RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--10
दूसरे दिन शाम तक अमित और सुमित भी शिमला पहुँच गये. सीमा
दीदी ने अमित और सुमित का परिचय सोना और टीना से करवाया.
सोना ने उन्हे नमस्ते की, लेकिन टीना तो जैसे उछल पड़ी, "क्या कहा
दीदी आपने? इनका नाम सुमित है..... ओह पहले 'स' से शिमला अब 'स'
से सुमित..... हे भगवान तू कितना दयालु है.... महाराज की सब
बात पूरी हो रही है" चिल्लाते हुए टीना कमरे से भाग गयी.
अमित और सुमित हैरत से उसे देख रहे थे, सुमित ने झल्लाते हुए
पूछा, "क्या हो गया इस लड़की को? क्या ये पागल है?"
"नही सुमित ये पागल नही है बस थोड़ा खुश हो गयी है.' सीमा
दीदी ने कहा. फिर दीदी ने उन्हे सोना और टीना की कहानी सुना दी.
"सुमित एक बात याद रखना टीना के साथ तुम्हे ही पहल करनी है
वरना वो तुम्हे चोदने नही देगी." विजय ने उसे समझाते हुए कहा.
फिर हम सब बैठ कर सोचने लगे कि आगे क्या करना चाहिए. सबने
मिलकर यही तय किया कि एक दो दिन रुक जाना चाहिए जिससे सब आपस
मे घुल मिल जाएँ.
अगले चौबीस घंटे मे कुछ नही हुआ पर मेने देखा की टीना कुछ
अजीब व्यवहार कर रही थी.
"दीदी ये अचानक टीना को क्या हो गया है," मेने पूछा, "में देख
रही हूँ कि सुमित जहाँ भी जाता है ये उसके पीछे चली जाती है
और अगर वो किसी से प्यार से बात कर लेता है तो ये रोने लग जाती
है."
'हां मेने भी ये महसूस किया है," सीमा दीदी ने जवाब
दिया, "सूमी... अभी टीना मे बचपाना है.... वो समझ रही है कि
भगवान ने सुमित को सिर्फ़ उसके लिए बनाया है...."
"में अभी जाकर उसे सब खुलासा बता देती हूँ." मैने गुस्से मे
कहा.
"सूमी... बच्चो जैसी बात मत करो..." सीमा दीदी ने कहा. "थोड़ा
वक़्त जाने दो सब ठीक हो जाएगा, टीना एक बार चारों से चुदवा लेगी ना
तो सब अपने आप समझ जाएगी."
दो दिन बाद हम सब चाइ पीने बैठे थे. "मुझे लगता है कि अब
हमे अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिए." मेने कहा.
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है, वो सोना भी मुझे तीन बार याद
दिला चुकी है." जीजाजी ने कहा.
"क्या कहा तुमने उससे?" माला दीदी ने मुस्कुराते हुए पूछा.
"मेने उसे प्यार से समझा दिया कि में उसे उसकी मालकिन के सामने
छोड़ना चाहता हूँ जिससे घर पहुँच कर हमे चुदाई करने मे कोई
तकलीफ़ ना उठानी पड़े." जीजाजी ने बताया.
"पर अब तुम उसे नही चोदोगे तो वो तुमसे बहोत नाराज़ हो जाएगी."
सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा.
"में भी तो यही चाहता हूँ कि वो मुझसे नाराज़ और गुस्सा हो जाए."
जीजाजी ने कहा.
"अब तुम सब बातें ही करते रहेगो या कुछ करोगे भी," सुमित ने
कहा, "में तो अब टीना को चोदे बिना रह नही सकता."
"सुमित तुम्हे तो सिर्फ़ उसे बुलाने की देर है वो खुद तुम्हारे पास अपनी
टाँगे खोले चली आएगी," माला दीदी ने कहा, "तुमसे ज़्यादा वो तुमसे
चुदवाने को बैचैन है."
"मेरे दीमाग मे एक आइडिया आया है," सीमा दीदी ने कहा, "विजय तुम एक
काम करो. सोना के सामने ही हम मे से किसी की चुदाई करो... वो
जलने लगेगी और खुद बा खुद ही अमित के बिस्तर मे घुस जाएगी."
"हो सकता है आप सही कह रही हों" अमित ने कहा, "लेकिन मेने और
सुमित ने तय किया है कि हम दोनो सोना और टीना को सबके सामने
चोदेन्गे जिससे कि बाद मे सब उनकी कसी चूत का मज़ा उठा सके."
"यार तुम दोनो का सोचना सही है." जीजाजी खुश होते हुए
बोले, "हमे कोई दूसरा तरीका ढूंदना होगा."
"मुझे लगता है आज रात को खाने के बाद ही शुरू कर दिया जाए,"
अजय जीजू ने कहा, "लेकिन सवाल ये है कि शुरुआत कैसे करें."
"क्यों ना हम ताश खलेते है." सुमित ने कहा.
"ताश से क्या होगा, क्या ये दोनो लड़कियाँ मान जाएँगी." मेने कहा.
"मेरी मानो, में जो कहने जा रहा हूँ उससे मौका मिलेगा. हम तीन
पत्ती खेलेंगे, पैसे से नही. हम ऐसा गेम खेलेंगे जिसमे हारने
वाले को अपने शरीर का एक कपड़ा उतारना होगा, और जीतने वाला उससे
कुछ भी करने को कह सकता है." सुमित ने कहा.
ओह तो तुम स्ट्रीप पोकर गेम खेलने को कह रहे हो." अनु ने कहा.
"हां उससे क्या होगा कि एक बार वो नंगी हो जाएँगी तो उनकी आधी
शरम तो वैसे ही ख़तम हो जाएगी. और हम चारों को मौका मिल
जाएगा उन्हे चोदने का." सुमित ने कहा.
"हां ये तो है," मेने कहा, "लेकिन उस हालत मे क्या करोगे अगर हम
नंगी हो गयी और सोना और टीना के कपड़े नही उत्तरे तो?" मैने
पूछा.
"अरे तुम अमित को नही जानती इसकी बहोत सी खूबियाँ है, ऐसा हो
नही सकता कि उन दोनो के कपड़े ना उत्तरे." सुमित ने कहा.
"अमित मुझे पता नही था कि तुम पत्तेबाज भी हो." मैने हंसते हुए
कहा.
"इसके अलावा भी मेरी बहोत सी खूबियाँ है जिनके बारे मे तुम्हे नही
पता." अमित मुस्कराते हुए बोला.
"पर नौकरणीयाँ हमारे साथ ताश खलेने को राज़ी हो जाएँगी इसकी
क्या गारंटी है." मेने पूछा.
"मेने उसके बारे मे भी सोच लिया हिया, अगर इसकी नौबत आएगी तो
विजय सोना से कह सकता है कि ये सब उसके प्लान के तहत हो रहा है
और में देखूँगा कि टीना भी शामिल हो जाती है." सुमित ने कहा.
"हां ये ठीक रहेगा, मोना और रीमा को तो पता ही है कि हम सब
यहाँ क्यों इकट्ठा हुए है." अमित ने सुमित की बात का समर्थन
किया.
खाने खाते वक़्त सीमा दीदी ने कहा, "आज सब कोई मेरे कमरे मे
इकट्ठा होंगे. हम सब मिलकर एक गेम खलेंगे, और हां तुम चारों
को भी उसमे शामिल होना है." दीदी ने नौकरानियों को इशारा करते
हुए कहा.
जब हम सब सीमा दीदी के कमरे मे इकट्ठा हो गये तो जीजाजी ने
कहा, "आज हम तीन पत्ती खेलेंगे."
नौकरणीयाँ हमारी बात सुनकर विरोध करने लगी, "ये तो जुआ है और
जुआ खेलने के लिए हमारे पास पैसे कहाँ है?" सोना ने कहा.
"हां ये सही कह रही है," टीना ने कहा, "और मुझे तो ये खेलना
भी नही आता." मोना मेरे और अनु की तरफ देख रही थी जिसे हमने
इशारे मे समझा दिया.
"खेलना तो मुझे भी नही आता और मेरे पास भी पैसे नही है
लेकिन में फिर भी खेलूँगी शायद मज़ा आ जाए." मोना ने कहा.
"फिर तो में भी खेलूँगी." रीमा ने कहा.
"लड़कियो सुनो हम पैसे से नही खेलने वाले," जीजू ने उन्हे समझते
हुए कहा, "हम एक मस्ती वाला खेल खेलेंगे, जिसमे हारने वाले को अपना
एक कपड़ा शरीर से उतारना होगा. और पीसने वाला उससे कुछ भी करने
को कह सकता है लेकिन शरीर के सिर्फ़ उस अंग से जो खुला हो."
में सोना और जीजाजी को देख रही थी. सोना ने नज़रें उठा जीजाजी
की ओर देखा और जीजाजी ने उसे इशारा कर दिया.
"ठीक है में भी खेल कर देखना चाहूँगी." सोना ने कहा.
टीना तुम्हारा क्या ख्याल है?" जीजू ने पूछा. वो अभी भी हिक्किचा
रही थी.
"क्यों घबरा रही हो टीना," सुमित ने कहा, "ऐसा करो तुम तुम्हारी
मालकिन के पास बैठना इससे तुम्हारा हौसला बढ़ेगा."
"अगर आप कह रहे है तो ठीक है में भी खेल लेती हूँ." टीना ने
कहा.
"हमने एक चादर ज़मीन पर बिछा दी और सब कोई उस पर बैठ गये.
"अब दो बातें," जीजाजी ने कहा, "सब कोई बारी बारी से पीसीगा
लेकिन एक ही जना पत्ते बाँटेगा.... सबको मंजूर है."
अब सवाल ये उठा की कौन बाँटेगा, सब कहने लगे... में नही में
नही..... नौकराणीयाँ कहने लगी... हमे तो आता ही नही....
"अमित तुम क्यों नही शुरुआत करते?" सुमित ने कहा.
"पत्ते बाँटने से पहले एक बात, सभी के शरीर पर बराबर के कपड़े
होने चाहिए, जैसे की मेने चार पहन रखे हैं." अमित ने कहा.
बाकी के तीनो मर्दों ने भी चार कपड़े ही पहन रखे थे, जैसे की
अंडरवेर, बनियान, शर्ट और शॉर्ट्स. औरतों मे सोना और टीना को
छोड़ कर जिन्होने पॅंटी नही पहन रखी थी सभी ने पाँच कपड़े
पहन रखे थे जैसे की सारी ब्लाउस पेटीकोआट, ब्रा और पॅंटी.
"या तो तुम चारों औरतें अपनी पॅंटी उतार दो या फिर सोना और टीना
को भी एक पॅंटी दे दो पहनने के लिए," जीजू ने कहा, "जिससे इनके
भी पाँच कपड़े हो जाएँ.
"रीमा दोनो को मेरी पॅंटी दे दो पहनने के लिए." अनु ने कहा.
"नही दीदी में और मोना अपनी पॅंटी दे देंगी इन्हे," कहकर चारों
कमरे से बाहर चली गयी.
"अजय क्यों ना खेल के साथ ड्रिंक हो जाए?" विजय जीजाजी ने
कहा, "नशे से खेल कर और उन्हे तय्यार करने मे आसानी होगी."
"सुझाव अच्छा है, में अभी सब समान लेकर आया." जीजू ने कहा.
जब नौकरणीयाँ आई तो जीजू ने उन्हे उनके ग्लास पकड़ा दिए. मोना और
रीमा के साथ कोई परेशानी नही थी क्यों कि वो पहले भी हमारे
साथ ड्रिंक ले चुकी थी पर स्मास्या थी सोना और टीना के साथ.
"नही में नही लूँगी, मेने पहले कभी शराब नही पी है." टीना
ने कहा.
सोना मेरे और जीजाजी के बीच बैठी थी, "सोना ग्लास ले लो ये सब
मेरे कहने पर ही हो रहा है." जीजाजी उसके कान मे फुसफुसा.
सोना ने बिना कुछ कहे ग्लास उठा लिया.
"टीना देखो ना सोना भी पी रही है." सुमित ने कहा, "इसमे डरने की
कोई बात नही है, ये तो अंगूर का रस ही तो है." टीना सुमित को
मना नही कर पाई और उसने अपना ग्लास उठा लिया.
पहली बार पत्ते बाँटे गये. सीमा दीदी ने टीना के कान मे कुछ कहा.
"क्या कहा आपने? में जीत गयी तो हारा कौन?" टीना खुशी से
उछलती हुए अपने ग्लास एक बड़ा सा घूंठ भरते हुए बोली. रीमा हार
गयी थी.
"हां, अब तुम अपनी सारी निकाल दो." टीना ने हुकुम देते हुए
कहा, "और झुक करो मुझे सलाम करो और कहो, मालकिन में आपके
हुकुम की गुलाम हूँ."
"मुझे ये खेल पसंद आया," टीना चहकते हुए बोली. थोड़ी देर बाद
में हार गयी और जीजू जीत गये.
"मुझसे क्या करवाना चाहते है?" मैने अपनी सारी खोलते हुए पूछा.
"जिसे तुम चाहती हो उसे चूम लो." जीजू ने कहा.
मेने खिसकते हुए सुमित के पास गयी और गहरा चूँबन जड़ डाला,
में तिरछी नज़रो से टीना को देख रही थी. वो गुस्से मे मुझे
घूर कर देख रही थी फिर उसने अपना चेहरा घूमा लिया.
इसी शोर गुल के साथ खेल चल रहा था. फिर सोना हार गयी और
अमित जीत गया. "जिसे तुम प्यार करती हो उसे चूम लो." अमित ने
कहा.
सोना उठी और जीजाजी के होठों को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.
में माला दीदी को देख रही थी लेकिन उनके चेहरे के भाव वैसे ही
थे बल्कि वो ताली बजा कर सोना को उकसा रही थी... "हां सोना और
ज़ोर से चूसो."
दो घंटे और शराब के कई दौर बाद अलाम ये था कि सभी मर्द अपनी
अंडरवेर मे बैठे थे. और हम सभी औरतों अपनी पॅंटी और ब्रा मे
थी सिर्फ़ सोना और टीना को छोड़ कर.
फिर अनु की बारी आई ब्रा उतारने की... अनु ने ब्रा उतारी और सोना
बोल पड़ी.."ऑश दीदी आपकी चुचिया तो बड़ी प्यारी है."
"एम्म्म" अनु ने कोई जवाब नही दिया.
अगली बारी मे सोना हार गयी.."ओह साब क्या मुझे अपनी ब्रा उतारणी
पड़ेगी." उसने जीजाजी से पूछा.
"भाई उतारनी तो पड़ेगी.. नियम तो नियम होते है ना." जीजाजी ने
जवाब दिया.
हिचकिचाते हुए सोना ने अपनी ब्रा उतार दी.. "ओह्ह सोना तुम्हारी चुचि
तो कितनी सुंदर है.. दिल करता है कि इन्हे चूम लूँ भींच
लूँ." सुमित ने कहा और अपना हाथ उसकी चुचि की ओर बढ़ा दिया.
"सुमित रुक जाओ.. तुम नही.. ये बाज़ी रीमा ने जीती है तुमने नही...
तो रीमा तुम सोना से क्या करवाना चाहोगी? जीजू ने बीच मे कहा.
रीमा कुछ देर तक सोचती रही फिर बोली, "ठीक है सोना तुम अपना
कोई नेपाली गाना सुना दो."
सोना की आवाज़ सही मे काफ़ी मधुर थी.. जब वो गाना सुना रही थी तो
सुमित उसकी चुचियों को ही घूरे जा रहा था और उधर ये सब देख
टीना की आख्ने भर आई थी.
अगली दो बाज़ियों मे सुमित और जीजू की अंडरवेर भी उतर गयी. फिर
टीना की बारी आई और वो हार गयी. उसने अपनी ब्रा उतार दी और अपने
प्यारे मम्मे सुमित की ओर बढ़ा दिए पर उसने सिर्फ़ उन्हे देखा और
पूछा ,"जीता कोन है?"
वो बाज़ी अनु जीती थी वो चाहती थी कि टीना कोई गाना गाये, "पर
मुझे तो कोई गाना आता नही हा अगर आप चाहें तो में कोई भजन
सुना सकती हूँ." टीना ने कहा.
"ठीक है वो ही सुना दो." अनु ने कहा.
उसने गाना तो गाया लेकिन सुमित की बेरूख़ी ने उसे रुला दिया था वो
रोने लगी.
"मुझे नींद आ रही है और में आगे नही खेल पयूंगी," कहकर
टीना ने अपना सिर सीमा दीदी की गोद मे रख लेट गयी. वहाँ सोना की
आँखों मे भी नींद भर आई थी.
"लगता है सब को काफ़ी नींद आ रही है," जीजू ने कहा, ऐसा करते
है हम कल यहीं से शुरुआत कर खेल को आगे खेलेंगे."
"जैसा आप कहे." सोना और टीना ने कहा.
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