Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
09-08-2018, 01:52 PM,
#2
RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता
राज ने मुझसे कहा, “अरे पगली, यह इक्कीसवीं सदी है। तू क्या हमेशा बच्ची ही रहेगी? तू इतनी खूबसूरत है तो मर्द लोग तो तुझे घूरकर देखेंगे ही। अभी तू दुकानों में खरीदारी के लिए जाती है तो क्या तुझे मर्द लोग घूरते नहीं हैं? यह स्वाभाविक है। उसमें घभराने या डरने की कोई बात नहीं है। हाँ अगर कोई तुझसे जबरदस्ती करे या तुझे अभद्र रूप से छेड़े तो महाकाली बनकर उसकी पिटाई कर देना. वह दुबारा ऐसी हरकत नहीं करेगा। डार्लिंग, देख, तू नौकरी करेगी तो तेरे दोस्त या साथीदार भी थोड़ा घूरना, थोड़ी हंसी मजाक, थोड़ी छेड़ छाड़ करेंगे और थोड़ी सेक्सुअल छूट भी लेंगे। यह तो चलता रहता है। उससे गुस्सा होने के बजाय उसका आनंद उठाना सीखो। जब तक हम पति पत्नी एक दूसरे के प्रति सम्पूर्ण रूप से समर्पित हैं तो यह सब चीज़ें कोई मायने नहीं रखतीं।
राज ने तब मुझे अपनी बात बतायी और कहा की उनके ऑफिस में भी ऐसे ही थोड़ा बहुत चलता रहता था। राज की भी अपने कॉलेज के समय में कई लड़कियों से घनी मित्रता थी। राज के कहनेसे मैं समझ गयी की उन्होंने उनमें से कई यों से चुम्माचाटी की थी तो कईयों के साथ सम्भोग भी किया था। मैं इस बारें में कुछ भी जानना नहीं चाहती थी। मेरे लिए तो बस यही काफी था की राज मुझसे बहुत प्यार करते थे और वह मेरा बहुत ध्यान रखते थे। 

राज की अनहद कोशिशों के बाद आखिर में मैंने मुम्बई की प्रख्यात एक अंतरराष्ट्रीय चार्टर्ड एकाउंटेंसी कंपनी में एक असिस्टंट की नौकरी स्वीकार की। राज ने मुझे पहले दिन ही बड़ा समझाया की रास्ते में और ऑफिस में भी अगर मुझे साधारण मर्द की निगाहों पर ध्यान नहीं देना है। और अगर कोई जबरदस्ती करे तो उनसे कैसे निपटना है, वह मैं अच्छी तरह से जानती थी।
‘जय सर’ मेरे सीनियर थे। वह एक प्रभाव शाली, सुन्दर, सुडौल और लंबे कद के थे। कंपनी में वह पांच साल से काम कर रहे थे। वह मुझसे कोई पांच या छे साल बड़े होंगे। जय सर और मैं हम दोनों एक ही बॉस के नीचे काम करते थे। शुरू शुरू मैं तो मैं बड़ी ही नौसिखिया थी और जय सर ने ही मुझे बहुत मदद की जिससे की मैं अपने काम में सक्षम बनूँ और हमारे बॉस मुझसे खुश रहें। जय सर मेरी गलतियों और कमियों को छुपाते थे और मेरी क्षमता को बॉस के सामने उजागर करते रहते थे।
उनकी ऐसी सहृदयता से मैं बड़ी असमंजस में रहती थी। उनको ऐसा करने की जरुरत नहीं थी। मैं एक पढ़ी लिखी और अपने काम में सक्षम होने का दावा करती थी तो फिर मुझे अपना काम ठीक करना ही चाहिए था। पर मैं वास्तव में इतनी सक्षम थी नहीं और जय सर यह भली भांति जानते थे।
मैंने भी कई बार जब बॉस ने मुझे कोई काम दिया तो उनसे यह बात कही की मैं उतनी सक्षम नहीं थी, जितना की मुझे होना चाहिए था। पर जय सर ने हमेशा मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया और मुझे सब सिखाया और मेरी भरपूर मदद की। इसी कारण से मैं धीरे धीरे अपनी कार्य क्षमता में आगे बढ़ पा रही थी, जिससे हमारे बॉस मुझसे प्रभावित थे।
कुछ दिनों के बाद जय सर ने मुझसे आग्रह किया की मैं उन्हें ‘जय सर’ न कहूँ। मैं उन्हें मात्र जय ही कहूँ। शुरू में थोड़ा मुश्किल लगा पर धीरे धीरे मैं उनको जय के नाम से बुलाने लगी। यह और कई और कारणों से मेरे और जय के बीच की औपचारिक दिवार टूटने लगी। पर मैं थोड़े असमंजस में थी। वह इसलिए की जय की उदारता और सहायता के उपरान्त मैंने कईबार देखा की वह भी छुप छुप कर मेरे स्तनों को और मेरे नितम्ब को ताकते रहते थे। खैर राज भी कहते थे की मेरे नितम्ब (या कूल्हे या चूतड़ कह लो), थे ही ऐसे की मर्दों के ढीले लन्ड भी खड़े हो जाएँ। तो फिर बेचारे जय का क्या दोष?
हमारे दफ्तर में कई उम्रदराज और शादीशुदा मर्द भी मेरे करीब आने की कोशिश में लगे हुए थे। पर उन सब में जय कुछ अलग थे। मैं जय की बड़ी इज्जत करती थी। वह अच्छे और भले इंसान थे। वह बिना कोई वजह या बिना कोई शर्त रखे मेरी मदद करते थे। उनके मुझे ताकने से मुझे बड़ी बेचैनी तो हुई पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। हमारे बीच आपसी करीबी बढ़ने लगी। हम दफ्तर की बात के अलावा भी और बातें करने लगे। पर मैं सदा ही सावधान रहती थी की कहीं वह मेरा सेक्सुअल लाभ लेने की कोशिश न करे।
मुझे तब बड़ा दुःख हुआ जब की मेरा डर सच साबित हुआ। एक दिन मैं जय सर के साथ पास वाले रेस्टोरेंट में चाय पीने गयी थी। जय ने मेरी तुलना कोई खूबसूरत एक्ट्रेस से की और मेरे अंगों और शारीरिक उभार की प्रशंशा की। उन्होंने कहा की मैं सेक्सी लगती हूँ और ऑफिस के सारे मर्द मुझे ताकते रहते हैं। फिर भी मैंने संयम रखा और कुछ न बोली, तब उन्होंने मुझे मेरे विवाहित जीवन के बारेमें पूछा। मेरे कोई जवाब न देने पर उन्होंने जब पूछा की मेरे कोई बच्चा क्यों नहीं है तो मैं अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पायी।

तब मैंने उनको बड़े ही कड़वे शब्दों में कहा की वह मेरा निजी मामला था और जय को उसमें पड़ने की कोई जरुरत नहीथी। सुनकर जब जय हंसने लगे और बोले की वह तो ऐसे ही पूछ रहे थे और मजाक कर रहे थे, तब मैंने उनसे कहा, “जय सर, मैं आपकी बड़ी इज्जत करती हूँ। 
मैं मानती हूँ की आपने मेरी बड़ी मदद की है. पर इसका मतलब यह मत निकालिये की मैं कोई सस्ती बाजारू औरत हूँ जो आपकी ऐसी छिछोरी हरकतों से आपकी बाहों में आ जायेगी और आपको अपना सर्वस्व दे देगी। आप सब मर्द लोग समझते क्या हो अपने आपको? आगेसे मुझसे ऐसी छिछोरी हरकत की तो मुझसे बुरा कोई न होगा। यह मान लीजिये। समझे?” ऐसा कह कर मैंने उनके चेहरे के सामने अपनी ऊँगली निकाल कर कड़े अंदाज में हिलायी और उनकी और तिरस्कार से देख, रेस्टोरेंट से बिना चाय पिए उठ खड़ी हुई और ऑफिस में वापस आ गयी।
मैंने कड़े अंदाज में जय को डाँट दिया और मेरी जगह पर वापस तो चली आयी, पर कुछ समय बादमें मैंने जब उनकी शक्ल देखि तो मेरा मन कचोटने लगा। उन्हें देख मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उनका सारा संसार उजड़ गया हो। उनकी आँखे एकदम तेजहीन हो गयी थीं, उनकी चाल की थनगनाहट गायब थी, उन्होंने किसीसे भी बोलना बंद कर दिया था। थोड़ी देर बाद मैंने देखा तो वह ऑफिस से चले गए थे। मैंने जब पूछा तो पता लगा की उन्होंने बॉस से तबियत ठीक नहीं है ऐसा कह कर आधे दिन की छुट्टी ले ली थी।
अगले तीन दिन तक जय ऑफिस नहीं आये। सोमवार को जब मैं दफ्तर पहुंची तो मैंने जय को बदला बदला सा पाया। वह पुराने वाले जय नहीं थे। उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी। आखों में चमक नहीं थी। मेरे डाँटने का उनपर इतना बुरा असर पड़ेगा यह तो मैंने सोचा ही नहीं था। शायद मैंने जरुरत से ज्यादा कड़वे और तीखे शब्द बोल दिए ऐसा मुझे लगने लगा, क्योंकि उनका चुलबुला मजाकिया अंदाज एकदम गायब हो गया था। मुझे ऐसा लगा जैसे कई दिनों से उन्होंने खाना नहीं खाया था। उस दिन जब हम पहली बार मिले तो जय ने बड़बड़ाहट में मुझसे माफ़ी मांगी और अलग हो गए। उस पुरे हफ्ते न तो वह मेरे पास आये न तो उन्होंने मेरी और देखा।
बॉस उनसे बड़े नाराज थे क्योंकि जय काममें अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते थे और बड़ी गलतियां कर बैठते थे। ऑफिस में सब हैरान थे। मैंने कुछ ऑफिस कर्मचारियों को आपस में एक दूसरे से बात करते हुए सूना की जय का किसी लड़की से चक्कर चल रहा था और उस लड़की ने जय को बुरी तरह से लताड़ दिया जिसकी वजह से वह बड़े दुखी हो गए थे। सौभाग्य से किसी को यह पता नहीं था की वह लड़की कौन थी। जय का ऐसा हाल करने के लिए सब मिलकर उस लड़की को कोसते थे।
उस प्रसंग के बाद जय ने मुझसे अति आवश्यक काम की बातों को छोड़ और कुछ भी बात करना बंद कर दिया। यहाँ तक की उन्होंने औपचरिकता जैसे “गुड मॉर्निंग” बगैर भी कहना बंद कर दिया। जय एकदम अन्तर्मुख हो गए। दफ्तर के सारे कर्मचारियोंको यह परिवर्तन बड़ा अजीब लगा। जय अपनी चुलबुले स्वभाव और दक्षता के कारण हमारे ऑफिस की जान थे। मैं बहुत दुखी हो गयी और अपने आपको दोषी मान कर मुझे बड़ा पश्चाताप होने लगा। मैं कई बार जय के पास गयी और उन्हें समझाने और क्षमा मांगने की कोशिश की पर वह अपने हाथ जोड़ कर मुझे दूर ही रहने का इशारा करते थे। मैं उन्हें अपने अंतरंग कोष में से बाहर लानेमें असफल रही।
Reply


Messages In This Thread
RE: Free Sex Kahani प्यासी आँखों की लोलुपता - by sexstories - 09-08-2018, 01:52 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Incest HUM 3 (Completed) sexstories 76 4,409 Yesterday, 03:21 PM
Last Post: sexstories
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 18,413 06-26-2024, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 13,421 06-26-2024, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 21,590 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 10,255 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 7,093 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,770,554 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 579,290 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,350,249 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,034,175 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 1 Guest(s)