Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 01:51 PM,
#63
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
जब से सुषमा ने शंकर को रिझाना शुरू किया, तब से वो उसकी तरफ खींचता ही जा रहा था, सोने पे सुहागा ये की उसकी माँ ने उसे चूत का चस्का भी लगा दिया था,

जैसा कि आप सभी लोग अनुभवी हैं, जब किसी नवयुवक को नया नया चूत का चस्का लगता है, तो उसे अपने चारों ओर चूत ही चूत दिखाई देती हैं…

वो हर संभव औरतों के कामुक अंगों को घूर्ने की चेष्टा ही करता रहता है…, उत्तेजित होकर सारे-सारे दिन अपने लौडे पर ज़ुल्म ढाता रहता है…!

यहाँ तो सुषमा जैसी निहायत खूबसूरत औरत सामने से अपने रूप यौवन को उसके सामने परोसने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही थी…,

शंकर को जब भी मौका हाथ आता वो सुषमा के कसे हुए दूधिया उभारों को नज़र भर निहारता ही रहता, वो भी उसे रिझाने के लिए कोई ना कोई तरकीब लड़ाती ही रहती…

जब शंकर उसे चाहत भरी नज़रों से उसके अंगों को देखता, ये देखकर सुषमा अंदर ही अंदर आनंद से भर उठती,

उसे इस बात की तसल्ली होती कि चलो अपने रूप सौंदर्या से वो उसे अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल हो रही है…, और अब जल्दी ही उसकी ये इच्छा पूरी हो सकती है..

एक रात जब दोनो माँ-बेटे ज़मीन पर बिस्तर लगाए सोने की कोशिश कर रहे थे.., शंकर दिन की बातें सोच-सोच कर सुषमा की भरी जवानी को अपनी सोचों में पाकर उत्तेजित हो रहा था…!

वो जैसे ही अपनी आँखें बंद करता, सुषमा के गोरे-चिट्टे ब्लाउस से झाँकते हुए दूधिया उरोजो के बीच की खाई सामने आ जाती,

उसकी गोरी-गोरी पिंडलियाँ और आधी-अधूरी केले जैसी गोरी चिकनी जांघों की झलक आँखों में आते ही उसका घोड़ा हिन-हिनाने लगा…

उसका लंड कड़क होकर पाजामे में उच्छल कूद मचाने लगा, अब नींद उसकी आँखों से कोसों दूर भाग चुकी थी….

जब उससे नही रहा गया तो वो अपनी माँ के बिस्तर पर आकर पीछे से उसकी गान्ड की दरार में अपना मूसल अटका कर चिपक गया…!

रंगीली भी अपने ही ख्वाबों ख़यालों में गुम अभी तक सो नही पाई थी, शंकर का लंड अपनी गान्ड पर महसूस कर उसने करवट बदली और सीधी लेट गयी..

शंकर का हाथ अपनी चुचियों पर रखकर बोली – क्या बात है रे बदमाश, नींद नही आ रही..?

वो उसकी मुलायम गोल-गोल चुचियों को सहलाते हुए बोला – बहुत मन कर रहा है माँ, एक बार करने दे ना…!

रंगीली ने भी अब उसकी तरफ मुँह कर लिया, और उसके खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाते हुए बोली – क्या करने दूं…?

शंकर – वू.. माँ…वू…, तू देख ही रही है…ये साला आज बहुत परेशान कर रहा है, एक बार अपनी उसमें डालने दे ना इसे…!

रंगीली – ये क्या ये, वो, उसमें, करने दे बोलता रहता है, सीधे सीधे बोलना क्या करने दूं तुझे..? सीधे सीधे बोल ना क्या चाहिए..?

शंकर – वू..मुझे तेरे सामने ऐसे गंदे शब्द बोलने में शर्म आती है…!

रंगीली उसके लंड को मुठियाते हुए बोली – अच्छा मदर्चोद, माँ की चूत चोदना चाहता है, बोलने में शर्म आती है,
खुलकर बोला कर ये सब, इन कामों में शर्म नही करते, खुलकर बोलने में ज़्यादा मज़ा आता है… समझा…

शंकर – तो तू बुरा तो नही मानेगी ना, अगर मे कहूँ कि मुझे तेरी चूत में अपना लंड डालकर चोदना है तो…!

रंगीली – हां ! ये हुई ना कुछ बात, तो मेरे चोदु बेटे का अपनी माँ को चोदने का मॅन कर रहा है,, हां..,

ये कहकर उसने उसके पाजामा का नाडा खींच दिया, और उसके लंड को बाहर निकालकर मूठ मारते हुए बोली – पर अचानक से मन क्यों करने लगा तेरा…?

शंकर – वो माँ..वू…आज सुषमा भाभी की मस्त गदर चुचियाँ देख-देखकर इतना मज़ा आ रहा था..मत पुच्छ....आअहह…क्या मस्त गदराई हुई है वो… एकदम दूध जैसी गोरी…!

रंगीली – तो उन्हें ही सोच-सोचकर तेरा ये लंड फन-फ़ना रहा है,, क्यों..? वैसे वो तेरे साथ कुछ छेड़-छाड़ भी करती है…?

शंकर ने माँ की चुचियों को उसके बटन खोकर चोली से बाहर निकाल लिया और उसके एक निपल को अपनी जीभ से चाट कर बोला – बहुत छेड़ती है भाभी, पर मुझे डर लगता है, इसलिए मे अपनी तरफ से कुछ कर नही पाता…!

रंगीली उसके सिर के पीछे अपना एक हाथ रखकर उसके मुँह को अपनी चुचि पर दबाते हुए बोली – देख बेटा, कोई भी औरत अपने मुँह से कभी सीधे-सीधे ये नही कहेगी कि आजा मेरे राजा चोद ले मुझे…!

वो ऐसी ही छेड़-छाड़ करके मर्द को उकसा सकती है, अब तू ठहरा नादान, भला कैसे समझेगा कि उसकी चूत तेरा ये मूसल लेने के लिए मचल रही है…!

शंकर ने उसके लहँगे को कमर तक चढ़ा दिया और उसकी जांघों को सहलाते हुए उसका हाथ उसके मुलायम चूतड़ पर चला गया, उसे अपनी मुट्ठी में भरने की कोशिश करते हुए बोला –

तो इसका मतलब सुषमा भाभी मेरे से चुदना चाहती है…?

रंगीली कराहते हुए बोली – आहह…हां.. बेटा, वो बहुत प्यासी औरत है, उसने मुझे भी बोला था तुझे उसके पास जाने के लिए, इसलिए तो मेने तुम दोनो को गौरी के साथ खेलने के लिए कहा था…!

शंकर ने अपनी माँ की केले के तने जैसी चिकनी टाँग को अपने उपर रख लिया और उसकी रसीली चूत में उंगली डालकर बोला – इसका मतलब तू भी चाहती है कि मे उन्हें चोद दूं..!

रंगीली सीसियाते ही बोली – ससिईइ….आअहह…हहान..मेरे लाल, बहुत प्यासी है बेचारी…, मौका देखकर चोद डाल उसे…, पिला दे अपने लंड का पानी उसकी चूत को…, बना दे अपने बच्चे की माँ…!

सस्सिईई…हाईए…रीए…मदर्चोद उंगली ही करता रहेगा या अब चोदेगा भी मुझे… डाल अपना मूसल मेरी ओखली में… बहुत खुजा रही है सालीइीइ…. ससिईईईईई…
हाईए..रीए.., कर्दे जमके कुटाइईई इस निगोडी कििई..….

शंकर अपनी माँ की कामुक बातें सुनकर फ़ौरन उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गया.., और उसकी टाँगों को चौड़ी करके, अपना गरम दहक्ते हुए लंड का टोपा अपनी माँ की प्यासी चूत में पेल दिया…!

एक ही झटके में आधा लंड उसकी चूत में सरक गया…. रंगीली कराह उठी…आअहह…. मेरे घोड़े… धीरे.., बहुत मोटा खूँटा है तेरा…, मेरी चूत को चीर दिया रे….मदर्चोद…..उउफफफ्फ़….

शंकर ने उसके होंठों को चूमा और चुचियों को मसल्ते हुए एक और धक्का लगा दिया, अपने लंड को जड़ तक माँ की चूत में चेंपकर वो उसके उपर पसर गया…

अपने दर्द पर काबू पाने के लिए रंगीली ने उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया…, और अपने पैरों को उसकी कमर में लपेटकर गान्ड को उपर उठा दिया…!

अब धीरे-धीरे चोद बेटा, हाआंन्न…शाबास मेरे शेर, फाड़ अपनी माँ की चूत.. बहुत गरम है ये साली…, और ज़ोर्से..एयेए..ययईीीई…म्माआ…उउउफफफ्फ़…बहुत अच्छा..चोद रहा है तुऊउ.….

ऐसी ही उत्तेजक बातें करते हुए वो उसे और ज़ोर्से चोदने के लिए उकसाने लगी.... शंकर उसकी कामुक बातों से ज़्यादा उत्तेजित होकर और दम लगाकर ठुकाई करने लगा..,

दोनो माँ-बेटों की अब अच्छे से ट्यूनिंग सेट हो गयी…, जब शंकर अपने लंड को बाहर खींचता तब रंगीली अपनी गान्ड को बिस्तेर पर लॅंड करा देती…

फिर जैसे ही वो उपर से धक्का मारता, रंगीली नीचे से अपनी कमर उचका देती जिससे शंकर के मजबूत कठोर जांघों के पाट उसकी गान्ड से टकराते और एक थपाक की आवाज़ कमरे में गूँज उठती…

शंकर का लंड एकदम सुपाडे तक बाहर आता और एक ही झटके में जड़ तक उसकी रसीली चूत में फ़चाक से समा जाता…!

दोनो को इस समय जो मज़ा आरहा था उसे तो वो दोनो ही बता सकते थे…, इस घमासान चुदाई से रंगीली थोड़ी ही देर में अपनी चूत का ढक्कन खोल बैठी…

उसके बाद शंकर ने उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चुदाई शुरू करदी.. अपना नलका खुलने तक वो उसे दे दनादन चोदता रहा…!

शंकर के दमदार धक्कों से वो पूरी तरह हिल जाती थी, उसकी गोल-मटोल सुडौल चुचियाँ सागर की लहरों की तरह हिलोरें मार रही थी…

जब उसने अपनी माँ की चूत में अपना रस छोड़ा तब तक वो दो बार और झड चुकी थी, और पस्त होकर औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी,

शंकर का लंड अपनी चूत में लिए हुए ना जाने कब उसकी झपकी लग गयी….!
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