Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 06:30 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
गाड़ी में रात की बातें याद करते हुए शंकर ने अपने ताऊ को छेड़ते हुए कहा – ताऊ जी..आज तो आप ऐसे बन-ठन के आए हो, जैसे अपनी खुद की ससुराल जा रहे हो..?

भोला – अरे शंकरा.., मेरे ऐसे नसीब कहाँ जो मेरी कोई ससुराल होती.., मेरे जैसे पागल का क्या है.., जिधर हाँकोगे तुम लोग उधर चल दूँगा…!

तेरी माँ ने ही कहा था.., नये कपड़े पहनने को..,

शंकर – क्या ताऊ आप भी.., अरे आप की ना सही आपके छोटे भाई की सही.., ससुराल तो है ही ना.., फिर क्या पता वहाँ कोई आपके मेल की मिल जाए..,

रंगीली ने हँसते हुए शंकर की जाँघ पर धौल मारते हुए कहा- निगोडे अपने ताऊ से मज़ाक करता है..? वैसे देखने में वो तेरे बाप से तो अच्छे ही लगते हैं..!

शंकर भी हँसते हुए बोला -अरे वो ही तो माँ, ताऊ आज किसी वरना से कम नही लग रहे.., देखना आपकी कोई गाओं वाली इन पर फिदा ना हो जाए..?

रंगीली – होने दे.., ये तो और अच्छी बात है.., ये भी परिवार वाले हो जायेंगे.., क्यों है ना जेठ जी…?

उन दोनो की मज़ाक का सरल मन भोला के पास भला क्या जबाब हो सकता था.., बस शरमा कर गर्दन झुकाए बैठा रहा…!

रंगीली ने शंकर के पॅंट में बने उभार को दबाते हुए फुसफुसा कर कहा – और छेड़ ना उनको.., देख कैसे शरमा रहे हैं…!

शंकर ने माँ की जाँघ सहलाते हुए कहा – वैसे ताऊ जी आपने कोई जबाब नही दिया.., अगर कोई फँस गयी तो क्या उसे अपने घर ले आओगे..?

भोला ने पीछे से अपना हाथ उठाते हुए कहा – तेरे एक धौल मारुन्गो खींच के.., अपने ताऊ को छेड़ते हुए लाज ना आई रही तोइ…?

शंकर – अरे तो इसमें मेने क्या ग़लत कहा है.., मानलो कोई मिल गयी आपके मनपसंद की.., तो इसमें हर्ज़ ही क्या है.., ले आना साथ…,

वैसे ताऊ जी एक बात पूछू आपको.., सही सही बोलना – वो लाजो आपको कैसी लगती थी…?

भोला शंकर की बात सुनकर झटका सा खा गया.., फिर भी झूठ बोलने की कोशिश करते हुए बोला – कोन्सि लाजो…?

शंकर – ओ तेरे की…इसका मतलब आप बहुत सारी लाजो को जानते हैं…?

भोला – बहुत मारुन्गो तोइ…, देख ले रामू की बहू.., मान ना रहो…!

रंगीली ने भोला की शिकायत पर ध्यान ना देते हुए कहा – तो आपने मुझे कोन्सि वाली लाजो के बारे में बताया था…?

भोला – समझ गयो.., तो तेने ही इसे भी बता दियो.., हां बेटा बहुत अच्छी थी लाजो.., पर ना जाने उस मदर्चोद सेठानी की चोदि को क्या खुजली हुई..,


बेचारी को घर से निकाल दियो.., अब ना जाने कहाँ..कहाँ भटक रही होगी..? किस हालत में होगी..?

शंकर – अच्छा ताऊ जी मानलो लाजो भाभी आपको कहीं मिल जाए तो क्या करोगे ?

भोला – तेरी माँ ने वचन तो दियो है मिलवाने को…, बस एक बार वो मोको मिल जाए.., फिर चाहें कछू है जाय.., मे वाइ फिर कहूँ नही जान दून्गो…!

शंकर – कैसे और कहाँ रखोगे उसे…?

भोला – बहुत दम है तेरे ताऊ के बाजुओं में.., कहीं भी मेहनत मज़दूरी करके वाको पेट पाल दून्गो.., बस एक बार रंगीली बहू मोकू मिलवायदे.., अपनी जान से ज़्यादा हिफ़ाज़त करुन्गो वाकी…!

भोला के दिल के उद्गार सुनकर एक बार को रंगीली भी गंभीर हो गयी.., उसे आज भोला के अंदर का मर्द दिखाई दे रहा था जो अपने साथी की इज़्ज़त और हिफ़ाज़त करना जानता हो…!

वो जिस मंसूबे से उसको अपने मायके ले जा रही थी.., उसमें उसे नाकामी की कोई गुंजाइश नज़र नही आ रही थी…!

उसने शंकर की जाँघ दबाकर इशारा किया.., जिसे समझते हुए वो बोला – जब माँ ने आपको मिलवाने का वचन दे दिया है.., तो समझो आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी…!

भोला – सच..सच कर रहो तू बेटा.., अपनी माँ को बोल.., जिंदगी भर जाके पाँव धो-धो के पीबेगो जे पागल…!

भोला की इस आंतरिक खुशी को देख कर वो दोनो माँ बेटे भी बहुत खुश थे..,

बातों बातों में रास्ते का पता भी नही चला.., और वो लोग अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँच गये…!

दरवाजे पर जीप के हॉर्न की आवाज़ सुनकर रंगीली की माँ ने लाजो को कहा – देखना बेटी कॉन्सा बड़ा आदमी आया है हंमरे यहाँ…?

लाजो अपनी बेटी को माँ की गोद में देकर दरवाजे पर पहुँची.., शंकर की जीप को तो वो अच्छे से पहचानती थी..,

उसके साथ उसकी माँ और तीसरे व्यक्ति को पीछे से उतरते हुए देखा.., फिर जैसे ही उसने उस व्यक्ति का चेहरा देखा…, उसकी साँसें राजधानी की गति से दौड़ने लगी…!

उल्टे पाँव घर के अंदर भागती हुई चली गयी.., अपनी बेटी को वहीं छोड़कर वो सीधी अपने कमरे में चली गयी.., और पलंग पर लेट कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी…!
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10-16-2019, 06:31 PM,
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रंगीली के माता-पिता अपनी बेटी और नवासे को देख कर बहुत खुश हुए.., शंकर उन्होने पहली बार देखा था.., कामदेव जैसे अपने नवासे को वो एक टक देखते ही रह गये…!

रंगीली ने लाजो की बेटी को अपनी गोद में लेकर कुछ देर उसे प्यार किया.., फिर उसने भोला का परिचय अपने माँ-बापू से कराया.., जो उन्होने पहली बार ही देखा था…!

कुछ देर आपस में बातें की फिर वो उसकी बच्ची को शंकर की गोद में देकर भोला से बोली – जेठ जी आप एक मिनिट मेरे साथ आइए तो…!

उसकी माँ ने उसकी तरफ प्रश्नवाचक नज़रों से देखा.., उसने आखों आँखों में ही कुछ इशारा किया जिसे उन बूढ़ी आँखों ने समझ लिया…!

भोला को लेकर वो लाजो के कमरे में पहुँची.., लाजो अभी भी अपने अंदर की बढ़ी हुई धड़कनों को समेटने की कोशिश कर रही थी.., दरवाजे पर किसी के आने की आहट पाकर वो उठ बैठी..,

पहले उसे रंगीली दिखाई दी.., भोला को उसने दरवाजे के बाहर ही आड़ में खड़ा कर दिया था..,

रंगीली को देखते ही वो बैठते हुए अपनी मनोदशा को काबू में करते हुए बोली – आओ काकी कैसी हैं आप…?

रंगीली उसके पास आकर बैठते हुए बोली – मे तो ठीक हूँ, लेकिन लगता है तुम ठीक नही हो.., ऐसा लग रहा है जैसे अभी भी किसी का इंतजार है..?

लाजो कुछ संभालते हुए बोली – नही ऐसा तो कुछ भी नही है.., अब यहाँ आपने मुझे इतना अच्छा आसरा दिया है.., माँ-बापू मेरा बहुत ख्याल रखते हैं.., फिर भला और किसका इंतजार करूँगी..?

रंगीली – क्या अपनी बेटी के पिता का भी इंतेज़ार नही है तुम्हें..? कभी दिल तो करता होगा कि बच्ची का पिता कम से कम आकर अपनी बेटी को अपनी गोद में लेकर प्यार करे.., उसके साथ खेले..?

लाजो – क्या आपको पता है उसके पिता कॉन हैं..?

रंगीली – मुझे सब पता है लाजो.., इसलिए तो अब मे तुम्हें बहू नही कह रही.., भले ही तुम्हारा पति कल्लू हो लेकिन वो कम से कम तुम्हारी बेटी का पिता तो नही है…!

लाजो – तो फिर आपके हिसाब से कॉन है इसका पिता..?

रंगीली – मे जानती ही नही.., उन्हें अपने साथ लेकर आई हूँ.., और शायद तुमने उन्हें देख भी लिया है.., इसलिए दरवाजे से भाग आई थी.., है ना…!

लाज बस लाजो ने अपना चेहरा रंगीली के कंधे में छुपा लिया.., आप सब कुछ जानती हैं.., तो फिर क्यों पूछ रही हो..?

रंगीली ने उसे अपने अंक में दबा लिया और भोला को आवाज़ देकर अंदर आने को कहा .

आवाज़ सुनते ही भोला कमरे में दाखिल हुआ.., चूँकि दरवाजे पर वो लाजो को देख नही पाया था.., सो अपने ठीक सामने उसको बैठा देख कर वो पहले तो बुरी तरह से चोंक पड़ा…!

फिर कुछ क्षणों में ही उसके अंदर का गुबार फट पड़ा.., और दौड़कर उसने लाजो को अपने गले से लगा कर फुट-फुट कर रोने लगा..,

उन दोनो का मिलन कराकर रंगीली एक मिनिट के लिए भी उस कमरे में नही रुकी.., बिना उन्हें खबर होने दिए ही वो चुप-चाप उन दोनो प्रेमियों के बीच से खिसक ली !

कुछ देर के लिए तो लाजो भी ये भूल गयी कि यहाँ रंगीली भी है.., वो भी भोला के सीने से लग कर आँसू बहाती रही..,

फिर जब उसे ग्यात हुआ कि यहाँ रंगीली भी है उसने उससे अलग होने की कोशिश करते हुए उसे देखा.., उसे कमरे में ना पाकर वो फिर से भोला से चिपक गयी..!

भोला ने शिकायत करते हुए कहा – कम से कम गाओं छोड़ने से पहले एक बार मिलकर तो आ सकती थी.., तुझे पता है.., जब तू कुछ दिन मुझे दिखाई नही दी, तो मुझे तेरी बहुत याद आने लगी..,

लाजो – सच कह रहे हो तुम.., मेरी याद आती थी..?

भोला – तेरी सौगंध लाजो.., जब मुझसे नही रहा गया.., तो मेने बेशर्म बन कर रामू की बहू से पूछ ही लिया..,


मेरे ज़्यादा मिन्नत करने पर उसने तुझसे मिलवाने का वायदा किया.., लेकिन ये नही बताया कि तू यहाँ मिलेगी…!

लाजो – वो बहुत समझदार औरत हैं.., जब मुझे घर से निकाल दिया था.., तब मेरे सामने अपनी जान देने के अलावा और कोई रास्ता नही बचा था.., कुए में कूदकर अपनी जान देने वाली थी मे..,

लेकिन एन मौके पर पहुँच कर उन्होने मुझे बचाया ही नही अपितु मुझे यहाँ ले आईं, जहाँ उनके माता-पिता ने मुझे अपनी बेटी की तरह ही रखा है..

भोला – अच्छा लाजो एक बात तो बता, बाहर एक छोटी सी प्यारी सी बच्ची देखी मेने रंगीली बहू की गोद में, वो किसकी है.., इस घर में और तो कोई दिखता नही…?

लाजो बड़े रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराइ.., फिर उसके सीने पर अपनी हथेली से सहलाते हुए बोली – जब इस घर में कोई और नही है तो फिर मेरी ही होगी ना…!

भोला – तुम्हारी बेटी..? वो कब हुई..?

लाजो – वो आपका ही अंश है मेरे भोले बालम.., जब में यहाँ आई थी तब वो मेरी कोख में ही थी.., यहाँ आते ही मुझे चक्कर आया..,

रंगीली जीजी उसी समय समझ गयी कि मे माँ बनने वाली हूँ और ये बच्चा किसका है..,

भोला – क्या तुम सच कह रही हो.., वो मेरी बेटी है..,

लाजो ने बस मुस्कुरा कर अपनी गर्दन हां में हिला दी.., फिर उसे पलंग पर लेकर पास बैठते हुए बोली – गौर से देखना उसे.., तुम्हारी उसमें साफ-साफ छबि दिखाई देगी…!

ये सुनते ही भोला झट से उठ खड़ा हुआ.., लाजो उसका हाथ पकड़ते हुए बोली – अरे क्या हुआ..? अब कहाँ चले..?

भोला बड़े मासूमियत भरे अंदाज में बोला – अपनी बेटी को लाने.., मुझे उसे अभी गोद में लेकर खिलाना है..,
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो ने उसे ज़बरदस्ती से बेड पर बिठाया.., फिर जाकर दरवाजा बंद करके उसके पास बैठकर उसके गले में अपनी मरमरी बाहें लपेट दी.., उसके खुश्क होठों पर एक प्यारा सा चुंबन अंकित करके बोली…

खिला लेना.., और खूब जी भर कर खेलना उसके साथ.., लेकिन राजा अभी तो तुम कह रहे थे कि मेरी बहुत याद करते थे.., तो अब बेटी को देख कर उसकी माँ को ही भूल गये..?

भोला ने लपक कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया.., उसे अपनी बाहों में कसते हुए बोला – तुझे में कभी नही भूल पाउन्गा लाजो.., तू मुझे पहली ऐसी औरत मिली है जिसे में चाहकर भी नही भुला पाया..,

मे नही जानता इसे क्या कहते हैं.., प्रेम का नाम तो कई ज़ुबानो से सुना था.., लेकिन अब समझ में आ रहा है कि शायद यही प्रेम है…!

लाजो पलट कर उसके गले में झूलते हुए बोली – हां..मेरे भोले राजा.. यही प्रेम है.., मे भी तुम्हें एक पल के लिए नही भूली हूँ..,


लेकिन यहाँ में अपने मन की बात किससे कहती.., कॉन समझने वाला था यहाँ…!

भोला – अब चाहे जो भी हो जाए.., मे तुझे और अपनी बेटी को कभी अपने से दूर नही होने दूँगा.., हम कहीं और चले जाएँगे.., बहुत जान है मेरे इस शरीर में कहीं भी मेहनत मज़दूरी करके तुम दोनो का पेट भर सकता हूँ…

बस थोड़ी अकल की कमी है.., सो वो तू मुझे देती रहना…!

लाजो तड़प कर भोला से लिपट गयी.., उसकी बातें सुनकर उसे भोला पर बहुत प्यार आ रहा था.., उसी प्यार में सराबोर वो बोली – हां यही सही होगा.., अब मे भी एक पल के लिए तुमसे दूर नही रहना चाहती…!

इतना कहकर उसने भोला को बिस्तर पर लिटा दिया.., और खुद उसके उपर अढ़लेटी होकर प्यार से उसके बदन को सहलाने लगी…!

आग और फूंस का बैर तो हमेशा से ही रहा है.., भले ही सिचुयेशन कैसी भी रही हो.., जब दो जवान बदन एक दूसरे के इतने करीब हों.., तो आग तो लगनी ही थी…!

धीरे-धीरे उन दोनो पर वासना की खुमारी बढ़ने लगी.., देखते ही देखते दोनो के बदन कपड़ों से मुक्त हो गये..,

दो दाहकते प्यासे बदन जब एकाकार हुए तो तभी अलग हुए जब दोनो के दिल की प्यास बुझ नही गयी…,

लाजो को फिरसे पाकर भोला का मन खुशी से झूम उठा.., फिर जब उसने रंगीली से ये सुना कि अब उसे यहीं रहकर उसके बापू का काम-धाम संभालना है तब तो उसकी खुशी का कोई परावार ही नही रहा…!

वो रंगीली के पैरों में गिर पड़ा.., रिश्तों की मर्यादा में बँधी रंगीली झट से पीछे हट गयी.., और बोली…

हाए राम जेठ जी ये आप क्या अनर्थ कर रहे हैं.., मेरे पाँव पड़कर क्यों मेरे सिर पाप चढ़ाना चाहते हैं.., मे आपके छोटे भाई की पत्नी हूँ..,मुझे आपके पैर पड़ने चाहिए…!

भोला की आँखों में आँसू थे.., उन्ही आँसुओं भरी निगाहों से उसकी तरफ देखते हुए बोला – तू देवी है बहू.., तूने इस पागल की जिंदगी में ना जाने कहाँ कहाँ से रंग बटोरकर भर दिए…!

आज मेरा भी मन होने लगा है कि मे भी औरों की तरह जियू.., एक बेटी को उसके बाप से मिलाकर तूने बड़ा उपकार किया है मेरे उपर.., आज से ये भोला तेरी एक ज़ुबान पर अपनी जान नियोछाबर कर देगा…!

अपने आधे अधूरे जेठ को उसकी जिंदगी सौंप कर उसी शाम दोनो माँ-बेटे अपने घर लौट आए.., जहाँ उन दोनो के अलावा और किसी को ये भनक तक नही थी कि भोला को ले जाने का असल माजरा क्या था…!

रास्ते में उसने शंकर को भी समझा दिया कि इस बात की खबर उन दोनो के अलावा और किसी को ना हो…!

शंकर जानता था कि उसकी माँ जो भी करती है उसके पीछे कोई बड़ा कारण होता है.., इसलिए उसने भी आगे इस मामले कोई और बात नही चलाई कि वो ऐसा क्यों चाहती है…!

शंकर नियमित रूप से अपने कॉलेज जाने लगा था.., दोनो भाई बेहन एक साथ ही पढ़ने जाते थे.., रास्ते भर दोनो की बेहन भाई वाली छेड़-छाड़ हमेशा होती ही रहती..

लेकिन शायद सलौनी की छेड़-छाड़ में बेहन वाले प्यार के अलावा भी कुछ और था जो दिनो-दिन उसे शंकर के करीब खींचता जा रहा था..!

जब वो इस विषय पर अपने अंदर ही अंदर विचार करती कि जो वो अपने भाई के सपने देख रही है, रिस्ते के लिहाज से क्या उचित है..?

लेकिन तभी उसकी इस सोच को झटकने के लिए माँ-बेटे के बीच के संबंधों का खुलासा जो उसे सालों से पता था वो काफ़ी था....!
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
जब माँ अपने बेटे का प्यार पा सकती है तो बेहन क्यों नही.., माँ-बेटे से पवित्र रिश्ता इस दुनिया में और कोई हो ही नही सकता.., जब वो इस तरह के संबंध बना सकती है तो मे क्यों नही..!

दोनो एक ही बाइक से पढ़ने जाते थे, सलौनी 12थ में पढ़ रही थी.., शंकर का भी ग्रॅजुयेशन का ये फाइनल एअर था..,

बरसात का मौसम था.., आसमानों में हर समय काले काले बदल छाये रहते थे.., काली काली घटाओं का कुछ ठिकाना नही कब बरसने लगें…!

ऐसे ही एक दिन जब वो पढ़के लौट रहे थे कि जोरदार बारिश शुरू हो गयी.., सलौनी के मन की मुराद पूरी हो गयी जो वो अपने भाई के साथ बारिश का मज़ा लेने के ख्वाब बुनती रहती थी…!

वो पीछे से उसके बदन से जोंक की तरह चिपक गयी.., उसकी कड़क कठोरे अनछुई गुदाज चुचियों जो अब किसी टेनिस की बॉल के आकार को भी पार कर चुकी थी, की चुभन अपनी पीठ पर होते ही शंकर की भावनायें बदलने लगी…!

उसपर भी मस्ती की खुमारी छाने लगी, और पॅंट में उसका घोड़ा पछाड़ सिर उठाने लगा…!

सलौनी ने पीछे से उसे कसकर जाकड़ लिया और हल्के हल्के झटकों के बहाने वो अपनी चुचियों के कड़क निप्प्लो को उसकी कठोर पीठ से रगड़ने लगी…!

सुरसूराहट के मारे शंकर के हाथ काँपने लगे.., अपने मनोभावों पर काबू रखने की कोशिश करते हुए वो बोला…

ये क्या कर रही है गुड़िया.., ठीक से बैठ ना.., इतनी ज़ोर्से क्यों जकड लिया है मुझे..?

सलौनी उसके चौड़े चाकले कंधे पर अपना गाल रगड़ते हुए बोली – देख नही रहा है सामने से कितनी तेज बौछार पड़ रही है.., अपने आप को तेरे पीछे बचा सकती हूँ तो बचु नही क्या..?

शंकर – तो ऐसे हिल क्यों रही है.., बारिश में बाइक स्लिप हो गयी तो हम दोनो किसी खेत में पड़े दिखाई देंगे.. समझी…!

सलौनी तूनकते हुए बोली – मुझे नही पता.., गिरते हैं तो गिरने दे.., मुझसे ये बौछार सहन नही हो रही, मुझे तेरे साथ चिपकने में बहुत अच्छा लग रहा है..,

शंकर भी अब सलौनी के मनोभावों को समझने लगा था.., लेकिन अपनी तरफ से वो उसे ज़्यादा नज़दीक आने नही देता था..,


इस समय भी वो उसके मन की बात खूब अच्छे से समझ रहा था…!

उसे समझाते हुए बोला – ठीक है बचना चाहती है तो बच ले मे मना नही कर रहा, बस ठीक से मुझे पकड़ कर शांति से तो बैठ.., बाइक हिलती है..,

रोड भी ठीक नही है जगह जगह गड्ढों में पानी भर गया है.., किसी गहरे गड्ढे में बाइक उच्छल कर गिर पड़ेगी..!

सलौनी थोड़ा और चिपक कर उसे आगे से अपने हाथों को उपर नीचे करने के बहाने अपने हाथ उसके पेट तक ले गयी.., जो धीरे-धीरे करके उसकी जांघों के बीच तक पहुँच गये…!

पॅंट में शंकर के उभार को महसूस करते ही उसकी छुपी हुई वासना अपना फन फैलाने लगी..,

लंड के बेहद नज़दीक सलौनी के हाथों का स्पर्श होते ही शंकर के बदन में कंपकंपी सी होने लगी.., वो किसी तरह से अपने आपको कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था…!

तभी सलौनी ने अपना एक हाथ ठीक उसके लंड पर रख कर उसे दबाते हुए कंपकपाते स्वर में बोली – ये क्या है भैया…?

शंकर ने बिना कोई जबाब दिए उसके हाथ को वहाँ से हटाने की गर्ज से अपना हाथ उसके हाथ के उपर रखा..,

तभी बाइक सड़क के एक गहरे से गड्ढे में चली गयी.., एक हाथ से वो उसका बॅलेन्स नही बना पाया.., नतीजा वो लहराते हुए संकरी सी सड़क से नीचे खेत में उतर गयी..,

इससे पहले कि वो उसमें ब्रेक लगाकर कंट्रोल कर पाता कि उसके व्हील कच्ची गीली मिट्टी में धँस गये और वो दोनो पानी भरे खेत में बाइक से गिरकर एक दूसरे में गुड-मूड हो गये…!

बाइक के एक साइड में पलटने से शंकर का एक पैर बाइक के नीचे फँस गया.., उसके उपर सलौनी पड़ी हुई थी.., ठीक उसके सामने…!

दोनो के चेहरे एक दूसरे के बेहद करीब, दोनो की गरम साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी.., दोनो के कपड़े पानी से सराबोर जो अब खेत की गीली मिट्टी लगने से कीचड़ के हो गये थे…!

सलौनी के बेहद कठोर उभार शंकर के सीने से दब गये थे, इस वजह से वो सामने से उसके कुर्ते के गले से अपनी पुष्ट छबि शंकर की आँखों में अमृत घोलने का काम कर रहे थे…!

सलौनी की मुनिया उसके लंड के पर्वत शिखर पर टिकी हुई थी.., दोनो ही निरि देर तक अपनी वर्तमान स्थिति से अन्भिग्य बस अपने अंदर उठ रहे वासना के तूफान के बाशिभूत बस यूँ ही पड़े रहे…!

सबसे पहले शंकर ने ही अपने आपको संभाला उसके बाजुओं को पकड़ कर उसने सालौनी को अपने उपर से उठाना चाहा..!

लेकिन उसने उठने की वजाय वो नीचे की तरह पलट गयी, जबरन अपनी बाहों में जकड़कर शंकर को अपने उपर कर लिया,

शंकर ने अपने आपको उसके बंधन से छुड़ाते हुए कहा – छोड़ ना गुड़िया.., उठने दे मुझे.., देख क्या हाल हो गया है कपड़ों का…!
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सलौनी ने वजाय अपनी पकड़ ढीली करने के उसे और ज़ोर्से अपने उपर भींचते हुए कहा – होने दे भैया.., जो हो रहा है.., मुझे अपने में समा ले भाई..,

मे तेरे लिए सालों से तड़प रही हूँ, मुझे अपना बना ले.., मुझे भी अपने प्यार से सराबोरे कर्दे भैयाअ…

ये शब्द उसके कंठ से इस तरह से निकल रहे थे मानो वो कहीं बहुत दूर से आ रहे हों.., आवाज़ में एक अजीब मादक लरज थी.., मानो वो अपने बस में ना होकर किसी अंजानी शक्ति उससे बुलवा रही हो..!

शंकर उसके मूह से ये शब्द सुनकर स्तब्ध रह गया.., कितनी देर वो अपनी मासूम बेहन के पानी की बूँदों भरे हसीन चेहरे को निहारता ही रहा..,

उसके अपने होश भी उड़े हुए थे.., मन किया कि वो उसके इन लरजते होठों को चूम ले, खूब जी भरकर प्यार करे उसे लेकिन ना जाने क्यों वो ऐसा कर ना सका और उसे समझाते हुए बोला..,

ये तू क्या बोल रही है छुटकी.., हम दोनो भाई बेहन हैं.., ऐसा कैसे हो सकता है.., चल छोड़ मुझे अभी तू बच्ची है नादान है.., कुछ भी बोलती रहती है पगली...!

सलौनी ने उसे अपने उपर से हिलने तक नही दिया, उसके बदन को अपने उपर और ज़ोर्से कसते हुए बोली – अब मे नादान नही हूँ भाई.., और ये तू भाई बेहन के रिस्ते की क्या दुहाई देता है हां..!

क्या भाई बेहन का रिश्ता.. माँ बेटे के रिस्ते से भी बड़ा है.., पाक है…?

शंकर उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला – तू कहना क्या चाहती है..?

सलौनी – मे माँ और तेरे रिश्ते के बारे में सालों से जानती हूँ.., जब माँ को अपने बेटे का प्यार पाने का हक़ है तो मुझे क्यों नही…?

मे ये नही कहती कि मुझे पता है कि तेरा माँ के साथ कैसा रिश्ता है इस बजह से मे कोई फ़ायदा उठाना चाहती हूँ.., लेकिन सच कहती हूँ भाई मे उससे कहीं पहले से ही तुझे मे अपने दिल का हीरो मान चुकी हूँ..!

मे अपने आपको तुझे ही सौंपना चाहती हूँ.., मुझे अपना प्यार दे दे भाई.., मे तेरे आगे हाथ जोड़ती हूँ.., अगर तूने मुझे नही अपनाया तो मे किसी और को भी अपना कौमार्य नही दूँगी…!

शंकर भौंचक्का सा बस उसके मूह को ताकता ही रह गया.., उसे ये अंदाज़ा लगाते देर नही लगी कि उसकी बेहन अपनी ज़िद की कितनी पक्की है.., ये जो कह रही है वो करके रहेगी…!

सो हथियार डालते हुए बोला – चल ठीक है.., जैसा तू चाहती है मे वैसा ही करूँगा.., लेकिन फिर उसके बाद मे जो कहूँ वो तुझे मानना होगा…!

सलौनी – मुझे मंजूर है.., उसके बाद तू कुए में कूद जाने को कहेगा तो भी कूद जाउन्गि..!

शंकर – तो फिर अभी छोड़ मुझे.., घर चलते हैं.., ज़्यादा देर यहाँ पड़े रहना ठीक नही है, कोई इधर आ निकला तो क्या कहेगा…!

शंकर की हां सुनकर सलौनी ने उसे अपने बंधन से आज़ाद किया.., दोनो ने बारिश में अपने कीचड़ भरे कपड़े सॉफ किए.., बाइक कीचड़ से निकाली और चल दिए अपने घर की तरफ…!

लेकिन अब वो दोनो बयके पर एक दूसरे से इस अंदाज से चिपके थे जैसे दो प्रेमी…..!

आज से पहले, आज से ज़्यादा खुशी आज तक (सलौनी को) नही मिली……!

दोनो भाई बेहन जब घर पहुँचे तो बारिश पूरे शबाब पर थी.., आज का सावन मानो सलौनी की खुशी को दुगना बनाए रखने की कसम ले चुका था…!
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
बाइक से उतरते ही.., सलौनी ने अपना भी बॅग बाइक पर ही छोड़ा.., और घर के बाहर खाली जगह में बारिश का मज़ा लूटते हुए झूम-झूम कर, बाहें फैला कर, जंगल की मोरनी की तरह नाचने लगी…!

शंकर ने अपना और उसका बॅग उठाया.., जो एक पॉली बॅग के अंदर सेफ था.., घर के अंदर बैठी अपनी माँ को आवाज़ देकर बाहर बुलाया.., उसे बाहर से ही बॅग थमाकर खुद बाथ रूम की तरफ बढ़ गया…!

आज वो भी अपनी गुड़िया के साथ बने इस रिश्ते के एहसास में डूबा अपने अंदर ही अंदर एक अजीब सी खुशी को महसूस कर रहा था…!

शंकर के हाथ से बॅग लेते वक़्त रंगीली की नज़र जब बाहर खुले में भीगते हुए झूम-झूम कर नाचती अपनी लाडली पर पड़ी.., तो वो उसे प्यार से डपटते हुए बोली…!

अरी ओ..करम्जलि…, इतनी भी मस्ती ठीक नही है.., रास्ते भर भीगते हुए आई है.., अभी भी तेरा मन नही भरा…, चल जल्दी से कपड़े बदल ले वरना सर्दी लग जाएगी…!

सलौनी अपनी बाहें फैलाए.., आसमान की तरफ अपना सुन्दर सा खिला हुआ चेहरा उठाए आँखें बंद करके बूँदों का मज़ा लेते हुए हुए बोली

अरे माँ…, मज़ा लेने दे मुझे…, आज के जैसा सावन बार बार नही आएगा.., इसका भरपूर मज़ा लूटने दे मुझे…!

रंगीली – ऐसी क्या खास बात है आज के सावन में.., ये तो रोज़ ही बरसता है…!

सलौनी – बस कुछ खास बात है आज की इस बरसात में.., जिसे तू नही समझेगी.., फिकर मत कर मुझे कुछ नही होने वाला…!

रंगीली – ज़रा मे भी तो सुनू.., ऐसी क्या खास बात है आज.., जो तू इतनी खुश नज़र आ रही है.., रास्ते में कोई कुबेर का खजाना मिल गया क्या..?

सलौनी खिलखियालाती कुई बारिश का मज़ा लेते हुए बोली – यही समझ ले…,

रंगीली – तो बता ना.., ऐसा क्या मिल गया तुझे जो इतनी खुश हो रही है…?

सलौनी – वो मे तुझे नही बता सकती.., ये कहकर वो किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचे भरती हुई बाथरूम में घुस गयी.., रंगीली उसके इस अल्हाड़पन को देख कर मन ही मन खुश हो उठी…!

कोई भी माँ जब अपने बच्चों को खुश होते हुए देखती है तो ऐसे ही सच्चे मन से खुश हो जाती है.., लेकिन रंगीली के मन में अपनी बेटी की खुशी देखकर और उसकी बात सुनकर कई सवाल घूमड़ने लगे…!

इस उमर में लड़के लड़कियों के पैर फिसलने के पूरे पूरे चान्स रहते हैं, कोमल भावनाओं के बीच कोई भी आ सकता है और वो तथाकथित प्यार की राह पर चल पड़ते हैं..,

तो क्या सलौनी किसी से दिल लगा बैठी है…? इस सोच ने रंगीली को बैचैन कर दिया.., अब वो इस बात की तस्दीक़ शंकर से करने की सोचने लगी..,

क्योंकि ज़्यादातर बच्चे अपने हमउम्र के साथ ही ऐसी बातें शेयर करते हैं.., हो सकता है अपने भाई को ये बात उसने न बताई हो….!

उधर जब सलौनी बाथरूम में घुसी उस समय शंकर अपने कपड़े उतारकर अपने बदन को तौलिए से पोंच्छ कर उसी तौलिए को लपेटे हुए बाथरूम से निकलने ही वाला था…!

गीले बदन अपनी छोटी बेहन को अचानक से बाथरूम में पाकर उसकी नज़र उसके उपर पड़ी…!

गीले कपड़ों में उसका साँचे में ढला बदन जो कपड़ों के बदन से चिपकने के कारण उसके अंग-प्रत्यंग को उजागर कर रहा था..,

उसके कच्चे अनार जिनके कड़क अनार के दाने कपड़े के बावजूद चोंच निकाले अपनी स्थिति बयान कर रहे थे.., कुर्ते के गले से उसकी कच्ची चुचियों का क्लीवेज देख कर शंकर अवाक सा खड़ा उसे देखता ही रह गया…!

दोनो मांसल होती जा रही जांघों के बीच उसकी कुरती का कपड़ा एकदम से जांघों से चिपक गया था.., जिससे उसका त्रिकोण साफ साफ अपना आकार दिखा रहा था…!

अपनी छोटी बेहन का इतना खूब सूरत बदन देखकर शंकर का मन डंवांडोल होने लगा.., उपर से कुछ ही पलों पहले वो दोनो ऐसी स्थिति में पहुँच चुके थे जिसके बाद से अब उन दोनो के नज़रिए एक दूसरे के प्रति बदल चुके थे…!

भाई की कामुक नज़रों का स्पर्श अपने बदन पर पा कर सलौनी के चेहरे पर एक नशीली सी मुस्कान तैर गयी.., वो उसके अत्यधिक नज़दीक जाकर लगभग उसके बदन से सटाते हुए शरारत भरे शोख लहजे में बोली…

ऐसे क्यों देख रहा है भाई तू मुझे…???

सलौनी की बात सुनकर शंकर एकदम सकपका गया.., उसके बगल से निकलते हुए बोला – क.क.कुछ नही.., चल अब तू भी कपड़े चेंज करके आजा बाहर..,

सलौनी उसका बाजू थामते हुए बोली – दो मिनिट रुक ना भाई.., साथ ही चलते हैं.., मे चाहती हूँ, तू एक बार अपनी बेहन को जी भरकर देख ले…!

शंकर ने उसे प्यार से डपटते हुए कहा – तू सच में पागल है.., छोड़ जाने दे मुझे.., माँ को शक़ हो जाएगा…!

सलौनी – यही तो मे चाहती हूँ.., जब हम दोनो के बीच एक नया रिश्ता बने तो माँ को इस बात का पता रहे.., वरना जब उसे किसी दूसरे तरीक़े से पता चलेगा तो ज़्यादा दुख होगा…!

शंकर ने अपने हाथ से उसका हाथ हटाते हुए कहा – तू चिंता मत कर, वक़्त आने दे सब संभाल लूँगा…!

इतना बोलकर वो जल्दी से बाथरूम से बाहर आ गया.., पीछे से बड़ी मोहक मुस्कान अपने चेहरे पर लाकर सलौनी मन ही मन बुद-बुदाई…!

कम से कम अब तो अपनी बाहों में ले लेता भाई.., पर चल कोई ना..अब मे तेरी झिझक ज़्यादा दिन नही रहने दूँगी.., तेरी एक हां ने मेरा आगे का रास्ता आसान बना दिया है…!

बारिश बंद होते ही शंकर और उसकी माँ हवेली चले गये.., बातों बातों में सेठानी ने रंगीली से भोला के बारे में जिकर छेड़ ही दी…!

अरी रंगीली आजकल तेरा वो आधा पागल जेठ क्या करता रहता है.., उसे भी लाला जी से कह कर हवेली में ही कुछ काम धाम पर लगा दे.., चार पैसे कमा कर ही देगा…!

सेठानी की बात सुनकर रंगीली ने अपने मन ही मन विचार किया.., आख़िर आज सेठानी ने जेठ जी के बारे में क्यों पूछा.., ज़रूर कोई बात है…?

वरना सेठानी ने जिस आदमी की वजह से अपनी बहू को घर से बाहर निकाल दिया वो भला उनके बारे में इतने दिनो बाद क्यों पूछ रही है और वो भी काम पर लगाने के लिए…!

उसे सोच में डूबा देख कर सेठानी बोली – अरी क्या सोचने लगी…?


मेने कुछ ग़लत बोला क्या..? यहाँ आकर कुछ टहोका करेगा तो कुछ ना कुछ तो तुम लोगों की मदद ही होगी…!

रंगीली – बात तो आपकी सही है मालकिन.., लेकिन वो अब यहाँ नही हैं..,
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
रंगीली के मूह से ये शब्द सुनते ही सेठानी को एक जोरदार झटका लगा.., बिना सोचे समझे उनके मूह से निकल पड़ा…क्या..??? ये क्या कह रही है तू…? परसों ही तो हम मिले थे…!

रंगीली ने चोन्क्ते हुए कहा – आप….उनसे मिली थी..? कहाँ…?

सेठानी को अपनी ग़लती का एहसास हुआ.., उन्होने बात संभालते हुए कहा – अरे..याद नही पड़ रहा मेने उसे कहाँ देखा था.., परसों ही की तो बात है..!

तभी मेरे दिमाग़ मे उसे काम पर रखने की बात आई थी.., बड़ा हॅटा कट्टा अच्छा ख़ासा मर्द है वो….!

रंगीली को ये बात हजम नही हुई.., शक़ का कीड़ा उसके दिमाग़ को कचॉटने लगा.., भला सेठानी इतनी भली कैसे हो गयी कि सामने से उन्हें काम देने की बात सोचने लगी…!

और फिर उनको हॅटा-कट्टा मर्द बोल रही हैं.., ऐसे तो और बहुत सारे मर्द होंगे गाओं में.., फिर उनके लिए ही क्यों पूछा…!

हो ना हो ज़रूर कोई तो बात है.., फिर उसके दिमाग़ को बड़ा तेज झटका लगा.., हे भगवान.., इन्होने लाजो को उनके साथ रंगे हाथों पकड़ा था…,

कहीं इनको उनका वो अजगर भा तो नही गया…? कहीं ये उसे ले तो नही रही अब तक..., ज़रूर यही बात है.., तभी उन्हें यहाँ हवेली में ही काम पर रखने को कहा है…!

सेठानी – अरी अब क्या सोचने लगी..? तूने बताया नही… कहाँ भेज दिया उसे…?

रंगीली को उसे सच्चाई बताना सही नही लगा सो फ़ौरन नया बहाना सोचकर बोली – जी वो इनके मामा के यहाँ खेती बाड़ी संभालने वाला कोई नही था.., सो सासू जी ने उन्हें वहीं भेज दिया है…!

सेठानी – वो आधा पागल क्या खेती बाड़ी संभालेगा..? बुला ले उसे यहीं.., कुछ कमाएगा धामाएगा…!

रंगीली – जी मे बोल दूँगी अम्मा जी को…इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गयी…!

उधर शंकर मौका देख कर सुषमा के पास चला गया.., अपने बच्चे के साथ साथ उसने उसकी माँ को भी जी भरकर खिलाया..!

सलौनी की छेड़-छाड़ से दिन में जितना उसके लंड ने उसे परेशान किया था उसकी सारी कसर उसने सुषमा को रगड़ कर निकाल ली…!

सुषमा भी अपने बच्चे के बाप के साथ जमकर खाट कबड्डी खेलने के बाद पूरी तरह से संतुष्ट हो गयी…!

दिन में ज़्यादा भीगते रहने और मस्ती करते रहने से शाम को सलौनी जल्दी खा-पीकर सो गयी.., इसका फ़ायदा उठाते हुए रामू के खाना खाकर खेतों की ओर निकलते ही रंगीली अपने बेटे के कमरे में चली गयी…!

शंकर लालटेन की रोशनी में अभी तक पढ़ रहा था.., माँ को आया देख कर उसने अपनी किताबें बंद करनी चाही.., तो वो बोली – पढ़ता रह, अभी समय ही कितना हुआ है…!

वो तो सलौनी आज जल्दी सो गयी, तेरे बापू खेतों की रखवाली को चले गये सो मे तेरे पास चली आई.., तू पढ़ तब तक मे तेरे बालों में तेल लगा देती हूँ..,

ये कहकर वो पलंग पर उसके पीछे दोनो तरफ को टाँगें चौड़ी करके, अपने लहंगे को घुटनों तक चढ़कर बैठ गयी.., फिर उसने तेल की कटोरी से अपनी उंगलियों को भिगोकर उसके घुघराले बालों में डाल दी…!

वो धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को उसके बालों में घुमा रही थी जिसके कारण, शंकर को एक अजीब सी शांति मिल रही थी.., लेकिन माँ की गोरी मुलायम पिंडलियाँ उसके मन को ललचा रही थी…,

उसने रंगीली की गोरी-गोरी पिंडलाइयों पर अपना हाथ रख दिया.., रंगीली के बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.., तेल लगाते उसके हाथ एक क्षण को ठहर गये..,

कितनी सुन्दर और चिकनी टाँगें हैं मेरी माँ की.., तुझे कोई एतराज ना हो तो इनपर हाथ फेर लूँ..?

रंगीली अपने लहंगे को और उपर चढ़ाते हुए बोली – तू सब कुछ तो कर चुका है.., तो फिर सहलाने के लिए क्यों पूछ रहा है…,

अपने हाथ को उपर नीचे करके उसकी टाँग सहलाते हुए वो बोला – हर काम के लिए पुच्छना ज़रूरी है.., आख़िर तू मेरी माँ है.. तेरी मर्ज़ी के बगैर आज तक मेने कुछ किया है..?

रंगीली उसके सिर की मालिश करते हुए बोली – तेरी पढ़ाई पर असर तो नही पड़ेगा..?

शंकर – नही, आँखें और दिमाग़ अपना काम करेगा.., हाथ अपना.., बस इनकी चिकनाहट देख कर मन करने लगा सो पूछ लिया…!
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10-16-2019, 06:31 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर का भी पढ़ाई से मन बिल्कुल हट चुका था.., उसका हाथ अब उसकी मोटी-मोटी केले के तने जैसी चिकनी सुडौल जांघों तक पहुँच चुका था…!

उसकी हरकत ने रंगीली के मन के तार झन-झनाकर रख दिए.., उसके उपर वासना की खुमारी छाने लगी थी…!

रंगीली अपने आप पर काबू खोती जा रही थी, उसने अपने बेटे के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया.., उसके होठों को चूमते हुए बोली – तेरे लिए तो मे सारी की सारी हमेशा तैयार रहती हूँ..,

बिना पूच्छे जो तेरे जी में आए मेरे साथ कर सकता है.., बस मौका सही होना चाहिए.., इतना ध्यान रखना हमारे इस रिश्ते की भनक किसी को लगने ना पाए…!

शंकर ने अपनी माँ की सुडौल गुदाज चुचि को दबाते हुए कहा – लेकिन शायद भनक तो लग चुकी है माँ…,

शंकर के मूह से ये शब्द सुनकर अपने हाथ को उसके हाथ के उपर रखते हुए चोंक कर उसने पुछा – क्या…? किसे..?

शंकर – शायद सलौनी ने हमें देख लिया है वो सब करते हुए…!

रंगीली विश्मय से अपने मूह पर हाथ रखते हुए बोली – हाए राम…ये क्या कह रहा है तू.., क्या उसने ऐसा कहा है…?

शंकर अब तक उसकी चोली को बदन से अलग कर चुका था.., इस एहसास ने कि माँ-बेटे की काम क्रीड़ा की गवाह उसकी खुद की बेटी भी है उसके अंदर की उत्तेजना को और बढ़ा दिया…!

उसके गोल-गोल कांचे जैसे निपल कड़क हो गये.., जिन्हें हल्के हाथ से मसल्ते हुए शंकर ने कहा – हां.., आज स्कूल से आते वक़्त उसने ऐसा कहा…!

फिर उसने दोनो भाई-बेहन के बीच जो भी रास्ते में हुआ वो सब ज्यों का त्यों बयान कर दिया…!

रंगीली मन ही मन सोचने लगी….उसकी बेटी भी अब जवान हो गयी है.., और वो भी अपने भाई से अपना कौमार्य भंग करवाना चाहती है.., शायद इसलिए वो आज इतनी खुश दिखाई दे रही थी…!

मे खम्खा उसपर शक़ कर रही थी कि कहीं वो किसी के प्यार में तो नही पड़ गयी.., लेकिन अपने ही भाई से…, क्या ये ठीक रहेगा…?

फिर उसी के मन के एक कोने ने जबाब भी दे दिया.., क्यों नही.. सलौनी सही तो कह रही थी.., जब मे माँ होकर अपने बेटे से चुद सकती हूँ तो वो क्यों नही…!

रंगीली को सोच में डूबा देख कर एक पल को तो शंकर के मन में डर पैदा होने लगा.., कहीं माँ ये सुनकर नाराज़ तो नही हो गयी.., ऐसा है तो वो कहीं गुड़िया के उपर हाथ ना छोड़ दे..!

उसने डर कर अपना हाथ उसकी मुलायम चुचि से हटा लिया और बोला – क्या हुआ माँ..?

शंकर की आवाज़ ने उसकी सोच को विराम लगा दिया.., वो उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली – तूने क्या जबाब दिया उसे…?

शंकर – मेरे सामने और कोई रास्ता नही था.., उसकी ज़िद के आगे मुझे झुकना ही पड़ा और इस वादे के साथ मेने उसे हां कर दी कि फिर वो वही करेगी जो हम कहेंगे…!

अगर तुझे ये ठीक नही लगता तो मे उसे साफ-साफ मना कर दूँगा.., लेकिन प्लीज़ माँ वादा कर तू उसे कुछ नही कहेगी…!

रंगीली ने उसका हटाया हुआ हाथ पकड़कर फिरसे अपनी चुचियों पर रख दिया और उसके पाजामे में बन रहे तंबू को मसल्ते हुए बोली – शायद तूने ठीक ही किया…,

लड़की की जात..इस उमर में भटकने का ख़तरा बना रहता है.., ये अच्छा है कि उसने बाहर कहीं ना जाकर तुझे अपनी इच्छा जताई है..,

मुझे तुम दोनो के इस रिश्ते से कोई एतराज नही है.., कम से कम कुछ अनहोनी तो नही होगी.., घर की बात घर में ही रहेगी…!

रंगीली की बात सुनकर शंकर के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी..,


वो अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी वहाँ सलौनी की खुशी से भरी किल्कारी सुनाई दी…,

जो ना जाने कब से छुपकर उन दोनो की कामुक क्रीड़ा युक्त बातें सुन रही थी..,
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10-16-2019, 06:32 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
आते ही वो अपनी माँ से लिपट गयी.., और खुशी से चहकते हुए बोली – सच माँ.., तुझे मेरे और भाई के रिश्ते से कोई एतराज नही है..?

रंगीली ने प्यार से उसके सिर पर एक चपत लगाई, और उसकी चोटी खींचते हुए बोली – शैतान की नानी.., कब से हम दोनो को देखती आ रही है…?

सलौनी – आई…माँ…चोटी छोड़ ना.., मे तुम दोनो के बारे में सालों से जानती हूँ.., लेकिन अपनी मर्यादा और उम्र का भान था मुझे.., आज सही मौका देख कर मेने भाई को बोल दिया…!

और रही बात बाहर किसी लड़के के प्रेम जाल में फँसने की तो मे तो अपना कोमल दिल कब का अपने भाई को सौंप चुकी हूँ, फिर भला इसमें किसी और के लिए जगह कहाँ से होगी…!

रंगीली ने अपनी बेटी को खींचकर अपने सीने से लगा लिया.., शरारत की पुतली सलौनी ने माँ की नग्न चुचि को अपने मूह में भर लिया और उसे किसी छोटी बच्ची की तरह छू छूकर चूसने लगी…!

रंगीली के चहरे पर ममतामयी मुस्कान तैर गयी.., उसने शंकर को भी इशारा किया और दूसरी चुचि उसके मूह में दे दी…!

उसके दोनो हाथ ममता और उत्तेजना बस दोनो के सिरों पर पहुँच गये और बड़े स्नेह के साथ अपनी दोनो चुचियों को चूस रहे अपने बच्चों के सिरों को सहलाने लगी…!

चुचि चूसना छोड़कर सलौनी ने अपनी माँ से कहा – तो आज ही मे भाई के साथ…

रंगीली – आज नही...एक हफ्ते बाद तेरा जन्म दिन है...उस रात को मे खुद अपने हाथों से तेरी सील तेरे प्यारे भाई के इस शानदार हथियार से खुलवाउंगी…!

ये कहकर उसने सलौनी के सामने ही शंकर के नाग का फन दबा दिया.., और बोली – अब तू जा जाकर चैन की नींद ले…!

सलौनी – नही माँ, आज मे यहीं बैठकर आप दोनो की वो …. देखना चाहती हूँ.., प्लीज़ मना मत करना…!

सलौनी ने ये बात इतनी मासूमियत से कही कि रंगीली चाहकर भी मना नही कर पाई…उसने मुस्कुरा कर उसकी कोमल अनछुई चुचियों को सहला दिया..,

पहली बार किसी दूसरे का हाथ अपनी चुचियों पर लगते ही सलौनी के मूह से एक मादक सिसकी निकल गयी…!

रंगीली ने उसे अपनी ओर खींच लिया, अपनी सुडौल छाती से दबाते हुए बोली – चल ठीक है देख लेना..,


अच्छा है तू भी कुछ सीख लेगी कि एक असली मर्द एक औरत को बिस्तर पर किस तरह से रोन्द्ता है…..!

अपनी माँ के मूह से रज़ामंदी भरे शब्द सुनकर सलौनी का कोमल सरल मन आनंदित हो उठा.., एक अंजानी सी उत्तेजना उसके पूरे बदन में दौड़ने लगी..,

अपने कोमल मनोभावों पर काबू करते हुए वो पालती लगाकर बिस्तेर के एक कोने में बैठ गयी और आनेवाले कुछ पलों में अपने सामने होने वाले माँ-बेटे के बीच के कामोत्तेजित घमासान को देखने के लिए अपने आप को तैयार करने लगी..!

जो चुदाई आज तक वो छुप छुपकर देखती आ रही थी, उसे वो आज अपने बिल्कुल नज़दीक से, अपनी माँ की रज़ामंदी से देखने को मिलने वाली थी…!

यही सब सोच सोचकर उसका बदन उत्तेजना से भर उठा.., उसके अनछुए बदन के स्पेशल पार्ट्स में एक अजीब सी सुरसूराहट सी होने लगी.., जिसकी वजह से उसका नाज़ुक बदन हल्के हल्के से काँपने लगा…!

शंकर और रंगीली ने एक बार मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा.., फिर माँ का इशारा पाकर उसने अपना काम शुरू कर दिया…!

एक हाथ रंगीली की चुचि को सहलाते हुए उसने दूसरे हाथ से उसके लहंगे का नाडा खींच दिया..,


उधर रंगीली ने उसको उपर से नंगा कर दिया.., फिर उसके पाजामे को निकाल कर अंडरवेर में उफान ले रहे उसके 8” के लंड को ज़ोर्से मसल दिया…!

आआईयईई…माआ…क्या करती है…लंड मसल्ने से शंकर के मूह से एक मादक कराह निकल पड़ी.., और उसने उसके लहंगे को भी निकाल फेंका…!

बिना कच्छि के अब दोनो भाई बेहन के सामने उनकी माँ की भरपूर जवान यौनी चमक रही थी.., जो बिना बालों के उसकी दोनो माल पुए सी फूली हुई फांकों को देख कर सलौनी उत्तेजना से भर उठी..,

वो मन ही मन अपनी मुनिया की तुलना उसकी फूली हुई भरपूर जवान चूत से करने लगी.., उसकी आँखों में वासना भरने लगी.., उसका सुंदर सा चेहरा और लाल होने लगा…!
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10-16-2019, 06:32 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
अपनी बेटी को टक-टॅकी लगाकर अपनी चूत देखते हुए रंगीली ने मुस्करा कर कहा- क्या देख रही है सलौनी..? कैसी लगी तेरी माँ की चूत तुझे..? देख ले, तू भी इसी में होकर निकली थी…!

माँ के मूह से इतने खुले शब्द सुनकर सलौनी पर वासना का खुमार तारी होने लगा.., उसका मन कर रहा था कि वो अपनी माँ की बिना बालों वाली चिकनी चमचमाती हुई सुदर कचौड़ी जैसी फूली हुई चूत को छूकर देखे..,

सो अपनी इच्छा जताते हुए बोली – बहुत सुंदर है माँ.., मन कर रहा है मे इसे छूकर देखूं…!

रंगीली – तो देख ना.., मना किसने किया है.., आजा मेरी लाडो.., करले अपने मन की.

बस फिर क्या था, सुनते ही वो उछल्कर अपनी माँ की टाँगों के पास जा बैठी और अपनी कोमल पतली पतली उंगलियों से उसकी चिकनी चमेली को छूकर देखते हुए बोली…

कितनी मुलायम और फूली हुई है ये तो.., मेरी तो…कहते कहते वो लाज्बस चुप रह गयी.., उसकी अधूरी बात का मातब समझते हुए रंगीली उसका टॉप उतारते हुए बोली…

तेरी तो क्या..? खुलकर बोल ना लाडो…, तेरी अभी ऐसी नही है यही ना….

उसने शर्म से अपने होठ चबाते हुए अपनी मुन्डी हां में हिला दी.., उसकी छोटी सी ब्रा में क़ैद उसके कच्चे अमरुदो को अपने हाथों में लेकर रंगीली बोली…

अरे वाह देखो तो कैसी शर्मा रही है मेरी गुड़िया.., अपने भाई का मूसल जैसा लंड लेने को तैयार है.., और शर्म के मारे ज़ुबान तालू से चिपक रही है…

चल दिखा तो अपनी मुनिया.., हम भी तो देखें.., हमारी गुड़िया रानी कितनी जवान हो गयी है..?

सलौनी अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए बोली – मुझे शर्म आ रही है आप दोनो के सामने..,

उसकी बात सुनकर रंगीली ने शंकर की तरफ इशारा किया.., जिसे समझते हुए उसने सलौनी की बगलों में गुदगुदी कर दी.., वो खिल-खिलाकर वहीं बिस्तर पर लेट गयी..,

इसी का लाभ लेते हुए शंकर ने उसका लोवर खींच कर निकाल दिया.., हँसते हुए उसने अपने घुटने मोड़ कर अपने पेट से लगा दिए.., और अपनी नन्ही सी कच्छी को टाँगों से छुपाने का प्रयास करने लगी…!

शंकर ने उसकी पतली-पतली चिकनी मुलायम जांघों को सहलाते हुए फिरसे गुद-गुदि की जिसे सहन ना कर पाने की सूरत में उसकी टाँगें लंबी हो गयी.., इतने में ही रंगीली ने उसकी कच्छी भी निकाल दी…!

अब सलौनी भी मात्र अपनी छोटी सी ब्रा में बिस्तर पर गुड-मूड पड़ी अपनी छोटी सी अनछुई मुनिया को छिपाने का असफल प्रयास कर रही थी…!

रंगीली अपनी बेटी के कोमल बदन से अपनी सुडौल चुचियों की मसाज देती हुई उसे उठने का बोलते हुए बोली- उठना लाडो.. अब इतना भी क्या शरमाना.., तू तो मेरी चूत देखने वाली थी ना.., फिर क्या हुआ…?

देख ज़्यादा नखरे करेगी ना, तो फिर अपने भाई से चुदना तो तू भूल ही जा….!

माँ की इस धमकी का जबरदस्त असर हुआ और सलौनी अपनी लाज शर्म भूलकर फ़ौरन उठकर बैठ गयी…!

रंगीली ने उसकी टाँगें चौड़ा कर उसकी अनछुई मुनियाँ के पतले-पतले होठों को जो आपस में चिपके हुए थे.., बस दोनो के बीच एक पतली सी बारीक लकीर थी..,

उनपर उसने अपना हाथ रखकर सहला दिया.., सलौनी के मूह से एक मादक सिसकी निकल गयी.., सस्स्सिईइ…हाईए…रहने दे ना माँ…बहुत गुद-गुदि होती है.. ये कहकर वो फिरसे अपनी जांघों को आपस में जोड़ने लगी…!

उधर शंकर ने उसकी ब्रा भी निकाल दी.., अपनी छोटी बेहन के कच्चे-कच्चे अनारों को देख कर जिनके शिखर पर दो छोटे-छोटे किस्मीस के दाने जैसे निपल चिपके हुए थे…

जो अब इतनी छेड़-छाड़ से कड़क होकर बाहर को निकल आए थे, उन्हें अपनी चौड़ी हथेली से दबाकर उसने उसके अनारों को थामकर सहला दिया…!

हाईए…भाईईइ…ज़ोर्से नही.., दर्द करते हैं…,

रंगीली ने उसका एक हाथ अपनी पकौड़े जैसी चूत पर रख कर दबा लिया.., और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहलाते हुए बोली – दर्द सहना सीख लाडो.., तभी तो तू अपने भाई का ये घोड़ा पछाड़ अपने अंदर ले पाएगी…!

ये कहकर उसने उसका एक हाथ पकड़कर शंकर के लंड पर रख दिया.., जो कड़क होकर अंडरवेर को फाडे दे रहा था…!
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