Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:29 PM,
#40
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अलका द्वारा बीट का उपयोग करने की कल्पना उन दो लड़कों में भी चल रही थी। तभी उस दुकानदार ने अलका को क्रीम थमाया और अलका ने तुरंत उसे पैसे देकर वहां से चलती बनी। हालाकि दो-तीन दिन गुजर गए थे लेकिन अलका ने बीट क्रीम का उपयोग नहीं कर पाई थी। बरसों बाद उसके बदन में भी प्यास की फुवार उठ रही थी।

एक दिन अलका ऑफिस से छूटकर अपनी घर की तरफ जा रही थी और जैसे ही मार्केट से होते हुए गुजर रही थी, की वही उसकी राह तकते हुए बैठे विनीत की नजर अलका पर पड़ी और वह दौड़ते हुए अलका के पास गया, अलका की नजर जैसे ही विनीत पर पड़ी वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई लेकिन चेहरे पर बनावटी गुस्सा लाते हुए बोली।

तुम मेरे पास भी मत अाना' तुम्हें मैं इतना सीधा लड़का समझी थी लेकिन तुम तो शैतान निकले। बीते भरके हो लेकिन तुम्हारी हरकतें एकदम आदमियों की तरह हो गई है। ( अलका उसे खरी-खोटी सुनाते हुए कंधे पर पर्स लटकाए तेजी से चली जा रही थी, और विनीत था कि उससे मिन्नतें करते हुए उसके पीछे पीछे लगा हुआ था। अलका के बीते भरके वाली बात पर वह मन ही मन सोचा की अगर यह आंटी मुझे मौका दे देती तो मे ईसे दिखा देता की यह बीते भर का लड़का इस औरत का तीन चार बार पानी एक ही बार में निकालने की ताकत रखता है। लेकिन अभी तैयार से काम लेना था इसलिए उसके पीछे पीछे मिन्नते करते हुए जा रहा था। वह उसके साथ चलते चलते बोला।

एक बार सुनो तो आंटी मानता हूं मुझसे गलती हो गई पर मेरी पूरी बात तो सुन लो इस तरह से नाराज होकर जाओगी तो कैसे चलेगा।

अब कहने और सुनने के लिए बचा ही क्या है तुम्हे जो करना था कर तो दिया ना। अब क्या है? ( अलका की बात सुनकर उसके मुंह से एकाएक निकल गया।)

कहां आंटी जी ।कहां कुछ कर दिया।


अब यूं भोला मत बन, तुम कितना शैतान हो मैं उस दिन जान गई।

आंटी जी उसी बात की तो मैं आपसे माफी मांगने के लिए कितने दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। ( रास्ते पर एक दूसरे की दलीलों को सुनते हुए दोनों आगे निकल गए यहां रास्ते पर भीड़ कुछ कम थी, इसीलिए वीनीत हिम्मत करके अलका का हाथ थाम लिया, इस तरह से हांथ थामने पर अलका को विनीत पर गुस्सा आ गया और वह झटके से अपना हाथ छुडाते़ हुए बोली

विनीत अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह से मेरा हाथ पकड़ने कीे ।

मेरी इस हरकत के लिए माफी चाहता हूं आंटी जी। उस दिन जो हुआ उसके लिए मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। ( विनीत लगभग रुवांसा होते हुए बोला' दिनेश के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर अलका शांत हुई। और बोली।)

अब क्या कहना चाहते हो । तुम्हे क्या ईसका अंदाजा भी है की अगर ऊस दीन कीसीने जो तुम हरतक कर रहे थे अगर कीसी ने देख लिया होता तो क्या होता, लोग क्या समझते मेरे बारे मे मे तो कीसी को भी मुंह दीखाने के काबिल भी नही रह जाती। ( हल्का बनावटी गुस्सा दिखाते हुए विनीत को बोले जा रही थी। और विनीत भी अब सच में रोने जैसा हो गया था ओर वह भी अपनी सफाई देते हुए बोला।)

माफी तो मांग रहा हूं आंटी जी अब बोलो मे क्या करु'
मेरी ओर गलती के लिए आप जो बोलोगे वह सजा मुझे मंजूर होगी लेकिन उसके पहले मेरी बात तो सुन लो।
( वीनीत की बातें सुनकर अलका एक दम शांत हो गई और वीनीत उसकी खामोशी को उसकी इजाजत समझते हुए बोला।)

आंटी जी उस दिन जो भी हुआ मैं वैसा कुछ भी नहीं करना चाहता था मैं तो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाना चाहता था ताकि आपको बारिश में तकलीफ ना हो. लेकिन आंटी जी आपकी खूबसूरती देखकर मैं बाहक गया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि औरत इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। ( इस बार अलका विनीत को ध्यान से देखने लगी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगी। अलका को वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें अच्छी लगने लगी थी। विनीत जानता था कि अगर किसी औरत को वश में करना हो तो सबसे बड़ा हथियार है उनकी तारीफ करना। अपनी तारीफ सुनकर दुनिया की कोई भी औरत किसी के भी सामने पिघल सकती हैं। और वही अलका के साथ भी हो रहा था। विनीत अलका की तारीफ के पुल बांधता हुआ बोला।)

सच कहूं तो आंटी जी बारिश में भीगने के बाद आप ओर भी ज्यादा खुबसुरत हो गई थी। मैं तिरछी नजर से चोरी छिपे आपके बदन की खूबसूरती को निहार ले रहा था। और आंटी जी तब तो मुझसे और भी अपने आप को संभाला नहीं गया जब आपको संभालते समय अनजाने में मेरा हाथ आप की चूची पर पड़ी थी। ( विनीत के मुंह से चुची शब्द सुनते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया, उसे कुछ पल तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह विनीत क्या कह रहा है, कभी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जानबूझकर अलका को उकसाते हुए बोला।)
आंटी जी आपकी चूची जैसे ही मेरे हाथों को छू आई थी मेरा पूरा बदन ऐसा झनझना गय़ा मानो की करंट लग गया हो। इतनी नरम नरम चूची के स्पर्श का एहसास मेरे पूरे वजूद को हिला गया था। ( विनीत जानबूझकर नमक मिर्च लगा कर उनका की तारीफ करते हुए गंदी बातों का सहारा लेकर उसको उकसाने की कोशिश कर रहा था। अलका भी उसकी चिकनी चुपड़ी बातों के बाहाव में बही जा रही थी। कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद अलका फिर से चलने लगी, वीनीत भी उसके पीछे पीछे चलने लगा लेकिन इस बार अलका ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। विनीत फिर से उसके बराबर में चलते हुए बोला।)

आंटी जी आप मेरी बातों से नाराज तो नहीं है ना, देसी आंटी जी मेरे मन में पाप नहीं है लेकिन जो मेरे मन में था वह साफ साफ आपको पूरी सच्चाई बता दिया।
( दिनेश की बातें सुनने के बाद चलते चलते ही अलका का बोली।)

तुम्हें नहीं लगता है कि तुम्हारी यह बातें और तुम्हारी की गई हरकतें दोनों गंदी हैं।

मैं कब कह रहा हूं आंटी जी कि मैंने जो कुछ भी किया वह सब ठीक था। आप की जगह पर अगर कोई और होती तो मेरी इन हरकतो की वजह से मेरे गाल पर थप्पड़ रसीद कर दी होती' और तो और मैं हैरान हूं कि अब तक मेरे गाल लाल क्यों नहीं हो गए।
( वीनीत की इस बात पर अलका को हंसी आ गई' और अलका की हंसी को देखकर विनीत अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसने बहुत कुछ साफ-साफ बोल दिया था जो कि एकदम खुले शब्दों में था फिर भी अलका की हंसी से साफ जाहिर हो रहा था कि वह उसकी बातों को सुनकर नाराज नहीं थी। इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह फिर से अलका की तारीफ में दो शब्द और जोड़ते हुए बोला।)

आंटी जी आप सच बताइए आप नाराज तो नहीं है ना।


देखो विनीत नाराजगी का तो कोई सवाल ही नहीं उठता जो भी तुम कर रहे हो ये सब सही नहीं है।

आंटी जी मैं जानता हूं कि ऐसा सही नहीं है लेकिन उसके लिए बारिश की वजह से बहक गया था खास करके आपके भीगे हुए बदन को देख कर, मैं आपको पहले भी बता चुका हूं कि मैंने आपसे ही खूबसूरत औरत कभी नहीं देखा। उस दिन अगर मैं आपके होठों का रास्ता ना किया होता तो मैं अपना होश कभी नहीं खोता, और ना ही आपके गुलाबी हो तो के मधुर रस की वजह से मेरे होश खोते ओर न मैं आपकी इन( आंखों से इशारा करते हुए) बड़ी बड़ी चुचियों को अपनीे हथेली में भर कर दबाता। और ना ही आपकी साड़ी को आपकी कमर तक उठा कर आपकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने की जुर्रत करता। इसमें आपका ही दोष है ।
( कल का दिन एक की इन बातों को सुनकर एकदम भोंचक्की सी हो गई उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था की वह जो सुन रही है ना कोई उसके बेटे के हमउम्र का लड़का ही है। जो खुद उससे इतनी गंदी बातें कर रहा है। अलका को गुस्सा भी आ रहा था लेकिन विनीत की इन बातों में अश्लीलता के साथ-साथ उसकी खुद की तारीफ भी छुपी हुई थी इसलिए उसे यह सब सुनने में अच्छा भी लग रहा था। विनीत का जवाब सुनकर उसे क्या कहना है ये उसे सुझ ही नहीं रहा था, फिर भी वह बोली।)

तुम पागल हो गए हो क्या यह तो वही हो गया आपकी उल्टा 
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