Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:58 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैं ऊपर पहुंचा तो वो तार से कपडे उतार कर एक तरफ रख रही थी, उसने जैसे ही अगला कपडा उतारने के लिए हाथ ऊपर किये मैंने पीछे से उसके गोल मुम्मे पकड़ कर मसल दिए..
"आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह क्या करते हो बाबु........खुले में कोई देख लेगा......छोड़ दो न....." वो जैसे जानती थी की मैं उसके पीछे आऊंगा.
वो मना नहीं कर रही थी, क्योंकि खाने से पहले जो मजे मैंने उसे दिए थे, वो भूली नहीं थी और अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए अब कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी,
मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए और वहां से उसे चाटने लगा. मैंने पीछे से उसके गुब्बारे मसलने चालू रखे और नीचे से अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गद्देदार गांड पर घिसने लगा. हमारी छत्त पर कोई दूर से तो देख ही सकता था, इसलिए मैंने वहां ज्यादा देर तक खड़ा होना उचित नहीं समझा,
हमारी छत्त के ऊपर एक छोटा सा स्टोर टाइप का कमरा है, जिसमे बेकार का सामान पड़ा रहता है, मैंने उसे वहीँ ले जाना उचित समझा और अन्दर ले जाकर मैंने जैसे ही उसे अपनी तरफ खींचा वो खींचती चली आई.
वो बोली "बाबु.....आज जो मजा मुझे तुमने नीचे दिया था...वैसा तो आज तक नहीं आया....क्या जादू कर दिया है तुमने पहले ही दिन... !!
ऐसा लग रहा है की मेरा बदन तप रहा है, पुरे शरीर में चींटियाँ सी रेंग रही है, और वहां नीचे गुदगुदी सी हो रही है दोपहर से....मन कर रहा है, वहां पर हाथ रखकर....घिस डालूं....जलन सी हो रही है...वहां..."
उसने अपने लरजते हुए होंठों से, अपनी शर्म को ताक़ पर रखकर, मेरी आँखों में आँखें डालकर, जब ये कहा तो वो बड़ी मासूम सी लगी,
मैंने आगे बढ़कर उसके मोटे होंठ चूस लिए, और कहा "तुम्हारे शरीर में जो आग लगी है, मैं उसे अपने प्यार से बुझा दूंगा, और जहाँ -२ तुम्हारे बदन पर चींटियाँ काट रही है, वहां पर मैं अपने होंठ रखकर तुम्हे ठंडक दूंगा, और जहाँ नीचे तुम्हे गुदगुदी हो रही है, उसे चूत कहते हैं, उसे भी चाटकर वहां की गुदगुदी ख़तम कर दूंगा, और तुम्हे ऐसा मजा दूंगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा, और फिर तुम्हे वो मजा, जो नीचे मिला था, जब तुम्हारी चूत में से पानी निकला था, वो भी कम लगेगा......"
मैं कहता जा रहा था और उसके बदन से कपड़े उतारे जा रहा था, मैंने उसका ब्लाउस खोला, और नीचे जैसा मैंने बताया था की उसने ब्रा नहीं पहनी थी, कोई पतले से कपडे की बनियान सी थी वहां,
और जैसे ही मैंने उसे उतारा, अपने सामने का नजारा देखकर मैं मंत्र्मुघ्ध सा हो गया, इतने सुन्दर कलश मैंने आज तक नहीं देखे थे, वो बिलकुल तने हुए थे, जरा भी झुकाव नहीं था उनमें, और उसपर मोती जैसे , काले रंग के निप्पल्स इतने लुभावने लगे की मैंने झट से अपना मुंह खोला और उनपर टूट पड़ा,
उसके मुंह से आनंदमयी आवाजें निकलने लगी, वो मदहोशी में पीछे की तरफ झुक गयी और बुदबुदाने लगी....
"हाआआन्न्न्न ...म्मम्मम्म ....हाऽऽऽऽऽययय.. क्या कर रहे हो बाबु......गुदगुदी हो रही है........काटो मत न.......चुसो.....हाआन्न्न मजा आ रहा है.....ये क्या आग लगा दी आपने बाबु.....अब ये कैसे बुझेगी...."!!
मैंने मन में सोचा...अब तो ये आग बुझेगी नहीं...और भड़केगी...अभी तो मेरा लंड जब तेरी चूत का बेंड बजाएगा तो तू और भी जोर से चुदने को बेकरार होगी, अभी तो ये शुरुआत है... और भी बहुत बैठे है मेरे घर में, तेरी चूत मारने के लिए.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला , वहां चुदाई के लिए पर्याप्त स्थान नहीं था, न ही वहां खड़े-२ चुदाई संभव थी, इसलिए मैंने सोचा की आज इसको अपना लंड ही चुसवा देता हूँ.
मैंने उसे नीचे बिठाया और अपना लंड निकाल कर उसके आगे किया, वो समझ गयी , की जब पिछली बार मैंने उसे वो फोटो दिखाई थी , जिसमे लंड चूसते हुए लड़कियां दिखाई दे रही थी,
मैं अब वही उससे चाहता हूँ, उसने अपना मुंह खोला और मेरा खौलता हुआ लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो तो जैसे इस काम में पारंगत थी, मुझे उसे ज्यादा कुछ सिखाने की जरुरत नहीं पड़ी, मेरे सामने वो आधी नंगी बेठी, मेरा लंड चूस रही थी, उसके तने हुए मुम्मे जब हिलते थे तो लगता था अभी उनमे से शहद टपकेगा...
मेरा तो लंड ये सोचकर फटा जा रहा था की जब मैं इसकी चूत मारूंगा तो क्या हाल होगा..
जल्दी ही मेरे लंड का आखिरी समय आ गया और उसने अपनी ख़ुशी की वर्षा करनी शुरू कर दी, जो सोनी के लिए बिलकुल नया था, उसने सोचा भी नहीं था की मेरे लंड से इतना पानी निकलेगा, उसने जब तक अपना मुंह हटाया, दो चार पिचकारियाँ तो छोड़ ही दी थी मेरे लंड ने उसके मुंह के अन्दर, और बाकी की उसके चेहरे पर जा गिरी, और जब उसके मुंह के अन्दर , मेरे रस का स्वाद उसे महसूस हुआ, तो उसने अपने मुंह से इकठ्ठा हुईं सारी मलाई चाटकर उसके भी मजे ले लिए.
मैं जानता था की उसकी चूत में से इस समय आग निकल रही होगी, पर मैं उसे थोडा और भड़काना चाहता था, इसलिए मैंने उससे कपडे पहनकर नीचे चलने को कहा..
वो मासूमियत से मेरी बात मानकर अपना ब्लाउस पहन कर खड़ी हुई और नीचे की और चल दी.
कल होली है, मैं कल अपने लंड की पिचकारी से इसकी चूत से होली खेलूँगा, और दूसरों को भी खिल्वाऊंगा. मैंने कल के लिए प्लान बनाने शुरू कर दिए..
उसके जाने के बाद मैं वहां पड़ी एक पुरानी सी कुर्सी पर बैठकर अगले दिन के सपने बुनने लगा तभी बाहर से किसी के आने की आहट आई, मैं बाहर निकला तो देखा की वहां छत्त पर सोनी की छोटी बहन अनीता खड़ी है,
मुझे देखकर वो मंद मंद मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली "अरे बाबु...आप भी ऊपर ही हैं...मैं यही सोच रही थी की आप कहाँ पर हो..."
मैं : "बोलो...क्या काम है अनीता ..मुझे ढून्ढ रही थी क्या. "मैंने उसकी चंचल सी आँखों में झांकते हुए कहा...??
"बाबु...मुझे अन्नू बोला करो...अनीता बड़ा पुराना नाम लगता है...और मुझे पुरानी चीजे पसंद नहीं है...सिर्फ नयी पसंद आती हैं " ये कहते हुए वो मेरे लंड की तरफ देखने लगी.
मेरे मन में, उसकी हरकतों को देखकर, एक विचार कोंधा, कहीं इसकी चूत में भी तो आग नहीं लगी हुई, सोनिया की तरह...अगर ऐसा है तो मजा आ जाएगा...
मैं : "ठीक है अन्नू, पर तुमने बताया नहीं की तुम मुझे क्यों ढूंढ रही थी..."??
अन्नू : "वो मैं देख रही थी की आप सुबह से ही दीदी के साथ कुछ ख़ास तरह से पेश आ रहे हैं...
असल में...मैं...आपसे ...कुछ कहना चाहती थी...." वो कुछ कहना तो चाहती थी पर शायद घबरा रही थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहना चाहती है.
मैं : "डरो नहीं...बोलो...क्या कहना है.."
अन्नू : "दरअसल...बाबु...मुझे लगा...की आप मेरी दीदी में दिलचस्पी ले रहे हैं...और आप उसके साथ.....कुछ करना....चाहते ..हैं.." वो धीरे से बोली.
मैं कुछ समझ नहीं पाया की वो आखिर कहना क्या चाहती है ?
अन्नू : "बाबु....वो बड़ी सीधी है...उसे इस बारे में कुछ पता नहीं है...वो हमेशा से काफी सीधी रही है...मेरी आपसे गुजारिश है की आप....इसके साथ...ऐसा कुछ मत करना.... ?
वो अभी नादान है इन सब बातों में....और अगर आप चाहे तो आप मेरे....साथ ...वो सब...कर सकते हो...जो आप दीदी के साथ करने की सोच रहे हो..."
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12-13-2020, 02:58 PM,
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वो अपनी आँखें नीची करके बोले जा रही थी, और उसका गला सूख रहा था, होंठ फडफडा रहे थे, छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. और मेरे लंड को तो आप जाने ही हो, अभी अभी झडा था , पर मेरी किस्मत तो देखो, सोनी की बहन ये सोचकर की उसकी बहन बड़ी नादान है, उसे कोई परेशानी न हो, इसलिए वो अपने आपको मेरे हवाले करने आई थी, कितना बड़ा बलिदान दे रही थी एक बहन दूसरी के लिए.. पर मैं सिर्फ एक ही तरीके से नहीं सोच रहा था, मैं इतना भी शरीफ नहीं था की हाथ आई एक मुर्गी को सिर्फ इसलिए छोड़ दूं की वो नासमझ है, अगर उसकी बहन भी मेरे से चुदने को तैयार है तो मुझे क्या प्रोब्लम है, उसे बाद में देखेंगे, अभी ये आई है तो ये भी सही, उसके ये सब कहने के बाद मैं इतना तो समझ ही गया था की ये अन्नू उससे काफी आगे है, और शायद चुद भी चुकी है किसी से...मैंने अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए उससे पूछा
"तुमने सही कहा, तुम्हारी बहन का तो मैं दीवाना सा हो चूका हूँ पर अगर तुम तुम ऐसा कर रही हो., अपनी बहन की खातिर ..ये बहुत अच्छी बात है, पर तुम ऐसा क्यों कर रही हो..." मैंने उसकी बाजू पकड़ कर पूछा..
वो मेरी आँखों में देखकर बोली "मुझे इन बातों में काफी मजा आता है, मेरे मोहल्ले के कई लड़के मेरा रस पी चुके हैं... और मुझे भी उन्हें अपनी जवानी का रस पिलाने में काफी मजा आता है...." वो इतरा कर बोल रही थी, जैसे उसे अपने हुस्न पर बड़ा गुमान हो..
मैंने पीछे हो कर , उसके चारों तरफ घूमकर उसके शरीर को गौर से देखा, उसकी गांड काफी बाहर की तरफ निकली हुई थी, जैसे उसका काफी इस्तेमाल हुआ हो, और उसके टी शर्ट में कैद गोल चुचे देखकर कोई भी बता सकता था की ये छिनाल तो काफी बार इनकी मालिश करवा चुकी है, पर कुल मिलकर उसका शरीर काफी सेक्सी था. मेरे लंड के तो मजे हो गए, इतना रसीला माल खुद अपने आप मेरे पास आकर अपने आप को मेरे हवाले कर रहा है, मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है...
मैंने उसे आँखों से इशारा करके अन्दर कमरे में आने को कहा. वो इठलाती हुई मेरे पीछे आ गयी और मैंने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया, पर कुण्डी नहीं लगायी , क्योंकि वो टूटी हुई थी,
अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी बड़ी बहन इसी जगह आधी नंगी मेरे सामने खड़ी हुई थी और मेरा लंड चूसकर मुझसे मजे ले रही थी और अब उसकी छोटी बहन ..
मैंने उससे कहा "जरा मैं भी तो देखूं की तुम क्या कर सकती हो अपनी बहन को बचाने के लिए .." और मैं वहीँ कुर्सी पर बैठ गया..
वो खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी, उसने अपनी टी शर्ट को नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर उठा कर सर से निकाल कर मेरी तरफ फेंक दिया, उसके अन्दर से उसके शरीर की खुशबू आ रही थी…
शायद किसी सेंट की भी, उसने अन्दर बड़ी ही दिलकश पर्पल कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसके चारों तरफ सफ़ेद रंग की लेंस थी, और सामने का हिस्सा , जहाँ पर निप्पल्स आते हैं, वो जालीदार था, जिसके अन्दर से उसके गुलाबी रंग के निप्पल्स खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे, मेरा तो मन कर रहा था की उसकी ब्रा को नोचकर उसके निप्पल्स के अन्दर से सारा जूस निकाल कर पी जाऊं , पर मेरा लंड अभी अभी झडा था, जिसकी वजह से मैंने उसे अपने आप ही स्ट्रिप शो करने दिया, ताकि मुझे भी थोडा समय मिल जाए, पर मेरा लंड तो खड़ा हो ही चूका था.
उसने अपनी बाँहें पीछे करके अपनी ब्रा को खोल दिया, और उसे नीचे गिरा दिया, और अपने हाथों की उँगलियाँ अपने निप्पल्स के ऊपर रखकर उन्हें छुपा लिया, पर यार, क्या बड़े चुचे थे उसके, थोडा लटके हुए थे, पर उन्हें देखकर मुझे अपनी आरती चाची के वो बड़े बड़े और मोटे चुचे याद आ गए, जिनका मैं बचपन से दीवाना था, और जिन्हें मैंने हिल स्टेशन पर काफी चूसा था.. वो निप्पल्स को छुपा कर अपनी अदाएं दिखा रही थी, किसी पोर्न स्टार की तरह..मैंने अपना लंड निकाल कर मसलना शुरू कर दिया.
उसने जैसे ही मेरा लंड देखा, उसकी आँखें फटी रह गयी, शायद उसने इतना लम्बा और मोटा लंड आज तक नहीं देखा था.. उसके दोनों हाथ अपने आप नीचे हो गए और एक हाथ से वो अपनी चूत को मसलने लगी, जींस के ऊपर से ही..
अब उसके दोनों स्तन मेरे सामने पुरे नंगे थे, क्या माल थी यार, गुलाबी रंग के निप्पल्स, बिलकुल ऋतू के जैसे, पर थोड़े ज्यादा मोटे थे इसके...पतली कमर और नाभि वाला हिस्सा कुछ ज्यादा ही मोटा था, उसकी नाभि बाहर की तरफ निकली हुई थी, शायद बचपन से ही ऐसी रही होगी,...पर बड़ी सेक्सी लग रही थी, मैंने इतनी बड़ी नाभि आज तक किसी की नहीं देखी थी. उसने अपनी जींस के बटन खोले और उसे भी नीचे उतार दिया, लम्बी केले के तने जैसी मोटी टाँगे, जिनपर एक भी बाल नहीं था, और नीचे मेचिंग पेंटी पर्पल कलर की, जो आगे से गीली हो चुकी थी...उसने एक ऊँगली अन्दर डालकर अपनी चूत के रस में डुबोयी और उसे बाहर निकाल कर चूसने लगी...
मेरे मुंह में भी पानी आ गया उसकी इस हरकत से..
वो समझ गयी और अगली ऊँगली उसने मेरी तरफ बढ़ा दी...मैं किसी भूखे बच्चे की तरह से टूट पड़ा उसकी ऊँगली पर....उसकी उस ऊँगली के साथ साथ मैं उसके पुरे हाथ को चूसकर , चाटकर, अच्छी तरह से साफ़ करने में लग गया...
"आआआआआआआह्ह्ह्ह बाबु......अह्घ्ह्ह .....क्या मोटा और लम्बा लंड है... आपका....
आपको देखकर ही मैं समझ गयी थी...की आप बड़े चोदु किस्म के हैं....मेरी चूत में जब तक कोई लंड न जाए मुझे मजा नहीं आता, अब तो दीदी ने जब मुझे भी काम पर लगा दिया है तो मेरे मोहल्ले से मैं कोई लंड नहीं ले पाऊँगी...
अब आप ही मेरी चूत को अपने मोटे लंड से चोदो...रोज....अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म और चुसो...इन्हें.....और इन्हें भी...."
ये कहते हुए उसने अपने दोनों चुचे अपने हाथों में पकडे और उन्हें मेरी तरफ बड़ा दिया...मैं अपना मुंह खोलकर उनपर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा..
वो खड़ी हुई मचल रही थी, मैंने हाथ पीछे करके उसकी मोटी गद़रायी गांड को मसलना शुरू किया और एक हाथ अन्दर डालकर उसकी चूत को भी मसल दिया, बड़ी गरम हो चुकी थी वो...मैंने देखा की वहां ज्यादा जगह नहीं थी, की मैं उसे चोद सकता, मैंने उसे कहा की वो थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आ जाए, यहाँ चुदाई की जगह नहीं है ..वो झुन्झुला कर बोली "पहले नहीं बोल सकते थे क्या....पूरी नंगी करने के बाद ये बात कह रहे हो..अब मैं नहीं जानती, जैसे भी चोदो, पर अभी चोदो...."
वो मेरी बात मानने को तैयार ही नहीं थी, उसकी चूत में आग जो लगी हुई थी..
मैंने देखा की कमरे में सिर्फ कुर्सी पर ही चुदाई हो सकती है, मैंने उससे कहा की वो मेरी तरफ मुंह करके अपने दोनों पाँव मेरी कमर के दोनों तरफ फेलाए और मेरे लंड पर बैठ जाए,
यही एक आसन है , जिसमे चुदाई संभव है...वो समझ गयी और जल्दी से पेंट और कच्छी उतार कर पूरी नंगी हो गयी, जैसा मैंने सोचा था, उसकी चूत भी बिलकुल सफाचट थी...और बह भी रही थी..
मैंने अपनी पेंट और टी शर्ट उतारी और नंगा होकर लंड को हाथ में पकड़कर बैठ गया, उसने टाँगे दोनों तरफ रखा और धीरे से नीचे होने लगी, मैंने लंड को निशाने पर लगाया और जैसे ही उसे अपनी चूत के मुंह पर मेरे लंड का एहसास हुआ, वो बैठ गयी उसके ऊपर, बड़ी टाईट थी, लगता था, उसने इतना बड़ा लंड नहीं लिया था आज तक...
वो चिल्ला पड़ी...."आआआआअह्ह्ह्ह बाबु.....क्या लंड है तेरा....मजा आ गया...आआआआअह्ह्ह सच में ...मोटे लंड का मजा ही कुछ और है.... आआआआआआह्ह ..."
वो मेरे लंड को अन्दर जड़ तक ले गयी और मेरी गर्दन पर बाहें फंसा कर अपने मोटे तरबूजों से मेरी गर्दन पर शिकंजा कस लिया... इतने मुलायम शिकंजे से तो मेरा छुटने का भी मन नहीं कर रहा था...पर एक बात थी, बड़ी गर्म टाइप की थी ये अन्नू, जिस तरह से वो कूद कूदकर अपनी चूत से मेरे लंड को पीस रही थी, उसके एक्सपेरिएंस का पता चलता था, उसकी फेली हुई गांड की मखमलता मेरी जाँघों पर अपनी छाप छोड़ रही थी,मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में दाल दी...वो तड़प उठी..... "आआआअह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो बाबु...बड़ा मजा आ रहा है...तेरे दो लंड होते तो एक वहां भी ले लेती........." मैं समझ गया की ये सब मजे ले चुकी है अपनी जवानी के...
उसने अपना चेहरा मेरे सामने किया और मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किये...और साथ ही साथ उसके दोनों होर्न बजाकर उसके हाईवे पर अपना ट्रक चलने लगा...पूरी स्पीड से...
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12-13-2020, 02:58 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
"आः आःह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़... य....... बाबु......हाआ.......हाँ ऐसे ही बाबु......और जोर से..... चुसो.... इन्हें.... चाटो.... काट लो...... लो पियो मेरा दूध......डाल दो अपना दूध मेरी चूत के अन्दर.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .... अह्ह्ह्हह्ह बाबु...... मैं तो गयी रे..... अह्ह्हह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ म्मम्मम्म ........ आआआआह्ह्ह्ह ..."
उसने जैसे ही अपना रस छोड़ा मेरे खड़े हुए रोकेट के ऊपर, मैंने भी लंड से उसकी चूत के अन्दर गोले दागने शुरू कर दिए.... और उसके दोनों चुचों के बीच अपना मुंह छिपाकर गहरी साँसे लेने लगा...वो मेरे बालों को सहलाती हुई, आँखें बंद किये, मजे ले रही थी.
"वह भाई...तुम तो बड़े तेज निकले....पहले ही दिन मजे ले लिए....हूँ...."
दोनों ने चोंक कर देखा, बाहर ऋतू खड़ी थी....अयान के साथ..
मेरा तो कुछ नहीं, पर अन्नू का चहरा देखने लायक था.
अनीता अभी भी मेरे लंड पर बैठी उसमे से निकल रही पिचकारियों से अपनी चूत को भिगो रही थी, ऋतू और अयान अन्दर आये और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे, अनीता समझ रही थी की पहले ही दिन उसने चुदवाकर बड़ी भूल करी है, जिसकी वजह से उसकी नौकरी भी जा सकती है, पर जब उसने सभी को मुस्कुराते हुए देखा तो उसकी जान में जान आई, चुद्दक्कड़ तो वो थी ही अपने इलाके की, इसलिए वो समझ गयी की घबराने की कोई बात नहीं है, ऋतू और अयान को भी अब उसे खुश करना होगा, नहीं तो उसकी नौकरी जा सकती है, उसने साथ खड़े अयान के लंड की तरफ देखा तो वो चोंक गयी, पेंट के ऊपर से उसके लंड की लम्बाई देखकर उसे कुछ समझ नहीं आया, पर इतना जान गयी की उसका पाईप उसकी चूत को बड़े मजे देने वाला है. अयान की नजर सीधा अन्नू के मोटे, लटकते हुए मुम्मो पर थी, उसने हाथ आगे करके उन्हें होले से दबा दिया.
मेरा लंड अन्नू की चूत में था, जैसे ही अयान ने उसके मुम्मो को दबाया, उसकी चूत की ग्रिप मेरे लंड के चारों तरफ थोड़ी और टाईट हो गयी, और उसके निप्पल्स जो अन्दर घुस चुके थे, वो बाहर आकर फिर से चमकने लगे, मानों कह रहे हो, अब कोन है भाई...!!
इसी बीच ऋतू ने कोने में पड़ी एक दरी को उठाया और उसे नीचे बिछाने लगी, जगह काफी छोटी थी वहां, इसलिए उस कुर्सी को उठाकर बाहर निकलना पड़ा, अब उसने अन्नू को नीचे जमीन पर लेटने को कहा , अन्नू जैसे ही मेरे लंड से उठी, ऋतू ने उसकी चूत के ऊपर अपना पंजा लगाकर उसके अन्दर से मेरे रस को बाहर निकलने से बचाया, और उसे आराम से दरी पर लिटाकर सीधा उसकी चूत के ऊपर मुंह लगा दिया और वहां से निकलता हुआ आमरस पीने लगी, मेरा लंड अभी -२ झडा था इसलिए मैं खड़ा होकर उनका खेल देखने लगा,
वैसे तो अन्नू भी अभी-२ झड़ी थी, पर वो फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गयी थी, सही में काफी चुद्दक्कड़ किस्म की लोंडिया थी वो. अयान ने जल्दी से कपडे उतारे और नंगा होकर अपना लंड अन्नू के सामने लटका दिया, एक बार तो वो सहम सी गयी उसकी लम्बाई देखकर, शायद सोच रही होगी की कैसे -२ लंड है इनके घर में, पर कोई बात नहीं , मजा तो आने ही वाला था उसे..
ऋतू ने लम्बी फ्रोक्क पहन रखी थी, जैसे ही वो नीचे झुकी, उसकी मोटी गांड ऊपर उठ गयी और मैंने उसकी फ्रोक्क को उठाकर उसके सर से उतार दिया, नीचे उस हरामजादी ने कुछ भी नहीं पहना हुआ था, मादरजात नंगी होकर अब वो बड़े मजे से अन्नू की चूत से मेरे रस को चूस चूसकर बाहर निकाल रही थी.
अन्नू ने शायद कल्पना भी नहीं की थी की ऋतू का सगा भाई उसके कपडे उतारकर उसे नंगा कर देगा, पर जब उसने देखा तो वो समझ गयी की इस फॅमिली में शायद सभी लोग ऐसे ही हैं, सो उसने भी मजे लेने के लिए, इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए, सामने खड़े अयान को अपनी तरफ बुलाया और उसके लंड को चूसने लगी.
अयान उसके मोटे और फुले हुए मुम्मो पर अपनी गांड टीकाकार बैठ गया, और उसके मुंह में अपना लंड डालकर चुस्वाने लगा. मेरे लंड में भी धीरे-२ करंट वापिस आने लगा था.
ऋतू के सर को अपनी चूत पर दबाकर अन्नू जोर-२ से चिल्लाने लगी.. "अह्ह्हह्ह बेबी जी.....हां यहीं.....चाटो...बड़ी खुजली होती है यहाँ....अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़.....मरर गयी रे....क्या मस्त लोग हो आप सभी..." और ये कहकर वो फिर से अयान के लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी..
ऋतू की चूत में से जैसे शहद टपक रहा था, उसकी चूत में से लटकती एक मोटी सी, गाड़े रस की बूँद, उसकी चूत के सिरे पर लगी हुई थी, मानों कह रही हो, चाटना है तो चाटो, वर्ना में तो चली, मैं कैसे उसे अनदेखा कर सकता था, मैंने झट से आगे बढकर ऋतू की चूत पर अपनी जीभ फेराई और उसे अपनी जीभ पर समेट कर पी गया..बड़ा ही मीठा रस है ऋतू की चूत का..
मेरा लंड भी अब पुरे शबाब पर आ चूका था, अब फिर से सबने अपनी जगह की अदला बदली की और अब नीचे अयान लेट गया अपनी पीठ के बल, ऋतू की गांड उसके मुंह पर आ टिकी और अन्नू ने अपनी चूत को अयान के लम्बे लंड के ऊपर रखा और फिसलती चली गयी वो उसके पोल के ऊपर... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उई मा...मा...कितना लम्बा लंड है....ओफ्फ्फ्फ़ .....अह्ह्हह्ह ....'"
अंत में अयान का लंड जब अन्नू के गर्भाशय से टकराया तब उसे पता चला की लम्बे लंड से चुदवाने में कितने मजे हैं, मैंने भी अब अन्नू को मोटी गांड को सहलाया और उसके पीछे वाले छेद को थूक लगाकर उसके रिंग में अपने लंड का सुपाडा फंसाया और एक तेज धक्का मारा...
"अय्यीईईइ बाबु....थोडा धीरे....इतना मोटा लंड तो आज तक मेरी चूत में भी नहीं गया था, और तुम गांड में इतनी बेरहमी से घुसा रहे हो...." वो शायद और भी कुछ बोलती पर ऋतू ने उसका मुंह अपनी चूत पर दबाकर उसकी बोलती बंद कर दी....
अब ऋतू की गांड को नीचे लेटा हुआ अयान चाव से चाट रहा था और ऊपर से अन्नू उसकी चूत का पानी पी रही थी..और अन्नू की गांड में मेरा और चूत में अयान का लंड था, जिसे हम दोनों भाई लम्बे लम्बे झटके दे देकर चोद रहे थे...
मजे तो ऋतू के थे, जिसकी चूत एंड गांड पर मखमली जीभ से सिंकाई हो रही थी, पर आफत अन्नू के लिए थी, उसने इतना लम्बा लंड अपनी चूत में और इतना मोटा लंड अपनी गांड में, आज तक नहीं लिया था...
पुरे स्टोर रूम में अन्नू की चीखें गूँज रही थी...
"अह्ह्ह्हह्ह बाबु.....थोडा धीरे.....अह्ह्हह्ह ....नहीं......अह्ह्हह्ह....इतनी तेज नहीं रे.....अह्ह्ह्हह्ह ...मार डाला....रे....उई.....ओ माँ....ओह्ह्ह्ह.....उफ्फ्फ.....हाँ.....अह.....क्या कर रहे हो....."
मैं उसकी गांड के फेले हुए हिस्से को अपने हाथ से मसल रहा था और बडबडा रहा था..
"ले साली...रंडी...तुने अभी अपने मोहल्ले के लंड ही खाए हैं....कुतिया .....चुद मेरे मोटे लंड से....भेन की लोड़ी.... बड़ी आई थी अपनी बहन को बचाने... साली.. उससे भी पूछ लेती...वो भी तो चुदना चाहती है....तू चुदे और वो देखे...साली हरामखोर... सारे लंड तू ही खाएगी क्या....वो कुंवारी रहेगी पूरी उम्र....बोल....."!!
वो बोली "बाबु.... चोद देना उसे भी...मुझे क्या मालुम था ...इतने मजेदार लंड हैं यहाँ....मोटे लंड से चुदेगी तो पूरी उम्र मजे लेगी....अह्ह्हह्ह .....चोद देना उसे भी.... पर अभी तो आप मुझे मजे दो...बड़ा मजा आ रहा है....इतने तो आज तक नहीं आये... अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़....अह्ह्हह्ह ......म्मम्मम ....." और फिर वो बकरी की तरह, ऋतू की चूत से पानी पीने लगी.
ऋतू की गांड और चूत पर भी एक साथ हमला हो रहा था, इसलिए सबसे पहले उसने झड़ना शुरू किया,
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....ओफ्फ्फ्फ़ भाई..... अह्ह्हह्ह मैं तो गयी......अह्ह्हह्ह....अनीता ....बड़ा मस्त चुसती है रे तू तो....अब्बब्बब्ब ......अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म " और जैसे ही उसकी चूत से रस का झरना फूटा, अन्नू ने जीभ बाहर निकालकर , लप लपा कर उसे पीना शुरू कर दिया, पर फिर भी उसके मुंह से बचकर कुछ पानी नीचे की और सरक गया और नीचे लेटे अयान के मुंह में जाकर टकराया..उसने अपनी जीभ उस रस में भिगोकर, ऋतू की गांड के छेद में वापिस डाल दी...बस येही बहुत था.उसे और भी ज्यादा तड़पाने के लिए...
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12-13-2020, 02:58 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
उसने अपनी गांड को अयान के मुंह पर घिसना शुरू कर दिया, एक बार तो लगा की ऋतू कहीं अपनी मोटे चूतड़ों में फंसा कर उसका दम ही न घोट दे..
अयान ने भी अपने मुंह के साथ साथ अपने लंड की स्पीड बड़ा दी और जल्द ही उसके लंड ने अन्नू की चूत में बीज देने शुरू कर दिए...
"अह्ह्ह्हह्ह.....बड़ा गर्म है रे तेरा पानी बाबु.....अह्ह्ह्हह्ह मजा आ गया...चूत तृप्त हो गयी रे......"
उसकी चूत के साथ -२ मैंने उसकी गांड को भी तृप्त करने के लिए, पीछे से सिंचाई करनी शुरू कर दी...और एक के बाद एक कई पिचकारियाँ वहां चला दी.... आनंद के मारे जब वो झड़ने लगी तो उसके मुंह से सिवाए सिस्कारियों के कुछ और न निकला.. "स्स्स्सस्स्स्स म्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह"
हम सभी चुदाई के बाद खड़े हुए और मुस्कुराते हुए कपडे पहन कर नीचे आ गए,
नीचे आकर मम्मी ने मुझे कोने में ले जाकर सब कुछ उगलवा लिया, अब उनकी चूत में भी खुजली होने लगी थी,
वो भी चाहती थी की ये नयी नौकरानी उनकी चूत चाटे, मैंने उन्हें आश्वासन दिया की उनका ये काम मैं जल्दी ही करवा दूंगा. सोनिया ने अपनी बहन से पुछा की इतनी देर से वो कहाँ थी...??
तो मैंने उससे कहा की वो ऊपर स्टोर रूम की सफाई कर रही थी.
सोनिया : "पर साहब...ये काम तो मेरा था.......आप मुझे कह देते...."
मैंने अन्नू की तरफ अर्थपूर्ण दृष्टि से देखकर मुस्कुराते हुए कहा "हाँ...मुझे पता है...कल तुम कर देना वहां की सफाई..."
वो कुछ समझी नहीं पर अन्नू मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी...वो समझ चुकी थी की कल होली वाले दिन उसकी बहन की चुदाई तो अब होकर ही रहेगी..
शाम को खाना बनाकर, सफाई करके वो दोनों बहने वापिस चली गयी, और उस रात हम सभी जल्दी ही सो गए, क्योंकि अगले दिन होली जो थी,..
*****

सुबह ढोल की आवाज से मेरी नींद खुल गयी.
बाहर गली में होली का हुडदंग शुरू हो चूका था, मैंने उठा और बाकी सभी को भी उठाया,
मम्मी पहले से ही उठ चुकी थी और सभी के लिए नाश्ते में ब्रेड पकोड़े बनाने में लगी हुई थी, वो जानती थी की नहाना तो सभी को होली के बाद ही है. सभी ने होली के लिए पुराने कपडे पहन लिए और बाहर निकल कर गली के लोगों के साथ एक दुसरे को रंग लगाने लगे.
अन्दर आकर हम सभी ने नाश्ता किया, तभी फ़ोन की घंटी बजी, पापा ने फ़ोन उठाया ,
वो फ़ोन अजय चाचू का था, उन्होंने एक दुसरे को होली के लिए विश किया, फिर आरती चाची ने भी, अजय चाचू के साथ हमारे दादाजी, विशम्भर, भी रहते हैं, उनकी उम्र लगभग 70 साल की है, उनकी पुश्तेनी जमीन है, इंदोर के पास, होशंगाबाद में, जहाँ की खेतीबारी वो अभी तक देखते हैं, उन्होंने भी बारी-२ से सभी को विश किया.
मम्मी : "डेडी जी...कितना टाइम हो गया है...आप को यहाँ आये हुए...आपको छोटी बहु की तीमारदारी काफी पसंद आ गयी है ....मेरी तो जैसे आपको याद ही नहीं आती.."
दादाजी : "अरे...बहु ऐसी बात नहीं है...वो क्या है न...फसल का टाइम है...होली के बाद कटाई भी करवानी है, उसके बाद मैं पक्का आऊंगा..अजय तो मुझे भी अपने साथ केम्प पर चलने को कह रहा था, पर फसल की वजह से जा नहीं पाया, मैं वादा करता हूँ की जल्दी ही आऊंगा दिल्ली....खुश... !!
और आशु और ऋतू कैसे हैं...उन्हें मेरा प्यार देना...खुश रहो सब...होली मुबारक हो सभी को..." और थोड़ी देर और बात करने के बाद उन्होंने फ़ोन रख दिया..
मम्मी ने दादाजी के आने के बारे में सभी को बताया, ऋतू ये बात सुनकर काफी खुश हुई, वो उनकी लाडली जो थी.
तभी बेल बजी और मैं दरवाजा खोलने गया..सामने अनीता और सोनिया खड़ी थी, पूरी तरह से रंग में नहाई हुई..
मैंने रंगों में भीगी हुई दोनों बहनों को ऊपर से नीचे की तरफ देखा, लगता था की वो अपने मोहल्ले में काफी होली खेलकर और रास्ते भर रंगों में नहाते हुए आई थी. सोनिया ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था और अन्नू ने जींस और टी शर्ट,
रंगे होने की वजह से उसकी टी शर्ट का रंग सही तरह से पता नहीं चल पा रहा था..पर दोनों बड़ी मस्त लग रही थी उस समय. अन्नू ने मुझे देखकर आँख मार दी और सोनी शरमाते हुए बोली "होली मुबारक हो बाबु..." और दोनों अन्दर आ गयी, मैंने पीछे से अन्नू के गोल चूतडों पर हाथ मारकर उसकी गर्मी महसूस करने की कोशिश की.
अन्दर आकर उन्होंने सभी को होली विश किया और मम्मी ने उन दोनों को भी ब्रेड पकोड़े और गुजिया खाने को दी, उसके बाद अन्नू किचन समेटने में और सोनी घर की सफाई में लग गयी.
मैंने सोनी को धीरे से कहा "अरे...तुम सफाई क्यों कर रही हो...अभी तो होली शुरू हुई है...अभी काफी गन्दगी फेलेगी, तुम्हारी सारी मेहनत खराब हो जायेगी...बाद में करना ये सब..."
उसने मेरी बात मानकर झाड़ू रख दिया, मैंने ऋतू, सुरभि और अयान को अपनी तरफ बुलाया और इशारे से सोनी को रंग लगाने को कहा, वो मेरी बात समझ गए और अगले ही पल ऋतू और सुरभि, जो सुबह से ही बड़े अच्छे मूड में थी, ने दोनों तरफ से बेचारी सोनी को घेर लिया और उसके ऊपर रंग लगाने लगे..
वो बचने के लिए इधर उधर भागने लगी..और अंत में मेरे पीछे छुपकर खड़ी हो गयी और पीछे से मेरा कुरता पकड़कर बोली "मुझे बचा लो बाबु...मैं पहले से ही काफी भीग चुकी हूँ....मेरी तबीयत खराब हो जायेगी आज...बचा लो न..."
मैंने रोबीली आवाज में सभी को रोकते हुए कहा "रुक जाओ....क्या कर रहे हो...किसी से जबरदस्ती नहीं करते..."
और फिर उसकी तरफ मुंह करके कहा "पर होली में तो ये सब चलता है न...." और ये कहते ही मैंने अपने हाथों में छुपा हुआ पानी के रंग का डब्बा उसके सर के ऊपर डाल दिया,
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
गहरे हरे रंग से वो सराबोर होकर पूरी तरह से भीग गयी, उसके सूट के अन्दर से उसकी ब्रा की शेप दिखने लगी जिसे देखकर मेरे लंड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी..उसका चेहरा देखने लायक था, वो बोली "आप बहुत बुरे हैं...." और ये कहकर वो बाथरूम की तरफ चल दी..मेरे साथ-२ घर के सभी लोग हंसने लगे.
हम सभी लोग घर के पीछे वाली जगह में आ गए, ताकि घर ज्यादा गन्दा न हो, पापा भी अब नाश्ता कर चुके थे, वो भांग बनाकर लाये थे, जो उन्होंने सभी को दी, फिर उन्होंने सभी को गुलाल लगाया और खासकर अपनी साली को, जिसे वो ऐसे मसल रहे थे जैसे पहली बार छु रहे हो उसके जिस्म को.
वैसे ये होली भी कितना मजेदार त्यौहार है, कई लोगो को जिन्हें पुरे साल आप सिर्फ हाथ मिलाकर या हाथ जोड़कर मिलते हैं, उन्हें छूने का पहली बार जब मौका मिलता है तो कितना सुखद एहसास होता है मन में, और होली के रंगीन मौसम में उसके लिए अपने आप ही गंदे ख्याल आने शुरू हो जाते हैं.
पर यहाँ कोई भी ऐसा नहीं था जो एक दुसरे के स्पर्श से अनछुआ हो, सभी ने अच्छी तरह से एक दुसरे के जिस्म छु कर, चाट कर, चोद कर देख रखे थे.. खेर, हरीश अंकल भी अब पूरी मस्ती के मूड में आ गए , भांग का असर होने लगा था सभी पर, और उन्होंने अपनी बड़ी साली को किचन से ही घसीट कर बाहर की और लाये और उन्हें रंग लगाना शुरू कर दिया, मम्मी भी अपने हाथों में गीला रंग लगाकर अपने जीजा को रंगने में लगी हुई थी, तभी मम्मी ने रंग भरे हाथ हरीश अंकल के पायजामे में डाल दिए और उनके तने हुए लंड को पकड़कर उसे रंग दिया..
अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उन्होंने अपने हाथ में लाल रंग डाला और उसे पानी में भिगो कर उसे मम्मी के ब्लाउस में डाल दिया और उनके मोटे -२ मुम्मो को पकड़कर मसलने लगे, अयान भी ऋतू के चेहरे पर रंग लगाते-२ उसके पेट पर रंग लगाने लगा और फिर थोडा हाथ ऊपर करके उसके चुचों पर भी, उस कमीनी ऋतू ने आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसे कुछ ज्यादा परेशानी नहीं हुई,
सुरभि मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैंने भी उसके एक एक अंग पर अपने हाथों के निशान छोड़ने शुरू कर दिए, ब्रा तो उसने भी नहीं पहनी थी, वैसे भी उसकी सपाट छाती पर ब्रा का क्या काम था, पर कुल मिलकर बड़ा ही रंगीन माहोल हो चूका था.
अन्नू किचन का काम ख़त्म करने के बाद बाहर आई और सभी को मस्ती में रंग लगाते देखकर एक तरफ खड़ी होकर सभी को देखने लगी, मेरी नजर जैसे ही उसपर पड़ी, मैंने भागकर उसे पकड़ा, वो मुझसे छुटकर भागने लगी, मेरे हाथ में उसकी टी शर्ट का पीछे वाला हिस्सा आ गया, पर उसके भागने से वो फट गया और उसकी पूरी कमर वाला हिस्सा नंगा हो गया,
सभी ये देखकर हंसने लगे, भांग के कई गिलास पी चुके पापा ने जब देखा की उनकी नयी नौकरानी अर्ध नग्न सी खड़ी हुई है तो उनके शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी,
मैं उनकी नजरों को भांप गया, मैंने अन्नू के शरीर से वो बची हुई टी शर्ट भी उतार फेंकी, अब वो सिर्फ ब्रा में ही खड़ी थी सभी के बीच, और उसके बाद सभी ने उसके शरीर पर अपने हाथ साफ़ किये, खासकर पापा और हरीश अंकल ने, वो तो उसके नन्हे शरीर को ऐसे दबा रहे थे जैसे वो उनकी अपनी बेटी हो, पर इन सबमे अन्नू को बड़ा ही मजा आ रहा था, वो बचने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी, बल्कि बड़ चड़कर एक दुसरे से रंग लगवा भी रही थी और लगा भी रही थी.
मम्मी ने कहा "अरे छोड़ दो बेचारी को...नंगा ही कर दोगे क्या..."
"हाँ कर देंगे..." और ये कहते हुए पापा ने उसकी ब्रा को खींचा और फाड़कर उसे भी अन्नू के शरीर से अलग कर दिया. अन्नू ने अपने हाथों से अपने चुचों को ढकने की कोशिश करी पर पापा ने आगे बढ़कर उसके हाथ हटाये और उनपर फिर से रंग लगाने के बहाने उनका मर्दन करने लगे. उसकी आँखें आनंद के मारे बंद सी होने लगी, उसकी चूत में भी अब खुजली होने लगी थी, मैं जानता था की वो रंडी चुदने के लिए तैयार है, और ये भी की पापा और हरीश अंकल के सामने एक नया माल आ चूका है इसलिए उनके लंड भी इस नयी नौकरानी की चूत में होली खेलने को तैयार थे.
मम्मी और दीपा आंटी भी समझ गयी की उन्हें समझाना बेकार है, इसलिए वो भी मस्ती में आकर मजे लेने लगी.
अयान ने अपनी मम्मी का सूट ऊपर से उतार दिया, अन्दर उन्होंने भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी, मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था की आज होली पर किसी ने ब्रा क्यों नहीं पहनी,!!
शायद गन्दी ना हो जाए इसलिए, मैंने मम्मी के ब्लाउस को आगे से पकड़ा और उसके हूक खुलकर उसे उतार दिया, एक और नंगे चुचों का जोड़ा बिना ब्रा के उजागर हो गया .
मैंने अपना कुरता उतारा और ऊपर से मैं भी नंगा हो गया, अब सभी लोग ऊपर से आधे नंगे होकर एक दुसरे को रंग लगा रहे थे.
मैंने पीछे से पाईप को पकड़ा और टंकी चला कर सभी को भिगोने लगा, सभी हँसते हुए , चिल्लाते हुए , ठन्डे पानी से बचने के लिए भागने लगे. बड़ा ही खुशनुमा सा माहोल बन चूका था.
तभी सोनी बाथरूम से अपने रंग को साफ़ करके बाहर आई और बाहर सभी की हालत देखकर उसके होश उड़ गए, सभी लगभग नंगे होकर एक दुसरे के साथ होली खेल रहे थे, और उन नंगो में उसकी छोटी बहन अनीता भी थी, जो बड़े मजे से मेरे पापा के साथ चिपकी हुई उनसे अपने स्तनों का मर्दन करवा रही थी.
वो डर कर वापिस अन्दर की और भागने लगी तो मैंने उसे पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया, वो बोली "मुझे छोड़ दो बाबु....मैं इस तरह होली नहीं खेलना चाहती...मुझे बड़ी शर्म आ रही है..."
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उसे समझाते हुए कहा "देखो सोनी, हमारे घर में कोई भी एक दुसरे से शर्म नहीं करता, सभी एक दुसरे के साथ मस्ती भी करते हैं और मजे भी लेते हैं, तुम जब तक यहाँ हो, तुम भी मस्ती करो और मजे लो..जैसे तुम्हारी छोटी बहन ले रही है..देखो, और क्या तुम कल वाले अधूरे काम को पूरा नहीं करना चाहोगी.. ."?? और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया, उसके मोटे चुचे मेरे सीने से लग गए, उसने अन्नू की तरफ देखा जिसके आगे मेरे पापा और पीछे हरीश अंकल खड़े होकर उसके गर्म और ताजे ग़ोश्त के मजे ले रहे थे.
वो जानती तो थी की उसकी बहन सभी गंदे काम करती है, पर आज शायद पहली बार उसे अपने सामने ही रंगरेलियां मनाते हुए देख रही थी, जिसकी वजह से उसकी चूत में भी सीलन आने लग गयी थी, मैंने उसके शरीर को मसलना शुरू किया और उसके फेले हुए कूल्हों को दबाकर उसके शरीर से उठने वाली तरंगो को और तेज कर दिया.
उसके मुंह से हलकी -२ सिस्कारियां निकलने लगी थी, अचानक उसने मेरी तरफ मुंह किया और मेरे होंठों को चूसने लगी, किसी प्यासी मछली की तरह, और मेरे मुंह से सारा पानी निकालकर पीने लगी. वो काफी गर्म हो चुकी थी, वो जानती थी की कल वाली घटना के बाद आज उसकी चुदाई तो पक्की है,
और जब उसने हमारे घर का रंगीन माहोल देखा, जहाँ बाप-बेटी, माँ-बेटा, सभी लोग एक दुसरे के साथ मजे लेने में लगे हुए हैं, और यहाँ तक की उसकी छोटी बहन के शरीर से भी सभी खेल रहे हैं तो वो क्यों पीछे रहे,
उसके अन्दर की जवानी भी फूट फूटकर बाहर आने लगी, उसके निप्पल कड़क होकर सूट के ऊपर तन गए और मेरी छाती में चुभने लगे.
मैंने एक हाथ से उसके सूट का किनारा पकड़ा और उसे ऊपर करके निकाल दिया..और फिर उसकी मेली सी ब्रा भी निकाल फेंकी, अब वो भी हमारी तरह ही आधी नंगी हो चुकी थी..
आज उसके चुचे कुछ ज्यादा ही मोटे, कड़क और दबंग टाइप के लग रहे थे, उनपर सजे निप्पल तो गजब ढा रहे थे, मेरे लंड ने अपना पूरा विकराल रूप ले लिया था. अयान अब मम्मी के नीचे वाली हिस्से को भी उतारने में लगा हुआ था, दीपा आंटी भी अपनी बहन के साथ खड़ी हुई अपने बेटे के उबलते हुए लंड को देखकर गर्म होने लगी थी.
मम्मी ने आज नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी, अयान ने उन्हें नीचे जमीन पर लिटाया और उनकी चूत पर अपने होंठ रखकर वहां से गरमा गरम पानी पीने लगा, दीपा आंटी साथ में खड़ी होकर अपनी चूत और चुचे को एक साथ मसल रही थी, उन्होंने अपने आप ही अपने बाकी बचे हुए कपडे उतार फेंके और नंगी होकर वो भी अपनी बड़ी बहन के साथ वहीँ जमीन पर लेट गयी,
ये सोचकर की शायद उनका भी नंबर आएगा, चूत चटवाने का...अयान ने उन्हें निराश नहीं किया , थोड़ी देर तक मम्मी की चूत चाटने के बाद उसने अपनी मम्मी दीपा की टांगों के बीच लेटकर उनकी चूत से निकलते हुए रसीले पानी को पीकर उनकी चूत को तृप्त किया...और अपनी जीभ को भी..
ऋतू और सुरभि ने एक दुसरे के चुचे चाटने शुरू कर दिए, वो दोनों आज लेस्बियन वाले मूड में थी, उन्हें मालुम था की आज लंडो की कमी पड़ेगी, दो-दो नयी चूतें जो आई थी आज..
पर कोई बात नहीं , वो रात को चुद कर अपना हिसाब पूरा कर लेंगी, और तब तक एक दुसरे की चूतें चाटकर ही काम चला लेंगी.
पापा ने अन्नू को अपने ऊपर लिटा लिया था..और उसकी जींस उतार कर उसे भी नीचे से नंगा करके उसे अपने मुंह की सवारी करने लगे, ऊपर खड़े हुए हरीश अंकल ने अपना लंड बाहर निकाला और पापा के मुंह के ऊपर बेठी हुई रंडी के मुंह में डालकर मजे लेने लगे. साले दोनों सांढू मिलकर उस रसीली अन्नू का बैंण्ड बजाने की तय्यारी कर रहे थे.
हमारे घर के पीछे वाले आधे हिस्से में घाॅस है और आधे में फर्श..
मैंने सोनी को घाॅस पर लिटाया और उसके नीचे वाले हिस्से को भी नंगा कर दिया..
उसने नीचे काले रंग की पेंटी पहन रखी थी, जिसमे से उसकी फूली हुई चूत बड़ी दिलकश लग रही थी, मैंने उसपर हाथ फेरा तो उसके मुंह से एक आह सी निकल गयी...
"आआआआआआआआह्ह्ह्ह बाबु......अम्म्मम्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ..."
उत्तेजित होने की वजह से उसके मुंह से लार निकल कर उसके होंठों को भिगोने लगी. बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो उस समय...
मैंने ऊपर उठकर उसके गीले होंठों को चुसना शुरू कर दिया और उसके चुचे अपने हाथों में पकड़कर दबाने लगा, आज उसके निप्पल बड़े ही कड़क थे, मानो पत्थर के हो चुके हो...
मैंने सर नीचे किया और उसके दांये निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा, बड़ा ही खट्टा सा स्वाद था उसके जिस्म का..भीनी -२ सी महक आ रही थी, शायद पावडर लगा कर आई थी वो अन्दर...
मैंने जीभ से उसके उरोजों को चाटना शुरू किया और उसके पेट से होता हुआ, नाभि पर आकर अपनी जीभ अन्दर डालकर वहां कुरेदने लगा, उसे शायद गुदगुदी हो रही थी ऐसा करने से...पर जब मैंने थोडा और नीचे होकर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही अपने मुंह में भींच लिया तो उसकी तो बोलती ही बंद हो गयी,
उसने मेरे सर को अपनी चूत के ऊपर दबा कर मुझे और जोर से अपनी चूत को चाटने और काटने पर मजबूर कर दिया. मैंने एक हाथ से उसकी कच्छी को पकड़ा और उसे उतार दिया, उसके भीने रस में डूबी कच्छी को मैंने जब खींचकर पेरों से नीचे उतारा तो उसकी चूत का पूरा रस उसकी टांगों से रगड़ खाता हुआ उसे भिगोता चला गया..
मैंने नीचे से उसकी टांगों को चाटना चुरू किया और सारा रस अपनी जीभ में समेटते हुए ऊपर तक आया और उसकी चूत पर आकर मैंने दोबारा जब उसकी नंगी चूत को अपनी जीभ से छुआ तो उसके मुंह से एक अजीब तरह की हुंकार निकली..."हुऊऊऊ ,.......आआआह्ह ....ऊऊऊ बाबु........मरररर गयी......अह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्स्सस्स्स्स स्सस्सस्सस ,,,,,,म्मम्मम्म "
और फिर मैंने अपनी जीभ और होंठ से उस शहद वाली झील से पानी पीना शुरू किया, मैं जितना साफ़ करता, अन्दर से और पानी बाहर आ जाता..
मैं झक्क मारकर ऊपर की तरफ चल दिया, मैं जानता था की इसका पानी तो अब पूरी जिन्दगी निकलता ही रहेगा..मैंने अपना तना हुआ लंड उसके मुंह के पास करके उसके मुंह में पेल दिया,
वो चपर -२ करके बड़ी ही बेसब्री से उसे चाटने लगी, मेरी गांड के नीचे उसके पेने से निप्पल थे जो मुझे चुभ से रहे थे, मैंने हाथ नीचे करके उन्हें अपनी उँगलियों से दबाना शुरू किया..वो लंड चुसे जा रही थी और मचलती जा रही थी.
ऋतू और सुरभि ने 69 वाले पोस में एक दुसरे की चूत को आइसक्रीम की तरह चुसना शुरू कर दिया था, आज उनकी चूत से काफी मलाई निकल रही थी, जिसका मजा वो दोनों ले रहे थे.
वैसे असली मलाई तो अयान के हिस्से में थी, जो उसे अपनी माँ और मेरी माँ की चूत के अन्दर बारी-२ से घुसकर बड़े मजे से खा रहा था. पापा ने सोनी को नीचे धकेला और उसकी चूत को अपने लंड पर टीकाकार उसे नीचे कर दिया...वो बहकती हुई सी पापा के मोटे मुशटंडे लंड पर बैठ गयी.. आआआआआअह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह.....आपका तो छोटे बाबु जैसा ही है...."
साली ने अपना मुंह खोलकर बता ही दिया की वो मेरे से चुद चुकी है...पर मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था.. तभी पीछे से आकर हरीश अंकल ने उसकी गांड के छेद में अपनी थूक से भीगी ऊँगली डाली और रास्ता बनाकर वहां अपना लंड टिका दिया, और फिर उसके मुम्मे पकड़कर एक तेज झटका मारा..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह.......धीरे....करो बाबु......इतने मोटे लंड पहली बार गए हैं...मेरी चूत और गांड में...." हरीश अंकल अपने छोटे से लंड की तारीफ सुनकर फुले नहीं समाये...वो समझ रहे थे की मोटे लंडो में उन्हें भी शामिल किया जा रहा है, पर वो शायद नहीं जानते थे की वो मेरे और पापा के लंडो की बात का रही है..
पर जो भी हो, इस बात ने हरीश अंकल के अन्दर एक नया जोश भर दिया और फिर जो उन्होंने रेल चलायी अन्नू की गांड में, वो साली कुतिया की तरह चिल्लाने लगी...नीचे से मेरे पापा और पीछे से हरीश अंकल, दोनों ने अपने लंडो को उसकी चूत और गांड के अन्दर ऐसे पेलना शुरू किया जिसका कोई जवाब ही नहीं था...और वो बेचारी...बीच में फंसी हुई...जोर जोर से चिल्ला रही थी..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बाबु......अह्ह्हह्ह्ह्ह होऊँ........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह अयीईई अह्ह्ह्हह्ह धीएरे.......माआआआ माआआआ मर्र्र ई रे......आःह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़ मैं आई.....आःह्ह ऊऊऊ अऊऊऊओ........"
और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..पर पापा और हरीश अंकल पर तो जैसे भूत चढ़ गया था, उनकी स्पीड कम नहीं हुई.वो लगे रहे. उसके बाद ना जाने अन्नू की चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा होगा वो भी नहीं जानती थी शायद.
मम्मी ने दीपा आंटी को अपने ऊपर खींच लिया और उनके होंठ चूसने लगी, मैंने पहली बार मम्मी को अपनी बहन को किस करते हुए देखा था, दीपा आंटी भी अपनी चूत को मम्मी की चूत पर रगड़ रही थी.. पीछे से अयान ने मौका देखकर मम्मी की चूत में अपना लम्बा सा लंड पेल दिया..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अयान.......बेटा.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह हान्न्न्न "
और फिर वो अपनी बहन के होंठ चाटने लगी...
थोड़ी देर धक्के मारने के बाद उसने अपना लंड निकाला और थोडा ऊपर करके अपनी मम्मी की चूत पर टिकाया और धक्का मारकर उनकी रसीली सुरंग के अन्दर दाखिल हो गया...
" अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हह्ह हूऊऊऊ .... म्मम्मम्मम्म "
उन्होंने अपने चुचे पकड़कर मम्मी के मुंह में डाले जैसे अपनी बड़ी बहन को दूध पिला रही हो.
अब अयान बारी बारी से मम्मी और दीपा मौसी की चूत को मार रहा था...
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मेरे लंड को पूरी तरह से चूसने के बाद मैं थोडा नीचे हुआ..वो समझ गयी की अब वो समय आ गया है जिसका इन्तजार हर लड़की करती है, यानी उसकी चूत की सील टूटने का..
मैंने उसकी दोनों टाँगे पकड़ी और उन्हें हवा में उठा दिया...उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा, उसका पूरा शरीर अकड़ गया..मैंने उसकी चूत से निकलते हुए रस से अपने लंड के सिरे को भिगोया...और फिर उसकी चूत की कोमल सी पंखुड़ियों को खोलकर हलके से अपना भार उसकी चूत में डाला...उसकी आँखे बाहर निकलने को आ गयी....वो डर रही थी...
"बाबु....दर्द...हो रहा है....."
मैंने नीचे झुककर उसे चूम लिया, पर नीचे झुकने की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में थोडा और अन्दर चला गया, इसलिए जब मैं उसे चूम रहा था तो उसके मुंह से हलकी सी चीख निकल रही थी, पर मेरे मुंह में होने की वजह से वो वहीँ घुट कर रह गयी,
मैंने ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और अपनी पूरी ताकत से एक तेज झटका मारा....उसके मुंह से एक गुब्बारे जैसे हवा निकली, और पीछे से उसकी चीख... "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ह उयीईईईईईईइ मार डाला......अह्ह्हह्ह्ह्ह बड़ा दर्द हो ररह है......अह्ह्हह्ह्ह्ह "
मेरे लंड पर उसके गर्म खून का एहसास हुआ....मैं समझ गया की उसकी कुंवारी चूत का उद्घाटन हो चूका है...
मैं थोड़ी देर तक उसके नम से होंठों को चुसता रहा और हाथों से उसके चुचे दबाता रहा..
फिर मैंने अपनी कमर धीरे-२ हिलानी शुरू की, और जल्दी ही स्पीड से उसकी चूत को मारने लगा...
अब उसकी चीख सिस्कारियों में बदल चुकी थी, उसके हिलते हुए मुम्मो को देखकर, मैंने तेजी से उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए... उसने अपनी टाँगे हवा में उठाकर और खोल ली और मेरी लय से लय मिलकर मुझे और खुद को मजे देने में लग गयी.
ऋतू और सुरभि एक दुसरे की चूत को कई बार झाड कर पी चुकी थी, उनमे और हिम्मत नहीं बची थी..सो वो एक किनारे पर बैठकर अपने पुरे परिवार को देखने लगी.
अयान ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए मम्मी को दो बार धाराशायी कर दिया था, दीपा आंटी भी कई बार झड चुकी थी....
और जब अयान के लंड में से रस निकलने की बारी आई तो उसने मम्मी और दीपा आंटी को सामने लिटाकर उनके ऊपर अपने लंड से पिचकारियाँ मारकर उनके नंगे जिस्मों को भिगोना शुरू कर दिया...
सच में, असली होली तो अब खेल रहे थे वो..
और वो साली रंडी अन्नू, जिसने ना जाने कितने ही लंड लिए थे आज तक अपनी चूत और गांड में, वो दोनों बुड्डों पर भारी पड़ रही थी, पहले हरीश अंकल और फिर पापा ने उसकी चूत और गांड में अपना वीर्य दान किया....पर अंत तक वो न झड़ी...
उसने पापा और हरीश अंकल को नीचे लिटाया और उनके मुंह के ऊपर खड़ी होकर अपनी चूत को बड़ी ही बेरहमी से मसलने लगी.
."अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह साले......झड़ गए....दोनों....मेरी चूत तो प्यासी ही रह गयी.....अह्ह्ह्हह्ह........"
और फिर उसकी चूत के अन्दर का लावा फूटा...और उसके साथ शायद उसका पेशाब भी....उसके गाड़े पानी की बोछारें पापा और अंकल के ऊपर थी...और ऊपर खड़ी हुई रंडी अन्नू जैसे अपनी चूत की पिचकारी से उन्हें भिगोती हुई कह रही हो....होली है....
उसकी चूत से निकलता हुआ रस पापा और हरीश अंकल के चेहरे और पेट को भिगो रहा था....और अंत में जब उसकी टंकी खाली हो गयी तो वो बेजान पत्ते जैसी लहरा कर अपने ही बनाये हुए कीचड में गिर पड़ी और गहरी साँसे लेने लगी.
मेरा लंड भी अब झड़ने के काफी करीब था...सोनी का शरीर ठंडा सा पड़ चूका था, वो शायद झड चुकी थी, मैंने सोचा की लंड बाहर निकाल कर उसके चेहरे को भिगो दूं, पर कुंवारी चूत के अन्दर झड़ने का लालच मुझे वो करने नहीं दे रहा था,
मैंने मन ही मन सोचा, कल ऋतू से लेकर कोई गोली दे दूंगा, देखी जायेगी....और अगले ही पल मेरे लंड की पिचकारी भी चल पड़ी और मैंने उसकी चूत की दीवारों पर होली खेलनी शुरू कर दी.......
उसे भी जब अपनी चूत के अन्दर गर्म पानी का एहसास हुआ तो उसने अपनी टाँगे मेरे चार्रों तरफ लपेट दी और मेरे सर को अपने वक्ष स्थल पर रखकर उसे सहलाने लगी...
उसके पसीने की महक मुझे अब भी मदहोश कर रही थी..
मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला, और उसके पीछे से मेरा रस और उसकी चूत से निकला खून भी बाहर आने लगा... मैंने पाईप उठा कर उसकी चूत को साफ़ किया और बारी बारी से सभी वही खड़े होकर नंगे नहाने लगे...
ऐसी होली की कल्पना तो मैंने कभी नहीं की थी...
नहाने के बाद भी सोनी वहीँ जमीन पर पड़ी रही और अपने अन्दर से निकल रहे लावे का मजा लेती रही..उसकी चूत में अभी तक मेरे लंड से निकली रगड़ की तरंगे उठ रही थी.
पहली बार चुदी थी वो अपनी जिन्दगी में, इसलिए चुदने के साथ ही अब उसकी चूत बाहर की दुनिया के लिए अपने किवाड़ खोल चुकी थी, जिसमे जो चाहे अब आ जा सकता था,
चुदाई में इतना मजा आता है , ये अगर उसे पहले पता होता तो वो काफी पहले चुद चुकी होती, वो तो उसकी माँ और छोटी बहन ने उसे बच्ची बना कर रखा हुआ था और खुद ना जाने कहाँ-२ से लंड खाती होंगी..
जितना समय उसने बिन चुदे बिताया है, अब उतना ही समय वो चुदना चाहती थी उसने प्रण कर लिया की अपने खोये हुए टाइम को वो चुदाई में लगाकर पूरी दुनिया के लंडो से चुदवायेगी , यही इसका प्रायश्चित्त होगा.
मैंने उसके शरीर को पूरी तरह साफ़ करने के बाद उठाया, और अपनी बाँहों में लेकर अपने कमरे की तरफ चल दिया ..
मेरे पीछे पीछे अन्नू भी आ गयी, उसे शायद अपनी बहन की कुछ ज्यादा ही फिकर थी.. मैंने सोनी को अपने बिस्तर पर ले जाकर लिटाया और उसे गौर से देखने लगा, वो सफ़ेद चादर पर किसी नागिन की तरह लहरा रही थी, उसका नंगा बदन जैसे जल रहा था, क्योंकि उसके शरीर का सारा पानी सूख चूका था, बिना पोंछे ...
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उसकी टांगो को उठाया और उसकी चूत के सामने बैठ गया अपने घुटनों के बल, उसकी चूत को पहली बार मैं गौर से देख रहा था, जो अभी-२ चुदी थी, चुदने की वजह से वो काफी लाल हो चुकी थी, बिलकुल उसके गालों की तरह .. अन्नू मेरे पीछे आकर खड़ी थी, वो मुझे अपनी बहन की चूत के सामने बैठे देखकर समझ गयी की एक और राउंड चलेगा अभी यहाँ... मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर चाटना शुरू किया..
अन्नू उसकी बगल में आकर बैठ गयी, और उसके मुम्मो को सहलाने लगी, और साथ ही साथ अपनी चूत में भी ऊँगली डालकर खुजाने लगी. मेरे मुंह में ताजे पानी की स्मेल और उसकी चूत के अन्दर से निकले गाढ़े रस की खुशबू आ रही थी, मेरी जीभ उसे पूरी तरह से साफ़ करने में लगी हुई थी.
वो मचल रही थी, एक तो मेरी जीभ थी उसकी चूत में और दूसरा उसकी बहन उसके निप्पल्स को मसल रही थी.. और फिर जब अन्नू ने नीचे मुंह करके उसके निप्पल को मुंह में भरा तो उसकी चीख निकल गयी..
"आआआआआआआआह्ह्ह्ह अन्न्नूऊऊ ......म्मम्मम्म ....अह्ह्हह्ह ....क्या हो रहा है ये मुझे.......कितना मजा आ रहा है आज......चूस....अन्नु......चूस....मेरे....दूध.....पी ले मेरी रानी......अजजा.........आआ .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाआन्न्न...काट मत ऋ....अह्ह्ह्ह ...."
और जब मैंने अपनी होंठों से उसकी चूत की पंखुड़िया चुसनी शुरू की तो वो उठ कर बैठ गयी,
उससे बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था... "आःह्ह्ह हह ओफ्फफ्फ्फ़ बाबु......आज मेरी सारी खुजली मिटा दो....हन्न्न्नन्न चूस इसे ऐसे ही.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म मर्र्र्रर गयी रे.....अह्ह्ह्हह्ह....."
उसने मुझे ऊपर खींचा और मुझे बिस्तर पर पटक दिया...और खुद मेरे ऊपर सवार हो गयी..... मेरा खड़ा हुआ लंड उसकी गांड से टक्कर मार रहा था....उसकी चूत से टपकता हुआ शहद मेरी गोटियाँ भिगो रहा था.......मैंने ऊपर मुंह करके उसके मुम्मो को अपने मुंह में भरा और चूसने लगा...वो बोली.. "मेरे उरोजों पे रेंगते तेरे होंठ, मुझे मदहोश किये जाते हैं कुछ करो ना, हम तेरे आगोश में बिन पिए बहक जाते हैं "
साली को चुदाई के समय भी कविता सूझ रही है...वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी...
पर मैं उसे थोडा और तड़पाना चाहता था...मैं उसकी चूत में लंड डाल नहीं रहा था. मेरी हरकत देखकर उसने अपनी बहन की तरफ देखा और बोली....
"अन्न्न्नु.....बाबु मुझे तडपा रहा है.......कुछ कर ना....."
अपनी बड़ी बहन की आज्ञा मानकर अन्नू उसके पीछे आई और मेरे लंड और सोनी की चूत के बीच अपना मुंह डालकर रे लंड को अपने गीले मुंह में पकड़कर कैद कर लिया मेरी तो सिसकारी सी निकल गयी उसके मुंह में अपना लंड फंसा पाकर...
."आआआआह्ह्ह्ह अन्नु......क्या कर रही है....साली.....अह्ह्ह्हह्ह .."
मेरे साली बोलने पर सोनी तो ऐसे खुश हो गयी जैसे मैं उससे शादी करके सही में उसकी बहन को साली बना दूंगा...उसने बड़ी प्यार भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और बोली...
"ओह्ह्ह....मेरे राजा....आ भी जा ना......कितना तड्पाएगा.....डाल देना...."
साली इतने प्यार से बोलेगी तो चूत क्या गांड भी मार लूँगा तेरी... मैंने अपना विरोध करना छोड़ दिया....
अब मेरा लंड स्टील जैसा हो चूका था...अन्नू ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकला और अपनी लम्बी जीभ से अपनी बहन की चूत को चाटा...और उसके ऊपर जमा हुआ गाड़ा रस इकठ्ठा करके निगल गयी...
अन्नू की जीभ अब सोनी की चूत पर थी और उसकी गर्दन मेरे लंड से टकरा रही थी... उसने भी अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और मेरे लंड को फिर से अपने होंठों के आगे दबाकर अपनी बहन की चूत के हवाले कर दिया.. मेरे लंड की महक जैसे ही उसकी ताजा चुदी चूत को मिली उसने मेरे लंड को अपनी मखमली चादर में लपेट लिया..
चूत तो अभी भी टाईट थी उसकी..जिसमे मेरे लंड के जाने में थोड़ी सी प्रोब्लम हुई पर चुदने को बेताब बनी बैठी रंडी जैसी सोनी ने उस दर्द की परवाह किये बिना जोर जोर से उछलना शुरू कर दिया मेरे लंड के ऊपर...
और थोड़ी ही देर में फिर से उसे मजा आने लगा...
वो चीखने लगी...."अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह आआआ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ....मेरे राजा....रोज चुदेगी अब ये तेरी सोनी.....तू चोदे या तेरा बाप चोदे....अह्ह्ह्ह मुझे रोज लंड चाहिए अपनी चूत में...."
वो बिफर चुकी थी....उसकी जुल्फे चेहरे को ढक कर उसे बड़ा नशीला सा बना रही थी...
पीछे लेटी हुई अन्नू अभी भी अपनी जीभ निकाले, पिस्टन जैसे चल रहे लंड को चाट रही थी....एक दो बार तो उसकी जीभ लंड और चूत में फंसकर उसकी बहन की चूत में भी घुस गयी...बड़ा मजा आ रहा था, इन दोनों ठरकी बहनों के साथ....
अन्नू की चूत भी पानी छोड़ रही थी...वो उठ कर मेरी तरफ आई और अपनी बहन की तरफ मुंह करके मेरे मुंह पर बैठ गयी, उसकी रसभरी चूत ने मेरे पुरे मुंह को गीला कर दिया..मैंने अपने मुंह और लंड से एक साथ कमाल दिखाना शुरू किया...
नीचे से झटके देकर सोनी को चोदने लगा और ऊपर से अपने मुंह को झटके देकर अन्नू की चूत को...
मैं अपने सर को ऐसे झटके दे रहा था मानो मैं उसकी चूत में उगे हुए अंगूर उछल कर अपने मुंह से तोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ...
अन्नू की गद्देदार गांड मेरे चेहरे को बड़े प्यार से दबा कर मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी....
मैंने ऊपर हाथ करके अन्नू के मोटे स्तनों को पकड़ा और उन्हें दोहना शुरू किया.... और फिर हाथ आगे करके सोनी के तने हुए पर्वतों से भी बर्फ खुरचने लगा..
अचानक अन्नू ने आगे मुंह करके अपनी बड़ी बहन के होंठों को अपने मुंह में दबा लिया... पहले तो वो चोंक गयी पर फिर उसने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया...सच में बड़ा प्यार था इन दोनों बहनों में ..
वो दोनों एक दुसरे को चूम चाट रही थी और उन दोनों के बीच मेरे हाथ उनकी छातियों के बीच फंसकर मसले जा रहे थे, दोनों तरफ से.. पुरे कमरे में पुच पुच...फचक फचक ...चपर चपर....की आवाजें गूँज रही थी...
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सोनी झड़ने के काफी करीब थी..उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और जोरों से आवाजें निकाल कर मुझपर कूदने लगी...
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह बाबु......चोदो मुझे.....जोर.से......अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ऑफ.....अह्ह्हह्ह फाड़ डालो सोनी की चूत......अह्ह्हह्ह मारो मेरी चूत....अपने मोटे लंड से....अह्ह्हह्ह.......औइ.......माँ ....मैं तो गयी रे....अह्ह्ह्ह..."
और उसकी चूत में से गर्म बर्फ पिघल कर मेरे लंड को भिगोने लगी...अपनी बहन को देखकर अन्नू ने भी अपनी चूत को मेरे मुंह के ऊपर रगड़ना तेज कर दिया और जल्दी ही वहां से भी बारिश होने लगी मेरे मुंह के ऊपर और अन्दर....
उसका इतना पानी निकला की मेरे मुंह और गालों के साथ-२ मेरी आँखों को भी भिगो गया... मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था...इसलिए मैंने भी अपने हथियार डाल दिए और अपने लंड से लगभग दो तोला वीर्य निकाल कर सोनी की चूत को भिगो दिया...
अन्नू मेरे लंड से उठी और मेरे लंड के पास जाकर, अपनी बहन की चूत से निकलते हुए लाजवाब मिश्रण को चाटने लगी... सोनी नीचे झुकी और मेरे मुंह से अपनी बहन की चूत से निकला रस जीभ से उठा उठा कर पीने लगी...
हम सभी थक चुके थे..अब काफी भूख लगी हुई थी..दो बार लगातार चुदाई के बाद अब मेरे पेट में चूहे कूद रहे थे...मैंने उन दोनों को लेकर नीचे की और चल दिया...हम सभी अभी भी नंगे थे..
नीचे उतरते हुए मेरे लंड के साथ साथ उन दोनों के मुम्मे ऐसे उछल रहे थे जैसे रबर से बंधी बाल ऊपर नीचे होती है..
मैं बीच में था और वो दोनों नंगी नौकरानिया मेरे दोनों तरफ, मैं उस समय अपने आपको किसी राजा से कम नहीं समझ रहा था, जिसकी सेवा में दो नंगी दासियाँ साथ चल रही थी..न जाने कब राजाजी का मन कर जाए चुदाई के लिए.
नीचे सोफे पर एक अलग ही प्रोग्राम चल रहा था. मम्मी अपने जीजाजी के लंड के ऊपर बैठ कर टीवी देख रही थी, उनके हाथ में रिमोट था और उनकी चूत में हरीश अंकल का लंड .
अंकल लेटे हुए थे और मम्मी की पीठ उनकी तरफ थी, मम्मी ऊपर नीचे हो रही थी और टीवी भी देख रही थी..
चुदाई और टीवी सीरियल यही दोनों काम मम्मी को सबसे अच्छे लगते थे.अंकल ने हाथ ऊपर करके मम्मी के लटकते हुए पपीते दबा दिए तो उनके मुंह से चीख निकल गयी..
."आआआआह्ह्ह ये क्या कर रहे हो....थोडा धीरे....." और फिर से वो टीवी देखने में व्यस्त हो गयी.
अयान चेयर पर बैठा था उसके नीचे कुतिया की तरह ऋतू उसके लम्बे लंड की लम्बाई अपने मुंह से नाप रही थी. उन दोनों की आँखें बंद थी, बड़े मजे से ऋतू उसका लम्बा लंड चूसकर मजे ले रही थी. और अन्दर के कमरे से आती चीखे सुनकर जब मैं वहां गया तो देखा पसीने से तर बतर सुरभि पापा के साथ नंगी जमीन पर लेटी हुई आने वाली मुसीबत को सोचकर घबरा रही थी,
पापा अपने लंड पर सरसों का तेल मल रहे थे और कुछ तेल उस सुरभि की गांड पर भी लगा था, मैं समझ गया की आज पापा सुरभि की गांड में अपना मोटा लंड उतारेंगे..यही सोचकर सुरभि की आँखें घूम रही थी.. पापा ने नीचे झुककर सुरभि की टाँगे ऊपर उठाई और उन्हें अपनी छाती से सटाकर अपना लंड उसकी गांड पर लगा दिया और एक तेज झटका मारकर उसके पिछले दरवाजे से अन्दर दाखिल हो गए..
"आआआआआआआआह्ह्ह्ह अंकल.....अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ मरर गयी.....अह्ह्ह्ह ........"
और फिर वो शान्त हो गयी...पापा का लंड उसकी गांड की सतह तक उतर चूका था..उन्होंने नीचे झुक कर उसके उभरे हुए निप्पल को मुंह में भरा और चूसने लगे... और फिर उन्होंने पीछे होकर उसकी गांड में तेजी से धक्के मारने शुरू किये तो रुके ही नहीं...पुरे कमरे में सुरभि की चीखे गूंजने लगी.
उन दोनों को मजे आ रहे थे.
मैंने अन्नू को कहा की नीचे लेट कर सुरभि की चूत चाटे और उसे मजे दे,
वो मेरा आर्डर मान कर नीचे लेट गयी और सुरभि की चूत को चाटने लगी..
दीपा मौसी कहीं नजर नहीं आ रही थी, मैं उन्हें देखने के लिए बाहर गया तो पाया की वो किचन में खड़ी हुई चाय बना रही हैं. मैंने उनसे कहा "अरे मौसी...आप चाय क्यों बना रही है...ये है न, इनसे कहो , ये बना देंगी..." मैंने सोनी की तरफ इशारा करके कहा.
"ये नौकरानिया कम रंडियां ज्यादा हैं....जिन्हें सिर्फ चुदवाने में ही मजा आ रहा है, काम की तो इन्हें कोई फ़िक्र है ही नहीं..."
मौसी की बात सुनकर मेरे साथ खड़ी हुई सोनिया का चेहरा शर्म से झुक गया, सही भी था वैसे, ये दोनों जब से आई थी, काम कम , चुदाई ज्यादा कर रही थी...पर मजा तो दे रही थी न सभी को ..
सोनी आगे हुई और मौसी को कहा "आप हटिये ...मैं बना देती हूँ चाय...." मौसी पीछे हुई और नंगी सोनी चाय बनाने लगी. मैं समझ चूका था की मौसी इस समय गुस्से में है, एक तो उनकी कोई चुदाई करने वाला नहीं था और ऊपर से उन्हें खुद चाय बनानी पड़ रही थी,
मैंने उनके गले में अपने हाथ डालकर कहा "आप गुस्से में बड़ी खुबसूरत लगती हो....मौसी...."
मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी, वो इठला कर बोली "अरे रहने दे...जब से ये दोनों छिपकलियाँ आई हैं, तुने तो मुझे एक बार भी ढंग से नहीं देखा (नहीं चोदा)...
मैंने उनके दोनों मुम्मे पकड़ कर दबा दिए और उनकी आँखों में देखकर कहा "मैं तो हमेशा आपकी सेवा में हाजिर हूँ, जब चाहो मुझसे अपनी तारीफ (चुदाई ) करवा लो .."
और मैंने सूट के ऊपर से ही उनके दोनों निप्पल पकड़ कर उँगलियों से मसलने शुरू कर दिए.
मैंने उनका सूट ऊपर से उतार दिया, उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी, उनके निप्पल अकड़ कर बाहर निकल चुके थे, उन्होंने मेरे लंड के ऊपर हाथ फेरना शुरू कर दिया, मैंने उन्हें किचन की स्लेब से सटाया और नीचे बैठ कर उनकी सलवार के ऊपर से ही चूत के ऊपर मुंह लगा दिया, वो मचलने सी लगी और मेरे बाल पकड़ कर जोरों से सिस्कारियां लेने लगी...
"आआआह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ फफफफ मम्म राजा बेटा......अह्ह्ह्हह्ह चूस इसे....अह्ह्हह्ह..... " और उन्होंने अपनी सलवार का नाडा खोला और उसे नीचे गिरा दिया, साली मौसी ने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी..
मेरे सामने उनकी गीली चूत जिसपर कोई बाल भी नहीं था, चमकती हुई , अपना रस बरसाती हुई खड़ी थी, मैंने जीभ निकाल कर उनकी चूत को ऐसे चाटना शुरू किया जैसे तिल्ले वाली कुल्फी..
उनकी चूत से निकलता हुआ गाड़ा रस मेरे गले को ठंडक दे रहा था..मैंने उनके नीचे हाथ लगाकर उन्हें स्लेब पर बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उनकी टाँगे खोल कर उनकी चूत को फिर से चाटने लगा.
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12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
साथ खड़ी हुई सोनी की चाय तो कब की बन चुकी थी, वो अब हमारे बीच चल रहे खेल को देखकर गर्म होने लगी और उसकी बनायीं हुई चाय ठंडी. मौसी ने उसे बेसब्री से हम दोनों की तरफ देखते हुए पाया और फिर जब उनकी नजर उसकी ताजा चुदी चूत पर गयी तो उनके मुंह में भी पानी आ गया, अभी थोड़ी देर पहले वो गर्म चाय पीना चाह रही थी और अब वो गर्म चूत का स्वाद लेना चाहती थी..
उन्होंने सोनी को इशारे से अपनी तरफ बुलाया , और जैसे ही सोनी उनके पास गयी उन्होंने उसके होंठों को चुसना शुरू कर दिया.. वो घबरा गयी, थोड़ी देर पहले ही मौसी उसे गाली दे रही थी और अब प्यार कर रही है...पर मौसी के चूसने से उसकी चूत में से और गर्मी निकलने लगी तो उसे भी मजा आने लगा,
मौसी ने अपना हाथ नीचे करके उसकी चूत पर लगाया और ढेर सारा शहद इकठ्ठा करके उसे चाट लिया, बड़ा अच्छा स्वाद था सोनी की रसीली चूत का...
उन्होंने मुझे पीछे किया और सोनी को अपनी जगह पर स्लेब पर बिठाया, और उसकी टांगे चौडी करके उसकी चूत पर अपने होंठ टिका दिए...और फिर सर पीछे करके मुझे इशारे से उन्हें पीछे से चोदने को कहा...
मैंने उनकी मोटी गांड को थामा और अपना लंड उनकी चूत के रस में डुबोकर गिला किया, और फिर चूत के छेद पर उसे फिर से टीका कर एक झटका मारा, और मेरा लंड उनकी चूत के अन्दर सरकता चला गया.
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अयीईईई ............जरा धीरे बेटा.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और फिर से उन्होंने अपना मुंह सोनी की चूत में डाल दिया और चूसने लगी वहां का रस. सोनी ने भी अपना सर पीछे करके मजे लेने शुरू कर दिए थे, उसकी ताज़ा चुदी चूत पर मौसी की जीभ ऐसे लग रही थी, जैसे कोई दूध में डुबोकर रुई लगा रहा हो..उसे काफी गुदगुदी भी हो रही थी और रोचक तरंगे भी उठ रही थी उसकी चूत के अन्दर से. उसने हिम्मत करके मौसी के सर को पकड़ा और उन्हें अपनी चूत पर घिसना शुरू कर दिया, जैसे गाजर को घिस रही हो हलवा बनाने के लिए. और हलवा तो बन ही रहा था उसकी चूत का, बाकी रही बात मिठास की तो वो उसकी चूत के अन्दर से अपने आप बाहर निकल रही थी.
मेरे लंड पर अब मौसी के रस की सफेदी दिखाई देने लगी थी, मैंने उनकी चूत में अपने लंड को तेजी से धकेलना शुरू कर दिया..
मेरे हर धक्के से वो भी आगे की और सरक जाती और उनके आगे लेटी हुई सोनी की चूत में उनकी जीभ थोडा और अन्दर चली जाती. कुल मिलकर हम सभी को काफी मजा आ रहा था.
बाहर से मम्मी की चीखों की आवाज तेज हो गयी, शायद वो झड़ने वाली थी..
"आह्ह्हह्ह्ह्ह हान्न और तेज चोदो मुझे,......अह्ह्ह्हह्ह डालो और अन्दर तक....अह्ह्ह....."और उनके साथ ही साथ हरीश अंकल के हुंकारने की आवाजें भी आने लगी, वो दोनों एक दुसरे के ऊपर झड़ चुके थे.
बाहर से अयान और ऋतू की चीखे तो बंद ही नहीं हो रही थी, ऋतू अब अयान के लंड के ऊपर बैठ कर उछाल रही थी , जिसकी वजह से वो शायद कई बार झड चुकी थी.
सोनी भी काफी देर से अपने अन्दर एक सेलाब सी लेकर बैठी थी, जैसे ही उसका सैलाब टूटा उसके गाड़े रस के पीछे -२ उसका पेशाब भी बाहर की और निकलने लगा, दीपा आंटी के लिए ये नया अनुभव था, उन्होंने थोड़ी देर तक तो उसके रस को अपने होंठों से चूसा पर जैसे ही कसेला सा पेशाब का स्वाद उनके मुंह में आया वो पीछे हो गयी,
उनके चेहरे पर सीधा सोनी की गर्म चूत से निकलते हुए प्रेशर की बोछार पड़ी और उनका पूरा चेहरा भीग गया, उन्होंने अपना चेहरा नीचे कर लिया और उनके सर के ऊपर से होती हुई सुनहरे रंग की पिचकारी उनकी पीठ को भिगोने लगी और फिर सीधा मेरे लंड के ऊपर गिरने लगी…
बड़ा ही अजीब सा दृश्य था, कोई अगर हमारी फोटो लेता तो सामने स्लेब पर लेटी हुई सोनी की चूत से निकलती पिचकारी, दीपा आंटी की पीठ के ऊपर से होती हुई मेरे लंड को भिगो रही थी जो उनकी चूत में था,
लंड को थोडा और गीलापन मिल गया और मैंने उनकी चौडी गांड को पकड़ कर उनकी चूत में और तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए.....
"आआआआअ अह्ह्ह अहह आआ आआ आआ आया आआ ......."
दीपा आंटी के मुंह से सिर्फ लम्बी आँहे ही निकल रही थी.. और अंत में मेरे लंड ने भी उनकी गीली चूत से निकलते हुए रस की गर्माहट पाकर झड़ना शुरू कर दिया और मैंने अपना सारा वीर्य उनकी चूत में दान कर दिया.
सभी झड़ने के बाद नोर्मल हुए और मैंने इशारा करके सोनी को अपने सामने बेठने को कहा, वो महारानी सिंहासन से नीचे उतरी और मेरे सामने बैठ कर मेरे लंड को साफ़ करने लगी,
और फिर मैंने उसका सर पकड़कर दीपा मौसी की चूत पर लगाया और उसने वहां से हम दोनों का मिला जुला रस चाटकर उनकी चूत को भी चकाचक बना दिया. फिर मैंने उसे वहां की सफाई करने को कहा और मैं दीपा आंटी के साथ बाहर आ गया.
ऋतू और अयान भी झड चुके थे, और एक दुसरे को साफ़ करने में लगे हुए थे 69 के पोज़ में
पापा और सुरभि दुसरे कमरे से बाहर निकले , और उनके पीछे-२ अन्नू भी, मैंने अन्नू को सभी के लिए दोबारा चाय बनाने को कहा और हम सभी वहीँ सोफे पर नंगे बैठकर टीवी देखने लगे.
शाम को खाना बनाने के बाद अन्नू ने अपने मोबाइल से किसी को फ़ोन किया, और फिर अपनी दीदी से बोली "बाबूजी तो अभी तक नहीं आये गाँव से...कह रहे हैं कल आयेंगे.."
उनके पिताजी होली के लिए अपने गाँव गए थे, पर किसी कारणवश वो वहीँ रह गए, ये सुनकर मैंने पापा की तरफ देखा, वो भी सोनी की चूत मारना चाहते थे, उन्होंने उन दोनों से कहा "तुम एक काम करो...तुम अकेले क्या करोगी घर पर रहकर ...आज रात यहीं रह जाओ, कल जब तुम्हारे बाबूजी आ जायेंगे तो चली जाना...."
उन दोनों ने एक दुसरे की तरफ देखा और फिर हंस कर उनसे कहा. "ठीक है...जैसा आप कहें...मालिक."
आज की रात कुछ ख़ास होने वाली थी, क्योंकि कल हरीश अंकल की फॅमिली भी चली जायेगी, इसलिए उनकी आखिरी रात थी हमारे घर पर आज, इसलिए पापा ने कहा की आज सभी ड्राविंग रूम में ही नीचे बिस्तर लगा कर एक साथ सोंयेगे...सभी को ये सुझाव पसंद आया और खाना खाने के बाद मैंने और अयान ने मिलकर डायनिंग टेबल और सोफा हटाया, और सुरभि और ऋतू ने नीचे बिस्तर लगाया..
सभी तो पहले से ही नंगे थे, पापा ने सोनी को अपने पास बुलाया और उसके मोटे और शानदार चुचे दबाने लगे.
अयान ने अन्नू को, हरीश अंकल ने सुरभि को, मैंने ऋतू और मम्मी को चोदना शुरू किया..
उस रात कोई नहीं सोया... सभी ने बारी-२ से सोनिया और अनीता की चूत मारी, और साथ ही साथ सुरभि, ऋतू, दीपा और मम्मी की भी. ठनके ने बाद हम सभी लगभग पांच बजे सोये, जब मेरी आँख खुली तो बारह बजने वाली थे, सभी लोग गहरी नींद में नंगे एक दुसरे में घुसे सो रहे थे.
हरीश अंकल की ट्रेन 4 बजे की थी , वो तैयारी करने लगे और दोबारा जल्दी मिलने का वादा करके वो रवाना हुए,
पर जाने से पहले सभी ने एक दुसरे की दोबारा चुदाई भी करी और उन्होंने हम सभी का धन्यवाद भी किया जिसकी वजह से वो सभी इस तरह के मजे ले पाए और आगे भी लेंगे..
अगले दिन सन्डे था, सभी ने आराम किया,
रात को ऋतू मेरे कमरे में ही सोयी.
अगले दिन से हमारे कॉलेज खुल रहे थे. मुझे काफी उत्सुक्तता थी क्योंकि मैं अब विशाल और सन्नी को आगे के मजे भी दिलाना चाहता था. और ऋतू की सहेलियों से भी पुरे मजे लेना चाहता था.
*****
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