Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:55 PM,
#87
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने ऋतू के पायजामे को नीचे सरकाया और डाल दिया उसकी बहती हुई चूत में अपना लंड पीछे से...
अब दीपा आंटी पुरे मजे लेकर चुद रही थी...अह्ह्ह अह्ह्ह.....और तेज्ज......अह्ह्ह्ह जीजू....मारो अपनी दीपा की चूत आज....अह्ह्ह....चोद दो मुझे.....मैं तुम्हारी हूँ......हांन्न .......और तेज....और तेज....ओग ओग ओग ओह ...."
और अपनी प्यारी और सेक्सी साली की चुदाई देखकर पापा के लंड ने जल्दी ही जवाब दे दिया और वो झड़ने लगे अपनी साली की चूत के अन्दर ही....अपने अन्दर लावा महसूस करते ही दीपा आंटी ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट ली और अपना भी रस छोड़ दिया पापा के लंड के ऊपर....
अह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़...मर्र्र गयी रे....अह्ह्ह्ह मजा आ गया......... और दोनों एक दुसरे को चूमने लगे..
मैंने भी इतना उत्तेजक नजारा देखकर अपना वीर्य अपनी बहन की चूत के अन्दर छोड़ दिया....बड़ी मुश्किल से ऋतू ने भी झड़ते हुए अपनी चीख दबाई... तभी मम्मी के कमरे का दरवाजा खुला और वो वापिस उनके कमरे में आ गयी..
मैं चोंक गया मम्मी को वापिस पापा और मौसी के पास जाता देखकर..
कमरे का दरवाजा खुलता देखकर जैसे ही दीपा मौसी ने मम्मी को देखा वो सकपका गयी...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मम्मी वापिस आएगी..
दीपा मन ही मन सोचने लगी, जब बुलाया था तब तो आई नहीं अब क्या करने आई है..
मम्मी ने पेटीकोट और ब्लाउस पहना हुआ था, वो शायद अपने कमरे में गयी थी और साडी उतारने के बाद दुसरे कमरे में चल रही अपनी बहन की चुदाई को कान लगा कर सुन रही थी..और उसके ख़त्म होते ही वो वापिस आ गयी.
मम्मी ने उससे पूछा : "क्यों दीपा...कैसी रही...मैं कहती थी न की इनका लंड बहुत ही लम्बा है...तेरी चूत के परखच्चे उढ़ा देगा..मजा आया के नहीं" और ये कहते हुए वो पापा की तरफ देखते हुए हंसने लगी.
दीपा मौसी समझ गयी की उनके रेप में मम्मी की रजामंदी भी शामिल है...
पर अब इस जबरदस्ती की वजह से ही दीपा जान पायी थी की पापा का लंड सही में कितना मजा देता है..जिससे वो कितने समय से वंचित थी..
दीपा : "अच्छा दीदी...तो आप भी इस साजिश में शामिल थी...पर कुछ भी हो, जीजू की जबरदस्ती की वजह से मैं आज जान पायी की आप इतने सालों से कितना मजा लेती आ रही हैं...और आज ये मजा जब मुझे मिला तब मैंने जाना की लम्बे लंड की क्या वेल्यु होती है, मैंने आज तक सिर्फ अपने पति हरीश के लंड से चुदाई करवाई है जो लगभग पांच इंच का है, मैंने पहली बार इतना बड़ा लंड देखा और चुदी भी....."
मम्मी : "अभी तुने देखा ही क्या है...अगर तुने आशु का लंड देख लिया तो पागल ही हो जायेगी..."
ये मम्मी ने क्या बोल दिया...मैं सोचने लगा.
दीपा : "आशु का....इसका मतलब तुम आशु का लंड देख चुकी हो..."
मम्मी : (हँसते हुए) "देख ही नहीं चुकी...ले भी चुकी हूँ अपनी इस चूत में" उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा.
दीपा आंटी की हैरानी की सीमा न रही...

मम्मी ने आगे कहा :"तुम इतना हैरान मत हो...तुम तो जानती हो की सेक्स के बारे में मैं हमेशा से कितनी अडवांस रही हूँ...तुम्हे जानकार ताज्जुब होगा की मैं और तेरे जीजू कई सालों से दुसरे विवाहित जोड़ो के साथ अदला बदली का खेल खेलते हैं...जिसमे हम दोनों को बहुत मजा आता है..और अब हमने अपने बच्चो को भी इसमें शामिल कर लिया है...जिसकी वजह से हमें और भी मजा आने लगा है .."
दीपा आंटी हैरानी से खड़ी हुई मम्मी की बाते सुन रही थी, उन्हें विशवास ही नहीं हो रहा था जो मम्मी उनसे कह रही थी.
दीपा : "तुम्हारे बच्चे....यानी आशु के साथ साथ तुम लोगो ने ऋतू को भी...." और उन्होंने हैरानी से पापा की तरफ देखा..
पापा : "हाँ साली साहिबा...ऋतू को भी चोद चूका हूँ मैं...और तुम्हारी दीदी आशु का लंड ले चुकी है अपनी चूत में कई बार..."
दीपा : "मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है जो तुम कह रहे हो..." उन्होंने अपना सर हिलाते हुए कहा..
मम्मी :"अगर विशवास नहीं हो रहा है तो रुको मैं अभी बताती हूँ ..." और उन्होंने खिड़की की तरफ देखकर आवाज लगायी "आशु...ऋतू...अन्दर आ जाओ...मैं जानती हूँ तुम वहां खड़े हो..."
मैं और ऋतू ये सुनकर चोंक गए, मम्मी को कैसे पता चला की हम दोनों वहां खड़े है...ये सोचते हुए हम दोनों बाहर निकले और अन्दर आ गए..
दीपा आंटी हमें इतनी रात को इस हालत में देखकर चोंक गयी...वो और पापा बिलकुल नंगे थे, दीपा आंटी ने जैसे ही मुझे देखा उन्होंने चादर उठा कर अपने सीने के आगे लगा ली और अपना नंगापण छुपाने की असफल कोशिश करने लगी..
मम्मी ने उन्हें ऐसा करते देखकर कहा :"छुपाने की कोई जरुरत नहीं है दीपा...ये दोनों पिछले आधे घंटे से तुम्हारी चुदाई देख रहे हैं और इन दोनों ने तुम्हे नंगा देख ही लिया है तो अब इस चादर से अपने शरीर को ढकने का कोई फायदा नहीं है..." मम्मी ने दीपा से कहा. पर दीपा आंटी ने चादर नहीं छोड़ी..
मैंने और ऋतू ने दीपा आंटी को देखा और धीरे से कहा "हाय...आंटी..." और नीचे की तरफ देखने लगे..
मम्मी :"तुम्हे क्या लगा....तुम दोनों छुपे हुए हो...खिड़की से बाहर निकलती रौशनी की वजह से तुम्हारी परछाई पीछे की तरफ काफी दूर तक जा रही थी, और बाहर निकलते हुए मैंने उसे देख लिया था...पर तुम दोनों भी अपनी मौसी की चुदाई देख लो...इसलिए मैंने तुम्हे परेशान नहीं किया..."
ऋतू : "ओह्ह..मम्मी....आप कितनी अच्छी हैं...." और वो जाकर अपनी मम्मी से लिपट गयी और मम्मी के होंठो को चूम लिया.
मम्मी काफी देर से दीपा और अपने पति की चुदाई को दुसरे कमरे से कान लगा कर सुन रही थी, जिसकी वजह से वो काफी गर्म हो चुकी थी...ऋतू ने जैसे ही उनके नर्म और मुलायम होंठों को चूमा, मम्मी ने उसको कस कर अपनी बाँहों में लपेटा और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी..
साथ ही साथ उन्होंने ऋतू के चुचे भी उसकी टी शर्ट के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए...
ऋतू ने भी नीचे झुककर मम्मी के ब्लाउस को खोला और उनका दांया लोटा पकड़कर बाहर निकला और उसमे से जलपान करने लगी.. पापा बड़े मजे से अपनी गुंडी बेटी की हरकतें देख रहे थे और खुश हो रहे थे..
दीपा आंटी तो हैरानी से अपना मुंह फाड़े ऋतू और अपनी बहन की कामुक हरकत देख रही थी...
पापा ने उनको कहा :"देखा दीपा...हमारे परिवार में हम सभी एक दुसरे से कितने खुले हुए हैं...सेक्स के मामले में..."
मम्मी ने दीपा की तरफ देखा और हाँफते हुए बोली..." अहह मम्म .... और मैं तुम्हे कह रही थी ना आशु के लंड के बारे में..ओफ्फ्फ .देख लो तुम भी अह्ह्ह्ह उसके लंड को....अह्ह्ह और अपनी आँखों से यकीं कर लो...म्मम्मम्म " ऋतू उनके तरबूजों का रस पी रही थी और उन्हें बड़ा ही मजा आ रहा था...
मम्मी के लटकते हुए रसीले फल देखकर और उनकी बातें सुनकर मेरा लंड मेरे पायजामे में तम्बू बना कर खड़ा हुआ था...दीपा आंटी की नजर मेरी ही तरफ थी...बल्कि मेरे लंड पर थी..टेंट को देखकर ही वो समझ गयी थी की अन्दर क्या माल भरा हुआ है...
वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई मेरे पास आई और मेरी आँखों में देखने लगी...मैंने उनकी आँखों में वासना के बादल उमड़ते हुए देखे...बड़ी ही सुन्दर आँखें थी उनकी...बिल्ली जैसी...हरे रंग की...उनके होंठ लरज रहे थे, कुछ कहने के लिए...उनका एक हाथ चादर को थामे उनकी छाती के सामने था...दुसरे हाथ को उन्होंने अचानक मेरे लंड पर रख दिया...और उसे खींचने लगी अपनी तरफ... स्स्स्सस्स्स्स....अह्ह्ह्हह्ह मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल गयी...
बड़ी ही तेज पकड़ थी उनकी...जैसे ट्रेन रोकने के लिए जंजीर खींच रही हो...
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