Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
07-25-2020, 02:00 PM,
#81
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#73

रात को 10 बजे के लगभग मैं वापस राज नगर पहुँच चुका था और 11 बजे अपने घर ……..

मैं दिन भर की व्यवस्त-ता की वजह से थका हुआ था , इसलिए घर पहुँचते ही बिस्तर के हवाले हो गया और जल्द ही नींद में डूब गया ……….

सुबह उठ कर फिर वही रुटीन वर्क , मैं अपने हमेशा के टाइम पर तय्यार हुआ और ऑफीस पहुँच गया ……….कल वॉल्ट का फाइनल इनस्पेक्षन होना था …और मुझे उस की तय्यारी भी करनी थी ……करण ना था , इसलिए मैने निधि को साथ लिया और बॅंक पहुँच गया ……..हम दोनो ने वहाँ वॉल्ट की वर्किंग को एक लास्ट बार चेक किया , सब कुछ बिल्कुल पर्फेक्ट था ……..आउट साइड कन्स्ट्रक्षन भी कंप्लीट हो चुका था ……..फिर 1 घंटे बॅंक में रहकर हम वापस ऑफीस आ गये …….

निधि , आज उसका मिज़ाज़ कुछ बदला बदला सा लग रहा था…….हमेशा खुश रहने वाली निधि , आज बड़ी खामोश सी थी …..और मज़ाक तो बिल्कुल भी नही कर रही थी ……मेरा दिल किया कि उस से पूछू , पर फिर मुझे उस दिन सीसीटीवी पर देखा हुआ मंज़र याद आ गया …….कुछ सोच कर मैं चुप ही रह गया ……..दोपहर 12 बजे हम दोनो वापस ऑफीस पहुँच चुके थे……

अपने कॅबिन में आकर मैने अपना लॅपटॉप ऑन किया और एमाइल्स चेक करने लगा…….पहला मैल देख कर ही मैं चौंक गया …….यह मैल मिस्टर.चौधरी ने भेजा था , कंपनी के सभी डाइरेक्टर्स को …जिन में से एक मैं भी था ……कल यानी ट्यूसडे को 5.00 बजे बोर्ड मीटिंग बुलाई गयी थी , और सभी डाइरेक्टर्स को अटेंड करने का इन्स्ट्रक्षन दिया गया था ………

इसका मतलब मिस्टर.चौधरी अपनी बात पर अमल करने वाले हैं ……….सोच कर ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी …….और साथ ही मुझे शरद की कही हुई बातें याद आने लगी थी ………उसके कहे हुए शब्द बार बार मेरे कानो में गूंजने लगते थे …….. ‘ हम लोग नही चाहते की कोई बाहर वाला आकर इस पर कब्जा कर ले ‘ ……..मिस्टर.चौधरी ने हमेशा मुझे अपने बेटे की तरह माना था , पर मैने खुद कभी उनकी लाइफ में , या उनके घर में घुसने की कोशिश नही की थी ……मैं जानता था की मैं उनके बेटे जैसा हूँ, उनका बेटा नही……

मैने नेहा का नंबर लगाया …………..बेल जाती रही पर उसने फोन पिक नही किया …मुझे बड़ा अचरज हुआ …….मैं अपने कॅबिन से बाहर निकल कर , नेहा के ऑफीस तक गया ….वो वहाँ भी नही थी ……..फिर मैने उसके मोबाइल पर कॉल की ……पर वहाँ से भी कोई रिप्लाइ नही मिला ………

“ ज़रूर किसी काम में बिज़ी होगी “ सोच कर में फिर से अपने काम में लग गया ……….शाम को करीब 4 बजे होंगे की मेरे ऑफीस के दरवाज़े पर नॉक हुआ ..और फिर दरवाज़ा खुल गया ……..यह नेहा थी ……उसने एक निगाह अंदर डाली और फिर मुस्कुराती हुई अंदर आ गयी ……और मेरे सामने वाली चेयर पर बैठ गयी……

“ कहाँ थी इतनी देर से ………मैं कब से तुम्हारा नंबर ट्राइ कर रहा हूँ ? “ मैं शिकयती लहज़े में बोला ……..

“ तुम्हारी मिस-कॉल देख कर ही तो पता चला कि जनाब वापस आ गायें हैं ……..और अब उन्हे मेरी याद आ रही है ………” वो हंसते हुए बोली ………

“तुम्हे क्या लगा की मैं तुम्हे कभी याद नही करता ……….? “ मैं मुस्कुराते हुए बोला………..

“ खुद ही देख लो …….जब से गये हो , एक भी फोन नही किया ………..अब वापस आते ही तुम्हे मेरी याद आ गयी है ……….” उसने बड़ी अदा के साथ , मुस्कुराते हुए कहा ………….हंसते हुए वो हमेशा गजब की खूबसूरत लगती है …और आज भी ऐसा ही कुछ था ………अगर यह ऑफीस ना होता तो ,यक़ीनन मैने उसको अब तक दबोच लिया होता………….

“ तुम्हे नही मालूम की मैं तुम्हे कितना याद करता हूँ नेहा ………..बस यह बात है कि मैं अपनी चाहत को कभी शो नही कर पाता ..” मैने पूरी संजीदगी से कहा ……….

वो अपनी जगह से उठ कर दरवाजे पर गयी और उसको बोल्ट कर दिया ……और फिर बहुत तेज़ कदमो से मेरे पास आ गयी ……और उस ही पोज़िशन में मुझे से लिपट गयी ……..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसको भी मैने अपनी गोद (लॅप) में खींच लिया ……….कुछ देर वो मेरे गले से लगी रही , फिर उसने अपना चेहरा ऊपर किया और अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया ………… एक तेज़ लहर सी मेरे पूरे शरीर में उठने लगी और उसके होंठों को मैने अपने होंठों में क़ैद कर लिया …………

हमेशा से अलग , आज हमारी हरकतों में एक जुनून सा था ………..हमारे जिस्म एक दूसरे से मिलने के लिए प्यासे थे , और शायद यही प्यास हमें परेशान कर रही थी …………..मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमते रहे फिर थोड़ी ही देर बाद उसके पूरे शरीर को नापना सुरू कर दिया ……….. उसके हाथ भी जो अभी तक मेरे बालों में घूम रहे थे , मेरी गर्दन से होते हुए मेरे सीने पर आ गये ……..

फिर इस से पहले की हमारी हरकते बे-काबू हो जाती ……मैने खुद को संभाला , और उसको धीरे से अपने आप से अलग किया ……….उसकी तेज़ साँसे और लाल हो चुकी आँखें , उसकी हालत को बयान कर रही थी ……..पर जो वो चाहती थी , और मैं भी ……वो अभी तो संभव नही था ……..

उसने भी हालत को समझा , और धीरे से मेरी गोद में से उठ कर खड़ी हो गयी…..फिर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े और बाल सही करने लगी ……….थोड़ी ही देर बाद वो फिर से मेरे सामने बैठी हुई थी ……..बिल्कुल खामोश

“आज शाम को तो हम मिल रहे हैं ना ? “ मैं उस से पूछा … उसने सिर्फ़ सर को हिलाकर हां का इशारा किया ……….

“ ठीक है ………शाम को हम दोनो यहाँ से साथ ही चलेंगे …….” मैने कहा और आपे हाथ आगे बढ़ा कर , उसके हाथ के ऊपर रख दिया ………उसने एक बार मेरी तरफ देखा , और फिर से मुस्कुरा दी ……..

“जब भी चलना हो ,मुझे रिंग कर देना ………..” उसने कहा और सीट से उठ कर खड़ी हो गयी ……..और फिर कमरे से बाहर निकल गयी …….

मैने एक लंबी साँस ली और फिर से अपने काम निपटाने लगा……..मुझे आज की शाम नेहा के साथ बितानी थी , और यह ख्याल ही मुझे एक अजीब से रोमांच से भर रहा था ……..
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07-25-2020, 02:00 PM,
#82
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#74

शाम हो गयी और मैं ऑफीस से बाहर निकलने की तय्यारी करने लगा…….फिर मैने नेहा का नंबर मिलाया ………उसका फोन बजता रहा, पर पिक नही हुआ ……..शायद अपनी सीट पर नही थी…..

मैने अपना बॅग उठाया और कॅबिन से बाहर आ गया …….लिफ्ट में सवार होते हुए मैं उसका मोबाइल नंबर लगाया ………इस बार उसने कॉल रिसीव कर ली …

“ कहाँ हो यार …………..कब से तुम्हे फोन कर रहा हूँ ………? “ उसके कॉल रिसीव करते ही मैने कहा …………

“ मैं बस अभी नीचे ही आ रही हूँ …………..” उसने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……

मैं ग्राउंड फ्लोर पर पहुँचा और अपनी गाड़ी पार्किंग से बाहर निकाल ली ……….फिर उसका वेट करने लगा ……….कुछ ही देर में वो मुझे आती हुई दिखाई पड़ी ……मैने तुरंत साइड का दरवाज़ा खोल दिया ……….वो गाड़ी के पास आई और अंदर बैठ गयी , बिना कुछ बोले ………….

मैने गाड़ी आगे बढ़ा दी …………..फिर मैने उसकी तरफ देखा ……………उसके चेहरे पर थोड़ी देर पहले मौजूद स्माइल अब गायब थी ………मैने पूचछा ..

“क्या हुआ ? ………..इतना उदास क्यों हो ? “

वो कुछ देर चुप-चाप सामने देखती रही , फिर मेरी तरफ देख कर बोली ……..

“ मुझे अभी देहरादून निकलना है राजीव …………..”

“क्यों ………अचानक क्या हो गया …? सब ठीक तो है ना ?” मैं चौंकता हुआ बोला…………

“ सब ठीक है …………अभी थोड़ी देर पहले मेरे आड्वोकेट का फोन आया था , कल केस की तारीख है ……उसका कहना है कि शायद कल ही कुछ डिसाइड हो जाए ……मेरा वहाँ होना बहुत ज़रूरी है राजीव…..” वो उदास सी आवाज़ में बोली …….

मेरे लिए यह एक झटके जैसा था ……..मैं यह शाम उसके साथ बिताने की बात सोच सोच कर ही रोमांचित हो रहा था , और अब उसके जाने की खबर मेरे लिए ऐसी थी जैसे किसी छोटे बच्चे के हाथ से उसका मन-पसंद खिलोना छीना जा रहा हो ……….

मैने गाड़ी को एक साइड में करके रोके लिए और उसकी तरफ देखा ……..उसने भी एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सामने देखने लगी ………उसके चेहरे से लग रहा था की वो कितनी मायूस है ………

“ क्या अभी जाना ज़रूरी है ? ……….अगर कल सुबह निकल जाओ तो ? ..” मैने पूचछा …….हालाँकि इसका जवाब मुझे खुद भी मालूम था ……..

उसने ना में सर हिलाया और धीरे से बोली …….”यह पासिबल नही है राजीव ………” फिर अपने हाथ में बँधी घड़ी पर निगाह मारते हुए बोली “ 45 मिनिट बाद मेरी फ्लाइट है और अभी मुझे अपना समान भी लेना है ……”

मैने एक बार लंबी साँस ली , फिर गियर डाल कर गाड़ी आगे बढ़ा दी ……….10 मिनिट बाद हम उसके घर के बाहर खड़े थे ………
“जाओ तुम अपना समान ले आओ ……..मैं तुम्हे एरपोर्ट छोड़ दूँगा ………” मैने कहा ………

वो बिना कुछ कहे गाड़ी से उतरी और अपने घर की तरफ चली गयी ………..5 मिनिट बाद ही वो एक बेग हाथ में लिए हुए वापस लौटी और फिर बिना कुछ बोले गाड़ी में आकर बैठ गयी …. मैने गाड़ी को आगे बढ़ा दिया……….

मैं बहुत तेज़ स्पीड के साथ गाड़ी को दौड़ाता रहा ………हम दोनो ही बिल्कुल चुप-चाप थे ……….यह जुदाई , जो बिना बताए हम दोनो के बीच में आ गयी थी , मैं बर्दाश्त नही कर पा रहा था ………..और शायद वो भी ………. हम दोनो खामोसी रह कर इस दर्द को सहन करना चाह रहे थे .........15 मिनिट बाद ही मैं उसको लिए हुए एरपोर्ट पहुँच गया ………..गाड़ी रोक कर मैं अपनी साइड का दरवाज़ा खोल कर उतरने लगा , कि उसने रोके दिया ……

“ तुम रहने दो ……….मैं खुद चली जाऊंगी ………..”

“ नही…….. मैं तुम्हे अंदर तक छोड़ कर आऊंगा …..” मैं ज़िद सी करता हुआ बोला …….

“नही राजीव…………क्यों तुम मेरे जाना और मुश्किल बना रहे हो ………प्लीज़ अंदर मत आओ ……………..तुम जानते हो , तुमको वहाँ देख कर मैं जा नही पाऊँगी ” उसने उदास सी आवाज़ में कहा …….और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया ………

मैं कुछ नही बोला ………और फिर उसका हाथ पकड़ कर , उसको अपनी तरफ खींच लिया ……..वो अपनी सीट से उठ-ती हुई , मेरी तरफ आगयि ……..और फिर मेरे गले से लग गयी ………अगले कुछ मिनिट्स तक हम दोनो गाड़ी में बैठे हुए ही , यूँ ही लिपटे रहे ………यह जानते हुए भी की बाहर खड़े सभी लोग सिर्फ़ हमें ही देख रहे हैं ………..

फिर उसने खुद को मुझ से अलग किया और गाड़ी से उतर गयी ........फिर नीचे को झुक कर , खिड़की के नादर झाँकते हुए बोली .....

" मैं कल तुम्हे फोन करूँगी ........" कह कर वो एर पोर्ट बिल्डिंग की तरफ चल दी ……….में उसको जाते हुए तब तक देखता रहा, जब तक वो मेरी आँखों से ओझल नही हो गयी ………

मैं वापस अपने घर की तरफ चल दिया ………अब मैं फिर से अकेला हो गया था …….बिल्कुल तन्हा ………… फिर से मेरा सुनसान घर मुझे काट खाने को दौड़ेगा …………मैं जितना नेहा के नज़दीक जाने की कोशिश करता था, उतना ही वो मुझ से दूर जा रही थी ……… पर जैसा की उसने कहा था , शायद इस बार वो अपनी पिच्छली ज़िंदगी को पीछे छोड़ कर आएगी ……..और उसके बाद वो सिर्फ़ मेरी होगी ……..पूरी तरह से और हमेशा के लिए …………
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07-25-2020, 02:00 PM,
#83
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#75

एक और रात यूँ ही गुज़र गयी ……….फिर वही रुटीन वर्क ……..मैं सुबह तय्यार होकर ऑफीस पहुँच गया था ………..मुझे मालूम था की आज का दिन बहुत ज़्यादा बिज़ी होने वाला है …………….

ऑफीस पहुँचते ही मैं मिस्टर.चौधरी से जाकर मिला ……..वॉल्ट का फाइनल इनस्पेक्षन आज था , और टीम बस पहुँचने ही वाली थी ……..उन्होने मुझे से कहा कि मैं अपनी टीम के साथ बॅंक पहुँच जाऊं ……..

मैं , निधि और 2 स्टाफ के मेंबर्ज़ को साथ लेकर बॅंक पहुँच गया ……….सब कुछ पहले से चेक किया हुआ था …….फिर भी मैने एक और बार चेक किया ………सब कुछ पर्फेक्ट था , ऐज यूषुयल …………..

लगभग 1 घंटे बाद डेलिगेशन ( इनस्पेक्षन टीम) आ गयी …..और उसके कुछ देर बाद ही मिस्टर.चौधरी भी …………….टीम अपना काम करती रही ……एक एक आदमी ने हर एक वॉल्ट को खोल कर चेक किया , सारे कार्ड्स और पासवर्ड्स मैने उनके हॅंडोवर कर दिए ……….लगभग 2 घंटे तक इनस्पेक्षन चलता रहा और फिर आख़िर में , जैसा कि हम सब को उम्मीद थी …….उन्होने वॉल्ट को अप्रूवल दे दिया ………हम सब बहुत खुश थे …….और सबसे ज़्यादा मिस्टर.चौधरी ……..उनका एक और ड्रीम प्रॉजेक्ट आज पूरा हो गया था …….और उनकी खुशी को देख कर मैं भी बहुत रिलॅक्स फील कर रहा था …………….

हमने वॉल्ट को हॅंडोवर कर दिया ………उन्होने हमें बताया कि इस ही हफ्ते में , या नेक्स्ट वीक ..गोल्ड का एक स्टॉक यहाँ ट्रान्स्फर कर दिया जाएगा ……उसके बाद पूरा डेलिगेशन वापस ऑफीस आ गया ……..वहाँ उनके लिए एक लंच अरेंज किए गया था ……… लंच के बाद, करीब 3 बजे के आस-पास वो लोग वापस लौट गये …….और मैं भी मिस्टर.चौधरी से विदा लेकर , अपने कॅबिन में आ गया …….एक ख़ास बात यह थी कि आज सुबह से ही शरद कहीं भी नज़र नही आ रहा था ………ना ऑफीस में , ना बॅंक में और ना ही किसी मीटिंग में ……

एक और प्रॉजेक्ट ख़तम हो चुका था …….और आज की बोर्ड मीटिंग में शायद यह डिसाइड होना था कि अब मुझे आगे क्या करना है

………अभी तक मिस्टर.चौधरी ने मुझे कोई हिंट नही दिया था ……..पर इतना तो उनकी बातों से मैं समझ ही चुका था की वो मुझे एक बड़ी रेस्पॉन्सिबिलिटी सौंपना चाहते थे ……..

ठीक 5 बजे में कान्फरेन्स रूम में पहुँच गया …………मुझ से पहले ही वहाँ काफ़ी लोग मौजूद थे ……..मिस्टर.अनिल चौधरी , प्रिया , निधि , और कंपनी के अन्या 6 डाइरेक्टर्स , जो कंपनी के मेजर शेर होल्डर्स में से थे ……… मेरे पहुँचने के बाद यह गिनती अब 10 हो गयी थी ……और उसके अलावा करीब 5 लोग और , जो ऑफीस स्टाफ में से थे ..……. ……..अब सिर्फ़ 2 लोग बाकी रह गये थे …….हॉल में बिल्कुल खामोशी थी , सब लोग बिल्कुल खामोश बैठे हुए इंतेज़ार कर रहे थे ……

फिर करीब 5 मिनिट के बाद पहले शरद और उसके बाद मिस्टर.चौधरी वहाँ पहुँचे ………शरद के चेहरे पर एक चमक सी दिखाई पड़ रही थी ………..और मिस्टर.चौधरी के चेहरे पर परेशानी के भाव ……
मिस्टर.चौधरी ने अपनी सीट संभाली , और फिर बोलना शुरू किया …………..

“फ्रेंड्स …………मैं आज की यह बोर्ड मीटिंग एक ख़ास वजह से बुलाई है ………जैसा कि आप लोग जानते है , हमने बहुत दिनो पहले एक सपना देखा था , एक ऐसा बॅंक शुरू करने का जो अपने आप में यूनीक हो ………आज से कुछ महीने पहले हमने ऐसा एक बॅंक शुरू भी कर दिया …….जिसको हिन्दुस्तान के सबसे सेफ बाँक्स में गिना जाता है .............और जल्द ही हमारे इस बॅंक की ब्रॅंचस हिन्दुस्तान के 10 बड़े शहरो में खुलने जा रही हैं……….”

सब लोगो ने टेबल्स को थप-थपा कर चियर किया ………….

वो आगे बोलते रहे “ उसके बाद हम लोगो ने एक और प्रॉजेक्ट हाथ में लिया …….गूवरमेंट गोल्ड रिज़र्व के लिए वॉल्ट्स तय्यार करने का ………दोस्तो , हमने ना सिर्फ़ रेकॉर्ड समय में वॉल्ट को तय्यार कर लिया है ….बल्कि आज गवर्नमेंट के एक डेलिगेशन टीम ने उसको अप्रूव भी कर दिया है ……….जैसा कि मुझे उम्मीद है …….इस साल के एंड तक हमारे इस वॉल्ट में करीब 50 टन गोल्ड रिज़र्व आ जाएगा ………जिसकी मार्केट कॉस्ट करीब 110 बिलियन होगी…………..हमारे कांट्रॅक्ट के हिसाब से हमें इसका 1% पर अन्नुम आस रेंट मिलेगा ………..यानी 110 क्रोरे रुपीज़ पर एअर ………..”

एक बार सब ने फिर से टेबल्स को थप-थपा कर चियर किया ……….फिर मिस्टर.चौधरी ने अपने सामने रखे हुए गिलास से पानी पिया और आगे बोलने शुरू किया ……….

“दोस्तो इस सारी कामयाबी में जिस एक आदमी का सबसे बड़ा रोल है , वो है राजीव …………” उन्होने मेरी तरफ इशारा किया और सबने इश्स बार ताली बजाकर मुझे विश किया ……….

“ राजीव , अभी तक लक्ष्मी बाँक्स का वाइस चेर्मन है ………अब मैं चाहता हूँ कि राजीव को इश्स कंपनी की कमान सौंप दी जाए ….मैं उसको लक्ष्मी बॅंक का चेर्मन डिक्लेर करता हूँ ………………”

फिर से सब ने टेबल्स को थप-थपा का उनके इस प्रपोज़ल को सपोर्ट किया ……….पर इस बार , पहले की अपेक्षा आवाज़ हल्की थी ………..जाहिर था सब लोग उनके इस प्रपोज़ल से खुश नही थे …………..और फिर वही हुआ जिसकी मुझे उम्मीद थी , और मिस्टर.चौधरी को भी …………………शरद ने अपना हाथ उठा कर बोलने की पर्मिशन माँगी ……..

“ यस ….मिस्टर.शरद ……..कुछ कहना चाहते हो ? “ मिस्टर.चौधरी ने पूछा ………हालाँकि वो जानते थे कि शरद क्या कहना चाहता है …….

“ जी हां सर ………….” कुछ देर रुक कर उसने आगे कहा “ जैसा कि मैं जानता हूँ , और यह पहले भी डिसाइड हुआ था …….कंपनी का चेर्मन सिर्फ़ चौधी परिवार से ही हो सकता है ……….बाहर वाला नही …….”

“यू आर राइट शरद…………पर यह सिर्फ़ ग्रूप के चेर्मन के लिए डिसाइड किया गया था……..मैने जो प्रपोज़ल दिया है , वो सिर्फ़ एक कंपनी के लिए है …..लक्ष्मी बॅंक्स ………” मिस्टर.चौधरी उसको समझाते हुए बोले ……..

“ पर फिर भी …….यह भी एक रूल है कि अगर बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में किसी बात पर, किसी एक मेंबर को ऐतराज़ हो तो , उसके लिए वोटिंग होनी चाहिए ………..” शरद ने मुस्कुराते हुए कहा ……और फिर एक निगाह सारे डाइरेक्टर्स की तरफ दौड़ाई ……सभी लोग धीरे से अपना सर हां में हिला रहे थे ………….

कुछ देर वहाँ शांति छा गयी…….फिर मिस्टर.चौधरी ने कहा ……

“ठीक है ………..अगर आप लोग वोटिंग चाहते हैं तो , यही सही ………..मैं राजीव को लक्ष्मी बॅंक की चेर्मनशिप के लिए प्रपोज़्ड करता हूँ ……………आप में से कितने लोग इसके खिलाफ हैं , प्लीज़ अपने हाथ ऊपर कर दीजिए ………..”
जाहिर था , सिर्फ़ डाइरेक्टर्स ही वोटिंग कर सकते थे ………स्टाफ मेंबर्ज़ नही ……..

सबसे पहले शरद ने अपना हाथ ऊपर किया , फिर मिस्टर.अनिल चौधरी ने ……..फिर एक डाइरेक्टर ने ….और फिर उसके बाद 1 और ने ………मेरे अलावा , 7 हाथ अभी भी नीचे थे …..और फिर वो हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नही थी , और शायद मिस्टर.चौधरी को भी ……प्रिया ने भी अपना हाथ ऊपर कर दिया …….अब कुल मिलकर 5 वोट मेरे अगेन्स्ट थे ……..और क्योंकि मिस्टर.चौधरी ने अपना वोट अभी यूज़ नही किया था , 5 मेरे फेवर में ………

मिस्टर.चौधरी के चेहरे पर निराशा सॉफ दिख रही थी ……… जो काम उन्होने कभी नही किया था , वो उन्हे आज करना पड़ सकता था ……….ऐज आ चेर्मन , उन्होने कभी अपनी वोटिंग पवर को यूज़ नही किया था , क्योंकि उनका हर फ़ैसला , सब को मंजूर होता था ……..पर आज बिल्कुल उल्टा हुआ था …….वो हार गये थे , और वो भी अपनी खुद की औलाद की वजह से ………….

मैं आज जिस जगह पर बैठा हुआ था , वो उन्ही की दी हुई थी …….अगर वो ना होते , तो ना जाने मैं कहाँ होता ……और मेरी वजह से ही उन्हे यह दिन देखना पड़ रहा था ………मैने तुरंत फ़ैसला कर लिया कि मैं उनको वोट नही करने दूँगा …….क्यों कि उनके वोट से मैं ज़रूर जीत जाता , पर बाकी सब की निगाह में यह मिस्टर.चौधरी की एक हार होती …….मैने हाथ ऊपर उठाया और बोला ……
“एक्सक्यूस मी सर ………………"

"हां बोलो राजीव ...........कुछ कहना चाहते हो ? " उन्होने पूछा

"सॉरी टू से , पर मैं नही समझता कि मैं अभी इस रेस्पॉन्सिबिलिटी को संभालने के लायक हूँ ………अभी मैं जिस पोज़िशन पर हूँ , वही मुझे काफ़ी बिज़ी रखती है ………..इस से ज़्यादा ज़िम्मेदारी शायद मैं नही संभाल पाऊँगा ………..इसलिए इस प्रपोज़ल को आप प्लीज़ वापस ले लीजिए …………”

पूरे हाल में शांति छा गयी …………प्रपोज़ल वापस लेने की सूरत में , वोटिंग कॅन्सल मानी जानी थी ……और वो कभी भी कंपनी के किसी रेकॉर्ड में नही आनी थी ……….

मिस्टर.चौधरी ने एक बार मेरी तरफ देखा ………उनकी आँखों में बे-बसी मुझे सॉफ दिखाई पड़ रही थी ……..मैं उनकी आँखों का सामना नही कर सकता था , इसलिए मैने अपना सर नीचे झुका लिया …………

“ ओके……….फ्रेंड्स , मैं अपना प्रपोज़ल वापस लेता हूँ ………मीटिंग अड्जर्न्ड ………” उन्होने कहा और फिर बहुत तेज़ी के साथ उठ कर कमरे से बाहर निकल गये ……….

मैने वहाँ मौजूद सभी लोगो की तरफ एक एक बार देखा ……….कुछ के चेहरे पर मायूसी थी , और कुछ लोग बिल्कुल शांत थे ……..पर एक ही शक्ष था जो इस समय खुश नज़र आ रहा था …….शरद ……उसने एक बार मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे बहुत बड़ी जीत हासिल कर ली हो ………..मैं उसकी तरफ देख कर एक बार मुस्कुराया ,और फिर अपना सामान लेकर कमरे से बाहर निकल गया
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07-25-2020, 02:01 PM,
#84
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#76

रात को , घर पहुँच कर डिन्नर के बाद मैने नेहा को फोन किया ………….3-4 बेल जाने के बाद ही उसने फोन उठा लिया ……

“हाई …………..क्या कर रहे हो …?” उसकी आवाज़ में खुशी सी झलक रही थी ……

“ बस…….तुम्हे याद कर रहा था ……… “ मैं एक लंबी साँस लेकर बोला ..

“अच्छा जी ……..क्या कोई और काम नही बचा ………?” उसने हंसते हुए कहा ….

“लो ……….तुम ही तो कल कह रही थी कि मैं तुम्हे याद नही करता , अब कर रहा हूँ तो तुम्हे परेशानी है ….?” मैने भी उसी ही अंदाज़ में जवाब दिया ….और फिर हम दोनो हंस पड़े ……

“ क्या हुआ तुम्हारे केस का ……….? “ मैने पूछा ………

“ ह्म……..ऑलमोस्ट … “

“क्या मतलब ? “ मैने पूछा ..

“ हमारी म्यूचुयल सेटल्मेंट हो गयी है ……..वो डाइवोर्स पेपर्स साइन करने के लिए तय्यार है ……” उसने कहा …….

“गुड ………इसका मतलब तुम अब अपनी पिच्छली ज़िंदगी से आज़ाद होने वाली हो ? “ मैने हंसते हुए कहा ……..

“हां राजीव………..अब बहुत जल्द मैं सिर्फ़ उसकी होने वाली हूँ ,जिस से मैं प्यार करती हूँ ……” वो बोली ………ऐसे जैसे किसी गहरी सोच में डूबी हुई हो ……..

“ तो फिर वापस कब आ रही हो …….? “ मैने पूछा..

“बहुत जल्द ……..शायद एक-दो दिन में ही ………..” फिर वो धीमी आवाज़ में बोली “ अच्छा राजीव …….अभी रखती हूँ , बाद में फोन करूँगी “ कहते हुए उसने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……….

मैं कुछ देर यूँ ही बिस्तर पर लेटा रहा और फिर सोने की कोशिश करने लगा ……….

आज जो कुछ भी बोर्ड मीटिंग में हुआ था , उसके बाद मुझे ऐसा लग रहा था कि प्रिया और शरद , यह दोनो शायद मुझे यहाँ पसंद नही करते हैं …..मैं खुद भी नही चाहता था कि मेरी वजह से उनकी फॅमिली में कोई प्राब्लम आए , इसलिए मैने फ़ैसला किया था कि मैं मिस्टर.चौधरी से बात करूँगा कि वो मुझे देल्ही या मुंबई ऑफीस में शिफ्ट कर दें …….नेहा से शादी करने के बाद मैं वहीं शिफ्ट कर जाऊँगा …….

नेक्स्ट डे , हमेशा की तरह रुटीन वर्क चालू रहा …….सुबह ऑफीस पहुँच गया ,कोई ख़ास काम मेरे पास नही था , इसलिए फालतू के काम में ही लगा रहा ……..आज शाम को मिस्टर.चौधरी के घर पर पार्टी थी ……..मेरा जाने का मूड नही था , पर क्यों की यह पार्टी मिस्टर.चौधरी की तरफ से ऑर्गनाइज़्ड थी , इसलिए जाना भी ज़रूरी था………

ना चाहते हुए भी …….और लेट होने की कोशिस करते हुए भी …….मैं रात को 10 बजे वहाँ पहुँच गया ………..लक्ष्मी निवास के ग्राउड फ्लोर पर एक बड़े से हॉल में इस पार्ट का आयोजन किया गया था ……….क्यों कि यह अफीशियल पार्टी थी , इसलिए ऑफीस का
लगभग सारा स्टाफ वहाँ मौजूद था …….उसके अलावा भी शहर के सभी बड़े लोग यहाँ दिखाई पड़ रहे थे ………..बस एक ही चेहरा नही दिख रहा था …..खुद मिस्टर.चौधरी का …………..

शायद कल मीटिंग में जो कुछ भी हुआ , उसकी वजह से वो बहुत ज़्यादा निराश थे …….उनका मेसेज पार्टी में पहुँचा दिया गया था कि तबीयत खराब होने की वजह से वो यहाँ नही आ पाएँगे ………

मैं अपनी आदत के अनुसार , पार्टी हॉल में एक कोने में खड़ा हुआ था , मेरे हाथ में एक ड्रिंक था और मैं धीरे धीरे सीप कर रहा था .......…….पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी ……..सब लोग एक दूसरे से मिल रहे थे ……..अफीशियल डिस्कशन चल रहे थे ……..कुछ यंग लोग डॅन्स फ्लोर पर भी थे ………कुल मिलकर एक शानदार पार्टी का आयोजन किया गया था ……..

सब लोग खुश दिखाई दे रहे थे ………..और सबसे ज़्यादा खुश था शरद……..हॉल के दूसरे कोने में , वो हर आने जाने वाले से मिल रहा था ……..पार्टी को शानदार बनाने में उसका ही हाथ था , क्यों की उसके लिए तो यह उसकी जीत की पार्टी बन गयी थी ………..

फिर थोड़ी देर के बाद वो मेरे पास पहुँचा …………ऐसा नही था कि इस शाम में , हम लोग पहली बार एक दूसरे के सामने थे ……पहले भी हम दोनो एक दूसरे के सामने पड़ चुके थे , पर हर बार वो मुझे अनदेखा ही कर गया था ……

मेरे सामने आकर उसने बहुत गर्मजोशी से मुझे से हाथ मिलाया और बोला ……..

“हेलो मिस्टर.राजीव चौधरी ……………….कैसे हो दोस्त ? “

“आइ आम फाइन मिस्टर.शरद ………….” मैने कहा …

“देख रहे हो ना …………कितनी शानदार पार्टी ऑर्गनाइज़ की है मैने , हमारी इस अचीव्मेंट की खुशी में ……….ओह्ह... सॉरी यार ………तुम्हारी इस अचीव्मेंट की खुशी में ………” बोलते हुए उसकी ज़ुबान और कदम , दोनो लड़-खड़ा रहे थे ………सॉफ दिखाई पड़ रहा था कि वो खुशी में कुछ ज़्यादा ही पी गया था……..

“ जी हां ……..मैं देख रहा हूँ ………..थॅंक्स “ मैने बात को ख़तम करने के इरादे से कहा……..

“ राजीव ………….कल जो कुछ हुआ , उसके लिए सॉरी यार …………पर तुम प्लीज़ मुझे ग़लत नही समझना ………….मेरी जगह तुम भी होते तो , यही करते …….” वो मेरे ऊपर झुकता हुआ सा बोला ……..मेरे कंधे पर हाथ रख कर ……..

मैं कुछ सेकेंड्स चुप रहा और फिर उसकी आँखों में झाँकता हुए कहा …….
“ इट्स ओके मिस्टर.शरद …………………मुझे नही मालूम कि मैं अगर आपकी जगह होता तो क्या करता ……….पर मुझे इतना
ज़रूर मालूम है कि मैं क्या ‘नही’ करता ………”

वो कुछ देर मेरी सूरत को देखता रहा ………जाहिर था , मेरी बात उसकी समझ में नही आई थी …………फिर उसको वहीं खड़ा
हुआ छोड़ कर , मैं हाल से बाहर की तरफ चल दिया …………….

मेरे लिए इस पार्टी में आना एक फॉरमॅलिटी ही था , जिसको मैं पूरा कर चुका था……वैसे तो पार्टी में प्रिया और निधि सहित , और भी बहुत सारे लोग थे जिनको मैं जानता था ………पर अब मेरा किसी से मिलने का मूड नही था , मैं बाहर आया और तेज़ी के साथ अपनी गाड़ी
की तरफ चलने लगा …….कि तभी एक आवाज़ ने मुझे रोक लिया ………
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07-25-2020, 02:01 PM,
#85
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#77

“हाई राजीव ………..” यह आवाज़ कमाल की थी , वो पार्किंग एरिया में खड़ी हुई एक गाड़ी से उतर कर मेरी तरफ आ रहा था …………

“हेलो कमल …………..कैसे हो “ उस से हाथ मिलाते हुए मैं बोला …….

‘फाइन ……..और तुम कैसे हो “

“मैं भी ठीक हूँ …………अभी आए हो , या वापस जा रहे हो ..? “ मैने पूछा …….

“हा हा हा ………. मैं पार्टी में नही आया हूँ दोस्त , बल्कि ड्यूटी पर हूँ ..” वो हंसते हुए बोला …….

“ड्यूटी पर ? ………..यहाँ ? ………वो कैसे ? “ मैने अचरज से पूछा ……

“यार ………शहर के सारे बड़े आदमी यहाँ इस पार्टी में मौजूद हैं ……….इसलिए हमारा भी तो फ़र्ज़ बनता है कि हम उनकी सेक्यूरिटी का ध्यान रखें……” वो मुस्कुराता हुआ बोला …………

“ओह्ह …………….तब तो वाकयि तुम ड्यूटी पर हो ........वैसे एक शिकायत तो मुझे भी तुम से है “ मैने कहा ..

“ वो क्या ..? “

“ तुम्हारा डिपार्टमेंट अभी तक मालूम नही करा सका की मेरे ऊपर किसने हमला किया था………” मैं शिकायती लहज़े में बोला …………मुस्कुराते हुए

“ऐसी बात नही है दोस्त ………..हम लोग अभी भी छान्बीन में लगे हुए हैं …….और मैं खुद भी तुमसे इस सिलसिले में मिलने वाला था
……हम ने एक आदमी को अरेस्ट किया है , और मुझे शॅक है कि वो उनमें से ही एक है जिसने तुम पर अटॅक किया था …………”

“अच्छा …….....तुम्हे ऐसा क्यों लगता है ? “ मैं मुस्कुराते हुए बोला ……

“क्यों कि उस आदमी का हुलिया वही है , जैसा तुमने लिखवाया था ………..उसके पास भी एक पलसर बाइक मिली है , ठीक वैसी ही जैसी तुमने बताई थी ……..और सबसे बड़ी बात , उसका संबंध देहरादून से है …………..” उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा …………..

उसकी आख़िरी बात सुन कर मैं चौंक गया ……..” मैं तुम्हारा मतलब समझा नही कमल ………..देहरादून का इस से क्या रीलेशन है …………? “

“ तुमने ही तो उस दिन कहा था कि तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी नही है …………तुम भूल गये थे कि तुमने देहरादून में किसी से दुश्मनी कायम की थी ……..” वो बड़े गौर से मेरे चेहरे को देखते हुए बोला……

“ तुम्हे वो बात कैसे पता लगी ………” मैं अचानक बोल पड़ा …….

“तुम हम पोलीस वालो को बेकार समझते हो राजीव ..? ……..लेकिन ऐसा नही है दोस्त , हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठते हैं …….” वो मजाकिया लहज़े में बोला ……….

“ फिर भी यार ………..वो कोई ऐसी बात तो थी नही , जो सब को मालूम पद गयी हो ……तुम्हे कैसे मालूम पड़ा ..? “मैं उसके चहरे की तरफ देखता हुआ बोला ……..

उसने एक लंबी साँस ली , और फिर बताया ….” देहरादून में तुम्हारी मुलाकात एएसपी नेगी से हुई थी ……….वो मेरा अच्छा दोस्त है ……उस घटना के 2 -3 दिन बाद उसका फोन मेरे पास आया था , तभी बातों बातों में उसने तुम्हारा ज़िकरा किया …….और तब मुझे मालूम पड़ा की तुमने वहाँ क्या किया था ………..”

“ ओह्ह……..” मैं उसकी बात को समझ कर बोला …….

“ और तुमने कभी मुझ से इस का ज़िकरा भी नही किया ?” वो फिर शिकायती लहज़े में बोला …………

“ ऐसी इंपॉर्टेंट बात नही थी यार कि मैं तुमसे ज़िकरा करूँ ……..” मैने हंसते हुए कहा ……..

“ तुम्हारे लिए नही होगी ……पर हमारे लिए है ……….” फिर कुछ देर चुप रहने के बाद वो आगे बोला ……..” मैं खुद भी तुमसे कुछ ज़रूरी बात करने वाला था ….नेहा के बारे में …….”

इस बार में चौंक पड़ा ……………उसकी तरफ देखते हुए बोला ……

“ क्या मतलब …..? “

“ देखो राजीव ………मुझे नही मालूम कि तुम्हारा और नेहा का क्या रिश्ता है ……..पर इतना तो मैं समझ ही सकता हूँ कि तुम और वो , दोस्त से कुछ ज़्यादा ही हैं………और अब मैं यह भी जानता हूँ कि नेहा अपने पति के साथ नही रहती है , उस से डाइवोर्स लेना चाहती
है ………..जहाँ तक मैं समझता हूँ , वो लड़की तुम जैसे आदमी के लायक नही है……………” वो कह ही रहा था कि मैने हाथ उठा कर उसको रोके दिया ……..

“प्लीज़ कमल……………इस बारे में मैं कोई बात नही करना चाहता हूँ………नेहा मेरे लायक है या नही , इस का फ़ैसला मुझे ही करना
है , किसी और को नही …………और वो फ़ैसला मैं कर चुका हूँ ”

“यह जानते हुए भी कि उसकी पिच्छली जिंदगी में क्या हुआ है …….? ” वो फिर बोला

“हाँ ……वो सब जानते हुए भी “ मैं उसकी आँखों में देखते हुए बोला ….

वो कुछ देर के लिए चुप हो गया और मेरी तरफ देखता रहा…….फिर एक लंबी साँस लेकर बोला “ठीक है राजीव ……….एक दोस्त होने के नाते , तुम्हे समझाना मेरा फ़र्ज़ था ………आगे तुम्हारी अपनी मर्ज़ी है…….कभी मेरी ज़रूरत पड़े तो याद कर लेना …” कहने के बाद वो घूमा और अंदर की तरफ चल दिया …………....

मैं कुछ देर यूँ ही खड़ा हुआ उसको देखता रहा ,और फिर अपनी गाड़ी में बैठा और उसको स्टार्ट कर के अपने घर की तरफ चल दिया …………..
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07-25-2020, 02:01 PM,
#86
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
उस रात घर पहुँच कर मैं जल्दी से सो नही पाया ………परेशानी की बहुत सारी वजह थी …एक तो मेरा अकेलापन , दूसरी मिस्टर.चौधरी की खराब तबीयत , शरद और प्रिया का बिहेवियर और सबसे बड़ी वजह थी कमल की बात ……….पता नही क्यों वो नेहा को पसंद
नही करता था …….और अगर नेहा डाइवोर्स चाहती थी तो इसमें बुराई क्या थी ?……….क्या तलाक़-शुदा लोगो को नयी जिंदगी शुरू
करने का कोई हक़ नही होता ? ………..या कोई और बात थी नेहा के बारे में ,जो वो मुझे बताना चाह रहा था ?
यह ख़याल मन में आते ही मैं खुद ही चौंक पड़ा ………मैने कमल को उसकी बात पूरी नही करने दी थी , और शायद यह मेरी ग़लती थी …….पर अगर ऐसी कोई बात होती तो मिस्टर.चौधरी ने मुझे ज़रूर बताई होती ……..

मैने नेहा से ही पूछ्ने का फ़ैसला किया ……..मैने उसके मोबाइल पर कॉल लगाई …….पर मोबाइल स्विच्ड ऑफ ही जाता रहा ……..मेरे लिए यह एक और पार्शानी की वजह थी …….उसके बाद मैं अगले 2 घंटे तक , बार बार उसका नंबर ट्राइ करता रहा , पर कोई जवाब नही मिला ………….

थर्स्डे –
--------------
सुबह से फिर मेरा रुटीन वर्क चालू हो गया ………सुबह तय्यार होकर मैं ऑफीस चला गया ….वहाँ पहुँच कर मुझे मालूम पड़ा की मिस्टर.चौधरी आज सुबह ही देल्ही चले गये थे …….और 2 दिनो बाद ही आ पाएँगे ………मेरे पास यहाँ कोई ख़ास काम नही था ,
इसलिए में फालतू के काम में ही लगा रहा …….और बीच बीच में नेहा को नंबर ट्राइ करता रहा , जो अभी भी लगातार स्विच्ड ऑफ आ रहा था ……….

सुबह से शाम हो गयी और मुझे उसके बारे में कोई खबर नही लग पाई ….मैं फिर से वापस अपने घर आ गया ….फिर से वही अकेलापन
, जो अब मुझे अखरने लगा था ………..

फ्राइडे –
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कल की तरह आज का दिन भी बड़ा बोर गुज़ारा ………..करण छुट्टी से वापस आ गया था…….उसने बताया कि उसकी मदर की
तबीयत अब सही है …….मैने उसको कहा कि आगे जब भी ज़रूरत हो , वो अपने घर जा सकता है……..

उसके आने के बाद , मेरे पास जो कुछ भी काम करने के लिए थे, वो भी नही रहे ………..हमेशा की तरह उसने सारे काम अपने ऊपर
ले लिए , और मुझे मालूम था कि हमेशा की तरह वो उन्हे ब-खूबी पूरे भी कर सकता था …..
दिन भर ऑफीस में खाली बैठने के बाद मैं पूरी तरह बोर हा गया था….. मेरे पास सिर्फ़ एक ही काम बचा था , फाइल्स को साइन करने का …………….मैं मिस्टर.चौधरी से मिल कर अपने लिए कुछ काम चाहता था , पर क्यों कि वो अभी बाहर थे , मैं उन्हे डिस्टर्ब नही करना चाहता था ………..

आज वॉल्ट में गोल्ड का एक स्टॉक भी ट्रान्स्फर हो गया था …..वैसे तो मैं खुद वहाँ जाना चाहता था , पर करण ने मना कर दिया और कहा कि वो खुद जाकर सारे अरेंज्मेंट चेक कर लेगा ………. शाम को उसने मुझे रिपोर्ट दे दी कि सब कुछ ठीक तरह से निपट गया है ……..और नेक्स्ट स्टॉक शायद ट्यूसडे को आने वाला है ……………

रात फिर मेरे लिए जानलेवा साबित हो रही थी ………ऐसा नही था कि मैने कभी अकेले रात नही काटी थी , बल्कि मैं तो पूरी जिंदगी अकेला ही रहा था ….पर जब से मुझे यह लगने लगा था कि नेहा अब हमेशा के लिए मेरी होने वाली है , मुझे यह अकेला पं काट खाने को दौड़ता था ………….

फिर से रात के 2 घंटे मैने उसका फोन ट्राइ करने में गुज़ार दिए …….पर वही हुआ जो 2 दिनो से होता आ रहा था ……उसका फोन
स्विच्ड ऑफ था , और कोई तरीका मुझे नही मालूम था उस से कॉंटॅक्ट करने का ………..

सॅटर्डे
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एक और नया दिन…….पर सब कुछ पहले ही के जैसा …….सुबह से फिर मैं नेहा का नंबर लगा रहा था , इस उम्मीद के साथ कि इस
बार मैं उस से बात कर सकूँ ……पर हर बार नतीज़ा वही था …….मोबाइल स्विच्ड ऑफ

ऑफीस पहुँच कर मेरी मुलाकात आज मिस्टर.चौधरी से हो गयी थी ……..मैने पहले उनसे , उनकी तबीयत के बारे में पूछा ……..उन्होने बताया कि अब वो ठीक हैं ….. पर उनका चेहरा बता रहा था कि वो झूठ बोल रहे हैं………..बोर्ड मीटिंग में जो कुछ हुआ था , उसका असर उनके चेहरे पर अभी तक दिखाई पड़ रहा था …….हमेशा आत्म-विश्वास से भरे हुए दिखाई देने वाले मिस्टर.विजय चौधरी , इस समय
बड़े मायूस दिखाई पड़ रहे थे……

मैने उनसे पूछा की बॅंक वॉल्ट का काम पूरा होने के बाद मेरे लिए अब क्या काम है………….उन्होने बताया कि अब मुझे पूरे देश में हमारे बॅंक की नयी खुलने वाली ब्रॅंचस को देखना है ……. जिसमें से कुछ का काम लगभग ख़तम होने को है………और साथ ही यह भी
बताया कि मुंबई में हमारे बॅंक की ओपनिंग मंडे को होनी है ……..जिसमें मुझे भी उनके साथ चलना है …….
उनके पास से उठ कर मैं फिर से अपने कॅबिन में आ गया और शाम तक वहीं बैठा रहा ………मैने ऑल ओवर इंडिया में हमारे बॅंक
की ब्रॅंचस के बारे में डीटेल्स से स्टडी करना शुरू कर दिया …..और शाम तक इस ही काम मे लगा रहा ……..

एक और दिन यूँ ही निकल गया……और फिर रात भी , नेहा से आज भी कोई कॉंटॅक्ट नही हो पाया था ……….मेरे फोन ट्राइ करने की फ्रीक्वेन्सी अब कम हो गयी थी , या यूँ समझ लीजिए की मैं कुछ हद तक निराश हो चला था ………बस एक यही उम्मीद हर समय रहती थी की शायद अभी उसका फोन आने वाला है ……….

सनडे –
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एक और नया दिन………और जैसी की मुझे उम्मीद थी , पिच्छले कुछ दिनो से ज़्यादा बोर साबित हो…

आज ऑफीस नही जाना था ,इसलिए मैं सुबह देर से ही उठा…..फिर धीरे धीरे सारे रुटीन वर्क्स निपटाए ……और फिर मैं राज नगर घूमने निकल पड़ा ……..बिल्कुल अकेला ………शाम तक मैं यूँ ही फालतू में घूमता रहा ……..विंडो शॉपिंग करते हुए , और कुछ समय
समंदर के किनारे तन्हा बैठ कर …..शाम को जब अंधेरा छाने लगा , मैं अपने घर वापस लौट आया ………घर पर आकर मैं फिर से नेहा का नंबर ट्राइ किया पर वो स्विच्ड ऑफ मिला ………..
अब मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा था …….मैने फ्रिड्ज से विस्की की बॉटल निकाली और दो बड़े पेग बना कर पी गया …….और फिर मैने एक फ़ैसला किया , मुंबई से वापस आकर में खुद देहरादून जाऊँगा , उसकी खबर लेने के लिए ……

मंडे & ट्यूसडे
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मंडे को सुबह ही हम लोग मुंबई पहुँच गये थे ……….मेरे और मिस्टर.चौधरी के अलावा , प्रिया भी हमारे साथ थी …………बॅंक की ओपनिंग वहाँ के एक मिनिस्टर के हाथो से होनी थी , और जैसा की हमेशा होता है ………सुबह 11 बजे होने वाली ओपनिंग सेरेमनी , दो-पहर को
3 बजे हो पाई …….फिर उसके बाद एक छोटी सी पार्टी , और फिर वहाँ के स्टाफ के साथ एक मीटिंग …….इस सब में शाम के 6.30 बज गये थे ……

फिर वहाँ से निकलने से पहले ही मिस्टर.चौधरी के पास एक कॉल आ गयी ……..यह कॉल भोपाल से आई थी …….वहाँ भी हमारे बॅंक की एक नयी ब्रांच खुलने वाली थी , और यह कॉल उस से ही रिलेटेड थी ……….वहाँ लोकल अतॉरिटी के साथ कुछ प्राब्लम आ गयी थी ,
और मिस्टर.चौधरी को वहाँ अर्जेंट जाना पड़ रहा था ……….

उन्होने हमें पूरी बात बताई , मुझे खुद भी राज नगर में कोई ख़ास काम नही था , इसलिए मैने भी उनके साथ भोपाल चलने के लिए कहा ………और वो तय्यार हो गये ……….प्रिया वहीं से वापस राज नगर लौट गयी ………..एक ख़ास बात यह थी कि इस पूरे दिन , प्रिया
ने मुझ से और मिस्टर.चौधरी से कुछ ज़्यादा बात नही की थी ……….पूरे दिन हम तीनो के बीच एक अजीब सी खामोशी पसरी रही ……शायद जो कुछ बोर्ड मीटिंग में हुआ , उसका ही यह असर था……

रात को हम दोनो भोपाल पहुँच गये …और सुबह हमने बॅंक जाकर वहाँ की प्राब्लम के बारे में जानकारी ली ………..लॅंड डिस्प्यूट का एक मामला था , जो वहाँ की लोकल अतॉरिटी से मिलकर सॉल्व हो गया ………और 3 बजे के आस-पास हम लोग वापस राज नगर के लिए चल दिए …………..

6 बजने से पहले ही मैं वापस अपने घर पहुँच गया था……..पिच्छले 2 दिन काम में बिज़ी रहने की वजह से मैं बहुत ज़्यादा बार नेहा का नंबर ट्राइ नही किया था …….पर जितनी बार भी किया था , स्विच्ड ऑफ ही मिला …….

मेरे दिल की बैचैनि बढ़ती ही जा रही थी …..साथ ही साथ कुछ अनिष्ठ की आशंका ने भी मुझे घेर लिए था ……..कहीं नेहा किसी परेशानी में तो नही पड़ गयी ? ………उसने मुझसे 1-2 दिन में वापस आने के लिए कहा था , और एक हफ़्ता बीत चुका था ……………उस से
जल्द मिलने की प्यास , उसकी ख़ैरियत जान-ने की इच्च्छा और साथ में मेरे अकेले पन का एहसास ……..मुझे पागल बनाए दे रहे थे
………मैने तय कर लिया था की कल ही मैं मिस्टर.चौधरी से बात करके देहरादून चला जाउन्गा …….
और फिर अचानक एक आवाज़ ने मेरी सोच को विराम लगा दिया ……यह मेरे मोबाइल की रिंग थी …….मैने नंबर चेक किया और देखते ही खुशी और उततेज़ना से मानो उच्छल सा पड़ा ………..यह नेहा की कॉल थी …….मैने तुरंत कॉल रिसीव की ……

“हेलो ………..तुम कहाँ हो नेहा ? ………..मैं तुम्हारा नंबर ट्राइ कर-कर के पागल हुआ जा रहा हूँ यार ? ….यहाँ वापस कब आ रही हो …..? “ मैं लगातार बोलता जा रहा था ……

“ मैं यहीं राज नगर में ही हूँ राजीव ………….” उसने मेरी बात बीच में काट-ते हुए कहा ………” और अभी तुमसे मिलना चाहती हूँ ………….”
उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी , जैसे किसी से छुप कर बोल रही हो ………..मैने पूछा “ हां …………बताओ कहाँ मिलना है ? ………..चाहो तो यहाँ आ जाओ , मेरे घर “

“नही तुम्हारे घर नही ………., मैं तुम्हे एक अड्रेस बता रही हूँ ………..तुम यहाँ आ जाओ…….”

“ठीक है ………अड्रेस बताओ “ मैने कहा और उसका बताया हुआ अड्रेस नोट करने लगा…………..फिर आख़िर में बोला “ पर तुम्हारी अव्वाज़ इतनी धीमी क्यों आ रही है ?.......... सब कुछ ठीक तो है ना नेहा ..?”

“ तुम यहाँ आ जाओ ……..मैं तुम्हे सब कुछ बताती हूँ , उसने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया …………..

मैने कुछ सेकेंड्स उसके बताए हुए अड्रेस को देखा और फिर तेज़ी से बाहर की तरफ चल दिया ………उस से मिलने के लिए ……….
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07-25-2020, 02:01 PM,
#87
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#79

13/19 , Sanjay Vihaar ………..yeh address tha uss jagah ka jahan Neha ne mujhe pahunchne ke liye kaha tha ……………Raj Nagar ke baahri ilaake mein ,byepaas ke najdeek , yeh colony abhi nayi nayi bani thi ………..jyadatar plots khaali they aur lagbahg 20-25% par makaan ban chuke they……….

Andhera ho chukka tha , par iss samay kyon ki iss taraf traffic na ke barabar hi hota hai ……….1/2 ghante mein main wahan pahunch gaya ……..aur fir jaldi hi maine wo makaan bhi dhoondh liya ……….

Yeh ek chhota sa , single story makaan tha ……….iss ke aas-paas kuch aur makaan bane huye they …….par unmein se jyadatar anhhere mein doobe huye they , jaahir tha ki makaano mein abhi koyi rehta nahi tha ……….
13/19 ke darwaaje par pahunch kar maine bell bajayi …….koyi jawaab nahi mila ..mujhe se sabra nahi ho raha tha , isliye maine fir se bell bajaayi ……iss baar lagaatar 2-3 baar ………….fir andar se kisi ki aahat aayi aur darwaaza khul gaya …….

Mere samne Neha khadi thi………….uska ek haath darwaaze par rakha huya tha aur doosre ko usne apni kamar par tikaya hua tha……..main kuch seconds usko dekhta hi reh gaya ……….jaise apni aankhon ki pyas ko bujhana chah raha hoon ……..fir uski awaaz se main waapas hosh mein aaya ..

“ Kya hua Janaab………….saari raat yahin khade hokar gujaarni hai kya ? “

maine kuch nahi bola , bas ghar ke andar aa gaya …….usne darwaaza band kiya aur fir andar ki taraf chal di ……..aur main uske peeche peeche ……

baahar ek drawing / dining room, uske baad lobby aur uske baad ek bedroom ……lobby mein hi kitchen dikhayi pad rahi thi ……..kul milakar yeh ek chhota sa, par bahut saaf-suthra makaan tha …….

Uske peechhe chalta huya main bedroom mein aa gaya ……..wo bed par baith gayi aur main uske saamne ek chair par …………wo bilkul normal thi aur koyi pareshaani waali baat uske chehre se nazar nahi aa rahi thi ..........

“Kya hua ? …………..ab bataao “ maine baith-te hi bola……..

“matlab ??? ………kuch bhi to nahi hua …? “ wo boli , dheere se hanste huye ……..

“ Kuch nahi hua ka matlab ? ……….yaar tum pichhle ek hafte se gaayb ho , tumne mujhe achanak phone karke yahan bulaya ……..kuch to hua hi hoga “ main pareshaan hota hua bola………

“Ohh………iske matlab tumhe yeh lag raha hai ki main kisi musibat mein fans gayi hoon …? ………..ha ha ha ha …” wo boli aur fir jor se hansne lagi …………main kisi bewkoof ki tarah uski soorat dekh raha tha ………….

“ par tum pichhle ek hafte se gaayab ho yaar , tumhaara mobile band tha ……….aur aaj tumne mujhe achanak yahan bula liya ……..kya main poochh sakta hoon ki yeh sab kya hai ? “ maine poochha ………..kuch narazgi ke saath
“ bas ..itni si baat …” wo fir muskurati huyi apni jagah se khadi ho gayi aur dheere se chalte huye mere paas aa gayi ……..fir chair ke hatthe par baith gayi aur mere chehre ke bilkul najdeek aakar boli ………..” Mr.Rajiv Chaudhry ……..main tumhe aajma rahi thi ……dekh rahi thi ki tum mere liye kitne fikra-mand ho …….. tum waakayi mujhe chahte ho ya sirf daave hi karte rehte ho ………………..”

" kyon majaak kar rahi ho Neha ........" main jhallata hua bola ......

"achchha ji ..........aapko yeh majaak lag raha hai ............main jiske hawaale apni poori jindagi karne waali hoon, kya mujhe uska imtihaan lene ka bhi haque nahi hai .........? " usne hanste huye kaha ........

ek second ke liye mujhe bahut tez gussa aaya , uske majaak par bhi aur apni bewkkofi par bhi ..........par hamesha ki tarah usko apne itne najdeek paakar mera gussa apne aap gaayab ho gaya ………maine ek haath uski kamar mein daala aur usko apni gode mein kheench liya ……..fir uske kaan ki bilkul najdeek apna munh laakar main bola ………

“ fir ??..........kya result mila tumhe ?? banda aapke pyar ke kaabil hai ya nahi …?” aur uske ek gaal ko choom liya ……….

wo hansti huyi meri gode se uth kar khadi ho gayi …………aur fir apne dono haatho ko kamar par rakh kar , sar ko thoda sa ek taraf ko jhuka liya …….aur badi adaa ke saath boli ……..

“ unhh……….nahi , mujhe lagta hai ki abhi tumhaare kuch aur imtihaan lene honge “ aur fir apna nichla honth daanto mein daba kar hansne lagi……..

usne ek dheeli si shirt pehni huyi thi , half sleeve ki ……..aur neeche ek halki si cotton ki skirt , jo uske ghutno se thodi si neeche tak thi ………khoobsurat to who hamesha hi lagti thi , par iss samay …inn kapdo mein aur hanste huye ……..bahut jyada dilkash lag rahi thi …………….

Main ek dum se apni kursi se utha aur usko pakad liya , uski kamar se ……………usne ek baar bhi meri pakad se chhootne ki koshish nahi ki …….meine uski kamar ko chhod diya aur ek haath ko uske sar ke peechhe lagakar , uska chehra apne chehre ke bilkul najdeek le aaya ……aur fir doosre haath ki ek ungali uske hontho par firata hua bola………..” batao …….kaise aajmana chahti ho mujhe “
Usne kuch nahi kaha ……bas muskura di …….fir maine apne hontho ko uske hontho par tika diya ………kuch chhote chhote kiss aur fir uske nichle honth ko apne hontho mein jakad kar choosna shuru kar diya ………..uske haath jo abhi tak neeche latke huye they …….mere gale mein lipat gaye ……..aur apna badan usne mere shareer se chipka diya ……….

Na jaane kab tak ham dono aise hi khade rahe aur ek doosre ka ras peene ki koshish karte rahe ……….fir jab hamaari sanse bhaari hone lagi ……maine uss ko apne se alag kiya aur fir ek halka sa dhakka dekar peechhe pade huye bed par dhakel diya …….kuch mere dhakke ki wajah se , aur kuch apne aap …..wo peeth ke bal bed par gir padi ….uske pair bed se neeche latke huye they ……….
Main uske najdeek gaya aur neeche jhuk kar uske dono paanv apne haatho mein pakad kar utha liye ………….usne muskurate huye apne dono pairo ko mere seene par tika diya ………maine apna ek haath uski ek pindali par rakha ……aur dheere dheere firata hua oopar ki taraf le jaane laga ………uske ghutno se hota hua mera haath uski ek jaanghe ke baahri hisse par jaakar ruka ……..aur fir wahi kaam maine doosre haath se , uske doosre pair par bhi kiya …………………meri iss harkat se uski skirt oopar ki taraf , uski kamar par ikatthi ho gayi …...

Uski aankhon mein dekhte huye maine apne dono haatho ki ungliyon ko uski panty ki elastic mein fansaya aur fir ek hi baar mein uske sarkata hua , uske pairo se baahar nikaal kar faink diya ………..fir maine uske pairo ko chhod diya aur jaldi jaldi apni jeans ko kholne shuru kar diya …………

Apni jeans aur fir underwear nikaalte samay meri nigaah , lagaatar uski nazron se mili huyi thi ………usne bhi bina apni nazren hataaye , apne sharee ko apni kohniyon ke bal sarkaa kar peeche kar liya , aur poori tarah se bed ke oopar ho gayi …….

Kuch hi seconds baad main uske oopar leta huya tha ………..meri dono kohiniyan , uske shareer ke dono taraf thi , mere honth fir se uske hontho ko choos rahe they ….aur mera kathor ho chukka lund , uske jism ke sabse naajuk hisse par baar baar takra raha tha ………….

Ham dono hi bahut jyada intezar karne ke mood mein nahi they ……….mere seene par ek haath ko ghamaati huyi , who usko neeche mere pet par le gayi aur fir aur neeche ko le jaakar mera lund thaam liya …………ek tez current sa mere poore shreer mein daud gaya ……………

Apna chehra oopar utha kar maine uski aankhon me dekha ………..ek pyas mujhe uski aankhon mein nazar aayi ……….uska haath thoda sa aur neeche ko hua aur fir usne mujhe meri manzil ka raasta dikha diya ………

Mujhe sirf apni kamar ko ek dhakka dena pada …………..Ahhhhhhhh ……ek lambhi si karaah uske honthon se nikali ……..aur fir aisi aawaazon ka ek lamba silsila sa shuru ho gaya ……..maine dheere dheere dhakke lagaane laga tha , aur har baar ek lambi si siskaari uske honthon se foot padti thi ………

Fir kuch der ke baad main apne ghutno ke bal baith gaya ………mera dono haath iske seene par aaye aur uski shirt ke buttons ke saath ulajh gaye ……..kuch hi seconds mein uski shirt ke dono palle idhar-udhar ho gaye ……..neeche usne kuch nahi pehna hua tha , aur uske jism ka sabse nasheela hissa mere saamne be-parda tha …….neeche ko jhuk kar maine ek nipple ko apne honthon mein liya aur dheere dheere choosna shuru kar diya …………….

Ahhhhhhhhhhh………….meri iss harkat se uske honthon se fir ek lambi si siakaari nikali aur uska saara shareer ek baar jor se kaanp gaya ……….

Fir maine yehi harkat baari baari se dono nipples par karni shuru kar di ………saath hi saath meri kamar bhi ab dobara hilna shuru ho gayi thi ………

Pichhle 15 dino ki saari kasar ham dono 15 minutes mein hi nikaal lena chahte they ……….ek toofaan sa bistar par aaya hua tha ………..jo dheere dheere taz hota ja raha tha………..hamaare jism jaise ek doosre ko pachhadne mein lage huye they ……..mere har dhakke ka jawaab wo poore josh se apne kulho ko utha kar de rahi thi ………..

Uske hontho se nikalne waali siskaariyan ab cheekho mein badalne lagi thi ……kamre mein ab uski cheekhon ke alaawa , hamaare jismo ke takraane se nikalne waali awaaz hi sunaayi pad rahi thi ………..

Aur fir iss khel ka bhi wahi ant hua jo hamesha se hota aaya hai ………ek lambi si ahhh apne munh se nikaalte huye maine apne jism ki saari garmi , uske jism mein udel di ………….aur fir apna sar uski chhati par rakhte huye dheela padta chala gaya…….usne bhi apne dono haathon ko meri peeth par kas diya , aur apni tango ko meir kamar par ……………lambi lambi saanse leti huyi wo mujhe lagaatar choome ja rahi thi …………….
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07-25-2020, 02:02 PM,
#88
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#80

Kamre mein aaya hua vaasna ka toofaan ab shant pad chukka tha ……..ham dono ek doosre ko baahon mein liye huye lete huye they …………..fir jab hamaari sanse normal huyi to maine uss se poochha ………

“Tum dehradoon jiss kaam se gayi thi ……wo ho gaya ? “

usne meri taraf karwat li aur mere seene par haath ferti huyi boli
……..

”Haan……….munhe meri pichhli jindagi se chhutkara mil gaya hai ……….”

“iska matlab divorce letter sign ho gaye ……………” main khush hota hua bola ……..

“ huye nahi to jald hi ho jaayenge ………….bas yeh samjho ki ab main aazad hoon ,apni marzi se apni jindagi jeene ke liye …………..” usne kaha aur fir mere gaal ko choom kar bistar se uth gayi ………

“Kya hua ? ……….kahan jaa rahi ho ? “ maine uska hath pakad kar poocha ……..
“bathroom ja rahi hoon baba ………..kuch der to wait karo ..” wo hanste huye boli ……aur neeche pade huye mere kapde meri taraf uchaal diye ……aur apne kapde lekar baahar ki taraf chali gayi ……..

muskurate huye main apne kapde pehan-ne laga ……..aur fir thoda sa oopar hokar , bed ke sirhane se peeth laga kar baith gaya ……….

Tabhi kuch ajeeb si aawazo ne mujhe chaunka diya ………..pehle ek tez dhadaaaam… ki awaaz , jaise kisi darwaaze ko jor se dhakka diya gaya ho , aur fir Neha ke cheekhne ki awaaz ………main turant utha aur daudta hua baahar ki taf bhaaga …….lobby mein pahunchte hi jo kuch maine dekha , usne ek bar to mere hosh udaa diye ……..

Lobby mein , mere thoda sa aage Neha khadi huyi thi ……..meri taraf peeth kiya huye ...........aur doosri taraf , yaani Drawing room ke darwaaze ke paas uska pati , Neeraj Verma khada hua tha …………..uske haath mein ek revolver tha , jisko usne Neha ke oopar taana hua tha ………….uske chehre ko dekh kar saaf lag raha tha ki wo behad gusse mein hai ………..

Fir uski nigaah mere oppar padi ……….uski aankhen aur jyada laal ho gayi aur wo bola ……..
“ iska matlab mera shaque sahi tha ………………tu yahaan apne yaar ke saath rang-raliyan mana rahi hai haraamzadi..………..”

main turant aage badh kar uske aur Neha ke beech mein aa gaya ………………aur fir uski taraf dekhta huya bola ……….

“Heyyy………….tameej se baat kar ………dobara agar gaali munh se nikali tu jubaan kheench loonga ………..aur teri himmat kaise huyi yahan iss tarah aane ki …..? “

wo meri taraf dekhta huya do kadam aage badha aur fir meri taraf revolver taan-ta huya bola ………………“ maine gaali tujhe nahi , apni biwi ko di thi maadarchod ………..aur yeh meri biwi ka ghar hai ………main yahan jab chaahe aa sakta hoon “

Neha jo ab tak mere pechhe khadi thi …………. Meri peeth se lag kar khadi ho gayi ……..meri nigaah ek baar aur Neeraj ke haath mein thami huyi revolver par padi aur fir mujhe ek baar fir se chaunk jaana pada ………uske haath mein jo revolver thi , wo meri thi ………wahi jo mere hisaab se iss samay meri car ke dash board mein rakhi huyi honi chahiye thi ……………
Maine hairaani se uski taraf dekha ……….wo do kadam aur aage aa gaya aur fir mujh se sirf 5 feet ki doori par aakar ruk…………uske paas aate hi mujhe uske munh se aati sharaab ki badboo ka ehsaas hua …………meri taraf revolver taan-ta hua wo bola ………….

“Ab bata haraamjaade ……………pehle tujhe maroon , ya fir tu iss raand ke baad marna pasand karega ……………” uski laal aankhen , kaanpte haath aur chehre ki kasaavat bata rahi thi ki jo kuch wo keh raha hai , kar bhi sakta hai ………

maine turant ek decision liya ……..main tezi se uss ke oopar jhapta ….aur usko saath liye huye peechhe ko dhakelta chala gaya ……………kuch sharaab ka nasha , aur kuch shaayad usne mujhe se yeh expect nahi kiya tha ……..wo lad-khadata hua peeche ko hua aur girta chala gaya ….. maine uske oopar sawaar hote huye taabad-tod kuch ghoonse uske chehre par jamaa diye ………. …….uske haath se revolver nikal gaya , jisko maine furti ke saath utha liya ………..main uske oopar se hat kar khada ho gaya aur revolver uske oopar taan diya ………….

“Ab bol haraamjaade ……………kis ki pehle marne ki baari hai ? meri ya teri ….? “ main gurrata hua bola ……….
“ Maadar………….” mujhe gaali dete huye usne ek baar aur uthne ki koshish ki …….par maine aage badh kar , ek laat uske seene par jamaa di ……….uthne ki koshish karta hua wo , fir se peeche ko ludak gaya ……………

maine revolver ka rukh uski taraf kiya aur bola …“ ab meri baat kaan khol kar sun le ………… Neha tujhe apni jindagi se nikaal chuki hai …….isliye tere liye yahi achchha hoga ki fir kabhi tu uske saamne nahi panda ……….aaj to main tujhe chhod sakta hoon……..par agli baar agar tu mere ya Neha ke raaste mein aaya , to main tujhe jaan se maar doonga ………….”

Revolver ki dehshat ab uske chahre par saaf dikhayi pad rahi thi ……..aur kuch mere haathon se huyi pitayi ka asar tha ……………. wo sar ko jhukaaye baitha raha ……aur fir dheere se , peechhe ki dewaar ke sahaare uthne ki koshish karne laga ……….. main jaanta tha ki ab wo mere oopar hamla nahi karega ……par meri revolver ka rukh abhi bhi uski taraf hi tha …

wo deewar ke sahaare peeth tika kar khada ho gaya……..maine ek kadam uski taraf badhya …..aur iss se pehle ki main doosra kadam badhata ……mere sar ke oopar maano bijliyan si gir padi ………….

Mere sar ke oopar kisi ne peeche se waar kiya tha ……. Meri aankhon ke saamne tare se chamakne lage aur kadam ladkhada gaye ……… iss se pehle ki main ghoom paata , aur dekh pata ki wo kaun hai ……….ek ke baad ek , lagaatar 3-4 aur waar mere kande aur sar par huye ……………….

Iss baar yeh mere hosh udaa dene ke liye kaafi tha ………..revolver mere haathon se nikal gaya ………maine apne sar ko dono haathon se thaam liya aur mere ghutne apne aap mudte chale gaye ……………neeche girne ke baad aur behosh hone se pehle mujhe do goliyan chalne ki awaaz sunaayi padi aur fir mera wajood andhere mein doobta chala gaya ………………..
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07-25-2020, 02:02 PM,
#89
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#81

Hosh mein aate hi maine uthne ki koshish ki …………par sar mein uthti dard ki ek tez lehar ne mujhe lete rehne par majboor kar diya …… main fir kuch der aankhen band kiye huye hi leta raha aur gehri saanse lekar dard ko jabt karne ki koshish karta raha …………

Fir dheere dheere maine apni aankhen kholi …………..meri aankhon ke saamne hi ek light jal rahi thi , jis se ek baar to meri aankhen chaundhiyan gayi ……….fir thodi der bad main sab kuch sahi sahi dekhne mein saksham ho paya ……. Aur mujhe maloom pada ki meri position kya hai ……..
Main , apni hi gaadi ki driving seat par tha ……..seat ko peechhe ki taraf thoda sa khol diya gaya tha aur main uss par adhleti haalat mein tha …………saamne jo light jal rahi thi , wo gaadi ke andar laga hua bulb tha ……………..mere sar mein , jahaan mujhe maara gaya tha , bahut tez dard tha …….maine apne haath ko poore sar par firaya ……….ek side mein soojan si aayi huyi thi , aur ek jagah par khoon bhi jama hua tha…………..

Dard ko bardasht karte huye main seedha hokar baith gaya ………maine gaadi ko check kiya , gaadi ki chabi ignition mein hi lagi huti thi ……….fir maine gaadi se utara aur baahar aakar apni position check karne laga ………

Meri gaadi uss hi colony mein khadi thi …jahan main Neha se milne aaya tha ….par uss ghar se thodi door …….main gaadi mein baitha aur usse start kar ke aage badha diya ………..fir ek chakkar laga kar main waapas uss hi makaan ke aamne pahuncha , jahan main Neha se milne aaya tha aur behosh hua tha ……….

Jaisi ki mujhe ummeed thi , ghar ab andhere mein dooba hua tha ……….aur darwaaze par ek bada sa taala (lock) laga hua tha ……….main kuch der idhar udhar dekhta raha ki shaayad kuch clue mil jaaye ……….fir waapas apni gaadi mein sawaar hua aur gaadi ko apne ghar ki taraf badha diya ………….iss baar maine car mein lagi huyi ghadi par nigaah daali ………….11.30 ka time ho raha tha ………iska matlab main kareeb 3 1/2 ghante behosh raha tha ………….
Raat ke iss samay saari roads khaali thi , fir bhi sar mein ho rahe tez dard ki wajah se main halke halke drive karta raha aur fir 20 minute mein apne ghar pahunch gaya …….car ko parking mein laga kar main apne flat mein pahunch gaya tha ………..

Ghar ke andar daakhil hote hi maine apne sar ka fir se ek baar muaayna kiya ………sar ke peechhe , right side mein khoon jama hua tha ……iska matlab tha ki yahan jo waar mujh par hua tha , uss se khoon nikla tha …….maine dettol se uss jagah ko saaf kiya aur fir ek dawaayi laga li ………..mere kandhe aur peeth mein bhi bahut dard tha ………mujhe yaad tha ki wahan bhi mujhe maara gaya tha ……..maine apne kapde utaare aur uss jagah par pain remover laga liya , jahan jahan mujhe dard ho raha tha……….fir maine ek pain killer tablet bhi khaa li , aur apne bad par jaakar let gaya …………

Ab maine saari ghatna ke baare mein fir se sochne shuru kar diya ……….kuch sawaal mere dimaag mein daud rahe they ……….sabse pehle to yeh ki Neha ka husband , Neeraj wahan kaise pahunch gaya ? ………..kya wo Neha ka ya mera peechhe kar raha tha ……? …………..ya fir Neha ne hi uss ko wahan bulaya tha ? ….agar aisa tha to iss ke peechhe kya wajah thi ..? ……….meri gaadi mein se revolver uss ke paas kaise pahunch gayi ? ………jaahir tha ki usne meri gaadi ko check kiya hoga , aur revolver uske haath lag gaya hoga ….kyon ki mere paas revolver hone ki baat to sirf 3 log hi jaante they ……..main , Sharad aur Mr.Chaudhry …………
Aur inn sab baaton se badhkar ek sawaal tha ki Neha ne mujhe wahan kyon bulaya tha……..? kya yahi sab karne ke liye jo wahan hua tha …? …..aur mere behosh hone ke baad wahan kya hua hoga …….?

Yeh sochte hi mein khud hi ek baar chaunk gaya ……..mujhe yaad aaya ki behosh hone se pehle maine do goliyan chalne ki awaaz suni thi ……….., wo goliyan kisne chalayi thi ……Neha ne ? ……ya kisi aur ne Neha ke oopar ? ………yeh khayaal man mein aate hi mere dil ki dhadkane tez hone lagi …………, kya Neha surakshit hogi ??.........aur kya iss sab ke peeche Neha bhi ho sakti hai ……? Yeh saare sawaal mere dimaag mein khalbali machaye huye they ………, maine uth kar fridge mein se whisky ki bottle nikaali , ek large peg banaya aur pee kar fir se bistar par let gaya …………sharaab andar jaane se dard mein to kuch raahat mili , par dimaag mein jo sawaal ghoom rahe they , unka jawaab apne aap milna to mumkin nahi tha ……….

Subah uthte hi mujhe police ko inform karna chahiye ……..yeh sochte huye mein sone ki koshish karne laga , aur fir whisky aur dawaayi ka mila jula asar …..mujhe ek gehri meend mein le gaya ……………

Na jaane kab tak main aise hi sota raha……….fir jab aankh khuli to apne aap ko pehle se kaafi behtar mehssos kiya ……..main uth kar kitchen mein gaya aur ek cup chay bana kar le aaya …….aur chair par baith kar peene laga………

Mujhe Kamal ko kal raat waali ghatna ke baare mein inform karna chahiye ….? Shaayad haan ………..par uss se pehle mujhe Neha ko bhi check karna chahiye , soch kar main Neha ka mobile number lagaya ………jaisi ki mujhe ummeed thi , uska mobile swithched off tha ………..

main abhi Kamal ka number lagaane ki soch hi raha tha ki mera mobile bajne laga …….maine number check kiya ……..yeh ek unknown number tha ………

maine call receive kar li …..

“Hello …………..”

koyi jawaab nahi ………

“Hello …………” main fir se bola ………..iss baar mujhe jawaab mila ……….

“Kaise hain Mr.Rajiv Chaudhry ………….”ek aadmi ki awaaz thi , ajeeb si ghar-gharati huyi ………….

“Kaun ? ……………..kaun bol rahe hain ?” mere liye yeh anjaani awaaz thi , isliye maine poochha ………….

“ mujhe apna dost hi samajhiye …Rajiv saahab……..” usne aage kaha………..

“par dost ka koyi naam to hoga ? ……….mujhe nahi maloom ki ham iss se pehle kabhi mile hain ……….” Main uss ki awaaz pehchaan-ne ki koshish karta hua bola ………

“ naam ko chhodiye Saahab ………..aap to kaam ki baat keejiye …………aur kaam ki baat yeh hai ki bande ne aapke liye ek tohfa bheja hai …………jo iss samay shaayad aapke letter box mein pada hua hai …………….” usne bahut dheemi awaaz mein kaha …………..

“Kaisa tohfa ..? ……….kaun ho tum yaar , aur kya bol rahe ho ….?” Main ab jhallata hua bola ………….
“ Relax dear………pehle apna letter box check karo ………….main abhi fir se phone karoonga ………….” Usne kaha aur phone disconnect kar diya…………

main kuch der aise hi baitha hua mobile ko ghoorta raha ………..number bata raha tha ki yeh call ek PCO se ki gayi thi …………maine ek lambi saans li aur uth kar apne flat ka main gate khol kar baahar aa gaya …………..baahar mere flat ke darwaaze ke paas hi ek box laga hua tha ………jo ki posts (letters ) ke liye bana huya tha ……….maine usko khole aur uske andar haath daal ke check kiya aur jo kuch bhi tha , baahar nikaal liya ………….bahut saare envelops mere haath mein aa gaye they ………main sabko lekar ghar ke andar aa gaya aur apne bed par baith kar check karne laga ……………..
jyada tar banks ke documents thay………aur unmein hi ek envelop wo tha jiska jikra uss phone waale ne kiya tha ……….ek bada sa brown envelop , jiske oopar mera naam likha hua tha ………maine jaldi se uske haath mein liya aur khol diya……..uske andar se ek CD nikal kar mere saamne gir padi ……….

Maine CD ko haath mein utha kar ulat-palat kar dekha ………yeh ek normal CD ke jaisi hi lag rahi thi ……..par kyonki yeh mere litye ek tohfa tha , jaisa ki uss phone waale ne kaha tha ……mujhe isko check to karna hi tha ……..

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07-25-2020, 02:02 PM,
#90
RE: Desi Sex Kahani वेवफा थी वो
#82

मैने सामने टीवी के साथ रखे हुए डीवीडी प्लेयर में उसको लगाया और प्ले कर दिया ……………..

कुछ सेकेंड्स के बाद जो कुछ मुझे दिखाई पड़ा ………वो मुझे चौंकाने के लिए काफ़ी था …………….सीडी में कुछ पिक्चर्स थी , और उनका डिसप्ले सामने स्क्रीन पर एक के बाद एक हो रहा था……..और हर एक पिक्चर के साथ मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी ………..

पहली कुछ पिक्चर्स में मैं और नेहा साथ साथ थे ……..यह पिक्चर्स शिमला के उस होटेल रूम की थी , जहाँ हमने पहली बार साथ साथ रात बिताई थी ……….बिस्तर पर अलग-अलग पोज़िशन में हम दोनो और वो भी बिना कपड़ो के ………

उसके बाद कुछ और पिक्चर्स मेरे घर की थी , इसी बेडरूम की …….जब हम दोनो दूसरी बार एक दूसरे के साथ हमबिस्तर हुए थे …………सेम वैसी ही पिक्चर्स , जैसी पहले वाली थी ……….बिना कपड़ो के हमारे शरीर , के दूसरे में उलझे हुए ……..बिल्कुल जैसे
किसी पॉर्न मूवी के स्टिल फोटोग्रॅफ्स हो ……..

और उसके बाद की पिक्चर्स कल रात की थी …….पहली कुछ पिक्चर मेरी और नेहा की , हमबिस्तर होते हुए ………किसी में मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ धक्का लगा रहा था , और किसी में वो मेरे होंठों को चूस रही थी ……और उसके बाद एक पिक्चर जिसमें नीरज मेरे ऊपर रिवॉल्वार ताने खड़ा है और नेहा मेरे पीछे है ………… उस से अगली पिक्चर में मैं नीरज के ऊपर सवार था और उसके चेहरे पर
मुक्का मार रहा था …….उस से अगली में रिवॉल्वार मेरे हाथ मे था और नीरज सामने ज़मीन पर पड़ा हुया था ……….उस से अगली में मैं नीरज के सीने पर लात मार रहा था ………एक और पिक्चर , जिस में नीरज मेरे सामने खड़ा हुया था , रिवॉल्वार मेरे हाथ में था और उसकी तरफ तना हुआ था ……सारे पिक्चर्स एक ही ऐंगल से लिए गये थे ..........जाहिर था ,किसी छुपे हुए कॅमरा से..............

पिक्चर्स देखते हुए मेरे शरीर से पसीना छूटने लगा था ………….यह सब कुछ मेरे ही साथ हुआ था , पर अब इन्न पिक्चर्स को एक साथ देख कर मुझे खुद अपने आप पर गुस्सा आ रहा था ………..जाहिर था कि यह पिक्चर्स मुझे ब्लॅकमेल करने के लिए खींची गयी थी , और
इसी लिए मुझे दिखाई गयी थी ……..पर क्यों ? ………जो भी कोई इसके पीछे है , वो मुझ से क्या चाहता है ? …..क्या मुझे कमल
को इनफॉर्म करना चाहिए ? ……………….फिर मेरे अंदर से ही जवाब आया , अभी नही …अभी देख तो लूँ, क्या चाहते हैं यह लोग ……….

इसका मतलब नेहा को मालूम था कि यह पिक्चर्स ली जा रही थी ………….. और इसका मतलब यह भी था कि वो भी इस सारे खेल में शामिल थी ……पर क्यों ? ………क्या वजह थी ? …….उसकी कोई मजबूरी , या कोई लालच ? ……………सब कुछ सामने था , फिर
भी मेरा दिल उसको गुनेहगार मान-ने के लिए पूरी तरह से तय्यार नही था ……….

मैने घड़ी में टाइम देखा ………….12 बजने वाले थे ……….

और तभी मेरे मोबाइल की घंटी फिर से बजने लगी ……….मैने नंबर चेक किया , इस बार भी कोई अननोन नंबर था , पर पहले
से अलग……..मैने कॉल रिसीव कर ली………
“हेलो …………….”

“उम्मीद है आपको मेरा भेजा हुआ तोहफा मिल गया होगा , राजीव साहब ………और पसंद भी आया होगा ……….” दूसरी तरफ से
आवाज़ आई ………… …….पर इस बार आवाज़ कुछ बदली हुई थी ………शायद किसी और दूसरे आदमी की .......

“क्या चाहते हो तुम …………..? “ मैने पूछा …

“अर्ररे……….अभी से हमारी डिमॅंड के बारे में पूच्छने लगे ……..” उसने हंसते हुए कहा “ थोड़ा तो सब्र करो दोस्त ……..सब कुछ बता देंगे ……, फिलहाल तो हमें आपको एक और तोहफा देना है ………”

“क्या मतलब ………? और क्या देना चाहते हो ? “ मैं गुस्से में चीखते हुए बोला ………

“ चिल्लाओ मत राजीव ……………धीमी आवाज़ में बात करो ……..किसी ने सुन लिया तो तुम्हारे लिए ही मुसीबत पैदा हो जाएगी …………” वो धीमी आवाज़ में बोला “ एक और तोहफा तुम्हारे लिए , तुम्हारी गाड़ी में इंतेज़ार कर रहा है ……….जाकर देख लो …….मैं फिर से फोन करूँगा ……….” उसने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया ………………..

मोबाइल को वहीं बेड के ऊपर फेंक कर ………मैं लगभग भागता हुआ फ्लॅट से बाहर आया , और फिर जल्दी से लिफ्ट में सवार होकर नीचे पार्किंग की तरफ चल दिया ……..

पार्किंग में पहुँचते ही मैं अपनी गाड़ी के पास पहुँचा और उसको खोल कर दश बोर्ड की तलाशी लेने लगा ………कोई भी ऐसी चीज़ मुझे दिखाई नही पड़ी , जो कि मेरे लिए नयी हो ………फिर मैने सारी सीट्स , और उनके नीचे भी देख लिया …..कुछ भी नही मिला ……..
फिर आख़िर में मैं गाड़ी के पीछे गया और चाबी लगा कर डिग्जी खोल दी ……….. डिग्जी खुलते ही जो कुछ मुझे दिखाई पड़ा ,उसे देख कर मैं दो कदम पीछे को हट गया ……मानो गाड़ी में अचानक 440 वॉल्ट का करेंट आ गया हो ……….
मेरे सामने , गाड़ी की डिग्जी में एक आदमी पड़ा हुया था ……..खून से लत-पथ ..............उसकी हालत बता रही थी वो अब जिंदा नही होगा ......... यानी वो एक लाश थी …….. ………नेहा के पति , नीरज वेर्मा की लाश ………..
______________________________

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