Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-29-2021, 12:06 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
ज्योति अपनी सेक्सी गाण्ड अक्टिवा की सीट पर रखती है और रीत को कहती है- “मेरी जान जब तुझे पता चलेगा ना, तो तू भी नंगी होकर अपने घर से बाहर निकला करेगी.” कहते-कहते ज्योति धीरे-धीरे अपने हाथ रीत के चूतड़ों पर फेरने लगती है।

रीत के जिश्म में इससे करेंट चलने लगता है और वो कहती है- “आहह... स्स्सीई... मैंने कितनी बार तुझे कहा है, की ये सब मेरे साथ तू ना किया कर..."

ज्योति- चल ठीक है, अच्छा ये बता मम्मी का तूने कोई नया सीन देखा या नहीं आज?

रीत अक्टिवा चलते हुए स्टार्ट करती है और दोनों मार्केट की और निकल जाती हैं।

रीत- हाँ यार, अभी घर से निकलने से पहले, जब मैं तैयार होकर नीचे आई तो मैंने देखा की प्यारेलाल अंकल ड्राइंग रूम से बाहर निकल रहे थे, और उनके साथ ही मम्मी भी अपनी कमीज ठीक करते हुए बाहर जा रही थी।

ज्योति- हाँ पक्का आज कुछ ना कुछ हुआ है, उन दोनों के बीच। अच्छा ये बता तेरी मम्मी अपनी कमीज कहां से सेट कर रही थी।

रीत- ऊपर से।

ज्योति- ऊपर कहां जरा खुलकर बता?

रीत- यार वो अपनी चूचियों पर सेट कर रही थी।

ज्योति- हाँ पक्का आज प्यारेलाल ने तेरी मम्मी की चूचियां मसली होंगी।

रीत ये सुनकर गरम होना शुरू हो जाती है, क्योंकी जो कुछ भी ज्योति उसे कह रही थी। वो सब एक फिल्म बनकर उसके दिमाग में चलने लगा था।

ज्योति- अच्छा तूने और क्या देखा?

रीत- जब मम्मी चल रही थी, तो मैंने देखा की मम्मी की कमीज बुरी तरह से उनके चूतरों में फँसी हुई थी।

ज्योति- “आहह... हाँ पक्का आज प्यारेलाल ने अपनी उंगलियां तेरी मम्मी की चूत में डाली होंगी..”

रीत- हाँ यार, अब क्या कह सकते है?

ज्योति- कहीं आज प्यारेलाल ने काम ही तो नहीं कर दिया तेरी मम्मी का?

रीत- नहीं यार, ऐसा नहीं हो सकता।

ज्योति- एक बात तो है की तेरी मम्मी भी पूरी जुगाड़ ही है।

रीत- क्यों जुगाड़ लगती है तुझे मेरी मम्मी?

ज्योति- क्योंकी उनका सामान ही इतना भारी है। तू ही देख तेरी मम्मी के इतनी बड़ी-बड़ी और मोटी-मोटी चूचियां, और नीचे बड़ी और मोटी गाण्ड, ऊपर से उनपर बेगाना हाथ चला हुआ है।
रीत- फिर तो तेरी मम्मी पर भी बेगाना हाथ चला हुआ है, क्योंकी वो भी तो पूरा जुगाड़ ही है।

ज्योति- “मेरी मम्मी तो है ही बहुत बड़ा जुगाड़। कल मैंने देखा उन्हें वो पापा के दोस्त के साथ किसिंग कर रही थी। हाए मैं क्या बताऊँ मुझे कितना मजा आ रहा था। वो दोनों अपनी आँखें बंद करके एक दूसरे के होंठ सारी दुनियां को भुलाकर चूस रहे थे.."

रीत- हाए फिर तूने देखकर क्या किया?

ज्योति- मैंने तो वहीं अपनी जीन्स की जिप खोली और अपनी दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर जोर-जोर से अपनी चूत में उंगलियां करके मजे लेने लगी।

रीत- “स्स्सीईई आह्ह...”

फिर वो दोनों मार्केट में आ जाती है। वो दोनों एक कोस्मेटिक की शाप पर जाती हैं। उस दुकान में काफी भीड़ होती है। वो दोनों भीड़ में ही घुस जाती है। भीड़ में ज्योति के दिमाग में एक आइडिया आता है। वो जोर से एक थप्पड़ रीत के चूतरों पर मारती है। फिर अपनी एक उंगली रीत के चूतरों के बीच में डाल देती है।

रीत पहले से ही गरम होती है, ऊपर से जब ज्योति उसके साथ ये हरकत करती है। इससे वो पूरी हिल जाती है। फिर रीत पीछे मुड़कर अपनी आँखें निकालकर ज्योति को देखते हुए कहती है- “ज्योति बाहर निकाल.."

लेकिन ज्योति कहां मानने वाली थी, वो एक बार फिर अपनी उंगली अंदर डाल देती है। इस बार रीत की आँखें बंद हो जाती है और साथ ही उसके मुंह से सिसकारियां निकल जाती हैं। फिर ज्योति उंगली बाहर निकालकर दूसरे चूतर पर अपना हाथ फेरने लगती है।

रीत को भी अब मजा आने लगता है। पर दुकान में इतने सारे लोगों के बीच खड़ी होने की वजह से उसे डर भी लग रहा होता है। फिर रीत ज्योति के हाथ को हटने की कोशिश करती है। पर ज्योति पूरी शरारत के मूड में थी। वो अपनी हरकत से बाज नहीं आती। वो बार-बार रीत के चूतरों से पंगे लेती रहती है। फिर रीत अचानक आगे चली जाती है और वो ज्योति को चिढ़ाने लगती है। ये देखकर ज्योति भी हँसने लगती है, फिर रीत दुकान से सामान लेती है। सामान लेने के बाद वो दोनों घर की तरफ चली जाती हैं।

ज्योति रीत से पूछती है- "रीत क्या बात है, तू इतना सामान क्यों ले रही है? कोई बायफ्रेंड बन गया है क्या?"

रीत- नहीं पागल, चाचाजी के लड़के की शादी है। हम सब कल अपने गाँव जा रहे हैं एक हफ्ते के लिए।

ज्योति- अच्छा चल ठीक है, पर फिर भी अपनी मम्मी पर तू अपनी पूरी नजर रखियो समझी। देखियो कहीं गाँव में कोई तेरी मम्मी को पकड़ ले ना और खेत में लेजाकर उन्हें कोई चोद दे।

रीत- चुप कर तू ऐसा कुछ नहीं होगा।

ज्योति- एक बात बताऊँ... तेरी मम्मी के बारे में बातें करके मुझे बहुत मजा आता है।

रीत- हाँ यार मुझे भी बहुत मजा आता है, पता नहीं क्यों?

ज्योति- क्योंकी तेरी मम्मी पूरी जुगाड़ है एक नंबर की।

रीत- "बस कर ज्योति अब प्लीज़्ज़..”

ज्योति- हाए मैं क्यों बस करूँ।

रीत- क्योंकी ऐसा तू करेगी तो जरूर मैं अक्टिवा मार दूंगी किसी में।

ज्योति- “चल ठीक है, पर तू नजर रखियो अपनी मम्मी पर...” इतने में ज्योति का घर आ जाता है, और रीत उसे उसके घर छोड़कर अपने घर की ओर निकल जाती है।

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