसे मानेंगे...ये मुझे अच्छी तरह मालूम था...मैने सौरभ से कहा कि मैं उसे विभा माँ की चूत दिलाउन्गा और अरुण से कहा कि उसे मैं दिव्या की चूत....सॉरी चूत नही चम्मी दिलाउन्गा...और वो दोनो एक सेकेंड मे मान गये....
"तो क्या उन्हे उनके ही क्लास मे घुसकर मारने का प्लान है..."सुलभ अपने शर्ट की बाहे उपर उठाते हुए बोला...
"नो...और तू जा..."सौरभ बोला"मैं नही चाहता कि तेरे जैसा ब्रिलियेंट लौंडा ,हमारी वजह से मुश्किलो मे पड़े..."
"तेरे चाहने और ना चाहने से क्या होता है..."
"मैं भी ऐसा चाहता हूँ..."
"और मैं भी यही चाहता हूँ कि तू यही से वापस लौट जाए..."
अरुण और मेरे द्वारा सौरभ की बात का समर्थन करने पर सुलभ चिढ़ गया और हम तीनो को गाली देते हुए वहाँ से चला गया....
"लगता है साला बुरा मान गया..."सुलभ को जाते देख सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा"लेकिन मुझे मालूम है कि वो आज रात फोन ज़रूर करेगा,ये जानने के लिए कि क्या हुआ..."
"बुरा वो मानता है,जिसका बुर होता है...और हम लड़को के पास बुर नही लंड होता है..."अरुण ने एक दम शांति से ये डाइलॉग मारा...जिसके बाद हम हँसते-हँसते हॉस्टिल की तरफ चले गये....
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अकॉरडिंग टू और प्लान...फर्स्ट एअर के उन दो लड़को को उनके ही क्लास के कुच्छ लड़के...ठीक उसी ग्राउंड पर लाने वाले थे,जहाँ पर वरुण और उसकी दोस्तो को हमने जम कर ठोका था या फिर ये कहे कि जहाँ मेरी रॅगिंग ली गयी थी...और ये वही जगह थी ,जहाँ से इन सबकी शुरुआत हुई थी....जो दो लड़के ,उन दो चूतियो को उस ग्राउंड पर लाते...वो सिटी मे ही किराए के रूम लेकर रहते थे और इस कांड के बाद उन्हे कुच्छ ना हो ,इसलिए हमारा साथ देने वाले सिटी के उन लड़को को हॉस्टिल मे शिफ्ट किया जा रहा था....जहाँ वो सेफ थे....
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"अरमान सर, वो दोनो ग्राउंड पर पहुच चुके है...."पोलीस स्टेशन मे झूठी गवाही देने वाले राजश्री पांडे ने मेरे रूम मे आकर कहा....जो कि अब अपने दोस्त के साथ सीडार का रूम छोड़ कर ,हॉस्टिल मे शिफ्ट हो गया था....
"तुम दोनो चलो...आइ आम कमिंग..."मैने अरुण और सौरभ से कहा...
"तू कहाँ जा रहा है..."
"गॉगल्स तो ले लूँ...ताकि लड़ाई मे मैं हीरो दिखू,विलेन नही
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हम पर एफ.आइ.आर. करने वाले लड़के जाल मे फँस चुके थे और वो ग्राउंड पर हॉस्टिल के लड़को के बीच घिरे हुए थे...हॉस्टिल से निकलते वक़्त मैने सोचा था कि उन दोनो लड़को की चड्डी इस समय डर के कारण गीली हो रही होगी और वो सबसे हाथ जोड़कर विनती कर रहे होंगे कि उन्हे वहाँ से जाने दिया जाए...लेकिन जब मैं ग्राउंड पर पहुचा तो वहाँ बिल्कुल भी वैसा नही था...जैसा कि मैने सोचा था....फर्स्ट एअर के वो दोनो लड़के इस वक़्त अपने दोस्तो से,जो कि उन्हे झूठ बोलकर यहाँ लाए थे,उनसे बहस कर रहे थे...वो दोनो वहाँ खड़े हॉस्टिल के 20 लड़को को धमकी दे रहे थे और साथ मे अपने दोस्तो को भी...राजश्री पांडे को मैने मामले की जाँच करने के लिए भेजा जिसके बाद राजश्री पांडे,राजश्री चबाते हुए मेरे पास आया और बोला..
"अरे कुच्छ नही,साले अकड़ रहे है बीसी, वो तो हम सब आपके इंतज़ार मे रुके हुए थे...वरना कब का साले को खून से नहला देते...."
"क्या बोल रहे है दोनो..."
"बोल रहे है कि उनपे जिसने भी हाथ उठाया उसे वो चुन-चुन कर मारेंगे..."
"तो तुम लोगो ने क्या सोचा है..."मैने वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर पुछा...
"कुच्छ भी हो जाए अरमान भैया...हम तो आज पेलेंगे..."
"दट'स दा स्पिरिट,..."गॉगल्स पहने हुए मैं अरुण और सौरभ के साथ उन्दोनो के पास गया और वहाँ खड़े सभी लड़को को दूर हटने का इशारा किया...
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उनके तरफ जाते हुए मैने सोचा कि अब वो दोनो लड़के अट्लिस्ट मुझे देखकर तो डर ही जाएँगे और मुझसे माफी भी माँगेंगे...लेकिन उन सालो ने इस बार भी मेरी सिक्स्त सेन्स के इमॅजिनेशन की हत्या कर दी
"अरमान, हम तुझसे नही डरते...तू ये याद से अपने दिमाग़ मे बिठा ले कि एक दिन तू भी यही अपने इन लल्लुओ के साथ खड़ा होगा और मैं तुझे कुत्ते की तरह मारूँगा...."गुस्से से भरी अपनी लाल आँखे दिखाते हुए उन दोनो मे से एक ने कहा...जिसके बाद हॉस्टिल के सभी लड़के आगे बढ़े लेकिन मैने सबको वापस पीछे हटने के लिए कहा....
"मैं तो तुझसे डर गया...मुझे माफ़ कर दे..."उसकी आँखो मे आँखे डालकर मैं बोला"वैसे तूने कुत्ता मुझे कहा या खुद को..."
"तुझे कुत्ता कहा भडवे साले ,म्सी"
ये सुनकर हॉस्टिल के लड़के और मेरे दोनो दोस्त ,जो उस समय मेरे पास ही थे,वो उसे मारने के लिए आगे बढ़े ही थे कि मैने एक बार फिर से सबको रुकने का इशारा किया...
"चल पुरानी बात छोड़ और ये बता,मेरा गॉगल्स कैसा लग रहा है...एक दम स्मार्ट दिख रहा हूँ ना मैं..."
"तेरे चूतिए गॉगल्स की तरह तू भी चूतिया दिख रहा है.."
ये सुनकर एक बार फिर सब आगे बढ़े ,जिन्हे रोक कर मैने कहा"अबे तुम्ही लोग मार लो,मैं यहाँ क्या लवडा हिलाने आया हूँ...पीछे जाओ सब..."
"अरे अरमान भैया...छोड़ दो साले को..."राजश्री पांडे ने राजश्री का एक और पाउच मुँह मे डालते हुए चिल्लाया...
जिसके बाद मैने उस लड़के के सर के बाल को ज़ोर से पकड़कर खींचा और उसे गोल-गोल घुमाने लगा...
"मेरे गॉगल्स के बारे मे कुच्छ नही बोलने का...साले खुद की शकल तो गधे की गान्ड जैसी है और मुझे बोलता है कि मैं हॅंडसम नही हूँ..."
जब मैं उसके सर के बाल को पकड़ कर गोल-गोल घुमा रहा था तो अरुण ने एक हॉकी स्टिक ली और उसके पीठ पर हॉकी स्टिक से जोरदार प्रहार किया...जिसके बाद वो लड़का चीख उठा...लेकिन अरुण नही माना और हॉकी स्टिक से उसे पेलता रहा.....हम दोनो को आक्षन मे देखकर भला सौरभ कैसे शांत रह सकता है,सौरभ ने दूसरे लड़के के कान पर एक मुक्का जड़ा और ज़मीन पर धक्का देकर उसे लातों से मारने लगा....वो दोनो लड़के इस समय हम तीनो की पिटाई से सिर्फ़ चीख रहे थे ,रो नही रहे थे...जबकि मैं चाहता था कि वो दोनो रोते हुए हमारे पैर पकड़ कर हमसे माफी की गुहार मारे...
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सौरभ दूसरे लड़के के कभी मुँह पर तो कभी पेट पर लात मारता और जब वो लड़का पीछे पलट जाता तो सौरभ उसके पीठ पर धड़ा धड़ लात मरता,...इधर मैने एक का बाल मज़बूती से पकड़ रखा था और अरुण अपने हाथ मे हॉकी स्टिक थामे उसके हाथ-पैर,पीठ-पेट...तोड़े जा रहे था....वो दोनो लड़के अधमरे से हो गये थे,लेकिन उन्दोनो ने सॉरी अभी तक नही बोला था....
"बीसी, तेरी *** का लंड...मेरा गॉगल्स तोड़ दिया तूने..."अभी तक मैने जिसका बाल पकड़ रखा था उसकी नाक मे एक मुक्का जड़ते हुए कहा और उसे ज़मीन पर फेक दिया....
"तू अभी अपने चश्मे को छोड़ और इनकी धुनाई कर..."उस लड़के के पैर पर ज़ोर से हॉकी स्टिक मारते हुए अरुण ने कहा....
"लवडे,घर से दो बुक्स का पैसा मँगाया था, उसके बाद मैने बुक्स ना ख़रीदकर 1351 का ये गॉगल्स खरीदा और तू बोल रहा है कि..... गान्ड तोड़ दे इस म्सी की,ताकि साला जब कभी भी हॅगने बैठे तो इसे अपनी ग़लती का अहसास हो..."
"जो हुकुम मेरे आका..."बोलते हुए अरुण ने उस लड़को को पलटाया और उसके पिछवाड़े पर हॉकी स्टिक से मारने लगा....
मेरे गॉगल्स की मौत ने मेरे अंदर दफ़न गुस्से के ज्वालामुखी को भड़का दिया था,मैने अरुण को रोक कर उस लड़के को वापस सीधा किया और हवा मे हाथ उठाकर कसकर एक तमाचा उसके गाल पर मारा...जिससे मेरी पाँचो उंगलियो का प्रोजेक्षन उसके गाल पर बन गया...उसके बाद मैं दूसरी साइड गया और एक बार फिर से हवा मे हाथ उठाकर उसके दूसरे गाल पर भी पाँचो उंगलियो के निशान छाप दिए...
"हाथ हटा म्सी..."उस लड़के ने जब अपने दोनो गाल पर हाथ रखे तो एक लात मारते हुए मैने कहा और लगातार उसके गाल पर कसकर थप्पड़ मारने लगा.....
"सॉरी बोल,..."उसके मुँह पर एक लात मारते हुए मैने कहा....
"सॉरी..."धूल और खून से सने मुँह को खोलते हुए उस लड़के ने इतना ही कहा.....
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"अरमान,एक ने तो सॉरी बोल दिया...लेकिन ये साला नही मान रहा...पता नही इस बीसी के अंदर अभी कितना दम बाकी है..."दूसरे लड़के पर सौरभ अब भी लात बरसाए पड़ा था....
"तू हट और देख ये एक मिनिट मे सॉरी बोलेगा..."
सौरभ को मैने दूर हटाया और ज़मीन पर लोट रहे उस लड़के के उपर दोनो पैर से एक साथ कुदा..जिसके बाद उसके मुँह से खून और सॉरी शब्द एक साथ निकला....
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उन दोनो को तो मैं ठोक चुका था,लेकिन मुझे अब गम मेरे गॉगल्स के टूटने का था ,क्यूंकी इसके लिए मैने दो बुक्स की कुर्बानी दी थी...उन्दोनो को मारने के बाद मैं वहाँ खड़ा होकर अपने चश्मे की मौत का दुख मना रहा था कि सडन्ली मुझे एक आइडिया आया और मैने तुरंत पीछे मुड़कर उन दोनो लड़को का वॉलेट निकाल लिया...एक के वॉलेट मे 100-100 की 4 पत्तिया थी तो एक की वॉलेट मे 1000 और 500 की पत्तिया थी.. उन दोनो के वॉलेट से कुल मिलाकर लगभग 5000 मिले,जिनमे से मैने हज़ार का एक-एक नोट अपने दोनो खास दोस्तो को दिया और हज़ार का एक नोट वहाँ खड़े हॉस्टिल के लौन्डो की तरफ बढ़ाकर दो हज़ार अपने जेब मे रख लिए.....
"चलो...अब सब खिसक लो...इधर से.."अरुण ने सबको वहाँ से जाने के लिए कहा...
जब हम सब वहाँ से कुच्छ दूरी पर आ गये थे तभी मुझे अचानक ना जाने फिर से गुस्सा आया और मैं ज़मीन पर दर्द से कराह रहे उन दोनो लड़को के पास पहूचकर दोनो के मुँह मे एक-एक लात जदकर बोला"अरमान....ये नाम अपने जेहन मे बिठा ले और एक बात मेरे अंदर दिल और दया नही है...तुम दोनो जब भी ठीक होगे,मैं तुम दोनो को फिर से मारूँगा और इसी हालत मे ला पटकुंगा....याद रखना आज से तुम दोनो के दो बाप है ,एक बाप को तो तुम दोनो जानते हो और दूसरा बाप मैं हूँ"
"और मैं तीसरा बाप..."अरुण दूर से ही चिल्लाया....
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"तो अब प्लान क्या है..."हॉस्टिल मे पहूचकर अरुण ने मुझसे पुछा...
"मैं सोच रहा हूँ कि 2001 प्राइस वाला गॉगल्स आज ही माल से ले आउ,जो मैने लास्ट वीक माल मे देखा था
"भाड़ मे जाए तेरा वो गॉगल्स और अब ये बता कि करना क्या है...मुझे अब ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि मैने तेरा साथ देकर ग़लत किया,कही हम लंबे लफडे मे ना फँस जाए "अपने चेहरे को टवल से पोछते हुए सौरभ ने मेरे न्यू गॉगल्स लेने के प्लान को बीच मे ही रोक दिया
"अब कैसा लफडा बे, अब तो जो होना था हो चुका है...जिन्हे मारना था उन्होने मार दिया और जिन्हे मार खाना था ,उन्होने भी मार खा लिया...बस टॉपिक एंड "
"बेटा,टॉपिक एंड नही हुआ है..अभी हमने जो एक्शन किया है उसका अकॉरडिंग तो न्यूटन'स थर्ड लॉ हमारे एक्शन के बदले उसके बराबर एक रिएक्शन तो आएगा ही और वो भी ऑपोसिट डाइरेक्षन मे...बोले तो तलवार अब हमारे गर्दन के उपर लटकने वाली है..."जिस टवल से सौरभ अपना चेहरा सॉफ कर रहा था उसे मेरे फेस पर फेक्ते हुए कहा
"मुझे समझ नही आता कि लोग हमेशा न्यूटन के थर्ड लॉ का ही एग्ज़ॅंपल क्यूँ देते है, जबकि थर्ड लॉ से पहले फर्स्ट आंड सेकेंड लॉ आता है...और वैसे भी मैने उनके रिक्षन को शुरू होने से पहले ही ख़तम कर दिया है इसलिए चिंता की कोई बात नही"
"क्या किया तूने और जब से कॅंटीन मे मेरी पेलाइ हुई है तब से मेरा तुझपर से विश्वास उठ सा गया है...साले खुद तो मरता है साथ मे मुझे भी मरवाता है..."अरुण बीच मे ही टपक पड़ा"मुझे भी अब ऐसा लग रहा है कि तेरा साथ देकर मैने बहुत बड़ी ग़लती कर दी,कहीं उन दोनो ने फिर से पोलीस मे रिपोर्ट कर दिया तो "
"वो तो करेंगे ही"अरुण की फाड़ते हुए मैने कहा"और पोलीस कॉलेज मे भी आएगी और हॉस्टिल मे भी आएगी और तो और हमे अपने साथ ले जाने की कोशिश भी करेगी..."
"बोसे ड्के, इस बार तो गये काम से, तू हमारा दोस्त नही है..."अरुण और सौरभ एक साथ मुझपर चिल्लाए...
"अबे गला फाड़ना बंद करो...पहले मुझे बात तो पूरी करने दो..."अपनी टी-शर्ट उतारकर अरुण के फेस पर फेक्ते हुए मैं बोला"अपना कल्लू वॉर्डन किस दिन काम आएगा..."
"क्या घंटा काम आएगा वो कल्लू...बल्कि वो तो उल्टा हमारी और शिकायत कर देगा...एक तो पहले से ही तू उसे पसंद नही है ,उपर से अब ये नया लोचा.."मेरी टी-शर्ट को वापस मेरी तरफ फेक्ते हुए अरुण ने सौरभ से कहा"सौरभ मेरे भाई, मेरा भी सिक्स्त सेन्स कुच्छ-कुच्छ काम करने लगा है...और जैसा कि मैने अंदाज़ा लगाया है उसके हिसाब से हम दोनो के पैर पोलीस वालो ने रस्सी से बाँध दिए है और डंडे से गान्ड फटट ले पेल रहे है.... अबकी बार तो अच्छे से चुद गये..."
"चुप कर बे चोदु ,खुद तो डरा हुआ है उपर से सौरभ के पिछवाड़े मे भी पिन ठोक रहा है...सौरभ तू यकीन मान अपना वॉर्डन अपनी साइड लेगा..."
"सुनकर दिल को सुकून मिला लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि ऐसा कुच्छ भी नही होने वाला...मतलब की हॉस्टिल वॉर्डन भला हमारा साथ क्यूँ देगा "
"और कल्लू वॉर्डन विल डू दिस फॉर मी ,फॉर यू,फॉर अरुण,फॉर हॉस्टिल,फॉर होस्टेलेर्स आंड फॉर सीडार "
"देख अरमान ,अभी ज़्यादा डाइलॉग बाज़ी मत छोड़...वरना दो को तो पेल के आया ही हूँ,तीसरा नंबर तेरा लगा दूँगा...इसलिए शॉर्ट मे बता लेकिन अच्छे से बता..."
"सीडार ने वॉर्डन को हमारी तरफ से गवाही देने के लिए मना लिया है,दट'स इट...अब तुम दोनो के गोबर भरे दिमाग़ मे कुच्छ घुसा या फिर जर्मन लॅंग्वेज मे समझाऊ या फिर फ्रेंच मे या फिर स्पॅनिश मे..."
"सब समझ गया अपुन" मुझे गले लगाते हुए सौरभ ने थॅंक्स कहा...
"अपुन भी सारा मॅटर समझ गया है , थॅंक्स तो सीडार की वो हर समय हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है...बेटा अरमान ,यदि सीडार ना होता तो तेरी कोई भी दाल नही ग़लती...."
"यॅ...आइ नो "सिगरेट के पॅकेट से एक सिगरेट निकालते हुए मैने कहा और दिल ही दिल मे एमटीएल भाई का हमारा साथ देने के लिए शुक्रिया अदा किया...
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"वैसे सौरभ,अरमान ने कुच्छ और भी प्रॉमिस किया था...याद है कि भूल गया..."
अरुण के ऐसा बोलते ही मैं समझ गया कि वो मेरे किस प्रॉमिस की बात कर रहा है और मैं उस वक़्त थोड़ा परेशान सा हो गया...क्यूंकी दोनो को लड़ाई मे शामिल करते वक़्त तो मैने बड़ी आसानी से कह दिया था कि मैं उनके लिए दिव्या और विभा का जुगाड़ करूँगा...लेकिन मुझे मालूम था कि ये काम बहुत मुश्किल है . विभा को तो मैं खुद भी अभी तक नही पटा पाया था,इसलिए सौरभ का मामला कैसे जोड़ू और अरुण के मामले मे तो भयंकर ख़तरा था..क्यूंकी यदि दिव्या के बाप को ज़रा सी भी भनक लग गयी की उसकी बेटी को कॉलेज के किसी लड़के ने किस किया है तो फिर वो लड़का तो गया जान से.....
"इधर-उधर क्या देख रहे हो अरमान बाबू...अपना प्रॉमिस याद तो है ना या हम दोनो याद दिलाए..."मेरे गर्दन को पीछे से पकड़ कर सौरभ ने कहा...
"मैं अभी आया..."
उन दोनो से पीछा छुड़ाने के लिए मैं वहाँ से उठा ही था कि अरुण कूद कर दरवाजे के पास पहुचा और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया...वही सौरभ ने मेरे दोनो हाथ को पीछे से पकड़ कर मरोडने लगा....
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"जल्दी से हम दोनो के अरमान पूरे कर..वरना तेरा खून कर दूँगा..."सौरभ ने धमकी दी
"मैं तो डाइरेक्ट रेप करूँगा..."दरवाजे के पास खड़े होकर अरुण ने भी धमकी दी...
अब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि यदि इस वक़्त मैने उन दोनो को ना कहा तो ,वो दोनो मुझे बहुत मारेंगे इसलिए मैने इस समय उन दोनो को हां कहने मे ही अपनी भलाई समझी और बोला...
"अरुण तेरा काम कुच्छ दिनो मे हो जाएगा और सौरभ तुझे कुच्छ दिन के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा,...क्यूंकी विभा को ठोकने के लिए मनाना थोड़ा मुश्किल है,लेकिन मैं इसे करूँगा ज़रूर...अब तो मेरा हाथ छोड़...."
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