Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:30 PM,
#43
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को देख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई दरार पर जाकर ठहर गई। अलका ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुंह से सिसकारी छूट गई। बुर के साथ-साथ उसकी बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली। वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। अलका को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था। अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टेबल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और ढेर सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टेबल पर रख दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। अलका पुरी तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टेबल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टेबल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय अलका के रूप को कोई भी मर्द देख ले तो उसका खड़े-खड़े ही पानी छूट जाए।
अलका अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को एकदम चिकनी देखने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डूबे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।

वही दूसरे कमरे में राहुल भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को देखकर वह अपने आपे से बाहर हो गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए देखता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टेबल पर रख कर पीछे से अपना खड़ा लंड पेल देता है,
थोड़ी ही देर में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए राहुल के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए राहुल थोड़ी ही देर में लंड की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
राहुल के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। राहुल फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।

कमरे में अलका अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े को देख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। अलका को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अपनी चिकनी बुर को देखने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर पर से हटाई तो अपनी बुर को देख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई चिकनाई को देखकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को देखकर वह खुद ही कायल हो चुकी थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही अलका का मन एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
ससससससससस......

अलका का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव देते हुए हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को देख देखकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी। 
अलका उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली। 
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी, अलका आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अलका के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। अलका के मन के अंदर का बांध टूट चुका था। एक उंगली से बुर को चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।

ऊउउममममममममममम...सससससससहहहहहहह....
आहहहहहहहह.......ऊईईई....म्मा....
( अलका अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। अलका जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से हस्तमैथुन करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में राहुल के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था। बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा चुदवासी हो गई। 
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:30 PM

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