Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:46 PM,
#34
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर की अब समझ में आया कि माँ गुस्सा किस बात से है, सो उसके हाथ सहलाते हुए बोला – पहले ये बता तेरे हाथ में चोट तो नही लगी…?

पिटने के बाद भी अपने लाड़ले को उसकी फिकर करते देख वो तड़प उठी, और उसे अपने कलेजे से लगाकर बोली – तूने जबाब नही दिया बेटा..?

शंकर – दोनो बातों का जबाब एक ही है माँ, फिर उसने रसोईघर में उसके साथ हुए वाकिये का ज्यों का त्यों विवरण कह सुनाया…!

रंगीली मुँह फाडे ठगी सी ये सब सुनती रही, लाजो के उपर उसे इस कदर गुस्सा आ रहा था, अगर उसका वश चलता तो वो उसका खून पी जाती,

अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए वो बोली – देख बेटा, आगे से तू उस डायन के आस-पास भी मत जाना, भले ही वो तुझे बुलाने की कोशिश क्यों ना करे…

अगर फिर भी वो तेरे पीछे पड़ी रहे, और किसी काम के बहाने से बुलाने की कोशिश करे तो कह देना, माँ से पूछो.. ठीक है,

और हाँ, अब स्कूल से आकर तू ज़्यादा से ज़्यादा सलौनी के पास रहकर वहीं अपने बापू के घर,

वो भी तेरे साथ अच्छे से पढ़ाई कर लिया करेगी.. ठीक है.., इतना कहकर उसने अपने बेटे का माथा चूम लिया…

शंकर अपनी माँ को हां बोलकर अपनी पढ़ाई करने अपनी बेहन सलौनी के पास चल दिया….!

लेकिन इस घटना ने शंकर के कोमल मन के तारों को ज़रूर छेड़ दिया था,

ये उमर ही ऐसी होती है, जो भी नया अनुभव होता है और मन को अच्छा लगता है, दिमाग़ भी उसी की तरफ भागने की कोशिश में लग जाता है…

ये तरुण अवस्था दिमाग़ की वजए मन के आधीन रहती है, दिमाग़ तो सिर्फ़ किताबी ज्ञान लेने के लिए ही उपयोग होता है…

आज पहली बार उसे अपनी माँ के अलावा किसी दूसरी प्रौढ़ स्त्री के शरीर का स्पर्श हुआ था, वो भी उसके ऐसे अंगों पर जहाँ वो पहले से ही नियंत्रण कर पाने में अपने को असमर्थ पाता था…

उसके इसी अनुरोध पर उसने अपनी माँ से भी अपने लिंग की मालिश करवाना बंद कर दिया था,

क्योंकि वो उसका हाथ लगते ही किसी बिगड़ैल घोड़े की तरह हिनहीना कर खड़ा हो जाता था जिसे शांत करने में उसे काफ़ी वक़्त लग जाता…!

चलो वो तो उसकी माँ थी, जो बचपन से ही उसकी परवरिश करती आ रही थी, लेकिन आज तो किसी दूसरी औरत ने तो ऐसी हरकतें की उसके साथ की वो चाहकर भी उन्हें अपने मन से निकाल नही पा रहा था…

पूरे दिन वो ऐसे ही विचारों में खोया रहा, बेमन से रात का खाना खाकर जैसे तैसे वो सो गया………..……….!
............................

आज स्कूल में कबड्डी का मॅच था, शंकर की टीम ने 12थ क्लास की टीम को चॅलेंज दिया था, जो पुरे स्कूल में टॉप पर थी…

शंकर को छोड़ कर उसकी क्लास के ज़्यादातर बच्चे सामने वाली टीम के सामने बच्चे जैसे ही लग रहे थे, तो वो विपक्षी टीम के सामने ज़्यादा देर तक खड़े ही नही रह पाए, अकेला शंकर ही ऐसा था जो उनसे टक्कर ले पा रहा था…,

आख़िर अपनी मेहनत और ताक़त के दम पर वो फाइनल राउंड में जीत ही गया….!

लेट होने की वजह से सलौनी अपनी सहेलियों के साथ घर चली गयी थी,

वो अकेला ही पसीने से तर सावन के मौसम में, मस्त साइकल पर हवा के झोंकों का मज़ा लेता हुआ घर की ओर आरहा था…

कि अचानक से तेज बारिश होने लगती है, बारिश इतनी तेज थी कि उसे साइकल चलाना दूभर हो गया, आख़िर में वो एक पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया…

कपड़े पानी से तर होकर उसके बदन से चिपक चुके थे, उसका लंड पाजामे से ऐसा दिख रहा था जैसे उसके उपर कोई कपड़ा ही ना हो…!

अचानक एक युवती पास के खेत से निकल कर उस पेड़ की तरफ बढ़ी चली आरहि थी, उसके बदन पर मात्र एक झीने कपड़े की साड़ी लिपटी हुई थी जो भीगने के कारण उसके बदन से चिपकी हुई थी…!



19-20 साल की वो युवती उससे कुछ ही फ़ासले पर आकर खड़ी हो गयी, और शंकर को तिर्छि नज़र से देख कर मंद मंद मुस्कराने लगी…!

पहली बार उसने उस युवती पर भरपूर नज़र डाली, वो उसके मादक बदन के कटाव में खो गया…

झीनी साड़ी बदन से चिपकी हुई थी, जिसमें से उसके अनार जैसी चुचियाँ साफ नुमाया हो रही थी, गोरा बदन होने के कारण उस भीगी हुई सारी से साफ-साफ दिख रहा था…

शंकर की नज़र उपर से नीचे तक उसकी कामुक काया पर फिसलने लगी, अपने को लाख रोकने की कोशिश के बाद भी वो उसके रूप लावण्य को देखने से रोक नही पा रहा था…

उठे हुए अनारों के शिखर पर उसे दो जंगली बेर कहो या अधपके जामुन जैसे निपल जो उसकी गीली साड़ी के कपड़े से बाहर झाँक रहे रहे थे…

धीरे-धीरे उसकी नज़र फिसल कर उसके नीचे की तरफ बढ़ी, पतली सी कमर के उपर उसका सपाट पेट जिसके बीचो बीच हल्की सी गहराई लिए उसका नाभि कुंड…

फिर जैसे ही उसकी नज़र उसके योनी प्रदेश पर गयी, शंकर की साँसें ही जैसे अटक गयी, गीली साड़ी की सीलबटों के पीछे उसे कुछ दिखा तो नही, लेकिन वहाँ की भौगौलिक स्थिति वो भली भाँति भाँप चुका था…

नीचे दो केले के तने जैसी उसकी चिकनी गोरी जांघे…उसकी आहह.. निकल गयी ये सब देख कर…, वो युवती उसे रति का प्रतिरूप दिखाई दे रही थी…!

कामदेव के स्वरूप इस नाव युवक को अपनी ओर इस चाहत भरे अंदाज से निहारते देख वो युवती, एक कामुक सी मुस्कान बिखेरती हुई धीरे-धीरे उसके नज़दीक आने लगी…

वो निरंतर उसकी आँखों में देखे जा रही थी, शंकर मानो उसके रूप जाल से सम्मोहित ही हो गया था…
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