Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-30-2021, 11:58 AM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
फिर चरणजीत और सुखजीत दोनों बस में चढ़ जाती हैं। बस पूरी भरी हुई थी। वो दोनों बस में चढ़ तो जाती हैं, पर बस में बहुत ज्यादा भीड़ लग रही थी, वो दोनों फँसकर खड़ी हुई थी। सुखजीत आगे को खड़ी हो जाती है

और चरणजीत उसके पीछे खड़ी थी। इतने में कंडक्टर सीटी मार देता है और बस चल पड़ती है। तभी दो-तीन बंदे भाग-भागके आते हैं, और बस में चढ़ जाते हैं।

इतने में कंडक्टर टिकेट लेने के आ जाता है। बस में इतनी भीड़ होती है, की जो एक बार फँस गया तो वापिस निकल नहीं सकता था। कंडक्टर अभी भी एक बूढ़ी औरत से पैसे ले रहा था टिकेट के। तभी उसकी नजर सुखजीत पर पड़ती है। वो सुखजीत की पूरी नंगी गोरी बाजू देखकर हैरान रह जाता है। क्योंकी पूरे गाँव और आस-पास के गाँव में कट-स्लीव कुर्ता कोई नहीं डालता था। कंडक्टर सुखजीत और चरणजीत को देखकर पागल हुआ जा रहा था। वो ये सोच रहा था, की ये दोनों सिरे की रांड़ आज इस लोकल बस में क्या कर रही हैं। फिर वो आगे सुखजीत की तरफ आ जाता है और बोलता है- “हाँ जी टिकेट..."

सुखजीत- “हाँ, दो टिकेट दे दो...” कहकर सुखजीत पैसे पड़का देती है।

कंडक्टर सुखजीत को टिकेट देकर सुखजीत के पीछे से निकलने लगता है। जब वो सुखजीत के पीछे से निकलता है, तो वो अपना लण्ड सुखजीत के पूरे चूतरों पर रगड़कर जाता है। भीड़ ज्यादा होने के कारण सुखजीत भी कुछ खास नहीं कर सकती थी। सुखजीत को पार करने के बाद वो सुखजीत के साथ खड़ी, चरणजीत के चूतरों पर भी अपना लण्ड रगड़ता आगे चला गया।

जब कंडक्टर आगे जाता है तो सुखजीत मीते को देखकर बोली- “मीता भाईजी, आप आज बस में कैसे?"

मीते का नाम सुनते ही चरणजीत ने पीछे मुड़कर देखा तो मीता चरणजीत को देखकर अपनी मूछों को ताव दे रहा था। और मीता सुखजीत की बात का जवाब देते हए बोला।

मीता- "बस यार, आज ऐसे ही दिल कर गया बस में सफर करने का...”

फिर कंडक्टर आगे निकल जाता है। चरणजीत एक बार फिर से नजरें घुमाकर मीता को देखती है।

मीता चरणजीत को स्माइल करते हुए बोला- “सत श्री अकाल भाभीजी.."

चरणजीत- तू यहाँ क्या कर रहा है?

मीता थोड़ा आगे आ आता है, और अपने आपको चरणजीत के जिश्म से एकदम चिपका कर बोला- जहाँ मेरी भाभी जाएगी, वहीं पर उसके पीछे मीता जाएगा..”

चरणजीत ये सुनकर शर्माकर बोली- “ओये तू थोड़ी शर्म कर ले, अपनी भाभी के साथ कैसी बातें करता है तू?"
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01-30-2021, 11:58 AM,
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मीता धीरे से अपना एक हाथ नीचे ले जाता है, और अपना वही हाथ चरणजीत के चूतरों पर फेरते हुए चरणजीत के कान में धीरे से बोला- “भाभी सारी शर्म तो मैंने तुझे दे दी है। बस थोड़े सी और बाहर निकाल अपने चूतरों को..."

जैसे ही मीते के हाथ चरणजीत के चूतर पर आता है, तो वो मस्त होने लगती है। फिर चरणजीत उसका हाथ हटाकर बोली- “ओये ना कर ये सब, हम बस में हैं इस टाइम...”

पर मीता मानता नहीं और फिर से चूतरों को मसलकर बोला- “भाभी इतनी भीड़ में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। बस भाभी तू थोड़ा सा पीछे हो जा...” कहकर मीते ने अपना हाथ चरणजीत के पल्ले के अंदर डालकर अच्छे से चरणजीत के चूतरों को मसलने लगा।

इतने में ही चरणजीत सांसें तेज हो जाती हैं। सुखजीत पीछे देखकर बोली- “बहनजी क्या हो गया, इतना सांस आपको कहां से चढ़ गया। आप ठीक तो हो ना?"

मीता पीछे से चरणजीत के चूतरों में अपनी उंगली डाल देता है। चरणजीत इससे साथ वाली सीट का हैंडल कसकर पकड़ लेती है और सुखजीत से बोली।

चरणजीत- “कुछ नहीं बहनजी, वो मुझे छींक आने वाली थी, पर आई नहीं.."

सुखजीत की नजर पीछे खड़े मीते पर पड़ती है और वो झट से समझ जाती है की पीछे क्या-क्या चल रहा है? फिर भी सुखजीत जानबूझ कर बोली- “देखो लो बहन पीछे कुछ है तो नहीं?”
चरणजीत- कोई बात नहीं बहनजी।

सुखजीत- “कोई बात नहीं क्या बहनजी? मुझे तो लगता है की मीता ही आपको नीचे लेकर आएगा..."

चरणजीत ये सुनकर शर्माकर बोली- “बहन देख ना ये हटता ही नहीं, कब से मेरे पीछे पड़ा हुआ है..."

सुखजीत- बहनजी क्या बात कर रहे हो आप? मजा तो आपको भी बहुत आ रहा है। अपना रंग तो देखो एकदम लाल हो गया है।

चरणजीत और शर्मा जाती है- “बहनजी अब मैं क्या करूँ?"

सुखजीत ये सुनकर समझ जाती है की चरणजीत भी पूरी चुदासी है और फिर सुखजीत बोली- “बहनजी लगता है, की जेठजी आपका ध्यान नहीं रखते..."

चरणजीत गरम होकर बोली- “वो कहां मेरा ध्यान क्या रखेगा, वो तो खुद सारा दिन दारू पीता रहता है...”

उधर मीता ने चरणजीत को घस्से मारने शुरू कर दिए थे। चरणजीत पूरी गरम होकर स्वाद लेते हुए सुखजीत को बता रही थी की वो कितनी प्यासी है।

इतने में सुखजीत चरणजीत को छेड़ते हुए बोली- “मीता भाईजी प्यार से करो, ये मेरी प्यारी जेठानी हैं."

मीता एक घस्सा मारकर बोला- “भाभी मैं तो प्यार से करता हूँ। पर बिटू तो निशान डाल देता है...”

चरणजीत को शक हो जाता है और बोली- “क्या बात है बहनजी? बिटू बहुत निशान डालता है। कहीं आप भी?”

सुखजीत सुनकर नजरें झुका लेती है और शर्मा जाती है।

चरणजीत घस्से मरवाते हुए बोली- “हाए बहनजी आप भी बहुत तेज हो। मैं भी सोचूँ गिधे डान्स में नाचते-नाचते आप कहाँ चली गई थी? अच्छा अब मुझे पूरी कहानी समझ में आ रही है..."

सुखजीत शर्माते हुए बोली- “मेरा भी आप वाला हाल है बहनजी..."

दोनों को एक दूसरे के राज पता चल जाते हैं। उसके बाद दोनों शहर पहुँच जाते हैं। मीता जाते हुए भी चरणजीत के चूतर मसलता हुआ आता है। शाम को चरणजीत और सुखजीत शापिंग करके वापिस आ जाती हैं।
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01-30-2021, 11:58 AM,
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कड़ी 34

इतने में रीत भी फोन पर मलिक के साथ आशिकी कर रही थी।

मलिक- अच्छा जानू अब तो एक किस दे दो।

रीत- यार आज इतना कुछ तो कर लिया है। अभी किसकी जरूरत रह गई थी?
मलिक- दे दे मेरी गुगलू मुगलू सी।

रीत- नहीं, मैं नहीं।

मलिक- ठीक है, फिर मैं अपने आप ले लेता हूँ।

रीत- हाए क्या लेनी है अपने आप।

मलिक- किस।

रीत- गंदा।

सुखजीत रूम में आती है, और रीत अपनी मम्मी को देखकर बोली- “मुआहह बाइ लोव यू बाबू मम्मी आ गई है...” कहकर रीत फोन कट कर देती है।

सुखजीत अंदर आकर बोली- “रीत बेटा क्या कर रही थी तू?"

रीत- कुछ नहीं मम्मी, मैं तो ऐसे ही टाइम पास कर रही थी।

सुखजीत- अच्छा मैं तेरे पैड ले आई हूँ मार्केट से।

रीत- ठीक है मम्मी, थॅंक यू ।

इतने में सुखजीत का फोन आता है और फोन उठाकर बोली- “हेलो.."

उधर से आवाज आई- “कैसी हो मेरी जान?

सुखजीत आवाज सुनते ही जान लेती है, की ये बिटू है। सुख के चेहरे पर स्माइल आ जाती है, और फिर बोली “ठीक हूँ जी..”

बिटू- लगता है भाभी भूल गई हैं, या भाभी की आग खतम हो गई है?

सुखजीत रूम से बाहर आ जाती है और बोली- “मेरे अंदर इतनी आग है, ना की तुझसे बुझाए नहीं बुझ सकती..."

बिटू- “अच्छा जी... आ जा फिर आज, कर जाट को गीला..."

सुख- हाए ओये टाइम का भी लिहाज कर लिया कर कभी तू।

बिटू- “ये तो टाइम है तुझे रगड़ने का, अब जल्दी से आ जा कोठी के पीछे वाले प्लाट में। मैं तेरा इंतेजार कर रहा हूँ..”

सुख- “हाए... नहीं, मुझसे नहीं आया जाएगा। सब यहीं पर हैं, ऐसे तो सबको शक हो जाएगा...”

बिटू- “ओहहहो... नहीं पड़ता किसी को शक, मेरी एक नंबर की रांड़। तू आ जा बस जल्दी से, जैसे मर्जी आ जा। आज अपनी आग से जला दे मुझे.."

सुखजीत को लगता है, की आज बिटू ने शराब पी हुई है। इसलिए आज उसकी चुदाई अच्छे से हो सकती है। इसलिए वो जवाब देते हुए बोली- “ठीक है बिटू, मैं देखती हूँ..”

सुखजीत बाहर पहले आगन में जाकर देखती है की हरपाल कहां है? हरपाल सुखजीत को कहीं नहीं दिखता। इसलिए वो वहां एक बच्चे से पूछती है, तो उससे उसे पता चलता है की हरपाल बलविंदर के साथ बाहर गया है। अब रात हो चुकी थी और अंधेरा हो गया था।

सुखजीत मोका देखकर घर से बाहर चली जाती है। वो अपने कदम जल्दी-जल्दी बढ़ाकर घर के पीछे वाली गली में चली जाती है। वहां से एक खाली प्लाट दिखता है, उसमें बहुत अंधेरा होता है।

सुखजीत इधर-उधर देखकर प्लाट के अंदर घुस गई और आवाज मारते हए बोली- "बिटट..."

इतने में बिटू सुखजीत को दीवार के साथ उल्टी लगाकर अपना लण्ड उसके चूतरों में दबा देता है।

सुखजीत चिल्लाते हुए बोली- “आह्ह... बिटू आराम से प्लीज़्ज़... तू मेरी जान ही निकाल देगा ऐसे तो...”

बिटू अपने हाथ आगे लाकर सुखजीत की चूचियां चूसते हुए, उसकी गर्दन पर किस करते हुए बोला- “हाए भाभी आराम से क्यों, मैंने तुझ कहा है ना तू आराम से बजाने वाली चीज नहीं है...”

सुखजीत- इतनी रात को तूने मुझे बुला लिया है, तू पक्का मुझे पर किसी का शक करवायेगा। जल्दी कर जो तूने करना है।

बिटू कमीज का पल्ला ऊपर उठाकर एक झटके से सुखजीत की पाजामी का नाड़ा खोल देता है। और फिर वो पाजामी को एक झटके से घुटनों तक ले आता है। बिटू सुखजीत के चूतरों पर हाथ मारता है।

सुखजीत दर्द से तड़प कर बोली- “हाए ओये ऐसा ना कर दर्द होता है..."

बिटू सुखजीत को अपनी तरफ घुमाता है और अपने होंठ सुखजीत के होंठों पर रखकर उसके होंठों को चूसने लगता है। साथ ही साथ वो कुरती के ऊपर से ही सुखजीत की चूचियों को मसलने लगता है। सुखजीत भी सेक्स के मजे लेने लगती है, और वो बिटू का पूरा साथ देती है। बिटू सुखजीत की करती उतारने लगता है।
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01-30-2021, 11:59 AM,
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सुखजीत उसे मना करती और उसे कहती है- “आप ऊपर से ही मसल लो..."

पे बिटू भला कहां मानने वाला था। बिटू ने एक ही झटके में सुखजीत की कुरती उतार दी। अब सुखजीत ऊपर से ब्रा में थी, और नीचे उसकी पाजामी उसके घुटनों तक आई हुई थी। फिर बिटू सुखजीत के होंठों को चूसते हुए, ब्रा के ऊपर से ही सुखजीत की चूचियों को मसलने लगता है।

बिटू अपनी धोती में से अपना लण्ड बाहर निकालकर बोला- "ले भाभी इसे चूसकर शांत कर..."

सुखजीत घुटनों के बल नीचे हो जाती है और बिटू का लण्ड पकड़कर चूसने लगती है। सुखजीत को बिटू का लण्ड बहुत ही मस्त लगता है।

बिटू भी लण्ड चुसवाते हुए सुखजीत से बोला- “हाए भाभी क्या लण्ड चूसती है, सच में मजा ही आ जाता है..."

सुखजीत बड़े प्यार से बिटू से का लण्ड चूसती है। बिटू धीरे-धीरे मदहोश होने लगता है। थोड़ी देर बाद बिटू अपना लण्ड बाहर निकालता है, और सुखजीत को वैसे ही दीवार के साथ उल्टा खड़ा कर देता है। फिर बिटू पैंटी को नीचे करके अच्छे से सुखजीत के चूतरों पर अपना हाथ फेरता है।

सुखजीत- आह्ह... आहह... भाईजी।

बिटू दोनों चूतरों को कसकर मसलने लगता है। सुखजीत की आँखें बंद हो जाती है, और वो मजे लेने लगती है। फिर बिटू ने अपना लण्ड सुखजीत के चूतरों के बीच में रखा और धीरे-धीरे जोर लगाकर लण्ड सुखजीत की चूत में पूरा उतार दिया।

लण्ड अंदर जाते ही सुखजीत गनगना जाती है, क्योंकी बिटू का लण्ड ही ऐसा था। फिर बिटू जोर-जोर से सुखजीत की चूत मारने लगता है, उसका हर धक्का सुखजीत को एक अलग ही मजा दे रहा था। फिर करीब 10 मिनट बाद बिटू के लण्ड का सारा पानी सुखजीत की चूत में निकल जाता है। फिर सुखजीत अपने कपड़े डालने लगती है, और जाने लगती है।

तभी बिटू उसका हाथ पकड़कर उसे अपने सीने से लगा लेता है। फिर वो उसके होंठों को चूसकर बोला- “भाभी कभी पूरी रात मुझे अपनी चूत मारने दे..."

सुखजीत- “हाई तू क्यों मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है? चल अब मुझे जाने दे...” फिर सुखजीत वापिस कोठी की तरफ चल पड़ती है। सारे डिनर करके सो जाते हैं।

दूसरी तरफ सोनू पटियाला अपने घर पर ही होता है। इन दो दिनों में उसने शीला को बहुत चोदा, और अपने दोस्तों के साथ मिलकर काफी नशा किया। रात के टाइम रिंकू और दीप दोनों अपनी कार में सोनू के घर आ जाते हैं। सोनू बैठा टीवी देख रहा होता है। वो दोनों सोनू के रूम में चले जाते हैं।

रिंकू- क्या कर रहा है मेरा बेटा?

सोनू- कुछ नहीं भाई टीवी चल रहा है।

दीप- साला सारा दिन ऐसे ही बैठा रहता है, कभी कुछ कर भी लिया कर।

सोनू- करना क्या है यार मैंने, मैंने तो वेल्ला हूँ।

रिंकू- तेरे भाई ने हिमाचल से काला माल मँगवाया है।

काले माल का नाम सुनकर सोनू खुश होकर बोला- “चल फिर दे ना जल्दी से...”

दीप- हाँ खा लियो, पर खाने से पहले चूत चाहिये होती है।

सोनू- कोई बात नहीं उसका भी जुगाड़ करते हैं।

दीप- अच्छा है चूत का जुगाड़?

सोनू- हाँ भाई चूत है, तू माल बना।

रिंकू सुनकर अपनी पाकेट में से एक पैकेट निकालता है और दी सिरगेट खोलकर उसका मसाला निकाल देता है।

और सोनू सुलफे को आग लगाकर पिघला देता है। फिर 10 मिनट के अंदर ही एक जाइंट तैयार करते हैं।

रिंकू जलाकर सोनू को पकड़ा कर बोला- “ले भाई ये पकड़... ये पक्का बहुत ही कड़क माल होगा.."

सोनू एक लंबा कश मारता है और मारते ही मदहोश हो जाता है पूरा। फिर दीप भी मारता है और फिर रिंकू। जाइंट इतना तेज होता है की एक ही कश ने सबको हिलाकर रखा दिया था।

दीप रिंकू सोनू को दुबारा पकड़ा देता है और फिर बोला- “हाँ भाई, नजारा आया या नहीं?"

सोनू नशे में- “भाई बहुत नजारा आ गया.."

दीप- भाई अब चूत का जुगाड़ कहां से करेगा?

सोनू- यार कामवाली शीला है ना उसकी मारेंगे सारे मिलकर।

रिंकू कश मारकर बोला- "ओ साले, अब हम उस फुददू की चूत मारेंगे?"

दीप जाइंट पकड़कर बोला- “उसकी ही मारनी पड़ेगी भाई। अब रीत थोड़ी आएगी हमें अपनी चूत देने...”

सोनो को इतना नशा हो जाता है की उसकी सा हो जाती है।

रिंकू- हाए भाई अगर रीत आ जाए तो मजा ही आ जाए। सुबह तक नहीं छोडूंगा।

सोनू का दिमाग खाली हो गया होता है। उसको कोई होश नहीं रहता, वो नशे में पता नहीं क्या बोलता रहता है।

दीप सोनू को हिलाकर पूछता है- “साले रीत का कमरा कहां है?"

नशे में सोनू बोला- “ये साथ वाला..."
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01-30-2021, 11:59 AM,
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कड़ी_35

इतने में दीप और रिंकू दोनों रीत के रूम में चले जाते हैं। वो रूम रीत के पर्म्यम से महक रहा था। रूम एकदम साफ सुथरा होता है, जैसे लड़कियां रखती हैं।

दीप रिंकू को कहता है- “भाई एक जुगाड़ है, जिसमें बहुत स्वाद आएगा..."

रिंकू- हाँ बोल भाई।

दीप- “जा उस कामवाली शीला को लेकर आ। उसको रीत बनाकर सोनू के सामने उसकी चूत मारेंगे। सच में बहुत मजा आएगा, जब उसकी चूत रीत बनाकर लेगें हम दोनों.."

ये सुनकर रिंकू के मुंह पर हरामी वाली स्माइल आ जाती है और वो बोला- “तू एक काम कर, रीत के सेक्सी से कपड़े निकालकर रखा। मैं उस बहन की लौड़ी को लेकर आता हूँ..."

रिंकू नीचे जाता है, शीला स्टोर में सोने की तैयारी कर रही थी। शीला का रंग रीत से काफी सांवला था। पर घर का सारा काम कर-करके उसका जिश्म बहुत सेक्सी बन गया था। रिंकू स्टोर में जाकर बोलता है- “तुझे सोनू बुला रहा है...”

शीला- इतनी रात को क्या काम पड़ गया साहब को?

रिंकू- काम है बहुत जरूरी, चल अब जल्दी चल तेरी आज लेनी है।

शीला नखरा करते हुए बोली- “साहब जी हम किसी को नहीं देते, और आप ये क्या कह रहे हो?

रिंकू- “चुप कर साली गश्ती। सब पता है मुझे तू सोनू को ₹100 रूपए में देती है। मैं आज तुझे ₹200 दूंगा..”

शीला ये सुनकर अंदर से खुश हो जाती है, और धीरे से बोली- “ठीक है फिर चलो..."

शीला ने सलवार कमीज डाली हुई थी, और वो ऊपर जाने लगती है। रिंकू शीला के चूतरों पर हाथ फेरता हुआ, उसके पीछे-पीछे आ रहा था। शीला भी उसे ठरकी अंदाज में देखकर स्माइल कर रही थी। फिर रिंकू उसे सोनू के रूम में लेकर जाता है।

दीप वहां पहले से ही रीत की रेड कलर की ब्रा पैंटी और रेड कलर का पटियाला शाही सूट लेकर खड़ा था। जैसे ही शीला अंदर आती है, वो शीला के हाथ वो सब पकड़ाकर बोला- “जा अंदर बाथरूम में डालकर आ जल्दी से..."

शीला डरते हुए बोली- “साहब जी, अगर सोनू साहब जी को पता चल गया तो पंगा हो जाायेगा..."

रिंकू- ओ तू चुप कर, और जा अंदर जल्दी से। वो नशे में डूबा हुआ है इस टाइम।

इतने में दीप सोनू को देखता है की उसका नशा थोड़ा सा टूट गया होता है। वो रिंकू को इशारा करता है। रिंकू जल्दी से अपनी पाकेट से एक और जाइंट निकालकर सोनू के पास बैठकर बोला।

रिंकू- क्या बात है, अभी भी तेरा सिर नहीं घूमा?
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01-30-2021, 11:59 AM,
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सोनू- ओह्ह... नहीं यार।

रिंकू सुट्टे को आग लगाकर बोला- “ये ले ये राजस्थानी माल है भाई..."

सोनू रिंकू का हाथ पकड़कर सुट्टे का कश मारता है। सुट्टा सच में बहुत तेज होता है। जिससे सोनू को पूरा नशा हो जाता है।

शीला थोड़ी देर में रीत की ड्रेस डालकर बाहर आती है। शीला की चूचियां रीत की चूचियों जैसे थी, इसलिए उसकी चूचियां उसके सूट में फिट बैठ गई थीं। पर उसके चूतर रीत जैसे नहीं थे, इसलिए वहां बात नहीं बनी थी। पर दीप और रिंकू दोनों पूरे नशे में होते हैं।

दीप बोला- “हाए ओये... सोनू देख तेरी बहन कहां से आ गई यहाँ?"

सोनू नशे में कुछ भी समझ नहीं रहा होता है फिर भी वो बोला- "नहीं भाई, क्या बात कर रहा है तू रीत कैसे आ सकती है यहाँ?"

वो दोनों रीत वाली फीलिंग ले रहे होते है शीला से। शीला भी ये देखकर शर्मा जाती है की ये दोनों क्या मजाक कर रहे हैं। इतने में रिंकू शीला की बाजू पकड़कर उसे सोफे पर लंबी लेटा देता है, और खुद उसके ऊपर लेट जाता है। रिंकू उसके ऊपर चढ़कर उसके गालों पर किस करते हुए बोला।
रिंकू- "तुझे शर्म नहीं आती है, तेरा भाई तेरे सामने बैठा हुआ है, और तू है की मेरे नीचे लंबी लेटी हुई है..."

शीला भी अब अपने आपको रीत समझकर बोली- “क्या करूँ मुझे मजा ही बहुत आता है, तेरे नीचे आने में..."

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रिंकू ये सुनकर शीला की चूचियों को दबाने लगता है। फिर उसके गले में से चुन्नी निकालकर, उसकी कमीज भी निकल देता है। अब शीला सलवार और रीत की रेड कलर की ब्रा में ही होती है।

रिंकू पूरा सेट हुआ होता है और वो सोनू से बोलता है- “आहह... सोनू देख अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियां। साली ने कैसे अपनी चूचियां लोगों से चुसवा-चुसवा कर बड़ी-बड़ी किए हुए है?"

सोनू थोड़े बहुत होश में ये सब देख रहा था, उसको अब थोड़ा सा गुस्सा आ रहा होता है।

पर दीप उसके पास आकर बैठ जाता है। और उसके हाथ में सुट्टा पकड़ा कर बोला- “आए हाए भाई देख आज रीत कितनी सुंदर लग रही है। रेड कलर की ब्रा में रिंकू के नीचे लेटी हुई.."

सोनू चुपचाप दीप की ये बात सुन लेता है, पर वो कुछ बोलता नहीं।

रिंकू इतने में ब्रा में शीला की चूचियां बाहर निकाल लेता है। शीला की मोटी-मोटी चूचियां देखकर रिंकू से रुका नहीं जाता, और वो उसकी चूचियां मसलता हुआ और चूसता हुआ बोला- “सोनू यार तेरी बहन की चूचियां सच में बहुत कमाल की है भाई सच में..”

दीप भी सोनू के साथ बैठा-बैठा अपने लण्ड को मसलते हुए बोला- “सोनू भाई, एक बात सच-सच बता भाई?"

सोनू- हाँ पूछ।

दीप- रीत नंगी तुझे सुंदर लग रही है ना? सच-सच बतईयो। देख उसकी चूचियां ब्रा में से निकलने को हो रही है।

सोनू को भी ये सुनकर मजा आ रहा था, और वो हाँ में सिर हिला देता है।
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01-30-2021, 11:59 AM,
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रिंकू इतने में शीला की सलवारका नाड़ा खोलकर सलवार भी निकाल देता है। शीला अब ब्रा और पैंटी में होती है। और रिंकू अपना लण्ड बाहर निकालकर सोफे पर बैठकर बोला- “हाए रीत, बता चूसेगी ना मेरा लण्ड अपने भाई के सामने?"

शीला रिंकू के लण्ड को हाथ में पकड़कर बोली- “हाँ क्यों नहीं..."

रिंकू सोनू की तरफ देखकर शीला की गर्दन को हाथ में पकड़कर बोला- “रीत तुझे कितनी भूख है मेरे लण्ड की?"

शीला मजे में बोली- “बहुत ज्यादा भूख है."

रिंकू- “हाए खुश कर दिया, अब चूस लण्ड अपने भाई के दोस्त का..”

शीला इतने में लण्ड मुँह में डालकर चूसने लगती है। ये सब बातें सुनकर सोनू और दीप पागल हो जाते हैं। सोनू नशे में ये सोच रहा था, की इतनी बेशर्म कैसे हो सकती है उसकी बहन? अच्छे से लण्ड चुसवाने के बाद रिंकू शीला को घोड़ी बना देता है और उसके चूतरों पर थप्पड़ मारकर किस करता है।

शीला- “आहह... आ दर्द हो रहा है, मत मारो ऐसे..."

| ना मारूं साली?

फिर रिंकू सोनू की तरफ देखते हुए, शीला के चूतरों पर हाथ फेरते हुए बोला- “हाए सोनू, तेरी बहन के चूतरों ने तो पागल कर दिया है लड़कों को...”

सोनू को ये सुनकर मजा आता है, पर वो शो नहीं करता। इतने में रिंकू शीला की पैंटी को उतार देता है। उसके बाद वो अपना लण्ड शीला के चूतरों पर रगड़ने लगता है। इससे शीला गरम हो जाती है, पर सोनू और दीप ये सब लाइव देख रहे थे। उन दोनों का बहुत बुरा हाल हो जाता है। रिंकू एक झटके में अपना लण्ड शीला के अंदर पूरा डाल देता है।

शीला के मुँह से आवाज निकली- “आह्ह.. उई माँ मर गई..”

दीप सोनू को बोला- “सोनू कैसे लग रहा है, तुझे अपनी बहन की चुदाई अपने ही दोस्त से होती हुई देखकर?"

सोनू का लण्ड दीप के मुँह से ऐसी बातें सुनकर एकदम खड़ा हो जाता है, और वो अपना लण्ड मसल लेता है।

दीप- हाए देख उसके चूतर कैसे ऊपर-नीचे हो रहे हैं। साले इन चूतरों ने ही तो सबको पागल किया हुआ है।

सोनू लण्ड मसलते हुए बोला- “आह्ह... आह्ह
.."
दीप- सोनू रीत की चूचियां देख, कैसे ब्रा में से निकलकर हिल रही हैं। जैसे-जैसे रिंकू पीछे से धक्का मारता है।

सोनू अपना लण्ड अपने हाथ से हिलाने लगता है, और साथ-साथ दीप की बातें भी सुन रहा था।

दीप- एक बात कहूँ?

सोनू- हाँ बोल।

दीप- जिस तरह तेरी बहन घोड़ी बनी हुई है रिंकू के सामने?

सोनू- हाँ।

दीप- मुझे लगता है की ऐसी घोड़ी, वो काफी लड़के के आगे बन चुकी है।

सोनू अब अपने लण्ड को जोर-जोर से हिलाते हुए बोला- “अच्छा..."

दीप- हाँ भाई बहुत बजाई है लोगों ने, इसको नंगी कर-करके घोड़ी बनाया है।

सोनू का जिश्म एकदम अचानक अकड़ जाता है और उसका बीच में ही निकल जाता है। और जैसे ही उसके लण्ड का पानी निकलता है, वो बेड पर लम्बा लेट जाता है।

उधर रिंकू शीला की चूत मारकर हट जाता है। और फिर दीप उसके ऊपर चढ़ जाता है। दोनों ने सारी रात शीला को रीत समझकर बहुत बजाया।

सुबह शीला को उन्होंने 500 रूपए दिए और कहा- “रीत के कपड़े और ब्रा अच्छे से सेट करके वहीं रखा दियो..." कहकर वो वहां से चले जाते हैं।

सोनू की भी नींद सुबह देर से खुलती है, और रात वाली घटना उसके दिमाग में सपने की तरह बनकर रह जाती
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01-30-2021, 11:59 AM,
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कड़ी 36

अगले दिन सुबह हो जाती है, और आज शगुन का दिन होता है। लड़की वाले शगुन लेकर लड़के वालों के घर आते हैं। शगुन का टेंट गाँव के पास वाली बलविंदर की जमीन पर लगा होता है। वहां ही टेंट लगाकर उस जगह को बहुत अच्छा बना दिया था। सब तैयार होने में लगे हुए थे। शगुन 11:00 बजे होना था, इसलिए सब उससे पहले तैयार होने में लगे हुए थे।

9:00 बजे गये होते हैं, और चांदनी का काम पूरा हो जाता है। चांदनी किचेन से बाहर निकालकर फोन पर बात करते हुए बोलती है।

चरणजीत- “हाए ओये फूल अभी तक पहुँचे नहीं। शगुन का टाइम होने वाला है, जल्दी से जल्दी फूल वहां पहुँचा..” ये कहकर वो फोन कट कर देती है। और बाहर को जाती हुई वो बलविंदर को आवाज मारती हुई बोली "जरा सुनो जी...”

बलविंदर- हाँ बोल मेरी भागवान।

चरणजीत- ओहह... हलवाई को भेज देना था वहां।

बलविंदर- अभी भेज देता हूँ।

इतने में सुखजीत बाहर आती और कहती है- “बहनजी आप इतनी टेन्शन क्यों ले रहे हो? सारे काम अपने आप हो जाने हैं..”

चरणजीत- बहनजी क्या करें पहली शादी है, टेन्शन तो अपने आप हो जाती है।

सुखजीत- चलो अब तैयार हो जाओ, सारे प्रबंध अपने आप हो जाने हैं।

चरणजीत- बहनजी, वो मैंने एक पार्लर वाली को बुलाया था, वो आई है या नहीं?

सुखजीत- हाँ बहनजी वो कब की आई हुई है। वो कब से आपका ही इंतेजार कर रही है।

फिर सुखजीत और चरणजीत दोनों चरणजीत के रूम में चली जाती हैं। सुखजीत चरणजीत से पूछती है- “बहनजी आज आपने डालना क्या है?"

चरणजीत- “बहनजी, मैं दो-तीन सूट लेकर आई हूँ। पर मुझे ये समझ में नहीं आता की मैं कौन सा सूट डालूं?

सुखजीत- आप मुझे दिखाओ बहनजी।

चरणजीत अपने तीन सूट निकालकर सुखजीत को दिखाती है।

सुखजीत को उन सूट्स में से एक गुलाबी रंग का सूट काफी पसंद आता है, और वो सूट चरणजीत को देती हुई बोली- “लो बहनजी आप इसे ट्राई करो।

फिर चरणजीत वो सूट लेकर बाथरूम में चली जाती है। चरणजीत 5 मिनट बाद बाथरूम से वो सूट डालकर बाहर आई।

सुखजीत उसको देखकर बोली- “बहनजी बात बनी नहीं। सब कुछ देखा-देखा सा लग रहा है..."

चरणजीत- “ओहहो... बहनजी लड़के की माँ पर तो देखे हुए सूट ही अच्छे लगते हैं..”

सुखजीत- “ओहो... बहनजी आजकल सब कुछ चलता है। वैसे इस सूट में जब आपको मीता देखेगा, तो उसका कुछ भी नहीं हिलना...”

चरणजीत सुखजीत की ये बात सुनते ही शर्माकर बोली- “बहनजी आप भी ना.."

सुखजीत- "बहनजी इसमें शर्माने वाली क्या बात है। ऐसी बातें तो अब हम दोनों आपस में कर ही सकती है। पर अब आप खुद ही देखो इस सूट का कमीज कितना बड़ा है। आपके चूतर भी नहीं दिख रहे हैं...”

सुखजीत के मुँह से ये बात सुनकर चरणजीत हैरान हो जाती है, और वो जवाब देते हुए बोली- "बहनजी इस उमर में चूतर कौन दिखाता है...”

सुखजीत आँख मारकर बोली- “बहनजी इस उमर में तो असली मजा आता है, चूतर दिखाने का..”

चरणजीत- बहनजी मुझे अच्छे से पता है, मजा तो आपको आता है अपने चूतर दिखाने का बिटू को।

सुखजीत शर्माकर बोली- “बहनजी उसने तो देखे भी हुए हैं, और खाए भी हुए हैं."

चरणजीत- हाए बहनजी आप तो सच में बहुत चालू हो।

सुखजीत उसके पास जाकर चूतरों पर थप्पड़ मारकर बोली- “अच्छा बहनजी कल कौन बस में अपने चूतर मीते से रगड़ रही थी?"

चरणजीत थोड़ी गरम हो जाती है और बोली- “हाए क्या करूँ बहनजी उस टाइम मजा ही बहुत आ रहा था...”

सुखजीत- “बहनजी अगर वो वाला मजा आज भी लेना है, तो ये सूट चेंज करो अभी..." और सुखजीत एक और सूट चेक करके चरणजीत को देती है।

चरणजीत सूट पकड़कर चेंज करने के लिए अंदर जा रही थी। पर सुखजीत चरणजीत का हाथ पकड़कर बोली- “बहनजी कहां जा रहे हो? आप यहीं पर चेंज कर लो ना। यहाँ कौन देख रहा है?"

चरणजीत- बहनजी आज तक मैंने कभी खुले में कपड़े चेंज नहीं करे हैं।

सुखजीत- अच्छा अच्छा खुले में अपने चूतर मसलवा सकती हो आप, पर खुले में कपड़े चेंज नहीं कर सकती।
Reply
01-30-2021, 12:01 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
चरणजीत- बस करो बहनजी अब। आपने तो मेरी मार ही ली है आज।

सुखजीत चरणजीत के पास जाती है, और चरणजीत का पल्ला पकड़कर उसका सूट उतार देती है। चरणजीत ने सफेद कलर की ब्रा डाली हुई थी। जो चरणजीत की मोटी-मोटी चूचियों की वजह से फटने वाली हो रखी थी।

चरणजीत- “हाए बहनजी, इतनी जोर से सूट उतारने की क्या जरूरत थी, आराम से उतार लेते.."

सुखजीत- बहनजी वो बात ये है, की मैंने आपकी चूचियां देखनी थी।

चरणजीत- क्यों बहनजी?

सुखजीत- अभी भी कमाल की है आपकी चूचियां।

चरणजीत- कमाल की तो होनी ही है, क्योंकी सरदार इसे हाथ तक नहीं लगाता।

सुखजीत- “हाए फिर किसी बाहर वाले से हाथ लगवा लो ना बहनजी..” और कहते ही सुखजीत चरणजीत का नाड़ा खोल देती है।

नाड़ा खुलते ही सलवार चरणजीत के पैरों में आ जाती है, और वो सिर्फ ब्रा पैंटी में रह जाती है। चरणजीत की मोटी-मोटी चूचियां और गोरे चूतड़ सुखजीत के दिल को खींच रहे थे।

सुखजीत- “बहनजी अगर मीता ने आपको इस हालत में देख लिया, तो उसने उसी टाइम आपका काम कर देना

चरणजीत- “आहह... बहनजी वो तो कभी से मेरी लेने के चक्कर में है। पर मैं ही उसे नहीं देती, क्योंकी मुझे डर लगता है की कहीं कोई पंगा ना पड़ जाए, कहीं किसी को पता ना लग जाए...”

सुखजीत- नहीं पड़ता कोई पंगा, मैं भी तो अपनी चूत बिटू को उसके घर ही देकर आई हूँ। किसी को कुछ पता नहीं चला।

चरणजीत- बहनजी आप तो पूरी एक्सपर्ट हो ना इसलिए।

सुखजीत- बहनजी क्या करें? जब घर में मजा नहीं आता एक औरत को तो उसे मजा बाहर लेना ही पड़ता है। और बहन इस सूट के नीचे आपको ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी डालनी पड़ेगी।

चरणजीत आल्मिरा से अपनी एक ब्लैक कलर की ब्रा पैंटी निकलती है, और सुखजीत के सामने ही अपनी पहनी हुई ब्रा पैंटी उतार देती है। चरणजीत की मोटी-मोटी गोरी चूचियां एकदम आजाद हो जाती हैं। और चरणजीत की चूचियों के काले निपल एकदम खड़े होते हैं।

सुखजीत चरणजीत की चूचियों को देखकर बोली- “हाए बहनजी आप तो अपनी जवानी संभाल कर बैठे हो अभी तक..."

चरणजीत मुश्कुराकर काले रंग की ब्रा पैंटी डालने लगती है। नई ब्रा होने की वजह से ब्रा थोड़ी टाइट होती है। जिस वजह से चरणजीत से अपने आप ब्रा के हुक नहीं लग रहे थे। वो सुखजीत को ब्रा के हक लगाने के लिए कहती है। सुखजीत ब्रा के हुक लगाने की कोशिश करती है। पर उससे भी हक नहीं लगते।

सुखजीत- “लगता है बहनजी आपकी चूचियां और मोटी हो गई हैं।

चरणजीत- बहनजी जरा खींचकर बंद करो ना।

सुखजीत खींचकर हक लगा देती है, और चरणजीत की चूचियां टाइट होकर खड़ी हो जाती है। फिर चरणजीत अपनी पैंटी उतार देती है, सुखजीत चरणजीत के गोरे मोटे चूतर देखकर उसे हाथ में भरकर मसल देती है। चूतर मसलते ही चरणजीत की आँखें बंद हो जाती हैं।

चरणजीत- आह्ह... स्स्सीई हाए बहनजी आप ये क्या कर रहे हो?

सुखजीत- बहनजी एक बात बताऊँ।

चरणजीत- हाँ पूछो।

सुखजीत- शादी के बाद कितने बंदों से हाथ फेरवाया है आपने?

चरणजीत- ये क्या बात कर रहे हो आप बहनजी?

सुखजीत तभी एक हाथ से चूतर और जोर से दबा देती है, और एक हाथ से अपनी उंगली उसकी गाण्ड में डाल देती है। इससे चरणजीत पूरी गरम हो जाती है, और गरम होकर अपनी सारी सचई सुखजीत को बता देती है।

चरणजीत- बहनजी, शादी के बाद मैंने अभी तक दो बंदों से हाथ फिरवाया हुआ है।

सुखजीत ये सुनते ही समझ जाती है, की चरणजीत भी चालू है, कहा- “हाए बहनजी कौन-कौन है वो?"

चरणजीत- एक मीता और एक शमशेर।

सुखजीत- हाए शमशेर कौन है बहनजी?

चरणजीत- अपने गाँव का पोस्ट मास्टर है।

सुखजीत- हाए पोस्ट मास्टर से भी हाथ फिरवा लिया बहनजी आपने, आप तो सच में कमाल हो।
***** *****
Reply
01-30-2021, 12:02 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_37
सुखजीत और चरणजीत फिर दोनों रूम से बाहर निकल जाती हैं।

सुखजीत भी तैयार हो जाती है, और अपने हुश्न का जवाला सबको दिखा रही थी। सुखजीत ने आज ब्लैक कलर का सूट डाला हुआ था। जो कट-स्लीव होता है, पीछे वाला गला पूरा नंगा था, जिश्म पर डोरियां लगी हुई थी। पर डोरियों में से सुखजीत का नंगा जिश्म साफ-साफ दिख रहा था। सुखजीत ने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे, जो उसने अपने बाल आगे को कर रखे थे। सुखजीत की मोटी-मोटी चूचियां बाहर की ओर निकली हुई थीं, जो उसकी कमीज को फाड़ने वाली थीं।

सुखजीत की कमीज का पल्ला काफी छोटा था, इसलिए उसके दोनों चूतर साफ-साफ दिख रहे थे। सुखजीत एकदम पूरी-पूरी पंजाबन लग रही थी। जिसको देखकर हर किसी का लण्ड हरकत में आ गया था। पिंकी और रीत भी किसी से कम नहीं लग रही थीं।

रीत ने नारंगी रंग की छोटी सी कमीज डाली हुई थी, और नीचे ग्रीन कलर की पटियाला शाही फलवी सलवार। रीत की कमीज सिर्फ उसके चूतड़ों तक ही आ रही थी। पीछे से उसके दोनों चूतर अपनी पूरी शेप में दिख रहे थे। पीछे वाले गला काफी बड़ा था, इसलिए उसका नंगा जिश्म साफ-साफ दिख रहा था। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां कहर मचा रही थीं। रीत की पतली सी कमीज में से उसकी ब्लैक कलर की ब्रा साफ-साफ दिख रही थी।

पिंकी भी मस्त लग रही थी। पिंकी ने पिंक कलर का सूट डाला हुआ था। उसकी चूचियां वैसे ही इतनी बड़ीबड़ी थीं, ऊपर से उसने सफेद कलर की टाइट ब्रा डालकर अपनी चूचियां और टाइट कर लिए थे। और उसकी गाण्ड तो रणबीर ने मार-मारकर बाहर निकाली हुई थी। शगुन लग रहा होता है। पर जब शगुन में रीत और पिंकी जाती हैं, तो वहां चार चाँद लग जाते हैं।

चरणजीत काम में बिजी होती है और सुखजीत बैठकर सब कुछ देख रही होती है।

शगुन लग चुका था, और सब खाने की तरफ चले जाते हैं। उधर ही बिटू और मीता बैठकर दारू पीकर फ्री हो जाते हैं। अब वो लंच करने लगते हैं। रीत और पिंकी भी सुखजीत के साथ होती है। उन तीनों को एक साथ देखकर ऐसा लग रहा था, मानो वो तीनों सगी बहनें हो।

लड़की वालों की तरफ से काफी जवान सुंदर लड़के आए हुए थे। जिन सबकी नजर सुखजीत पर होती हैं। दर्शल बात ये थी, की आज सुखजीत पहले से ज्यादा और जरूरत से भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। उसने आज अपनी बेटी रीत और पिंकी को भी पीछे छोड़ दिया था।

बिटू की नजर भी आज सुखजीत से लड़ जाती है और वो कहता है- “भाभी मस्त लग रही हो.."

सुखजीत सबसे आँख बचाकर शर्मा जाती है।

पिंकी भी अपनी चाची सुखजीत को छेड़ते हुए बोली- “चाची एक बात कहूँ?"

सुखजीत- हाँ जी बेटा बोलो।

पिंकी- आज आप रीत की छोटी बहन लग रहे हो।

सुखजीत शर्माकर बोली- बेटा आप मजाक बहुत अच्छा कर लेते हो।

पिंकी- “हाहाहाहा... नहीं चाची सच्ची। देख लेना आज कोई आपको पसंद ना कर ले कुँवारी समझकर..."

रीत भी मजाक करते हुए बोली- “हाए... अगर मम्मी को कोई पसंद करके शादी करके ले गया, तो मेरा और पापा का क्या बनेगा?"

सुखजीत- “चल हट पागल..” और तीनो हँसने लगती हैं।

दूसरी तरफ मीता चरणजीत के चक्कर में था, आज भी उसका लण्ड चरणजीत को देखकर मचल रहा था। मीता चरणजीत के आगे-पीछे ही घूम रहा था, और जब उन दोनों की आँखें मिलती तो वो दोनों मुश्कुरा देते।

इतने में बलविंदर चरणजीत के पास आता है और बोलता है- “भागवान... जौन से बाक्स में गोल्ड का सेट डाला था, वो बाक्स तू लेकर आई या नहीं?"

चरणजीत- हाए रब्बा... वो मैं भूल ही गई जी।

बलविंदर- मैं तो बिजी हूँ, तू किसी को साथ लेकर चली जा और जल्दी से लेकर आ।
चरणजीत कार की चाभी दो।

चरणजीत सुखजीत के पास आती है और उसको साथ लेकर जाती है। सुखजीत जाने के लिए मान जाती है पर वो बोली- “एक मिनट बहनजी, मैं रीत के पापा को कह दूँ एक बार..."

सुखजीत हरपाल के पास जाती है और हरपाल मीता और बिटू के साथ बैठकर पेग खींच रहा था। सुखजीत हरपाल के पास कर धीरे से बोली- “सुनो जी मैं घर जा रही हूँ, चरणजीत बहनजी के साथ कुछ सामान लेने के लिए..."

ये सुनते ही मीते और बिटू के कान खड़े हो जाते हैं, और हरपाल से नजर बचाकर सुखजीत बिटू को सेक्सी सी स्माइल देती है और अपनी गाण्ड मटकाकर वहाँ से चली जाती है। बिटू मीता को देखकर इशारा करता है।

चरणजीत और सुखजीत दोनों कार में जा रही थी, बीच में ही सुखजीत चरणजीत को छेड़ते हुए बोली- “बहनजी फिर आपने किस-किस का खड़ा किया शगुन में?"

चरणजीत हँसते हुए बोली- “बहन पता नहीं, मैंने कौन सा चेक किया है सबका?"

सुखजीत- हाँ जी आपने तो मीता का ही चेक करना होगा।

चरणजीत शर्माते हुए बोली- “मीता तो मोके का फायदा उठाने वाला है, जैसे बिटू है.."

सुखजीत बिटू का नाम सुनते ही शर्माकर धीरे से बोली- “मोका तो मैं अभी देकर आई हूँ..”

चरणजीत- वो कैसे बहनजी?

सुखजीत- अभी पता चल जाएगा बहनजी।
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