07-26-2018, 02:15 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया
सुबह के 11.11 बज चुके थे जब मुझे अनु के साथ अकेले मे बात
करने का मौका मिला.
"रात कैसी रही?"मेने पूछा.
"ओह सूमी में बता नही सकती, बहोत मज़ा आया. पूरी रात अमित
ने मुझे कम से कम चार बार चोदा. सुबह जब हम सोकर उठे उसने
अपने लंड को मेरी चूत पर घिसते हुए कहा, 'अनु मेरी जान, मेरा
लंड तुम्हारी चूत को सुबह की सलामी दे रहा है' फिर उसने मुझे
एक बार और जोरों से चोदा."
"सच मे सूमी में बहोत खुश हूँ, और कौन लड़की खुश ना होगी,
जब उसे दिन भर के लिए एक पर्सनल नौकरानी मिल जाए और रात को
चोदने के लिए इतना शानदार पति और इतना तगड़ा लंड." अनु ने जवाब
दिया.
"हां अनु में भी बहोत खुश हूँ पर में ये जानना चाहती हूँ कि
क्या अमित को तुम्हारी चूत की झिल्ली के बारे मे पता चला?"
"ओह्ह्ह उस विषय मे, मुझे नही लगता कि उसका ध्यान उस पर गया
हो... जब उसने मेरी चूत मे पहली बार लंड घुसाया था तो में तो
ज़ोर से चिल्ला भी पड़ी थी.... तुम्हारे साथ क्या हुआ?" अनु ने जवाब
देते हुए पूछा.
"शायद उसे भी कुछ पता नही चला, चलो अच्छा ही हुआ," मेने भी
हंसते हुए कहा.
फिर हम रात के बारे मे बात करने लगे.
"सूमी पता है अमित तो पूरी रात मेरे सारे बदन को चूमता रहा
ख़ास तौर पर मेरी चुचियों को. पूर रात वो उन्हे मसलता रहा और
चूस्ता रहा पर हां उसे मुझसे एक ही बात से शिकायत थी, मेरी
चूत पर उगे बालों से.... में तो शाम को उन्हे सॉफ कर दूँगी."
अनु ने कहा.
"ओह अनु.... मुझे लगता है कि दोनो भाइयों का एक जैसा टेस्ट है.
सुमित को भी मुझसे यही शिकायत है." मेने कहा.
उस रात सुमित मेरी एक दम साफा चट चूत को देख कर बहोत खुश हो
गया, "में खुश हूँ कि तुमने अपनी झाँते सॉफ कर ली नही तो हर
वक़्त मेरी नाक मे घुसती रहती ये." कहकर उसने मेरी चूत को इस
बेदर्दी से चूसा की में तो चार बार झाड़ गयी.
जब हम दो बार चुदाई कर चुके थे उसने ज़िद कीकि में उसका लंड
चूसू, शुरू में तो मेने इनकार कर दिया, लेकिन उसके काफ़ी ज़िद
करने पर मेने उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी.
बहुत ही अछा लगा मुझे कई दीनो के बाद लंड चूसने मे. उस रात
मेरे काफ़ी मना करने के बावजूद सुमित ने मेरी गंद मे लंड घुसा
मेरी गंद मार दी.
सुबह जब मेने अनु से बात की तो उसने बताया की अमित ने भी उसके
साथ वैसे ही किया था, जैसे की दोनो एक दूसरे से सलाह करके ही
कर रहे हो.
एक दिन अमित ने कहा, "अनु और सूमी आज हम दोनो तुम दोनो को हमारे
खेत दीखा के लाएँगे. खाना हम घर से बना के ले चलेंगे कारण
आते आते शाम हो जाएगी."
बत्रा परिवार के खेत काफ़ी दूरी तक फैले हुए थे. हम कार से
सफ़र कर रहे थे और गाड़ी जिस गाओं या खेत से गुज़रती लोग दोनो
भाइयों को सलाम करते. दोनो भाई अपनी बीवियों को खेत दीखाने
लाए है ये बात आग की तरह चारों तरफ फैल गयी. जहाँ से भी
हम गुज़रते गाओं वाले हम ज़बरदस्ती रोक चाइ नाश्ता करने के लिए
कहते.
जब हम खाना खाने के लिए एक जगह रुके तो अनु बोल पड़ी, भाई मेरा
तो पेट भर गया है, मुझसे खाना नही खाया जाएगा."
"क्या ये सब लोग तुम्हारे लिए काम करते है?" मेने पूछा.
"हां करीब करीब बच्चो को छोड़ कर." सुमित ने जवाब दिया.
में और अनु मिलकर खाना निकालने लगे तभी अमित और सुमित ने एक एक
सिग्रेट सुलगा ली.
"सुमित लगता कि आज चाचू की तो निकल पड़ी है." अमित ने
हंसते हुए कहा.
"तुम्हारा कहने का मतलब क्या है?" मेने पूछा.
"वो तांगा दीखाई दे रहा है, जिसमे दो खूबसूरत लड़कियाँ बैठी
है?" अमित ने एक तांगे की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"हां दीख तो रहा है, पर ऐसी क्या बात है?" अनु ने पूछा.
"मनु जो तांगा चला रहा है वो चाचू का ख़ास नौकर है, वो इन
लड़कियों को उनके पास ले कर जा रहा है, और में शर्त के साथ
कह सकता हूँ कि चाचू हमसे ज़्यादा दूर नही है." अमित ने कहा.
"उनके पास लेकर जा रहा है... तुमहरा कहने का मतलब क्या है..
क्या ये लड़कियाँ रंडी है?" मेने पूछा.
"नही ये रंडिया नही है, ये इन गाओं मे काम करने वाले मज़दूरों
की बीवियाँ है." सुमित ने जवाब दिया.
"तो तुम ये कहना चाहते हो कि चाचू इन सबको ......." अनु ने कहते
हुए अपनी बात अधूरी छोड़ दी.
"हां में यही कहना चाहता हूँ कि चाचू इनकी चूत का कीमा बना
देगा." अमित ने हंसते हुए कहा.
"तुम्हे कैसे पता?" अनु ने पूछा.
"क्यों कि कई शाम हमने चाचू के साथ गुज़ारी है जब वो इन
मज़दूरों की बीवियों को चोद रहा होता है." अमित ने हंसते हुए
कहा.
"क्या ये औरतें बुरा नही मानती?" मेने पूछा.
"नही.....क्या तुम्हे दीखाई नही दे रहा है कि ये सब कितनी खुश
है?" अमित ने जवाब दिया.
"हां ये खुश तो नज़र आ रही है.... पर क्यों खुश हैं ये बात
मेरी समझ के बाहर है." अनु ने कहा.
"में तुम दोनो को समझाता हूँ, चाचू बहोत ही ताकतवर है, उसका
लंड काफ़ी मोटा और लंबा है, औरतें उसके लंड से बहोत प्यार करती
है. कई बार औरतों मे आपस मे झगड़ा भी होता है चाचू से
चुदवाने के लीये.... हमने तो सुना है कि गाओं की औरतें मनु को
घूस तक देती है कि अगली बार वो उन्हे चाचू के पास ले जाए.
अमित ने समझाते हुए कहा.
"अगर ये बात सच है तो फिर गाओं मे बच्चो की कमी नही होगी?"
मेने भी हंसते हुए कहा.
"बदक़िस्मती से ऐसा नही हो सकता, चाचू बच्चे पैदा नही कर
सकता. चाचू जब छोटे थे उन्हे एक बीमारी हो गयी थी जिससे उनके
वीर्या मे इन्फेक्षन हो गया था." सुमित ने कहा.
"तभी चाचू ने शादी नही की है ना?" अनु ने कहा.
"वो तो ठीक है... पर क्या इन औरतों के पति कोई अप्पति नही
उठाते?" मैने पूछा.
"नही पहली बात तो ये सब मज़दूर हमारे वफ़ादार है, फिर उन्हे
पैसा सुख आराम सभी चीज़ तो मिलती है हमसे...." सुमित ने कहा.
"तुम इसे वफ़ादारी कहते होगे में नही..." अनु ने कहा.
"तुम्हारी इस बात पर में कई सालों पहले की एक बात बताता हूँ."
सुमित ने कहा, "आज से 20 साल पहले चाचू इन खेतों का जायज़ा ले
रहे थे. तभी उनकी मुलाकात हमारे एक मज़दूर भानु से हुई जो अपनी
बैल गाड़ी हांकते हुए चला आ रहा था. तुम दोनो उससे नही मिली हो
लेकिन जब हम सहर जाएँगे तो तुम्हारी मुलाकात उससे हो जाएगी...
तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं वो मोना का बाप है."
"भानु तुम कहाँ थे इतने दिन, मेने तुम्हे देखा नही कई दीनो से?"
चाचू ने उससे पूछा.
"मालिक में अपने ससुराल गया था अपनी पत्नी को लाने," भानु ने
गाड़ी में बैठी एक औरत की और इशारा करते हुए कहा.
"तुम्हारी पत्नी? मुझे तो पता भी नही था कि तुम्हारी शादी हो
चुकी है?" चाचू ने चौंकते हुए कहा.
"मालिक हम दोनो की शादी तो बचपन मे ही हो गयी थी, अब मीना 18
की हो गयी है इसलिए इसका गौना कर घर ला रहे है." भानु ने
कहा, "मीना मालिक के पैर छुओ?"
मीना गाड़ी से उत्तरने लगी तो उसका घूँघट हट गया, "भानु तुम्हारी
बीवी तो बहोत सुन्दर है."
मीना चाचू की बात सुनकर शर्मा गयी और उसने अपना घूँघट एक
बार फिर ठीक कर लिया.
कुछ घंटो बाद चाचू जब घर पहुँचा तो देखा कि भानु वहीं
दरवाज़े पर उनका इंतेज़ार कर रहा था, "अरे भानु तुम यहाँ क्या कर
रहे हो? तुम्हे तो अपने घर होना चाहये था अपनी पत्नी के साथ मज़ा
करना चाहिए था," चाचू ने कहा फिर गाड़ी की ओर देखा जो खाली
थी, "तुम्हारी बीवी कहाँ है?"
"मालिक वो आपके कमरे मे आपका इंतेज़ार कर रही है. मेने उसे सब
समझा दिया है... वो आपको बिल्कुल भी परेशान नही करेगी." भानु
ने झुकते हुए सलाम किया और कहा.
कुछ देर के लिए तो चाचू को भानु की बातों पर विश्वास नही
हुआ, "ओह्ह्ह भानु तुम बहोत अच्छे हो तुम्हे इसका इनाम ज़रुरू मिलेगा,
अब तुम जाओ जब तुम्हारी ज़रूरत होगी में तुम्हे बुला लूँगा." चाचू
अपने कमरे की ओर भागते हुए बोले.
"तुम दोनो मनोगी नही चाचू दस दिन तक मीना को चोद्ता रहा फिर
ग्यारहवें दिन उसने भानु को बुलाया और इनाम देते हुए कहा, "भानु
हमे तुम्हारी वफ़ादारी पर नाज़ है. अब तुम अपनी बीवी को अपने घर ले
जाओ और मज़े करो इसके साथ," अब तुम दोनो बताओ इसे वफ़ादारी नही
कहेंगे तो क्या कहेंगे." सुमित ने अपनी बात ख़तम करते हुए कहा.
"क्या पापा भी चाचू की तरह इन मज़दूरों की बीवियों को चोद्ते
है?" अनु ने पूछा.
"हां.... हमने कई बार इन औरतों को पापा के कमरे मे जाते हुए
देखा है." अमित ने कहा.
"मम्मीजी को तो सब पता होगा? कैसे बर्दाश्त करती है वो ये सब?"
मैने पूछा.
"हां उन्हे सब पता है.... लेकिन वो बुरा नही मानती... यही सवाल
एक बार उनकी सहेली ने पूछा तो उन्हो ने जवाब दिया था "कि मुझे
अपने पति पर गर्व है कि एक औरत उन्हे संतूशट नही कर सकती...
ऐसी ताक़त है उनके लंड मे.... जब वो कमसिन लड़की को चोद्ते है
तो उस रात मुझे बहोत मज़ा आता है. में तो कहती हूँ कि तुम भी
अपने पति को तुम्हारी उस कमसिन नौकरानी को चोदने दो फिर देख वो
तुम्हारी कैसे बजाता है" मम्मी ने हंसते हुए कहा था.
"तो क्या मम्मीजी की सहेली ने उनकी बात मानी थी?" अनु ने मुस्कुराते
हुए पूछा.
"ये तो हमे नही पता लेकिन हां उस दिन के बाद उनके यहाँ एक नही
दो कमसिन नौकरानिया है." सुमित ने हंसते हुए कहा.
"और तुम दोनो का....क्या तुम दोनो भी किसी मज़दूर की बीवी को अपने
बिस्तर मे बुला सकते हो?" अनु ने पूछा.
"नही अभी तक नही बुलाया पर भविश्य का पता नही." अमित ने
कहा.
"मुझे तो अभी भी विश्वास नही हो रहा है कि ये मज़दूर लोग अपनी
बीवियों को अपने मालिक से चुदवाने के लिए भेजते है." मेने अपनी
गर्दन हिलाते हुए कहा.
"मुझे समझने दो तुम दोनो को.... तुम दोनो ने कीताबों मे पढ़ा ही
होगा की पुराने रजवाड़ों के ज़माने मे ज़मींदार अपने मज़दूरों को अपना
गुलाम ही मानते थे. हमारे परिवार मे भी कुछ ऐसा ही था, दादाजी के
जमाने मे गाओं की हर नई दुल्हन को पहले उनके पास लाया जाता जिससे
वो उसकी कुँवारी छूट को छोड़ सके. दादाजी काफ़ी टांदरुस्त थे और
उन्हे कुँवारी लड़कियों की चूत फाड़ने मे मज़ा भी बहोत आता था
|
|
07-26-2018, 02:15 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--2
गतांक से आगे........................
मज़दूरों को ये बात पसंद नही थी, इसलिए हमारा धांडे मे बहोत
नुकसान भी हुआ कारण दादाजी सिर्फ़ दुल्हन को ही नही बल्कि उनके
परिवार की हर कुँवारी कन्या को चोद देते थे. जब भी वो खेतों मे
जाते तो मज़दूर अपने घर की कुँवारी लड़कियों को छुपा देते., अगर
उन्हे शक़ हो जाता तो अपने मुलाज़िमो से उनके घर की तलाशी लेते और
उस मज़दूर को मार मार कर उसकी चॅम्डी उधेड़ देते.
"फिर ये मज़दूर उन्हे छोड़ कर क्यों नही चले गये?" अनु ने पूछा.
"कुछ छोड़ कर चले गये... लेकिन ज़्यादा तर वहीं रुक गये, कारण
एक तो उस जमाने मे नौकरियाँ मिलती कहाँ थी, दूसरी बात कि उन्हे
पगार इतनी ज़्यादा मिलती थी कि वो छोड़ कर जा ही नही सकते थे.
"तुम्हारा कहना का मतलब है कि ये परंपरा अब भी तुम्हारे परिवार
मे चली आ रही है." मेने पूछा.
"हां चली तो आ रही है, लेकिन अब किसी के साथ ज़बरदस्ती नही की
जाती. जब पापा ने दादाजी की जगह ली तो मम्मी ने इस प्रथा को
बदल दिया. मम्मी ने पापा को समझाया कि गाओं की दुल्हन को चोदने
का हक सिर्फ़ उसके पति का है, उसे ही कुँवारी चूत को चोदने का
मौका मिलना चाहिए. इस बात ने मज़दूरों को खुश कर दिया और सब
मन लगाकर काम करते है जिससे हमारा धंधा भी काफ़ी बढ़ गया."
सुमित ने कहा.
मुझे लगा कि बात का विषय एक अंजाने ख़तरे की ओर बढ़ रहा है
तो में बात को बदलते हुए कहा, मम्मीजी सही मे बहोत अच्छी है..
कितना प्यार और अपनत्वपन है उनकी बातों मे."
"उनके चेहरे पर मत जाना." अमित ने कहा, तुमने कभी उन्हे गुस्सा
करते हुए नही देखा, गुस्से मे वो पूरी चंडिका बन जाती है." अमित
ने कहा.
"में विश्वास नही करती.... मम्मी और चंडिका हो ही नही सकता."
मेने कहा.
"तुम कभी उमा से मिली हो?" सुमित ने पूछा.
"तुम्हारा मतलब है मम्मीजी की पर्शनल नौकरानी जिसके कान पर
घाव है?" अनु ने पूछा.
"हां वही उमा पर वो उस घाव के साथ पैदा नही हुई थी, ये सब
मम्मी की मेहरबानी है." अमित ने कहा.
"तुम्हारा कहने का मतलब है कि वो घाव उसे मम्मी ने दिया है...नही
में नही मान सकती वो ऐसा कर ही नही सकती." मैने अपनी सास का
पक्ष लेते हुए कहा.
"अमित इन्हे बताओ कि क्या हुआ था तभी इन्हे विश्वास आएगा हमारी
बातों का." सुमित ने अपने भाई से कहा.
ये वो कहाँ है जो हमे अमित ने बताई.
जिस दिन चाचू ने मोना की मा मीना को चोदा था उसके ठीक तीन
महीने बाद की बात है. उमा की उम्र 18 साल थी जब मम्मी ने उसे
नौकरानी रखा था. वो मीना जितनी सुन्दर तो नही थी लेकिन उसका
बदन बहोत ही आकर्षक था. चाचू को वो पसंद आ गयी थी और वो
उसे चोदना चाहते थे. जब भी वो कमरे मे होती थी तो चाचू की
नज़र उसपर से हटती ही नही थी, ये बात एक दिन मम्मी ने देख ली.
"देवर्जी लगता है कि आपको हमारी उमा पसंद आ गयी है?" मम्मी ने
कहा.
"हां भाभी, उमा मुझे बहोत अछी लगती है." चाचू ने जवाब दिया.
"तो फिर क्या बात है, चोद दे हरमज़ाडी को." मम्मी ने कहा.
"भाभी में भी उसे चोदना चाहता हूँ, मेने कई बार उसे रात को
मेरे कमरे मे आने के लिए कहा लेकिन वो मानती ही नही" चाचू ने
शिकायत करते हुए कहा.
"चिंता मत करो, में उससे कहूँगी कि आज कि रात वो तुम्हारे कमरे
मे जाए." मम्मी ने चाचू से वादा कर दिया.
दूसरे दिन मम्मी चाचू को नाश्ते की टेबल पर देखकर चौंक
पड़ी, "देवर्जी आप इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे है? क्या उमा की
कोरी चूत पसंद नही आई? मम्मी ने पूछा.
"भाभी आप भी ना.... कौन सी चूत?" चाचू ने नाराज़गी भरे
स्वर मे कहा.
"तुम्हारा कहने का मतलब है कि उमा रात को तुम्हारे कमरे मे नही
आई, मेरे आदेश देने के बावजूद नही आई? मम्मी ने गुस्से मे
चाचू से पूछा.
चाचू ने हां मे गर्दन हिला दी.
"चिंता मत करो... तुम आज ही उसकी कुँवारी चूत चोदोगे.. ये
तुम्हारी भाभी का वादा है."
जब मैं अमित और सोना नाश्ते की टेबल पर पहुँचे तो देखा कि
मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था. थोड़ी देर बाद पापा भी
आ गये. उस दिन खाने के टेबल पर किसी ने भी बात नही की थी सब
मम्मी का गुस्सा भरा चेहरा देख डरे हुए थे.
करीब आधे घंटे बाद मम्मी गुस्से मे चिल्ला उठी, "शेरा इस घर
मे अगर कोई हमारा कहना ना माने तो उसे क्या सज़ा मिलती है?"
"अगर कोई नौकर ऐसा करे तो उसे सख़्त सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए."
पापा ने नाश्ता करते हुए कहा.
"में चाहती हूँ कि आप मेरी नौकरानी उमा को सज़ा दें, उसने मेरा
हुक्म मानने से इनकार किया है." मम्मी ने पापा से कहा.
"में तो कहूँगा की तुम उसे सज़ा दो कारण उसने तुम्हारा हुक्म नही
माना है." पापा ने जवाब दिया.
"हां में ही उसे कड़ी सज़ा दूँगी," कहकर मम्मी नाश्ते की टेबल से
खड़ी हो गयी, "बच्चो जल्दी से अपना नाश्ता ख़तम करो और अपने
कमरे मे जाओ, और वहीं रहना जब तक कि तुम्हे बुलाया नही जाए."
मम्मी ने गुस्से मे हम तीनो से कहा.
मम्मी का गुस्सा देख हम तीनो जल्दी जल्दी अपना नाश्ता ख़तम करने
लगे. सोना तो एक अछी बच्ची की तरह तुरंत अपने कमरे मे चली
गयी, लेकिन सुमित ने मुझे रोक लिया, "अमित लगता है कि कुछ ख़ास
होने वाला है, क्यों ना हम चुप चाप देंखे कि मम्मी क्या करती है."
हम दोनो चलते हुए एक खुल खिड़की के पास छुप गये और इंतेज़ार
करने लगे.
मम्मी ने दूसरे नौकर शामऊ को बुलाया जो हमे नाश्ता करा रहा था
और उससे बोली, "शामऊ जाकर उमा को यहाँ इस कमरे मे ले आओ, और
उसे इस कमरे से तब तक जाने ना देना जब तक में ना कहूँ."
थोड़ी देर बाद शामऊ उमा को पकड़े हुए कमरे मे आया. उमा डाइनिंग
टेबल की ओर मुँह किए खड़ी हो गयी.
"उमा मेने तुमसे देवर्जी के कमरे मे जाने के लिए कहा था क्या तुम
वहाँ गयी थी?" मुम्मय्ने पूछा.
उमा इतनी डरी हुई थी की उसने कोई जवाब नही दिया सिर्फ़ अपने पैरों
को घूरती रही.
"उमा में तुमसे बात कर रही हूँ, मुझे जवाब चाहिए?" मम्मी ने
धीरे से कहा.
उमा ने बिना उपर देखे अपनी गर्दन ना मे हिला दी.
"मेने सुना नही, मुँह खोल कर जवाब दो?मम्मी ने उँची आवाज़ मे
कहा.
उमा ने बड़ी मुश्किल से डरते हुए कहा, "नही मालकिन"
"तो तुमने जान बूझ कर मेरा आदेश नही माना." मम्मी उसके पास
आते हुए बोली. फिर मम्मी उसके चारों और घूम घूम कर उसे देखती
रही, "अब में समझी कि देवर्जी तुम्हे क्यों पसंद करते है."
"उमा अपने कपड़े उतारो? मम्मी ने आदेश दिया, लेकिन उमा अपनी जगह
से हिली भी नही. उसका चेहरा शरम से लाल हो गया था.
"सुना नही अपने कपड़े उतारो?" मम्मी ने फिर से कहा.
उमा ने चारों तरफ कमरे मे निगाह दौड़ाई कि शायद कोई उसे इस
मुसीबत से बचा ले लेकिन उसे बचाने वाला कोई नही था वहाँ.
"शामऊ इसके कपड़े उतार दो?" मम्मी ने शामऊ से कहा.
शामऊ उमा की तरफ बढ़ा तो शारदा घबराई हुई नज़रों से शामऊ को
देखने लगी, फिर आँखो मे आँसू लिए वो अपने ब्लाउस के बटन
खोलने लगी.
मम्मी ने उमा को कपड़े उत्तारते देखा तो शामऊ से कहा, "शामऊ रुक
जाओ. थोड़ी ही देर मे उमा कमरे मे नंगी खड़ी थी, उसकी आँखों से
आँसू बह रहे थे.
आज हम पहली बार किसी लड़की को नंगी देख रहे थे, "अमित उसकी
जाँघो के बीच उगे हुए बालों को देखो कैसे दिख रहे है,"
सुमित ने कहा.
"हां सुमित लेकिन उसके नूनी तो है ही नही वो पेशाब कैसे करती
होगी?" मेने कहा.
"ष्ह्ह्ह चुप कोई हमे सुन लेगा, हम इस बात पर बाद मे बात करेंगे,"
सुमित ने मुझे चुप करते हुए कहा.
हमने देखा कि मम्मी उसकी ओर बढ़ रही थी.
"बहोत अच्छा बहोत आछा, तभी तो देवर्जी को इतनी पसंद हो." मम्मी
उसे घूरते हुए बोली. फिर मम्मी ने अपनी उंगली उसकी टाँगो के बीच
रख कर कहा, "तो तूने इस चूत को चुदाई से बचाने के लिए मेरा
हुकुम नही माना, क्या तेरी चूत अभी तक कोरी है?"
मम्मी की बात सुनकर उमा शर्मा गयी लेकिन बोली कुछ नही.
"हरमज़ड़ी जवाब दे." मम्मी ने उसके निपल को जोरों से भींचते हुए
कहा.
"हां" उमा धीरे से बोली.
"शाबाश" इतना कह कर मम्मी वापस अपनी कुर्सी की ओर बढ़ गयी.
एक बार कुर्सी पर बैठने के बाद मम्मी ने कहा, "देवर्जी आप इस
हरामज़ादी को चोदना चाहते थे ना? ये तय्यार है, चोद दो इसे"
मम्मी की बात सुनकर चाचू चौंक पड़े... "याआहां.... आपके
सामने?"
"हां इस हरामज़ादी की चूत हमारे सामने फाड़ दो. अगर ये चोदने
ना दे तो इसे खूब मारना." मम्मी ने कहा.
चाचू ने धीरे से अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी और सिर्फ़ शर्ट
पहने उमा की ओर बढ़ने लगे. उनका खड़ा लंड आसमान को सलामी दे
रहा था. चाचू ने उमा को अपनी बाहों मे भर लिया और उसे चूमने
लगे और उसकी चुचियों को मसल्ने लगे.
उमा कोई भी विरोध नही कर रही थी, वो चाचू को अपनी मन मानी
करने दे रही थी. उसे पता था कि विरोध कर कुछ होने वाला नही
है, थोड़ी ही देर मे चाचू का लंड उसके कौमार्य को भंग कर देने
वाला है.
"उमा क्या अब तू देवर्जी से चुदवाने के लिए तय्यार है?" मम्मी ने
पूछा.
"हां मालिकिन." उमा ने जवाब दिया.
ज़रा एक मिनिट." अनु ने अमित को बीच मे टोका, "उस दिन तुम दोनो की
उम्र क्या थी?"
"हमारी यही कोई सात साल की" अमित ने जवाब दिया.
"तो तुम ये कहना चाहते हो कि उस दिन जो कुछ हो रहा था वो सब तुम
दोनो की समझ मे आ रहा था" अनु ने चौंकते हुए पूछा.
"बिल्कुल भी नही..... " अमित ने कहा, "हमे तो ठीक से सुनाई भी
नही दे रहा था कि वो लोग क्या कह रहे हैं, हम तो सिर्फ़ इसलिए
देख रहे थे क्यों कि मम्मी नही चाहती थी कि हम वो सब देखें."
"फिर तुम्हे कैसे पता कि वहाँ उन्होने क्या क्या कहा था?" मेने
पूछा.
"ओह्ह्ह वो सब... वो तो जब हम बड़े हो गये तो हमने चाचू से पूछा
था," अमित ने कहा.
"ठीक है, अब बताओ कि आगे क्या हुआ था?" अनु ने पूछा.
|
|
07-26-2018, 02:16 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--3
गतांक से आगे........................
थोड़ी देर उमा की चुचियों से खेलने के बाद चाचू ने उसे ज़मीन
पर कार्पेट पर लीटा दिया फिर उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधों
पर रख ली और खुद उस पर लेट गये. फिर उन्होने अपना हाथ दोनो के
शरीर के बीच कर दिया, वो क्या कर रहे थे ये हम नही देख पाए
लेकिन हन उमा अपनी आँख बंद किए वैसे ही लेटी रही.'
"देवर्जी देर मत करो, फाड़ दो इस हरामज़ादी की कोरी चूत."
चाचू ने उमा को बाहों मे लिया और ज़ोर से अपनी कमर हिलाई.
"ओह्ह मार गयी...." हमने उमा की दर्द भरी चीख सुनी, कछु ने
फिर ज़ोर से अपनी कमर हिलाई. हम सोच रहे थे कि उमा इतनी ज़ोर से
चिल्लाई क्यों? चाचू फिर अपनी कमर हिलाने लगे लेकिन इस बार थोड़ा
ज़ोर ज़ोर से.
मम्मी पापा और शामऊ की नज़रें चाचू की हिलती गंद पर टिकी हुई
थी. हमने पहले कभी ऐसा कुछ देखा नही था इसलिए हम अपनी सांस
रोके सब चुप चाप देखते रहे कि आगे क्या होने वाला है? इतने मे
चाचू ने ज़ोर से अपनी कमर का झटका मारा और एक हुंकार भर उमा के
शरीर पर लेट गये. उमा की आँखे तो बंद थी पर उसका मुँह खुला
था.
हम सोच ही रहे थे कि क्या हुआ कि हमने देखा की चाचू एक बार फिर
अपनी गंद हिला रहे थे. वो ज़ोर ज़ोर से हिला रहे थे कि तभी हम
चौंक पड़े, उमा भी अपनी कमर नीचे से हिला चाचू का साथ दे
रही थी. थोड़ी देर बाद फिर दोनो शांत हो गये, दोनो की साँसे उखड़ी
हुई थी.
"देवर्जी बहोत हो गया अब छोड दो इसे." मम्मी ने कहा.
"भाभी बस एक बार एक बस एक बार और चोदने दो इसे."चाचू ने कहा.
"नही अभी नही, जब ये रात मे तुम्हारे कमरे मे आए तो जितना जी
चाहे इसे चोद लेना." मम्मी ने कहा.
चाचू खड़े हो गये लेकिन उमा उसी तरह अपनी आँख बंद किए कार्पेट
पर लेटी रही.
"तुम्हे क्या लगता है, वो रुक क्यों गये," मेने पूछा.
"मुझे लगता है कि चाचू को चोट लग गयी है, तुमने उनकी नूनी
पर लगे खून को नही देखा." सुमित ने कहा.
"भाभी मज़ा आ गया क्या कसी कसी चूत थी इसकी." चाचू अपनी
नूनी को नॅपकिन से पोंछते हुए बोले.
"मुझे खुशी है कि तुम्हे मज़ा आया देवर्जी," कहकर मम्मी ने अपने
पर्स से एक छोटी से कैंची निकाल ली और उमा की ओर बढ़ी जो
कार्पेट पर लेटी थी.
"अब इसे सज़ा भी तो मिलनी चाहिए?" मम्मी ने कहा.
"अमित और सुमित की मम्मी क्या तुम्हे नही लगता कि तुम इसे पहले ही
काफ़ी सज़ा दे चुकी हो?" पापा ने कहा.
"आप इसे सज़ा कहते हैं? ये तो मज़ा था. अपने देखा नहीं कैसे
अपने चूतड़ उछाल उछाल कर देवर्जी से चुदवा रही थी.
"उमा उठ कर खड़ी हो जाओ?" मम्मी ने आदेश दिया.
उमा ने अपनी आँखे खोली और मम्मी की हाथों मे कैइची देख उनके
पैरों मे गिर पड़ी और माफी माँगने लगी, "मालिकिन मुझे माफ़ कर
दीजिए, आज के बाद आपका हर हुकुम मानूँगी."
"उमा उठ कर खड़ी हो जाओ," मम्मी ने फिर ज़ोर से कहा, लेकिन उमा थी
कि रोए जा रही थी और बार बार मम्मी से माफी माँग रही थी.
"उमा एक तरफ तो तुम मुझसे कह रही हो कि तुम मेरा हर आदेश
मनोगी, और में इतनी देर से तुम्हे खड़ा होने को कह रही हू और
तुम हो कि अभी तक ज़मीन पर ही बैठी हो." मम्मी ने कहा.
मम्मी की बात सुनकर उमा झट से उठ कर खड़ी हो गयी.
"शाबाश, अब ये बताओ तुम्हारे शरीर का कौन सा हिस्सा सुन्दर है
जिसे मैं काट कर ले लेती हूँ, मन तो कर रहा है कि तुम्हारी चूत
की पंखुड़ियों को ही काट दूं, नही तुम्हारी चुचि बहोत बड़ी और
सुन्दर है उसे काट देती हूँ."
मम्मी ने उसके निपल को अपने हाथों मे पकड़ा ही था कि चाचू ज़ोर से
चिल्ला पड़े, "नही भाभी इसकी चुचि नही मुझे बहुत पसंद है
इसकी चुचिया."
"उमा शुक्रिया अदा कर देवर्जी का जो तेरी चुचि बच गयी, पर तुम्हे सज़ा
तो मिलनी ही चाहिए ना. मेने तुम्हारे कान काट देती हूँ."
उमा मम्मी की बात सुनकर चीखने चिल्लाने लगी, लेकिन मम्मी ने उसकी
चीखों पर कोई ध्यान नही दियाया और उसके कान काट कर ही मानी.
हम दोनो से तो देखा ही नही गया, उमा रोए और चिल्लाए जा रही
थी. उसके कानसे काफ़ी खून बह रहा था.
"अब आज से मेरा हुकुम मनोगी कि नही?" मम्मी ने उमा से पूछा.
उमा इस स्थिति मे नही थी कि वो मम्मी की बात का कोई जवाब दे पाती,
वो तो बस दर्द के मारे चिल्ला रहा थी और रोए जा रही थी.
"उमा मेने तुमसे कुछ पूछा है, जवाब दो?" मम्मी ने कहा.
उमा ने धीरे से कहा, "मुझे सुनाई नही दे रहा ज़रा ज़ोर से बोलो.'
मम्मी चिल्लाई.
"हाआँ मालकिन आज के बाद में आपका हर हुकुम मानूँगी..." उमा ने
रोते हुए कहा.
"और अगर इस घर के किसी सदस्य ने तुम्हे अपने कमरे मे बुलाया तो
क्या करोगी?" मम्मी ने पूछा.
"मालकिन में उसके कमरे मे जाउन्गि और उसे वो सब करने दूँगी वो
करना चाहता है." उमा ने जवाब दिया.
"बहुत अच्छा!" मम्मी ने कहा, "ये सबक है सबके लिए जो मेरा हुकुम
नही मानेंगे, खास तौर पर उन दोनो हरामियो के लिए जो खिड़की से
चुप कर सब देख रहे है." मम्मी ने ज़ोर से कहा.
मम्मी की बात सुनकर तो हमारा पेशाब निकलते निकलते बचा. में तो
वहाँ से अपने कमरे मे भाग जाना चाहता था लेकिन सुमित ने मुझे
रोक दिया, "अब सज़ा तो मिलने ही वाली है तो क्यो ना पूरी बात देख
कर जाएँ." सुमित ने कहा.
"शामऊ इसके पहले कि यह मर जाए, इसे डॉक्टर के पास लेजाकर इसकी
दवा करा दो और हां इस कार्पेट को जला दो, सारा कार्पेट इसके खून
से भर गया है." मम्मी ने शामऊ से कहा.
जब शामऊ उमा को लेकर चला गया तो मम्मी ने कहा, "देवर्जी आज
रात जब उमा आपके पास आए तो सबसे पहले इसकी गांद मारना. इसके
चूतड़ बड़े सख़्त हैं आपको बहोत मज़ा आएगा."
"जैसे आप बोले भाभी." चाचू खुश होते हुए बोले. थोड़ी ही देर मे
सब वहाँ से चले गये.
"मुझे लगता है कि मम्मी चाचू का कुछ ज़्यादा ही पक्ष लेती है?"
मेने कहा.
"क्या ऐसा हो सकता है कि मम्मी भी चाचू से चुदवाती हो?" अनु ने
हिचकिचाते पूछा.
"हां हमे भी यही लगता है कि मम्मी और चाचू और का ज़रूर
आपस मे रिश्ता है." सुमित ने कहा.
'तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?" मेने पूछा.
"हम इसे साबित तो नही कर सकते है, क्यों कि किसी की हिम्मत नही
है कुछ कहने की लेकिन हमने सुना है कि आधी रात को मम्मी बराबर
चाचू के कमरे मे जाती है." अमित ने कहा.
"क्या पापा को पता है इस बारे मे?" अनु ने पूछा.
"हमे ऐसा लगता है कि पापा को सब कुछ पता है लेकिन वो कहते
कुछ नही.... वैसे भी चोदने के लिए उनके पास चूतो की कमी है
क्या?" सुमित ने कहा.
"क्या तुम्हे लगता है कि जो कुछ चाचू ने किया वो सब सही था, सिर्फ़
अपनी जिमनी खुशी की लिए उन्होने मीना और उमा का कौमार्य छीन
लिया? मैने पूछा.
"नही वो सिर्फ़ जिस्मानी खुशी नही थी चाचू के लिए, चाचू सही मे
उन्दोनो को पसंद करते है. आज बीस साल बाद भी चाचू उन्हे अपने
कमरे मे बूलाते रहते है." सुमित ने कहा.
"उमा की कहानी का एक हिस्सा तो अभी बाकी है." अमित ने कहा. उसकी
सज़ा की खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गयी एक हफ्ते बाद एक
आदमी मम्मी से मिलने के लिए आया.
"कौन हो तुम?" मम्मी ने उस आदमी से पूछा.
"मालिकिन मेरा नाम रामू है, में उमा का बाप हूँ." उसने झुकते
हुए कहा था.
"क्या चाहिए तुम्हे?" मम्मी ने पूछा.
"में एक विनांती लेकर आपके पास आया हूँ. उमा की सगाई हमारे
गाओं के एक नौजवान के साथ पक्की हुई थी. जब उसे ये पता चला कि
उमा अब कुँवारी नही रही तो उसने उससे शादी करने से इनकार कर
दिया." रामू ने बताया.
"तो इस विषय मे तुम मुझसे क्या चाहते हो?" मम्मी थोड़ा नर्मी से
बोली.
"मालिकिन में चाहता हूँ कि आप उस नौजवान को हुकुम दें कि वो उमा
से शादी कर ले नही तो गाओं का कोई भी नौजवान उससे शादी नही
करेगा." रामू ने हाथ जोड़ते हुए कहा. मम्मी सोचने लगी.
"उस लड़के को भूल जाओ, वो बेवकूफ़ है जो ऐसे हीरे को ठुकरा रहा
है." मम्मी ने जवाब दिया, "आज से उमा की ज़िम्मेदारी हमारी है. हम
उसकी शादी कराएँगे, साथ मे शादी का हर खर्चा भी करेंगे और
उसके ससुराल वालों को दहेज भी देंगे. जब सब कुछ तय हो जाएगा
हम तुम्हे सूचित कर देंगे, अब तुम जा सकते हो."
"एक महीने के बाद मम्मी ने उमा की शादी शामऊ से करवा दी. शामऊ
भी खुश था कारण उसकी बीवी का देहांत छः महीने पहले ही हुआ
था. उमा भी काफ़ी खुश थी कारण शामऊ ही एक इंसान था जिसने उस
दिन सब कुछ अपनी आँखो से देखा था." अमित ने कहा.
"मुझे तो लगता है कि इस परिवार मे सबको चुदाई का बहोत शौक
है." मेने हंसते हुए कहा.
"हां भगवान ने सेक्स चीज़ ही इतनी सुन्दर बनाई है और हम सब
उसका पूरा मज़ा उठाते है, लेकिन खून के रिश्ते छोड़ कर," सुमित
ने कहा.
"आदि और सूमी अब हमे चलना चाहिए, काफ़ी देर हो चुकी है." अमित
ने कहा.
"अरे अभी थोड़ी देर रूको, तुम दोनो की कहानी तो बाकी है, तुम दोनो
के साथ क्या हुआ?" मेने पूछा.
"घर के लिए चलते है, ये कहानी में तुम दोनो को कार के अंदर
सुनाउन्गा." सुमित ने कहा.
जब हम गाड़ी मे बैठ चुके तो सुमित ने कहना शुरू किया, "जब सब
चले गये तो हम भाग कर अपने कमरे मे आ गये. खाने के समय तक
हम वहीं अपने बिस्तर मे दुब्के रहे. खाने के समय भी मम्मी ने भी
कुछ नही कहा तो हमारी थोड़ी जान मे जान आई."
"शाम के समय हम हमारे कमरे मे थेतो शकुंतला हमारी पुरानी
नौकरानी हमारे कमरे मे आई, "मालकिन आ रही है."
हम घबरा कर पलंग के नीचे छिप गये तभी मम्मी कमरे मे आ
गयी, "तुम दोनो मेरे पास आओ."
फिर उन्होने हमे अपनी गोद मे बिठा लिया और हमारे बालों मे हाथ
फिराते हुए कहा, "मैने तुम दोनो को कमरे मे रहने के लिए कहा था
ना."
हम दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"फिर तुम दोनो ने हमारा कहना क्यों नही माना?" मम्मी ने हमारे
कान ऐन्थ्ते हुए पूछा.
"क्या आप हमारे भी कान काट देंगी," मेने रोते हुए पूछा.
"नही इस बार तो नही लेकिन में जानना चाहूँगी कि तुमने हमारा
कहना क्यों नही माना? मम्मी ने कहा.
अब जबकि हमारे कान काटने वाले नही थे हमारी थोड़ी हिम्मत बढ़
गयी, "वो क्या है ना मम्मी हम वो देखना चाहते थे जो आप नही
चाहती थी क़ी हम देखें." अमित मुस्कुराते हुए बोला.
मम्मी भी ज़ोर से हंस दी.
"शकुंतला इन बदमाशों को आज खाना मत देना," मम्मी ने कहा "इस
बार तो में तुम दोनो को छोड़ रही हूँ हां अगर अगली बार मेरा कहना
नही माना तो याद रखना में तुम्हारी छोटी मुनिया काट दूँगी
समझे." मम्मी ने डाँटते हुए कहा.
"जी मम्मीजी." हमने कहा.
"क्या तुम दोनो ने ऐसी ग़लती की भविष्य मे," मैने सहेजता से पूछा.
"अमित ने नही की, इसकी मुनिया सही सलामत है," अनु बोल पड़ी.
"और मेने भी नही की, " सुमित हंसते हुए बोला, "और इस बात की
गवाह सूमी है."
हम चारों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे, मेने तो शरम के मारे अपना
चेहरा हाथों मे छुपा लिया.
जब दूसरे दिन में और अनु अकेले थे तो मेने कहा, "अनु क्या
ससुराल पाई है हमने, यहाँ तो सब एक दूसरे को चोद्ते है."
"क्या पापा और चाचू भी हमे चोदेन्गे?"अनु ने पूछा.
"ऐसा होगा मुझे लगता तो नही, दोनो हमे बेटियों की तरह मानते
है, फिर सुमित ने कहा भी तो वो कि वो खून के रिश्तों को मानते
है." मेने कहा.
"काश ऐसा हो जाए.... में तो चाचू का बड़ा और मोटा लंड देखना
चाहूँगी." अनु ने कहा.
"में खुद ऐसा चाहती हूँ पर हम कर भी क्या सकते है?" मेने
जवाब दिया.
एक हफ़्ता और फार्म हाउस पर बीतने के बाद, पापा ने दोनो जुड़वा
भाइयों को सहर जाकर बिज़्नेस संभालने को कहा..
मोना और रीमा हमारे साथ सहर जाएँगी ऐसा मम्मी ने कहा था.
दूसरे दिन हमने अपना सामान बाँध लिया और जाने के लिए तय्यार हो
गये.
"मेरी बच्चियो, मुझे तुम दोनो की बहोत याद आएगी.' मम्मी ने हमे
गले लगाते हुए कहा. "पर शादी का सबसे बड़ा सुख यहीहै कि अपने
पति की बात मानना और उनकी सेवा करना."
"हां मम्मीजी" हमने धीरे से कहा.
फिर मम्मी ने दोनो नौकरानियों को अपने पास बुलाया, "में तुम दोनो
को कोई सहर घूमने के लिए नही भेज रही हूँ, मेहनत और मन
लगाकर अपनी मालकिन की सेवा करना, और इन्हे कोई भी शिकायत का
मौका नही देना."
हम सब सहर की ओर रवाना हो गये. शाम को तीन बजे हम हम
सहर के हमारे बंग्लॉ मे पहुँच गये. फार्म हाउस के मकान की तरहये
मकान भी पूर तरह से बना हुआ था और काफ़ी बड़ा और सुन्दर भी था.
मकान पर भानु मोना का बाप हमारा फूलों के हार लेकर इंतेज़ार
कर रहा था. वो इतना खुश था कि उसे समझ मे ही नही आ रहा था
कि वो क्या करे.
"मालिकिन आप यहाँ बैठिए... नही यहाँ बैठिए... में आपके
लिए चाइ लाउ नही में शरबत लाता हूँ आप थक गयी होंगी... " वो
इसी तरह पूछता रहा.
आख़िर अमित ने कहा, "भानु हम सब ने रास्ते मे खाना खा लिया है
तुम सिर्फ़ स्ट्रॉंग कोफ़ी बना के ले आओ."
"जी अभी लाया मालिक." कहकर वो रसोई घर मे चला गया.
दस मिनिट बाद वो एक ट्रे मे कोफ़ी और कुछ बुस्कुत लेकर लौटा.
"भानु कोफ़ी हम ले लेंगे तुम अपना समान बांधो तुम्हे मम्मी के पास
जाना है." सुमित ने कहा.
"में फार्म हाउस चला जाउ," भानु ने चौंकते हुए कहा, "फिर आप
सबका ख़याल कौन रखेगा?"
"मोना और रीमा, वो दोनो पीछे समान के साथ आ रही है." अमित ने
कहा.
"वो दोनो यहीं रहेंगी," भानु ने पूछा, "क्या मालकिन जानती है."
"हां और उन्होने ही तो भेजा है उन्हे हमारी देखभाल के लिए,"
मेने कहा.
भानु बड़बड़ाते हुए वहाँ से चला गया, "मालिकिन पागल हो गयी है
जो दोनो को यहाँ भेज दिया.. पहले तो मुझे शक़ था कि वो बुढ़िया
पागल है लेकिन आज यकीन हो गया."
वो इतनी ज़ोर से बड़बड़ाया था कि हम सभी ने उसकी बड़बड़ाहट सुन ली
थी. मेने अमित और सुमित की ओर देखा, "ये बुड्ढे और पुराने लोग भी
कभी कभी एक बोझ होते हैं, लेकिन झेलना पड़ता है...." अमित ने
अपने कंधे उचकाते हुए कहा.
जब तक हम कोफ़ी ख़तम करते दोनो नौकरानिया समान के साथ आ
गयी. हम सब स्मान अंदर कमरे मे ले जाने लगे, "भानु ड्राइवर को
कुछ चाइ नाश्ता दे दो. अमित ने कहा.
जब भानु जाने के लिए तय्यार हो गया तो बोला, "मालिक क्या में दोनो
लड़कियों से बात कर सकता हूँ."
"अरे इसमे पूछने की क्या बात है हां कर लो." सुमित ने कहा.
थोड़ी देर बाद मेने मोना से पूछा, "वो भानु तुम पर गुस्सा क्यों हो
रहा था? मेने पूछा.
"नही दीदी वो गुस्सा नही हो रहे थे." मोना ने जवाब दिया.
"लेकिन मेने उसे तुम पर चिल्लाते हुए सुना था," मैने कहा.
"दीदी वो क्या है ना हर बाप अपनी लड़की को छोड़ कर जाते समय
थोड़ा भावक हो जाता है, जाने दीजिए ना अगर उसकी किसी बात से
तकलीफ़ हुई हो तो में आपसे माफी मांगती हूँ." मोना ने कहा.
वैसे मेने और अनु ने कभी अकेले घर नही संभाला था लेकिन
दोनो नौकरानियों की वजह से हमे कोई तकलीफ़ नही हुई.
दो हफ्ते बाद एक दिन सुबह जब हमारे पति ऑफीस जाने के लिए
तयार थे कि अमित बोला, "आप दोनो ज़रा स्टडी रूम मे आइए हम दोनो
को आप दोनो से कुछ कहना है."
जब हम सब कुर्सियों पर बैठ गये तो अनु ने पूछा, "ऐसी क्या
ज़रूरी बात है कि आप दोनो शाम तक भी नही रुक सके?"
"हम दोनो ने आप दोनो को तलाक़ देने का फ़ैसला किया है," दोनो साथ
साथ बोले तो में और अनु चौंक पड़े.
क्या?" अनु ज़ोर से चिल्लई.
"क्या में जान सकती हूँ क्यों?" मेने धीरे से पूछा.
"इसलिए कि जब हम दोनो की तुम दोनो से शादी हुई थी तब तुम दोनो
कुँवारी नही थी." अमित ने कहा.
"हां तुम दोनो की चूत मे झिल्ली का नामो निशान भी नही था, तुम
दोनो ने काफ़ी चुदवाया है शादी के पहले." सुमित ने कहा.
क्या अमित और सुमित ने अनु और सूमी को तलाक़ दिया अगर नही तो फिर
उन दोनो के साथ क्या किया........ ये सब जानने के लिए पढ़िए मर्दों
की दुनिया
|
|
07-26-2018, 02:17 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--4
गतांक से आगे........................
"सुमित तुम्हे कहीं ग़लत फहमी हुई है, में सच कहती हूँ कि
शादी पर में कुँवारी थी, फिर चूत की झिल्ली की कोई अहमियत
थोड़े ही है, झिल्ली तो किसी भी वजह से फट सकती है." मेने कहा.
"हो सकता हो कि तुम सही कह रही हो... लेकिन चाहे जो हो जाए चूत
एक दम कसी हुई रहती है... तुम्हारी चूत जैसी ढीली ढाली नही
हो जाती." सुमित ने कहा.
"अमित में भी सच कह रही हूँ में भी कुँवारी थी शादी के
समय, याद है तुम्हे जब तुमने मेरी चूत मे पहली बार लंड
घूसाया था तो दर्द के मारे मे कितना चिल्लाई थी?" अनु भी अपने
बचाव मे बोली.
"हां मेरी जान वो बात में कैसे भूल सकता हूँ, में तो बस यही
कहना चाहूँगा कि तुम अदाकारा अच्छी हो पर इतनी बड़ी भी नही की
मुझे बेवकूफ़ बना सको." अमित ने उसकी ओर देखते हुए कहा.
मेने देखा कि घबराहट के मारे अनु के माथे पर पसीना आ रहा
था, में भगवान से प्रार्थना करने लगी कि कहीं अनु अपना संतुलन
ना खो बैठे जिस तरह उसने हमारी दीदी के सामने खो दिया था जब
दीदी ने इल्ज़ाम लगाया था हम पर की हमने जीजा लोगों से चुदवाया
है.
"सुमित प्लीज़ विश्वास करो में कुँवारी थी...." मेने फिर से अपनी
बात दोहराई.
"तुम दोनो हमारी बात ध्यान से सुनो... हम दोनो बेवकूफ़ नही है.."
सुमित ने कहा, शादी से पहले हमने कई लड़कियों को चोदा है और
उसमे से कई कुँवारी लड़कियाँ भी थी इसलिए हमे मालूम है कि
कुँवारी लड़की को चोदने मे कैसा महसूस होता है."
"हां कुँवारी लेकिन की चूत कफी कसी हुई होती है तुम्हारी चूत
जैसी ढीली नही. इसका मतलब है कि तुम दोनो ने शादी से पहले
काफ़ी चुदवाया है, सही कह रहा हूँ ना भाई." अमित ने कहा.
"हां तुम सही कह रहे हो." सुमित ने कहा, "इसलिए अच्छा होगा कि
तुम दोनो हमे सब कुछ सच सच बता दो."
अनु तो डर के मारे रोने लगी. मुझे लगा कि अनु कुछ कहने जा रही
है इसलिए मेने उसे रोकने की कोशिश की.."अनु प्लीज़ कुछ मत...."
लेकिन अनु ने मेरी बात सुनी नही.
"सूमी में आज के दिन से डर रही थी." आँसू तार तार उसकी आँखों
से बह रहे थे, "मुझे मालूम था कि एक दिन इन्हे पता चल जाएगा
कि हम दोनो कुँवारी नही है और शादी से पहले चुद चुकी है."
"अछी लड़की हो." कहकर अमित ने पानी जेब से उमाल निकाल कर अनु को
पकड़ा दिया, "अब हमे सॉफ सॉफ बताओ कि तुम्हारी कुँवारी चूत किसने
फाडी और तुमने शादी से पहले किस किससे चुदवाया था.'
अनु उन दोनो को सब कुछ बताने जा ही रही थी कि मेने उसे बीच मे
ही टोक दिया कि पता नही कि मौजदा हालात मे वो क्या क्या बक जाए.
"अनु मुझे बताने दो," कहकर में अमित और सुमित को सब कुछ बताने
लगी शुरू से, सिर्फ़ छुट्टियों में जो हमने दीदी के साथ किया था वो
नही बताया.
"अच्छा तो हमारे जीजा लोगो ने तुम्हारी चूत फाड़ने का मज़ा लिया
है" सुमित ने पूछा.
हम दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"उन्होने तुम्हारी गांद भी मारी होगी?" अमित ने पूछा.
हमने फिर हाँ मे गर्दन हिला दी.
"तुम दोनो ने उनका लॉडा भी चूसा होगा? अमित ने फिर पूछा.
हमने फिर हां कह दिया.
"अच्छा है कि तुम दोनो ने हमे सब कुछ सच सच बता दिया."
"जब हमने तुम्हे बता ही दिया है तो फिर इतना क्यों बात को बढ़ा
रहे हो? अनु ने पूछा. "हमने तो तुम दोनो से कुछ भी नही कहा कि
तुम दोनो ने शादी से पहले इतनी लड़कियों को चोदा है इस विषय
पर."
"मेर रानी... तुम ये भूल रही हो कि ये मर्दों की दुनिया है...."
अमित ने हंसते हुए कहा, "हां अगर तुम जानना चाहो तो हम तुम्हे
बता सकते है, लेकिन लिस्ट ज़रा लंबी है इसलिए टाइम लगेगा
बताने मे."
"नही रहने दो.. हमे कोई इंटेरेस्ट नही है." मेने कहा, "अब जब कि
तुम दोनो सच्चाई जान ही चुके हो तो तुम दोनो का क्या इरादा है?"
"हां हमे पहले ये बताओ क्या अब तुम दनो हमे तलाक़ देना चाहते हो?"
अनु थोड़ा नर्वस होते हुए बोली.
"अभी हम कुछ कह नही सकते, हम दोनो इस विषय पर बात करके तुम
दोनो को खाने पर जब हम घर आएँगे तब बता देंगे."
"सूमी मुझे माफ़ कर देना," अनु ज़ोर ज़ोर से रोते हुए बोली, "पता नही
मुझे क्या हो जाता है."
मेने उसे अपने गले से लगा लिया और उसे कुछ देर तक रोने दिया.
"अनु मेरी बेहन प्लीज़ रोयो मत ये तुम्हारी ग़लती नही थी," मेने
उसे सांत्वना देते हुए कहा, "अगर मेने धोके से उस दिन तुम्हारी
चूत नही फदवाई होती तो कम से कम आज तुम तो कुँवारी होती."
"ओह्ह्ह्ह सूमी," फिर हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे कुछ देर तक रोते
रहे.
"ये हमारा समाज अच्छा नही है," अचानक अनु ने अपने आप को मुझसे
अलग करते हुए कहा, "एक मर्द शादी से पहले चाहे हज़ार लड़कियों
कोचोदे उन्हे कोई कुछ नही कहता, लेकिन अगर लड़की शादी से पहले
किसी से चुदवा ले तो उसका जीना हराम कर देते है."
"ये जिंदगी है अनु, "मेने उससे कहा, "जैसे अमित ने कहा कि ये
मर्दों की दुनिया है, यहाँ मर्द नियम बनाता है और औरतों को उन्हे
निभाना पड़ता है.
"सूमी अब हम क्या करेंगे?" अनु ने पूछा, "अगर हमारे मा पिता को
पता चल गया तो वो तो हमे जान से ही मार देंगे."
"चिंता मत करो जो होगा अच्छा ही होगा," मेने जवाब दिया, "पहले
हमे ये तो पता चले कि वो दोनो अब करना क्या चाहते है?"
"सूमी मुझे बहोत खुशी है कि तुम मेरे साथ हो? अनु मुझे गले
लगाते हुए बोली.
"सहेलियाँ होती ही इसलिए है?" मेने भी उसे गले लगा लिया.
दोपहर को खाने के वक़्त अमित और सुमित घर पर आए. बिना किसी से
कोई बात किए हम सभी ने साथ खाना खाया. खाना खाने के बाद अनु
अपने आप को रोक ना सकी, "तो क्या सोचा है तुम दोनो ने?" अनु ने अमित
से पूछा.
"यही की फिलहाल तो हम तुम दोनो को तलाक़ नही देंगे." अमित ने हंसते
हुए कहा.
"शुक्र है भगवान का." अनु एक गहरी साँस लेते हुए बोली.
"अभी हमारी बात ख़तम नही हुई है.' अमित ना कहा. "हम तलाक़
तभी नही देंगे जब तुम दोनो हमारी दो शर्तें पूरी कर दोगे?"
"कैसी शर्तें?" मेने पूछा.
"पहली शर्त तो ये है कि हम दोनो तुम दोनो की बहनो को चोदेन्गे."
अमित ना कहा.
"क्या कहा? आप हमारी बहनो को चोदना चाहते हो?" मेने चौंकते हुए
कहा.
"क्या हम ऐसा नही कर सकते? अरे जब तुम्हारे जीजा लोग हमारी
बीवियों को चोद सकते है तो क्या हम उनकी बीवियों को नही चोद
सकते?" अमित ने कहा.
"और दूसरी शर्त क्या है? मेने पूछा.
"दूसरी शर्त के बारे मे में तुम दोनो को समझाता हूँ," सुमित ने
कहा, "हमारे समाज में जब किसी लड़के की शादी होती है तो उसे
उमीद होती है कि सुहागरात की रात उसे कुँवारी चूत चढ़ने को
मिलेगी, लेकिन ऐसा हमारे साथ तो हुआ नही, हमने चूत चोदि लेकिन
चुदी चुदाई. तुम दोनो की चूत तो पहले ही हमारे आदरणिया जीजा
लोग फाड़ चुके थे, इसलिए हमारी दूसरी शर्त ये है उन्हे हम दोनो
के लिए किसी कुँवारी चूत का इंतेज़ाम करना होगा."
"अब ये तो कोई शर्त नही हुई," मेने जवाब दिया, "पहली बात तो वो
कुँवारी चूत का इंतज़ाम कहाँ से करेंगे, और अगर कोई लड़की उनकी
नज़र मे होगी भी तो वो उसे तय्यार कैसे करेंगे?"
"में तुम्हारी बात को समझता हूँ," सुमित ने कहा, "लेकिन ये उनकी
समस्या है, और इसका हल भी उन्हे ही ढूंदना पड़ेगा."
"अमित कुछ तो समझदारी की बात करो? जीजाजी तुम्हारी पसंद की
कुँवारी चूत कहाँ से ढूंढ़ेंगे? अनु ने कहा.
"हमारी कोई ख़ास पसंद नही है. वो कोई भी हो सकती है, कोई
रिश्तेदार, सहेली कोई भी, या फिर घर की कोई नौकरानी पर हां
उसकी चूत एक दम सील पॅक होनी चाहिए." अमित ने हंसते हुए कहा.
अमित का ये कहना था कि नौकरणीयाँ भी चलेंगी मेरे दीमाग मे
तुरंत एक ख़याल आया, "अगर में तुम दोनो के लिए कुँवारी चूत का
इंतेज़ाम कर दूँ तो? मेने पूछा.
"चाहे कोई भी इंतेज़ाम करे, हमे क्या फरक पड़ता है, बस हमारा तो
बदला पूरा होना चाहिए, हाथ के बदले हाथ आँख के बदले आँख और
चूत के बदले चूत " अमित ने कहा.
"अगर ऐसी बात है तो तुम दोनो मोना और रीमा को चोद दो, उनकी
चूत भी अभी तक कुँवारी है." मेने खुश होते हुए कहा.
हा! हा! हा! दोनो जोरों से हँसने लगे.
तुम ये कहना चाहती हो कि हम मोना और रीमा की चूत चोदे और तुम
ये समझती हो कि उनकी चूत कोरी है." अमित और सुमित दोनो हंसते
हुए बोले.
"हां में यही कहना चाहती हूँ, मुझे पक्का विश्वास है कि दोनो
की चूत एक दम कोरी है." अनु थोड़ा चिंतित स्वर मे बोली.
"मेरी जान तुमसे शादी होने के कई महीने पहले हम दोनो उनकी
कुँवारी चूत फाड़ चुके है." सुमित हंसते हुए बोला.
"हो नही सकता? में तुम्हारी बात पर विश्वास नही करती." मेने
कहा.
"अगर विश्वास ना हो तो तुम खुद उन्ही से पूछ लो? वो भी यही
कहेंगी." अमित अभी भी हंस रहा था.
"में अभी पूछती हूँ." मेने कहा.
"ठीक है देवियों तुम दोनो उनसे पूछते रहना और हम चले ऑफीस
हमे काम है." सुमित ने कहा, "हां एक और बात जब तक हमारी
शर्तें पूरी नही होती हम अलग अलग कमरे मे सोएंगे, तुम दोनो
मेरे कमरे मे सोवोगि, और में और
अमित उसके कमरे मे."
"तुम दोनो ऐसा नही कर सकते, अब ये तो ज़्यादती है." अनु लगभग
चिल्लाते हुए बोली.
"अगर तुम दोनो हमारे साथ नही सोवोगे तो फिर रात मे चोदोगे
किसे?" मेने पूछा.
"किसी कोक्या मोना और रीमा है ना चोदने के लिए." सुमित मुस्कुराते हुए
बोला.
"हमारी नौकरानियों को चोदोगे, क्या हमारी इज़्ज़त की कोई परवाह नही
है?" अनु ने शिकायत करते हुए कहा.
"अब क्या करें इन सबके ज़िम्मेदार तुम लोग हो?" कहकर वो दोनो ऑफीस
चले गये.
"हे भगवान वो दोनो हरामजादिया दीखने मे तो कितनी मासूम और
भोली लगती है." अनु ने गुस्से मे कहा, "मुझे तो विश्वास नही हो
रहा है कि हमारी पीठ पीछे वो दोनो हमारे पति से चुदवायेन्गी."
"अनु हमारे पतियों को दोष देने से पहले उन दोनो से पूछ तो लें?"
मैने अनु से कहा.
"सूमी मेरे मन मे एक बात आई है." अनु मेरे कान मे धीरे से
बोली, "अगर ये दोनो कुतिया हमारे पति को खुश कर सकती हैं तो
क्यों ना हम भी उनके साथ मज़ा करें?"
"तुम्हारा मतलब है कि उनसे अपनी चूत चूस्वएँ?" मेने पूछा.
"और क्या कर सकते है, जब तक हमारे पति देव की शर्तें पूरी नही
होती हमे तो बिना लंड के रहना पड़ेगा ना... तो क्यों ना उनकी जीब का
ही मज़ा उठाया जाए." अनु ने कहा.
"और अगर उन दोनो ने मना कर दिया तो? मेने कहा.
"एक तो वो मना करेंगी ही नही... और अगर किया तो हम उन्हे धमका
देंगे कि हम मम्मीजी से कह देंगे कि इन्होने हमारा हुकुम नही
माना."" अनु ने कहा.
"हां वो दोनो मम्मीजी से पहले से ही काफ़ी डरती हैं, और ये डर
उन्हे मजबूर करेगा वो सब करने के लिए जो हम कहेंगे." मेने
कहा.
"साथ ही हम अपने पुराने सपने को पूरा करेने की कोशिश करेंगे....
याद है शादी के पहले वो फूटबाल वाली बात." अनु ने ताली
बजाते हुए कहा.
"अनु तुम्हारा जवाब नही." मेने उसे गले लगाते हुए कहा.
"चलो पहले पता कर लेते हैं कि हमारे पति सच बोल रहे हैं कि
नही." अनु ने कहा.
"हां चलो हम उनसे हमारे कमरे मे ले जाकर पूछेंगे." मैने कहा.
"हां लेकिन पहले मुझे अपना नाइट गाउन पहन लेने दो जिससे अगर सब
कुछ हमारी सोच अनुसार हुआ तो मुझे चूत चोस्वाने मे आसानी होगी,"
अनु ने कहा, "में तो कहूँगी तुम भी कपड़े बदल लो."
"हां ये सही रहेगा," मेने भी खुश होते हुए कहा, "थोड़ी देर मे
मेरे कमरे मे मिलेंगे." कहकर में अपने कमरे की ओर बढ़ गयी
कपड़े बदलने के लिए.
"हां सूमी में आती हूँ.... लगता है हमे भी साथ साथ सोने की
आदत डालनी होगी," अनु ने कहा.
जब हम दोनो मेरे कमरे मे मिले तो मेने मोना और रीमा को अपने
कमरे मे बुलाया.
"हम दोनो तुम दोनो से कुछ पूछना चाहते हैं और हमे सच सच
जवाब चाहिए उसका." मेने कहा.
"दीदी हम वादा करते हैं कि सच सच जवाब देंगे." दोनो ने साथ
साथ कहा.
"क्या तुम दोनो कुँवारी हो? मेने पूछा.
थोड़ी देर तक दोनो हम दोनो के चेहरे की तरफ देखती रही फिर मोना
ने कहा, "नही दीदी हम कुँवारी नही हैं."
"तुम्हारी चूत किसने फाडी?" अनु ने पूछा.
"छोटे मालिकों ने" रीमा ने शरमाते हुए कहा.
"तुम्हारा मतलब है सुमित और अमित ने?" मेने पूछा.
दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"कब फाडी तुम दोनो की चूत" मेने अपनी जारी रखते हुए पूछा.
"आज से करीब आठ महीने पहले." मोना ने जवाब दिया.
"क्या उन दोनो ने तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती की थी," अनु ने पूछा.
"नही छोटे मालिक ने ऐसा कुछ नही किया था," रीमा ने तुरंत
कहा, "ये तो हमारी किस्मत थी कि बस हो गया."
"इसका क्या मतलब हुआ, हमे सब शुरू से बताओ की ये सब कैसे हुआ?"
मेने पूछा.
"दीदी बड़ी लंबी कहानी है." मोना ने कहा.
"कोई बात नही, बहोत समय है हमारे पास सब शुरू से बताओ?" अनु
ने कहा.
"दीदी शायद आपको मालूम होगा कि में और रीमा चचेरी बेहन है.
में रीमा से दो दिन बड़ी हूँ." मोना अपनी कहानी सुनाने
लगी, "हमारे विरोध करने के बावजूद हमारे पिताजी हमारे 18 वे
जनमदिन पर हमे बड़े मालिक के पास ले गये. उस दिन बड़े मालिक,
मालकिन, और चाचू कमरे मे मौजूद थे."
मेरे पिताजी भानु ने मालिक से कहा, "मालिक ये मेरी बेटी मोना है,
और ये दूसरी शामऊ की बेटी है."
"आज दोनो पूरे 18 की हो गयी हैं," शामऊ... रीमा की पिता ने कहा.
"मुबारक हो! बड़े मालिक ने कहा फिर चाचू की तरफ घूमते हुए
बोले, "चाचू हमारे मॅनेजर से कहो कि इन दोनो को कोई बढ़ियाँ सा
उपहार दे दें."
"नही मालिक," मेरे पिताजी ने कहा, "हम इन्हे कोई उपहार की लालच
मे यहाँ नही लाए है."
"फिर यहाँ क्यों आए हो? मालकिन ने कहा, "सीधे सीधे कहो और
हमारा समय मत बर्बाद करो?"
"जी मालकिन" शामऊ ने कहा, "ये हमारी हाथ जोड़ कर आपसे प्रार्थना
है की आप इन दोनो को अपनी सेवा मे ले लें."
मालिक हँसने लगे, "में मानता हूँ कि ये दोनो बहोत प्यारी हैं
लेकिन मेरे पास पहले से ही कई नौकरणीयाँ है मेरी देखभाल के
लिए."
"मालिक ये दोनो आपको बहोत सुख देंगी... .में सच कहता हूँ आज
तक किसी मर्द ने इन्हे छुआ तक नही है. इनकी मा मुझसे कहती है
कि इनका बदन इनके चेहरे से भी प्यारा है." मेरे पिताजी ने कहा.
"हां मालिक आप अपनी आँखों से देख ले," फिर शामऊ चाचा ने
हमारी ओर घूमते हुए कहा, "तुम दोनो अपने कपड़े उतार कर मालिक
को ज़रा अपना प्यारा बदन तो दीखाओ."
हम दोनो इस बात के लिए तय्यार नही थे, लेकिन बड़ों की आग्या तो
माननी ही थी इसलिए हम अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगे.
"नही नही कपड़े उतारने की ज़रूरत नही है," तभी मालिक ने
कहा, "शामऊ मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास है."
"शक्रिया मालिक, जो आपने हमे सेवा का मौका दिया." मेरे पिताजी
मुस्कुराते हुए बोले.
"पर मेने ये नही कहा कि में इन्हे अपनी सेवा मे रख लूँगा."
मालिक ने कहा.
"प्लीज़ मालिक ना मत कहिएगा, हम बड़ी उमीद लेकर आपके पास आए
थे... अगर आप ना करेंगे तो हमारा दिल टूट जाएगा." कहकर
पिताजी और शामऊ चाचू दोनो मालिक के कदमों मे गिर पड़े.
"भानु और शामऊ मेरी बात ध्यान से सुनो... में पहले ही तुमसे कह
चुका हूँ...." मालिक कहने जा रहे थे लेकिन मालकिन ने उन्हे बीच
मे टोक दिया.
वो कहने लगी, "शमशेर इनका दिल मत तोडो और लड़कियो को अपनी सेवा
के मे रख लो. इनके शरीर से मज़ा लेने के बाद तुम दोनो को खेतों
मे काम करने के लिए भेज देना या फिर इन्हे किसी और के पास भेज
देना."
"हां ये ठीक रहेगा," मालिक ने कहा.
"हां मालिक ये दोनो आपकी जागीर है, जो आपका दिल करे इनके साथ
करें." पिताजी खुश होते हुए बोले, "आप इनके साथ मज़े करें, इन्हे
मारिए या इनकी चॅम्डी उधेड़ दें ये कुछ नही कहेंगी.. जो आपकी
मर्ज़ी हो सो करें."
"ठीक है, आज से ये दोनो लड़कियाँ मेरी सेवा मे रहेंगी." मालिक ने
कहा.
"शुक्रिया मालिक, बहोत बड़ा एहसान कर दिया अपने हम पर." शामऊ
चाचा मालिक के कदमो मे झुकते हुए बोले.
"क्या कहते हो चाचू" है ना दोनो बहोत प्यारी." मालिक ने हमारे
बदन को घूरते हुए कहा.
"तो भैया आपने क्या सोचा फिर इन दोनो के बारे मे?" चाचू ने बड़े
मालिक से पूछा.
"में भी वही सोच रहा हूँ." मालिक सोचने लगे, थोड़ी देर सोचने
के बाद बोले, "चाचू अगर आप इन्हे रखना चाहें तो रख सकते
हैं."
"भैया मेरे कहने का मतलब ये नही था." चाचू ने जवाब दिया.
"चाचू अगर मेरी याददाश्त सही है तो इन दोनो की मा की कुँवारी
चूत तुमने ही फाडी थी," मालिक अपनी आँखे मटकाते हुए बोले, "अब
तुम इन दोनो की भी कुँवारी चूत फाड़ दो फिर मा और बेटी दोनो को
साथ साथ चोदना बहोत मज़ा आएगा."
"हां आप सही कह रहे हैं लेकिन अब मेरी उमर नही रही कुँवारी
लड़कियों की चूत फाड़ने की, इनके लिए तो कोई जवान लड़के होने
चाहिए," चाचू ने कहा. "भैया ऐसा क्यों नही करते इन्हे अपने
दोनो जुड़वाँ बच्चो को दे दीजिए, अब वो बड़े हो गये हैं और उन्हे
भी पर्सनल नौकरानी चाहिए."
"सुझाव तो तुम्हारा बहोत अच्छा है, में भी यही सोच रहा था."
मालिक ने कहा, "मोना सुमित के पास जाएगी और रीमा अमित के पास.
शांति तुम आज से इन दोनो लड़कियों की ज़िम्मेदारी संभालॉगी जब तक
कि हमारे बच्चे वापस नही आ जाते. ध्यान रहे ये दोनो लड़कियाँ
कोई शैतानी ना करे? मालिक ने मालकिन से कहा.
|
|
07-26-2018, 02:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--5
गतांक से आगे........................
"आप एक दम बेफिक्र रहें, कोई मर्द इनके पास भी नही फटक
पाएगा," मालकिन ने कहा, "अब तुम दोनो जाकर मेरे कमरे मे मेरा
इंतेज़ार करो, तब तक में दोनो बच्चो को जाकर खुश खबरी
सुनाती हूँ."
"नही शांति उन्हे कुछ ना बताना वरना दोनो काम धंधा छोड़ कर
यहाँ भाग कर आ जाएँगे." मालिक ने हंसते हुए कहा.
करीब दो घंटे बाद मालिकिन हमारे पास आई.
"तो तुम दोनो मीना और उमा की बेटियाँ हो. बहुत सुंदर हो." मालिकिन
हमे घूरते हुए बोली.
मालिकिन के प्रभाव से हम इतना डरे हुए थे कि हम अपनी गर्दन भी
नही हिला पा रहे थे.
"अपने कपड़े उतारो? में भी देखूं की तुम दोनो ने कपड़े के नीचे
क्या छुपा रखा है? मालकिन ने कहा.
हम दोनो तो बुत बने खड़े रहे लेकिन जानते थे कि मालकिन का हुकुम
ना मानने पर सज़ा भी तगड़ी मिलती है इसलिए हम जल्दी जल्दी अपने
कपड़े उतार कर नंगी हो गयी.
"अति सुंदर, तुम्हारी चुचियाँ तो बड़ी प्यारी है," मालकिन हमारी
चुचियों को मसल कर और निपल को भींचते हुए बोली, "और कसी
कसी भी है बहोत अच्छा"
हम दोनो शर्मा गयी लेकिन चुप चाप खड़ी रहीं.
"तुम्हारी झाँते क्या हुई? वो हमारी सफ़ा चट चूत पर उंगली गढ़ाते
हुए बोली.
हम दोनो कुछ नही बोली.
"जवाब दो में इंतेज़ार कर रही हूँ तुम्हारे इंतेज़ार का." वो
मुस्कुराते हुए बोली.
"वो क्या है मालकिन आज सुबह हमारी मा ने इन्हे सॉफ कर दिया." रीमा
ने जवाब दिया.
"तुम्हारी मा काफ़ी समझदार है. उन्हे पता है कि मर्द को कैसे
रिझाया जाता है" मालकिन ने कहा, "हमेशा ऐसे ही अपनी चूत को
सफ़ा चट रखना ... समझी."
"जी मालकिन" हमने जवाब दिया.
"तुम्हे किसी ने आज तक चोदा तो नही है ना? मालकिन ने हमारी चूत
मे उंगली घूसाते हुए कहा.
"नही मालकिन हमारी चूत बिल्कुल कोरी है." हम दोनो ने जवाब दिया.
"बहुत अच्छी बात है" कहकर वो घूम कर हमारे पीछे आ गयी
और हमारे चूतड़ को हाथ मे पकड़ कर बोली, "तुम दोनो की गंद भी
काफ़ी भारी और गोल गोल है, मेरे लड़कों को बहोत पसंद आएगी."
फिर अचानक हमारी चूत की पंखुड़ी को अपनी उंगली और अंगूठे से
भेंचती हुई बोली, "तुम्हे मालूम है मेरे बेटे तुम्हारे साथ क्या
करेंगे?
"दीदी मैं बीच मे एक बात बताना चाहती हू कि जिस तरह उन्होने
हमारी चूत को छुआ था और कोई दिन होता तो शायद हमारी चूत
गीली हो गयी होती लेकिन उनके डर की वजह से हमारी चूत तो एक दम
सुखी ही रही." रीमा मोना के बात के बीच मे बोली.
"आछा हुआ तुमने खुद बता दिया वरना में तुम्हे पूछने ही वाली थी,
फिर क्या हुआ." मेने कहा.
"हमे पता था कि उनके बेटे हमारी चूत के साथ क्या करेंगे लेकिन
डर की वजह से हम कुछ कह नही पाए."
"वो तुम्हारी चूत फाड़ेंगे और फिर चोदेन्गे. हो सकता है वो
तुम्हारी गंद भी मारेंगे." मालकिन हंसते हुए बोली.
"वो हमारी चूत फाड़ेंगे और हमे चोदेन्गे ये तो हम जानते थे
लेकिन गंद मारने की बात से हम डर गये थे. " मोना ने कहा.
"इसमे डरने वाली कोई बात नही है," शायद उन्होने हमारे दिल की
बात पढ़ ली थी. "शुरू मे तो दर्द होता ही है चूत हो या गांद
हाँ बाद मे बहोत मज़ा आता है, तुम दोनो को भी मज़ा आएगा."
"हां मालकिन" हमने धीरे से कहा.
"दोनो मेरी बात ध्यान से सुनो... जितनी मर्ज़ो उतना छुड़वाना, बहोत
मज़े लेना लेकिन एक बात का ध्यान रहे अगर तुम मे से कोई गर्भवती
हो गयी तो मुझसे बुरा कोई नही होगा." मालकिन ने कहा.
"हमारी समझ मे नही आया कि हम क्या कहें? "मालकिन अगर वो हमे
चोदेन्गे तो बच्चा तो होगा ही." रीमा ने मासूमियत से कहा.
"ज़रूरी नही है." मालकिन ने कहा, "ये मर्दों की दुनिया है, मर्द
को सिर्फ़ अपनी खुशी और मज़े से मतलब है, उसे अंजाम से कोई मतलब
नही, अगर औरत चाहे तो हर अंजाम से बच सकती है."
"हमारी समझ मे नही आ रहा था हम कैसे इस अंजाम से बच सकते
है कैसे हम..... " तभी मालकिन बीच मे बोल पड़ी.
"ये लो." फिर उन्हने हमारे हाथ मे गोलियों की दो शीशी पकड़ा
दी, "ये गोलिया लेबल पर लीखे अनुसार बराबर लेती रहना तो गर्भ
नही ठहरेगा, अगर तुम गर्भवती हो गयी तो में समझ जाउन्गि की
तुम दोनो ने मेरा कहना नही माना फिर क्या सज़ा मिलेगी ये तुम अच्छी
तरह से जानती हो?
हम उनके गुस्से और उनकी सज़ा को भी जानते थे इसलिए उनसे वादा किया
कि हम पूरा ख़याल रखेंगे फिर उन्होने ने हमारी मा को बुला भेजा.
जब हमारी मा आ गयी तो उन्होने उनसे कहा, "मीना और उमा आज से
मोना और रीमा हमारी सेवा मे हैं ये लोग सुबह 6.00 बजे काम पर
आएँगी और शाम को 6.00 बजे तक रहेंगी. तुम दोनो की ज़िम्मेदारी
है कि इन्हे टाइम पर यहाँ छोड़ कर जाओ और तीमने पर यहाँ से ले
जाओ. घर के पहुँचने के बाद ये दोनो तुम्हारी नज़रों से ओझल नही
होनी चाहिए, और रात मे तुम इनके साथ सोवॉगी... समझी तुम?"
"जी मालकिन" हमारी मम्मी ने कहा.
करीब डेढ़ महीने के बाद दोनो छोटे मालिक घर आए. रात के
खाने के बाद मालिकिन हमे उनके कमरे मे ले गयी. दोनो मालिक खाली
पयज़ामा पहने हुए थे और सोने की तय्यारी कर रहे थे.
"बच्चो देखो तुम्हारे पिताजी ने तुम दोनो के लिए उपहार भेजा
है, सुमित आज से मोना तुम्हारी पर्सनल नौकरानी होगी और रीमा
अमित की." उन्होने कहा फिर हमसे बोली, "आज ये तुम्हारे मालिक है,
देखना इन्हे कोई शिकायत का मौका नही देना और जो ये कहे वैसे ही
करना."
"जी मालिकिन" हम दोनो ने धीरे से कहा.
"अगर इनका इनाम चाहिए तो देखना कि इन्हे कोई शिक्यायत ना हो?
मालकिन ने आख मारते हुए कहा.
हमे पता था कि आज हमारी चुदाई होने वाली है. इस ख़याल से ही
हमारी चूत गीली हो गयी थी और शरीर मे एक मीठी सी लहर दौड़
रही थी.
"दोनो ने हमे उपर से नीचे तक घूरा फिर बोल पड़े, "मम्मी आप
चिंता मत करें" अमित मुस्कुराते हुए बोला, "हम इनका पूरा ख़याल
रखेंगे और इस जनम मे तो क्या ये अगले जनम मे भी हमारा हुकुम
मानेंगी..क्या कहते हो भैया?"
"हान मम्मी, ये वादा है हमारा आपसे." सुमित ने मुस्कराते हुए
कहा.
"गुड नाइट और नही की पूरी रात जागते रहो, थोड़ा सोने की भी
कोशिश करना." ये कहकर मालिकिन वहाँ से चली गयी.
अगले दस मिनिट तक दोनो भाई सिर्फ़ हमे निहारते रहे, "ओह अमित ये
दोनो कितनी प्यारी है." सुमित सर ने कहा.
'हां प्यारी तो हैं" अमित सर ने कहा, "लेकिन पहले ये तो देख लें
कि सारी के पीछे क्या छुपा है? लड़कियों अपने कपड़े उतारो."
हमे पता था कि हमने क्या छुपा रखा है और हमने कपड़े उतार
दिए. हम दोनो खुश थे कि उन दो बुद्धों की जगह हम दो नौजवानो
के साथ थे.
"अमित देखो तो कितनी तय्यारी के साथ आई हैं दोनो, इन्होने तो अपनी
झाँते भी सॉफ कर रखी है,सीमित सर ने कहा, "लगता है कि इनके
साथ काफ़ी मज़ा आएगा."
"हां वो तो है, लेकिन इन्हे भी देख लेना चाहिए कि हम इनका ख़याल
किस चीज़ से रखेंगे." अमित ने हंसते हुए कहा.
फिर दोनो मालिक ने अपने पयज़ामा नीचे खिसका दिए और अपने खड़े
लंड को बाहर निकाल लिया. हमने पहले कई बार लड़कों को नंगा देखा
था, लेकिन किसी मर्द का लंड पहली बार देख रहे थे. इतने बड़ा और
मोटा लंड देख कर में सोचने लगी कि ये मेरी इतनी छोटी सी चूत
मे घुसेगा कैसे.
"आओ मोना यहाँ मेरे पास आओ." सुमित सर ने कहा और अपनी बाँहे मेरी
कमर मे डाल मुझे अपने पास खींच लिया और मेरी चुचियों को
मसल्ते हुए मुझे बिस्तर पर ले गये.
|
|
07-26-2018, 02:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
जब हम चारों पलंग पर थे तब सुमित सर ने कहा, "अमित मुझे तो
मोना ज़्यादा कसी हुई लगती है."
"ये तो देखना अभी बाकी है, सुमित क्यों ना हम साथ साथ इन दोनो की
चूत का उधघाटन करें" अमित सर ने कहा.
"हां ये ठीक रहेगा, तीन की गिनती पर किला फ़तेह होना चाहिए."
सुमित सर ने कहा.
हमारी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या कह रहे है लेकिन थोड़ी
ही देर मे हम समझ गये.
"एक" सुमित सर ने कहा और वो दोनो हमारे उपर आ गये.
"दो" अमित सर ने कहा और दोनो हमारी टाँगों को फैला अपने लंड
हमारी चूत के द्वार पर रख दिए.
"अमित क्या तुम तय्यार हो? तीन" सुमित सर ने कहा और दोनो ने ज़ोर का
धक्का मार अपने लंड को हमारी चूत मे घुसा दिया. हम दोनो तो दर्द
के मारे जोरों से चिल्ला पड़ी और उनका लंड हमारी झिल्ली को फाड़ता
हुआ चूत के गहराई तक घुस गया.
जब वो हमे एक बार चोद चुके तो अमित सर ने कहा, "सुमित मुझे तो
लगता है कि रीमा की चूत ज़्यादा कसी हुई है."
"वो अभी पता कर लेते है," कहकर सुमित सर ने हमे जगह बदली
करने को कहा, उस रात दोनो ने ने हमे चार बार चोदा और आखरी मे
हमारी गंद भी मार दी.
"क्या तुम दोनो को चुदवाने मे मज़ा आया?" अनु ने मोना से पूछा.
"ओह्ह्ह दीदी बता नही सकती, बहोत मज़ा आया ऐसा लगा कि हम जन्नत
के सैर कर रहे है. हम तो और चुदना चाहते थे लेकिन चोथी
चुदाई के बाद दोनो मालिक थक कर सो गये." रीमा ने कहा.
"तुम दोनो मे से उन्हे किस की चूत ज़्यादा कसी हुई लगी? मैने उत्सुकता
वश पूछा.
"हमे नही पता क्यों कि दोनो कुछ बोले ही नही इस विषय पर," रीमा
ने कहा, "मुझे तो लगता है कि बस वो हम दोनो को चोदना चाहते थे
इसलिए ऐसा कहा था."
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है." मेने हंसते हुए कहा,"फिर उसके
आगे क्या हुआ?
"सुबह दोनो ने हमे एक एक बार और चोदा."
"हमे कुछ ज़रूरी काम है इसलिए हम बाहर जा रहे है और खाने
के वक़्त लौटेंगे लेकिन तुम दोनो यहीं हमारे कमरे मे रहना." अमित
सर ने कहा और वो बाहर जाने के लिए तय्यार होने लगे.
"पर छोटे मालिक हम दोनो को नहाना भी है और नये कपड़े भी पहनने
है." रीमा ने कहा.
"जहाँ तक नहाने का सवाल है, तुम दोनो हमारे बाथरूम मे नहा
सकते हो और कपड़ों की तुम्हे कोई ज़रूरत नही है, इसलिए जैसे हो
वैसे ही रहना हमारे आने तक." सुमित सर हंसते हुए बोले.
उनके जाने के बात हमने कमरे की सफ़ाई की और हमारे खून से भरी
चादर को पलंग पर से बदल दिया. फिर नहाने के बाद उनके आने
तक हम टी.वी देखते रहे."
"ये हुई ना बात." अमित सर ने कमरे मे आते हुए कहा.
"क्या तुम दोनो को भूक लगी है?" सुमित सर ने पूछा.
"हमने अपनी गर्दन हां मे हिला दी, हमने सुबह से एक कप चाइ और दो
बिस्कट के अलावा कुछ नही खाया था."
"हमने खाने के लिए कह दिया, महाराज आधे घंटे मे खाना दे
जाएगा.," सुमित सर ने कहा, "लेकिन तब तक हम तुम दोनो कुछ देंगे
जिससे तुम्हे भूक ना लगे, क्यों भाई सही बोल रहा हूँ ना."
"अब तुम दोनो नीचे घुटनो के बल बैठ जाओ, वहाँ नही यहाँ हमारी
टांगो के बीच." अमित सर ने कहा, और दोनो पलंग पर बैठ गये
और अपनी टाँगे फैला दी. जब हम उनकी टॅंगो के बीच नीचे घुटनो
के बल बैठ गये तो उन्होने अपने लंड अपनी पॅंट से बाहर निकाल लिए.
"अब हमारे लंड को अपने मुँह लेकर चूसो," अमित सर ने कहा.
हम दोनो उनके लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगे, और उन्होने
अपना पानी हमारे मुँह मे छोड़ दिया, "इसे थूकना नही बल्कि पी जाओ."
सुमित सर ने कहा और हम उनकी अग्या मानते हुए उनके लंड का पानी पी
गये.
पूरे एक साप्ताह तक उन दोनो ने हमे अपने कमरे मे ही रखा, एक
साप्ताह तक हमने कपड़े नही पहने और नंगी ही रही उनके साथ. जब
भी जैसे भी दोनो का मन करता वो हमे चोद्ते. हमे कोई चीज़ की
ज़रूरत होती तो हमे कमरे मे ही मिल जाती. वो तो बड़े मालिक ने एक
दिन उन्हे डांटा तब वो सहर वापस चले गये.
"ये हमारे कहानी है." मोना ने कहा.
"क्या ये दोनो अब भी तुम दोनो को चोद्ते है?" अनु ने पूछा.
"जिस दिन से दोनो मालिक की आप दोनो से सगाई हुई उस दिन से आज तक
उन्होने हमे छुआ भी नही है." रीमा ने कहा.
"फिर तो इतने महीने से बिना चुदे तुम दोनो की चूत बहोत खुज़ला
रही होगी.... और तुम्हारी चुदाई की इच्छा भी बहोत हो रही होगी."
मैने कहा.
"हां हो तो रही है.." मोना ने कहा.
"और किस किस ने तुम दोनो को चोदा है?" अनु ने पूछा.
"दोनो छोटे मालिक के अलावा हमे किसी ने छुआ तक नही है, और ये
सच है." मोना ने कहा.
"हमे तुम दोनो की बातों पर विश्वास है, अगर वो तुम दोनो को फिर
से चोदना चाहे तो तुम दोनो क्या करोगी?" मेने पूछा.
"जब तक आप हुकुम नही देंगी हम उनसे नही चुदवायेन्गी." रीमा ने
कहा.
"तुम ये कहना चाहती हो की तीन महीने से तुम दोनो ने चुदवाया नही
है फिर भी तुम उन्हे चोदने से मना कर दोगि.... बिना चुदे तुम
रहती कैसे हो? अनु ने पूछा.
"ज़रूर ये एक दूसरे की चूत चूस्ति होंगी और चूत मे उंगल करती
होंगी." मेने कहा.
"दीदी आप भी ना कुछ भी कहती है, हमने आज तक अपनी जिंदगी मे
किसी की चूत नही चूसी." मोना ने कहा.
"फिर तो लगता है कि तुम दोनो को चूत चूसना सीखना ही पड़ेगा."
अनु हंसते हुए बोली.
"क्या हमारी चूत चूसोगी?" मेने पूछा. में सोच रही थी कि
पता नही ये दोनो क्या कहेंगी. लेकिन उनका जवाब सुनकर में चौंक
भी पड़ी और खुस भी हो गयी.
"दीदी अगर आप आग्या देंगी तो क्यों नही चूसेंगे." रीमा ने कहा.
"हां हम अग्या दे रहे हैं." अनु खुशी से उछलती हुई बोली. फिर
वो पलंग पर लेट गयी और अपनी नाइटी उठाते हुए बोली, रीमा तुम
मेरी चूत चूसो."
"मोना तुम मेरी चूत चूसो" मेने अपनी चूत को खोलेते हुए कहा.
दोनो अपने घुटनो पर हो गयी और हमारी चूत पर जीभ फिराने लगी.
"नही ऐसे मज़ा नही आ रहा, तुम दोनो एक काम करो यहाँ पलंग
पर आ जाओ और हमारी टाँगो के बीच अछी तरह बैठ कर चूसो."
मेने दोनो को समझाते हुए कहा.
सही मे मोना की जीभ कमाल दिखा रही थी. वैसे तो वो पहली बार
किसी की चूत चूस रही थी लेकिन एक लड़की होने के नाते शायद उसे
पता था कि चूत के किस हिस्से पर चूसाई करनी चाहिए. मेरी
उत्तेजना सातवे आसमान पर थी.
अगले कई घंटों तक वो हमारी चूत चूसति रही और इस दौरान में
कितनी बार झड़ी मुझे भी याद नही. में थक चुकी थी और सोना
चाहती थी.
"बस मोना में थक गयी और थोड़ी देर सोना चाहती हूँ." मैने
कहा. "तुम भी थक गयी होगी जाओ जाकर आराम करो."
"नही रीमा तुम नही, बस थोड़ी ही देर की बात है....मेरा छूटने
वाला है...... ओह चोदो मुझे अपनी जीभ से ओह हाआँ और अंदर तक
घुसा डोओओ ओःःः में गयी...." अनु सिसकते हुए रीमा से अपनी चूत
चूस्वा रही थी.
उसके बाद रात को मोना मुझे उठा रही थी.
"दीदी उठिए छोटे मालिक को खाना चाहिए." मोना ने कहा.
"खाना ... क्या टाइम हुआ है?" मेने आँखे मलते हुए पूछा.
"नौ से उपर हो गये है," मोना ने जवाब दिया.
"तुम्हारे मालिक कब आए?" मेने पूछा.
"हर रोज़ की तरह शाम 7.00 बजे." मोना ने जवाब दिया.
"फिर तुमने हमे उठाया क्यों नही?"
"हम तो उठना चाहते थे लेकिन मालिक ने मना कर दिया कि सोने दें
आप दोनो को." रीमा ने कहा. मेने देख कि रीमा अनु को उठाने की
कोशिश कर रही थी.
"क्या तुमने उन्हे बताया कि हम दोनो सो रहे है?" मेने कहा.
"नही हमने नही बताया..." मोना ने कहा.
"ठीक है तुम जाकर टेबल पर खाना लगाओ, हम हाथ मुँह धो कर
आते है." मैने दोनो से कहा.
थोड़ी देर बाद में और अनु नाइटी पहने खाने के टेबल पर
पहुँचे. मेने देखा की दोनो भाई कपड़े बदल कर अपने नाइट सूयीट
मे थे. शायद उन्हे नौकारैनियों को चोदने के जल्दी थी... मैने
सोचा.
दोपहर के खाने की तरह इस बार भी कोई कुछ नही बोला. खाने के
बाद में बोली, "आप दोनो कमरे मे आइए मुझे कुछ बात करनी है."
जब हम कमरे मे पहुँच गये तो अमित ने कहा, "अब बात करने को
रखा ही क्या है?"
"क्या तुम्हारा इरादा पक्का है कि तुम दोनो हमारे साथ सोना नही
चाहते?" मेने पूछा शायद उनका इरादा बदल गया हो.
"हां मेरी जान हमारा इरादा पक्का है और इसे बदला नही जा
सकता." सुमित ने कहा.
"मतलब तुम हमारी प्यारी और कम्सीन चूत छोड़ कर नौकरानियों की
चूत चोदना पसंद करोगे? अनु ने रोते हुए पूछा.
"मेरी जान उनकी चूत तुम्हारी चूत की तरह ही प्यारी और कम्सीन
है.... ठहरो में तुम दोनो को दिखाता हूँ," कहकर अमित खड़ा हुआ
और नौकरानियों को आवाज़ दी.
जब वो दोनो कमरे मे आ गयी..तो उसने कहा, "तुम्हारी मालकिन तुम्हारी
चूत देखना चाहती है... अपने कपड़े उतारो और इन्हे दीखाओ."
अमित ने उन्हे हुकुम दिया.
लेकिन दोनो नौकरानिया वहीं खड़ी रही बुत बनी हुई.
"तुम दोनो ने सुना नही, मेने क्या कहा? अमित गुस्से मे बोला, "अपने
कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ?
मोना और रीमा नज़रें झुकाई वैसे ही खड़ी रही लेकिन दोनो ने अपने
कपड़े नही उतारे.
"क्या इन दोनो ने तुम दोनो से कुछ कहा है? अमित हमारी तरफ इशारा
करते हुए गुस्से मे बोला.
"नही मालिक इन्होने कुछ नही कहा," मोना ने जवाब दिया, "ये हमारा
फ़ैसला है की हम कपड़े नही उतारेंगे."
"मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम दोनो हमारा हुकुम मानने से
इनकार सकती हो," अमित गुस्से मे अपना हाथ उठाते हुए बोला.
"अमित कोई फ़ायदा नही है, ये हमारा कहा नही मानेंगी, इन्हे अपने
बदन का डर समाया हुआ है." सुमित ने कहा.
"तुम्हारा कहने का क्या मतलब है? अमित ने कहा.
"इन्हे जाने दो में फिर बताता हूँ." सुमित ने जवाब दिया.
'फट्ट्टो यहाँ से और अपनी शकल मत दिखाना....." अमित
चिल्लाते हुए बोला. मोना और रीमा चुपचाप वहाँ से चली गयी.
"अमित मेने तुम्हे पहले नही बताया क्यों की ज़रूरी नही समझता
था लेकिन हमारे यहाँ आने से पहले मेने मम्मी को इनसे बात करते
सुन लिया था. " सुमित ने कहा.
"क्या कहते थे सुना था तुमने?" अमित ने पूछा.
"मम्मी ने कहा था कि तुम्हारी मालकिन का हुकुम सर्वोत्तम है, उनकी
मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करना और अगर मुझे पता चल गया तो
में अपने हाथों से तुम दोनो की चमड़ी खुरछ खुरछ कर बदन से
अलग कर दूँगी ये याद रखना." सुमित ने बताया.
"ओह तो ये कारण है इनका हमारा हुकुम ना मानने का? अब हम क्या
करें," अमित ने कहा, फिर बोला, "क्यो ना हम इन्हे ज़बरदस्ती चोद
दें. इससे इन्हे सज़ा भी नही मिलेगी और हमारा मकसद भी हल
जाएगा."
"तुम पागल तो नही हो गये हो? अगर मम्मी को पता चल गया तो वो इस
उम्र में भी हमारा लंड काट कर हमारे हाथ मे दे देंगी." सुमित
ने कहा, "भाई में तो नही कर सकता, अगर तुममे हिम्मत है तो कर
लो में तुम्हे रोकुंगा नही."
"तुम सही कह रहे हो सुमित. फिर तुम ही बताओ हम क्या करें?" अमित
ने कहा.
"करने को तो बहोत कुछ कर सकते है," सुमित ने कहा, "अच्छा
देवियों तुम दोनो कहो क्या कहना चाहती हो?
"हम दोनो चाहती हैं कि पहले की ही तरह तुम दोनो हमारे साथ सोवो
और हम वादा करते है कि तुम दोनो की दोनो शर्तें हम पूरा
करेंगे." मेने कहा.
"वही वादा जो एक लड़की शादी के वक़्त अपने पति से करती है." अमित
ने कहा.
"अमित वो शादी से पहले की बात है." सुमित ने कहा.
"हां लेकिन इन्हे हमे बेवकूफ़ बनाने की क्या ज़रूरत थी कि ये दोनो
कुँवारी है.' अमित थोड़ा खीजते हुए बोला.
"अमित ये दोनो और क्या करती? क्या पेपर में इश्तहार देती कि इनकी
चूत फॅट गयी है और ये कुँवारी नही है," सुमित ना कहा, "अमित
ठंडे दीमाग से सोचो अगर तुम इनकी जगह पर होते तो क्या ऐसा नही
करते, भाई में तो ऐसा ही करता... इनके पास और कोई उपाय भी तो
नही था."
"में तुम दोनो को ज़ुबान देती हू," मेने फिर से कहा, "तुम्हारी
दोनो शर्तें पूरी होगी."
"सुमित एक बार फिर से सोच लो इनपर भरोसा करना चाहिए कि नही."
अमित ने कहा.
"अमित मे भी तुमसे कह रहा हूँ कि मेरा विश्वास करो.. ये दोनो अछी
लड़कियाँ है.. और जिंदगी मे एक ग़लती तो हर इंसान से होती है."
सुमित ने समझाते हुए कहा.
"ठीक है में तुम पर चोद्ता हूँ कि इनके साथ क्या करना चाहिए."
अमित ने कहा.
सुमित थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला, "हम तुम दोनो की बात मान
सकते है लेकिन एक ही शर्त पर."
"फिर से शर्त......." हम दोनो चौंक पड़े.
|
|
07-26-2018, 02:18 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--6
"सुमित ये अब कौन सी नई शर्त रखना चाहते हो?" मेने खीजते हुए
पूछा.
"हमारी शर्त सिर्फ़ इतनी सी है कि जिस तरह जीजू और जीजाजी ने तुम
दोनो को चोदा है, वैसे ही में और सुमित भी तुम दोनो को चोदना
चाहेंगे." अमित ने मुस्कुराते हुए कहा.
मेने पहले अमित की ओर देखा वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था, फिर
मेने अनु की ओर देखा की शायद वो कुछ कहना चाहती हो लेकिन उसके
चेहरे से तो ऐसा लग रहा था जैसे की उसे मन माँगी मुराद मिल गयी
हो, फिर में कौन होती थी मना करने वाली, "ठीक है मुझे मंजूर
है," ये तो कभी ना कभी होना ही था, मेने सोचते हुए कहा.
"ओह्ह्ह अनु, में हमेशा सोचा करता था कि क्या में अपने दोनो हाथो
से भी तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचियों को पकड़ पाउन्गा कि नही,"
सुमित ये कहते हुए अनु की ओर बढ़ा, "आज में ज़रूर पकड़ कर
देखना चाहूँगा."
"मेने कब मना किया है, पहले कहते तो पहले पकड़ा देती..." कहकर
अनु ने अपनी नाइटी उतार दी, और सुमित उसकी चुचियों को हाथो मे
पकड़ मसल्ने लगा.
"ओह्ह सुमित ज़रा " अनु सिसक पड़ी.
सुमित ने अपना पयज़ामा उतार दिया और अनु को बिस्तर पर धकेलते हुए
बोला, "ओह्ह क्या मस्त चुचियाँ है... चलो चुदाई करते है.'
"हां सुमित में भी कब से तरस रही थी आज के दिन के लिए," अनु
ने कहा.
अमित चुप चाप बैठा उन दोनो को देख रहा था, में इनसे पीछे
नही रहना चाहती थी.
"अमित मेरी चुचियाँ अनु जितनी बड़ी और भारी नही है, लेकिन फिर
भी अच्छी है तुम्हे मज़ा आएगा.' मेने अपनी नाइटी उतार उसकी ओर
बढ़ते हुए कहा.
"हां सूमी में भी तुम्हारी इन चुचियों से खेलना चाहता था," अमित
ने अपना पयज़ामा उतारते हुए कहा. उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा
था.
उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा और सोने से पहले तो उसने मेरी
गंद भी मारी.
हमेशा की तरह मोना सुबह की चाइ लेकर कमरे मे आई तो हम
चारों को एक साथ बिस्तर मे देख जोरों से हँसने लगी और ज़ोर से
चिल्लाई, "रीमा चाइ यहीं ले आओ ये चारों यहीं इस कमरे मे है."
रीमा चाइ की ट्रे लिए कमरे मे आई और हमे देख झेंप गयी. वो
दोनो चाइ की ट्रे रख कर जाने लगी, "तुम दोनो कहाँ जा रही हो?"
मेने पूछा.
दोनो रुक कर मेरी तरफ देखने लगी, "कल रात तुम्हारे छोटे मालिक
ने कहा था कि तुम दोनो की चूत बहोत प्यारी है, हम देखना चाहते
है तुम्हारी प्यारी चूत को, अपने कपड़े उतारो?" मेने कहा.
दोनो चुप चाप खड़ी रही, उनकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या
करें.
"तुम दोनो ने सुना नही दीदी क्या कह रही है, चलो कपड़े उतार कर
नंगी हो जाओ." अनु ने कहा.
जब दोनो कपड़े उतार कर नंगी हो गयी तो मेने अनु से कहा, "अनु
क्या ख़याल है अगर हमारी चूत को सुबह का नाश्ता मिल जाए?"
"हां सूमी मज़ा आ जाएगा," कहकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगे फैलाते
हुए लेट गयी.
"चलो लड़कियों शुरू हो जाओ.... आज से पहले तुम दोनो ने मलाई से
भरी चूत नही चूसी होगी," मैने अपनी टाँगे फैला चूत को
खोलते हुए कहा.
"मोना आज तुम मेरी चूत चूसो," अनु अपनी चूत की ओर इशारा करते
हुए बोली.
किसी अग्यकारी बच्चो की तरह दोनो हमारी टांगो के बीच आ गयी
और अपने चूतड़ हवा मे उठाते हुए हमारी चूत चूसने लगी.
"ओह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है...." सिसकते हुए मेने अपने बगल
में देखा कि अमित और सुमित आँख फाडे मोना और रीमा को हम दोनो
को चूत चूस्ते हुए देख रहे थे.
"तुम दोनो कल रात मोना और रीमा की चूत चोदना चाहते थे ना तो
इससे बेहतर मौका कहाँ मिलेगा. क्यों ना तुम दोनो अपने लंड को पीछे
से इनकी चूत मे डाल दो? मेने कहा.
"हां अभी लो," खुशी से उछलते हुए दोनो मोना और रीमा की पीछे
आ गये. सुमित ने नीचे से रीमा की चुचियों को पकड़ा और एक ही
धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया. अमित भी पीछे नही
रहा और उसने अपना लंड मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगा.
अमित और सुमित इस तरह रीमा और मोना की चूत मारने लगे जैसे कि
उन्हे फिर कभी उनकी चूत मारने का मौका ही नही मिलेगा.
"ऑश..आआहह" जैसे ही सुमित का लंड रीमा की चूत मे घूसा वो
सिसक पड़ी," ऑश कितना अक्चा लग रहा है"
"तो लड़कियों मज़ा आ रहा है ना?" अनु ने पूछा.
"हां दीदी बहुत मज़ा आ रहा है.... बहुत दीनो के बाद लंड मिला
है ना.......ओह्ह्ह हेयेयन" दोनो सिसकते हुए बोली.
दस मिनिट के बाद हम चारों झाड़ गये. मोना और रीमा ने अपनी
जगह बदल ली, और फिर से चुदाई करने लगी.
"अमित क्या कहते हो फिर से तीन तक गिनती हो जाय?" सुमित ने कहा.
"हां भाई क्यों नही.... ये लो एक.. दो.... तीन."अमित ने गिनती शुरू
की और तीन की गीनती पर दोनो लड़कियाँ चिल्ला उठी.
"अरे क्या हुआ? क्या ये दोनो तुम्हे तकलीफ़ दे रहे है,?" मेने मोना के
बालो मे हाथ फिराते हुए पूछा.
"नही दीदी, सुमित सर ने अपना लंड मेरी गंद मे घुसेड दिया था..."
मोना ने बताया.
"अमित सर भी मेरी गंद मार रहे है," रीमा ने भी कहा.
"लॉडा गंद मे अंदर बाहर होता है तो बहोत अच्छा लगता है हैं
ना?" अनु ने हंसते हुए कहा.
दोनो ने अपनी गर्दन हिलाते हुए हम दोनो की चूत चूसने लगी.
जब हम चारों एक बार फिर झाड़ गये तो अमित ने कहा, "भाई में तो
थक गया हूँ, क्यों ना कुछ चाइ नाश्ता हो जाए"
मोना और रीमा किचन मे जाकर चाइ और नाश्ता ले आए.
"चलो एक बार और हो जाए," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार में रीमा की
चूत चूसोंगी और सूमी मोना की......."
"सॉरी देवियों, आभी नही, अभी हमारी एक ज़रूरी मीटिंग है 10.00
बजे," सुमित अनु की चुचियों को मसल्ते हुए बोला, "रात को फिर
यहीं से शुरुआत करेंगे."
"कोई बात नही चलो साथ मे सब स्नान करते है." अनु ने कहा.
लेकिन हमारे कमरे का शवर इतना बड़ा नही था कि हम छः जने
साथ मे नहा सकते इसलिए दो टीम बनी, सुमित में और मोना एक टीम
मे और अमित अनु और रीमा दूसरी टीम मे.
जब हम तीनो साथ साथ नहा चुके तो मोना बोली, "सर में आपका
लंड चूस्ति हूँ, कितने दिन हो गये लंड चूसे हुए?"
"शौक से मेरी जान," कहकर सुमित ने अपना लंड मोना के मुँह मे दे
दिया.
मोना को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी वो जोरों से सुमित के लंड को
अपने मुँह मे ले चूसने लगी.
"ओह्ह्ह हा चूसो और ज़ोर से चूसो," सुमित बड़बड़ाने लगा,
फिर मेरे हाथों को उसकी चूत पर रखते हुए बोला, "इसकी चूत मे
उंगल करो."
मेने अपनी उंगली मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगी तभी सुमित ने
अपनी दो उंगली मेरी गंद मे डाल दी.
'ओह्ह्ह सुमित अयाया हाआँ और अंदर तक डाल दो ओह्ह.' मे भी
सिसक पड़ी.
* * * * * * * * * * * *
उसी दिन सुबह 11.00 बजे के करीब मेने अपनी बेहन सीमा को फोन
किया. थोड़ी देर हाल चाल पूछने के बाद मेने कहा, " दीदी, क्या
माला दीदी आपके साथ है?"
"नही बोलो क्या बात है?" सीमा दीदी ने कहा.
"हमे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है, क्या आप उन्हे बुला सकती
है... में बाद मे फोन करूँगी." मेने कहा.
"हां मे बुला सकती हूँ, लेकिन बात क्या है वो तो बताओ? सीमा दीदी
ज़ोर देते हुए बोली.
"नही, जब आप दोनो साथ मे होंगी तभी बताउन्गि." मेने कहा.
सीमा दीदी ने काफ़ी ज़िद की लेकिन में भी अपनी बात पर आडी रही,
आख़िर उन्होने कहा, "ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी. एक घंटे के बाद
फोन करना तब तक में उसे बुला कर रखती हूँ."
एक घंटे के बाद मेने फोन लगाया, "माला दीदी है," मेने पूछा.
"हां सूमी में माला ही बोल रही हूँ," माला दीदी ने जवाब दिया, "अब
जल्दी से बताओ क्या बात हैहम काफ़ी परेशान है."
"ख़ास बात ये है कि अमित और सुमित हम दोनो को तलाक़ देना चाहते
है." मैने कहा.
"क्या कहा....." दोनो चिल्ला उठी... "पर क्यों?
"उन्हे पता चल गया कि शादी के वक़्त हम दोनो कुँवारी नही थी."
मेने कहा.
"पर शादी के एक महीने बाद क्यों? माला दीदी ने पूछा, उन्हे अब भी
विश्वास नही हो रहा था.
"जैसा हमने बताया था तुम दोनो को सब बातों से इनकार कर देना
चाहिए था." सीमा दीदी ने माला दीदी से फोन लेकर कहा.
"हमने सब वैसे ही किया था लेकिन फिर भी उन्हे पता चल गया."
मेने कहा.
तभी अनु मुझसे फोन माँगने लगी,, लेकिन में जानती थी कि वो क्या
कहेगी इसलिए मेने उसे फोन नही दिया.
"सवाल ही नही उठता कि उन्हे पता चल जाए, ज़रूर तुम दोनो ने
कबूल कर लिया होगा." सीमा दीदी ने कहा
"क्या तुम दोनो ने कबूल किया?" माला दीदी ने पूछा.
इसके पहले कि में कोई जवाब देती अनु ने मेरे हाथों से फोन छीन
लिया और ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली, "हां दीदी मेने सब बता दिया...
मेरा दिमाग़ खराब हो गया था ...." और वो रोने लगी.
"अनु प्लीज़ मत रोव.... इसमे तुम्हारी क्या ग़लती थी.." मेने उसे चुप
करने की कोशिश की.
"अनुराधा अब रोना बंद करो..." माला दीदी ने कहा, "ये कोई रोने का
समय नही है... जो होना था सो हो गया.." माला दीदी ने कहा.
"हां माला सही कह रही है.." सीमा दीदी ने कहा, "अब तो हमे ये
सोचना है कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए."
"तलाक़ की करवाही वो दोनो कब शुरू करना चाहते है? माला दीदी ने
पूछा.
"दीदी में कुछ और भी कहना चाहती हूँ आप दोनो से?" मेने थोड़ा
डरते हुए कहा.
"सूमी ये पहेलियाँ मत बुझाओ." माला दीदी थोड़ा झल्लाते हुए
बोली, "जो कुछ कहना है साथ मे कहो ये टुकड़ों मे बाँट कर मत
कहो?"
"उन्होने दो शर्तें रखी है, " मेने कहा, "अगर ये दोनो शर्तें
पूरी हो गयी तो वो हमे तलाक़ नही देंगे."
"ठीक है, और वो शर्तें क्या है? माला दीदी ने शांत रहते हुए
पूछा.
"पहली शर्त तो ये है को वो दोनो आप दोनो को चोदना चाहते है,"
मुझे तो लगा था कि मेरी ये बात सुनकर वो चिल्ला पड़ेंगी लेकिन
ऐसा कुछ नही हुआ और दीदी ने पूछा, "और दूसरी शर्त क्या है?
"वो चाहते है कि जीजू और जीजाजी उनके लिए दो कुँवारी चूत का
इंतेज़ाम करें हमारी चूत के बदले मे जो इनका हक़ था लेकिन उन्होने
ले ली," मेने हिक्किचाते हुए कहा.
थोड़ी देर दूसरे तरफ फोन पर शांति रही.
"पहली शर्त मे तो कोई परेशानी नही है हां लेकिन दूसरी मे
थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है." सीमा दीदी ने कहा.
"थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है लेकिन नामुमकिन नही है." माला दीदी ने
बीच मे बोली.
"हाई दीदी क्या आप उन दोनो से चुद-वाउन्गि?" अनु लगभग चौंकते हुए
बोली.
"भाई, इसमे बुराई भी क्या है? क़ायदे से जब हमारे पति उनकी बीवियों
को चोद सकते है तो वो उनकी बीवियों को क्यों नही चोद सकते? सीमा
दीदी ने कहा.
"दीदी पता है जब हमने उनकी बात का विरोध किया था तो उन्होने भी
हमे यही कहा था." अनु ने कहा.
"समाझधार बच्चे है." माला दीदी हंस दी.
"अब तुम दोनो चुप रहो," सीमा दीदी ने कहा, "मेरे पास एक उपाय है,
उन्हे कुँवारी चूत चोदने के लिए चाहिए ना. तो ठीक है तुम दोनो
उनसे अपनी नौकरानियों मोना और रीमा को चुदवा दो."
"हमने भी यही सोचा था और जब हमने उनसे ये बात कही तो वो
हमारे मुँह पर हँसने लगे." मेने कहा, वो तो उन दोनो की कुँवारी
चूत कई महीने पहले ही चोद चुके है, अब तो और कोई रास्ता ही
निकालना पड़ेगा."
"अभी तो हमारी समझ मे कुछ भी नही आ रहा और हमारा दिमाग़
भी काम नही कर रहा," सीमा दीदी ने कहा, "लेकिन तुम दोनो हिम्मत
मत हारना हम दोनो कुछ ना कुछ करेंगे उनकी दूसरी शर्त पूरी करने
के लिए."
"तुम दोनो घबराना मत, पहले हमे अजय और विजय से बात कर लेने
दो," माला दीदी ने कहा, "हो सकता है कुछ समय लग जाए शायद
महीना भर भी पर हम हल निकाल कर रहेंगे इसलिए परेशान मत
होना."
"थॅंक यू दीदी," मैने कहा, "मुझे पता था कि आप हमारी मदद
ज़रूर करेंगी." कह कर मेने फोन रख दिया.
"ओह्ह्ह सूमी में बहोत खुश हूँ कि हमारी बहने हमारा साथ दे रही
है." अनु मुझसे गले लगाते हुए बोली.
हर रोज़ की तरह शाम को सात बजे अमित और सुमित ऑफीस से घर
आए. चाइ पीते हुए मेने उन्हे अपनी बहनो से हुई बात के बारे मे
बताया."
"हम जानते हैं कि दूसरी शर्त पूरा करना इतना आसान नही है,"
अमित ने कहा, "अगर उन्हे समय चाहये तो ले सकती है लेकिन एक हद
तक."
थोड़ी देर बाद हम खाने के लिए तय्यार थे, "मोना टेबल पर चार
लोगों का खाना लगा दो." मेने मोना को आवाज़ देते हुए कहा.
"हां दीदी" उसने जवाब दिया.
"चार लोगों का खाना समझ ने नही आया?" सुमित ने पूछा.
"क्यों क्या हुआ," मेने कहा, "अगर वो दोनो हमारे साथ बिस्तर मे सो
सकती है, हमारे पति से चुदवा सकती हैं तो क्या साथ बैठ कर
खाना नही खा सकती."
"तुम सही कहती हो, मेने माफी माँगता हूँ." सुमित ने कहा.
"दीदी खाना लग गया है," थोड़ी देर बाद मोना की आवाज़ आई.
"तुम दोनो आगे चलो हम थोड़ी देर मे आते हैं." मेने अमित और
सुमित से कहा.
करीब डूस मिनिट के बाद हम दोनो पूरी तरह नंगी उनके सामने खाने
के टेबल पर थे.
"वुव क्या बात है?" अमित और सुमित दोनो साथ साथ कह उठे.
"अनु तुम यहाँ मेरे पास बैठो." सुमित ने अपनी पास की कुर्सी की
इसरा करते हुए अनु से कहा, जहाँ मे रोज़ बैठा करती थी.
थोड़ी देर मे मोना और रीमा भी बिल्कुल नंगी खाना लेकर आ गयी.
"ओह्ह आज तो लगता है कि ये सब हम पर मेहरबान है," अमित ने मोना
को अपनी और खींचते हुए कहा.
"अमित लगता है कि हमे भी इनके जैसे हो जाना चाहिए." सुमित ने
खड़े हो अपने कपड़े उतारते हुए कहा. थोड़ी देर मे दोनो हमारी तरह
पूरी तरह नंगे हो गये.
"अब हुई मर्दों वाली बात," कहकर मेने अमित का खड़ा लंड अपने हाथ
मे पकड़ लिया.
"इससे अच्छा खाना हमने पहले कभी नही खाया," अमित ने कहा, "अब
खाने के बाद की हमारी मिठाई कहाँ है?'
"मिठाई मे तुम हमारी चूत चूस सकते हो" अनु ने हंसते हुए
कहा. "तुम्हारे सामने चार चार फ्लेवर की चूत है, उनमे से तुम
कोई भी फ्लेवर पसंद कर सकते हो.
"वो तो हम बाद मे भी खा सकते है, फिलहाल मीठे मे क्या है?"
सुमित ने पूछा.
मोना और रीमा उठी और किचन से दो कटोरे लेकर लौटी, "अभी के
लिए खीर है" मेने कहा.
"वाउ खीर तो मुझे बहो पसंद है." सुमित ने खुश होते हुए कहा.
"सर मेने उसी तरह बनाई है जैसे कि आपको पसंद है." मोना ने
कहा.
"बहुत अच्छा." सुमित ने कहा.
"भाई क्यों इन लड़कियों को भी आज खीर एक शाही अंदाज़ मे खिला दी
जाए." अमित ने अपनी कुर्सी पीछे करते हुए कहा.
"हां ये ठीक रहेगा," कहकर सुमित ने भी अपनी कुर्सी पीछे कर
दी, "अनु और मोना तुम दोनो मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठ
जाओ और सूमी और रीमा तुम दोनो अमित की टाँगों के बीच."
फिर वो अपने लंड को खीर के कटोरे मे डुबोते और हमे चूसने के
लिए दे देते. हम चारों खीर मे डूबे उनके लड को चूसने लगे.
थोड़ी देर बाद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया जिसे हम चारों पी गये.
"अब हमारी बारी है खीर खाने की" अमित ने खीर के कटोरे उठाते
हुए कहा, "लेकिन हम बेडरूम मे खाएँगे."
जब हम सब बेडरूम मे आ गये तो अमित ने मुझे और मोना को बिस्तर
पर लेटने को कहा, जब में और मोना लेट गये तो बिस्तर की दूसरे
कौने पर अनु और रीमा भी लेट गयी.
फिर अमित और सुमित ने ठंडी खीर की एक चमच भर हम सभी की
चूत के अंदर डाल अपनी जीब निकाल उसे चाटने लगे.
"ओह अनु ठंडी खीर का स्पर्श और उपर से इनकी जीएब, ऑश
कितना अक्चा लग रहा है...." में उन्माद मे सिसक पड़ी.
कमरे मे हम चारों की सिसकियाँ गूँज रही थी.
"ऑश अमित अब नही सहा जाता अपना मुँह हटा लो नही तो इस खीर के
साथ मे कुछ और भी मिला दूँगी," मेने सिसकते हुए कहा.
"मना किसने किया है, मिला दो अछा है एक नई खीर खाने को मिल
जाएगी," कहकर अमित और जोरों से मेरी चूत चूसने लगा.
कटोरे मे खीर ख़तम होने तक हम चारों की चूत कई बार पानी
छोड़ चुकी थी.
"अब हम क्या करें?" सुमित ने अपने होठों को सॉफ करते हुए पूछा.
"वही जो सुबह कर रहे थे," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार हमारी बारी
बीच मे होने की."
क्या रात गुज़री हम लोगों की. शायद इस कदर हमने कभी चुदाई नही
की थी. पहले तो में और अनु, मोना और रीमा की चूत चूस्ते रहे
और दोनो अमित और सुमित हमारी गंद और चूत पीछे से मारते रहे.
फिर पार्ट्नर बदल बदल सारी रात यही चलता रहा.
में और अनु काफ़ी खुश थे. सब कुछ पहले की जैसे ही हो रहा था.
हमारे. कहीं कोई गड़बड़ नही थी. जब हमारे पति ऑफीस चले जाते
तो दिन मोना और रीमा थी हमारे साथ और रात मे हमारे पति हमारी
जमकर चुदाई करते.
हमारी हर रात हर दिन पहले से आक्ची गुज़रती. हम कई आसन से
चुदाई करते. यहाँ तक अमित और सुमित खाम्सुत्र की कीताब भी ले
आए थे जिन्हे देख कर हम सभी आसनो का प्रयोग करते. हमारी
चुदाई मे मोना और रीमा भी शर्ीएक रहती थी.
एक दिन खाना खाने के बाद हम सोने की तय्यरी कर रहे थे तो अमित
ने पूछा, "क्या तुम दोनो मे से किसी ने कभी दो लंड से एक साथ
चुडवाया है?"
"कई बार लिया है," अनु हंसते हुए बोली.
"तो तुम्हे मज़ा आता है?" सुमित मुस्कुराते हुए बोला.
"हां मुझे तो बहोत अक्चा लगता है, जब एक लंड मेरी चूत मे
घुसा हुआ होता है और दूसरे लंड को जब में चूस रही होती हूँ."
अनु ने जवाब दिया.
"अनु डार्लिंग, अमित का कहने का मतलब कुछ और है," सुमित ने
कहा, "इसका मतलब है कि एक लंड चूत मे और एक लंड गंद मे कभी
साथ मे लिया है?"
"तुम्हारा मतलब है दोनो साथ मे वो कैसे हो सकता है?" अनु ने
पूछा.
"हां मेरी जान आज में एक कहानी पढ़ रहा था, जिसमे एक लड़की दो
मर्दों से साथ साथ चुदवाति है और तीनो को बहोत मज़ा आता है."
अमित ने हंसते हुए कहा.
"क्या ऐसा हो सकता है?" मेने पूछा.
"कहानी के हिसाब से हो सकता है, हमने भी फेले कभी ऐसा किया
नही है पर हां करना ज़रूर चाहेंगे," सुमित ने कहा, "अनु क्या
तुम भी इसका मज़ा लेना चाहोगी?"
"एक मिनिट मुझे सोचने दो," अनु ने कहा, फिर मोना रीमा और मेरी
तरफ देख बोली, "में तो सबसे छोटी हूँ तो क्यँ ना किसी बड़े से
शुरआत की जाए और वो मुझे बताए कि दो लंड से चुदवाने मे कैसा
लगता है."
"हम तो तय्यार है," मोना और रीमा साथ साथ बोली.
"सूमी तुम तीनो मे से तुम्हे चूना जाता है." सुमित ने हंसते हुए
कहा.
"अनु तू सही मे छिनाल है, लेकिन चिंता मत कर अगर एक दिन मेने
भी तुझे नही फँसाया तो कहना," मेने कहा, "ठीक है अब बोला तुम
दोनो मुझसे क्या चाहते हो?
"तुम बताओ किसका लंड कहाँ लेना चाहोगी?" सुमित ने पूछा.
"मुझे कोई फरक नही पड़ता जिसका लंड चाहे जहाँ घुसे," मेने
जवाब दिया. "तुम कहो?"
"में इसकी गंद मारूँगा," अमित ने कहा.
"ठीक है," सुमित बिस्तर पर लेटते हुए बोला. फिर उसने मुझे मेरी
टाँगो को उसके बगल मे रख कर उपर आने को कहा. में उसके कहे
अनुसार उसपर लेट गयी, मेरी गंद हवा मे उठ गयी थी.
फिर सुमित ने अपने लंड को नीचे से मेरी चूत पर लगाया और अमित
ने पीछे से अपने लंड को मेरी गंद के छेद पर रख दिया. अब दोनो
अपने लंड को अंदर घुसने लगे.
"आराम से अमित दर्द हो रहा है," मेने कहा.
क्रमशः...............
|
|
07-26-2018, 02:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--7
अमित ने अपना दबाव बढ़ाया और मुझे ऐसा महसूस हुआ की उसका लंड
मेरी गंद की दीवारों को चीर रहा है.
"ऑश माआआ" में सिसक पड़ी.
"येयी गया," चिल्लाते हुए अमित ने एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा
लंड एक ही झटके मे मेरी गंद मे घुसा दिया.
"ओह मर गयी......." में दर्द के मारे ज़ोर से चिल्ला
उठी, "भगवान के लिए अमित क्या मुझे जान से मार डालने का इरादा
है."
"सॉरी सूमी मेरी जान," अमित ने माफी माँगते हुए कहा, "जोश जोश मे
मुझे ख़याल नही रहा, में भूल गया था कि सुमित का लंड भी
तुम्हारी चूत के अंदर घुसा हुआ है."
फिर दोनो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे. थोड़ी देर मे मुझे
चूत और गंद दोनो छेदों मे मज़ा आने लगा.
"ऑश अमित जिसने भी वो कहानी लिखी थी सही मे जवाब नही.....
ऑश हाआअँ चोदो दोनो मुझे चूओड़ो हाा ज़ोर से ऑश."
मेरी जान वो कहानी राज शर्मा की है
मेरी सिसकियों को सुन दोनो मे जोश आ गया. सुमित नीचे से ज़ोर ज़ोर
से अपनी गंद उपर कर धक्के मारने लगा और अमित पीछे से ज़ोर के
धक्के मार रहा था.
"हाँ चोदो ऐसे ही चोदो, आअज तो तुम दोनो ने मुझे जन्नत का
मजा दे दिया... हां और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और तेज श
मेरा तो छूटने वाला है और ज़ोर से.." जोरों से सिसकते हुए मेरी
चूत ने पानी छोड़ दिया.
दो तीन धक्के मार अमित ने अपना वीर्या मेर गंद मे छोड़ दिया और
सुमित ने अपना मेरी चूत मे
'सूमी क्या सही मे बहोत मज़ा आया," जब हमारी साँसे थोड़ी संभली
तो अनु ने पूछा.
"मुझे पता नही," मेने हंसते हुए कहा, "एक बारऔर इस तरह चुदवा
लूँ फिर ही बता सकती हूँ कि कैसा लगा."
"दीदी, लगता है सूमी दीदी को बहोत मज़ा आया है." मोना बोली.
"हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," अनु ने कहा, "नही सूमी अब
मेरी बारी है और में दो लंड से चुदवाउन्गि."
"सॉरी अनु आज नही हम दोनो ये फ़ैसला किया है कि दोहरी चुदाई दिन
में एक बार ही करेंगे." सुमित ने कहा.
"अब ये तो कोई बात नही हुई.... हम क्या करेंगे?" अनु ने शिकायत
करते हुए कहा.
"हमने तो तुम्हे मौका दिया था लेकिन तुमने फ़ायदा नही उठाया इसमे
हमारी क्या ग़लती है? अब तो तुम्हे कल तक के लिए रूकना पड़ेगा."
अमित ने कहा.
अब हम इसी तरह मस्ती करते हुए दिन गुज़र रहे थे. हफ्ते के आख़िर
हम सब घर पर रह कर आराम करते और साथ ही मज़ा करते. अक्सर
घर मे रहते हुए हम कपड़े नही पहनते थे. ऐसे ही एक रविवार की
शाम हम सब हाथ मे बियर का ग्लास लिए बैठे थे. दोनो
नौकरानिया भी हमारी तरह नंगी ही थी और उन्होने कोक की बॉटल
हाथ मे ले रखी थी.
मेने देखा कि अमित रीमा को देखते हुए अपने लंड को मसल रहा था.
अचानक रीमा नीचे झुक कर ग्लाब की पंखुड़ियों को उठाने लगी जो
नीचे गिर गयी थी.
रीमा की फूली गंद देख कर अमित उछल पड़ा और उसे पीछे से
पकड़ लिया, "अभी तो में इसकी गंद मारूँगा."
अचानक ना जाने रीमा को क्या हुआ उसने अमित को धक्का देते हुए अपने
से दूर कर दिया लौर चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे
छूने की?"
अमित और हम चारों रीमा का ये व्यवहार देख कर हैरान रह गये
थे, की आज इसे क्या हो गया. हमने उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा दूर
खड़ी मुस्कुरा रही थी.
"भाई ये नाटक कर रही है," सुमित ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम
इसे मनाओ."
अमित ने अपनी गर्दन हिलाई और रीमा को अपनी बाहों मे भर
लिया, "डार्लिंग क्यों नखरे दीखा रही हो? चलो मज़ा करते है."
"तुम्हे शरम नही आती इस तरह पराई औरतों को छेड़ते हुए?" रीमा
ने अपने आप को अमित से छुड़ाया और अपने कूल्हे मतकती हुई उससे दूर
चली गयी.
"अमित मुझे लगता है कि ये चाहती है की तुम इसके साथ ज़बरदस्ती
करो." सुमित ने हंसते हुए कहा.
"फिर तो आज इसकी इच्छा पूरी होकर रहेगी." अमित रीमा की ओर बढ़ते
हुए बोला.
रीमा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो जोरों से चिल्लती हुई
कमरे मे भागने लगी, "अरे कोई इस बदमाश से मुझे बचाओ.. कोई तो
मेरी मदद करो.... ये बदमाश मुझे चोदना चाहता है... प्लीज़ कोई
तो मदद कर दो..."
फिर पकड़ा पकड़ी का खेल शुरू हो गया. आख़िर दस मिनिट तक इधर
से उधर भागने के बाद रीमा अमित के हाथ लग ही गयी.
अमित ने जोरों से उसे बाहों मे भींचा और उसकी चुचियों को रगड़ते
हुए बोला, "देख हरमज़ड़ी अब में तुझे कैसे चोदता हूँ, अगर आज
चोद चोद के तेरी चूत और गंद ना फाड़ दी तो कहना, साली कई
दिन तो ठीक से चल भी नही पाएगी."
रीमा किसी जल मे फाँसी मछली की तरह फड़फदाई और जोरों से
चिल्लाने लगी, 'छोड़ दे मुझे बदमाश , अगर चोदना ही तो जा कर
अपन मा बेहन को चोद जाकर."
थोड़ी देर मे हमे लगा कि जिसे हम मज़ाक समझ रहे थे वो मज़ाक
नही था, रीमा सही मे अपने आपको अमित से छुड़ाने की कोशिश कर
रही थी.
और अमित का तो हाल बुरा था, उत्तेजना और जोश मे उसका चेहरा और
लंड दोनो लाल हो चुके थे. लंड था कि और तनता ही जा रहा था.
काफ़ी छीना झपटी के बाद अमित रीमा को ज़मीन पर लीटाने मे सफल
हो गया. लेकिन वो जितना रीमा के उपर आकर उसकी टाँगो को फैलाने की
कोशिश करता रीमा किसी ना क्सि तरह उसे अपने उपर से हटा देती.
लेकिन विरोध करते करते रीमा थक गयी और उसके हाथ पाँव ढीले
पड़ने लगे. आख़िर अमित उसकी टाँगो को फैलाने मे कामयाब हो गया.
उसने उसकी चुचियों को पकड़ा और एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी
चूत मे गुसा दिया.
"ऑश मार गयी..... मुझे जाने दे बादमाअश" रीमा जोरों से दर्द के
मारे कराह उठी.
लेकिन अमित ने उसकी करहों पर कोई ध्यान नही दिया और ज़ोर ज़ोर से
उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करता रहा. रीमा गिड़गिदने लगी
की वो उसे छोड़ दे.
अमित था की वो उसकी टाँगो को और फैला ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा
था, "ले रांड़ ले मेरे लंड को, क्या कहा था तूने की में अपनी मा
बेहन को चोदु देख अब में तेरी चूत की क्या हालत करता हूँ ले
रंडी मेरे लंड को."
थोड़ी ही देर मे रीमा की हाथ पाँव ढीले पड़ गये और उसकी कमर
अमित का साथ देने लगी. में समाझगाई की उसकी चूत पानी छोड़ने
वाली है. दो तीन धक्कों मे ही वो ज़ोर की सिसकारी भरते ही झाड़
गयी. अमित भी ज़ोर के धक्के मार झाड़ गया.
अमित के झाड़ते ही रीमा ने उसके चेहरे को हाथो मे ले लिया, थॅंक
यू सर, मज़ा आ गया," कहकर वो उसे बेतहाशा चूमने लगी.
"रीमा ये सब क्या था," अनु ने उससे पूहा.
"वो दीदी क्या है ना में हमेशा सोचा करती थी कि कोई मेरे साथ
ज़बरदस्ती करे और बलात्कार के वक़्त कैसा महसूस होता है में ये
जानना चाहती थी, और आज मुझे पता चल गया कि कभी कभी
ज़बरदस्ती मे भी मज़ा आता है." रीमा ने जवाब दिया.
"ऐसा था तो तूने हमे पहले क्यों नही बताया?" मेने पूछा.
"दीदी अगर बता देती तो शायद हक़ीकत वाला मज़ा ना आता." रीमा ने
कहा.
"ये शायद सही कह रही है." मोना ने कहा, "लेकिन रीमा जब अमित
सर ने अपना लंड तेरी चूत मे घुसाया तो तू चीख क्यों पड़ी."
"वो क्या है ना, जब भी कुँवारी चूत मे लॉडा घुसता है तो लड़की
चीख ही पड़ती है ना." रीमा ह्नस्ते हुए बोली.
रीमा ने इस भोले पन से मुँह बनाते हुए कहा था कि हम सभी
हँसने लगे.
"मोना क्या तुम भी चाहोगी रीमा की तरह अपना बलात्कार करवाना? सुमित
ने पूछा.
"नही सर, ये रीमा को ही मुबारक हो." मोना ने जवाब दिया, "हां
अगर आप मुझे चोदना चाहते है तो चोद सकते है."
"वो तो हमेशा में तुम्हे चोदना चाहता हूँ," सुमित उसे बाहों मे
भरते हुए बोला.
"सुमित एक मिनिट रूको," अनु ने कहा, "मोना तुम्हारा कोई सपना या फिर
ऐसा कोई ख्याल जो तुम पूरा करना चाहती हो?"
"हाँ एक सपना है, में बचपन से ही एक सपना देखती आई हू मोना ने
कहा, " कि मुझे दुल्हन की तरह सजाया जाए, मेरी शादी हो रही
है और में अपनी कुँवारी चूत अपने पति से चुदवा रही हूँ, लेकिन
शायद ये सब अब एक सपना ही रह जाएगा."
"नही ये सपना नही रहेगा," मेने कहा, "अमित और सुमित तुम्हारा
कुँवारा पन तो नही लौटा सकते लेकिन हां आज तुम्हारा बाकी का
सपना ज़रूर पूरा होगा."
शाम को हम मोना को एक ब्यूटी पार्लर मे ले गये जो कि दुल्हन के
मेक उप के लिए फाओमौस था. रीमा को हमने ठीक किसी दुल्हन की तरह
सज़ा कर तय्यार कर दिया. नया दुल्हन का जोड़ा, गहने सभी कुछ
हमने उसे पहना दिया. हम बाकी भी ऐसे तय्यार हो गयी जैसे की किसी
शादी मे जा रही हों.
रात के ठीक डूस बजे हम मोना को हमारे पति की पास ले गयी. सुमित
शेरवानी पहन कर ठीक किसी दूल्हे की तरह लग रहा था और अमित ने
शानदार सूट पहना हुआ था.
"कहिए हमारी दुल्हन कैसी लग रही है?" अनु ने मोना का घूँघट
थोड़ा उपर करते हुए पूछा.
"हे भगवान ऐसा लग रहा है जैसे की आसमान से कोई अप्सरा उत्तर
कर आ गयी हो," अपनी साँसे संभाले अमित मोना के पास आया. "मोना
तुम तो बहोत ही सुंदर लग रही हो."
"भाई अपने आप को संभलो." सुमित हंसते हुए बोला, ये मेरी दुल्हन
है, इसे हाथ भी मत लगाना."
फिर मेने और अनु ने मिलकर मोना की शादी सुमित के साथ नकली रूप
मे करा दी. फिर विदाई भी हुई और मोना इस कदर फूट फूट कर
रोई जैसे की सही मे उसकी बिदाई हो रही हो.
फिर हम मोना को उसके सुहागरात के कमरे मे ले गये जिसे हमने फूलों
और गुब्बारों से अछी तरह सजाया था और उसे पलंग पर बिठा दिए
जिसपर गुलाब की पंदखुड़िया बिछी हुई थी.
"सुमित अब तुम जा सकते हो? अनु ने कहा, "तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा
इंतेज़ार कर रही है."
जैसे ही सुमित ने कमरे मे घुस कर दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की
मेने चिल्ला पड़ी, "रुक जाओ, हम भी आ रहे है."
सुमित चौंक कर बोला, "तो क्या तुम हमारी सुहागरात देखना चाहती
हो?"
"और नही तो क्या? अनु ने जवाब दिया, "तुम्हे कोई ऐतराज़ है क्या?
"मुझे तो कोई ऐतराज़ नही है, लेकिन बेहतर होगा कि आप लोग आज रात
की दुल्हन से पूछ लें." सुमित ने कहा
"मोना प्लीज़ क्या हम देख सकते है?" मेने उससे आग्रह करते हुए
कहा, हम तो सिर्फ़ ये देखना चाहते है कि सुहागरात की रात ये तुमसे
ठीक से बर्ताव करता है कि नही और कहीं ये तुम्हारी गंद ना मार
दे."
"लड़किया तुम सब पागल हो गयी हो." अमित ने हमे बीच मे टोकते हुए
कहा, "सुहागरात को लोगों की आपस की और पर्सनल रात होती है,
में तो कहूँगा कि तुम सब इन्हे अकेला छोड़ दो.."
"थॅंक यू सर," मोना ने धीरे से कहा.
हमे अक्चा तो नही लगा लेकिन अमित का तर्क भी सही था, इसलिए हम
सब वहाँ से बाहर आ गये.
दूसरी सुबह हमने अमित से पूछा, "तो रात कैसी गुज़री?"
"ऑश में बता नही सकता, मोना वाकई मे लाजवाब है, नई नवेली
दुल्हन की तरह शरमाती रही. जब मेने उसके कपड़े उतारने चाहे तो
शर्मा कर सिमट गयी. जब उसकी चूत मे लंड घुसना चाहा तो ऐसे
शरमाई जैसे की पहली बार लंड ले रही है. जब लंड घुसा तो दर्द
से चिल्लई नही सिर्फ़ धीरे से फुसफुसा, "धीरे कीजिए ना दर्द हो
रहा है," सच में एक यादगार रात थी." अमित ने हमे बताया.
"और तुम क्या कहना चाहती हो मोना?" अनु ने पूछा.
"दीदी अब में अपनी नकली सुहागरात के बारे मे क्या कहूँ, आप तो सब
पहले से ही जानती है, आप तो सुहागरात मना भी चुकी हो." उसने
धीरे से कहा.
"शुक्रा है भगवान का इसे हक़ीकत का पता नही," मेने मन ही मन
कहा.
"फिर भी बताओ तुम्हे कैसा लगा?" अनु ने पूछा.
"श दीदी सही मे जन्नत का मज़ा आ गया, सुमित सर एक दम दूल्हे की
तरह मुझसे पेश आए. इतने प्यार से और अप्नत्व से इन्होने सब
किया," मोना ने बताया, "काश जिस दिन इन्होने पहली बार हमारी
कुँवारी चूत फाडी थी ऐसा ही प्यार और अप्नत्व दीखया होता."
"सॉरी मोना डार्लिंग," सुमित ने माफी माँगते हुए कहा, "तुम्हे तो पता
था कि उस दिन हालत और महॉल कैसा था."
"मुझे पता है, इसलिए कोई शिकायत नही है," मोना ने जवाब
दिया, "हां और इस बात की खुशी मुझे जिंदगी भर रहेगी कि नकली
ही सही मेने भी सुहागरात मनाई है."
मैं कुछ ज़्यादा ही एमोशनल हो रही थी इसलिए बात को बदलने के
लिए मेने मोना से फिर पूछा, "कहीं इन्होने तेरी गांद तो नही
मारी?
"ये तो मारना चाहते थे लेकिन मेने मना कर दिया." मोना ने हंसते
हुए कहा.
"कल नही मारी तो क्या हुआ, अब तो मार सकता हूँ," सुमित ने उसे बाहों
मे भरते हुए कहा.
"मना किसने किया है, स्वागत है आपका." मोना वहीं कुर्सी के सहारे
घोड़ी बनती हुई बोली.
"भैया इसकी गांद शाम तक का इंतेज़ार कर सकती है लेकिन ऑफीस
मे आने वाले हमारे ग्राहक हमारा इंतेज़ार नही करेंगे." अमित ने
कहा. "हमे तुरंत ऑफीस के लिए रवाना हो जाना चाहिए नही तो
लेट हो जाएँगे."
इसी तरह मस्ती और मज़े करते हुए समय गुज़रता गया. करीब तीन
महीने बाद मुझे सीमा दीदी का फोन आया ये बताने के लिए कि वो
दोनो शर्तें पूरी करने को तय्यार है.
"दीदी क्या कुँवारी चूत का इंतेज़ाम हो गया?" मेने पूछा.
"हां हो गया है." माला दीदी ने जवाब दिया.
"कौन हैं वो?" अनु ने पूछा.
"वो सब हम फोन पर नही बता सकते," सीमा दीदी ने हंसते हुए
अखा, "पर तुम्हारी जल्दी ही उनसे मुलाकात होगी."
उस दिन शाम को हमने ये खुश खबरी हमारे पतियों को सुनाई.
"वाउ क्या बात है, अब जल्दी से बताओ कि कब और कहाँ हमे मिलना
होगा उनसे?" अमित ने पूछा.
'आइ कान'ट टेल यू ऑन दा फोन,' मधु दीदी ने कहा, 'बट यू विल
मीट देम सून एनफ.' दट ईव्निंग, वी गेव दा गुड न्यूज़ टू अवर
हज़्बेंड्स.
'ग्रेट, वेन आंड वेर?' अमित इंक्वाइयर्ड.
"जीजू ने शिमला मे एक बुंगलोव किराए पर लिया है. वो चाहते है कि
हम इस महीने की 30 तारीख को वहाँ पहुँच जाएँ." मैने उन्हे बताया.
"शिमला ही क्यो, वो यहाँ भी आ सकते थे या फिर हमे अपने यहाँ
बुला लेते." सुमित ने कहा.
"मेने पूछा नही." मेने जवाब दिया, "होगा कोई कारण या फिर उनकी
मजबूरी, तुम कहो तो में उनसे पूछ सकती हूँ."
"नही इसकी कोई ज़रूरत नही है, बस उन्हे हमारा धन्यवाद देना और
कहना कि हम ठीक दिन पहुँच जाएँगे." अमित ने कहा
दो हफ्ते बाद जब हम हमारा शिमला जाने के प्रोग्राम की तय्यरी कर
रहे थे, अमित ने कहा, "देखो हमे ऑफीस का कोई ज़रूरी काम आ
गया और हम तुम दोनो के साथ नही जा पाएँगे, लेकिन हां हम ठीक
30 को वहाँ पहुँच जाएँगे सो तुम दोनो पहले चले जाओ और अपने
साथ मोना और रीमा को भी ले जाओ."
"तुम्हे लगता है कि इन्हे हमारे साथ ले जाना ठीक रहेगा." अनु ने
कहा, "वहाँ तुम हमारी बहनो की चुदाई भी करने वाले हो."
"इसमे क्या हर्ज़ है, कभी ना कभी तो इन दोनो को सब कुछ मालूम
पड़ने ही वाला है, तो क्यँ ना आज ही पड़ जाए." सुमित ने कहा, "और
याद है ना कि तुम्हारे प्यारे जीजू और जीजाजी हमे तोहफे मे कुँवारी
चूत देने वाले है तो हम भी इन दोनो को रिटर्न गिफ्ट मे उन्हे दे
देंगे."
"क्या मोना और रीमा को बुरा नही लगेगा कि तुमने अपने ही अंजान
रिश्तेदारों के हाथ मे उन्हे सोंपने दिया चुदवाने के लिए." मेने
अपनी चिंता जताई.
"अरे कुछ बुरा नही लगेगा, बल्कि वो दोनो तो खुश हो जाएँगी की
उन्हे दो नये लंड मिल गये चुद्वने के लिए, लेकिन तुमने फिर भी
अपनी चिंता जताई है इसलिए बेहतर होगा कि हम उसने पहले ही पूछ
लें" अमित ने कहा और उन्हे आवाज़ लगाई.
जब वो दोनो कमरे मे आई तो सुमित ने उन्हे सब कुछ विस्तार से समझा
दिया कि वो क्या और क्यों करना चाहते है.
"हम ये जानना चाहते है कि क्या तुम दोनो तय्यार हो?" अमित ने उन दोनो
से पूछा.
|
|
07-26-2018, 02:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
पहले तो दोनो ने शरम के मारे नज़रें झुका ली. "हम वही करेंगी
जो हमे दीदी कहेंगी," वो दोनो धीरे से बदबूदाई. लेकिन उनकी
आँखों की चमक ने बता दिया कि वो दोनो बहोत खुश थी.
"तुम दोनो बहोत शैतान हो?" मेने कहा, "तुम दोनो सब कुछ मुझे
पर ही क्यों डाल देती हो. मैं जानती हूँ कि दोनो नये लंड से
चुदवाने के ख़याल ने ही तुम्हारी चूत को गील कर दिया है, लाओ
में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत गीली हुई है कि नही."
"नही दीदी नही....." कहकर वो दोनो वापस किचन मे भाग गयी.
"हम सब सफ़र कैसे करेंगे? क्या ट्रेन से." अनु ने पूछा.
"ट्रेन से सफ़र करने की कोई ज़रूरत नही है." सुमित ने
कहा, "ड्राइवर तुम सभी को क्वायलिस मे ले जाएगा और वहाँ छोड़ कर
वापस आ जाएगा. फिर हम उसके साथ तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे."
"जिस सुबह हमे रवाना होना था सुमित ने हमसे कहा, "देवियों जब
तक हम ना कहे तुम दोनो अपने जीजू और जीजाजी से नही चुद्वओगि.'
"बिल्कुल नही में वादा करती हूँ." मैने कहा.
"में भी वादा करती हूँ." अनु ने पाने सिर पर हाथ रख कर कहा.
"और हां इन लंड की भूकियों पर भी नज़र रखना." अमित ने अखा.
"इसकी तुम चिंता मत करो, हम ध्यान रखेंगे." अनु ने कहा..
हम शाम को 6.00 बजे उस बुंगलोव पर पहुँच गये जो जीजाजी ने
किराए पर लिया था. बुंगलोव सहर से करीब एक घंटे के रास्ते पर
था.
एक दूसरे से मिलने के बाद हमारी बहने हमे बुंगलोव दीखाने लगी.
"ये हमारा बेडरूम है." मेने देखा कि उसमे चार पलंग थे.
"तो अब आप खुले आम सब कोई साथ साथ सोते हो?" मैने हंसते हुए
कहा.
"नही ऐसी कोई बात नही है," माला दीदी ने जवाब दिया, "असल मे इन
बंग्लॉ मे तीन ही बेडरूम है. और हर बेडरूम मे चार चार पलंग
है, तुम चारों को भी एक ही कमरे मे रहना होगा क्यों कि तीसरा
कमरा नौकरानियों का होगा."
"ओह दीदी हमे कोई प्राब्लम नही है" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा.
"ओह... तो तुम लोग भी....." सीमा दीदी ने कहा, "कब से चल रहा
है ये सब?"
"दीदी यही कोई कुछ महीनो से." मेने जवाब दिया.
"चलो पहले कुछ चाइ नाश्ता कर लेते है फिर बात करते है."
माला दीदी ने कहा.
"तुम दोनो खुश तो हो ना?" सीमा दीदी ने कहा.
"हां दीदी," मेने कहा और फिर उन्हे सब कुछ विस्तार से बता दिया.
"तो ये मोना और रीमा है." दीदी ने पूछा.
"हां दीदी." अनु ने जवाब दिया
"तुम्हे इन्हे अपने साथ नही लाना चाहिए था, मुझे तो लगता है कि
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.
"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.
"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.
"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"
"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."
"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."
"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.
"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."
"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"
|
|
07-26-2018, 02:20 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--8
अमित ने अपना दबाव बढ़ाया और मुझे ऐसा महसूस हुआ की उसका लंड
मेरी गंद की दीवारों को चीर रहा है.
"ऑश माआआ" में सिसक पड़ी.
"येयी गया," चिल्लाते हुए अमित ने एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा
लंड एक ही झटके मे मेरी गंद मे घुसा दिया.
"ओह मर गयी......." में दर्द के मारे ज़ोर से चिल्ला
उठी, "भगवान के लिए अमित क्या मुझे जान से मार डालने का इरादा
है."
"सॉरी सूमी मेरी जान," अमित ने माफी माँगते हुए कहा, "जोश जोश मे
मुझे ख़याल नही रहा, में भूल गया था कि सुमित का लंड भी
तुम्हारी चूत के अंदर घुसा हुआ है."
फिर दोनो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे. थोड़ी देर मे मुझे
चूत और गंद दोनो छेदों मे मज़ा आने लगा.
"ऑश अमित जिसने भी वो कहानी लिखी थी सही मे जवाब नही.....
ऑश हाआअँ चोदो दोनो मुझे चूओड़ो हाा ज़ोर से ऑश."
मेरी जान वो कहानी राज शर्मा की है
मेरी सिसकियों को सुन दोनो मे जोश आ गया. सुमित नीचे से ज़ोर ज़ोर
से अपनी गंद उपर कर धक्के मारने लगा और अमित पीछे से ज़ोर के
धक्के मार रहा था.
"हाँ चोदो ऐसे ही चोदो, आअज तो तुम दोनो ने मुझे जन्नत का
मजा दे दिया... हां और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और तेज श
मेरा तो छूटने वाला है और ज़ोर से.." जोरों से सिसकते हुए मेरी
चूत ने पानी छोड़ दिया.
दो तीन धक्के मार अमित ने अपना वीर्या मेर गंद मे छोड़ दिया और
सुमित ने अपना मेरी चूत मे
'सूमी क्या सही मे बहोत मज़ा आया," जब हमारी साँसे थोड़ी संभली
तो अनु ने पूछा.
"मुझे पता नही," मेने हंसते हुए कहा, "एक बारऔर इस तरह चुदवा
लूँ फिर ही बता सकती हूँ कि कैसा लगा."
"दीदी, लगता है सूमी दीदी को बहोत मज़ा आया है." मोना बोली.
"हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," अनु ने कहा, "नही सूमी अब
मेरी बारी है और में दो लंड से चुदवाउन्गि."
"सॉरी अनु आज नही हम दोनो ये फ़ैसला किया है कि दोहरी चुदाई दिन
में एक बार ही करेंगे." सुमित ने कहा.
"अब ये तो कोई बात नही हुई.... हम क्या करेंगे?" अनु ने शिकायत
करते हुए कहा.
"हमने तो तुम्हे मौका दिया था लेकिन तुमने फ़ायदा नही उठाया इसमे
हमारी क्या ग़लती है? अब तो तुम्हे कल तक के लिए रूकना पड़ेगा."
अमित ने कहा.
अब हम इसी तरह मस्ती करते हुए दिन गुज़र रहे थे. हफ्ते के आख़िर
हम सब घर पर रह कर आराम करते और साथ ही मज़ा करते. अक्सर
घर मे रहते हुए हम कपड़े नही पहनते थे. ऐसे ही एक रविवार की
शाम हम सब हाथ मे बियर का ग्लास लिए बैठे थे. दोनो
नौकरानिया भी हमारी तरह नंगी ही थी और उन्होने कोक की बॉटल
हाथ मे ले रखी थी.
मेने देखा कि अमित रीमा को देखते हुए अपने लंड को मसल रहा था.
अचानक रीमा नीचे झुक कर ग्लाब की पंखुड़ियों को उठाने लगी जो
नीचे गिर गयी थी.
रीमा की फूली गंद देख कर अमित उछल पड़ा और उसे पीछे से
पकड़ लिया, "अभी तो में इसकी गंद मारूँगा."
अचानक ना जाने रीमा को क्या हुआ उसने अमित को धक्का देते हुए अपने
से दूर कर दिया लौर चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे
छूने की?"
अमित और हम चारों रीमा का ये व्यवहार देख कर हैरान रह गये
थे, की आज इसे क्या हो गया. हमने उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा दूर
खड़ी मुस्कुरा रही थी.
"भाई ये नाटक कर रही है," सुमित ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम
इसे मनाओ."
अमित ने अपनी गर्दन हिलाई और रीमा को अपनी बाहों मे भर
लिया, "डार्लिंग क्यों नखरे दीखा रही हो? चलो मज़ा करते है."
"तुम्हे शरम नही आती इस तरह पराई औरतों को छेड़ते हुए?" रीमा
ने अपने आप को अमित से छुड़ाया और अपने कूल्हे मतकती हुई उससे दूर
चली गयी.
"अमित मुझे लगता है कि ये चाहती है की तुम इसके साथ ज़बरदस्ती
करो." सुमित ने हंसते हुए कहा.
"फिर तो आज इसकी इच्छा पूरी होकर रहेगी." अमित रीमा की ओर बढ़ते
हुए बोला.
रीमा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो जोरों से चिल्लती हुई
कमरे मे भागने लगी, "अरे कोई इस बदमाश से मुझे बचाओ.. कोई तो
मेरी मदद करो.... ये बदमाश मुझे चोदना चाहता है... प्लीज़ कोई
तो मदद कर दो..."
फिर पकड़ा पकड़ी का खेल शुरू हो गया. आख़िर दस मिनिट तक इधर
से उधर भागने के बाद रीमा अमित के हाथ लग ही गयी.
अमित ने जोरों से उसे बाहों मे भींचा और उसकी चुचियों को रगड़ते
हुए बोला, "देख हरमज़ड़ी अब में तुझे कैसे चोदता हूँ, अगर आज
चोद चोद के तेरी चूत और गंद ना फाड़ दी तो कहना, साली कई
दिन तो ठीक से चल भी नही पाएगी."
रीमा किसी जल मे फाँसी मछली की तरह फड़फदाई और जोरों से
चिल्लाने लगी, 'छोड़ दे मुझे बदमाश , अगर चोदना ही तो जा कर
अपन मा बेहन को चोद जाकर."
थोड़ी देर मे हमे लगा कि जिसे हम मज़ाक समझ रहे थे वो मज़ाक
नही था, रीमा सही मे अपने आपको अमित से छुड़ाने की कोशिश कर
रही थी.
और अमित का तो हाल बुरा था, उत्तेजना और जोश मे उसका चेहरा और
लंड दोनो लाल हो चुके थे. लंड था कि और तनता ही जा रहा था.
काफ़ी छीना झपटी के बाद अमित रीमा को ज़मीन पर लीटाने मे सफल
हो गया. लेकिन वो जितना रीमा के उपर आकर उसकी टाँगो को फैलाने की
कोशिश करता रीमा किसी ना क्सि तरह उसे अपने उपर से हटा देती.
लेकिन विरोध करते करते रीमा थक गयी और उसके हाथ पाँव ढीले
पड़ने लगे. आख़िर अमित उसकी टाँगो को फैलाने मे कामयाब हो गया.
उसने उसकी चुचियों को पकड़ा और एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी
चूत मे गुसा दिया.
"ऑश मार गयी..... मुझे जाने दे बादमाअश" रीमा जोरों से दर्द के
मारे कराह उठी.
लेकिन अमित ने उसकी करहों पर कोई ध्यान नही दिया और ज़ोर ज़ोर से
उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करता रहा. रीमा गिड़गिदने लगी
की वो उसे छोड़ दे.
अमित था की वो उसकी टाँगो को और फैला ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा
था, "ले रांड़ ले मेरे लंड को, क्या कहा था तूने की में अपनी मा
बेहन को चोदु देख अब में तेरी चूत की क्या हालत करता हूँ ले
रंडी मेरे लंड को."
थोड़ी ही देर मे रीमा की हाथ पाँव ढीले पड़ गये और उसकी कमर
अमित का साथ देने लगी. में समाझगाई की उसकी चूत पानी छोड़ने
वाली है. दो तीन धक्कों मे ही वो ज़ोर की सिसकारी भरते ही झाड़
गयी. अमित भी ज़ोर के धक्के मार झाड़ गया.
अमित के झाड़ते ही रीमा ने उसके चेहरे को हाथो मे ले लिया, थॅंक
यू सर, मज़ा आ गया," कहकर वो उसे बेतहाशा चूमने लगी.
"रीमा ये सब क्या था," अनु ने उससे पूहा.
"वो दीदी क्या है ना में हमेशा सोचा करती थी कि कोई मेरे साथ
ज़बरदस्ती करे और बलात्कार के वक़्त कैसा महसूस होता है में ये
जानना चाहती थी, और आज मुझे पता चल गया कि कभी कभी
ज़बरदस्ती मे भी मज़ा आता है." रीमा ने जवाब दिया.
"ऐसा था तो तूने हमे पहले क्यों नही बताया?" मेने पूछा.
"दीदी अगर बता देती तो शायद हक़ीकत वाला मज़ा ना आता." रीमा ने
कहा.
"ये शायद सही कह रही है." मोना ने कहा, "लेकिन रीमा जब अमित
सर ने अपना लंड तेरी चूत मे घुसाया तो तू चीख क्यों पड़ी."
"वो क्या है ना, जब भी कुँवारी चूत मे लॉडा घुसता है तो लड़की
चीख ही पड़ती है ना." रीमा ह्नस्ते हुए बोली.
रीमा ने इस भोले पन से मुँह बनाते हुए कहा था कि हम सभी
हँसने लगे.
"मोना क्या तुम भी चाहोगी रीमा की तरह अपना बलात्कार करवाना? सुमित
ने पूछा.
"नही सर, ये रीमा को ही मुबारक हो." मोना ने जवाब दिया, "हां
अगर आप मुझे चोदना चाहते है तो चोद सकते है."
"वो तो हमेशा में तुम्हे चोदना चाहता हूँ," सुमित उसे बाहों मे
भरते हुए बोला.
"सुमित एक मिनिट रूको," अनु ने कहा, "मोना तुम्हारा कोई सपना या फिर
ऐसा कोई ख्याल जो तुम पूरा करना चाहती हो?"
"हाँ एक सपना है, में बचपन से ही एक सपना देखती आई हू मोना ने
कहा, " कि मुझे दुल्हन की तरह सजाया जाए, मेरी शादी हो रही
है और में अपनी कुँवारी चूत अपने पति से चुदवा रही हूँ, लेकिन
शायद ये सब अब एक सपना ही रह जाएगा."
"नही ये सपना नही रहेगा," मेने कहा, "अमित और सुमित तुम्हारा
कुँवारा पन तो नही लौटा सकते लेकिन हां आज तुम्हारा बाकी का
सपना ज़रूर पूरा होगा."
शाम को हम मोना को एक ब्यूटी पार्लर मे ले गये जो कि दुल्हन के
मेक उप के लिए फाओमौस था. रीमा को हमने ठीक किसी दुल्हन की तरह
सज़ा कर तय्यार कर दिया. नया दुल्हन का जोड़ा, गहने सभी कुछ
हमने उसे पहना दिया. हम बाकी भी ऐसे तय्यार हो गयी जैसे की किसी
शादी मे जा रही हों.
|
|
|