Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:35 PM,
#66
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से अलका की नींद खुल गई। अपने आपको अपने बेटे की आगोश में पाकर , अलका एकदम से शर्मसार होने लगी और होती भी क्यों नहीं वह दोनों एकदम संपूर्ण नग्नावस्था में बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में सोए हुए थे। राहुल अपनी मां को अपनी बाहों में लेकर कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला था अलका की पीठ राहुल की तरफ थी जोकि राहुल के सीने से सटी हुई थी। अलका जब उठने के लिए अपने बदन में हरकत की तो उसका बदन एकदम से गनगना क्योंकि राहुल का लंड उसकी गांड की दरार के बीच में फसा हुआ था जो कि इस समय पूरी तरह से तनाव में था। अपने बेटे के लंड का कड़कपन का एहसास अलका को होते ही तुरंत उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी। उसकी रसीली बुर फिर से फूलने पिचकने लगी। एक बार फिर से उसकी सांसे गहराने लगी दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। वह बिस्तर से उठने को हो रही थी लेकिन अपने बेटे की लंड की गर्माहट में एक बार फिर से उसे अपनी बुर पिघलती सी महसूस होने लगी। अलका का जी एक बार फिर से मचलने लगा। राहुल एकदम कार्ड निद्रा में सो रहा था अलका पल-पल उत्तेजित हुए जा रही थी और रह रहकर हल्के हल्के से अपनी भरावदार गांड को राहुल के लंड पर रगड़ रही थी। अलका की सांसे उसके बस में नहीं थी एक बार उसका मन तो कहा कि राहुल को जगा कर एक बार फिर से चुदवाले लेकिन रात के अंधेरे में बेशर्म बन चुकी या लड़का सुबह के उजाले में शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। बारिश के पानी की तरह अलका के वासना का भी पानी उतर चुका था। रात के अंधेरे को सुबह का उजाला धीरे धीरे काट रहा था और पूरे सृष्टि पर अपना कब्जा जमा रहा था। खिड़की से हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी रोशनी के साथ ही अलका की बेशर्मी भी दूर होने लगी थी। अपने नंगे बदन पर गौर करते ही अलका शर्मिंदा हो गई और जल्द से जल्द अपने बदन को कपड़े से ढक लेना चाहती थी इसलिए धीरे से और बिस्तर पर से उठने लगी ताकि राहुल की नींद ना खुल जाए क्योंकि वह राहुल के जगने से पहले ही कमरे से चली जाना चाहती थी नहीं तो वह रात की हरकत के बाद से अपने बेटे से नजर नहीं मिला पाती। अलका बिल्कुल आहट किए बिना ही बिस्तर से धीरे से उठ खड़ी हुई बिल्कुल नंगी थी । एक बार अपने आपको ऊपर से नीचे की तरफ नजरें घुमा कर देखने पर उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छा गई। वह जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी इसलिए अपने कपड़ों को ढूंढने की झंझट में नहीं पड़ना चाहती थी इधर उधर देखने पर भी उसे अपने कपड़े नजर नहीं आए तो वह नंगी ही कमरे से बाहर आ गई क्योंकि उसे पता था सोनू अभी भी सो रहा होगा इसलिए झट से बाथरूम में जाकर जल्दी-जल्दी नहा धोकर फ्रेश हो गई। उसे जल्द से जल्द सुबह का नाश्ता बनाना था इसलिए रसोई घर में आ गई। रसोईघर में काम करते हुए उसका ध्यान बार-बार रात वाली घटना पर केंद्रित होने लगा रह रह कर उसे अपने बेटे का लंड याद आने लगा उसे अपनी बुर मैं मीठा-मीठा दर्द का एहसास होने लगा।
रात भर जमकर चुदवाने के बाद उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा एक दमदार और तगड़ा लंड का मालिक है उसके जबरदस्त धक्को को याद करके अलका मन-ही-मन सिहर ऊठ रही थी। 
वह सोच में पड़ गई थी कि कितना मोटा लंड है राहुल का कि उसकी बुर में घुसते ही कैसे उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ अंदर तक वह भी उसके बच्चेदानी तक पहुंच कर पूरी तरह से खलबली मचा रहा था। 
इन सब बातों को याद करके एक बार अलका का दिल फिर से मचलने लगा था उसे अपनी बुर में एक बार फिर से अपने बेटे का लंड पूरी तरह से डलवाकर चुदवाने का करने लगा था। लेकिन कैसे या उसे समझ में नहीं आ रहा था रात को तो ना जाने उसे क्या हो गया था और थोड़ी बहुत मदद उसे बारिश से भी मिल चुकी थी लेकिन रात को जो उसने हिम्मत दिखाई थी उसके बारे में सोच कर अलका का दिल अभी भी मचल जा रहा था। 
उसे एक बार फिर से उसी हिम्मत को दिखाने की जरूरत का एहसास हो रहा था क्योंकि इस समय उसकी बुर में आग लगी हुई थी जिसे उसका बेटा ही अपने लंड से बुझा सकता था। लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कैसे करें कि उसका बेटा एक बार फिर से रात की तरह अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए मजबूर हो जाए। यही सब सोचते हुए अलका सब्जी काट रही थी तभी वह अपने मन में ठान ली कि, रात को दो-तीन बार तो अपने बेटे का लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवा चुकी है तो इस समय शर्म कैसी एक बार हो या बार बार हो तो गया है और अब शर्म करने से कोई फायदा नहीं है अगर अपने बदन की प्यास को बुझाना है तो हमेशा ही राहुल का ही सहारा लेना होगा और इस समय अगर उसे चुदवाना है तो रात की तरह ईस समय भी अपने बेटे को उकसाना ही होगा ताकि वह फिर से चुदाई कर सके। 
रसोई घर में आटा गुंथते गुंथते अलका राहुल को कैसा उकसाया जाए इस बारे में सोचने लगी। तभी अचानक से वह अपनी साड़ी उतारने लगी, साड़ी उतारने के बाद बगल में लटक रही रस्सी पर साड़ी को डाल दी और फिर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। थोड़ी देर मे अलका ने अपने ब्लाउज को दी उतार दी और फिर अपनी लाल रंग की ब्रा के हुक को खोलकर ब्रा भी उतार दी और उसे रस्सी पर ही साड़ी के नीचे छिपा कर टांग दी और फिर वापस से ब्लाउज को कहेंगे लेकिन ऊपर के दो बटन को खुला ही छोड़ दी। वह अच्छी तरह से जानती थी की राहुल उठकर नहाने के बाद रसोई घर में जरूर आएगा इसलिए अलका ने यह पूरी तैयारी कर के रखे थे इस समय वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी पेटीकोट भी थोड़ी सी टाईट थी जिससे उसके अंगो का हर कटाव उभार साफ-साफ पेटीकोट में होने के बावजूद भी उपस के बाहर आ रहा था। और उसने ब्रा को जानबूझकर उतार दी थी क्योंकि उसके ब्लाउज का कपड़ा एकदम ट्रांसपेरेंट था । बिल्कुल पारदर्शक वह कपड़ा इतना पतला था कि उसके आर-पार की चीज आराम से देखी जा सकती थी और इस समय अलका की नंगी पीठ उसकी बड़ी बड़ी गोल चुचीयां ब्लाउज मे से आराम से नजर आ रही थी। अलका अपने बेटे को उकसाने का पूरा सामान तैयार कर चुकीे थी। वैसे भी ब्लाउज का साइज उसकी छातियों के साइज से थोड़ा कम ही था, इस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और भी ज्यादा बड़ी लगती थी । अलका को पूरा यकीन था कि राहुल उसे इस हाल में देख कर जरूर चुदवासा हो जाएगा और उसकी भी कामना पूरी हो जाएगी। अलका यही आस मन में लिए प्यासी बुर की तड़प को सहन करते हुए रसोई का काम करने लगी।
दूसरी तरफ राहुल की नींद खुल चुकी थी अपने आप को बिस्तर में नंगा पाकर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई क्यों कि उसकी भी प्यास बुझ चुकी थी लेकिन यह प्यास एसी थी की कभी भी किसी से भी पूरी तरह से बुझ नहीं सकती थी हां कुछ देर के लिए शांत जरूर हो जाती थी। वह जान गया था कि उसकी मम्मी जल्दी उठ कर चली गई थी। वह रात वाली बात को सोच सोचकर गनगना जा रहा था। रात भर अपनी मां को जमकर चोद ता रहा इस बात पर उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था। उसे यहं सब सपना ही लग रहा था। 
अपने लंड में आए तनाव को देखकर उसका मन बहकने लगा था। वह मन में यही सोच रहा था कि अगर इस समय उसकीे मम्मी इधर होती तो, वह जरूर एक बार फिर से उसे चोद कर अपने आप को शांत करता लेकिन क्या करें हाथ मसल कर रह गया। बिस्तर पर से जल्दी जल्दी नीचे उतरकर अपने कपड़े पहन कर सीधा बाथरुम के अंदर चला गया। बाथरुम से नहा धोकर तैयार हो कर वह सीधे अपनी मां के पास रसोईघर में चला गया। अलका को रसोईघर में राहुल की आहट होते ही उसकी जाँघो को बीच सुरसुरी सी मचने लगी। उसे पता था कि राहुल की नजर उस पर ही टिकी होगी लेकिन वह पीछे मुड़कर देखे बिना ही पत्थर पर मसाला पीसती रही। और उसके सोचने के मुताबिक ही राहुल की नजर अलका पर ही गड़ी थी। राहुल आश्चर्यचकित होकर अपनी मां को ही देख कर जा रहा था अलका की पीठ राहुल की तरफ थी। अपनी मां को सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में देख कर राहुल हैरान हो रहा था क्योंकि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मम्मी स्नान करने के बाद ही रसोई घर में कदम रखती थी और इस तरह से सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में कभी भी नजर नहीं आई थी तो आज ऐसा क्या हो गया। उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखकर उत्तेजना का भी एहसास हो रहा था और यह सब जानने के लिए उत्सुकता भी हो रही थी। जैसे जैसे अलका के हाथ हिलते थे वैसे वैसे उसकी भरावदार गांड मटकती थी और अपनी मां की मटकती गांड को देख कर राहुल के लंट में तनाव आना शुरू हो गया था। अपनी मां की गांड का घेराव देखकर राहुल हैरान हुए ो जा रहा था पलपलउसकी ऊत्तेजना बढ़ती जा रही थी। 
राहुल अपनी मां के ब्लाउज को देखकर कुछ ज्यादा ही हेरान हुए जा रहा था। क्योंकि राहुल को ब्लाउज के अंदर से झांकती नंगी पीठ साफ साफ नजर आ रही थी उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां ने अंदर ब्रा नहीं पहनी है। यह देख कर उसका लंड और ज्यादा उछल मारने लगा, कल का मन ही मन अपनी भरावदार गांड को और ज्यादा मटकाते हुए कसमसा रही थी उसे इस प्रकार से अपने बेटे को उकसाते हुए अजीब सी आनंद की अनुभूति हो रही थी। राहुल के पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था राहुल का मन अपनी मां की स्थिति को देख कर एक बार फिर से उसे चोदने को करने लगा और अलका भी तो यही चाहती थी बस दोनों एक दूसरे से सब कुछ हो जाने के बाद भी इस समय शर्मा रहे थे। राहुल यह अच्छी तरह से जानता था कि पारदर्शी ब्लाउज पहनने पर जब नंगी पीठ पूरी तरह से दिखाई दे रही है तो जरूर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी साफ साफ दिखाई देती होंगी अब राहुल की इच्छा अपनी मां की चुचियों को देखने का कर रहा था लेकिन कैसे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी। अलका थी कि जानबूझकर पत्थर पर मसाला पीसने में ही लगी हुई थी राहुल ही बातों का दौर आगे बढ़ाते हुए रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला। 
क्या बात है मम्मी आज सुबह-सुबह आप अपनी साड़ी नहीं पहनी हो क्या। ( राहुल रसोई घर में प्रवेश करते हुए बोला।)

अलका ने अपनी लालसा को पूरी करने के लिए पहले से ही पूरी तरह से रुपरेखा तैयार कर चुकी थी। इसलिए उसे इस स्थिति में होने के बावजूद भी अपने बेटे को जवाब देने में कोई भी दिक्कत महसूस नहीं हुई वह एक दम शांत मन से बोली।

क्या करूं बेटा आज नहाने के बाद इतनी गर्मी महसूस हो रही है कि मुझ से रहा ही नहीं जा रहा इसलिए मैंने पहनी हुई साड़ी उतारकर सामने( उंगली से निर्देश करते हुए) रस्सी पर टांग दी हुँ। 
( राहुल जानता था कि उसकी मम्मी झूठ बोल रही है रात भर बरसने के बाद मौसम पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन फिर भी अपनी मां की हां में हां मिलाते हुए वह बोला।)

हां मम्मी आप सच कह रही हो मुझे भी गर्मी का एहसास कुछ ज्यादा ही हो रहा है।

तो तू भी अपने कपड़े उतार दे( अलका झट से बोलकर मुस्कुराने लगी। अलका की मुस्कुराहट राहुल के कलेजे पर छुरियां चला रही थी अलका की कामुक मुस्कान देख कर राहुल का दिल मचलने लगा था।) 
अच्छा बता नास्ते मे क्या चाहिए तुझे। ( इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ घुंम गई, और जैसे वा राहुल की तरफ घूमि वैसे ही तुरंत राहुल की नजर सीधे अलका की बड़ी बड़ी चुचियों पर चली गई जौकी ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी साफ साफ नजर आ रही थी। अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर राहुल तो सन्न रह गया। पारदर्शी ब्लाउज की वजह से अलका की चुचीयां इतनी साफ-साफ नजर आ रही थी कि लग ही नहीं रहा था कि वह ब्लाउज पहने हुए है। राहुल तो आंखें फाड़े अपनी मां की चुचियों को ही देखे जा रहा था। अलका समझ गई थी कि उसके बेटे की नजर किस अंग पर है। वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। वह एक बार फिर से अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली।

क्या हुआ बेटा बता तो सही आज नाश्ता में क्या लेगा? 

( राहुल अपनी मां के इस सवाल पर एक दम से तक पका गया उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या कहे उसकी नज़रों और दिमाग में तो उसकी मां की चुचीयां ही छाई हुई थी इसलिए उसके मुंह से एकाएक दददद....दुध निकल गया। राहुल के मुंह से दूध शब्द सुनकर अलका मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।
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