Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:22 PM,
#13
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल को हड़बडा़ता हुआ देखकर नीलू मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए अपनी नजर को फीर से फेर ली। 
मीनू की नजर हटते ही राहुल ने चैन की सांस ली। और वापस नीलू की मस्तायी गांड को निहारने लगा।
लेकिन तब तक नीलू निपट चुकी थी। नीलू वैसे ही गांड को ऊचकाए हुए ऊपर नीचे करके अपनी गांड को झटके देने लगी। ताकि उसकी बुर पर लगी पेशाब की बूंदे नीचे टपक जाए। लेकिन नीलु का यूँ अपनी गांड को उचकाए हुए ऊपर नीचे कर के झटके देना राहुल के लंड के ऊपर बहुत बुरी तरह से कहर बरसा रहा था। जैसे-जैसे नीलू की गांड ऊपर नीचे हुई थी वैसे वैसे ही राहुल का लंड ऊपर नीचे होकर ठुनकी मार रहा था। 
गांड को झार कर नीलू खड़ी हुई और अपनी सलवार को पैंटी सहित ऊपर सरकाने लगी। और जैसे ही सलवार की डोरी में गांठ मारना शुरू की राहुल अपनी नजर को फेर लिया। अब वह नीलू की तरफ अपनी पीठ करके खड़ा हो गया ताकी नीलू यह न समझे कि वह उसे पेशाब करते हुए देख रहा था। लेकिन राहुल बहुत नादान था वह जान कर भी अनजान बन रहा था क्योंकि वह भी जानता था कि नीलू ने उसे उसकी तरफ देखते हुए पकड़ ली थी। नीलू तो पहले से जानती थी कि जब वह पेशाब करेगी तो राहुल उसे जरूर नीहारेगा।
नीलू कपड़ों के व्यवस्थित करके राहुल के करीब आ गई और उससे अपना पर्स मांगते हुए बोली।

नीलु: चलो राहुल हो गया।
( नीलू का काम हो चुका था नीलू जान गई थी की उसका प्लान सफल हो चुका है । नीलु ने राहुल को पूरी तरह से अपना दीवाना बना चुकी थी। राहुल ने नीलु को पर्श थमा दीया। नीलू राहुल से पर्स लेकर अपने कंधे पर डालते हुए बोली।)
नीलु: और हां एक बात ओर।राहुल इस बारे में विनीत को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए ठीक है ना।
राहुल: ठीक है मैं उसे कुछ भी नहीं बताऊंगा।
( इतना कह कर राहुल नीलू के पीछे पीछे चलने लगा
और नीलू भी बहुत प्रसन्न होकर राहुल के आगे आगे अपनी गांड मटकाते हुए चलने लगी।)

रात के 10:00 बज रहे थे ।राहुल अपने कमरे में लेटा हुआ था। राहुल की तो नींद ही उड़ चुकी थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी। उसकी आंखों के सामने दिनभर जो कुछ भी हुआ वह उसकी आंखों के सामने एक पिक्चर की तरह चल रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने नीलू ही नीलू नजर आ रही थी।
नीलू का ख्याल आते ही राहुल के लंड में कड़कपन आना शुरु हो गया। बार-बार नीलू का राहुल के बदन से सट जाना उसका हंस हंस के बात करना। ड्रेश के अंदर हीचकोले खा रही उसकी गोल-गोल चूचियां। आइसक्रीम कौन को जीभ से चाटना और आइसक्रीम को चाटते चाटते एक दूसरे को किस करना। यह सारी बातें राहुल सोच-सोचकर मस्त हुआ जा रहा था। 
उसका लड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि उसके पजामे का आगे का भाग उभर के एकदम से तंबू बना हुआ था। राहुल ना चाहते हुए भी अपने हाथ को अपने लंड पर जाने से रोक नहीं सका। राहुल नीलू को याद करके धीरे धीरे पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था। राहुल ने आज तक अपने लंड को इस तरह से मसला भी नहीं था क्योंकि आज तक उसे इस चीज़ की ज़रूरत ही कभी नहीं पड़ी थी। लेकिन राहुल भी उस उम्र के दौर से गुजर रहा था जहां पर जवानी अपना पूरा जोर लगाती है इस उम्र में इंसान का दिल की सुनता है ना दिमाग की। इस उम्र में अक्सर इंसान जवानी के जोश के आगे लाचार बेबस नजर आते हैं।
और यही हाल राहुल का भी हो रहा था नीलू की जवानी ने. उसके मदमस्त बदन के उतार चढ़ाव ने राहुल के दिलो-दिमाग पर एक जाल सा बुन दीया था। 
राहुल के मन-मस्तिष्क पर नीलू ने पूरी तरह से कब्जा जमा चुकी थी।
. बार बार राहुल नीलू के बारे में सोच सोच कर अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उंगलियों से मसल रहा था
आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था और वैसे भी नींद आती भी कैसे आज जो कुछ भी राहुल के साथ हुआ था उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने में अहम भूमिका निभाने वाला था।
राहुल को सबसे ज्यादा नीलु की जो बात परेशान कर रही थी वो थी नीलू का राहुल से बेझिझक पेशाब लगने वाली बात करना। नीलू के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर ही राहुल का पूरा बदन गनगना गया था।
राहुल ने आज तक किसी भी लड़की के मुंह से लड़कों से यह कहते नहीं सुना था कि उसे जोर से पेशाब लगी है या पेशाब की जिक्र भी करते नहीं सुना था इसलिए राहुल के कानों से पेशाब वाली बात सुनकर राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। 
उसे तो अपनी आंखों पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने अपनी जागती आंखों से नीलू को अपने सामने पेशाब करते हुए देखा है। उसे तो यह सब एक सपना ही लग रहा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि कोई लड़की इस तरह से उसके सामने अपनी सलवार कि डोरी खोलकर अपनी सलवार को उसके सामने ही अपने घुटनों तक सरकाएगी और पेशाब करने बैठ जाएगी।उफफफफ गजब की गोल-मोल और गोरी गांड थी नीलू की और वह जिस तरह से अपनी गांड को उभार के पेशाब कर रही थी उससे तो राहुल के लंड का अकड़ पन इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाए। 
पेशाब करने वाले दृश्य के बारे में सोच कर ही राहुल का लंड एकदम अकड़ चुका था। राहुल का हाथ कब उसके पजामे में चला गया उसे खुद पता नहीं चला। राहुल की उंगलियां खुद ब खुद उसके टनटनाए हुए लंड के इर्द-गिर्द कश्ती चली गई अब राहुल का लंड उसकी मुट्ठी में आ चुका था और उसने अपनी मुटठी को लंड पर कस लिया था। और धीरे-धीरे मुट्ठी को ल़ंड पर कस के ऊपर नीचे करते हुए मुठियाने लगा। राहुल नहीं जानता था कि वह क्या कर रहा है। उसे इसका ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि वह जो कर रहा था उसे ही मुठ मारना कहते हैं अनजाने में ही नीलू को याद करते हुए राहुल मुठ मारने लगा था।

वही दूसरे कमरे में अलका आदम कद आईने के सामने खड़ी होकर अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी के पल्लू को जैसे ही अलका ने अपने कंधे से नीचे गिराई वैसे ही ब्लाउज मे केद दोनों बड़ी बड़ी चूचियां झलकने लगी। अलका ने एक बार अपनी नजर को नीचे झुका कर चुचियों के बीच की गहराई को देखने लगी चुचियों के बीच की गहराई को देख कर खुद ही मुस्कुरा दी और अपनी नजर के सामने दिख रही है अपनी प्रतिबिम्ब को आईने में निहारने लगी। आईने में अपनी खूबसूरती को देखकर वह मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर ब्लाउज की डोरी को अपनी नाजुक उँगलियों से खोलने लगी। ब्लाउज की डोरी को खुलते ही अलका एक-एक करके ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाल कर अलग कर दी। अलका के बदन से ब्लाउज अलग होते ही उसकी गुलाबी रंग की ब्रा दिखई देने लगी। अलका पहले से ही अपने चूचियों के साईज के हिसाब से छोटी ही ब्रा पहनतीे थी। इसीलिए उसकी आधे से ज्यादा चुचिया ब्रा के बाहर हीे झलकती रहतेी थी। अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो पर अलका को हमेशा से नाज रहता था। और नाज हो भी क्यों ना ईतनी बड़ी बड़ी चुचिया होने के बावजूद भी उसमें लटक पन जरा सा भी नहीं आया था। उसकी चूचियां हमेशा तनी हुई ही रहती थी।
अलका ने एक बार अपने दोनों हथेलियों मे अपनी दोनो चुचियों की गोलाइयों को भरी। और हल्के से दोनों हथेलियों को ऊपर नीचे करके अपनी चुचियों को भी हिलाई। और फिर से अपने हाथो को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक को खोलने लगी और अगले ही पल ब्रा के हुक को खोलने के बाद एक एक कर के ब्रा की स्ट्रिप को अपने हाथों में से बाहर निकाल दि। ब्रा के निकलते ही दोनों चुचीया जेसे हवा में उछल रही हो इस तरह से ऊपर नीचे हुई। अपनी चुचियों के उछाल से खुश होकर अलका अपनी कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगी।
साड़ी को खोलकर वह उसे बिस्तर पर फेंक दी अब उसके बदन पर सिर्फ पेटीकोट ही रह गई थी। 
गीत गुनगुनाते हुए अलका अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी। डोरी की गांठ खुलते ही अलका ने अपने हाथ से पेटीकोट को नीचे छोड़ दी पेटीकोट अलका के हाथ से छूटते ही सरक कर उसके कदमों में जा गिरी। अलका की गदराई और खूबसूरत बदन पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर गुलाबी रंग की पेंटी खूब फब रही थी। अलका की गांड इतनी ज्यादा बड़ी बड़ी और गदराई हुई थी की उसकी गांड की फांकों के बीच उसकी पैंटी धसी हुई थी जिसे अलका ने अपनी एक हाथ पीछे ले जाकर पैंटी को पकड़कर गांड की गलियारे से खींचकर बाहर निकाली अलका अपने बदन को देख कर मन ही मन बहुत खूश हो रही थी। 
अलका ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को पेंटी की दोनों छोर पर टीकाई और अपनी नाजुक उंगलियों से पैंटी के छोर को पकड़ कर नीचे सरकाने लगी । अलका आईने में अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए खुद ही देख रही थी जैसे जैसे पेंटी नीचे सरकती जाती वैसे वैसे अलका की खुद की धड़कनें तेज होती जा रही थी।
अगले ही पल अलका अपनी बुर को पेंटी के परदे से अनावृत करते हुए घुटने तक सरका कर पैंटी को वैसे ही छोड़ दी और पेंटी अपने आप शरक के अलका के कदमों में जा गिरी। अलका एकदम नंगी हो चुकी थी उसके बदन पर नाम मात्र का भी कपड़ा नहीं रह गया था। अलका आईने में अपने बदन को निहारते हुए जब अपनी नजर को जाँघो के बीच ले के गई तो उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आया। गुस्से का कारण भी साफ था । आज तक उसने अपनी बुर पर इतने ढेर सारे बाल कभी भी इकट्ठा होने नही दी थी। अपने पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपने बदन की साफ-सफाई मैं हमेशा स ज्यादा ध्यान देती थी।इसलिए आज अपनी बुर पर बालों के गुच्छे को देखकर खुद पर गुस्सा करने लगी। गुस्सा करते हुए ही वह अपनी हथेली को जाँघों के बीच रख दी। गरम बुर पर गर्म हथेली का स्पर्श पड़ते ही अलका को अपने बदन में सुरसुराहट का अनुभव होने लगा। अलका अपनी हथेली को अपनी बुर से सटाए हुए ही ऊपर की तरफ सरकाने लगी लेकिन इसी बीच अपनी हथेली की बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचों बीच की लकीर पर रखकर रगड़ते हुए ऊपर की तरफ सरकाई। बीच वाली उंगली की रगड़ बुर की लकीर पर इतनी तेज थी की उंगली की रगड़ बुर की लकीर में धंसते हुए ऊपर की तरफ आई। अलका की इस हरकत पर उसका बदन एक दम से झनझना गया।
बुर मे से हल्का सा पानी की बूंद बुर की उपरी सतह पर झलकने लगी। अलका के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट पड़ी। अलका आज वर्षों के बाद अपने बदन से इस तरह की छेड़छाड़ की थी। अलका इससे अधिक और ज्यादा बढ़ती इसे पहले ही अपने आप को संभाल ली।
वह अपने आप से ही बोली। यह मैं क्या कर रही हो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए गलत है और इतना कहकर नंगे बदन है अपने बिस्तर तक गई बिस्तर तक चलने से उसकी गांड में हो रही थीरकन इतनी गजब की थी कि अगर कोई भी उसकी गांड पर हो रही थीरकन को देख ले तो खड़े-खड़े उसका लंड पानी छोड़ दे। 
अलका बिस्तर पर पड़ी अपनीे गाऊन को उठाई और उसे अपने गले में डाल कर पहनते हुए मन ही मन में बोली कि अगली बार बाजार जाऊंगी तो वीट क्रीम लाकर अपने बाल की सफाई जरूर करुँगी।
बाजार जाने के नाम से उसे एकाएक याद आया कि आज वह बाजार गई थी। और बाजार में उसे एक लड़का मिला था। जिसने सामान से भरे थैले को उठाने में उसकी मदद की थी।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:22 PM

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