RE: Desi Sex Kahani हीरोइन बनने की कीमत
हरिया ने पैर फैलायेंऔर ललिता की चूत में अपना काला मूसल डाल दिया , वो आह कर उठी, फिर वो वैसे ही घुटनोके बल बैठकर धक्के मारने लगा और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। जल्दी ही ललिता भी धक्कों के जवाब कमर उठा कर देने लगी और कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से गूँज उठा। नायडू हरिया के बालस पकड़कर सहला रहा था और अपनी बीवी की चूत में उसका मस्ताना लंड अंदर बाहर होते देख रहा था, अब वेंकि को भी जोश आ गया , उसने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखी और अपना लंड मेरी चूत में थोक दिया, मैं भी मस्त हो गयी थी और उसको पूरा मज़ा देने लगी । अब पलंग में घमासान मच गया और हमारे धक्कों से पलंग हिलने लगा। अचानक मेरी गाँड़ में एक ऊँगली घुसने लगी , मैंने देखा नायडू अपनी हाथ में क्रीम की शीशी रखा हुआ था और ऊँगली कर रहा था, मैं समझ गयी कि वेंकि बोला था, की वो मेरी गाँड़ मरेगा , वो इसकी तय्यारी कर रहा है। तभी हरिया ने अपना लंड बाहर निकल लिया, ललिता चिल्लायी , अरे क्या हुआ? वो बोला, मैडम आप घोड़ी बनो , मैं आपको पीछे से चोदूँगा। वो जल्दी ae घुटनोंपर उलटी हो गयी और हरिया ने उसके चूतरों को दबाते हुए उन पर एक थाप मारी, ललिता चिल्लायी, अब डालो ना, वो हँसा aur उसने अपना लंड फिर से पेल दिया, वो चोदते हुए नायडू को ललिता की गाँड़ दिखाकर बोला, साहब इसमें भी क्रीम लगाओ, नायडू समझ गया की आज ललिता की गाँड़ भी फटेगी , और उसने ललिता की गाँड़ में २ ऊँवली डाल दी , क्रीम के साथ। ललिता चिहुंक उठी, पर चूदाइ का मज़ा लेती रही। तभी थोड़ी देर में वो झड़ने लगी और ज़ोर से चिल्लायी , आह मैं तो गायीइइइइइ। और फिर वो पेट के बल बिस्तर पर गिर गयी, तभी हरिया ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकला और उसकी गाँड़ मैं धीरे धीरे डालने लगा, ललिता की चीख़ निकल गयी, पर हरिया रुका नहीं, और जल्दी ही उसकी गाँड़ मारने लगा। इधर वेंकि भी जोश में आ गया और बुरी तरह से मेरी चूदायी मेंलग गया। मैं भी झड़ने लगी और फिर उसने मेरी कमर को और ऊपर किया और लंड को मेरी गीली चूत से निकाल कर मेरी गाँड़ में डाल दिया अब मेरे पैर मेरे सर ke पास थे और वो ज़ोर ज़ोर धक्के मारकर मेरी गाँड़ फाड़ रहा था। मुझे फिर से मज़ा आने लगा हालाँकि मैं अभी अभी ही झड़ी थी। फिर हरिया झड़ने लगा और इधर वेंकि भी अपना पानी मेरी गाँड़ में डाल दीया । फिर दोनों हमारी बग़ल में लेट गए। फिर हम सब आराम करने लगे। खाना खाकर फिर हम गरम होने लगे और हरिया ने कई बार मेरी चूचियाँ दबायी और मेरे चूतरों और चूत में भी हाथ फेरा , मैं भी अब उसका काला लंड लेने को मारे जा रही थी। वेंकि ने देखा की मैं हरिया में इंट्रेस्ट ले रही हूँ तो वो अपनी माँ के पीछे पड़ गया और खाते खाते उनकी चूचियाँ चूसने लगा । फिर खाकर हम सब बेडरूम की तरफ़ चल पड़े।
कमरे में घुसते ही हरिया ने मुझे बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगा । उसके लम्बे चौड़े बदन में सटीं हुई मैं एक छोटी सी बच्ची की तरह लग रही थी। DIR उसने मेरी चूचियाँ मसलनी शुरू की, और झुक कर उनको चूमने और चूसने लगा, मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गयी थी। दिर उसने २ उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी और मेरे क्लिट को मसलने लगा। मैं तो बस सी सी कर उठी। फिर उसने मुझे पकड़ कर बेड पर बैठा दिया और अपने लंड को मेरे मुँह के सामने ले आया , मैंने उसके सुप्पारे को चाटना शुरू किया और फिर उसे चूसने लगी। वो मस्त हो उठा, फिर उसने मुझे घोड़ी बना कर मेरे चूतरों को ऊपर कर मेरी चूत और गाँड़ चाटने लगा . और फिर मेरी चूत में अपना मोटा लंड पेल दिया। मैं आह आह कर उठी, और दर्द से कराही पर जल्द ही मुझे मज़ा आने लगा मैं भी अपनी कमर पीछे करके उसका साथ देने लगी। उधर माँ बेटा भी मस्ती में आ रहे थे और बहुत देर से एक दूसरे को चूम और चाट रहे थे। नायडू भी अब अपनी बीवी की चूत चाट रहा था और अपने बेटे का लंड भी चूस रहा था। फिर उसने अपने हाथ से वेंकि का गीला लंड ललिता की चूत में डाल दिया और वेंकि ने एक ही धक्के में अपना लंड अपनी माँ की चूत में डाल दिया। फिर से डबल चूदायी चालू हो गयी फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था की पार्ट्नर बदल gaye थे। थोड़ी देर बाद हम सब शांत होकर झड़ गए । नायडू ने हमारी चूत और उन दोनों के लंड को चाट कर साफ़ कर दिया। फिर हम सब गो गए । शाम को रहमान अंकल आए और हम दोनों वहाँ से निकलकर अपने फ़्लैट के लिए निकल गए । मैंने रास्ते में अंकल से पूछा नंदजी के घर में क्या हुआ , वो मुस्कराए और बोले, बहुत कुछ हुआ , घर चल कर बताऊँगा ।
घर पहुँचकर मैं अंकल के गोद में बैठ गयी और उन्हें चूमकर बोली, हाँजि अब बोलिए खा हुआ नंदजीके घर में ? वो हँसकर बोले, तुम बताओ मेरे जाने के बाद नायडू के यहाँ क्या क्या हुआ । मैंने उनको सब बता दिया और हरिया से चूदायी का भी बता दिया। वो मेरी चुचि दबाते बोले, पक्की चुद्दड़ हो गयी हो। मैं भी हँसकर बोली, सब आपका किया हुआ है , तो वो हंस कर बोले, सही कहा, फिर उन्होंने मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और पैंटी में अपना हाथ डाल दिया और मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए बोले, चलो तुमको नंदजीके घर का सब कुछ बताता हूँ।
रहमान अंकल के शब्दों में -----
जब मैं दिन के १० बजे nandji के घर पहुँचा तो वो सोफ़े पर बैठे अख़बार पढ़ रहे थे। मेरे को देख कर बहुत ख़ुश हुए। फिर उन्होंने हमारे लिए चाय मँगाई , तभी वहाँ उनकी बीवी लाली आ गयी, वह टॉप और लेग्गिंग में बहुत मादक दिख रही थी , उसकी टाइट टॉप से चूचियाँ बाहर आने को बेताब थीं। फिर नदजी ने अपना लैप्टॉप निकला और अपनी बेटी डॉली को आवाज़ दी। वो अंदर आइ तो मैं उसे देखते ही रह गया , उसने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था, उसकी गोरी जाँघें बड़ी ही मांसल दिख रही थी । मुझे ये सोच कर बड़ा अच्छा लगा की इन दोनों हसीनो की मैंने चूदाइ की है।नंदजी अपनी बेटी को वासना भरी आँखों से देख रहा था और उसके लोअर में टेंट बन गया था। डॉली अंदर आकर सोफ़े में बैठने वाली थी कि नंदजी कठोर आवाज़ में बोले, खड़ी रहो , बैठने की ज़रूरत नहीं है । वो हैरान थी उसके पापा ऐसा क्यूँ कर रहे हैं , वो बोली पापा क्या हुआ? नंदजी चिल्लाए, तुमने रहमान ke साथ क्या गुल खिलाएँ हैं , मुझे सब पता चल गया है , ऐसा कहते हुए वो लैप्टॉप की ओर देखने लगे । फिर वो बोला , ओह तो तुमने रहमान से चूदवॉ लिया? अब लाली और डॉली के चेहरे सफ़ेद हो गए । मैं भी डरने की ऐक्टिंग किया । फिर वो बोला , रहमान , मैंने तुम्हें अपनी बेटी का ट्रेनर बनाया और तुमने उसे चोद दिया? डॉली उसके मुँह से ये शब्द सुन कर सन्न रह गयी। ओह रहमान , ये तो अपनी मस्ती से चूदवाँ रही है, उसने लैप्टॉप को देखते हुए कहा । अब डॉली का रंग उड़ गया । वो फिर दहाड़ा , डॉली तुम तो रैंडी जैसी चूदवाँ रही हो? मैं मन ही मन समझ रहा था की वो क्या चाहता है । अब डॉली रोने लगी, तो वो बोला , तुम अभी घर से निकल जाओ , मैं तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखूँगा ।तभी लाली बोली, ये क्या बोल रहे हैं आप? रहमान से वो कैसे ऐसा करवा सकती है, वो मुझे देख कर बोली , रहमान बोलो ना, तुमने डॉली के साथ कुछ नहीं किया है। नंदजी चिल्लाकर बोले, आ इधर आ , देख इस लैप्टॉप में कैसे टाँग उठाकर चूदवा रही है? लाली कम्पते हुए आइ और लैप्टॉप देखते ही उसने अपना हाथ हैरानी से अपने मुँह पर रख लिया, और मुझे बोली, रहमान, तुम बच्ची ke साथ ऐसा कैसे कर दिए? नंदजी बीच में बोके, अब बोल इसे मैं अपने घर में क्यूँ रखूँ? लाली बोली, माफ़ कर दो इसे , बेचारी कहाँ जाएगी? डॉली भी रोते हुए अपने पापा के पैर पकड़ ली और माफ़ी माँगने लगी, तब मैंने कहा की बेचारी को माफ़ कर दो । वो बोले अब ये तो रंडि जैसी चूदवाइ है, बोलो इसका क्या करूँ? मैंने कहा कि इसको अपनी गोद में बिठा लो और माफ़ कर दो । तब नंदजी ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और मैंने साफ़ देखा कि डॉली अपनी चूतरों में पापा का लंड महसूस किया और घबरा कर उठने लगी , पर उसके पापा ने उसे अपनी गोद में दबा लिया और वो पापा का लंड अपनी गाँड़ में महसूस कर रही थी। पर वो इतनी डर गयी थी की वो उसका विरोध नहीं कर पा रही थी। फिर नंदजी ने उसकी चूचियाँ दबायीं और बोला , ये भी दबवायी थी ना तुमने रहमान से? अब उसकी माँ लाली बोली, ये आप इसके साथ क्या कर रहे हो, ये आपकी बेटी है? नंदजी बोला, तुम चुप रही , तुम भी रंडि से कम नहीं हो, आओ यहाँ और देखो इस लैप्टॉप में,लाली तो जैसे होश ही उड़ गए, उसने देखा कि उसकी चूदाइ भी रिकॉर्डेड थी।वो भी रोने लगी, और माफ़ी माँगने लगी, तब अपनी गोद में बैठी डॉली की चुचि दबाते हुए लाली से बोला, साली तेरी भी तो चूत में आग लगी है , इसलिए साली जो मिले उससे चूदवा लेती है , और उसने उसकी चूत कपड़ों के ऊपर से मसल दी। अब मेरा लंड भी खड़ा हो गया , और मैं उसे खुले आम कपड़े के ऊपर से मसल रहा था, नंदजी ने मेरा हाल देखाऔर आँख मारकर बोले, देख लाली आज तो तेरी इस रंडि बेटी को मैं चोदूँगा ही और तू साली अपनी चूत रहमान से फड़वा ले , वैसे भी तू इससे चूद ही चुकी है । अब लाली रोने लगी और बोली, ऐसा पाप मत करो , वो तुम्हारी अपनी बेटी है , तब नंदजी ने डॉली की स्कर्ट उठायी और उसकी पैंटी में अपना हाथ डाल दिया और फिर उसकी चूत में २ ऊँगली डाल दी और फिर गीली उँगलियाँ लाली और मुझे दिखाते हुए बोले, देखो कैसे पानी छोड़ रही है इस की चूत । लाली सन्न रह गयी। नंदजी बोले, अरे इसको तो मज़ा आने लगा है , जाओ तुम रहमान से चूदवा लो , मैं तो इसे अब चोदूँगा ही । लाली अब कुछ नहीं बोल पाई और चुप चाप खड़ी रही।
फिर नंदजी ने अपनी गोद में बैठी डॉली को उठाया और उसका हाथ पकड़कर बेडरूम में के जाने लगा, तो मैं बोला की मैं भी आऊँ लाली को लेकर? वो बोले, एक ही बिस्तर पर? मैंने आँख मारकर कहा, तभी तो मज़ा आएगा , माँ और बेटी ऐक ही बेड पर और बदल बदल कर मज़े ले लो! वो मुस्कुराया और बोला चलो ये भी ठीक है। फिर हम चारों बेडरूम में पहुँचे और नंदजी ने बेसब्री से डॉली के अपने बाहों में भींच लिया और उसके होंठों को चूमना और चूसना शुरू किया , और उसे अपने से लिपटा लिया । इधर मैंने भी ललिता को अपने से सटा लिया और उसकी गर्दन में चुंबनों की बौछार कर दी।वो भी मुझसे चिपक गयी पर हम दोनों का ध्यान डॉली और उसके पापा की तरफ़ ही था।नंदजी ने डॉली के चूतरों और कमर को सहलाना शुरू किया और अब उन्होंने डॉली का टॉप उतार दिया, और इसके ब्रा में क़ैद छोटे गोल कबूतरों को प्यार से देखते हुए उनके ऊपर हाथ फेरने लगा और ऊपर के हिस्से को चूमने लगा। फिर उसने डॉली का हाथ लोअर के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया । डॉली भी गरम हो चुकी थी उसने अपने पापा का लंड पकड़ लिया और उनका लंड दबाने लगी। मैंने भी ललिता की कुरता उतार दिया और उसके ब्रा में क़ैद बड़े बड़े दूध ब्रा से बाहर आने के लिए मचल रहे थे, जैसे ब्रा में समा ही नहीं रहे हों।फिर नंदजी ने उसकी स्कर्ट भी उतार दी , अब ब्रा पैंटी में वो सेक्सी बार्बी डॉल लग रही थी। फिर वो ख़ुद पूरा नंगा हो गया , उसका लम्बा मोटा लंड पूरा तन्नाया हुआ था । फिर वो पलंग पर बैठ गया और ललिता को बोला , चलो तुम भी अपनी लेग्गिंग उतारो , मैंने ख़ुद ललिता के बड़े बड़े चूतरों के ऊपर से धीरे से लेग्गिंग उतार दिया और अब वो भी ब्रा पैंटी में थी । फिर नंदजी मुझे बोले, अरे तुम क्यों कपड़े पहने हो ? मैं भी हँसते हुए अपने सब कपड़े उतार दिया और बिस्तर में नंदजी के साथ बैठ गया । वो दोनों हमारे ऊपर नीचे होते लंडों को ध्यान से देख रही थीं, हमारे लंड क़रीब एक ही साइज़ के थे और पूरे अकड़ मैं थे। फिर नंदजी ने उन दोनों से कहा , चलो अब तुम दोनों अपनी i मटका कर चल कर दिखाओ । वो दोनों चौंकी और ललिता बोली, ये आप क्या बोल रहे हो, कुछ तो शर्म करिए ? वो बोला, साली जब रहमान से कमर उछाल कर चूदवा रही थी तब तुम दोनों की शर्म कहाँ गयी थी, चलो अभी मटक कर चल के दिखाओ। उन दोनों के चेहरे लटक गए और फिर ललिता धीरे से चल कर दिखाने लगी और उसके पीछे से डॉली भी चलने लगी । नंदजी चिलाया, अरे चूतरों को मटकाओ , फिर ललिता ने मटककर चलना शुरू किया और डॉली भी वैसे ही चलने लगी । आह क्या दृश्य था , माँ बेटी सेक्स की देवियाँ नज़र आ रही थीं , एक ओर ललिता का भरपूर उभरा हुआ यौवन और दूसरी तरफ़ उभरती जवानी छोटे से गोल चूतर और गोल चूचियाँ पतली कमर !! हम दोनों के लंड से २ बूँद रस निकलकर सुपारे पर चमक रहा था । फिर नंदजी ने अपने लंड मूठ मैं लेकर सहलाते हुए बोला, चलो अब ब्रा और पैंटी खोलो । वो दोनों अब पूरी नंगी हो गयीं । आह क्या माल थे दोनों , एक पूरी तरह भरी हुई और दूसरी उभरती हुई जवानी लिए हुए ।ललिता की चूत पूरी फूली हुई और उधर डॉली की चूत भी थोड़ी उभार लिए हुए मासूम सी दिख रही थी।अब नंदजी से ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ और वो डॉली का हाथ पकड़कर अपने गोद में बिठा लिए और उसकी चूचियाँ दबाने लगे और उनको चूसने लगे। डॉली की गाँड़ में उसका लंड धँस गया था। अब मैंने भी ललिता को अपनी गोद में खिंच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उसकी बड़ी गाँड़ में मेरा लंड फँस गया था।
अब मैंने भी ललिता को अपनी गोद में खिंच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उसकी बड़ी गाँड़ में मेरा लंड फँस गया था।फिर नंदजी ने उसकी चूत में एक उँगली डाल दी और जब बाहर निकाला तो उसकी ऊँगली एकदम गीली थी, वो मुझे दिखाकर बोला, देखो क्या गरम है इसकी चूत , और उसने अपनी ऊँगली चूस ली। मैंने भी ३ उँगलियाँ ललिता की चूत में डाली और गीली उँगलियाँ नंदजी को दिखाकर बोला, यहाँ भी यही हाल है। फिर मैंने भी २ ऊँगली चूसी और १ ऊँगली नंदजी ने चूसी।
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