Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
07-26-2018, 02:19 PM,
#8
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--7

अमित ने अपना दबाव बढ़ाया और मुझे ऐसा महसूस हुआ की उसका लंड

मेरी गंद की दीवारों को चीर रहा है.

"ऑश माआआ" में सिसक पड़ी.

"येयी गया," चिल्लाते हुए अमित ने एक ज़ोर का धक्का मारा और पूरा

लंड एक ही झटके मे मेरी गंद मे घुसा दिया.

"ओह मर गयी......." में दर्द के मारे ज़ोर से चिल्ला

उठी, "भगवान के लिए अमित क्या मुझे जान से मार डालने का इरादा

है."

"सॉरी सूमी मेरी जान," अमित ने माफी माँगते हुए कहा, "जोश जोश मे

मुझे ख़याल नही रहा, में भूल गया था कि सुमित का लंड भी

तुम्हारी चूत के अंदर घुसा हुआ है."

फिर दोनो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे. थोड़ी देर मे मुझे

चूत और गंद दोनो छेदों मे मज़ा आने लगा.

"ऑश अमित जिसने भी वो कहानी लिखी थी सही मे जवाब नही.....

ऑश हाआअँ चोदो दोनो मुझे चूओड़ो हाा ज़ोर से ऑश."

मेरी जान वो कहानी राज शर्मा की है

मेरी सिसकियों को सुन दोनो मे जोश आ गया. सुमित नीचे से ज़ोर ज़ोर

से अपनी गंद उपर कर धक्के मारने लगा और अमित पीछे से ज़ोर के

धक्के मार रहा था.

"हाँ चोदो ऐसे ही चोदो, आअज तो तुम दोनो ने मुझे जन्नत का

मजा दे दिया... हां और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और तेज श

मेरा तो छूटने वाला है और ज़ोर से.." जोरों से सिसकते हुए मेरी

चूत ने पानी छोड़ दिया.

दो तीन धक्के मार अमित ने अपना वीर्या मेर गंद मे छोड़ दिया और

सुमित ने अपना मेरी चूत मे

'सूमी क्या सही मे बहोत मज़ा आया," जब हमारी साँसे थोड़ी संभली

तो अनु ने पूछा.

"मुझे पता नही," मेने हंसते हुए कहा, "एक बारऔर इस तरह चुदवा

लूँ फिर ही बता सकती हूँ कि कैसा लगा."

"दीदी, लगता है सूमी दीदी को बहोत मज़ा आया है." मोना बोली.

"हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा है," अनु ने कहा, "नही सूमी अब

मेरी बारी है और में दो लंड से चुदवाउन्गि."

"सॉरी अनु आज नही हम दोनो ये फ़ैसला किया है कि दोहरी चुदाई दिन

में एक बार ही करेंगे." सुमित ने कहा.

"अब ये तो कोई बात नही हुई.... हम क्या करेंगे?" अनु ने शिकायत

करते हुए कहा.

"हमने तो तुम्हे मौका दिया था लेकिन तुमने फ़ायदा नही उठाया इसमे

हमारी क्या ग़लती है? अब तो तुम्हे कल तक के लिए रूकना पड़ेगा."

अमित ने कहा.

अब हम इसी तरह मस्ती करते हुए दिन गुज़र रहे थे. हफ्ते के आख़िर

हम सब घर पर रह कर आराम करते और साथ ही मज़ा करते. अक्सर

घर मे रहते हुए हम कपड़े नही पहनते थे. ऐसे ही एक रविवार की

शाम हम सब हाथ मे बियर का ग्लास लिए बैठे थे. दोनो

नौकरानिया भी हमारी तरह नंगी ही थी और उन्होने कोक की बॉटल

हाथ मे ले रखी थी.

मेने देखा कि अमित रीमा को देखते हुए अपने लंड को मसल रहा था.

अचानक रीमा नीचे झुक कर ग्लाब की पंखुड़ियों को उठाने लगी जो

नीचे गिर गयी थी.

रीमा की फूली गंद देख कर अमित उछल पड़ा और उसे पीछे से

पकड़ लिया, "अभी तो में इसकी गंद मारूँगा."

अचानक ना जाने रीमा को क्या हुआ उसने अमित को धक्का देते हुए अपने

से दूर कर दिया लौर चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे

छूने की?"

अमित और हम चारों रीमा का ये व्यवहार देख कर हैरान रह गये

थे, की आज इसे क्या हो गया. हमने उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा दूर

खड़ी मुस्कुरा रही थी.

"भाई ये नाटक कर रही है," सुमित ने कहा, "मुझे लगता है कि तुम

इसे मनाओ."

अमित ने अपनी गर्दन हिलाई और रीमा को अपनी बाहों मे भर

लिया, "डार्लिंग क्यों नखरे दीखा रही हो? चलो मज़ा करते है."

"तुम्हे शरम नही आती इस तरह पराई औरतों को छेड़ते हुए?" रीमा

ने अपने आप को अमित से छुड़ाया और अपने कूल्हे मतकती हुई उससे दूर

चली गयी.

"अमित मुझे लगता है कि ये चाहती है की तुम इसके साथ ज़बरदस्ती

करो." सुमित ने हंसते हुए कहा.

"फिर तो आज इसकी इच्छा पूरी होकर रहेगी." अमित रीमा की ओर बढ़ते

हुए बोला.

रीमा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो जोरों से चिल्लती हुई

कमरे मे भागने लगी, "अरे कोई इस बदमाश से मुझे बचाओ.. कोई तो

मेरी मदद करो.... ये बदमाश मुझे चोदना चाहता है... प्लीज़ कोई

तो मदद कर दो..."

फिर पकड़ा पकड़ी का खेल शुरू हो गया. आख़िर दस मिनिट तक इधर

से उधर भागने के बाद रीमा अमित के हाथ लग ही गयी.

अमित ने जोरों से उसे बाहों मे भींचा और उसकी चुचियों को रगड़ते

हुए बोला, "देख हरमज़ड़ी अब में तुझे कैसे चोदता हूँ, अगर आज

चोद चोद के तेरी चूत और गंद ना फाड़ दी तो कहना, साली कई

दिन तो ठीक से चल भी नही पाएगी."

रीमा किसी जल मे फाँसी मछली की तरह फड़फदाई और जोरों से

चिल्लाने लगी, 'छोड़ दे मुझे बदमाश , अगर चोदना ही तो जा कर

अपन मा बेहन को चोद जाकर."

थोड़ी देर मे हमे लगा कि जिसे हम मज़ाक समझ रहे थे वो मज़ाक

नही था, रीमा सही मे अपने आपको अमित से छुड़ाने की कोशिश कर

रही थी.

और अमित का तो हाल बुरा था, उत्तेजना और जोश मे उसका चेहरा और

लंड दोनो लाल हो चुके थे. लंड था कि और तनता ही जा रहा था.

काफ़ी छीना झपटी के बाद अमित रीमा को ज़मीन पर लीटाने मे सफल

हो गया. लेकिन वो जितना रीमा के उपर आकर उसकी टाँगो को फैलाने की

कोशिश करता रीमा किसी ना क्सि तरह उसे अपने उपर से हटा देती.

लेकिन विरोध करते करते रीमा थक गयी और उसके हाथ पाँव ढीले

पड़ने लगे. आख़िर अमित उसकी टाँगो को फैलाने मे कामयाब हो गया.

उसने उसकी चुचियों को पकड़ा और एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी

चूत मे गुसा दिया.

"ऑश मार गयी..... मुझे जाने दे बादमाअश" रीमा जोरों से दर्द के

मारे कराह उठी.

लेकिन अमित ने उसकी करहों पर कोई ध्यान नही दिया और ज़ोर ज़ोर से

उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर करता रहा. रीमा गिड़गिदने लगी

की वो उसे छोड़ दे.

अमित था की वो उसकी टाँगो को और फैला ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा

था, "ले रांड़ ले मेरे लंड को, क्या कहा था तूने की में अपनी मा

बेहन को चोदु देख अब में तेरी चूत की क्या हालत करता हूँ ले

रंडी मेरे लंड को."

थोड़ी ही देर मे रीमा की हाथ पाँव ढीले पड़ गये और उसकी कमर

अमित का साथ देने लगी. में समाझगाई की उसकी चूत पानी छोड़ने

वाली है. दो तीन धक्कों मे ही वो ज़ोर की सिसकारी भरते ही झाड़

गयी. अमित भी ज़ोर के धक्के मार झाड़ गया.

अमित के झाड़ते ही रीमा ने उसके चेहरे को हाथो मे ले लिया, थॅंक

यू सर, मज़ा आ गया," कहकर वो उसे बेतहाशा चूमने लगी.

"रीमा ये सब क्या था," अनु ने उससे पूहा.

"वो दीदी क्या है ना में हमेशा सोचा करती थी कि कोई मेरे साथ

ज़बरदस्ती करे और बलात्कार के वक़्त कैसा महसूस होता है में ये

जानना चाहती थी, और आज मुझे पता चल गया कि कभी कभी

ज़बरदस्ती मे भी मज़ा आता है." रीमा ने जवाब दिया.

"ऐसा था तो तूने हमे पहले क्यों नही बताया?" मेने पूछा.

"दीदी अगर बता देती तो शायद हक़ीकत वाला मज़ा ना आता." रीमा ने

कहा.

"ये शायद सही कह रही है." मोना ने कहा, "लेकिन रीमा जब अमित

सर ने अपना लंड तेरी चूत मे घुसाया तो तू चीख क्यों पड़ी."

"वो क्या है ना, जब भी कुँवारी चूत मे लॉडा घुसता है तो लड़की

चीख ही पड़ती है ना." रीमा ह्नस्ते हुए बोली.

रीमा ने इस भोले पन से मुँह बनाते हुए कहा था कि हम सभी

हँसने लगे.

"मोना क्या तुम भी चाहोगी रीमा की तरह अपना बलात्कार करवाना? सुमित

ने पूछा.

"नही सर, ये रीमा को ही मुबारक हो." मोना ने जवाब दिया, "हां

अगर आप मुझे चोदना चाहते है तो चोद सकते है."

"वो तो हमेशा में तुम्हे चोदना चाहता हूँ," सुमित उसे बाहों मे

भरते हुए बोला.

"सुमित एक मिनिट रूको," अनु ने कहा, "मोना तुम्हारा कोई सपना या फिर

ऐसा कोई ख्याल जो तुम पूरा करना चाहती हो?"

"हाँ एक सपना है, में बचपन से ही एक सपना देखती आई हू मोना ने

कहा, " कि मुझे दुल्हन की तरह सजाया जाए, मेरी शादी हो रही

है और में अपनी कुँवारी चूत अपने पति से चुदवा रही हूँ, लेकिन

शायद ये सब अब एक सपना ही रह जाएगा."

"नही ये सपना नही रहेगा," मेने कहा, "अमित और सुमित तुम्हारा

कुँवारा पन तो नही लौटा सकते लेकिन हां आज तुम्हारा बाकी का

सपना ज़रूर पूरा होगा."

शाम को हम मोना को एक ब्यूटी पार्लर मे ले गये जो कि दुल्हन के

मेक उप के लिए फाओमौस था. रीमा को हमने ठीक किसी दुल्हन की तरह

सज़ा कर तय्यार कर दिया. नया दुल्हन का जोड़ा, गहने सभी कुछ

हमने उसे पहना दिया. हम बाकी भी ऐसे तय्यार हो गयी जैसे की किसी

शादी मे जा रही हों.

रात के ठीक डूस बजे हम मोना को हमारे पति की पास ले गयी. सुमित

शेरवानी पहन कर ठीक किसी दूल्हे की तरह लग रहा था और अमित ने

शानदार सूट पहना हुआ था.

"कहिए हमारी दुल्हन कैसी लग रही है?" अनु ने मोना का घूँघट

थोड़ा उपर करते हुए पूछा.

"हे भगवान ऐसा लग रहा है जैसे की आसमान से कोई अप्सरा उत्तर

कर आ गयी हो," अपनी साँसे संभाले अमित मोना के पास आया. "मोना

तुम तो बहोत ही सुंदर लग रही हो."

"भाई अपने आप को संभलो." सुमित हंसते हुए बोला, ये मेरी दुल्हन

है, इसे हाथ भी मत लगाना."

फिर मेने और अनु ने मिलकर मोना की शादी सुमित के साथ नकली रूप

मे करा दी. फिर विदाई भी हुई और मोना इस कदर फूट फूट कर

रोई जैसे की सही मे उसकी बिदाई हो रही हो.

फिर हम मोना को उसके सुहागरात के कमरे मे ले गये जिसे हमने फूलों

और गुब्बारों से अछी तरह सजाया था और उसे पलंग पर बिठा दिए

जिसपर गुलाब की पंदखुड़िया बिछी हुई थी.

"सुमित अब तुम जा सकते हो? अनु ने कहा, "तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा

इंतेज़ार कर रही है."

जैसे ही सुमित ने कमरे मे घुस कर दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की

मेने चिल्ला पड़ी, "रुक जाओ, हम भी आ रहे है."

सुमित चौंक कर बोला, "तो क्या तुम हमारी सुहागरात देखना चाहती

हो?"

"और नही तो क्या? अनु ने जवाब दिया, "तुम्हे कोई ऐतराज़ है क्या?

"मुझे तो कोई ऐतराज़ नही है, लेकिन बेहतर होगा कि आप लोग आज रात

की दुल्हन से पूछ लें." सुमित ने कहा

"मोना प्लीज़ क्या हम देख सकते है?" मेने उससे आग्रह करते हुए

कहा, हम तो सिर्फ़ ये देखना चाहते है कि सुहागरात की रात ये तुमसे

ठीक से बर्ताव करता है कि नही और कहीं ये तुम्हारी गंद ना मार

दे."

"लड़किया तुम सब पागल हो गयी हो." अमित ने हमे बीच मे टोकते हुए

कहा, "सुहागरात को लोगों की आपस की और पर्सनल रात होती है,

में तो कहूँगा कि तुम सब इन्हे अकेला छोड़ दो.."

"थॅंक यू सर," मोना ने धीरे से कहा.

हमे अक्चा तो नही लगा लेकिन अमित का तर्क भी सही था, इसलिए हम

सब वहाँ से बाहर आ गये.

दूसरी सुबह हमने अमित से पूछा, "तो रात कैसी गुज़री?"

"ऑश में बता नही सकता, मोना वाकई मे लाजवाब है, नई नवेली

दुल्हन की तरह शरमाती रही. जब मेने उसके कपड़े उतारने चाहे तो

शर्मा कर सिमट गयी. जब उसकी चूत मे लंड घुसना चाहा तो ऐसे

शरमाई जैसे की पहली बार लंड ले रही है. जब लंड घुसा तो दर्द

से चिल्लई नही सिर्फ़ धीरे से फुसफुसा, "धीरे कीजिए ना दर्द हो

रहा है," सच में एक यादगार रात थी." अमित ने हमे बताया.

"और तुम क्या कहना चाहती हो मोना?" अनु ने पूछा.

"दीदी अब में अपनी नकली सुहागरात के बारे मे क्या कहूँ, आप तो सब

पहले से ही जानती है, आप तो सुहागरात मना भी चुकी हो." उसने

धीरे से कहा.

"शुक्रा है भगवान का इसे हक़ीकत का पता नही," मेने मन ही मन

कहा.

"फिर भी बताओ तुम्हे कैसा लगा?" अनु ने पूछा.

"श दीदी सही मे जन्नत का मज़ा आ गया, सुमित सर एक दम दूल्हे की

तरह मुझसे पेश आए. इतने प्यार से और अप्नत्व से इन्होने सब

किया," मोना ने बताया, "काश जिस दिन इन्होने पहली बार हमारी

कुँवारी चूत फाडी थी ऐसा ही प्यार और अप्नत्व दीखया होता."

"सॉरी मोना डार्लिंग," सुमित ने माफी माँगते हुए कहा, "तुम्हे तो पता

था कि उस दिन हालत और महॉल कैसा था."

"मुझे पता है, इसलिए कोई शिकायत नही है," मोना ने जवाब

दिया, "हां और इस बात की खुशी मुझे जिंदगी भर रहेगी कि नकली

ही सही मेने भी सुहागरात मनाई है."

मैं कुछ ज़्यादा ही एमोशनल हो रही थी इसलिए बात को बदलने के

लिए मेने मोना से फिर पूछा, "कहीं इन्होने तेरी गांद तो नही

मारी?

"ये तो मारना चाहते थे लेकिन मेने मना कर दिया." मोना ने हंसते

हुए कहा.

"कल नही मारी तो क्या हुआ, अब तो मार सकता हूँ," सुमित ने उसे बाहों

मे भरते हुए कहा.

"मना किसने किया है, स्वागत है आपका." मोना वहीं कुर्सी के सहारे

घोड़ी बनती हुई बोली.

"भैया इसकी गांद शाम तक का इंतेज़ार कर सकती है लेकिन ऑफीस

मे आने वाले हमारे ग्राहक हमारा इंतेज़ार नही करेंगे." अमित ने

कहा. "हमे तुरंत ऑफीस के लिए रवाना हो जाना चाहिए नही तो

लेट हो जाएँगे."

इसी तरह मस्ती और मज़े करते हुए समय गुज़रता गया. करीब तीन

महीने बाद मुझे सीमा दीदी का फोन आया ये बताने के लिए कि वो

दोनो शर्तें पूरी करने को तय्यार है.

"दीदी क्या कुँवारी चूत का इंतेज़ाम हो गया?" मेने पूछा.

"हां हो गया है." माला दीदी ने जवाब दिया.

"कौन हैं वो?" अनु ने पूछा.

"वो सब हम फोन पर नही बता सकते," सीमा दीदी ने हंसते हुए

अखा, "पर तुम्हारी जल्दी ही उनसे मुलाकात होगी."

उस दिन शाम को हमने ये खुश खबरी हमारे पतियों को सुनाई.

"वाउ क्या बात है, अब जल्दी से बताओ कि कब और कहाँ हमे मिलना

होगा उनसे?" अमित ने पूछा.

'आइ कान'ट टेल यू ऑन दा फोन,' मधु दीदी ने कहा, 'बट यू विल

मीट देम सून एनफ.' दट ईव्निंग, वी गेव दा गुड न्यूज़ टू अवर

हज़्बेंड्स.

'ग्रेट, वेन आंड वेर?' अमित इंक्वाइयर्ड.

"जीजू ने शिमला मे एक बुंगलोव किराए पर लिया है. वो चाहते है कि

हम इस महीने की 30 तारीख को वहाँ पहुँच जाएँ." मैने उन्हे बताया.

"शिमला ही क्यो, वो यहाँ भी आ सकते थे या फिर हमे अपने यहाँ

बुला लेते." सुमित ने कहा.

"मेने पूछा नही." मेने जवाब दिया, "होगा कोई कारण या फिर उनकी

मजबूरी, तुम कहो तो में उनसे पूछ सकती हूँ."

"नही इसकी कोई ज़रूरत नही है, बस उन्हे हमारा धन्यवाद देना और

कहना कि हम ठीक दिन पहुँच जाएँगे." अमित ने कहा

दो हफ्ते बाद जब हम हमारा शिमला जाने के प्रोग्राम की तय्यरी कर

रहे थे, अमित ने कहा, "देखो हमे ऑफीस का कोई ज़रूरी काम आ

गया और हम तुम दोनो के साथ नही जा पाएँगे, लेकिन हां हम ठीक

30 को वहाँ पहुँच जाएँगे सो तुम दोनो पहले चले जाओ और अपने

साथ मोना और रीमा को भी ले जाओ."

"तुम्हे लगता है कि इन्हे हमारे साथ ले जाना ठीक रहेगा." अनु ने

कहा, "वहाँ तुम हमारी बहनो की चुदाई भी करने वाले हो."

"इसमे क्या हर्ज़ है, कभी ना कभी तो इन दोनो को सब कुछ मालूम

पड़ने ही वाला है, तो क्यँ ना आज ही पड़ जाए." सुमित ने कहा, "और

याद है ना कि तुम्हारे प्यारे जीजू और जीजाजी हमे तोहफे मे कुँवारी

चूत देने वाले है तो हम भी इन दोनो को रिटर्न गिफ्ट मे उन्हे दे

देंगे."

"क्या मोना और रीमा को बुरा नही लगेगा कि तुमने अपने ही अंजान

रिश्तेदारों के हाथ मे उन्हे सोंपने दिया चुदवाने के लिए." मेने

अपनी चिंता जताई.

"अरे कुछ बुरा नही लगेगा, बल्कि वो दोनो तो खुश हो जाएँगी की

उन्हे दो नये लंड मिल गये चुद्वने के लिए, लेकिन तुमने फिर भी

अपनी चिंता जताई है इसलिए बेहतर होगा कि हम उसने पहले ही पूछ

लें" अमित ने कहा और उन्हे आवाज़ लगाई.

जब वो दोनो कमरे मे आई तो सुमित ने उन्हे सब कुछ विस्तार से समझा

दिया कि वो क्या और क्यों करना चाहते है.

"हम ये जानना चाहते है कि क्या तुम दोनो तय्यार हो?" अमित ने उन दोनो

से पूछा.
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RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया - by sexstories - 07-26-2018, 02:19 PM

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