RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"सोना उसके बाद मे मोहन के पास बराबर जाने लगी, सही मे बहोत
मज़ा आता है चुदाई करने मे, में तो कहती हूँ तुम भी चलो
बहोत मज़ा आएगा." रानीने मुझसे कहा और ज़िद करने लगी साथ चलने
के लिए.
"नही मुझे नही जाना तुम्हारे साथ, में जैसी हूँ ठीक हूँ." मेने
कहा, "हां लेकिन एक बात तुम याद रखना अगर कहीं कुछ गड़बड़ हो
गयी तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी."
"सोना में भी कॉंडम लगा के करूँगा" मेने उससे कहा कि शायद वो
तय्यार हो जाएगी.
"शाब्ज्ी तकदीर का कोई भरोसा नही," सोना ने आगे बताते हुए
कहा, "दो महीने बाद रानी प्रेग्नानॅट हो गयी. जब मेने उससे पूछा की
ये सब कैसे हो गया तो उसने बताया की एक दिन कॉंडम फॅट गया और
उनका वीर्या मेरी चूत मे गिर गया." रानी ने रोते हुए बताया था.
"पहले तो रानी ने अपने माता पिता को कुछ नही बताया लेकिन जब उसका
पेट फूलने लगा तो उसे सब कुछ बताना पड़ा. उसके पिता ने गाँव के
मुखिया से बात की और मोहन को उससे शादी करनी पड़ी. लेकिन उसकी
बीवी उससे बहोत नाराज़ है और उसके साथ गुलामो जैसा व्यवहार करती
है. आज वो दो बच्चो की मा हो गयी है पर वो खुश नही है."
सोना ने कहानी पूरी करते हुए कहा.
ये बात तो साफ हो गयी थी सोना मुझे चोदने नही देगी इसलिए मेने
सोचा कि क्यों ना कम से कम उसकी चूत देख ली जाए.
"ठीक है में तुम्हे नही चोदुन्गा लेकिन क्या तुम मुझे तुम्हारी चूत
चूसने दोगि जिससे तुम्हे भी मज़ा मिल सके." मैने कहा.
"सोना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "ठीक है लेकिन पहले आप इसे
अंदर कर ले," उसने मेरे खड़े लंड की ओर इशारा किया.
सोना ने अपने कपड़े उतारे और सोफे पर लेट गयी. मेने अपने लंड को
वापस अपनी पॅंट के अंदर कर लिया था. में उसकी टाँगो के बीच आ
गया और उसकी टाँगो को फैला उसकी चूत को पहेल तो चूमा फिर अपनी
जीब उसपर फिराने लगा.
"ऑश साआबजी कितना अचहाअ लग रहा है..." वो सिसक पड़ी.
उसकी सिसकी सुनकर मेने अपनी जीब उसकी चूत के अंदर घुसा दिया उर
गोल गोल घूमा उसकी चूत को चूसने लगा. वो भी अपनी कमर उठा
अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगी. उसकी सिसकियाँ तेज होने
लगी थी होंठ फड़फड़ने लगे थे.
"ओह साआजी मज़ाअ आगेया ऑश अयाया हां चूसिए और ज़ोर से
चूसिए... रुकियगा मत ऑश हां और तेज़ी से घुसा दीजिए अपनी
जीएब
को ऑश मेरा तो छूटनाआ."
उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी फिर भी में उसकी चूत को चूस्ता
गया और उसकी चूत ने दो बार और पानी छोड़ दिया.
"मज़ाअ आया तुम्हे?" मैने उससे पूछा.
'श साबजी बता नही सकती बहोत मज़ा आया." उसने कहा.
"सोना एक बार चुदवा लो, सही मे तुम्हे इससे भी ज़्यादा मज़ा आएगा."
मेने उससे ये सोच कर कहा कि शायद वो तय्यार हो जाएगी.
"साबजी मुझे आप पर विश्वास है, लेकिन रानी ने भी यही कहा
था," सोना ने कहा, "में भी आपको मज़ा देना चाहती हू और मज़ा
लेना चाहती हूँ. पर मुझे डर लगता है, काश हम बिना किसी डर
के चुदाई कर सकते." सोना ने मुझसे कहा.
तुरंत मेरे दिमाग़ मे एक उपाय आया और में बाथरूम मे जाकर माला
की गर्भ निरोधक गोलियाँ ले आया.
"ये लो और लेबल पर लीखे अनुसार इन्हे बराबर लेती रहना ये पूरी
तरह सुरख़्शिट है." मेने उससे कहा.
"क्या आपको पक्का विश्वास है?" सोना ने पूछा.
"हां तुम्हारी मेडम इन्हे बराबर लेती है और आज तक प्रेग्नानॅट नही
हुई." मेने उससे कहा.
"ठीक है में आप पर विश्वास करके इन्हे बराबर ले लूँगी. मुझे
इन्हे चुदाई के पहले चूत मे डालना है या चुदाई के बाद." उसने
पूछा.
"अरे बेवकूफ़ ये गोलियाँ है इन्हे तुम पानी के साथ निगल लेना. लेबल
पर लीखे अनुसार लेना और एक महीने मे तुम सुरख़्शिट हो जाओगी."
मैने उसे समझाते हुए कहा.
"क्या? हमे एक महीने तक रुकना पड़ेगा." उसने पूछा.
"अब सुरक्षित रहने के लिए इतनी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी." मेने
कहा.
"क्या मेडम को इन गोलियों की ज़रूरत नही पड़ेगी?" उसने पूछा.
"नही अब वो गोलियाँ नही ले रही है, हम एक और बच्चे की सोच रहे
है," मेने उसे बताया.
उसी समय माला दीदी ने कहना शुरू किया, "उस रात जब हम बिस्तर मे
थे तो मेने विजये से पूछा, तो तुम एक महीने तक रुकोगे?"
"क्या कर सकता हूँ, फिर एक महीना कोई बड़ा तो नही." विजय ने
कहा
"तो हम लोग एक और बच्चे की सोच रहे है." मेने हंसते हुए कहा.
"अब कुछ तो उससे कहना ही था, चिंता मत करो तुम्हारी लिए में कल
दूसरी शीशी ले आयुंगा." विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था.
"नही मुहे अब वो गोलियाँ नही लेनी है, अब में बच्चे की ही
सोचूँगी." मेने मज़ाक करते हुए कहा था.
"और संजोग से दूसरे दिन तुम्हारा फोन आ गया." माला दीदी ने
कहा. "और मेने विजय को तुम्हारी समस्या बताई.
"विजय अब अमित के लिए कुँवारी लड़की का इंतेज़ाम कहाँ से करेंगे?"
मेने पूछा था.
"दूसरी लड़की ढूढ़ने की क्या ज़रूरत है, हमारे पास सोना है ना."
विजय ने कहा था.
"लेकिन सोना की चूत तो तुम फाड़ना चाहते हो?" मेने कहा.
"लेकिन ये सब अनु का फोन आने से पहले की बात है. एक बात याद
रखो मेरी एक ही साली है, और उसकी खुशी के लिए में कुछ भी
कर सकता हूँ. ऐसी एक सोना तो क्या में हज़ार सोना भी उसकी खुशी
पर नौछावर कर सकता हूँ." विजय ने कहा था.
"श जीजाजी सच मे आपने ऐसा कहा था? अनु जीजाजी को अपनी बाहों मे
भरती हुई बोली.
"फिर क्या हुआ?" मेने पूछा.
जीजाजी ने कहा, "आने वाले एक महीने तक में उसकी चूत को चूस्ता
रहा. एक महीने के बाद भी जब मेने उसे चोदने की कोशिश नही की
तो एक दिन उसने मुझसे कहा, "साबजी एक महीना पूरा हो गया है."
मैने उससे कहा कि अभी दस दिन और रुक जाते है, लेकिन जब डूस दिन
पूरे हो गये तो उसने मुझे फिर से याद दिलाया.
तब मैने उसे समझाते हुए कहा, "सोना यहाँ पर तुम्हारी मेडम का
डर है. ऐसा ही की अगले हफ्ते हम छुट्टियों के लिए शिमला जा रहे
है वहीं मौका देख कर हम चुदाई करेंगे."
पर सोना ने मेरी बात का दूसरा मतलब निकाला, "साबी मुझे पता है
कि अब में आपको अछी नही लगती." उसने नाराज़ होते हुए कहा.
"नही ऐसी बात नही है." मेने कहा.
"मुझे आप पर विश्वास नही है," उसने मुझे धँकते हुए
कहा, "अगर आपने वहाँ भी कुछ नही किया तो याद रखिएगा किसी
और से चुदवा लूँगी."
"अब मामला यहाँ आ कर अटका हुआ है." विजय जीजाजी ने बात ख़तम
करते हुए कहा.
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