Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का
09-25-2018, 01:33 PM,
#27
RE: Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का
"क्या अजीब बात है यार..जब जब पिक देखने बैठता हूँ तब तब ही मम्मी की पिक सामने आ जाती है. मेरा तो सारा मजा ही ख़राब कर के रख दिया है मम्मी ने....कितनी मेहनत कर के तो ये सब डाउनलोड किया था. दो दो दिन तक वेट किया लेकिन अब ये बखेड़ा खड़ा हो गया...मुझे रानी के साथ पिक्स नहीं देखनी चाहिए थी..उस समय अगर रानी न होती वहां तो मैं तो पिक्स देखता रहता. एक दो पिक अगर मम्मी की इस टाइप की हैं भी तो क्या हर्ज है. उनका घर है. इस घर में उनकी पिक नहीं होंगी सिस्टम में तो किसकी पिक होंगी. इसमें इतनी बड़ी बात थोड़ी न है...और फिर वो दूसरी लोगों की पिक्स भी तो थी...हाय क्या एक से एक माल आती हैं हमारे घर में...मैं भी पागल हूँ की घर की नौकरानियों के चक्कर में था..यहाँ तो इतनी सारी सहेलियां हैं मम्मी की और सब एक से एक बढ़ कर है और गरम भी हैं..इस इस तरह के कपडे पहन के आती हैं....ऐसी पार्टी में ऐसे कपडे पहनने वाली तो जरुर मजे करने के लिए ही आती होगी.....मैं पहले क्यों नहीं आ गया घर में...घर बैठे बैठे ही इतने सारे माल मिल जाते मुझे....लेकिन यार कहीं ऐसा न हो की इसमें से कोई मम्मी की बहुत खास हो और सब बात शेयर करती हो उनसे.....मैंने अगर किसी पर लाइन मारी और उसने मम्मी से बता दिया तो क्या होगा???? होगा क्या अगर मम्मी कुछ कहेंगी तो मैं भी कह दूंगा की मैं तो बस ऐसे ही उनसे फ्रैंक हो के बात कर रहा था उन्ही को कुछ शक हुआ होगा....मम्मी मेरी बात मानेंगी या अपनी सहेली की बात मानेंगी??? मेरी ही बात मानेंगी...यार कितना मजा आ जाये न अगर मम्मी को भी मेरी बात समझ में आ जाये और वो मुइझे अपनी सहेलियों को लाइन मरने से मना न करें.......किसी दिन मौका देख के बात करता हूँ की घर में कोई पार्टी क्यों नहीं हो रही और फिर सी सी टीवी को अपने हिसाब से सेट कर लूँगा. सबकी पिक्स खिचुन्गा और फिर जो सबसे मस्त होगी उसे पता लूँगा......बहुत मन कर रहा है की एक बार फिर से पिक देखना शुरू केर दूं...लेकिन ये रानी भी बहुत बड़ी मुसीबत है....अभी तक कभी अपना दरवाजा बंद नहीं किया मैंने और अब अगर दरवाजा बंद कर के रखूँगा तो उसे समझ आ जायेगा की मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ फिर तो और भी मुसीबत हो जाएगी. उसके भाषण नहीं सुनने मुझे...और अगर बिना दरवाजा बंद किये पिक देखता हूँ तो कहीं वो उसी समय आ न जाये..फिर से भाषण देगी...पता नहीं उसे भाषण देने में इतना क्या मजा आता है....उसके भी तो इतने सरे यार थे...सबके साथ सब तरह के मजे करती थी फिर भी भाषण देती रहती है....क्या करूँ यार?????? "


वहीँ रानी भी अपने कमरे में अपने खेलों में खोयी हुई थी...

रानी के ख्याल...रानी के शब्दों में,....

" ये लोग सेक्स में एक्टिव हैं ये तो मुझे समझ में आ गया था लेकिन इतने एक्टिव हैं इसका अंदाजा नहीं था....मम्मी ने सिर्फ एक ब्रा पहनी हुई थी और उनके चेहर से साफ़ पता चल रहा था की उनके साथ क्या हो रहा है....भले ही घर में कर रही हैं लेकिन फिर भी इस उम्र में थोडा तो लिहाज करता ही है हर कोई.....क्या ये लोग इतने ज्यादा एक्टिव हैं???? मम्मी के चेहरे से कितना आनंद टपक रहा था...कितने दिन हो गए मुझे वो आनंद नहीं मिला.....पापा जरुर बहुत मस्त मर्द होंगे तभी तो इस उम्र में भी मम्मी को इतना मजा दे रहे हैं.......मेरा तो मन कर रहा था और देखने का लेकिन भानु साथ में था....अब क्या करूँ? भानु से कहूँगी तो वो कहेगा की मैंने कैसी गन्दी सोच रखती हूँ. मैंने ही सब बिगड़ लिया है.वो तो इतना फ्रैंक है सेक्स के बारे में और मैं हूँ की भाषण देती हूँ...मुझे भी धीरे धीरे भानु के जैसा हो जाना चाहिए की बस मजे लूटो और ज्यादा सोचो मत...लेकिन यार ऐसे कितने दिनों तक चलेगा...कुछ तो सोचना ही पड़ता है न..मुझे खुद को बचा कर भी तो रखना है..मुझे वो दूसरी लड़कियों की तरफ पहले से ही ढीली नहीं हो जाना है....क्यों न मम्मी से ही बात कर के देखूं...वो तो दो बच्चों करने के बाद भी इस तरह की हैं...वो जरुर इस सबके बारे में मुझे बता सकती हैं....घर का माहौल इतना ओपन है ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था....मम्मी से उनकी सहेलियों की बहुत तारीफ सुनती थी..अब पता चला की क्या करते हैं ये लोग सब मिल कर....मैं भी किसी तरह इन लोगों में शामिल हो जाऊं तो बात बन जाये..लेकिन बिना भानु के पता चले कैसे संभव है....यह भी तो सोचना है की भानु को ये सब देखने के लिए कहूँ या उसे ये सब देखने से रोक दूं..लेकिन अगर उसे रोक दूँगी तो खुद कैसे देख पाऊँगी....कल हम दोनों को फार्म पर जाना है...अब इस दुविधा में दोनों वहां रहेंगे तो मजा भी नहीं आएगा,....क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा..अगर सिर्फ सेक्स के व्यू से देखूं तो बड़ा मजेदार है सब कुछ...लेकिन ये भी तो देखना है की कहीं इससे किसी का नुकसान न हो...काश मैं भी भानु की तरह सेक्स में इतनी फ्री होती और बिना कुछ सोचे ही हमेशा सेक्स करने को राजी रहती...उसकी तो कितनी सारी रंडिय थीं....हाँ सब रंडियां ही तो थीं...कैसे कैसे काम करते थे ये लोग...और एक मैं थी की इतने सारे मर्द मेरे पीछे लार टपकाते थे लेकिन मैं भाव खाती थी...अब कोई मर्द नहीं मिल रहा तो मरी जा रही हूँ....कुछ तो करना पड़ेगा....ये समझ नहीं अ रहा की मम्मी से ही ओपन हो लूं या भानु से......जरुर भानु ने अपने लिए कुछ इन्तेज्मा कर लिया होगा....अगर मैं उसी का साथ दूं तो वो मेरे लिए भी कुछ इंतजाम कर देगा..या कम से कम मेरी हेल्प तो कर ही सकता है...वैसे घर में किसी और मर्द की पिक नहीं दिखी....चलो कोई बात नहीं..इतनी मॉडर्न औरतें हैं इनसे लेस्बो सेक्स भी तो पसंद होगा....यही ठीक रहेगा....भानु के साथ मजे से वो सब फाइल्स देखती हूँ और फिर उसी में से जो आंटी ठीक लगेगी उससे दोस्ती कर लूंगी...शायद वो आंटी ही कुछ काम आ जाये.....मम्मी से इस तरह का कुछ कहना ठीक नहीं होगा और भानु से कहूँ तो वो मदद तो कर देगा लेकिन हरामी बहुत भाव खायेगा...और फिर उस पैर मेरा रौब भी तो ख़त्म हो जायेगा.....कल फार्म में भानु से कौंगी की वो सारी फाइल्स बैठ के देखते हैं..दो दिन का टाइम है..यही करेंगे...वहां कोई रोकने वाला भी नहीं होगा....मम्मी की किसी सहेली को फंसा लूंगी तो कुछ और भी हेल्प मिलेगी उससे......."


एक तरफ एक पीढ़ी के लोग कल की सामूहिक अय्यासी के बारे में सोच के खुश थे और दूसरी तरफ दूसरी पीढ़ी के ये दोनों वारिस अपने अपने इंतजाम की चिंता में थे......आगे क्या होगा.......??????


अगले दिन घर के सभी लोग अपनी अपनी वजहों से खुश थे....भानु और रानी दोनों इस बात से खुश थे की दो दिन फार्म हाउस में अच्छे बीतेंगे और बाकी के लोग इस बात से खुश थे की ये दो दिन वो सब जी भर के चुदाई करेंगे....सुबह से ही घर में चहल पहल थी...भानु और रानी के फार्म हाउस के बारे में सब कुछ बता दिया गया था...वो लोग कुछ ही देर में निकलने वाले थे....फार्म हाउस कुछ ४० मिनट की दूरी पर ही था. ड्राईवर उन्हें छोड़ने जाने वाला था और फार्म हाउस का स्टाफ भी उनका वेट कर रहा था....सोम ने रात में इंदु को खबर कर दी थी और इंदु ने बाकी की सभी औरतों को बता दिया था की पार्टी का क्या प्लान बन रहा है....सोम सारा सामान रात में ही ले आया था और नीलू और काकी ने भी घर में बाकी की चीजें जमा कर ली थी...बस भानु और रानी के जाने की देर थी.......भानु ने अपना लैपटॉप अपने साथ रख लिया था और अपना कैमरा भी...रानी ने अपने लिए कुछ अच्छी ड्रेस निकाल ली थीं और वो भी मजे करने के मूड में थी..अभी इन दोनों के मन में उस पिक वाली बात को ले के कोई कशमकश नहीं चल रही थी...रानी और भानु दोनों ही न जानते हुए भी एक दुसरे से एक ही तरह की बात करने के बारे में सोच चुके थे....रानी ने सोच लिया था की बिना भानु की हेल्प के उसे यहाँ अकेले ही रहना पड़ेगा इसलिए उसका भानु के साथ खुलना उसके लिए बहुत जरुरी था और भानु को इस बात का एहसास हो रहा था की घर में आने वाली उसकी माँ की इतनी सारी सहेलियों में से कोई अगर उसे फंसानी है तो इसमें उसे रानी की मदद चाहिए होगी तो वो भी रानी के साथ खुलना चाह रहा था...हालांकि दोनों ही सेक्स के बारे में एक दुसरे से पहले ही काफी खुले हुए थे एक दुसरे के बारे में सब जानते थे वो लोग लेकिन अभी तक उनका हिसाब अलग अलग चलता था...भानु अपने लिए लड़कियाँ खुद खोज लेता था और रानी को भी अपने साथ के मर्द खुद ही मिल जाते थे...लेकिन अब हालत ऐसी थी की दोनों को एक दुसरे की सहायता से ही अपने लिए पार्टनर नसीब होने वाला था...तो अब दोनों को सेक्स के बारे में एक नए सिरे से खुलना था....




उधर काकी को इस बात का एहसास था की इस बार उसे सब कुछ संभालना है और पिछले बार जैसे बहकने नहीं देना है और नीलू को इस बात की चिंता थी की इतनी सारी औरतों के बीच में कहीं सोम बहुत ज्यादा बिजी न हो जाए....पूरी पार्टी में वही एक मर्द था और सभी को चोदने की जिम्मेदारी उसी के उपर आने वाली थी....सोम ने तो रात में ही अपनी सब तयारी पूरी कर ली थी...उस अपनी ताकत वाली गोली खा ली थी....इसमें कोई बुराई की बात नहीं है.अब सोम की उम्र भी तो इतनी हो चली है और फिर दो दिन तक लगातार चुदाई करने की ताकत तो नए नए जवान लड़कों में भी नहीं होती तो फिर सोम तो उनसे बहुत बड़ा था ही...उसे जरुरत पड़ती थी गोलियों की....लेकिन फिर भी जादू तो उसके हथियार में ही था...गोलियां तो बस थोडा बहुत सहारा दे देती थी बस...सुबह करीब ११ बजे भानु और रानी घर से रवाना हो गए.....और आधे ही घंटे में पहली गाडी आके रुकी घर के पोर्च में....ये रूपा थी....बिना कपड़ों के रूपा ऐसी दिखाती है....लेकिन उस समय गाड़ी से उतारते हुए वो नंगी नहीं थी बल्कि कपडे पहने हुए थी....रूपा ने उतर कर डोरबेल बजायी तो काकी बाहर आई....


काकी- आओ आओ रूपा ...डोरबेल बजने की क्या जरुरत थी. सीधे ही अन्दर आ जाती.

रूपा - नहीं इंदु ने कल कहा था की सब लोग पहले पूछ लेना फिर अन्दर जाना.

काकी - अच्छा हाँ. नहीं नहीं अब ऐसी कोई बात नहीं है. बच्चे दोनों बाहर चले गए हैं तो घर पर अब दो दिन हम लोग ही हैं बस....

रूपा - ओके. कैसा चल रहा है सबा कुछ...आप कैसी हैं काकी...

काकी - सब ठीक है और मैं भी एकदम ठीक हूँ. लेकिन तुम थोडा मोटी हो गयी हो.

रूपा - हाँ काकी. हो तो गयी हूँ. क्या करूँ मुझसे वर्क आउट नहीं होता. मुझे बहुत आलस आता है...

काकी - चुदाई में तो नहीं आता न आलस?

रूपा - हा हा हा नहीं नहीं काकी उसके लिए तो मैं दौड़ दौड़ के भी चुदवाने को तैयार हूँ....

काकी - हा हा हा हा हा

रूपा - कहाँ हैं हमारे खिलाडी लोग?

काकी - तुम ही पहली हो. बाकी के लोग भी आते होंगे तब तक तुम आओ और मेरा हाथ बंटाओ जरा..

रूपा - जी काकी. चलिए न...




दोनों अन्दर आ गए....कुछ देर बाद नीलू भी नीचे वाले हॉल में आई तो वो भी रूपा से मिली..दोनों में अच्छी दोस्ती थी और रूपा सिम्पल ही थी. वो इंदु की तरह इन लोगों पर हुकूमत करने की नहीं सोचती थी...हाँ रूपा को गॉसिप का बड़ा शौक था....नीलू ने तो आते ही रूपा से नयी ताज़ी खबर सुनाने को कहा लेकिन रूपा ने कहा की अभी सब लोग आ जाएँ तब बतौंगी नहीं तो एक एक बात सब को बतानी पड़ेगी तो बोर हो जाउंगी...नीलू मान गयी और फिर वो भी इन लोगों के साथ काम करने लगी...अभी तेल को गरम किया जा रहा था...तेल को बस हल्का सा कुनकुना ही करना था..ज्यादा गरम नहीं करना था......काकी वही कर रही थी और तब इन दोनों ने बॉक्स में से क्रीम और शहद निकाल के बाउल में डालना शुरू केर दिया था...इतने में डोरबेल फिर से बजी और इस बार नीलू ही गयी.....मंजरी और रोमा आ गयी थीं..



नीलू उन लोगों को ले के अन्दर आ गयी....और फिर उन लोगों में बातें होने लगीं....कुछ ही देर में इंदु भी आ गयी....


सभी लोग अभी नीचे वाले हॉल में ही थे....इंदु ने आकर बताया की आज की पार्टी में इतने ही लोग हैं बस...बाकी की तीन औरतें कहीं बाहर चली गयी हैं...और चूँकि ये पार्टी अचानक ही हो गयी इसलिए उन्हें लौटने का टाइम नहीं मिला है....हो सका तो वो लोग कल तक आ जाएँगी और अगर नहीं आएँगी तो हमारे नियम के हिसाब से उनका डिपाजिट उन्हें वापिस नहीं किया जायेगा......इस बात से नीलू और काकी को भी आराम ही था..वो भी नहीं चाहते थे की बहुत ज्यादा लोग हो जाएँ पार्टी में....इन लोगों में से सिर्फ इंदु ही एक ऐसी थी जिससे अब नीलू और काकी को चिढ होने लगी थी..बाकी की औरतों के साथ उनके सम्बन्ध अभी भी बहुत अच्छे थे.और वो तीनो औरतें थी भी ऐसी की बस पार्टी में आके खूब रंडी पण कर लिया और उसके बाद अपनी अपनी लाइफ में लग गए.......अब जब सब लोग जमा हो गए थे तो थोडा चाय पानी के लिए वो लोग वहीँ हॉल में ही बैठे और बातें शुरू हो गयीं....


नीलू - हाँ रूपा अब तू सुना क्या नयी नयी खबर लायी है बाजार से...

रूपा - ओके ओके...अब तो सब लोग हैं.....हाँ तो पहली खबर....वो श्रीवास्तव जी याद हैं न जिनकी बीवी ने हमारे ग्रुप के बारे में बड़ी सारी बातें सुना दी थी हमें...जो बड़ी ही घरेलु बनती थीं....

( सबने एक स्वर में हामी भरी...सबको श्रीवास्तव की याद आ गयी की कैसे एक बार वो इनकी पार्टी में आयीं थी और उन्हें ठीक से पता नहीं था की क्या होने वाला है और फिर जैसे ही ये लोग शुरू हुए तो उसने बखेड़ा खड़ा कर दिया था की तुम लोग तो बेशरम हो जो इस तरह के काम करते हो और उन्हें खरी खोटी सुना के वहां से निकल गयी थी )

रूपा. - हां उनकी की बेटी...अभी कुछ २१ साल की होगी..वो पकड़ी गयी है...

इंदु - कैसे पकड़ी गयी है? धंधा शुरू केर दिया क्या?

रूपा - नहीं....वैसे हाँ कुछ कुछ वैसा ही समझो...

मंजरी - ठीक से बता न...

रूपा - एक दिन मुझे मेरी बायीं ने बताया उसके बारे में..वो उनके घर में भी काम करती है..हुआ क्या की दोनों मिया बीवी दो दिन के लिए बाहर गए थे..तो उनकी बेटी ने अपने यार को बुला लिया घर पर....जानती तो हो आजकल की लड़कियों की चूत में कैसी खुजली मचती हैऊ......दोनों ने जी भर के ठुकाई की होगी.....और फिर रात में पता नहीं क्या कर रहे थे...शायद थक गए होंगे चोद चोद के एक दुसरे को तो वो उसका यार हराम का जना उसकी चूत में ही लंड डाल के सो गया.....और उस रंडी को भी नींद आ गयी...ऐसा ही कुछ हुआ होगा.....तो दोनों लोग सो तो गए लेकिन उनकी आँख जब खुली तो मुसीबत बन गयी थी....

नीलू - कैसे ? क्या हो गया था?

रूपा - रात भर लंड चूत में ही पड़ा रहा था....तो शायद रात भर खड़ा भी रहा होगा..सुबह दोनों अलग होना चाह रहे थे लेकिन हो नहीं पा रहे थे..जैसे कुत्ता कुट्टी हो जाते हैं न चुदाई के बाद...जुड़ जाते हैं...वैसे ही उसके यार का लौड़ा भी फंस गया उसकी चूत में...निकल ही नहीं रहा था बाहर...दोनों ने बड़ी कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ..फिर दोनों को डर लगने लगा होगा तो वो लड़की रोने लगी....घर की बायीं जो की अपने टाइम से आ गयी थी वो पहुची....उसके पास चाबी थी तो वो सीधे अन्दर आ गयी और अपना काम करने लगी तब उसने इनकी चीख पुकार सुनी होगुई..वो अन्दर गयी तो उसने नजारा देखा....की दोनों ही बिस्टर पैर पड़े हुए हैं....लड़की के अन्दर लड़के का लंड है और दोनों रो रहे हैं...दर्द भी हो रहा होगा....बायीं की तो हंसी निकल गयी...उसने भी मौके का फायदा उठाया और दोनों से जैम कर पैसे वसूले...फिर उसके फॅमिली डॉक्टर को खुद फोन किया की आप घर आ जाईये...डॉक्टर आया तो उसने भी देखा तो हैरान रह गया....उसने लड़के को कोई सुई लगायी होगी तब जा के थोड़ी देर बाद उसका लंड ढीला हुआ तो उसने निकाला चूत से.....उसके बाद से वो डॉक्टर भी कहाँ मौका जाने देने वाला था हाथ से...पहले तो उसने जितने पैसे मिले वो ले लिए और फिर लड़की को भी फंसा लिया की अगर मुझे चोदने नहीं दिया तो पुरे शहर में बात फैला दूंगा....और उसके बाद से वो डॉक्टर मौका निकाल के आ जाता है और उसी के घर में उसे जी भर के चोद के जाता है....




सब लोग बड़े मजे ले ले के कहानियां सुन रहे थे.....एक के बाद एक रूपा इसी तरह की कहानियां सब को सुना रही थी..कुछ देर बाद जब चाय पानी ख़त्म हो गया तब काकी बोली की चलो सब लोग अब तयारी शुरू करो..बहुत देर हो गयी है...सोम भी बेचारा तब से उपर वेट कर रहा होगा तुम लोगों का.....सभी ने हामी भरी और अपने अपने कपडे उतारने शुरू केर दिए.....


उधर दूसरी तरफ भानु और रानी फार्म हाउस पर पहुच चुके थे और उन्होंने पूरी प्रॉपर्टी घूम के देख ली थी..मेनेजर को छुट्टी दे दी थी और अब वो घर पर अकेले ही थे....दोनों ने रास्ते में जरा भी बात नहीं की थी...लेकिन अब दोनों को मौका मिल गया था बात करने का.....हाउस के पूल के किनारे बैठे दोनों धुप का मजा ले रहे थे और बात पहले रानी ने ही शुरू की...


रानी - उस दिन थोडा शॉक लग गया था न...

भानु - हाँ यार....जब जब पिक देखना शुरू करते हैं तब तब ऐसा हो जाता है...

रानी - जब जब क्या? एक ही बार तो देखा है.

भानु - नहीं. एक बार मैं अकेले ही देख रहा था और पहली ही पिक मम्मी की निकल आई थी...

रानी - वो भी ऐसी ही थी क्या? क्या था उस पिक में?

भानु - नहीं ऐसी नहीं थी. सिम्पल ही थी. लेकिन उसमे भी मम्मी की ब्लाउज बहुत ज्यादा ही लो कट थी...

रानी - हाँ मम्मी को वैसा ही पसंद है.

भानु - यार उस दिन तो मैं बहुत डर गया था की तू नाराज हो गयी होगी...

(दोनों के मन में एक ही बात चल रही थी लेकिन दोनों में से कोई भी पहले नहीं बोलना चाह रहा था...रानी ज्यादा समझदार थी उसे ये बात समझ में आ गयी और उसने सोचा की उसे ही पहल करनी चाहिए )

रानी - हाँ मुझे पहले तो गुस्सा आया की तू ये सब क्यों कर रहा है और तूने मुझे भी शामिल कर लिया है....यार हमारे पेरेंट्स अगर मजे कर रहे हैं जिंदगी में तो इसमें हर्ज ही क्या है? हमें बुरा नहीं लग्न चाहिए न?

(भानु को तो जैसे मौका ही मिल गया था..उसने नोटिस किया की रानी ने बात डायरेक्ट ही मुद्दे पर डाल दी थी. वो इधर उधर की बात में टाइम नहीं वेस्ट कर रही थी. भानु की भी हिम्मत बंधी थोड़ी इस बात से )

भानु - नहीं इसमें कोई हर्ज नहीं. और फिर अपनी लाइफ में तो सभी मजे करते हैं लेकिन ऐसा भी क्या मजा करना की सब कुछ दूसरों को भी दिखे. हमें तो नहीं दिखना चाहिए न उनका मजा.

रानी - तो वो हमें दिखा थोड़ी न रहे हैं. बल्कि हम ही टांक झाँक कर रहे हैं उनकी लाइफ में. उनकी नहीं बल्कि हमारी गलती है.

भानु - हाँ है. लेकिन फिर भी...और फिर ये सब पार्टी में कैसे कैसे ड्रेस पहनते हैं. वो सही है क्या? ये अकेले मजे करते हैं या ग्रुप में?

रानी - यार देख मुझे तो लगता है की थोडा बहुत पार्टी कर लेने से इनका मूड फ्रेश रहता होगा और फिर एक ही लाइफ जी जी के बोर भी तो होते होंगे न..इसलिए थोडा बहुत एन्जॉय कर लेते हैं...

भानु - तुझे लगता है ये सब सही है?
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RE: Desi Sex Kahani मौका है चुदाई का - by sexstories - 09-25-2018, 01:33 PM

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