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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
रात के ठीक डूस बजे हम मोना को हमारे पति की पास ले गयी. सुमित
शेरवानी पहन कर ठीक किसी दूल्हे की तरह लग रहा था और अमित ने
शानदार सूट पहना हुआ था.
"कहिए हमारी दुल्हन कैसी लग रही है?" अनु ने मोना का घूँघट
थोड़ा उपर करते हुए पूछा.
"हे भगवान ऐसा लग रहा है जैसे की आसमान से कोई अप्सरा उत्तर
कर आ गयी हो," अपनी साँसे संभाले अमित मोना के पास आया. "मोना
तुम तो बहोत ही सुंदर लग रही हो."
"भाई अपने आप को संभलो." सुमित हंसते हुए बोला, ये मेरी दुल्हन
है, इसे हाथ भी मत लगाना."
फिर मेने और अनु ने मिलकर मोना की शादी सुमित के साथ नकली रूप
मे करा दी. फिर विदाई भी हुई और मोना इस कदर फूट फूट कर
रोई जैसे की सही मे उसकी बिदाई हो रही हो.
फिर हम मोना को उसके सुहागरात के कमरे मे ले गये जिसे हमने फूलों
और गुब्बारों से अछी तरह सजाया था और उसे पलंग पर बिठा दिए
जिसपर गुलाब की पंदखुड़िया बिछी हुई थी.
"सुमित अब तुम जा सकते हो? अनु ने कहा, "तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा
इंतेज़ार कर रही है."
जैसे ही सुमित ने कमरे मे घुस कर दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की
मेने चिल्ला पड़ी, "रुक जाओ, हम भी आ रहे है."
सुमित चौंक कर बोला, "तो क्या तुम हमारी सुहागरात देखना चाहती
हो?"
"और नही तो क्या? अनु ने जवाब दिया, "तुम्हे कोई ऐतराज़ है क्या?
"मुझे तो कोई ऐतराज़ नही है, लेकिन बेहतर होगा कि आप लोग आज रात
की दुल्हन से पूछ लें." सुमित ने कहा
"मोना प्लीज़ क्या हम देख सकते है?" मेने उससे आग्रह करते हुए
कहा, हम तो सिर्फ़ ये देखना चाहते है कि सुहागरात की रात ये तुमसे
ठीक से बर्ताव करता है कि नही और कहीं ये तुम्हारी गंद ना मार
दे."
"लड़किया तुम सब पागल हो गयी हो." अमित ने हमे बीच मे टोकते हुए
कहा, "सुहागरात को लोगों की आपस की और पर्सनल रात होती है,
में तो कहूँगा कि तुम सब इन्हे अकेला छोड़ दो.."
"थॅंक यू सर," मोना ने धीरे से कहा.
हमे अक्चा तो नही लगा लेकिन अमित का तर्क भी सही था, इसलिए हम
सब वहाँ से बाहर आ गये.
दूसरी सुबह हमने अमित से पूछा, "तो रात कैसी गुज़री?"
"ऑश में बता नही सकता, मोना वाकई मे लाजवाब है, नई नवेली
दुल्हन की तरह शरमाती रही. जब मेने उसके कपड़े उतारने चाहे तो
शर्मा कर सिमट गयी. जब उसकी चूत मे लंड घुसना चाहा तो ऐसे
शरमाई जैसे की पहली बार लंड ले रही है. जब लंड घुसा तो दर्द
से चिल्लई नही सिर्फ़ धीरे से फुसफुसा, "धीरे कीजिए ना दर्द हो
रहा है," सच में एक यादगार रात थी." अमित ने हमे बताया.
"और तुम क्या कहना चाहती हो मोना?" अनु ने पूछा.
"दीदी अब में अपनी नकली सुहागरात के बारे मे क्या कहूँ, आप तो सब
पहले से ही जानती है, आप तो सुहागरात मना भी चुकी हो." उसने
धीरे से कहा.
"शुक्रा है भगवान का इसे हक़ीकत का पता नही," मेने मन ही मन
कहा.
"फिर भी बताओ तुम्हे कैसा लगा?" अनु ने पूछा.
"श दीदी सही मे जन्नत का मज़ा आ गया, सुमित सर एक दम दूल्हे की
तरह मुझसे पेश आए. इतने प्यार से और अप्नत्व से इन्होने सब
किया," मोना ने बताया, "काश जिस दिन इन्होने पहली बार हमारी
कुँवारी चूत फाडी थी ऐसा ही प्यार और अप्नत्व दीखया होता."
"सॉरी मोना डार्लिंग," सुमित ने माफी माँगते हुए कहा, "तुम्हे तो पता
था कि उस दिन हालत और महॉल कैसा था."
"मुझे पता है, इसलिए कोई शिकायत नही है," मोना ने जवाब
दिया, "हां और इस बात की खुशी मुझे जिंदगी भर रहेगी कि नकली
ही सही मेने भी सुहागरात मनाई है."
मैं कुछ ज़्यादा ही एमोशनल हो रही थी इसलिए बात को बदलने के
लिए मेने मोना से फिर पूछा, "कहीं इन्होने तेरी गांद तो नही
मारी?
"ये तो मारना चाहते थे लेकिन मेने मना कर दिया." मोना ने हंसते
हुए कहा.
"कल नही मारी तो क्या हुआ, अब तो मार सकता हूँ," सुमित ने उसे बाहों
मे भरते हुए कहा.
"मना किसने किया है, स्वागत है आपका." मोना वहीं कुर्सी के सहारे
घोड़ी बनती हुई बोली.
"भैया इसकी गांद शाम तक का इंतेज़ार कर सकती है लेकिन ऑफीस
मे आने वाले हमारे ग्राहक हमारा इंतेज़ार नही करेंगे." अमित ने
कहा. "हमे तुरंत ऑफीस के लिए रवाना हो जाना चाहिए नही तो
लेट हो जाएँगे."
इसी तरह मस्ती और मज़े करते हुए समय गुज़रता गया. करीब तीन
महीने बाद मुझे सीमा दीदी का फोन आया ये बताने के लिए कि वो
दोनो शर्तें पूरी करने को तय्यार है.
"दीदी क्या कुँवारी चूत का इंतेज़ाम हो गया?" मेने पूछा.
"हां हो गया है." माला दीदी ने जवाब दिया.
"कौन हैं वो?" अनु ने पूछा.
"वो सब हम फोन पर नही बता सकते," सीमा दीदी ने हंसते हुए
अखा, "पर तुम्हारी जल्दी ही उनसे मुलाकात होगी."
उस दिन शाम को हमने ये खुश खबरी हमारे पतियों को सुनाई.
"वाउ क्या बात है, अब जल्दी से बताओ कि कब और कहाँ हमे मिलना
होगा उनसे?" अमित ने पूछा.
'आइ कान'ट टेल यू ऑन दा फोन,' मधु दीदी ने कहा, 'बट यू विल
मीट देम सून एनफ.' दट ईव्निंग, वी गेव दा गुड न्यूज़ टू अवर
हज़्बेंड्स.
'ग्रेट, वेन आंड वेर?' अमित इंक्वाइयर्ड.
"जीजू ने शिमला मे एक बुंगलोव किराए पर लिया है. वो चाहते है कि
हम इस महीने की 30 तारीख को वहाँ पहुँच जाएँ." मैने उन्हे बताया.
"शिमला ही क्यो, वो यहाँ भी आ सकते थे या फिर हमे अपने यहाँ
बुला लेते." सुमित ने कहा.
"मेने पूछा नही." मेने जवाब दिया, "होगा कोई कारण या फिर उनकी
मजबूरी, तुम कहो तो में उनसे पूछ सकती हूँ."
"नही इसकी कोई ज़रूरत नही है, बस उन्हे हमारा धन्यवाद देना और
कहना कि हम ठीक दिन पहुँच जाएँगे." अमित ने कहा
दो हफ्ते बाद जब हम हमारा शिमला जाने के प्रोग्राम की तय्यरी कर
रहे थे, अमित ने कहा, "देखो हमे ऑफीस का कोई ज़रूरी काम आ
गया और हम तुम दोनो के साथ नही जा पाएँगे, लेकिन हां हम ठीक
30 को वहाँ पहुँच जाएँगे सो तुम दोनो पहले चले जाओ और अपने
साथ मोना और रीमा को भी ले जाओ."
"तुम्हे लगता है कि इन्हे हमारे साथ ले जाना ठीक रहेगा." अनु ने
कहा, "वहाँ तुम हमारी बहनो की चुदाई भी करने वाले हो."
"इसमे क्या हर्ज़ है, कभी ना कभी तो इन दोनो को सब कुछ मालूम
पड़ने ही वाला है, तो क्यँ ना आज ही पड़ जाए." सुमित ने कहा, "और
याद है ना कि तुम्हारे प्यारे जीजू और जीजाजी हमे तोहफे मे कुँवारी
चूत देने वाले है तो हम भी इन दोनो को रिटर्न गिफ्ट मे उन्हे दे
देंगे."
"क्या मोना और रीमा को बुरा नही लगेगा कि तुमने अपने ही अंजान
रिश्तेदारों के हाथ मे उन्हे सोंपने दिया चुदवाने के लिए." मेने
अपनी चिंता जताई.
"अरे कुछ बुरा नही लगेगा, बल्कि वो दोनो तो खुश हो जाएँगी की
उन्हे दो नये लंड मिल गये चुद्वने के लिए, लेकिन तुमने फिर भी
अपनी चिंता जताई है इसलिए बेहतर होगा कि हम उसने पहले ही पूछ
लें" अमित ने कहा और उन्हे आवाज़ लगाई.
जब वो दोनो कमरे मे आई तो सुमित ने उन्हे सब कुछ विस्तार से समझा
दिया कि वो क्या और क्यों करना चाहते है.
"हम ये जानना चाहते है कि क्या तुम दोनो तय्यार हो?" अमित ने उन दोनो
से पूछा.
पहले तो दोनो ने शरम के मारे नज़रें झुका ली. "हम वही करेंगी
जो हमे दीदी कहेंगी," वो दोनो धीरे से बदबूदाई. लेकिन उनकी
आँखों की चमक ने बता दिया कि वो दोनो बहोत खुश थी.
"तुम दोनो बहोत शैतान हो?" मेने कहा, "तुम दोनो सब कुछ मुझे
पर ही क्यों डाल देती हो. मैं जानती हूँ कि दोनो नये लंड से
चुदवाने के ख़याल ने ही तुम्हारी चूत को गील कर दिया है, लाओ
में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत गीली हुई है कि नही."
"नही दीदी नही....." कहकर वो दोनो वापस किचन मे भाग गयी.
"हम सब सफ़र कैसे करेंगे? क्या ट्रेन से." अनु ने पूछा.
"ट्रेन से सफ़र करने की कोई ज़रूरत नही है." सुमित ने
कहा, "ड्राइवर तुम सभी को क्वायलिस मे ले जाएगा और वहाँ छोड़ कर
वापस आ जाएगा. फिर हम उसके साथ तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे."
"जिस सुबह हमे रवाना होना था सुमित ने हमसे कहा, "देवियों जब
तक हम ना कहे तुम दोनो अपने जीजू और जीजाजी से नही चुद्वओगि.'
"बिल्कुल नही में वादा करती हूँ." मैने कहा.
"में भी वादा करती हूँ." अनु ने पाने सिर पर हाथ रख कर कहा.
"और हां इन लंड की भूकियों पर भी नज़र रखना." अमित ने अखा.
"इसकी तुम चिंता मत करो, हम ध्यान रखेंगे." अनु ने कहा..
हम शाम को 6.00 बजे उस बुंगलोव पर पहुँच गये जो जीजाजी ने
किराए पर लिया था. बुंगलोव सहर से करीब एक घंटे के रास्ते पर
था.
एक दूसरे से मिलने के बाद हमारी बहने हमे बुंगलोव दीखाने लगी.
"ये हमारा बेडरूम है." मेने देखा कि उसमे चार पलंग थे.
"तो अब आप खुले आम सब कोई साथ साथ सोते हो?" मैने हंसते हुए
कहा.
"नही ऐसी कोई बात नही है," माला दीदी ने जवाब दिया, "असल मे इन
बंग्लॉ मे तीन ही बेडरूम है. और हर बेडरूम मे चार चार पलंग
है, तुम चारों को भी एक ही कमरे मे रहना होगा क्यों कि तीसरा
कमरा नौकरानियों का होगा."
"ओह दीदी हमे कोई प्राब्लम नही है" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा.
"ओह... तो तुम लोग भी....." सीमा दीदी ने कहा, "कब से चल रहा
है ये सब?"
"दीदी यही कोई कुछ महीनो से." मेने जवाब दिया.
"चलो पहले कुछ चाइ नाश्ता कर लेते है फिर बात करते है."
माला दीदी ने कहा.
"तुम दोनो खुश तो हो ना?" सीमा दीदी ने कहा.
"हां दीदी," मेने कहा और फिर उन्हे सब कुछ विस्तार से बता दिया.
"तो ये मोना और रीमा है." दीदी ने पूछा.
"हां दीदी." अनु ने जवाब दिया
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"तुम्हे इन्हे अपने साथ नही लाना चाहिए था, मुझे तो लगता है कि
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.
"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.
"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.
"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"
"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."
"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."
"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.
"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."
"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"
मर्दों की दुनिया पार्ट--8
एक मिनिट रूको." सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा, फिर उन्होने घंटी
बजाई.
थोड़ी देर बाद एक 18 साल की नेपाली लड़की कमरे मे आई. वो इतनी
सुंदर तो नही थी लेकिन फिर भी उसके नाक नक्श काफ़ी कटीले थे.
रंग गोरा. 5"2 इंच लंबी और छोटी लेकिन नारंगी जैसे चुचियों.
"मेडम आपने बुलाया?" उसने कहा.
"हां सोना, ये मेरी बहने है. अनु और सूमी अपने पति के साथ कुछ
दिन हमारे यहाँ ही रहेंगी. ये दोनो इनकी नौकरणिया है मोना और
रीमा.
नौकरानियों को किचन मे ले जाकर इन्हे चाइ नाश्ता दो फिर इन्हे
अपना कमरा दीखा दो, ये तुम्हारे साथ रहेंगे.
"ठीक है मालकिन." सोना ने कहा.
"ज़रा टीना से कहना कि यहाँ चाइ दे जाए," माला दीदी ने उसे
हुकुम दिया.
"जैसा आप कहें मालकिन." कहकर वो हमारी नौकरानियों को साथ
लेकर कमरे से चली गयी.
"मेने इस लड़की को पहले कहीं देखा है." मेने अपने दीमाग पर ज़ोर
देते हुए कहा, "लेकिन याद नही आ रहा."
"तुमने इसे मेरी शादी मे देखा होगा," अनु ने कहा, "ये माला दीदी की
नौकरानी है."
"ऑश हाँ अब याद आया," मेने कहा, "लेकिन क्या इसे पता है कि इसे
यहाँ क्यों लाया गया है."
"हां इसे पता है कि इसे यहाँ इसकी चूत फादवाने के लिए लाया
गया है," माला दीदी ने कहा, "लेकिन ये समझती है कि इसकी कुँवारी
चूत विजय फड़ेगा."
"लेकिन इसे ऐसा क्यों लग रहा है इसकी चूत जीजाजी फाड़ेंगे." अनु
ने पूछा.
"ये एक लंबी कहानी है." माला दीदी ने कहा.
"दीदी प्लीज़ सुनाए ना." अनु ने कहा.
"अभी नही बाद मे सुनाउन्गि, पहले तुम दोनो टीना से मिल लो," सीमा
दीदी ने कहा, "वो अभी आती ही होगी."
तभी हमे एक मधुर आवाज़ सुनाई दी."मेडम प्लीज़ ज़रा दरवाज़ा खोल
दीजिए मेरे दोनो हाथ भरे हुए है."
"वो टीना ही होगी, ज़रूर चाइ लेकर आई होगी," माला दीदी ने
कहा, "सूमी ज़रा दरवाज़ा तो खोलना."
जब मेने दरवाज़ा खोला तो एक पल के लिए मेरी आँखे पथरा गयी.
टीना इतनी सुन्दर थी कि में क्या बताउ. कमरे मे हम सब मे वही
सबसे सुंदर थी. वो सोना की ही उम्र की होगी पर उससे उमर मे छोटी
दीख रही थी. गोल गोल मासूम आँखे, लंबे काले बाल इतना सुडौल
जिस्म की माँस नाम मात्र का भी उसके बदन पर नही था. बड़ी और
भारी भारी चुचिया, अगर उसे मौका मिले तो ज़रूर वर्ल्ड मिस
कॉंटेस्ट जीत सकती थी.
सीमा दीदी ने उससे हमारा परिचय कराया और उससे कहा की हमारे
पति कल आएँगे. उसने हम सभी को नमस्ते किया और चाइ देने के
बाद कमरे से चली गयी.
"सीमा दीदी तुम्हारी टीना तो बहोत ही सुन्दर है, कहाँ से मिल गयी
ये?" मेने पूछा.
"तुम्हारी शादी के बाद मेने अपनी पुरानी नौकरानी को निकाल दिया
था." सीमा दीदी ने जवाब दिया, "हर समय अपने दर्द के बारे मे ही
कहती रहती थी और सारा समय टी.वी देखती रहती थी."
"ये मिली कहाँ से" मेने फिर पूछा.
"दो दिन के बाद हमारे पड़ोसी ने इसे मेरे पास भेजा. में तो इसे
रखना ही नही चाहती थी कारण इसे कुछ भी नही आता था ना ही
खाना बनाना ना बचों की देखभाल करना," सीमा दीदी ने
कहा, "लेकिन तुम्हारे जीजू ने कहा की अगर कोई इसे काम पर नही
रखेगा तो इसे अनुभव कहाँ से आएगा," "लेकिन मुझे तो लगता है
कि तुम्हारे जीजू को इसकी सूरत और गाओं की कोरी चूत पसंद आ गयी
थी."
"दीदी ये इतनी सुंदर और प्यारी है कि मुझे तो डर लग रहा है कि
हमारे पति इसके लिए आपस मे झगड़ा ना करने लग जाए." अनु ने
खिलखिलते हुए कहा.
"झगड़ा करने से भी कुछ होने वाला नही है, क्योंकि टीना अपनी कोरी
चूत सुमित से ही फदवाएगी." सीमा दीदी ने खुलासा करते हुए कहा.
"सुमित ही क्यों अमित क्यों नही, वो तो दोनो से नही मिली है," अनु ने
थोड़ा जलन भरे स्वर मे कहा.
"इसके पीछे भी एक कहानी है," सीमा दीदी मुकुराते हुए बोली.
"फिर एक कहानी है, अछा चलिए बताइए क्या कहानी है?" मेने
कहा.
"वो तो में बता दूँगी लेकिन पहले माला से तो सुन ले कि सोना विजय
से ही क्यों चुदवाना चाहती है?" सीमा दीदी ने कहा.
"ये तुम्हारी शादी के एक हफ्ते बाद की बात है, जब हम घर
पहुँचे तो मेने देखा कि जब भी सोना कमरे मे होती थी तो विजय
उसे घूरता रहता था." माला दीदी ने कहानी सुनाते हुए कहा.
उस रात जब हम दोनो बिस्तर मे थे तो मेने विजय से कहा, "ये तुम
मर्दों को क्या हो जाता है जहाँ गोरी चॅम्डी देखी नही कि तुम लोगों
का लॉडा खड़ा हो जाता है."
"ऐसा कुछ नही है मेरी जान," विजय ने जवाब दिया, "ये गोरी चॅम्डी
के कारण खड़ा नही हो रहा है, बल्कि कोरी पहाड़ी लड़की की चूत
देख कर खड़ा हो रहा है, उपर से मेने आज तक किसी नेपाली लड़की
को नही चोदा है इसलिए खड़ा हो रहा है."
"क्या तुम उसे चोदना चाहते हो?" मेने विजय से सीधे सीधे पूछा.
"अरे मेरी जान मरा जा रहा हूँ उसे चोदने के लिए." उसने मेरा हाथ
अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा था, "देखो उसका नाम लेने से
लंड महाराज कैसे उछल रहे हैं."
"ठीक है में नही रोकती तुम्हे, जाओ और चोद दो उसे." मेने कहा.
"तुम्हे बुरा नही लगेगा ना," विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था. "सच मे जान मे इसी लिए तुम्हे दुनिया की सबसे अच्छी बीवी कहा
करता हूँ."
"बस.... बस अब मस्का लगाना छोड़ो. " मेने मुस्कुराते हुए
कहा, "लेकिन एक ही शर्त पर तुम उसे चोद सकते हो."
"ठीक कहो क्या शर्त है?' विजय ने कहा.
"में देखना चाहती हूँ कि तुम उसकी कोरी चूत को कैसे फाड़ते हो?"
मेने कहा.
"अरे तुम अपनी बात करती हो, तो देख सकती हो." विजय ने कहा, "और
चाहो तो अपनी कुछ सहलेलियों को बुला सकती हो देखने के लिए."
"नही में ही काफ़ी हूँ," मेने उससे कहा, "में नही चाहती कि बाद
मे तुम मेरी सहलेलियों को भी छोड़ो."
"वैसे तुम्हारा ख़याल बुरा नही है, तुम्हारी कुछ सहेलियाँ तो सही
मे पटका है....." विजय ने मेरे उपर चढ़ अपने लंड को मेरी चूत
मे घुसाते हुए कहा था.
ऑश लड़कियों में बता नही सकती की वो रात कैसे थी, कई दीनो के
बाद विजय ने मेरी चूत इतनी कस कर मारी थी, उस रात उनका लॉडा
झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. पता नही सोना का ख़याल था या
फिर मेरी सहेलियों का." मेने कहा.
"है दीदी कहीं जीजाजी ने सोना को चोद तो नही दिया?" अनु ने चिंता
करते हुए कहा.
"घबराव मत उन्होने अभी तक उसे चोदा नही है," मैने कहा, "वो
अभी भी कुँवारी है."
दूसरे दिन जब तुम्हारे जीजाजी काम पर से वापस आए तो मेने उन्हे
इशारा करते हुए कहा, "सोना किचन मे बर्तन धो रही है."
मेरा इशारा समझ तुम्हारे जीजाजी किचन मे गये और सोना को पीछे
से बाहों मे भर लिया, "सोना मे घर आ गया हूँ एक कप चाइ बना
दो." कहकर वो उसके गालों को चूमने लगे."
आगे की कहानी तुम्हारे जीजाजी की ज़ुबानी.
"श शाब, प्लीज़ ऐसा मत करिए, मेडम ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा," उसने फुसफुसते हुए कहा और मेरी पकड़ से छूटने की
कोशिश करने लाती.
"तुम्हारी मेडम कहाँ है?" मेने पूछा.
"अपने बेडरूम मे." सोना ने कहा.
"ठीक है चाइ वहीं लेकर आ जाओ." मेने उससे कहा.
कमरे मे पहुँच कर मेने माला को बताया कि किचन मे क्या हुआ
था. "ह्म्म्म तुमने ऐसा किया तो वो ना तो चिल्लाई ना ही तुम पर गुस्सा
हुई, सिर्फ़ तुम्हे मुझसे आगाह किया" माला ने कहा, "इसका मतलब समझते
हो?"
"हां बहोत अछी तरह से समझता हूँ," मेने हंसते हुए कहा, "इसका
मतलब है की तुम्हारी सहेलियों को मुफ़्त का प्राइवेट सेक्स शो देखने
को मिलने वाला है."
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है," माला भी हंसते हुए बोली.
"डार्लिंग में चाहता हूँ कि कल से में जब काम पर से वापस आयुं
तो तुम घर पर ना हो." मेने कहा.
"कहाँ जाउन्गि में?" माला ने पूछा.
"मुझे नही पता, शॉपिंग के लिए चली जाओ, या फिर सीमा के पास
चली जाओ बस तुम घर पर मत रहना." मैने कहा.
"सुझाव अक्चा है, शायद अजय भी तब ता घर पर आ चुका होगा."
माला ने हंसते हुए कहा.
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
दूसरे दिन जब में घर पहुँचा तो मेने सोना से पूछा, "माला
कहाँ है?" तो उसने कहा की अभी अभी बाहर गयी है. मेने उसे
तुरंत बाहों मे भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा
"श सहब मत करिए ना.." सोना ने विरोध किया, लेकिन ना तो उसने
अपने आप को मुझसे छुड़ाया और ना ही कुछ कहा.
थोड़ी देर उसे चूमने के बाद मेने कहा, "में हॉल मे बैठा हूँ,
चाइ वहीं ले आना."
सोना ने चाइ हॉल मे लाकर मुझे दे दी. में चाइ की सीप लेने लगा.
की तभी उसने पूछा, "साबजी चाइ कैसी बनी है?"
"बहुत अछी बनी है." मेने कहा और सुबह का अख़बार पढ़ने लगा.
वैसे में चाहता तो उसके साथ और आगे भी बढ़ सकता था लेकिन
कहीं वो डर ना जाए इसलिए मेने धीरे धीरे ही आगे बढ़ना उचित
समझा.
थोड़े दिन टोमें उसके गालों को ही चूमते रहा फिर एक दिन मेने
उसके होठों को चूम लिया, "ऑश साब आपको ऐसा नही करना चाहिए
था?" उसने शरमाते हुए कहा लेकिन विरोध नही किया.
में सिर्फ़ हंस कर रह गया और हॉल मे बैठ कर अपनी चाइ का
इंतेज़ार करने लगा. चाइ का सीप लेते ही उसने पूछा, "साब चाइ कैसी
बनी है?" जैसी कि हर रोज़ पूछती है.
"ह्म्म आज कुछ मीठी ज़्यादा है, कितनी चमच शक्कर डाली थी?'
मेने पूछा.
"एक चमच जैसे हर रोज़ डालती हूँ." उसने जवाब दिया.
"ह्म्म फिर तुम्हारे होठों की मीठास होगी." मेने अपने होठों पर जीभ
फिराते हुए कहा.
"ऑश" कहकर वो शरमाती हुई किचन मे भाग गयी. में भी उसके
पीछे पीछे किचन मे आ गया और उसे बाहों मे भरते हुए
बोला, "सोना एक बार और तुम्हारे होठों की मीठास लेने दो ना?" और
मेने उसके होठों को चूम लिया.
पहले तो उसने हल्का विरोध किया लेकिन फिर उसने मुझे चूमने दिया.
मेने भी इस बार उसके होठों को चूमते हुए अपनी जीब उसके मुँह डाल
दी और वो भी मेरे होठों को चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद हम जब अलग हुए तो हमारी साँसे तेज हो गयी
थी. "होठों को चूसना अक्चा लगता है ना?" मेने पूछा.
"हां बहोत अक्चा लगता है." उसने शरमाते हुए कहा.
चूमा चॅटी अब रोज़ ही होने लगी. माला घर मे होती तो भी हम
मौका देख एक दूसरे को चूम लेते. अब मुझे उसकी चुचियों की ओर
बढ़ना था. फिर एक दिन मेने एक प्लान बनाया और माला को अपना प्लान
समझाया.
"अरे मेरे चुड़क्कड़ राजा चिंता मत करो में सब इंतेज़ाम कर
दूँगी," माला ने कहा, "कल तुम्हे सोना की चुचियाँ मिल जाएँगी. "
दूसरे दिन जब सोना ने मुझे चाइ दी तो मेने कहा, "सोना आज चाइ
कुछ ज़्यादा कड़क लग रही है, थोड़ा दूध तो लेकर आना.
"साबजी मेने चाइ तो रोज़ की तरह ही बनाई थी पता नही कैसे
कड़क हो गयी, अब दूध तो और नही है." सोना ने कहा.
"तो क्या हुआ तू अपना दूध ही ले आ." मेने उसकी कड़क चुचियों को
घूरते हुए कहा.
"अपना दूध?" एक बार तो उसकी समझ मे नही आया, लेकिन जब समझ
आया तो शर्मा कर बोली, "धात्ट...... आप मज़ाक कर रहे हैं, मेरे
मे दूध नही आता."
"ऑश. ज़रा देखने दो दूध आता है कि नही." कहकर मेने उसे
खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया.
"ऑश... साबजी प्लीज़ मुझे जाने दो? वो गिड़गिडाई लेकिन मेरी गोद
से उठने की कोशिश नही की.
मेने उसे चूमते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कार दिए.
"ऑश शाआब प्लीज़ ऐसा मत करिए... कोई आ जाएगा," उसने कहा.
मेने उसके ब्लाउस के बटन खोल उसकी ब्रा को उपर करते हुए उसकी
चुचियों को नंगा कर दिया.
"ऑश सोना तुम्हारी चुचि तो बड़ी मस्त है..." कहकर में उन्हे
भींचने और मसल्ने लगा.
"उम्म्म कहाँ आक्ची है... कितनी छोटी है....." उसने मुँह बनाते
हुए कहा,
"अरे छोटी है तो क्या हुआ.... सही मे बड़ी मस्त और मुलायम है..."
में उसकी चुचि को पकड़े उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने
लगा.
'"ऑश साआबजी ये क्या कर रहे हो.... ओह" वो सिसकने लगी, उसे
भी मस्ती आने लगी.
सोना ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मस्त होकर अपनी चुचि
चोस्वा रही थी, तभी मेने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुए उसकी चूत
को सारी के उपर से सहलाने लगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, "ऑश सब्जी नही मुझे कुछ होता
है...."
"अरे करने दे तुझे अक्चा लगेगा.....ज़रा दबाने दे......" में उसके
कान मे धीरे से बोला.
हिचकिचाते हुए उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और में उसकी चूत को
दबाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो मस्त होकर अपनी कमर को उपर कर
अपनी चूत मेरे हाथ पर दबाने लगी.
"ऑश शाआब ओह......शाआबजििइई" वो जोरों से सिसक रही थी.
जब मुझे लगा की उसकी चूत पानी छोड़ने वाली है मेने अपना हाथ
उसकी सारी के अंदर डाल दिया. अब में उसकी नंगी चूत को अपने हाथ
से भींच रहा था और मसल रहा था.
"श आआआआः... साआभी क्या कर र्म हूऊओ." सिसकते हुए उसकी चूत
ने पानी छोड़ दिया.
"क्या मज़ा आया?" मैने पूछा.
"ऑश हा ऑश हाआँ बहोत मज़ा आया."
"लाओ एक बार फिर करने दो..." मेने कहा और एक बार फिर उसकी चूत
का पानी छुड़ा दिया.
कुछ दीनो तक में इसी तरह उसकी चूत को दबा मसल उसका पानी
छुड़ाता रहा, एक दिन मेने उससे पूछा, "सोना क्या और मज़ा लेना
चाहोगी?"
"हां साबजी." उसने कहा.
"फिर तो तुम्हे इन्हे सॉफ करना होगा." मेने उसकी चूत के बालों को
पकड़ते हुए कहा.
"इन बालों से क्या परेशानी है, आअप करना क्या चाहते है? उसने
भोलेपन मे पूछा.
"इसलिए की में तुम्हारी चूत चाटूँगा और उसे मुँह मे भर
चूसुन्गा." मेने कहा, "तुम्हे बहोत मज़ा आएगा."
"छी... वो जगह गंदी उसे भी कोई चूसा जाता है." उसने जवाब
दिया.
"वो सब मुझे सोचने दो... तुम सिर्फ़ मस्ती की चिंता करो जो तुम्हे
मिलने वाली है." मेने उसे समझाते हुए कहा.
"क्या तुम ऐसे ही नही कर सकते?" उसने पूछा.
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"कर तो सकता हूँ लेकिन तुम्हे मज़ा नही आएगा. तुम्हारे ये बाल मेरी
नाक मे घुसते रहेंगे और मुझे बार बार छींक आती रहेगी." मेने
कहा.
"आप इसे सॉफ कैसे करेंगे? मैने तो पहले कभी ऐसा किया नही
है." उसने कहा.
"में इन्हे शेव कर दूँगा." मेने जवाब दिया.
"नहिी... आअप ऐसा नही करेंगे." वो ज़ोर से चिल्लाई, उसे लगा कि
इसके लिए में उसे नंगा करूँगा. लेकिन उसे ये नही समझ आया कि
चूत चूस्ते वक्त भी तो में उसकी चूत देख लूँगा.
"नही में खुद ही सॉफ कर लूँगी." उसने कहा.
"नही तुम नही करोगी, कहीं कट कुटा गया तो तकलीफ़ होगी, रूको
मेरे पास दूसरा उपाय है," कहकर मेने उसे माला की अन्न-फ्रेंच क्रीम
दे दी और उसे समझा दिया की कैसे लगाकर सॉफ करना है.
"ठीक है में बाद मे कर लूँगी." उसने मुस्कुराते हुए कहा.
दूसरे दिन मेने उसकी सारी मे हाथ डाल उसकी चूत को छुआ तो लगा
कि जैसे में किसी कामसीँ काली की चूत को पकड़े हुए हूँ. बिना
बालों की मुलायम चूत बहोत ही अच्छी लग रही थी.
"उस रात मेने माला से कहा कि कल चुदाई दिवस है, तो वो
बोली, "ऐसी भी क्या जल्दी है."
"कल में उसकी चूत चूसूंगा," मेने मुस्कुराए हुए कहा.
"और तुम समझते हो की चूत चूसने के बाद वो तुम्हे चोदने देगी."
उसने कहा.
"हमेशा से तो यही होता आया है...." मेने हंसते हुए कहा. फिर
हम प्लान बनाने लगे की माला कैसे वो सब नज़ारा देख सकेगी.
दूसरे दिन में जब में घर पहुँचा तो माला मुझे घर के बाहर
ही मिल गयी. प्लान के अनुसार में सीधा किचन मे गया और माला
चुपके से बेडरूम मे जाकर दरवाज़े के पीछे छिप गयी. उसने
बेडरूम का दरवाज़ा खुला रख छोड़ा था.
दस मिनिट के बाद में सोना को अपनी गोद मे उठाए हॉल मे लाया और
उसे सोफे पर लीटा दिया और उसके कपड्ड़े खोलने लगा.
"आप मेरे कपड़े क्यों उतार रहे है?" वो चिल्लाई.
"अगर तुम कपड़े पहने रहोगी तो में तुम्हारी चूत कैसे चूसूंगा?"
मैने कहा.
"आप मुझे चोदेन्गे?" उसने बड़े भोलेपन से पूछा.
"अगर तू कहेगी तो में तुझे चोद भी दूँगा." मेने अपने खड़े
लंड को बाहर निकालते हुए कहा.
"नही में आपको चोदने नही दूँगी," उसने मेरे खड़े लंड की ओर
देखते हुए कहा, " मुझे डर लगता है कही में प्रेगञेन्ट हो गयी
तो."
"तुम प्रेगञेन्ट नही होवॉगी, में वादा करता हूँ," मेने उसे आश्वासन
देते हुए कहा, "में ध्यान से करूँगा."
"ऐसे ही मोहन ने रानी से कहा था कि वो प्रेग्नानॅट नही होगी लेकिन
रानी प्रेग्नेंट हो गयी." उसने कहा.
"अब ये मोहन और रानी कौन है?" मेने पूछा.
रानी मेरी सबसे प्यारी सहेली है जो गाओं मे रहती है, मोहन गाओं
मे ही रहता है. वो 50 साल का है, वो शादी शुदा है और उसके
तीन बच्चे भी है. उसकी लड़की की शादी पास के गाँव मे हुई है और
उसके दोनो लड़कों की भी शादी हो चुकी है." सोना ने कहा.
"पर हुआ क्या था?" मेने पूछा.
"मोहन ने भी रानी को चोद्ते वक़्त यही कहा था की वो ध्यान रखेगा
और उसे प्रेग्नेंट नही करेगा फिर भी वो हो गयी." सोना ने बताया.
"मुझे ज़रा सब खुल कर बताओ की क्या और कैसे हुआ?" मैने उसे अपनी
गोद मे बिठाकर चूमते हुए कहा.
** जो कुछ उसने बताया वो इस प्रकार था.
"ये करीब दो साल पहले की बात है, एक दिन शाम को मेने रानी को
मोहन के घर से छिपते छिपते देखा तो चौंक गयी. रानी का इस
समय मोहन के घर मे क्या काम, उसकी बीवी तो खेतों मे काम रही
थी. "
"मेने उससे मिली और उससे पूछा कि वो मोहन के घर मे क्या कर रही
थी? पहले तो वो मुझे टालती रही फिर मेरे ज़िद करने पर उसने बता
की वो मोहन से चुदवा रही थी."
"तुम इस बदमाश के चंगुल मे कैसे फँस गयी," मेने कहा, क्योंकि
कई बार मोहन मुझे भी फँसाने की कोशिश कर चुका था.
"छेह महीने पहेले की बात है मा ने मुझे इसकी दुकान से सब्जी
लाने को कहा. में दुकान पर पहुँची तो दुकान बंद थी, में दुकान
के पीछे इसके घर मे चली गयी तो देखा कि ये दारू पिए हुए है
और काफ़ी नशे मे था, बस वहीं उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ
ज़बरदस्ती कर मुझे चोद दिया." रानी कहते हुए रोने लगी.
"अब रोना बंद करो और मुझे बताओ की आगे क्या हुआ?" मैने उसे डाँटते
हुए पूछा.
"कुछ दिन बाद मोहन मुझे बेज़ार मे मिल गया और उसने मुझे उसके
घर चलने को कहा." रानी ने अपनी जारी रखते हुए कहा.
"नही में नही चलूंगी, तुम मुझे फिर से चोदोगे?"
"हां चोदुन्गा तो सही, पर तुम्हे भी तो मज़ा आया था ये तुम्ही ने
कहा था." मोहन ने जवाब दिया.
"हां कहा तह लेकिन में प्रेगणनाट नही होना चाहती." मेने कहा.
"पर मुझे तो लगता है कि तुम प्रेग्नेंट हो चुकी हो." उसने हंसते
हुए कहा.
"हे भगवान! में चौंक गयी, "लेकिन तुम्हे कैसे पता है?"
"जिस तरह से तुम चल रही हो," उसने कहा, "लेकिन सही पता तुम्हारी
चूत देखकर ही लगेगा."
"में इतना डरी हुई थी की मुझे उसकी बात पर विश्वास हो गया और
में उसके साथ उसके घर चली गयी. उसने मुझसे मेरी सलवार उतारने
को कहा जिससे वो मेरी चूत देख सके."
"पहले तो उसने अपन उंगली मेरी चूत के अंदर डाल देखने लगा फिर
उंगली को अंदर बाहर करने लगा. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की
मेने अपनी आँखे बंद कर ली थी पर जब तक मुझे पता चलता उसने
अपनी उंगली की जगह अपने लंड को अंदर घुसा दिया औट मुझे चोदने लगा
था."
"सच कहूँ तो मुझे भी बहोत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसे मन
मानी करने दी. जब उसने मुझे चोद लिया तो मेने उससे कहा, "ओह
मोहन तुमने फिर मुझे चोद दिया, अगर में पहले प्रेग्नेंट नही थी
तो इस बार ज़रूर हो जाउन्गि."
"अरे पगली नही होवॉगी," मोहन हंसा और अपने लॉड की ओर इशारा
करते हुए बोला, "देख इसे."
मेने देखा की मोहन ने अपने लंड पर कोई रब्बर जैसे चीज़ चढ़ा
रखी थी, "ये क्या है?" मेने पूछा.
"मेरी जान इसे कॉंडम कहते है," उसने मुझे समझाया, "जब मेरा
वीर्या छूटता है तो वो इसके अंदर ही रह जाता है और तुम्हारी चूत
मे नही जाता. अब हम बिना किसी परेशानी के हमेशा चुदाई कर
सकते है."
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"सोना उसके बाद मे मोहन के पास बराबर जाने लगी, सही मे बहोत
मज़ा आता है चुदाई करने मे, में तो कहती हूँ तुम भी चलो
बहोत मज़ा आएगा." रानीने मुझसे कहा और ज़िद करने लगी साथ चलने
के लिए.
"नही मुझे नही जाना तुम्हारे साथ, में जैसी हूँ ठीक हूँ." मेने
कहा, "हां लेकिन एक बात तुम याद रखना अगर कहीं कुछ गड़बड़ हो
गयी तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी."
"सोना में भी कॉंडम लगा के करूँगा" मेने उससे कहा कि शायद वो
तय्यार हो जाएगी.
"शाब्ज्ी तकदीर का कोई भरोसा नही," सोना ने आगे बताते हुए
कहा, "दो महीने बाद रानी प्रेग्नानॅट हो गयी. जब मेने उससे पूछा की
ये सब कैसे हो गया तो उसने बताया की एक दिन कॉंडम फॅट गया और
उनका वीर्या मेरी चूत मे गिर गया." रानी ने रोते हुए बताया था.
"पहले तो रानी ने अपने माता पिता को कुछ नही बताया लेकिन जब उसका
पेट फूलने लगा तो उसे सब कुछ बताना पड़ा. उसके पिता ने गाँव के
मुखिया से बात की और मोहन को उससे शादी करनी पड़ी. लेकिन उसकी
बीवी उससे बहोत नाराज़ है और उसके साथ गुलामो जैसा व्यवहार करती
है. आज वो दो बच्चो की मा हो गयी है पर वो खुश नही है."
सोना ने कहानी पूरी करते हुए कहा.
ये बात तो साफ हो गयी थी सोना मुझे चोदने नही देगी इसलिए मेने
सोचा कि क्यों ना कम से कम उसकी चूत देख ली जाए.
"ठीक है में तुम्हे नही चोदुन्गा लेकिन क्या तुम मुझे तुम्हारी चूत
चूसने दोगि जिससे तुम्हे भी मज़ा मिल सके." मैने कहा.
"सोना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "ठीक है लेकिन पहले आप इसे
अंदर कर ले," उसने मेरे खड़े लंड की ओर इशारा किया.
सोना ने अपने कपड़े उतारे और सोफे पर लेट गयी. मेने अपने लंड को
वापस अपनी पॅंट के अंदर कर लिया था. में उसकी टाँगो के बीच आ
गया और उसकी टाँगो को फैला उसकी चूत को पहेल तो चूमा फिर अपनी
जीब उसपर फिराने लगा.
"ऑश साआबजी कितना अचहाअ लग रहा है..." वो सिसक पड़ी.
उसकी सिसकी सुनकर मेने अपनी जीब उसकी चूत के अंदर घुसा दिया उर
गोल गोल घूमा उसकी चूत को चूसने लगा. वो भी अपनी कमर उठा
अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगी. उसकी सिसकियाँ तेज होने
लगी थी होंठ फड़फड़ने लगे थे.
"ओह साआजी मज़ाअ आगेया ऑश अयाया हां चूसिए और ज़ोर से
चूसिए... रुकियगा मत ऑश हां और तेज़ी से घुसा दीजिए अपनी
जीएब
को ऑश मेरा तो छूटनाआ."
उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी फिर भी में उसकी चूत को चूस्ता
गया और उसकी चूत ने दो बार और पानी छोड़ दिया.
"मज़ाअ आया तुम्हे?" मैने उससे पूछा.
'श साबजी बता नही सकती बहोत मज़ा आया." उसने कहा.
"सोना एक बार चुदवा लो, सही मे तुम्हे इससे भी ज़्यादा मज़ा आएगा."
मेने उससे ये सोच कर कहा कि शायद वो तय्यार हो जाएगी.
"साबजी मुझे आप पर विश्वास है, लेकिन रानी ने भी यही कहा
था," सोना ने कहा, "में भी आपको मज़ा देना चाहती हू और मज़ा
लेना चाहती हूँ. पर मुझे डर लगता है, काश हम बिना किसी डर
के चुदाई कर सकते." सोना ने मुझसे कहा.
तुरंत मेरे दिमाग़ मे एक उपाय आया और में बाथरूम मे जाकर माला
की गर्भ निरोधक गोलियाँ ले आया.
"ये लो और लेबल पर लीखे अनुसार इन्हे बराबर लेती रहना ये पूरी
तरह सुरख़्शिट है." मेने उससे कहा.
"क्या आपको पक्का विश्वास है?" सोना ने पूछा.
"हां तुम्हारी मेडम इन्हे बराबर लेती है और आज तक प्रेग्नानॅट नही
हुई." मेने उससे कहा.
"ठीक है में आप पर विश्वास करके इन्हे बराबर ले लूँगी. मुझे
इन्हे चुदाई के पहले चूत मे डालना है या चुदाई के बाद." उसने
पूछा.
"अरे बेवकूफ़ ये गोलियाँ है इन्हे तुम पानी के साथ निगल लेना. लेबल
पर लीखे अनुसार लेना और एक महीने मे तुम सुरख़्शिट हो जाओगी."
मैने उसे समझाते हुए कहा.
"क्या? हमे एक महीने तक रुकना पड़ेगा." उसने पूछा.
"अब सुरक्षित रहने के लिए इतनी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी." मेने
कहा.
"क्या मेडम को इन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ेगी?" उसने पूछा.
"नही अब वो गोलियाँ नही ले रही है, हम एक और बच्चे की सोच रहे
है," मेने उसे बताया.
उसी समय माला दीदी ने कहना शुरू किया, "उस रात जब हम बिस्तर मे
थे तो मेने विजये से पूछा, तो तुम एक महीने तक रुकोगे?"
"क्या कर सकता हूँ, फिर एक महीना कोई बड़ा तो नही." विजय ने
कहा
"तो हम लोग एक और बच्चे की सोच रहे है." मेने हंसते हुए कहा.
"अब कुछ तो उससे कहना ही था, चिंता मत करो तुम्हारी लिए में कल
दूसरी शीशी ले आयुंगा." विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था.
"नही मुहे अब वो गोलियाँ नही लेनी है, अब में बच्चे की ही
सोचूँगी." मेने मज़ाक करते हुए कहा था.
"और संजोग से दूसरे दिन तुम्हारा फोन आ गया." माला दीदी ने
कहा. "और मेने विजय को तुम्हारी समस्या बताई.
"विजय अब अमित के लिए कुँवारी लड़की का इंतेज़ाम कहाँ से करेंगे?"
मेने पूछा था.
"दूसरी लड़की ढूढ़ने की क्या ज़रूरत है, हमारे पास सोना है ना."
विजय ने कहा था.
"लेकिन सोना की चूत तो तुम फाड़ना चाहते हो?" मेने कहा.
"लेकिन ये सब अनु का फोन आने से पहले की बात है. एक बात याद
रखो मेरी एक ही साली है, और उसकी खुशी के लिए में कुछ भी
कर सकता हूँ. ऐसी एक सोना तो क्या में हज़ार सोना भी उसकी खुशी
पर नौछावर कर सकता हूँ." विजय ने कहा था.
"श जीजाजी सच मे आपने ऐसा कहा था? अनु जीजाजी को अपनी बाहों मे
भरती हुई बोली.
"फिर क्या हुआ?" मेने पूछा.
जीजाजी ने कहा, "आने वाले एक महीने तक में उसकी चूत को चूस्ता
रहा. एक महीने के बाद भी जब मेने उसे चोदने की कोशिश नही की
तो एक दिन उसने मुझसे कहा, "साबजी एक महीना पूरा हो गया है."
मैने उससे कहा कि अभी दस दिन और रुक जाते है, लेकिन जब डूस दिन
पूरे हो गये तो उसने मुझे फिर से याद दिलाया.
तब मैने उसे समझाते हुए कहा, "सोना यहाँ पर तुम्हारी मेडम का
डर है. ऐसा ही की अगले हफ्ते हम छुट्टियों के लिए शिमला जा रहे
है वहीं मौका देख कर हम चुदाई करेंगे."
पर सोना ने मेरी बात का दूसरा मतलब निकाला, "साबी मुझे पता है
कि अब में आपको अछी नही लगती." उसने नाराज़ होते हुए कहा.
"नही ऐसी बात नही है." मेने कहा.
"मुझे आप पर विश्वास नही है," उसने मुझे धँकते हुए
कहा, "अगर आपने वहाँ भी कुछ नही किया तो याद रखिएगा किसी
और से चुदवा लूँगी."
"अब मामला यहाँ आ कर अटका हुआ है." विजय जीजाजी ने बात ख़तम
करते हुए कहा.
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07-26-2018, 02:22 PM,
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--9
माला दीदी एक प्रश्न, " अनु ने कहा, "आपने हमे फोन पर जीजाजी
और सोना के बारे मे क्यों नही बताया?"
"जब मुझे पता चला मेने भी इससे यही पूछा था." सीमा दीदी ने
कहा.
"कैसे बताती में. सोना की चूत विजय की अमानत थी." माला दीदी ने
कहा, "तुम्हे बताने से पहले में विजय से पूछना चाहती थी."
"सही मे जीजाजी बहोत आछे है." अनु ने कहा.
"पर जीजाजी सोना का दिल तोड़ देंगे." मेने हंसते हुए कहा.
"हां वो तो है, अच्छा वो टीना की क्या कहानी है?" मैने फिर पूछा.
सीमा दीदी अपन कहानी सुनाने लगी...................
"थोड़े दिन बाद माला और विजय हमारे यहाँ रात के खाने
"पर आए तो माला ने हमे सोना के बारे मे बताया."
"क्या वो चुदवाने के लिए तय्यार है?" अजय ने पूछा.
"विजय से तो चुदवाने के लिए तय्यार है, पर किसी और से चुदेगि
इसके बारे मे में कुछ कह नही सकती." माला ने कहा.
"अरे इसकी तुम चिंता मत करो, में उसे इतना निराश और इंतेज़ार
करवाउन्गा की वो आख़िर मे कॅनटाल कर किसी भी से चुदवाने को तय्यार
हो जाएगी, अमित से भी." विजय ने कहा.
"टीना के बारे मे क्या ख़याल है, क्या वो तय्यार होगी?" माला ने पूछा.
"मुझे शक है कि वो तय्यार होगी," सीमा दीदी ने कहा, "एक बार अजय
ने उसे पीछे से बाहों मे भरा था तो वो चिल्ला पड़ी थी, "साबजी
अगर आपने मुझे दुबारा छूने की कोशिश की तो में मदन से कह
दूँगी और ये नौकरी भी छोड़ कर चली जाउन्गि. मेरी तो समझ मे
नही आ रहा कि क्या करू और सुमित के लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम
कहाँ से करूँ." सीमा ने कहा.
"उसे तय्यार करने के सौ रास्ते निकल आएँगे, मुझे सिर्फ़ उसके बारे
मे बताओ?" विजय ने कहा.
"हर गाँव की लड़की की तरह बड़ी धार्मिक है, रोज़ मंदिर जाती है
पूजा पाठ करती है और बड़ी संकीर्ण विचारों की है. उसे पंडित
और ज्योतिषों की बातों पर अंध विश्वास है." मेने बताया.
"इस तरह की लड़कियाँ तो बड़ी भोली होती है," माला दीदी ने
कहा, "और ये पंडित लोग उनके भोलेपन का फ़ायदा उठा उनको बहका
फूसला लेते हैं."
"हाँ लगता तो कुछ ऐसा ही है, हमारे घर पर आने वाले एक पंडित
पर उसे पूरा भरोसा है और मुझे लगता है कि एक दिन वो उसके जाल
मे फँस जाएगी." सीमा ने कहा.
"उनके परिवार मे कौन कौन है?" विजय ने पूछा.
उसके परिवार मे सिर्फ़ माता पिता है जिन्हे वो बहोत प्यार करती है."
सीमा ने बताया.
"क्या उसके शरीर पर कोई जनम का निशान या ऐसा कोई निशान जो
बाहर से सब को नहीं दीखता हो?" विजय ने पूछा.
"उससे क्या होगा?" अजय ने पूछा.
"मेरे दीमाग मे कुछ आ रहा है शायद जिसे हमे मदद मिल जाए,
उसके शरीर पर है या नही सिर्फ़ इतना बताओ." विजय ने कहा.
"मुझे तो कुछ ऐसा याद नही," मैने जवाब दिया, "अरे रूको मुझे
याद आया उसकी चूत के बाईं तरफ एक काला बड़ा तिल है." मैने
कहा
"तुम्हे कैसे पता?" माला ने हंसते हुए पूछा, "क्या तुम हमेशा अपनी
नौकरानी की चूत देखती रहती हो या फिर कुछ चल रहा है तुम दोनो
के बीच."
"काश ऐसा कुछ होता हम दोनो के बीच तो उसे चुदवाने मे आसानी
होती." मेने कहा.
"फिर तुमने उसकी चूत क्यों देखी?" माला ने ज़ोर देते हुए पूछा.
"मुझे देखनी पड़ी." मेने कहा
"डार्लिंग लेकिन तुमने मुझे तो बताया नही." अजय ने शिकायत करते
हुए कहा.
"कोई इतनी बड़ी बात नही थी कि में तुम्हे बताती." मेने सफाई देते
हुए कहा
"ठीक है पहले बताओ फिर हम फ़ैसला करेंगे की बात बड़ी थी या
नही." माला हंसते हुए बोली.
"टीना को काम करते हुए पंद्रह दिन हुए थे, एक सुबह मेने देखा की
वो बार बार अपनी चूत को खुज़ला रही है." मेने कहा.
"टीना तुम अपनी चूत क्यों बार बार खुज़ला रही हो? मेने पूछा.
"मुझे नही पता मेडम, पर सुबह से ही बहोत खुजली हो रही है."
टीना ने शरमाते हुए कहा.
"क्या तुमने देखा उस जगह को कि वहाँ खुजली क्यों मच रही है?"
मेने पूछा.
"देखा! मैं कैसे देख सकती हूँ. शस्त्रों मे लिखा है कि खुद के
नीज़ी अंग देखना पाप है." उसने जवाब दिया.
"तो ठीक है फिर मुझे देखने दो?" मेने उससे कहा.
"ऑश नही मेडम मुझे बहोत शरम आएगी.... प्लीज़ आप मत
देखिए ना." वो आँखों मे आँसू लिए बोली.
"ठीक है में नही देखूँगी, लेकिन फिर मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास
लेकर जाना पड़ेगा."
"नहीं मेडम में डॉक्टर के पास नही जाउन्गि, किसी अनाज्ने के सामने
नंगी होने से बेहतर है कि में मर जाउ. कहकर टीना रोने लगी.
"अब बात मेरे बर्दाश के बाहर हो रही थी.
"देखो टीना या तो मुझे देखने दो या फिर डॉक्टर के पास चलो, में
नही चाहती कि तुम साब के सामने और मेहमआनो के सामने हमेशा अपनी
चूत खुजाति रहो....."
टीना समझ गयी कि में क्या कहना चाहती हूँ, उसने कहा, "ठीक है
फिर आप ही देख लीजिए."
"एक काम करो मेरे बेडरूम मे जाओ और कपड़े उतार कर लेट जाओ, में
अभी आती हूँ." मेने उससे कहा.
जब में कमरे मे आई तो मेने देखा कि टीना सारे कपड़े उतार नंगी
बिस्तर पर लेटी थी. सही बड़ा ही सुंदर बदन है उसका. मेने देखा
की आम 17-18 साल की लड़कियों की अपेक्षा उसका बदन ज़्यादा भरा हुआ
था, चूत पर झांते भी काफ़ी उग आई थी ऐसा लग रहा था की
जैसे कोई घना जंगल हो."
"मेने उसकी चूत को चारों तरफ से देखा लेकिन मुझे कुछ दीखाई
नही दिया, "टीना कुछ तो है जिससे तुम्हारी चूत खुजा रही है,
लेकिन ये तुम्हारी झांतो की वजह से में अछी तरह देख नही पा
रही हूँ, मुझे इन्हे काटना पड़ेगा. मेने कहा.
"मेडम ऐसे ही देख लीजिए ना..इन्हे काटने की क्या ज़रूरत है?"
टीना ने कहा.
"टीना में जो कुछ कर रही हूँ तुम्हारे अच्छे के लिए ही कर रही
हूँ, इसलिए तुम चुप चाप लेटी रहो और मुझे आपना काम करने दो."
में उसकी झाँते काटने लगी लेकिन फिर भी मुझे कुछ दीखाई नही
दिया तो में उसकी झाँते एकदम सॉफ करने लगी, एक बार तो विरोध मे
उठ बैठी लेकिन मुझे देखते ही वापस वैसे ही लेट गयी.
उसकी झांते सॉफ करने के बाद में उसकी टाँगे उठा उसकी चूत का
मुआएना करने लगी तभी मुझे वो तिल दीखाई दिया था. फिर मुझे
उसकी चूत की खुजली का भी पता चला उसकी चूत के पास उसे दाद
हो गये थे जिसकी वजह से उसकी चूत खुज़ला रही थी. मेने उसे
दाद की एक क्रीम निकाल कर दी.
"टीना ये क्रीम लो और दी बार आछी तरह दाद वाली जगन पर लगाना,
और भगवान के लिए बराबर अपनी चूत को देखती रहना कि ठीक हो
रहा है की नही, नही तो मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास लेकर जाना
पड़ेगा." मेने कहा.
"जी मेडम." उसने धीरे से जवाब दिया.
"तुम्हारी झाँते बहोत घनी है, में तो कहूँगी कि इसे बराबर स्साफ
करती रहा करो जिससे दूबारा दाद ना होवे,"
"जी मालकिन."
अब लोगों को समझ मे आया कि मुझे उस तिल के बारे मे कैसे पता
चला. " मैने सबसे कहा.
"डार्लिंग वो नंगी कैसी दीखाई पड़ती है?" अजय ने पूछा.
"मुझे मालूम था तुम यही पूछने वाले हो." मेने हंसते हुए
कहा, "ओह्ह डार्लिंग क्या बताउ, बहोत ही सुन्दर दीखाई देती है.
उसकी चुचिया बड़ी तो नही है लेकिन गोरा बदन और भरी हुई छोटी
चुचिया किसी नारंगी से कम नही लगती. उसकी चूत भी काफ़ी
सुन्दर है लेकिन उसका छेद बहोत छोटा है, मुझे तो एक उंगली
घुसाने मे ही इतनी तकलीफ़ हुई थी में तो सोच रही हूँ कि वो कौन
खुशनसीब होगा जो उसकी चूत को चोद कर उसके छेद को बड़ा
करेगा."
"अजय उसकी चूत हमारे नसीब मे तो है नही, वो तो उन दोनो जुड़वा
भाई के ही नसीब मे है.' विजय ने थोड़ा दुखी स्वर मे कहा.
"खैर ये सब तो चलता रहता है," अजय ने एक गहरी सांस लेते हुए
कहा, "तुम्हारे दीमाग मे कोई आइडिया आया क्या?" अजय ने विजय से पूछा.
"हां एक प्लान दीमग मे आया तो है."विजय ने जवाब दिया.
"प्लीज़ हमे बताओ न?" माला ने कहा.
"अभी नही बाद मे बताउन्गा पहले मुझे अछी तरह सोच कर तय्यार
तो कर लेने दो, अगर प्लान कामयाब हो गया तो जल्दी ही टीना कुँवारी
नही रहेगी." विजय ने कहा.
जब खाने के बाद वो दोनो जाने लगे तब विजय ने पूछा, "तुम दोनो
रविवार की शाम को क्या कर रहे हो?"
"अभी तक तो कोई प्रोग्राम नही है." अजय ने जवाब दिया.
"ठीक है फिर घर पर ही रहना शायद हम लोग आ जाएँ." विजय ने
कहा.
रविवार की शाम को हम जब हम लिविंग रूम मे चाइ पी रहे थे
तभी दरवाज़े की घंटी बजी, "मुझे लगता है कि माला और विजय
आए होंगे." मेने अजय से कहा.
"तभी टीना कमरे मे दौड़ती हुई आई, वो काफ़ी उत्साहित नज़र आ रही
थी, "मेडम एक साधुजी आए है." उसने कहा.
"उसे वापस भेज दो," मेने कहा, "ये साधु लोग सब ढोंगी होते है,
भगवान के नाम पर सिर्फ़ पैसा ऐंठना आता है उन्हे."
"नही मेडम ये दीखने मे बहोत ज्ञानी और पहुँचे हुए महात्मा लग
रहे है, और फिर मेडम बाहर गर्मी भी तो कितनी है, क्यों ना उन्हे
अंदर बुलाकर एक गलास ठंडा पानी ही पीला दिया जाए?" टीना ने
कहा.
"ठीक है, लेकिन सिर्फ़ दो मिनिट मे उसे पानी पीलकर रफ़ा दफ़ा कर
देना." अजय ने उससे कहा.
"कुछ देर मे ही टीना एक साधु जो गेहुए रंग की धोती और कुर्ता
पहने हुआ था अंदर लेकर आई. उसके सिर के बाल बिल्कुल सफेद हो
चुके थे और दाढ़ी भी काफ़ी बढ़ी हुई थी. हमने उन्हे आदर सहित
बैठने के लिए कहा." माला ने कहा.
"जै श्री राम" कहते हुए साधुजी सोफे पर पालती मार कर बैठ
गये. टीना ने उन्हे एक ग्लास ठंडा पानी लाकर दे दिया.
साधु ने पानी लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन तभी अचानक
उन्होने अपना हाथ पीछे खीच लिया.
"क्या बात है महाराज? आपने हाथ क्यों खीच लिया?" अजय ने पूछा.
"महाराज, पानी लीजिए, बिल्कुल सुद्ध है, मैने अपने हाथ से ग्लास
को दो बार धोया है." टीना ने कहा.
"बात ये नही है बच्ची, मुझे इस घर मे किसी प्रेत आत्मा का वास
लगता है." साधु ने जवाब दिया.
"प्रेत आत्मा वो भी हमारे घर मे?" हम दोनो चौंक उठे थे.
"हां एक ऐसी प्रेत आत्मा जो अपने साथ मौत और बर्बादी के सिवा कुछ
नही लाती, अगर मुझे पहले इसका ग्यान हो जाता तो में इस घर मे
कभी अपने चरण नही रखता."
"महाराज इसका कोई तो उपाय होगा? अजय ने पूछा.
"उपाय तो तभी निकल सकता हो जब कि ये पता लगे कि उस प्रेत आत्मा
ने अपना वास कहाँ बना रखा है." महाराज ने जवाब देते हुए
कहा, "पहले मुझे सोचने दो" कहकर महाराज ने अपनी आँखे बंद कर
ली.
"जब मैने इस घर मे पदार्पण किया तब मुझे इसका ज्ञान नही हुआ था
लेकिन जैसे ही मेने पानी के लिए हाथ बढ़ाया मुझे इस आत्मा की
उपस्थिति का ग्यान हो गया." महाराज खुद मे बड़बड़ा रहे थे.
"तो महाराज वो कहाँ है, क्या पानी मे कोई खराबी है या फिर ग्लास
मे." अजय ने पूछा.
"या फिर महाराज इस लड़की मे, मेने सुना है कि ऐसी आत्मा किसी ना
किसी प्राणी के शरीर मे ही वास करती है." साधु ने हमे समझाते
हुए कहा.
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
अचानक साधु खड़ा होकर टीना की तरफ बढ़ा, एक बार को तो मुझे
लगा कि वो टीना को पकड़ लेगा लेकिन वो उसके पास जाकर उसे देखने
लगा. फिर गहरी नज़रों से वो उसके बदन का निरक्षण करने लगा,
पहले उसकी नज़रें उसकी उभरी हुई चुचियों पर ठहरी फिर उसकी
पीठ पर अपनी हथेली जमा देखने लगा. जब उसका हाथ उसकी कमर
और जाँघो की तरफ बढ़ा तो हमने देखा की उसका हाथ काँपने लगा
था.
"मुझे उस दुष्ट आत्मा का पता चल गया है, "साधु ने पलटते हुए
कहा, "उस आत्मा ने इस लड़की के शरीर के नीचले भाग मे अपना बसेरा
बना रखा है."
"पर ये आत्मा है कौन महाराज?" अजय ने पूछा.
"ये कोई भटकती हुई दुष्ट आत्मा है जो अपना रास्ता भटक चुकी
है, ये हवा मे विचरण करती रहती है और किसी के शरीर मे भी
प्रविष्ट हो जाती हैं. थोड़े दिन अपनी मन मानी कर फिर उसके
शरीर को त्याग किसी नई शरीर की तलाश मे निकल जाती है.' साधु
ने जवाब दिया. "लेकिन ये कभी किसी के शरीर के इतने नीचे तक
नही जाती, ज़रूर कोई ऐसी वस्तु है जिसने इस आत्मा को अपनी तरफ
आकर्षित किया है."
"हां ज़रूर इसकी कुंवरी चूत ने आकर्षित किया होगा," मैने मन ही
मन सोचा "के हम इसे ऐसे ही नही छोड सकते ये खुद बा खुद एक
दिन चली जाएगी." मेने साधु से कहा.
"में इस बात की सलाह नही दे सकता ये इस बालिका को कोई हानि भी
पहुँचा सकती है," साधु ने कहा, "मैने पहले ही बताया की इस
तरह की आत्मा अपने साथ मौत भी लाती है."
"ओह्ह महाराज तो क्या में मर जाउन्गि." टीना कहकर जोरों से रोने
लगी.
"बच्ची रोवो मत,"साधु ने उसे समझाते हुए कहा, "ऐसा बहोत कम
होता है कि जिसके शरीर मे वो प्रवेश करें उसकी मृत्यु हो जाए
लेकिन हां उसके परिवार मे से किसी की भी मृत्यु हो सकती है, जैसे
भाई बेहन या माता पिता...."
"महाराज मेरे परिवार मे मेरे माता पिता के सिवाय कोई नही है." टीना
ने रोते हुए कहा.
"महाराज इस आत्मा को इसके शरीर और इस घर से भागने का कोई तो
उपाय होगा?" अजय ने पूछा.
"हर व्याघना का उपाय होता है बच्चा," साधु ने कहा, "लेकिन मुझे
पहले इस आत्मा की शक्ति का अंदाज़ा लगाना होगा. बालिका क्या तुम्हारे
शरीर के नीचले भाग मे कहीं कोई तिल है?"
टीना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "नही महाराज नही है."
"हां महाराज है एक तिल है जो मेने खुद देखा है." मेने झट से
कहा. मुझे लगा कि सही मे ये साधु तो काफ़ी ज्ञानी जान पड़ता है.
टीना मेरी तरफ गहरी निगाह से देखने लगी, "हां टीना है, मेने खुद
उस दिन देखा था." मैने ज़ोर देते हुए कहा.
"किसी आत्मा की शक्ति की पहचान करने के लिए मुझे उस तिल का
निरक्षण करना होगा जिसने उस दुष्ट आत्मा को अपनी तरफ आकर्षित
किया है." साधु ने कहा, "अगर लड़की मुझे आग्या दे तो क्या में
देख सकता हूँ."
"ढोंगी साला," मेने सोचा, "मुझे तो लगा था कि गयानी होगा लेकिन
ये और साधुओं के जैसे ही बहला फुसला कर इस लड़की को ज़रूर अपने
जाल मे फँसा लेगा."
"महाराज आपको देखने की ज़रूरत नही है," मेने विनम्रता से
कहा, "आप मुझे समझाइये में आपको देख कर बता दूँगी."
"जैसी आपकी इच्छा," साधु ने कहा, "आप मुझे उसका सही स्थान और
सही आकर देख कर बता दीजिए."
जब में टीना की चूत देखने लगी तो मेने उसे एक आईना दिया जिससे
वो खुद भी उस तिल को देख सके.
"हे भगवान ये मेरे जनम से यहाँ है, और मुझे आज तक पता ही
नही था." वो चौंकते हुए बोली.
"तुम कैसे पता चलता तुम तो हमेशा से खुद की चूत को देखना
पाप समझती आ रही हो." मेने उससे कहा.
वापस कमरे मे आकर मेने साधु को उसका सही आकर और सही स्थान
बता दिया.
"ऑश... ये सही लक्षण नही है." साधु अपनी आँखों को बंद कर
ध्यान लगाते हुए बोला.
"ऑश महाराज प्लीज़ मेरे माता पिता की जान बचा लीजिए," टीना
रोने लगी, "आप जो उपाय बताएँगे में करने के लिए तय्यार हूँ."
"ठीक है उपाय जानने के लिए मुझे इस दुष्ट आत्मा से संपर्क करना
होगा," साधु ने उसे अपने पास बुलाया और अपना हाथ उसकी कमर पर
रख दिया, "में सिर्फ़ अपना हाथ लगाकर उस आत्मा से संपर्क बनाने की
कोशिश करूँगा इसलिए तुम घबराना मत." कहकर साधु अपने हाथ को
उसकी जाँघो के बीच रख दिया.
हाथ रखते ही साधु का हाथ एक बार फिर काँपने लगा, और मैने
देखा कि वो अंगूठे से उसकी चूत को भी दबा रहा था.
"उईईई मा......" टीना सिसक पड़ी.
मुझे लगा की साधु सिर्फ़ परिस्थितियों का फ़ायदा उठा रहा है और
इसके पहले कि में उसे रोकती मैने अजय की और देखा जो वहाँ शांति
से बैठा मुक्सुरा रहा था. अजय को मुस्कुराते देख मे चौंक पड़ी,
वो साधु को टीना की चूत दबाते देख अपनी गर्दन हां मे हिला रहा
था.
इसके पहले भी में कुछ कहती साधु अचानक चिल्ला पड़ा, ऑश ये
नही हो सकता ऑश अच्छा."
साधु के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी. वो कुछ बिडबुदा रहा था
जैसे की उस आत्मा से बात कर रहा हो. "अब मुझे सब ज्ञान हो गया
है." साधु ने अपना हाथ टीना की चूत पर से हटाते हुए कहा.
"महाराज उस आत्मा ने क्या कहा?" टीना ने मुस्कुराते हुए कहा.
"वो आत्मा बहोत ही क्रोधित जान पड़ती थी," साधु ने कहा, "उसका
कहना है कि तुमने जान बुझ कर तुमने उसे वहाँ क़ैद कर रखा
है."
"पर महाराज मुझे तो पता भी नही है कि वो वहाँ पर है" टीना ने
भोलेपन से कहा.
"मेने भी यही बात आत्मा को समझाई तो वो थोड़ी शांत पड़
गयी, " साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "पर उसका कहना है कि उसे
बाहर जाने के लिए रास्ता नही मिल रहा है."
"क्या वो जिस रास्ते से अंदर आई थी उसी रास्ते से बाहर नही निकल
सकती?" मेने पूछा.
"मेने भी उसे यहही सलाह दी थी लेकिन उसका कहना है कि ये लड़की
बहुत धार्मिक विचारों की है... क्या तुम पूजा पाठ करती हो." साधु
ने टीना से पूछा.
"हां महाराज में नियम से रोज़ सुबह पूजा करती हूँ और हमेशा
भगवान का जाप करती रहती हूँ." टीना ने गर्व के साथ कहा.
"यही बात मुझे आत्मा ने कही, उसका कहना है कि इन मंत्रों और
जापों की वजह से वा उसी रास्ते से नही निकल सकती..." साधु ने
कहा फिर टीना की और घूमते हुए पूछा, "बालिका क्या तुम्हारी शादी
हो गयी है?"
"नही महाराज." टीना ने कहा.
"क्या किसीने ने तुझे.... क्या तेरा मालिक तुम्हे चोद्ता है?" साधु
ने शंकित नज़रों से अजय की ओर देखते हुए पूछा.
"नही महाराज." टीना ने कहा, शरम के मारे उसका चेहरा टमाटर की
तरह लाल हो गया था, "मेरी चूत बिल्कुल कोरी है महाराज."
"अब मेरी समझ मे आया कि वो आत्मा इस लड़की के नीचे के रास्ते से
क्यों नही निकल पा रही कारण की नीचे का रास्ता बंद है," साधु
ने कहा और फिर टीना की ओर देख कर कहने लगा, "तुम समझ रही हो
ना में क्या कह रह हूँ."
"हां महाराज मेरी समझ मे आ रहा है कि इस बुरी आत्मा को निकालने
के लिए मुझे अपनी चूत फड़वानी पड़ेगी." टीना ने मुँह बनाते हुए
कहा.
"महाराज अगर बात सिर्फ़ नीचे का रास्ता खोलने की है तो वो में
बड़ी आसानी से कर सकता हूँ." अजय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"हां महाराज ये ठीक रहेगा साबजी मेरी चूत फाड़ कर रास्ता बना
देंगे." टीना ने कहा.
"ये इतनी आसान बात नही है," साधु ने जवाब दिया, "उस आत्मा के
निकलने के लिए रास्ता किसी खास दिन और ख़ास आदमी से बनवाना
होगा."
"प्लीज़ महाराज मुझे बताइए में अपने माता पिता को बचाने के
लिए आपकी हर आग्या मानने को तय्यार हूँ." टीना ने गिड़गिदते हुए
कहा.
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"तो मेरी बात ध्यान से सुनो बालिका, तुम्हे किसी दूसरे सहर मे
जाना होगा, और वहाँ तुम्हे एक लंबा चौड़ा लड़का मिलेगा. तुम उसे
पसंद आओगी और वो तुम्हे अपने कमरे मे बुलाएगा. तुम्हे उसके कमरे
मे जाना है और उससे अपनी चूत फड़वाकर दुष्ट आत्मा के निकलने के
लिए रास्ता खोलना है. याद रहे तुम्हे बिना कोई प्रश्ना किए उस
लड़के की हर आग्या का पालन करना है." साधु ने टीना को समझाते हुए
कहा.
"हां महाराज जैसा आपने कहा है में वैसे ही करूँगी." टीना ने
हाथ जोड़ते हुए कहा.
"किंतु महाराज ये उस लड़के को पहचानेग्गी कैसे?" मेने पूछा.
"जगह और उस इंसान का नाम 'स' से शुरू होगा इसलिए पहचानने मे
कोई परेशानी नही होगी. अगर तुमने कहा नही माना तो उस आत्मा ने
मुझसे कहा कि वो तुम्हे श्राप दे देगी और तुम्हारे माता पिता की
म्रत्यु हो जाएगा." साधु ने टीना से कहा.
जब साधु जाने लगा तो उसने कहा, "एक बात और, उस लड़के को ही
पहल करने देना तुम जल्दबाज़ी मत दीखाना."
"हां महाराज हम सब वैसे ही करेंगे जैसा आपने बताया है."
मेने कहा.
साधु 'जै श्री राम कहते हुए वहाँ से चला गया.
शुक्र है भगवान का ये पाखंडी यहाँ से चला गया. तुमने देख कि
तरह वो टीना क चूत देखना चाहता था और जब मेने उसका प्लान
विफल कर दिया तो बहाने से उसकी चूत को कुरेद रहा था.... ढोंगी
साला." मेने गुस्से मे अजय से कहा.
"तुम्हे उसे गालियाँ देने की बजाय उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए की
टीना चूत फदवाने को तय्यार हो गयी और अब अनुराधा की सब
परेशानी दूर हो जाएगी. महाराज ने कहा है कि 'स' से जिसका नाम
शुरू होगा वही उसकी चूत फड़ेगा और सुमित का नाम भी 'स' से
शुरू होता है. अब हमे इसे सिर्फ़ शिमला लेकर जाना है और सुमित को
वहाँ बुलाना है." अजय ने मुझसे कहा.
"हां अजय तुम सही कह रहे हो." मेने खुश होते हुए कहा, "में
इस महाराज के चक्कर में टीना उलझी हुई थी कि ये बात मेरे दीमाग
मे ही नही आई."
"इतने मे टीना साधु को दरवाज़े तक छोड़ कर वापस लौट के
आई, "में किस तरह आप लोगों का शुक्रिया अदा करूँ कि आपने इस
साधु को घर मे आने दिया नही तो मेरे माता पिता की मृत्यु वक़्त से
पहले ही जाती." उसने कहा, फिर थोड़ा उदास होते हुए बोली, "लेकिन
मुझे अब महाराज की आग्या मानकर अपने माता पिता को बचाना है."
"भगवान पर भोरोसा रखो, सब अच्छा ही होगा, इसीलिए भगवान ने
महाराज को तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया," मेने उसे सांत्वना देते
हुए कहा.
शाम को हम दोनो सीमा और अजय के घर गये कि उन्हे ये खुशख़बरी
सुना दें. में इतनी खुश थी कि जैसे ही में उनके घर मे घूसी
मेने कहा, "सीमा तुम्हे पता है आज क्या हुआ?"
"यही ना टीना अपनी चूत फदवाने के लिए तय्यार हो गयी." सीमा ने
मुकुराते हुए कहा.
"ज़रूर तुम्ही ने बताया होगा?' मेने अजय से शिकायत की.
अचानक वो तीनो जोरों से हँसने लगे, "इतना ज़ोर से क्यों हंस रहे
हो तुम लोग." मैने पूछा. मेरी बात सुनकर वो और ज़ोर से हँसने लगे.
"क्या तुम्हे पता नही चला वो साधु विजय ही था जो हमारे घर आया
था" अजय जोरों से हंसते हुए बोला.
"अजय में बहोत नाराज़ हूँ तुमसे," मेने कहा, "अगर तुम्हे पता था
तो मुझे तो बताना चाहिए था."
"मेरी जान गुस्सा मत करो." अजय ने जवाब दिया, "शुरू मे मुझे भी
नही पता था, में भी इसके बहरूप से धोका खा गया था. लेकिन
जब टीना की चूत देखाने उसे लेकर कमरे मे गयी तब इसने मुझे
बताया. हम चाहते थे कि टीना के सामने तुम्हे पता ना चले इसलिए
हम चूप रहे."
"विजय बधाई हो, तुम तो कमाल के कलाकार हो." मेने कहा, "तुमने
मुझे अच्छे से बेवकूफ़ बनाया."
"अगर तुम बेवकूफ़ बन गयी हो, तो में दावे के साथ कह सकता हूँ कि
टीना भी मेरी बातों मे आ गयी है." विजय ने कहा.
"पर सीमा मेरी एक बात समझ मे नही आई, तुमने टीना की चूत
मुझे क्यों नही देखने दी." विजय ने कहा.
"अगर मुझे पता होता कि साधु के भेष मे तुम हो तो शायद ज़रूर
देखने देती," मेने जवाब दिया, "लेकिन तुमने बेचारी की चूत को
अंगूठे से दबा दबा कर उसका पानी छुड़वा दिया."
"मुझे भी ऐसा ही लगा था." विजय ने हंसते हुए कहा.
जब हम घर पहुँचे तो देख की टीना की आँखे रो रो कर लाल हो
गयी थी, और वो अब ही रोए जा रही थी.
"क्या हुआ टीना तुम रो क्यों रही हो?" मेने पूछा.
"ओह मेडम महाराज के अनुसार मुझे अपनी चूत फदवाणी होगी, और अगर
इस दौरान में प्रेग्नेंट हो गयी तो? उसने रोते हुए कहा, "मेरे माता
पिता तो शरम के मारे मर ही जाएँगे. ये तो उनके लिए मौत से
बदतर होगा."
"बस इतनी सी बात है," अजय ने कहा, "सीमा तुम इसे अपनी गर्भ वाली
गोलियाँ दे दो, तुम्हारे लिए में कल और ले आयुंगा."
मेने उसे गोलिया लाकर दे दी और उसे समझा दिया कि किस तरह
लेनी है.
"शुक्रिया मेडम आपने मेरा बहोत बड़ा बोझ हल्का कर दिया." टीना
खुश होते हुए बोली.
जब हमने टीना को बताया कि वो हमारे साथ शिमला छुट्टियों पर आ
रही है तो वो खुशी से उछल पड़ी.
तो इस तरह विजय ने टीना को तय्यार किया अपनी चूत फदवाने के
लिए. सीमा दीदी ने अपनी कहानी ख़तम करते हुए कहा.
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07-26-2018, 02:23 PM,
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--10
दूसरे दिन शाम तक अमित और सुमित भी शिमला पहुँच गये. सीमा
दीदी ने अमित और सुमित का परिचय सोना और टीना से करवाया.
सोना ने उन्हे नमस्ते की, लेकिन टीना तो जैसे उछल पड़ी, "क्या कहा
दीदी आपने? इनका नाम सुमित है..... ओह पहले 'स' से शिमला अब 'स'
से सुमित..... हे भगवान तू कितना दयालु है.... महाराज की सब
बात पूरी हो रही है" चिल्लाते हुए टीना कमरे से भाग गयी.
अमित और सुमित हैरत से उसे देख रहे थे, सुमित ने झल्लाते हुए
पूछा, "क्या हो गया इस लड़की को? क्या ये पागल है?"
"नही सुमित ये पागल नही है बस थोड़ा खुश हो गयी है.' सीमा
दीदी ने कहा. फिर दीदी ने उन्हे सोना और टीना की कहानी सुना दी.
"सुमित एक बात याद रखना टीना के साथ तुम्हे ही पहल करनी है
वरना वो तुम्हे चोदने नही देगी." विजय ने उसे समझाते हुए कहा.
फिर हम सब बैठ कर सोचने लगे कि आगे क्या करना चाहिए. सबने
मिलकर यही तय किया कि एक दो दिन रुक जाना चाहिए जिससे सब आपस
मे घुल मिल जाएँ.
अगले चौबीस घंटे मे कुछ नही हुआ पर मेने देखा की टीना कुछ
अजीब व्यवहार कर रही थी.
"दीदी ये अचानक टीना को क्या हो गया है," मेने पूछा, "में देख
रही हूँ कि सुमित जहाँ भी जाता है ये उसके पीछे चली जाती है
और अगर वो किसी से प्यार से बात कर लेता है तो ये रोने लग जाती
है."
'हां मेने भी ये महसूस किया है," सीमा दीदी ने जवाब
दिया, "सूमी... अभी टीना मे बचपाना है.... वो समझ रही है कि
भगवान ने सुमित को सिर्फ़ उसके लिए बनाया है...."
"में अभी जाकर उसे सब खुलासा बता देती हूँ." मैने गुस्से मे
कहा.
"सूमी... बच्चो जैसी बात मत करो..." सीमा दीदी ने कहा. "थोड़ा
वक़्त जाने दो सब ठीक हो जाएगा, टीना एक बार चारों से चुदवा लेगी ना
तो सब अपने आप समझ जाएगी."
दो दिन बाद हम सब चाइ पीने बैठे थे. "मुझे लगता है कि अब
हमे अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिए." मेने कहा.
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है, वो सोना भी मुझे तीन बार याद
दिला चुकी है." जीजाजी ने कहा.
"क्या कहा तुमने उससे?" माला दीदी ने मुस्कुराते हुए पूछा.
"मेने उसे प्यार से समझा दिया कि में उसे उसकी मालकिन के सामने
छोड़ना चाहता हूँ जिससे घर पहुँच कर हमे चुदाई करने मे कोई
तकलीफ़ ना उठानी पड़े." जीजाजी ने बताया.
"पर अब तुम उसे नही चोदोगे तो वो तुमसे बहोत नाराज़ हो जाएगी."
सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा.
"में भी तो यही चाहता हूँ कि वो मुझसे नाराज़ और गुस्सा हो जाए."
जीजाजी ने कहा.
"अब तुम सब बातें ही करते रहेगो या कुछ करोगे भी," सुमित ने
कहा, "में तो अब टीना को चोदे बिना रह नही सकता."
"सुमित तुम्हे तो सिर्फ़ उसे बुलाने की देर है वो खुद तुम्हारे पास अपनी
टाँगे खोले चली आएगी," माला दीदी ने कहा, "तुमसे ज़्यादा वो तुमसे
चुदवाने को बैचैन है."
"मेरे दीमाग मे एक आइडिया आया है," सीमा दीदी ने कहा, "विजय तुम एक
काम करो. सोना के सामने ही हम मे से किसी की चुदाई करो... वो
जलने लगेगी और खुद बा खुद ही अमित के बिस्तर मे घुस जाएगी."
"हो सकता है आप सही कह रही हों" अमित ने कहा, "लेकिन मेने और
सुमित ने तय किया है कि हम दोनो सोना और टीना को सबके सामने
चोदेन्गे जिससे कि बाद मे सब उनकी कसी चूत का मज़ा उठा सके."
"यार तुम दोनो का सोचना सही है." जीजाजी खुश होते हुए
बोले, "हमे कोई दूसरा तरीका ढूंदना होगा."
"मुझे लगता है आज रात को खाने के बाद ही शुरू कर दिया जाए,"
अजय जीजू ने कहा, "लेकिन सवाल ये है कि शुरुआत कैसे करें."
"क्यों ना हम ताश खलेते है." सुमित ने कहा.
"ताश से क्या होगा, क्या ये दोनो लड़कियाँ मान जाएँगी." मेने कहा.
"मेरी मानो, में जो कहने जा रहा हूँ उससे मौका मिलेगा. हम तीन
पत्ती खेलेंगे, पैसे से नही. हम ऐसा गेम खेलेंगे जिसमे हारने
वाले को अपने शरीर का एक कपड़ा उतारना होगा, और जीतने वाला उससे
कुछ भी करने को कह सकता है." सुमित ने कहा.
ओह तो तुम स्ट्रीप पोकर गेम खेलने को कह रहे हो." अनु ने कहा.
"हां उससे क्या होगा कि एक बार वो नंगी हो जाएँगी तो उनकी आधी
शरम तो वैसे ही ख़तम हो जाएगी. और हम चारों को मौका मिल
जाएगा उन्हे चोदने का." सुमित ने कहा.
"हां ये तो है," मेने कहा, "लेकिन उस हालत मे क्या करोगे अगर हम
नंगी हो गयी और सोना और टीना के कपड़े नही उत्तरे तो?" मैने
पूछा.
"अरे तुम अमित को नही जानती इसकी बहोत सी खूबियाँ है, ऐसा हो
नही सकता कि उन दोनो के कपड़े ना उत्तरे." सुमित ने कहा.
"अमित मुझे पता नही था कि तुम पत्तेबाज भी हो." मैने हंसते हुए
कहा.
"इसके अलावा भी मेरी बहोत सी खूबियाँ है जिनके बारे मे तुम्हे नही
पता." अमित मुस्कराते हुए बोला.
"पर नौकरणीयाँ हमारे साथ ताश खलेने को राज़ी हो जाएँगी इसकी
क्या गारंटी है." मेने पूछा.
"मेने उसके बारे मे भी सोच लिया हिया, अगर इसकी नौबत आएगी तो
विजय सोना से कह सकता है कि ये सब उसके प्लान के तहत हो रहा है
और में देखूँगा कि टीना भी शामिल हो जाती है." सुमित ने कहा.
"हां ये ठीक रहेगा, मोना और रीमा को तो पता ही है कि हम सब
यहाँ क्यों इकट्ठा हुए है." अमित ने सुमित की बात का समर्थन
किया.
खाने खाते वक़्त सीमा दीदी ने कहा, "आज सब कोई मेरे कमरे मे
इकट्ठा होंगे. हम सब मिलकर एक गेम खलेंगे, और हां तुम चारों
को भी उसमे शामिल होना है." दीदी ने नौकरानियों को इशारा करते
हुए कहा.
जब हम सब सीमा दीदी के कमरे मे इकट्ठा हो गये तो जीजाजी ने
कहा, "आज हम तीन पत्ती खेलेंगे."
नौकरणीयाँ हमारी बात सुनकर विरोध करने लगी, "ये तो जुआ है और
जुआ खेलने के लिए हमारे पास पैसे कहाँ है?" सोना ने कहा.
"हां ये सही कह रही है," टीना ने कहा, "और मुझे तो ये खेलना
भी नही आता." मोना मेरे और अनु की तरफ देख रही थी जिसे हमने
इशारे मे समझा दिया.
"खेलना तो मुझे भी नही आता और मेरे पास भी पैसे नही है
लेकिन में फिर भी खेलूँगी शायद मज़ा आ जाए." मोना ने कहा.
"फिर तो में भी खेलूँगी." रीमा ने कहा.
"लड़कियो सुनो हम पैसे से नही खेलने वाले," जीजू ने उन्हे समझते
हुए कहा, "हम एक मस्ती वाला खेल खेलेंगे, जिसमे हारने वाले को अपना
एक कपड़ा शरीर से उतारना होगा. और पीसने वाला उससे कुछ भी करने
को कह सकता है लेकिन शरीर के सिर्फ़ उस अंग से जो खुला हो."
में सोना और जीजाजी को देख रही थी. सोना ने नज़रें उठा जीजाजी
की ओर देखा और जीजाजी ने उसे इशारा कर दिया.
"ठीक है में भी खेल कर देखना चाहूँगी." सोना ने कहा.
टीना तुम्हारा क्या ख्याल है?" जीजू ने पूछा. वो अभी भी हिक्किचा
रही थी.
"क्यों घबरा रही हो टीना," सुमित ने कहा, "ऐसा करो तुम तुम्हारी
मालकिन के पास बैठना इससे तुम्हारा हौसला बढ़ेगा."
"अगर आप कह रहे है तो ठीक है में भी खेल लेती हूँ." टीना ने
कहा.
"हमने एक चादर ज़मीन पर बिछा दी और सब कोई उस पर बैठ गये.
"अब दो बातें," जीजाजी ने कहा, "सब कोई बारी बारी से पीसीगा
लेकिन एक ही जना पत्ते बाँटेगा.... सबको मंजूर है."
अब सवाल ये उठा की कौन बाँटेगा, सब कहने लगे... में नही में
नही..... नौकराणीयाँ कहने लगी... हमे तो आता ही नही....
"अमित तुम क्यों नही शुरुआत करते?" सुमित ने कहा.
"पत्ते बाँटने से पहले एक बात, सभी के शरीर पर बराबर के कपड़े
होने चाहिए, जैसे की मेने चार पहन रखे हैं." अमित ने कहा.
बाकी के तीनो मर्दों ने भी चार कपड़े ही पहन रखे थे, जैसे की
अंडरवेर, बनियान, शर्ट और शॉर्ट्स. औरतों मे सोना और टीना को
छोड़ कर जिन्होने पॅंटी नही पहन रखी थी सभी ने पाँच कपड़े
पहन रखे थे जैसे की सारी ब्लाउस पेटीकोआट, ब्रा और पॅंटी.
"या तो तुम चारों औरतें अपनी पॅंटी उतार दो या फिर सोना और टीना
को भी एक पॅंटी दे दो पहनने के लिए," जीजू ने कहा, "जिससे इनके
भी पाँच कपड़े हो जाएँ.
"रीमा दोनो को मेरी पॅंटी दे दो पहनने के लिए." अनु ने कहा.
"नही दीदी में और मोना अपनी पॅंटी दे देंगी इन्हे," कहकर चारों
कमरे से बाहर चली गयी.
"अजय क्यों ना खेल के साथ ड्रिंक हो जाए?" विजय जीजाजी ने
कहा, "नशे से खेल कर और उन्हे तय्यार करने मे आसानी होगी."
"सुझाव अच्छा है, में अभी सब समान लेकर आया." जीजू ने कहा.
जब नौकरणीयाँ आई तो जीजू ने उन्हे उनके ग्लास पकड़ा दिए. मोना और
रीमा के साथ कोई परेशानी नही थी क्यों कि वो पहले भी हमारे
साथ ड्रिंक ले चुकी थी पर स्मास्या थी सोना और टीना के साथ.
"नही में नही लूँगी, मेने पहले कभी शराब नही पी है." टीना
ने कहा.
सोना मेरे और जीजाजी के बीच बैठी थी, "सोना ग्लास ले लो ये सब
मेरे कहने पर ही हो रहा है." जीजाजी उसके कान मे फुसफुसा.
सोना ने बिना कुछ कहे ग्लास उठा लिया.
"टीना देखो ना सोना भी पी रही है." सुमित ने कहा, "इसमे डरने की
कोई बात नही है, ये तो अंगूर का रस ही तो है." टीना सुमित को
मना नही कर पाई और उसने अपना ग्लास उठा लिया.
पहली बार पत्ते बाँटे गये. सीमा दीदी ने टीना के कान मे कुछ कहा.
"क्या कहा आपने? में जीत गयी तो हारा कौन?" टीना खुशी से
उछलती हुए अपने ग्लास एक बड़ा सा घूंठ भरते हुए बोली. रीमा हार
गयी थी.
"हां, अब तुम अपनी सारी निकाल दो." टीना ने हुकुम देते हुए
कहा, "और झुक करो मुझे सलाम करो और कहो, मालकिन में आपके
हुकुम की गुलाम हूँ."
"मुझे ये खेल पसंद आया," टीना चहकते हुए बोली. थोड़ी देर बाद
में हार गयी और जीजू जीत गये.
"मुझसे क्या करवाना चाहते है?" मैने अपनी सारी खोलते हुए पूछा.
"जिसे तुम चाहती हो उसे चूम लो." जीजू ने कहा.
मेने खिसकते हुए सुमित के पास गयी और गहरा चूँबन जड़ डाला,
में तिरछी नज़रो से टीना को देख रही थी. वो गुस्से मे मुझे
घूर कर देख रही थी फिर उसने अपना चेहरा घूमा लिया.
इसी शोर गुल के साथ खेल चल रहा था. फिर सोना हार गयी और
अमित जीत गया. "जिसे तुम प्यार करती हो उसे चूम लो." अमित ने
कहा.
सोना उठी और जीजाजी के होठों को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.
में माला दीदी को देख रही थी लेकिन उनके चेहरे के भाव वैसे ही
थे बल्कि वो ताली बजा कर सोना को उकसा रही थी... "हां सोना और
ज़ोर से चूसो."
दो घंटे और शराब के कई दौर बाद अलाम ये था कि सभी मर्द अपनी
अंडरवेर मे बैठे थे. और हम सभी औरतों अपनी पॅंटी और ब्रा मे
थी सिर्फ़ सोना और टीना को छोड़ कर.
फिर अनु की बारी आई ब्रा उतारने की... अनु ने ब्रा उतारी और सोना
बोल पड़ी.."ऑश दीदी आपकी चुचिया तो बड़ी प्यारी है."
"एम्म्म" अनु ने कोई जवाब नही दिया.
अगली बारी मे सोना हार गयी.."ओह साब क्या मुझे अपनी ब्रा उतारणी
पड़ेगी." उसने जीजाजी से पूछा.
"भाई उतारनी तो पड़ेगी.. नियम तो नियम होते है ना." जीजाजी ने
जवाब दिया.
हिचकिचाते हुए सोना ने अपनी ब्रा उतार दी.. "ओह्ह सोना तुम्हारी चुचि
तो कितनी सुंदर है.. दिल करता है कि इन्हे चूम लूँ भींच
लूँ." सुमित ने कहा और अपना हाथ उसकी चुचि की ओर बढ़ा दिया.
"सुमित रुक जाओ.. तुम नही.. ये बाज़ी रीमा ने जीती है तुमने नही...
तो रीमा तुम सोना से क्या करवाना चाहोगी? जीजू ने बीच मे कहा.
रीमा कुछ देर तक सोचती रही फिर बोली, "ठीक है सोना तुम अपना
कोई नेपाली गाना सुना दो."
सोना की आवाज़ सही मे काफ़ी मधुर थी.. जब वो गाना सुना रही थी तो
सुमित उसकी चुचियों को ही घूरे जा रहा था और उधर ये सब देख
टीना की आख्ने भर आई थी.
अगली दो बाज़ियों मे सुमित और जीजू की अंडरवेर भी उतर गयी. फिर
टीना की बारी आई और वो हार गयी. उसने अपनी ब्रा उतार दी और अपने
प्यारे मम्मे सुमित की ओर बढ़ा दिए पर उसने सिर्फ़ उन्हे देखा और
पूछा ,"जीता कोन है?"
वो बाज़ी अनु जीती थी वो चाहती थी कि टीना कोई गाना गाये, "पर
मुझे तो कोई गाना आता नही हा अगर आप चाहें तो में कोई भजन
सुना सकती हूँ." टीना ने कहा.
"ठीक है वो ही सुना दो." अनु ने कहा.
उसने गाना तो गाया लेकिन सुमित की बेरूख़ी ने उसे रुला दिया था वो
रोने लगी.
"मुझे नींद आ रही है और में आगे नही खेल पयूंगी," कहकर
टीना ने अपना सिर सीमा दीदी की गोद मे रख लेट गयी. वहाँ सोना की
आँखों मे भी नींद भर आई थी.
"लगता है सब को काफ़ी नींद आ रही है," जीजू ने कहा, ऐसा करते
है हम कल यहीं से शुरुआत कर खेल को आगे खेलेंगे."
"जैसा आप कहे." सोना और टीना ने कहा.
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07-26-2018, 02:23 PM,
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"मोना और रीमा तुम दोनो इन्हे अपने कमरे मे लेजाओ, और इन्हे बिस्तर
पर सुला कर वापस यहीं आ जाना." सुमित ने कहा.
"तुमने सोना और टीना को क्यों भेज दिया," सीमा दीदी बोली, "आज तुम
दोनो उनकी कुँवारी चूत चोद सकते थे."
"हां ले तो सकते थे लेकिन वो नींद मे थी और ऐसे मे उनके साथ वो
सब करना अच्छा नही रहता," अमित ने कहा, "हम उनकी कुँवारी चूत
तब फाड़ेंगे जब वो अपने पूरे होश मे हो और उन्हे पता हो कि उनके
साथ क्या हो रहा है." तभी मोना और रीमा लौट कर आ गयी.
"तुम दोनो उन दोनो की चूत को तरोताज़ा रखना हम कल उनकी चूत
फाड़ेंगे." सुमित ने कहा.
"हां सर हमे पता है हमे क्या करना है." कहकर वो दोनो चली
गयी.
"अब हम क्या करेंगे?" अनु ने पूछा.
"आज की रात में और अमित तुम्हारी बहनों की चुदाई करेंगे." सुमित
ने कहा.
"ये तो हमारी ख़ुसनसीबी होगी," सीमा दीदी ने सुमित को बाहों मे
भरते हुए कहा, "पहले किसे चोदना पसंद करोगे?"
"में तो पहले अपनी बीवी की बेहन को चोदना पसंद करूँगा." अमित ने
कहा, "तब तक हमारे जीजा लोग हमारी बीवियों को चोद सकते है."
उस रात हमारे पतिदेव हमारी बहनो को चोद्ते रहे और हमारे जीजाजी
मुझे और अनु को चोद्ते रहे.
सुबह करीब 8.00 बजे मोना और रीमा सुबह की चाइ लेकर हमारे
कमरे मे आई.
जब हम चाइ पी रहे थे तभी सीमा दीदी ने पूछा, "वो दोनो क्या
कर रही है?"
"वो दोनो अभी सोकर उठी है." मोना ने कहा.
"रीमा रात क्या हुआ था?" अमित ने पूछा.
"जब हम कमरे मे पहुँचे तो दोनो सो चुकी थी." रीमा ने
कहा, "तब में सोना की पलंग मे घुस गयी और उसके होठों को
चूसने लगी साथ ही उसकी चुचियों को भी दबाने लगी तभी उसने
सिसकते हुए अपनी आँख खोल दी."
"ओह्ह्ह रीमा कितना अछा लगरहा है ऑश" वो बड़बड़ाई.
"ये तुम्हे और अछा लगेगा." कहकर मेने अपना हाथ उसकी पॅंटी मे डाल
उसकी चूत को मसल्ने लगी.
"ओह रीमा काश तुम मर्द होती." उसने सिसकते हुए कहा था.
"माफ़ करना में तुम्हे चोद तो नही सकती लेकिन तुम्हे अछा लगे तो
में तुम्हारी चूत चूस सकती हूँ." मैने जवाब दिया था.
"क्या सही मे?" उसने असचर्या से पूछा. जब मेने हाँ कहा तो
बोली, 'हां रीएमा मेरी चूत चूस दो."
तब में उसकी चूत चूसी और वो इस दौरान तीन बार झड़ी. फिर हम
दोनो एक दूसरे की बाहों मे लिपट सो गये. मुझे तो लगता है कि वो
चुदवाने के लिए मरी जा रही है.
"और मोना तुम्हारा टीना के साथ कैसा रहा?" सुमित ने पूछा.
जब में उसके बिस्तर मे घुसी तो वो गहरी नींद सोई हुई थी. मोना
अपनी कहानी सुनने लगी. 'फिर मेने रीमा की तरह उसके होठों को
चूसा और उसकी चुचियों को मसला फिर भी वो नही जागी. बस
नींद मे आपका नाम बड़बड़ा रही थी.
'फिर मैने अपना हाथ उसकी पॅंटी के अंदर डाला और उसकी फूली हुई
चूत को दबाने लगी' तभी उसने चौंक कर अपनी आँखे खोल दी.
'ओह तो ये तुम हो,' उसने कहा, 'मोना प्लीज़ रुक जाओ ये ग़लत है.'
"अगर तुम्हे अच्छा लगता है तो करने मे क्या बुराई है?" मेने उसे
चूमते हुए कहा.
"नही मोना ये ग़लत है." उसने कहा, "दो औरतों को आपस मे ये करना
पाप है."
'तभी सोना ज़ोर से सिसक पड़ी. "सोना की तरफ देखो किस तरह वो और
रीमा आपस मे मज़े ले रहे है, क्या तुम भी वो मज़ा नही लेना
चाहोगी?" मेने पूछा.
'हाँ.. ... लेकिन' वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन मेने बीच टोक
दिया, 'अब चुप रहो और मज़े लुटो' कहकर में उसकी चूत चूसने
लगी पर थोड़ी देर बाद वो बोली, 'मोना रुक जाओ मुझसे सहन नही
होता.'फिर हम दोनो भी एक दूसरे से लिपट कर सो गये.
"सर उसकी चूत का छेद बहोत ही छोटा है आपको मज़ा आएगा." मोना
ने हंसते हुए कहा.
"ठीक है अब एक काम करो इन चाइ की ट्रे कोले जाओ." सुमित ने हंसते
हुए कहा. "और जाकर उनसे कहो कि तुम दोनो ने विजय को अनु को
चोद्ते देखा और मुझे सीमा को चोद्ते देखा."
जैसा हमने सोचा था वैसे ही हुआ, थोड़ी देर मे ज़ोर से दरवाज़ा
खुला और सोना और टीना दोनो नंगी मोना और रीमा के साथ कमरे मे
दाखिल हुई. सोना बोली तो कुछ नही लेकिन विजय को देखती रही जो
अनु को चोद रहा था.
वहीं टीना ज़ोर से चीखी, 'श सर ये आप क्या कर रहे है?"
"क्या हुआ तू आँधी है? देख नही सकती वो मेरी बेहन को चोद रहे
है," मेने उसके जख़्मो पर नमक डालते हुए कहा.
टीना मेरी बात पर कुछ कहना चाहती थी लेकिन माला दीदी बीच मे
बोल पड़ी, "क्या तुम चारों को एहसास है कि तुम सब नंगी हो."
"हे भगवान," कहते हुए वो सब अपनी चूत को हाथों से धकते हुए
कमरे से भाग गयी.
"अब जबकि हम जो चाहते थे वो हो चुका तो तुम दोनो अब चोदना बंद
करो." जीजू बोले, "ये ताक़त रात के लिए बचा के रखो."
सीमा और अनु तो खफा हो गयी जब सुमित और विजय ने अपने अपने लंड
उनकी चूत से निकाल उन्हे बीच मझधार मे छोड़ दिया. लेकिन समय की
नज़ाकत को समझते हुए उन्होने कुछ नही कहा.
"अजय हमारी चूत का पानी छूटने तक तो तुम रुक सकते थे." सीमा
दीदी ने शिकायत करते हुए कहा.
"सॉरी डार्लिंग में रात के कार्यक्रम मे इतना खोया हुआ था कि मुझे
याद नही रहा." जीजाजी ने माफी माँगते हुए कहा, "वैसे ये तुम्हारी
चूत चूस्कर तुम दोनो का पानी छुड़ा देंगे."
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