Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:47 PM,
#42
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
भले ही उसने अपनी कमीज़ से उसे ढँक रखा था, लेकिन उसने उसकी कमीज़ को छप्पर की तरह अपने सिर पर उठा रखा था,

रंगीली की नज़र जैसे ही उसके कमीज़ के बाहर मुँह चम्काते खड़े लंड पर पड़ी, उसकी चूत की सुरसूराहट और तेज हो गयी, और उसकी सुरंग के स्रोत अपने आप खुलने लगे…!

उसने चुपके से अपने लहंगे से अपनी चूत के रस को बाहर बहने से पहले ही सोख लिया, ना जाने क्यों वो सपने में उस युवती की जगह अपने को रख कर सोच रही थी….

जब शंकर ने अपनी कहानी को विराम दिया, और अपनी माँ की तरफ देखा, वो तो जैसे अभी भी सपने में ही खोई हुई, शंकर की बाहों में अपने को महसूस कर रही थी…!

जब कुछ देर उसने कोई रिक्षन नही दिया, तो शंकर ने उसके कंधे को पकड़ कर हिलाया…माँ… क्या हुआ, कहाँ खो गयी…?

वो मानो नींद से जागी हो, हड़बड़ा कर बोली –आअंन्न…हां, कुछ नही, बस तेरे सपने के बारे में सोच रही थी,

फिर कुछ सोचकर बोली – वो सपने वाली युवती कॉन थी..? क्या तू उसे जानता है..?

शंकर ने अपनी नज़रें नीचे कर ली, लेकिन कुछ जबाब नही दे पा रहा था…

रंगीली ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा – बता ना शंकर.. क्या तू उस युवती को पहचानता है..? कैसी थी वो…?

शंकरा – वो कहानियों में बताई हुई किसी इन्द्रलोक की अप्सरा जैसी थी, मे ठीक से उसे पहचान तो नही पाया था कि वो कॉन थी, लेकिन वो..वऊू..उूओ…,

इसके आगे वो कुछ बोल ना सका तो रंगीली बोली – बता ना वो..वो..क्या कर रहा है..

वो..वऊू.. बहुत सुंदर थी माँ, बिल्कुल तेरे जैसी………….!

अपने बेटे के मुँह से ये शब्द सुनते ही रंगीली सन्न रह गयी, कितनी ही देर वो अपने मुँह पर हाथ रखे हुए उसके चेहरे को ताक्ति रही, जबकि वो अपना मुँह नीचे किए हुए उसके सामने बैठा रहा…!

रंगीली ने उसके चेहरे के नीचे हाथ लगाकर उसे उपर किया, फिर उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली – तू अपनी माँ के लिए ऐसी गंदी सोच रखता है नालयक, शर्म नही आई तुझे…!

शंकर झट से अपनी मा के पैरों में लोट गया, उसके पैर पकड़कर बोला – मुझे ग़लत मत समझ माँ, तेरा दर्जा मेरे जीवन में भगवान से भी उपर है…!

मेने तो तुझे पहले ही कहा था, कि मुझे उस युवती की धुंधली सी पहचान है, अब जब तूने पुछा की वो कैसी थी, तो उसकी सुंदरता की तुलना करने के लिए मुझे तुझसे सुंदर और कोई स्त्री नही दिखी आज तक…!

अपने बेटे के मुँह से अपने लिए भगवान से उपर का दर्जा, और सुंदरता में उसके लिए उससे बढ़कर कोई और नही है, ये सुनकर रंगीली का दिल मों की तरह पिघल गया,

वो उसे लेकर चारपाई पर बैठ गयी, और उसके सिर को अपनी गोद में रख कर उसके घुंघराले काले बालों में अपनी उंगलियों को पिरोते हुए बोली…

तुझे मे इतनी सुंदर लगती हूँ शंकर, कि कोई और औरत तुलना करने के लायक दिखी ही नही तुझे आज तक…? इतना कहकर उसने झुक कर अपने बेटे के माथे पर किस कर दिया…!

शंकर ने अपनी माँ की पतली सी लेकिन मांसल कमर में अपनी बाहें लपेट ली, और अपना मुँह उसके वक्षों में घुसाकर बोला – मेरी माँ किसी अप्सरा से कम नही है, तो किसी और की उपमा कैसे दे सकता था…!

लेकिन जैसे ही उसे अपने चेहरे पर दबे अपनी माँ के सुडौल और मक्खन जैसे मुलायम वक्षों का स्पर्श हुआ, उसे सपने में आई युवती के उभारों की याद आ गई,

उसपर उत्तेजना हावी होने लगी, और उसका लंड फिर से सिर उठाने लगा…! उसने उसकी कमीज़ को फिर उठा लिया जिसकी वजह से रंगीली की नज़र उसपर फिर पड़ गयी…!

वो सोचने लगी कि अगर इसके मान में अपनी माँ के लिए ग़लत भावना नही है, तो फिर इसका हथियार यूँ बार-बार खड़ा क्यों हो रहा है ?

उसकी सोचों पर विराम तब लगा, जब शंकर ने अपने मुँह का दबाब उसके उभारों पर बढ़ा दिया, वो भी उत्तेजना से भरने लगी, और धीरे-धीरे उसका हाथ अपने बेटे के फुल खड़े लंड पर पहुँच गया…

आहह…माआ…उसे मत छेड़… मुझे कुछ कुछ होने लगता है…वो एक साथ उन्माद में भरते हुए बोला..

रंगीली – लेकिन पहले तो तुझे कुछ नही होता था, फिर अब क्या हुआ ? और कैसा लगता है तुझे, उसके लंड को सहला कर पुछा उसने…

शंकर – आहह… बहुत अच्छा…स्ाआहह…थोडा ज़ोर्से मसल माँ इसको… हां.. जल्दी जल्दी.. प्लीज़ माँ, कुछ कर ना.. थोड़ा जल्दी जल्दी उपर नीचे कर…!

रंगीली बेकाबू होने लगी थी, शंकर के मूसल को हाथ में लेते ही वो उन्माद से भरने लगी, उसकी चूत को बहने पर मजबूर कर दिया उसके स्पर्श ने, वो सब कुछ भूल कर उसके लंड को मुत्ठियाने लगी...

वो ज़ोर-ज़ोर्से उसके लंड को हिलाकर एक तरह से उसकी मूठ ही मारने लगी…

जब उसका हाथ थक गया, तो उसने शंकर को चारपाई पर लिटा दिया, और बोली – ठहर, तुझे हाथ से भी ज़्यादा मज़ा देती हूँ, ये कहकर उसने उसके लंड को अपनी जीभ से चाट लिया…

शंकरा कराहते हुए बोला – हाए.. माँ ये क्या किया तूने… मेरी सू सू से जीभ लगा दी… च्चिि…च्चीी… बहुत गंदी है तू…

वो आगे कुछ और कहने ही जा रहा था कि तभी उसने उसके लंड को अपने होंठों में क़ैद कर लिया…, शंकर ये देख कर बुरी तरह से हैरान रह गया, कि मूतने वाले लंड को उसकी माँ ने अपने मुँह में ले लिया है…

लेकिन उसे एक तेज झटका तब लगा, जब उसके मुँह में जाते ही उसका लंड बुरी तरह से सख़्त होने लगा, उसे इतना ज़्यादा मज़ा आया कि वो सब कुछ भूलकर अपनी आँखें बंद करके माँ के सिर पर हाथ रखकर उसे अपने लंड पर दबाने लगा…!
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