Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 02:40 PM,
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
हमारे हॉस्टिल का कॉरिडर ज़्यादा चौड़ा नही था ,इसलिए जब वो दोनो अपने हाथ फैला कर खड़े हो गये तो पूरा का पूरा गोल पोस्ट उन दोनो के बॉडी से ढक गया....इसलिए गोल करने मे मुझे अब बड़ी दिक्कत हो रही थी...लेकिन ज़्यादा देर तक नही...मैने फुटबॉल को अपने हाथ मे लिया और घुमाकर उन दोनो मे से एक के पेट मे दे मारा.....

"आआययययीीई.....गान्ड फट गयी बे..."बोलते हुए वो लड़का,जिसके पेट मे मैने अभी-अभी फुटबॉल तना था,वो वही अपना पेट पकड़ कर बैठ गया...

अब जब एक घायल हो चुका था तो मेरे लिए गोल करने का काम बेहद आसान हो गया था और फिर मैने बिना समय गँवाए आख़िरी गोल दाग दिया....
.
"ला दे 100 "आख़िरी गोल करने के बाद मैं अरुण के पास गया और उससे बेट के पैसे माँगे....

"ले लेना ना बाद मे...कही भागे जा रहा हूँ क्या...."

"चल बाद मे दे देना..."अपने रूम की तरफ आते हुए मैने विन्नर वाली स्माइल अरुण को दी...लेकिन मेरे रूम मे घुसने से पहले ही कालिया मुझे कुच्छ बोलने लगा...

"क्या हुआ बे, मैने तो तुझे पहले ही वॉर्न किया था कि मेरे रास्ते मे मत आना...लेकिन नही,...तेरी ही गान्ड मे बड़ी खुजली थी..."

"लवडे, मुझे कल अपनी बहन को लेकर हॉस्पिटल जाना था...लेकिन अब नही जा पाउन्गा...आआअहह"

"अबे तो दर्द से कराह रहा है या चुदाई कर रहा है...दर्द मे भी कोई ऐसे कराहता है क्या..आआअहह "

"बात मत पलट अरमान...तूने ये सही नही किया...."

"अब ज़्यादा नौटंकी मत कर बे कल्लू..."कालिए को सहारा देकर उठाते हुए मैने कहा "वैसे तेरी बहन कॉलेज मे पढ़ती है,ये मुझे आज ही पता चला...कौन है वो..."

"फर्स्ट एअर मे है...नाम है आराधना शर्मा..."

"आराधना शर्मा... खा माँ कसम "जबरदस्त तरीके से चौुक्ते हुए मैने कल्लू से पुछा....

मुझे इस तरह से शॉक्ड होता देख कल्लू भी बुरी तरह चौका और डरने लगा कि कही मैं उसे फिर ना पेल दूं . मैं इसलिए इतनी बुरी तरह चौका था क्यूंकी आराधना और कल्लू के फेस मे कोई मेल-जोल नही था.

आराधना उतनी गोरी भी नही थी, लेकिन कल्लू जैसे निहायत काली भी नही थी...आराधना एवन माल भले ना हो लेकिन ऐसी तो थी ही कि यदि वो चोदने का प्रपोज़ल दे तो मैं मना ना करूँ वही कल्लू एक दम बदसूरत मेंढक के जैसे मुँह वाला था और तो और साला कंघी भी चुराता था....

"ऐसे क्या देख रहा है बे, फिर से मारेगा क्या..."

"आराधना तेरी सग़ी बहन है या फिर तेरे चाचा,मामा,काका,फूफा,तौजी....एट्सेटरा. एट्सेटरा. की बेटी है..."

मेरे द्वारा ऐसा सवाल करने पर पहले तू कल्लू मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा लेकिन जब उसे ऐसा लगा कि वो मेरा कुच्छ नही उखाड़ सकता तो वो थोड़ा मायूस और थोड़े गुस्से के साथ बोला...

"आराधना मेरी दूर की बहन है...तुझे उससे क्या..."

"तभी मैं सोचु कि तुझ जैसे कालिया की बहन आराधना कैसे हो सकती है..." आराधना ,कल्लू की दूर के रिश्ते की बहन है ये जानकार मैं बड़बड़ाया और वहाँ से अपने रूम मे आया....
.
मेरे रूम मे इस वक़्त सौरभ, अरुण के साथ पांडे जी भी मौज़ूद थे,जो फुटबॉल मॅच के दौरान लगी चोट को सहला रहे थे...अरुण के हाथ और गर्दन के पास की थोड़ी सी चमड़ी घिस गयी थी,वही सौरभ सही-सलामत था......

"देख लिया बे,मुझे चॅलेंज करने का नतीजा, अब अगली बार से औकात मे रहना..वरना इस बार गर्दन के पास की थोड़ी सी चमड़ी उखड़ी है,अगली बार पूरा गर्दन उखाड़ दूँगा...."शहन्शाहो वाली स्टाइल मे मैं अपने बेड पर बैठते हुए बोला"मुझे देख ,मैं कैसे मॅच के बाद भी रिलॅक्स फील कर रहा हूँ..."

"ज़्यादा बोलेगा तो 100 के बदले मे मैं लंड के 100 बाल थमाउन्गा..."आईने मे देखकर अपनी गर्दन को सहलाते हुए अरुण ने कहा"और बेटा, आईने मे देख ,तेरा माथा फोड़ दिया है मैने..."

अरुण के इतना बोलने के साथ ही मेरा हाथ खुद ब खुद मेरे सर पर गया और जैसे ही मैने अपना हाथ अपने माथे पर फिराया तो थोड़ी सी जलन हुई....

"खून निकल रहा है क्या बे सौरभ..."

"थोड़ी सी खरॉच है बे...बस और कुच्छ नही...और ये बता तू उस कन्घिचोर से किस लौंडिया के बारे मे बात कर रहा था..."

"ऐसिच है एक आइटम...उसी के बारे मे बात कर रहा था..."बात को टालते हुए मैने कहा...क्यूंकी यदि मैं उन्हे आराधना के बारे मे बताता तो फिर उन्हे पूरी कहानी बतानी पड़ती कि मैं कैसे कॅंटीन मे आराधना से मिला और वो आंकरिंग की प्रॅक्टीस करने भी आती है...ब्लाह..ब्लाह.
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अगले दिन जब मैं कॉलेज के लिए हॉस्टिल से निकल रहा था तो जो बात मेरे दिमाग़ मे थी ,वो ये कि एश का मुझे देखकर क्या रियेक्शन होगा, वो मुझसे बिहेव कैसे करेगी...मुझसे बात भी करेगी या नही...क्यूंकी कल शाम के वक़्त पार्किंग मे मैने उसे कहा था कि 'यदि वो मुझसे पहले नही जाएगी तो मैं उसकी पप्पी ले लूँगा' . उस वक़्त तो मैने ये कह दिया था लेकिन बाद मे जब मैने इसपर गौर किया और इतमीनान से सोचा तो मुझे ऐसा लगा कि मुझे एश को वो नही बोलना चाहिए था....इसलिए मैं ऑडिटोरियम की तरफ जाते वक़्त थोड़ा घबरा भी रहा था .

"एक काम करता हूँ, ऑडिटोरियम मे जाते ही एश को बोल दूँगा कि वो कल वाली बात का बुरा ना माने...वो तो मैने ऐसे ही मज़ाक मे कह दिया था....एसस्स..यह्िच बोलूँगा,तब वो मान जाएगी..."

ऑडिटोरियम की तरफ जाते वक़्त मैने बाक़ायदा वो लाइन्स भी बना डाली, जो मुझे एश से बोलना था.उस दिन एश मुझे ऑडिटोरियम के बाहर अकेली खड़ी मिली और मैने दिल ही दिल मे उपरवाले का शुक्रिया अदा किया क्यूंकी यदि इस वक़्त एश मुझे कुच्छ उल्टा सीधा भी कह देती तो कोई और नही सुनता....वरना यदि एश किसी तीसरे के सामने मुझपर चिल्लाती तो मेरा अहंकार जो मुझमे कूट-कूट कर भरा हुआ है...वो अपनी इन्सल्ट होते हुए देख तुरंत बाहर आता और जिसका नतीज़ा एश की सबके सामने घोर बेज़्जती के रूप मे निकलता....

"गुड मॉर्निंग, यहाँ खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी क्या "हमेशा की तरह हँसते-मुस्कुराते हुए मैने कहा....इस उम्मीद मे कि एश भी हँसते-मुस्कुराते हुए जवाब देगी...

"तुमसे कोई मतलब कि मैं यहाँ खड़ी होकर क्या कर रही हूँ...अपने काम से मतलब रखो..."चिड़चिड़ेपन के साथ एश ने मेरा स्वागत किया....

कसम से यदि उस वक़्त वहाँ एश की जगह कोई और लड़की होती ,यहाँ तक की आंजेलीना सिल्वा की जगह आंजेलीना जोली भी होती और वो मेरे गुड मॉर्निंग का ऐसा चिड़चिड़ा जवाब देती तो मैं सीधे घुमा के एक लाफा मारता ,लेकिन वो लड़की एश थी इसलिए मैं शांत ही रहा....ये सोचकर की शायद उसका मूड खराब होगा.
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"पक्का ,आज अंकल जी ने किराए के पैसे नही दिए होंगे...इसीलिए इतना भड़क रही है. लेकिन टेन्षन मत ले ,मैं बहुत रहीस हूँ....बोल कितना रोक्डा दूँ...तू कहे तो ब्लॅंक चेक साइन करके दे दूं..."एसा का मूड ठीक करने के इरादे से मैने ऐसा कहा....लेकिन एश पर इसका उल्टा ही असर हुआ.

एश और भी ज़्यादा मुझपर भड़क गयी और उसने कुच्छ ऐसे बाते बोल दी ,जो सीधे तीर के माफ़िक़ मेरे दिल मे चुभि, वो बोली...
"तुम्हे लगता है कि मैं तुमसे बात भी करना पसंद करती हूँ...हाआंन्न , तुम जैसे लड़को को मैं अच्छी तरह से जानती हूँ, जहाँ कोई रहीस लड़की दिखी नही कि उसके पीछे पड़ गये....गौतम के साथ तुमने जो किया ,उसके बाद तो मुझे तुम्हारी नाम से भी घिन आती है...और जितना रुपये तुम्हारे ग़रीब माँ-बाप तुम्हे एक महीने मे भिजवते है ना उतना तो मैं हर दिन बार,पब वगेरह मे टिप दे देती हूँ...ब्लडी नॉनसेन्स...पता नही कहा-कहा से चले आते है,भिखारी..."
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एश के मुँह से ऐसे-ऐसे लफ्ज़ सुनकर मुझे पहली बार मे तो यकीन ही नही हुआ कि एश ने मुझसे ही वो सब कहा है...मेरा कान ऐसे सन्न हुआ जैसे किसी ने ज़ोर से मेरे कान मे झापड़ दे मारा हो....एकपल के लिए मुझे समझ ही नही आया कि मैं क्या करूँ, लेकिन एश ने ऐसे-ऐसे शब्द बोल दिए थे कि मेरे अहंकार ने मेरे प्यार को तुरंत मात दे दी और मैं बोला...
"देखो, मेरे मोबाइल मे कॉल तेरी तरफ से आया था ना कि मैने तुझे कॉल किया था...इसलिए ऐसा सोचना भी मत कि मुझे तुझ जैसी लड़की से बात करने मे रत्ती भर की भी दिलचस्पी है...वो तो ऑडिटोरियम मे देखा कि तुझसे बाकी लड़कियाँ बात नही करती इसलिए तरस खाकर तेरे पास दो दिन क्या बैठ गया, दो चार बाते क्या कर ली...तूने तो उसका उल्टा-सीधा ही मतलब निकल लिया...फूल कही की...और तूने मेरे माँ-बाप को ग़रीब कहाँ ? तेरी तो...अबे जितने पैसा तेरी पूरी ग़रीब फॅमिली एक महीने मे उड़ाती है है ना उतना तो मेरा सिर्फ़ दारू का बिल रहता है....और तू खुद को बहुत रिच समझती है..."जेब से गॉगल निकाल कर पहनते हुए मैने कहा"जितनी कि तू नही होगी,उतने का तो सिर्फ़ मेरा गॉगल है..अब चल साइड दे, अंदर वो छत्रु मुझसे आंकरिंग की टिप्स लेने के लिए मेरा इंतज़ार कर रहा होगा..."

मैने तुरंत एश को पकड़ कर एकतरफ खिसकाया . मेरे द्वारा अपनी इन्सल्ट होते देख एश की आग और भी भड़क गयी और जब मैने उसे छुआ तो वो चीखते हुए बोली"डॉन'ट टच मीईई...."

"सॉरी कि मैने तुझ जैसी को छुकर अपना हाथ गंदा कर लिया और सुन ,अगली बार मुझसे ज़ुबान संभाल कर बात करना वरना ऐसी बेज़्जती करूँगा कि 24 अवर्स मेरे लफ्ज़ झापड़ की तरह कान मे बज़ेंगे...अब मुझे घूर्ना बंद कर,वरना मेरा मूड खराब हुआ तो एक-दो झापड़ यही लगा दूँगा....साली आटिट्यूड दिखाती है..."
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एश के साथ घमासान लड़ाई करके मैं ऑडिटोरियम मे घुसा और पहली बार मुझे एश के साथ मिस्बेहेव करने का कोई मलाल नही था, बल्कि मेरा दिल कर रहा था,अभिच बाहर जाकर उसपर म्सी,बीसी,बीकेएल,एमकेएल...की भी वर्षा कर दूं...लेकिन मैने जैसे-तैसे खुद को कंट्रोल किया और ऑडिटोरियम मे एक कोने मे चुप-चाप बैठकर खुद को ठंडा करने लगा....


"साली खुद को समझती क्या है, अभी मूड खराब हुआ तो दाई चोद दूँगा, लवडा समझ के क्या रखी है मुझे..."

मैं बहुत देर तक एक कोने मे अकेले बैठ कर एश को बुरा-भला कहता रहा लेकिन मेरा गुस्सा था कि ठंडा होने का नाम ही नही ले रहा था...ऑडिटोरियम मे बाकी स्टूडेंट्स भी आ गये थे बस छत्रपाल किसी कोने मरवा रहा था....

"आज उस बीसी छत्रपाल ने ज़्यादा होशियारी छोड़ी तो मारूँगा म्सी को...फिर लवडे की सारी आंकरिंग गान्ड मे घुस जाएगी दयिचोद साला..."मेरा गुस्सा एसा से डाइवर्ट होकर छत्रपाल पर आ गया .

"गुड मॉर्निंग...सर, इतने अकेले क्यूँ बैठे हो..."

आवाज़ सुनकर मैने आवाज़ की तरफ अपना चेहरा किया तो देखा कि आराधना खड़ी थी और मंद-मंद मुस्कान के साथ अपने हाथ मे एक पेपर लिए खड़ी थी....

"क्या है..."मैने चहक कर कहा, जिससे वो थोड़ा पीछे हो गयी...

"गुस्सा क्यूँ होते हो सर, बस इतना ही तो पुछा कि आप अकेले क्यूँ बैठे हो..."

"तुझसे कोई मतलब कि मैं यहाँ कोने मे बैठू या सामने स्टेज पर लेटा रहूं...मेरा मन मैं चाहे तो ऑडिटोरियम के छत पर जाकर बैठू, तुझे क्या...और यदि तूने अगली बार मुझे सर कहा तो तेरा गला दबा दूँगा...अब भाग यहाँ से..."

जो गुस्सा एश या फिर छत्रपाल पर उतारना चाहिए था, वो उस बेचारी आराधना पर उतर गया...किसी महान आदमी ने सही ही कहा है कि हर वक़्त उंगली नही करनी चाहिए...और आराधना ने वही उंगली करने वाला काम कर दिया था. मेरा ऐसा रौद्र रूप देखकर आराधना वहाँ से तुरंत भाग खड़ी हुई और मैं वही तब तक बैठा रहा जब तक छत्रपाल ने मेरा नाम लेकर मुझे स्टेज पर नही बुला लिया.....

आज छत्रपाल ने अपने उन 6 स्टूडेंट्स को सेलेक्ट कर लिया था, जो गोल्डन जुबिली के फंक्षन मे आंकरिंग करने वाले थे और उन 6 स्टूडेंट्स मे से मैं और एश भी थे...आराधना को छत्रपाल ने अडीशनल के तौर पर सेलेक्ट किया था,ताकि बाइ चान्स यदि कोई किसी कारणवश फंक्षन मे ना आ पाए तो आराधना उसकी भरपाई कर दे.....
.
जिन 6 स्टूडेंट्स को छत्रपाल ने सेलेक्ट किया था, उनमे से 3 लड़के और 3 लड़किया थी और अब 2-2 के ग्रूप बनने वाले थे.
अकॉरडिंग तो छत्रु, हर ग्रूप मे एक लड़का और एक लड़की रहने वाले थे ,इसलिए मैं इस समय स्टेज पर खड़ा होकर यही दुआ कर रहा था कि एश मेरे साथ ना फँसे वरना मेरे हाथो उसका खून हो जाएगा....लेकिन उस म्सी छत्रपाल ने वही किया, जो मैं नही चाहता था...साले ने मुझे एश के साथ जोड़ दिया और हाथ मे दो पेज पकड़ा कर माइक के पास जाने के लिए कहा....

मेरी किस्मत भी एक दम झंड है. जो मैं चाहता था, छत्रपाल ने सेम टू सेम वैसा ही किया था...मतलब कि मैं सेलेक्ट भी हो गया था और मेरी जोड़ीदार एश बनी थी...लेकिन मुझे अब ये पसंद नही आ रहा था....जब छत्रपाल ने 7 को सेलेक्ट करके बाकियो को ऑडिटोरियम से बाहर का रास्ता दिखाया तो मैने सोचा कि छत्रु के पास जाकर ये कहा जाए कि 'सर, मुझे एश के आलवा किसी और के साथ रख दीजिए' लेकिन फिर मैने ऐसा नही किया...

मैने ऐसा इसलिए नही किया क्यूंकी मेरा प्यार एश के लिए उमड़ आया था बल्कि इसलिए क्यूंकी मुझे पूरा यकीन था कि एश ,छत्रपाल सर के इस सेलेक्षन पर ऑब्जेक्षन ज़रूर उठाएगी...और जब एश ये काम करने ही वाली थी तो फिर मैं क्यूँ अपना नाम खराब करू क्यूंकी वैसे भी मेरा नाम बहुत ज़्यादा खराब है.
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मैं छत्रपाल के पास ही स्टेज पर खड़ा था और जब एश को स्टेज पर अपनी तरफ आते देखा तो मेरा पारा फिर चढ़ने लगा....जहाँ एक ओर मैं इतना गरम हो रहा था,वही दूसरी तरफ एश ऐसे शांत थी...जैसे हमारी लड़ाई कुच्छ देर पहले ना होकर एक साल पहले हुई हो....एश के शांत बर्ताव के बाद भी मुझे उम्मीद थी कि वो च्छत्रु के पास जाएगी और मेरे साथ आंकरिंग करने को मना कर देगी, लेकिन वो चुप-चाप स्टेज पर आई और मेरे बगल मे आकर खड़ी हो गयी.....

"जाना...जाती क्यूँ नही छत्रु के पास और जाकर बोल दे कि तुझे मेरे साथ रहना पसंद नही..."एश जब मेरे बगल मे खड़ी हुई तो मैने चीखे मार-मार कर खुद से कहा....

छत्रपाल ने हम दोनो की तरफ हाथ किया और स्टेज पर थोड़ा आगे आने के लिए कहा...फिर वो हम दोनो से बोला...
"स्टार्टिंग के थर्टी मिनिट्स तुम दोनो आंकरिंग करोगे , ओके...उसके बाद 20-20 मिनिट्स तक बाकी के दो ग्रूप आएँगे जिसके बाद तुम दोनो फिर से आंकरिंग करोगे...."एश के हाथ मे एक पेज पकड़ाते हुए छत्रपाल ने कहा"ये मेरा इनिशियल प्लान है ,बाकी का बाद मे बताउन्गा....अब तुम दोनो, अरमान और एश..शुरू हो जाओ..."
.
छत्रपाल ने 'शुरू हो जाओ' ऐसे बड़े आराम से कह दिया ,जैसे उसके बाप का राज़ हो. एश का तो पता नही लेकिन मैं इस वक़्त बिल्कुल भी मूड मे नही था और सबसे अधिक हैरानी मुझे इस बात से थी कि एश हम दोनो के सेलेक्षन पर कोई ऑब्जेक्षन क्यूँ नही उठा रही, क्यूंकी जितना मैने एश को समझा है उसके अनुसार वो एक नकचड़ी लड़की है....लेकिन इस वक़्त वो एक दम शांत थी और मेरे साथ ऐसे खड़ी थी,जैसे कि हम दोनो के बीच कुच्छ हुआ ही ना हो...साला सच मे लौन्डियोन को समझने की कोशिश करना मतलब खुद के गले मे फाँसी लगाने के बराबर है....
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मुझे नही पता कि एश उस समय स्टेज पर क्या सोचकर छत्रपाल के सेलेक्षन का विरोध करने के बजाय चुप-चाप खड़ी थी लेकिन मेरे लिए अब समय के साथ बीत रहा हर पल, हर सेकेंड मुझे जैसे धिक्कार रहा था और जब ये असहनिय हो गया तो मैं खुद छत्रपाल के पास गया....

"सर, मेरी उस लड़की से थोड़ी सी भी नही बनती...क्या आप मुझे किसी और के साथ फिट कर सकते है ? "धीमे स्वर मे मैने छत्रपाल से कहा...

"बकवास बंद करो और जाकर उसके साथ खड़े रहो...मैं यहाँ तुम्हारी पसंद की लड़की के साथ तुम्हारी जोड़ी बनाने का काम नही कर रहा हूँ...समझे,.."दाँत चबाते हुए छत्रपाल ने मुझसे कहा...

"लेकिन सर, वो लड़की मुझे ज़रा भी पसंद नही है... मतलब कि वो गौतम की करीबी है और आपको तो पता ही होगा कि हमारे बीच क्या हुआ था..."पुरानी कब्र खोदते हुए मैने अपना पक्ष मज़बूत करना चाहा...ताकि छत्रपाल मान जाए.

"मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता कि तुम कौन हो और वो कौन है...यदि गोल्डन जुबिली के फन्शन मे आंकरिंग करनी है तो उसी के साथ करो...नही तो गेट उधर है,वहाँ से बाहर जाओ और फिर दोबारा कभी मत आना..."
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मैने आज तक कॉलेज मे सिर्फ़ ऐसे ही काम किए थे, जिससे मेरा नाम सिर्फ़ खराब हुआ था लेकिन गोल्डन जुबिली के फंक्षन मे आंकरिंग करके मैं थोड़ा नाम कामना चाहता था ताकि मेरे यहाँ से जाने के बाद लोग मुझे सिर्फ़ मेरी बुराइयो के कारण याद ना रखे....वो जब भी गोल्डन जुबिली के फंक्षन का वीडियो देखेंगे तब-तब वो मुझे याद करेंगे और मेरे कॉलेज की लड़किया जो यदि 10 साल बाद भी मेरे कॉलेज मे आएँगी वो गोल्डन जुबिली के उस सुनहरी शाम के वीडियो मे मुझे आंकरिंग करता देख ,आपस मे ज़रूर पुछेन्गि कि' यार ये हॅंडसम बॉय कौन है ' . ये सब, जैसे मेरा दिमाग़ मे बैठ चुका था और मुझे यकीन था कि फ्यूचर मे ऐसा ही होगा....इसलिए मैने उस दिन ऑडिटोरियम मे छत्रपाल की बात मान ली और उसके कहे अनुसार चुप-चाप एश के पास जाकर खड़ा हो गया.....लेकिन मैं तब भी हैरान हुआ था और आज भी हैरान हूँ कि आख़िर एश ने उस दिन कोई ऑब्जेक्षन क्यूँ नही उठाया ?
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"वेट...वेट...वेट..."वरुण ने मेरा मुँह दबाकर मुझे रोकते हुए बोला"बस एक मिनिट रुक, मैं मूत कर आता हूँ..."

"ये ले...सालाअ...चूतिया.."

"बहुत देर से कंट्रोल करके बैठा था,लेकिन अब और कंट्रोल नही होता...बस एक मिनिट मे आया..."बोलते हुए वरुण अपना लंड दबाते हुए बाथरूम की तरफ भागा....
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"मतलब कि तू ये कहना चाहता है कि एश तेरे ही ग्रूप मे रही...हाऐईिईन्न्न..."

"अब तू ए.सी.पी. प्रद्दूमन जैसे फालतू सवाल करेगा तो मैं तेरी जान ले लूँगा, समझा..."सिगरेट को होंठो के बीच फसाते हुए मैने आगे की कहानी बयान करनी शुरू की...
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