Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:59 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सुबह मेरी नींद खुली तो पाया की ऋतू मेरे लंड से ब्रुश कर रही है, यानी मेरा लंड चूस रही है.. उसके बाल पुरे चेहरे को ढके हुए थे और वो पूरी नंगी थी, उसके उठे हुए कुल्हे दिल के आकार में बड़े दिलकश लग रहे थे, मेरे उठने का पता उसे चल गया तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और बोली "गुड मोर्निंग भाई..." और फिर से अपने काम में लग गयी... भगवान् ऐसी बहन सब को दे जो लंड चूस कर अपने भाई को उठाये.
उसने मेरे लंड के साथ-२ मेरे टट्टे भी चूसने शुरू कर दिए, उसके मुंह से निकलती हुई लार मेरे लंड वाले हिस्से को पहले ही भिगो चुकी थी..
उसने नीचे मुंह करके मेरी गांड के छेद पर अपनी जीभ लगायी, बड़ा ही ठंडा एहसास था उसकी जीभ का..मेरा पूरा शरीर अकड़ गया उसकी इस हरकत से , उसने पहले कभी मेरी गांड के छेद को छुआ भी नहीं था. मेरे मुंह से अनायास एक लम्बी कराह सी निकल गयी....
"आआआआअह्ह्ह्ह ऋतू.......ये ...ये ...क्या कर्र्र्रर रही है...तू....अह्ह्ह्हह्ह .."
पर वो कुछ न बोली और मुझे मजे देने में लगी रही..
अब मेरी कमर थोड़ी हवा में उठने लगी थी, मैंने अपने पैरो और कंधे के बल पर बीच का हिस्सा हवा में उठा लिया, जिससे ऋतू को गांड का छेद चाटने में थोड़ी और आसानी हो जाए...
उसने एक हाथ से मेरा लंड हिलाना जारी रखा और अपने मुंह से मेरी गोलियां और पीछे का छेद चाटती रही, मेरा बड़ा ही तगड़े वाला ओर्गास्म बन रहा था, उसने अपने होंठ छेद पर ऐसे चिपका दिए जैसे वहां से कुछ सोख रही हो....मेरे शरीर में ऐसी तरंगे उठने लगी जो पहले कभी महसूस नहीं हुई थी..
मैंने ऋतू को चीख कर कहा...."अह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू..... ....ऐसे.....ही करो....प्लीज्.....हाआआआअन्न्न्न ......अह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फ्फ़ मैं तो गया......."
और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी लगभग 1 फूट ऊपर उछली और वापिस मेरे पेट पर आकर गिरी...
और उसके बाद पिचकारियों की ऊँचाई कम होती गयी और अंत में मेरे पेट पर गाड़े सफ़ेद रंग की परत सी बिछ गयी...जिसे देखकर ऋतू के मुंह में पानी आ गया...उसने जीभ निकाल कर लंड के सिरे से ऊपर तक सफाई करनी शुरू कर दी,
आज का नाश्ता उसे इतना मिल गया था की शायद पूरा दिन भूख ही न लगे.. अपनी जीभ से सारा माल समेटते हुए वो ऊपर तक आई और अपना सांप जैसा शरीर मुझसे घिसती हुई मेरे मुंह को बड़ी अधीरता से चूसने लगी, हम दोनों के शरीर के बीच अभी भी काफी चिचिपापन था जिसकी वजह से काफी चिकनाई बनी हुई थी,
कमाल की बात ये थी की मेरा लंड अभी तक खड़ा हुआ था, उसने ना जाने क्या हवा भरी थी मेरी गांड में की लंड झड़ने के बाद भी खड़ा हुआ था, ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था, शायद उसके गांड को चाटने का कमाल था, मेरा खड़ा हुआ लंड जैसे ही उसकी रस टपकाती चूत से टकराया, उसने अपनी चूत को मेरे लंड के चारों तरफ फंसा कर एक झटका दिया और मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत में फंस गया...और उसने अपनी आँखों से मुझे देखते हुए कहा "ऊऊऊऊऊओ भाई.......म्मम्मम्मम ...बड़ा मजा ले रहे हो....आज तो.....हूँ...." उसका मतलब मेरे झड़ने के बाद भी चूत मारने से था..
तभी दरवाजा खुला और पापा ने सर अन्दर करके कहा "बच्चो उठ जाओ....कॉलेज नहीं जाना क्या....."
पर हमें उन्होंने चुदाई करते देखा तो उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी....वो शायद सोच रहे होंगे की ये आजकल के बच्चे भी...कितना स्टेमिना होता है इनमे...सुबह -२ शुरू हो गए..
पर उन्होंने जब देखा की उनके आने से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा है तो वो अन्दर आये, उन्होंने पायजामा और टी शर्ट पहनी हुई थी, ऋतू ने पापा को देखा और हँसते हुए बोली "गुड मोर्निंग पापा...कम ना प्लीस..ज्वाइन अस ..."
पापा ऐसा निमंत्रण कैसे ठुकरा देते, उन्होंने बिजली जैसी स्पीड से पायजामा उतरा और ऋतू के पीछे जाकर अपना लंड टिका दिया उसकी गांड के छेद पर और झुक कर उसके मुम्मे पकड़ लिए और थोडा दबाव डालकर उसकी गांड में प्रवेश कर गए.....
"आआआआह्ह्ह ....पापा ....... म्मम्मम्म " उसकी मलाई जैसे गांड में पापा का हथियार पूरा अन्दर तक दाखिल हो गया. उसकी चूत में भाई और गांड में बाप का लंड था..
ये ख़ुशी हर लड़की के नसीब में नहीं होती...
मैं तो बस नीचे लेटा हुआ उसके चुचे दबा रहा था, ऊपर तो ऋतू उछल कर और पीछे से पापा के धक्को की वजह से मेरा लंड अपने आप उसकी चूत में आ जा रहा था, पापा के लंड की वजह से उसकी चूत में थोडा टाईटपन आ गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था की उसकी चूत के ऊपर की परत के दूसरी तरफ पापा का लंड मेरे लंड से घिसाई कर रहा है..
मेरा लंड अभी-२ झडा था इसलिए मुझे पता था की अगला झडाव थोड़ी देर में होगा..
मैंने ऋतू के दोनों मुम्मे पकडे और उन्हें नोचते हुए, चबाते हुए, चूसते हुए , अपने लंड से नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए उसकी चूत में...
अब तो पापा को भी जोश आ गया, उन्होंने भी उसकी फेली हुई गांड को पकड़ा और पीछे से दे धक्के पे धक्के मारने शुरू कर दिए...ऋतू को सुबह -२ तारे दिखाई देने लग गए, वो चीखती जा रही थी...
"आह्ह्ह्हह पापा......ओग्फ्फफ्फ्फ़ भैय्या.......अह्ह्हह्ह .....ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ मरर गयी रे....अ अह्ह्हह्ह ......पापा .....ओग्ग्ग्ग पापा .....हां......जोर से....पापा ....भाई और तेज...और तेज करो....ओ मै तो गयी....मै तो गयी......" और ये कहते हुए वो झड़ने लगी..
मेरे लंड के ऊपर उसने अभिषेक कर दिया अपने रस का...जिसकी वजह से उसकी चूत में और भी लसीलापन आ गया, मैं तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था... उसके मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे, पापा ने तो उसकी गांड को फाड़ने की कसम ही खा रखी थी आज... उनके हर झटके से उसके गुब्बारे मेरे मुंह पर जोर से पड़ते और फिर वो पीछे होती और फिर मेरे मुंह पर अपने मुम्मे मारती...
पापा के लंड से भी अब आग उगलनी शुरू हो गयी, उन्होंने ऋतू की गांड को जोर से पकड़ा...और चिल्लाये....
"आआआअह्ह्ह्ह ऋतू......मेरी बच्ची......अह्ह्ह्हह्ह मैं भी आया.....ले पापा का जूस ....अह्ह्ह्हह्ह .....ओये. इउईईईइ .........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और उन्होंने अपने रस का सारा स्टॉक ऋतू की गांड में डीपोजिट करवा दिया...
ऋतू की हालत काफी खस्ता हो चुकी थी, उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी, उसने ऐसी चुदाई की कल्पना भी नहीं की थी, उसे क्या मालुम की लंड लेने का असली मजा सुबह में जो आता है, वो रात में कहाँ.
मैंने उसकी चूत में धक्के मारने जारी रख रखे थे, उसने मेरी तरफ देखकर कहा "भाई....जल्दी आओ ना...मेरी चूत में डाल दो अपना रस....और कितना तद्पाओगे...मुझे..... “
उसकी बात सुनकर मैंने अपने लंड को और तेजी से धकेलना शुरू कर दिया और जल्दी ही मेरे अन्दर एक नया ओर्गास्म बनने लगा, उसने भी उसे महसूस किया और मेरे होंठों से अपने होंठ मिलकर मुझे चूसने लगी...
मैंने उसके दोनों निप्पल पकड़कर दबाने शुरू कर दिए और मेरे लंड ने उसकी चूत में बरसना शुरू कर दिया...उसकी चूत में ठंडक सी पड़ गयी...पापा ने अपना लंड निकाल लिया था...और नीचे जाते हुए वो कह कर गए..."जल्दी करो...कॉलेज भी जाना है...."
ऋतू मेरे सीने पर नंगी पड़ी हुई हांफ रही थी...मेरा लंड उसकी चूत से फिसल कर बाहर आ गया और उसके पीछे -२ मेरा रस भी..
हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर नहाने लगे, एक दुसरे के शरीर पर साबुन लगाकर हमने काफी देर तक नहाया और फिर तैयार होकर नीचे आ गए.
मम्मी किचन में खड़ी हुई नाश्ता बना रही थी. सोनी और अन्नू अभी आई नहीं थी,

हमने नाश्ता किया और मैं ऋतू को अपनी बाईक पर लेकर चल दिया, उसे उसके कॉलेज छोड़ा और फिर मैं अपने कॉलेज आ गया.
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12-13-2020, 02:59 PM,
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क्लास में पहुँचते ही सन्नी और विशाल ने मुझे पकड़ लिया और छुट्टियों में कहाँ गए, क्या किया वगेरह-२ पूछने लगे... और अंत में सन्नी ने मुझसे कहा "यार आशु....वो तेरे घर पर दोबारा कब चल सकते हैं....
देख तुने कहा था की छुट्टियों के बाद तू अपनी बहन की चूत चाटने के लिए हमें दोबारा बुलाएगा... देख हमने काफी पैसे जमा कर लिए हैं...इन छुट्टियों में..." और उसने अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकाल कर दिखाई...
मेरे तो मुंह में पानी आ गया, इतने पैसे देखकर..छुट्टियों में मेरे सारे पैसे खर्च हो चुके थे, अब मुझे नए सिरे से दोबारा पैसे इकठ्ठा करने थे, और ज्यादा पैसो के लिए इन्हें भी कुछ ज्यादा मजे दिलाने होंगे..
मैंने सन्नी से कहा "हाँ ...मुझे याद है.... ऋतू भी तुम दोनों के बारे में पूछ रही थी. ...
ऐसा करो..तुम कल दोपहर को हमारे घर पर आ जाना, मैं तुम दोनों को दोबारा उसके कमरे में ले जाऊंगा..." मेरे मन में एक अलग ही योजना बनने लगी थी, जिसे मैं अभी इन्हें नहीं बताना चाहता था.
दोपहर २ बजे मैंने ऋतू के कॉलेज से उसे पिक किया और हम वापिस घर आ गए.
दरवाजा सोनी ने खोला, उसने आज घाघरा चोली पहना हुआ था, मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, मानो उसका सैंया घर आया हो, मेरे हाथ से उसने मेरा बेग ले लिया और हम दोनों के लिए पानी लेकर आई, उसने जो चोली पहनी हुई थी वो पीठ पर डोरियों से बंधी हुई थी और वहां ब्रा के स्ट्रेप का नामों निशान नहीं था, यानी उसने बिना ब्रा के चोली पहनी हुई थी, बड़ी खुलती जा रही थी वो हमारे घर में .
अनीता ने खाना लगाया और मैंने और ऋतू ने एक साथ खाया, खाते हुए मैंने उसे विशाल और सन्नी के बारे में और कल के प्रोग्राम के बारे में भी बताया, वो खुश हो गयी की चलो अब नया टेस्ट मिलेगा उसकी चूत को.
खाना खाने के बाद मैं ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दिया, कमरे में पहुंचकर मैंने अपना कंप्यूटर चलाया और फेसबुक चेक करने लगा.
मम्मी की आज किट्टी पार्टी थी सो वो शाम तक के लिए बाहर थी, ऋतू भी थकी होने की वजह से जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी और सो गयी.
तभी मैंने नीचे से किसी के बात करने की आवाज सुनी, मैं उठा और नीचे जाकर देखा की सोनी के साथ एक लड़की बैठी बात कर रही थी.
मैंने जब घूमकर उसका चेहरा देखा तो देखता ही रह गया, ये तो वही लड़की थी जो हमारे साथ वाले प्लाट में काम करती है, और जिसे मैंने उस दिन छत्त से एक बुड्ढे से चुदाई करवाते हुए देखा था.
उसका चेहरा बिलकुल सांवला था, जैसा मजदूरों की जवान होती लड़कियों का होता है, और छाती पर निम्बू जैसे छोटे - छोटे उभार, उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी, काफी सुरमा लगा रखा था उसने. मुझे देखते ही सोनी ने कहा "बाबु...ये मेरी सहेली है प्रिती, ये साथ वाले प्लाट में काम करती है,
मुझे तो मालुम ही नहीं था की ये यहाँ रहती है आजकल, पहले ये हमारे ही मोहल्ले में रहती थे...आज सुबह जब मैं ऊपर कपडे डालने गयी तो मैंने इसे देखा...और तभी यहाँ बुला लिया अभी...आपको बुरा तो नहीं लगा न.."
"अरे नहीं सोनी....कोई बात नहीं..."
सोनी ने खुश होते हुए प्रिती की तरफ देखा और बोली "और प्रिती...ये हमारे आशु बाबु हैं...बहुत अच्छे हैं ये..." और ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी. पर मेरा ध्यान तो सिर्फ प्रिती की तरफ ही था, उसका गहरा रंग मुझे किसी काले जादू जैसे अपनी तरफ खींच रहा था, मैंने पहले ही उसे छत्त से उस बुढ्ढे से चुदाई करवाते हुए देख लिया था, पर काफी दूर से देखने की वजह से मैं उसके शरीर को सिर्फ नंगा देख पाया, सही तरह से एक-एक अंग को नहीं देख पाया बारीकी से... और अब मेरी आँखें उसके कपड़ों के अन्दर का हाल चाल पता करने का काम कर रही थी, मेरे द्वारा घूरकर देखने से वो भी सकुचा गयी थी..
अपने चेहरे पर फीकी सी मुस्कान लाने की कोशिश में उसने अपने पेरों से जमीन को कुरेदना शुरू कर दिया था...
उसके रोयें खड़े हो चुके थे और मैंने गोर किया की उसके निप्पल भी उसके मैले से सूट से झाँकने लगे हैं, और जिस तरह की कठोरता वहां दिखाई दे रही थी लगता था की उसने ब्रा नहीं पहनी हुई है...
मैंने सोनी को कहा की जाओ इसके लिए कुछ खाने को ले आओ किचन से..वो चली गयी..
मैंने प्रिती से पूछा "तुम किसके साथ रहती हो यहाँ..."
प्रिती : "जी...मेरे माँ बापू और दादाजी के साथ..."
हम्म्म्म...यानी वो बुड्ढा जो इसकी चुदाई कर रहा था बाथरूम में आकर, वो इसका दादा था..
मैं : "तुम स्कूल नहीं जाती क्या....??"
प्रिती : "जी...वो आठंवी के बाद बापू ने कहा की आगे पढ़ने के लिए हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं है...इसलिए मैंने पढ़ाई छोड़ दी..और बापू के साथ ही काम करने लगी..मजदूरी का.."
और फिर मैंने उससे कुछ और बाते पूछी..और फिर मैंने सीधा मुद्दे की बात पर आना शुरू किया..
मैं : "मैंने उस दिन तुम्हे देखा था....छत्त से ..जब तुम नहा रही थी..."
प्रिती सकपका गयी, नहाने वाली बात सुनकर..
प्रिती : "जी....नहाते हुए....कब कैसे....कहाँ से...."
मैं : "मैं छत्त पर था और तुम नहा रही थी, पिछले हफ्ते की बात है...और फिर वहां कोई आया था...जिसके साथ....तुमने..."
प्रिती के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, उसने सोचा भी नहीं था की आज वो यहाँ आएगी और उसकी उस दिन की चोरी इस तरह से पकड़ी जायेगी...
प्रिती : "साब...वो...वो....मैं....आप किसी को मत कहना ये बात....इस सोनी को भी नहीं.....वर्ना मैं बदनाम हो जाउंगी..." उसने अपने हाथ जोड़ दिए मेरे आगे.
मैं समझ गया की अब तो ये मुर्गी फंस ही गयी मेरे जाल में.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा "अरे घबराओ मत...मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा... पर तुम्हे मुझे सब कुछ बताना होगा..मैं किसी और को इसके बारे में नहीं बताऊंगा, तूम इसकी फ़िक्र मत करो...पर ये तो बताओ..ये सब कब से चल रहा है... तुम्हारी इतनी उम्र तो नहीं है की तुम अभी से चुदाई करवाने लगो..और वो भी उस बुड्ढे से...कोन था वो...बोलो "
मेरी बात सुनकर वो कुछ सामान्य हुई और बोलने लगी "जी दरअसल...वो मेरे दादाजी थे....हमारे यहाँ तो मेरी उम्र तक आने पर शादी भी हो जाती है... पर पैसे कम होने की वजह से मेरी शादी में देरी हो गयी...और मेरी कई सहेलियां जिनकी शादी हो चुकी है, वो जब मुझे अपने पति और उनसे चुदाई के बारे में बताती थी तो मुझे कुछ कुछ होने लगता था....
मैं अपनी उँगलियों से अपनी चूत को शांत करती थी...एक बार मेरे दादाजी ने मुझे रात को अपनी सलवार खोले, ये सब करते देख लिया...और फिर उन्होंने जबरदस्ती मुझे वहां पर चूसा...
अपनी उँगलियों से ज्यादा मुझे उनके होंठ अच्छे लगे अपनी चूत पर..और फिर तो वो रोज रात को मेरी खटिया पर आकर रात भर मेरी चूत को चूसते और अपना लंड भी मुझसे चुसवाते...
मेरे माँ बापू तो दिनभर की मेहनत के बाद गहरी नींद में सो रहे होते थे, और एक दिन जब वो दोनों किसी काम से बाहर गए हुए थे तो दादू ने अपना लंड मेरी चूत में डाला,
तब मुझे भी इन सब में मजा आने लगा...और उसके बाद जब भी दादू को मौका मिलता वो मेरी चुदाई कर लेते हैं... और उस दिन भी जब मैं नहा रही थी तो वो जबरदस्ती अन्दर आकर मुझे चोद गए थे, मुझे इन सब में कभी कभी बड़ा डर भी लगता है...पर मजा भी बहुत आता है....
मेरी आपसे विनती है...आप ये बात किसी को मत कहिएगा...मैं कहीं की नहीं रहूंगी...." उसकी आँखे नम सी हो गयी थी...
मैंने उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा "तुम इसकी फ़िक्र मत करो...मैं किसी से भी नहीं कहूँगा...." और मैंने हलके से उसके गाल को मलना शुरू कर दिया.. मेरे स्पर्श से उसके शरीर में फिर से तनाव सा आने लगा, शायद वो समझ गयी थी की मैं क्या चाहता हूँ..
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और फिर किचन की तरफ जहाँ अन्नू और सोनी खड़ी होकर उसके लिए कुछ खाने को बना रही थी...और फिर एक ही झटके से मेरे पास आई और मुझे चूम लिया.
मैं उसकी इस हरकत से एकदम से चोंक गया, कितनी हिम्मत का काम किया है उसने..अभी तो बड़ी भोली बन रही थी और अब एकदम से चूमना शुरू कर दिया. उसने धीरे से कहा "साब ...मैं कई बार आपको देख चुकी हूँ...आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं...
जब भी आप घर से बाहर जाते हो अपनी बाईक पर तो मैं आपको दूर तक देखती रहती हूँ....आपको बुरा तो नहीं लगा न साब...." मैंने फिर से उसके गाल पर हाथ फेरा और उसे सहलाते हुए बोला "नहीं ....बुरा नहीं लगा..."
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे पर बच्चो जैसी मासूमियत और हंसी आ गयी.
इसी बीच सोनी उसके लिए खाने को सेंडविच ले आई, और मेरे लिए चाय भी. वो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी सोफे पर...मैंने पाँव लम्बे करके उसके पाँव पर रख दिए और चाय पीने लगा,
मेरी इस हरकत को किचन में खड़ी वो दोनों बहने नहीं देख पा रही थी...प्रिती सेंडविच खा रही थी और मुस्कुराती जा रही थी..उसे मेरी इस हरकत का बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था..
अब तो मैं इसके साथ कुछ भी कर लूँ तो ये बुरा नहीं मानेगी..पर शायद ये सब कुछ सोनी और अन्नू के सामने करने में शर्म महसूस करे..इसे उन दोनों के सामने खोलना होगा..
मैंने कुछ सोचते हुए सोनी को आवाज दी..वो दौड़ी चली आई जैसे मैंने उसे लंड दिखाया हो...मैंने सोनी को कहा "सोनी ...इधर आओ...और मेरे पास बैठो..." वो समझ नहीं पायी की मैं क्या चाहता हूँ..
वो मेरी बगल में बैठ गयी...मैंने हाथ पीछे करके उसकी कमर को पकड़ा और उसे अपनी गोद में खींच लिया.. मेरी इस हरकत को देखकर सोनी के साथ-साथ प्रिती भी चोंक गयी..पर दोनों कुछ न बोली..
मैंने सोनी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठों को चूम लिया..वो शर्म के मारे कोई रिस्पोंस नहीं दे पा रही थी, वो भी शायद नहीं चाहती थी की मेरे और उसके बीच में जो सम्बन्ध हैं, उसकी सहेली के सामने ना उजागर हो.
मैंने एक हाथ नीचे करके उसके मुम्मे पकडे और उन्हें दबाना शुरू कर दिया..
वो गहरी साँसे लेती हुई सब कुछ करवा रही थी, पर मेरे से और प्रिती से अपनी नजरें चुरा रही थी.. उसने अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर घिसना शुरू कर दिया...और हलकी -२ सिस्कारियां लेने लगी..
"म्मम्मम्मम्म आःह्ह्ह बाबु.......ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ..... मत करो......न......अह्ह्ह्हह्ह ....."
प्रिती भी खाना छोड़कर फटी आँखों से हम दोनों को देखे जा रही थी, उसे विश्वास नहीं हो रहा था की उसकी सहेली अपने मालिक की गोद में बेठी हुई किस्स कर रही है और अपने मुम्मे मसलवा रही है...
सोनी की सिसकारी सुनकर उसकी छोटी बहन अन्नू भी वहां आ गयी, पहले तो वो चोंकी की मैं प्रिती के सामने ही ये सब क्यों कर रह हूँ... पर फिर शायद जब उसने सोचा की मैं प्रिती को भी अपने चुदाई के कार्यक्रम में शामिल करना चाहता हूँ तो वो भी मंद ही मंद मुस्कुराने लगी...और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी..और मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फिरने लगी..बड़े ही कामुक स्टायल में..
दोनों बहनों को मेरी सेवा करते देखकर शायद प्रिती भी समझ चुकी थी की मेरा उनके साथ किस तरह का सम्बन्ध है...
मैंने एक हाथ बढाकर प्रिती की जांघ पर रखा और उसे मसलने लगा..वो मेरी तरफ खींचती चली आई... अब सभी एक दुसरे के सामने खुल चुके थे... मैंने सोनी को इशारे से अपनी गोद से उतरने को कहा..वो अनमने मन से उठी और मैंने वहां प्रिती को खींच लिया.. अब प्रिती मेरी गोद में बैठी हुई थी, और उसके शरीर से उठती पसीने की,खट्टी सी , मदहोश करने वाली सुगंध..मेरे नथुनों में जाकर मुझे और उत्तेजित करने लगी..
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12-13-2020, 02:59 PM,
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मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन पर फिराई और उसे किसी आइसक्रीम की तरह चाटना शुरू कर दिया...
मेरे ऐसा करने से उसके मुंह से एक चीत्कार सी निकली...."आआआह्ह ह ह साआब.......ये क्या......क्या कर रहे हो.....अह्ह्ह्हह्ह ......म्मम्मम्मम्म "
और उसने थूक टपकाते हुए होंठों से मुझे एकदम से जकड़ा और मेरे होंठों को चुसना शुरू कर दिया. उसके दांत इतने पैने थे की मेरी जीभ को और होंठों को जब वो चबा रही थी तो मुझे काफी दर्द हो रहा था....मैंने किस्स करते हुए इतना उतावलापन आज तक किसी में नहीं देखा था...
मैंने अपने हाथ उसके निम्बुओं पर रखे और उन्हें मसलने लगा..बड़े ही मजेदार निम्बू थे उसके... मेरे पीछे खड़ी हुई अन्नू , जो मेरे सर को अपने पेट से रगड़ कर , मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फंसा कर, मजे ले रही थी, वो उछल कर सोफे के ऊपर चढ़ गयी और मेरे सर के दोनों तरफ अपनी टाँगे करके मेरे सर को अपनी चूत के ऊपर दबा दिया....
और अपनी गर्म चूत को मेरे सर के पीछे वाले हिस्से से रगड़ने लगी..उसकी चूत से निकलते रस से मेरे सर पर भी गीलापन आ गया, वो जैसे अपनी चूत के रस से मेरे सर की चम्पी कर रही थी.
सोनी भी अपने दोनों मुम्मे मेरी बाजुओं से रगड़े जा रही थी... प्रिती ने मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने सीने पर खेंच कर मारा...मेरे होंठों के चारों तरफ सीधा उसके निम्बू आ टकराए..
"आआआआआआअह्ह्ह काटो इन्हें....साब.....चुसो.....म्मम्मम्म आआआह्ह .......ओई.......माँ ......मर्र्र गयी...." मेरे दांत से काटने पर उसके मुंह से चीखे सी निकलने लगी..
मैंने हाथ नीचे करके उसके कुरते में घुसा दिए...और उसके सपाट पेट से होता हुआ उसके नंगे निम्बू पकड़ लिए..
व्व्व्वाह ....क्या चीज थे यार.....इतने भी छोटे नहीं थे...बिलकुल कड़क से...और इतने लम्बे निप्पल थे की मेरी ऊँगली के जो तीन हिस्से थे, उनमे से एक के बराबर उसमे निप्पल की लम्बाई थी...
मैंने उसका कुरता ऊपर करके निकाल दिया और अब वो कमसिन सी प्रिती मेरी गोद में ऊपर से नंगी हुई बैठी थी...गहरी साँसे लेती हुई... मैंने फिर से नीचे सर करके उसके निम्बू को पकड़ा और चूसने लगा....
और साथ ही साथ उसके लम्बे निप्पल से निकलता हुआ निम्बू रस भी पीने लगा..उसने मेरे सर को हटाकर दुसरे निम्बू पर लगाया और मैंने वहां भी अपने मुंह से निकलने वाली लार के निशान छोड़ते हुए चुसना शुरू किया...
मेरे सर के ऊपर बेताल जैसी बैठी हुई अन्नू ने भी अपनी टी शर्ट को उतार दिया और साथ ही साथ अपनी ब्रा भी..
उसकी देखा देखी सोनी ने भी खड़े होकर अपने सारे कपडे एक दम से उतार फेंके और मादरजात नंगी होकर मुझसे चिपककर , मेरे कानो से अपने होंठ सटाकर , उन्हें चूसने लगी..
मैंने हाथ नीचे करके प्रिती की चूत का जायजा लिया, वो बुरी तरह से बह रही थी...मैंने उसे अपनी सलवार को उतारने को कहा... वो मेरी गोद से उठी और अपनी सलवार उतारने लगी...
इतना समय काफी था उस सोनी के लिए, वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर दबाते हुए, अपने मुम्मो को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी... अन्नू भी अपनी जींस उतार कर वापस अपनी जगह, यानी मेरे सर के पीछे, सोफे पर आकर दोबारा बैठ गयी..
अब उसकी चूत से निकलता हुआ रस सीधा मेरी गर्दन पर अपनी छाप छोड़ रहा था. ठंडेपन से गुदगुदी सी हो रही थी वहां. मैंने सोनी को दोनों मुम्मो को पकड़ा और उन्हें अपने मुह के आगे करके उन्हें चुसना शुरू किया, मेरे मुंह में सोनी का दांया निप्पल था, वो चीखे जा रही थी... "अयीईईईईई बाबु......काटो मत इसे......बड़ा दर्द होता है.....चुसो इसे अपने मुंह से......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह .....मेरा दर्द कम करो.......अह्ह्ह्हह्ह ....अह्ह्ह्ह हां ऐसे ही....और तेज....काटो...अपने दांत से....तेज...निप्पल पर.....हां.....इस वाले को भी....अह्ह्हह्ह ......म्मम्मम्म क्या मजा देते हो....आप्प...अह्ह्ह्ह .....हाय......."
अचानक उसकी छोटी बहन अन्नू जो मेरे पीछे बैठी थी, उठ कर मेरे सर के ऊपर बैठ गयी, मेरी कुछ समझ नहीं आया, फिर अगले ही पल उसने अपनी बहन का मुंह पकड़कर अपनी चूत पर टिका दिया और उससे बोली..."सोनी......चूस इसे......अह्ह्हह्ह्ह्ह ......साली....सारे मजे खुद ही लेगी....क्या.....अह्ह्हह्ह ...चूस मेरी चूत को.....म्मम्मम्म ......और अन्दर डाल अपना मुंह....कुतिया......अह्ह्हह्ह हाँ.....ऐसी......और तेज.....और तेज चूस...ना....."
तब तक प्रिती भी नंगी हो चुकी थी, मेरी नजर जैसे ही उसकी रस टपकती हुई नन्ही सी चूत पर गयी तो मेरे तो होश उड़ गए, उस नन्ही सी चूत में मेरा लम्बा और मोटा लंड जाएगा या नहीं....मैं सोचने लगा...
उसने मेरे सामने बैठ कर मेरी जींस के बटन खोले और उसे नीचे उतार दिया....सोनी अपनी टाँगे ऊपर करके पंजो के बल बैठ गयी ताकि मैं अपनी जींस उतार सकूँ.
प्रिती ने जैसे ही मेरे लंड को देखा तो उसकी आँखें फट गयी...उसने आज तक सिर्फ अपने दादा का वो पुराना सा, छोटा सा लंड लिया था, पर मेरे लंड को देखकर वो घबरा गयी...और बोली
"बाप रे बाप....ये क्या है....इतना मोटा....इतना लम्बा....ये तो नहीं जाएगा मेरी चूत में...." वो निराश सी होकर मुझे देखने लगी. तभी मेरे ऊपर चड़ी हुई वो चंडाल सोनी ने कहा "अरे...कैसे नहीं जाएगा...ये देख...मैं दिखाती हूँ...." और इतना कहते ही उसने मेरे लंड का निशाना लगाया और ऊपर से अपनी गांड नुमा बम्ब गिरा दिया , मेरे लंड के ऊपर...
उसकी चूत के होंठो के बीच फंसकर , मेरा लंड, उसकी अन्दर की दीवारों से रगड़ खाता हुआ, अन्दर तक धंसता चला गया....
"आआ आया आःह्ह अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह अयूऊओ ए रे.....अन्न्नन्न्न्न ...... म्मम्मम ..........." और अंत में मेरी गोटियाँ उसकी गांड से जा टकराई और उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में समेट लिया.
सोनी की कुशलता देखकर प्रिती को भी थोडा हौसला मिला, वो भी दिमागी तोर से मेरा लंड लेने को तैयार हो गयी.
सोनी ने मेरे लंड के ऊपर अठखेलियाँ करनी शुरू की, और उचल उचल कर मेरे लंड को अन्दर लेने लगी, और साथ ही साथ, मेरे सर के ऊपर बैठी हुई अन्नू की चूत पर भी अपना मुंह मार कर उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगी, कुछ तो उसके मुंह में जा रहा था और कुछ मेरे बालों की जड़ों में...
"अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ....अह्ह्हह्ह ...साली चूस इसे....अह्ह्ह कमिनी....बड़ी चालू है....खुद बैठ गयी....साब के लंड पर.....अह्ह्हह्ह अब चूस मेरी चूत.....और शांत कर मेरी आग....अह्ह्हह्ह ....और तेज चूस ना....खाना नहीं खाया क्या....हाऽऽआ......दांत से काट....जीभ दाल अन्दर....तक.....और तेज चूस....इसे....म्मम्मम्मम मर्र्र्रर्र्र्र गयीईई रे.......अह्ह्ह्हह्ह मैं तो गयी........" ये कहते हुए अनु झड गयी..
मुझे लगा की मेरे सर के ऊपर जैसे किसी ने गुब्बारा फोड़ दिया हो...इतना रस निकला अन्नू की चूत से की वहां से निकलता हुआ वो मेरे चेहरे को भिगोता हुआ, मेरी छाती पर गिरने लगा...
बड़ा ही नशीला सा एहसास था, मेरा चेहरा और सर उसके रस से पूरी तरह से सराबोर हो चुका था, पर इस गंदेपन में मुझे आज बड़ा मजा आ रहा था.. झड़ने के बार अन्नू मेरे सर से उतर गयी और कोने में जाकर बैठ गयी और गहरी साँसे लेते हुए बाकी सभी को देखने लगी.
मेरे मुंह और छाती पर गिरे गाढ़े रस को देखकर सोनी ने मुझे किसी कुतिया की तरह से चाटना शुरू कर दिया, उसकी लम्बी जीभ मेरे चेहरे और छाती पर से होते हुए, अपनी बहन की चूत में से निकला रस, इकठ्ठा करती हुई अपनी भूख मिटाने लगी.
जब उसने मुझे पूरी तरह से साफ़ कर दिया तो मैंने उसे मेरे लंड से उतरने को कहा,
उसे मेरा लंड अपनी चूत में लेकर बड़ा मजा आ रहा था, पर वो जानती थी प्रिती भी लाइन में लगी हुई अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही है, वो अनमने मन से उठी और मेरी बगल में आकर फिर से चिपक कर मेरे कानो को चूसने लगी और अपने मोटे मुम्मे मेरी बाजुओं से रगड़ने लगी.
अब मेरे खड़े हुए लंड के सामने प्रिती खड़ी थी, वो घबराती हुई सी मेरे पास आई और सोफे के ऊपर चढ़ कर मेरे दोनों तरफ टाँगे करके नीचे बैठती हुई, मेरे लंड को अपनी चूत से सटाया..
मेरे लंड ने उसकी चूत की फांको के बीच अपनी जगह बनायीं, पर मेरे मोटे सुपाडे को और आगे जाने की जगह नहीं मिल पायी, सच में उसकी चूत बड़ी टाईट थी, वो एक तरह से अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर फंसा कर हवा में बैठी थी और सोच रही थी की आगे कैसे बड़ा जाए, मैं भी उसकी चूत में अपना लंड जबरदस्ती डाल कर उसे कोई कष्ट नहीं देना चाहता था...
हम आगे कैसे बढ़े ये सोच ही रहे थे की अचानक अन्नू अपनी जगह से उठी और प्रिती के पीछे आ खड़ी हुई और उसके दोनों कंधे पकड़कर उसे नीचे की तरफ दबा दिया, चर्र्रर्र्र सुर्र्र्र ....फचाक्...की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया.
"आआआआआआआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्हह्ह भग्वाआन........अह्ह्हह्ह्ह्ह मरर गयीई.........." उसकी चूत किसी ककड़ी की तरह से चीरती हुई मेरे लंड को अन्दर तक निगल गयी...
मेरे लंड पर उसकी चूत से निकलते हुए खून का एहसास जब मैंने महसूस किया तो जान गया की उसके बुड्ढे दादा ने सिर्फ ऊपर से ही अपने लंड की घिसाई करी है उसकी चूत पर,....असली चुदाई तो अब हुई है..सील तो अब टूटी है उसकी....
मेरे लंड के ऊपर बैठ कर उसने मेरे सर के दोनों तरफ अपनी बाहें लपेट दी और रोने लगी....
"आह्ह्ह्हह साब ......बड़ा दर्द हो रहा है.....अह्ह्ह्हह्ह ......."
थोड़ी देर तक बैठे रहने के बाद उसने थोड़ा ऊपर होकर अपनी चूत के मेरे लंड़ से आजाद करने की सोची पर फिर धम्म से नीचे बैठ गयी, फिर उठी और फिर धम्मसे बैठ गयी...
और इस तरह से लगभग दस बार वो ऊपर नीचे हुई और जब उसे मजा आने लगा तो उसकी स्पीड बढ गयी ....और अब उसके मुंह से गन्दी गन्दी बातें निकलने लगी... "अह्ह्ह्हह्ह साब......चोदो मुझे....अह्ह्ह्ह....चोदो मेरी मुनिया को......आज असली मजा मिला है...वो बुड्डा साला ऊपर से ही घिसाई करता था.... आज असली लंड गया है मेरी मुनिया के अन्दर......साब....चोदो इसे ...अझ्ज्ज्ज .....अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ अह्ह्हह्ह हह्ह्ह......
ये क्या हो रहा है.....अह्ह्हह्ह मुझे कुछ हो रहा .....है...साब.....अह्ह्हह्ह....सोनी.....अन्नू.......मुझे कुछ हो रहा है.....अह्ह्हह्ह ...मेरा पेशाब निकल रहा है....अह्ह्हह्ह्ह्ह ........"
वो क्या जाने की उसकी चूत में से लंड द्वारा घिसाई करने से पहला ओर्गास्म हो रहा था आज.... और फिर उसकी चूत में से रस का फव्वारा निकला जो मेरे लंड को भिगोता हुआ बाहर की और आया....
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12-13-2020, 03:00 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने झट से उसे उठा कर नीचे जमीं पर लिटा दिया..ताकि सोफा न गन्दा हो..जैसे ही मैंने उसे नीचे लिटाया उसकी चूत से रस की फुहार निकल कर नीचे फैल गयी और उसने मेरी कमर के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली...
थोड़ी देर तक गहरी साँसे लेती हुई वो नीचे पड़ी रही और फिर मैंने उसकी गिरफ्त से छुटकर उसकी चूत में धक्के मारने शुरू किये..
उसके निम्बू मेरे हर धक्के से हिल रहे थे, मैंने हाथ उनपर रखे और उन निम्बुओ का रस निकलना शुरू कर दिया..अब उसके अन्दर फिर से एक और ओर्गास्म बनने लगा था. मैं भी झड़ने के करीब था..
"अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओ साब......अह्ह्हह्ह ....क्या लंड है आपका.....इतना लम्बा...... अह्ह्ह्हह्ह...... मजा आ गया...आऽऽऽज......ऊऊ ऊऊऊऊ .......और तेज डालो ....और अन्दर तक.....फाड़ डालो....मेरी मुनिया को..... अह्ह्हह्ह......."
मैंने भी उसके निम्बू मसलते हुए बोलना शुरू किया.. "ले साली......अह्ह्हह्ह.....ले मेरा रस......... " और मैं तेजी से हुंकारता हुआ उसकी चूत के अन्दर झड़ने लगा.... और फिर निढाल होकर उसकी छाती पर लुढ़क गया..
मैंने लंड बाहर निकाला, उसकी चूत में से भी खून और ढेर सारा रस बाहर निकला, सोनी उसे बाथरूम में ले गयी और अन्नू मेरे लंड को वहीँ बैठकर अपने मुह से साफ़ करने लगी, चाट चाटकर...
उसके बाद मैंने अन्नू की चूत को लगभग पंद्रह मिनट तक मारा, और एक बार और प्रिती को भी चोदा... अच्छी तरह से चुदाई करवा कर प्रिती खुश हो गयी , और मैंने उसे बता दिया की मैं जब भी उसे बुलाऊ , वो आ जाया करे...मजे लेने किसे पसंद नहीं है...वो खुशी खुशी मेरी बात मानकर चली गयी..
मम्मी के आने का समय हो चूका था, इसलिए मैंने सोनी को वहां की सफाई करने और अन्नू को किचन में खाना बनाने को कहा और खुद ऊपर जाकर सो गया...
*****

अगले दिन विशाल और सन्नी मेरे साथ ही घर आ गए और हम सीधा अपने कमरे में चले गए, मैं नीचे गया और सोनी को अपने कमरे में पानी लेकर आने को कहा,
सोनी हमारे कमरे में आई और सभी को पानी पिलाया, झुकते हुए उसने जब ग्लास उठाये तो उसके सूट में से लटकते मुम्मे देखकर सन्नी और विशाल का मुंह खुला रह गया,
उस कुतिया ने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी और ना ही चुन्नी डाली हुई थी, तने हुए निप्पल उसके पीले सूट में से चमक कर दिखाई दे रहे थे और झुकने से उसके आधे से ज्यादा चुचे बाहर की और लटकने लगे. उसके जाते ही सन्नी ने मुझे धर दबोचा
सन्नी : "यार ...क्या माल है तेरी ये नौकरानी, साले, कहाँ से मिली, बता न..कितनी मस्त है यार, देखा, कैसे अपने चुचे दिखा रही थी, और मुझे तो लगता है की इसने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी नीचे..है न विशाल."
विशाल : "हाँ यार...मुझे भी येही लगता है, देखा नहीं, कैसे झुकी और मुस्कुराते हुए उसने ग्लास उठाये, मुझे तो लगता है साली चालू है..है न आशु.."
मैं : "अरे...तुम साले ठरकी लोग, नौकरानी पर ही शुरू हो गए, मैं तुम्हे यहाँ उससे भी अच्छी लड़की , यानी ऋतू के लिए लाया हूँ और तुम हो की नौकरानी के पीछे पड़े हो.."
सन्नी : "यार, तेरी बहन की चूत तो हम पहले भी चाट चुके हैं, और वो फिर से भी करवाने से मना नहीं करेगी, ये हमें मालुम है,
पर यार, तेरी इस नौकरानी को देखकर तो मेरे लंड के मुंह में पानी आ रहा है, मुझे लगता है की ये हमें सब कुछ करने देगी, बोल न, क्या नाम है इसका..."
मैं : "इसका नाम सोनी है और इसकी छोटी बहन भी यहाँ काम करती है किचन का, उसका नाम अन्नू है.."
विशाल : "छोटी बहन भी है, दो-दो नौकरानिया, और साथ में सेक्सी ऋतू भी...क्या बात है...तेरे तो मजे हैं यार..."
सन्नी : "यार आशु, अभी तो तेरी बहन को आने में देर है, तू एक काम कर, इस सोनी को दोबारा बुला, आज इसे ही पटाते हैं, थोडा टाइम भी पास हो जाएगा और जैसा इसके हाव भाव देखकर लग रहा है, ये मना भी नहीं करेगी..चालु है ये, लिखवा ले मुझसे.."
मेरी चाल सफल होती दिख रही थी, मैंने जैसा सोचा था और जैसा सोनी को करने को कहा था, ठीक वैसा ही हुआ था, मैं जानता था की इन कुत्तो के आगे अगर मैंने सोनी को बिना ब्रा के और चुन्नी के दिखा दिया तो इनकी लार निकलने लगेगी और ये इसके बारे में प्लान बनाने लगेंगे..
और वैसा ही हुआ, सोनी को मैंने पहले से ही सब सिखा दिया था, इन दोनों को जब मैंने अपने कमरे में बिठा कर नीचे गया और किचन में अन्नू के साथ काम कर रही सोनी को अपने दोस्तों के बारे में बताया, और उसे बिना ब्रा के ऊपर आकर , अपना जलवा दिखाते हुए, पानी पिलाने को कहा,
उसने उसी वक़्त, बिना किसी झिझक के, अपनी बहन के सामने ही, अपना सूट उतारा, अपनी ब्रा खोली और मेरे हाथ में निकाल कर रख दी, और बोली : "आप कहो तो ऐसे ही आ जाऊ क्या....?" और मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराने लगी.
अन्नू भी अपनी बहन का दबंगपन देखकर, दंग रह गयी और मुस्कुराते हुए फिर से अपना काम करने लगी. मेरा तो मन कर रहा था की उसके गोरे मुम्मे वहीँ पर दबा दबाकर उसे बेहाल कर दूँ और किचन में ही उसकी चूत मार दूं...
पर ऊपर वो दोनों ही बैठे थे, इसलिए मैंने उसके दोनों कलश आराम से पकडे और उसके निप्पल दबाये और धीरे से कहा : "अभी जो कह रहा हूँ, वो करो, मजे और पैसे मिलेंगे, शाम तक..."
मजे यानी जवान लंड और पैसो का नाम सुनकर तो उसका चेहरा खिल सा उठा..उसने जल्दी से सूट पहना और मैंने उसे आगे का प्लान समझाया और फिर ऊपर आकर बैठ गया था.
अब जब वो दोनों सोनी के दीवाने हो चुके थे तो मैंने असली प्लान उनके सामने रखा
मैं : "देखो...ये काम वाली होती तो बड़ी चालु हैं, और ये भी है, मैं मानता हूँ, पर अगर इसने अपना मुंह खोल दिया तो हम सभी मुसीबत में पड़ जायेंगे, इसका सिर्फ एक ही उपाय है की इसे हम ज्यादा पैसो का लालच देकर, इसके हुस्न के मजे लूट सकते हैं.."
मेरी बात सुनकर वो दोनों एक दम से बोले "अरे...तो इसमें क्या मुश्किल है, पैसे तो हम वैसे भी देने वाले थे, ऋतू के लिए, वही अब इसके लिए दे देते हैं, ऋतू के लिए कल और ले आयेंगे.."
और ये कहकर उन्होंने अपनी जेब से पांच -पांच हजार रूपए निकाल कर मेरे हाथ में दे दिए..मैंने सहमती से सर हिलाया और उनसे कहा की अब मुझे ही सब करने देना, तुम दोनों बैठ कर तमाशा देखो, और फिर मैंने सोनी को आवाज लगायी. वो ऊपर आई...
सोनी : "जी साब...आपने बुलाया..."
मैं : "सोनी, ये देखो जरा, ये टेबल कितना गन्दा हो गया है, इसे साफ़ करो..."
सोनी : "जी..." और वो कपडा लेकर, पानी से उसे साफ़ करने लगी.
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12-13-2020, 03:00 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अब उसके झूलते हुए मुम्मे फिर से हम तीनो के सामने थे, वो झुक कर उसे अपने हाथों से रगड़ रही थी जिसकी वजह से उसकी छाती से बंधे उसके मुम्मे किसी बड़े गुब्बारों की तरह से हिल रहे थे,
काफी झुके होने की वजह से उसके निप्पल भी दिखाई देने लगे थे अब..जिसे देखकर सन्नी और विशाल की हालत बड़ी ख़राब होने लगी, वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगे.
मैं : "सोनी...ये क्या...तुमने आज ब्रा नहीं पहनी.."
मेरी बात सुनकर सन्नी और विशाल एक दम से चोंक गए..उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी की मैं सोनी से एकदम से उसकी ब्रा के बारे में पूछुंगा..और वो भी उनके सामने.. सोनी को तो मैंने पहले से ही सब समझा दिया था, वो डरने का नाटक करने लगी और धीरे से बोली : "नहीं साब...वो...काम करते हुए गर्मी लगती है...इसलिए उतार दी .."
मैं : "मैं तुम्हारी शिकायत करूँगा मम्मी से...उन्होंने तुम्हे पहले भी कहा था की बिना ब्रा और चुन्नी के घर में न घुमा करो...और तुम आज बाहर के लोगो के सामने भी ऐसे ही घूम रही हो...आने दो मम्मी को, .."
सोनी (हाथ जोड़कर),: " नहीं साब...आप मेमसाब को मत बोलना, मेरी नौकरी चली जायेगी...मैं अभी पहन कर आती हूँ, नीचे है मेरी ब्रा..."
मैं : "नीचे है तो उसे ऊपर लेकर आओ..जल्दी..."
सोनी जल्दी से नीचे भागी, और उसके जाते ही वो दोनों मेरी तरफ देखकर हंसने लगे और बोले "यार...तू तो बड़ा जिगर वाला है...साले कैसे उसे नौकरी से निकलवाने का डर दिखाकर, ब्रा के बारे में पुछा, यार मेरी तो फट रही थी की कहीं बात उलटी न पड़ जाए..."
मैं : "मैंने तुम्हे कहा न, की ये चालू तो है, इसलिए इसके साथ भी चालूपन दिखाना पड़ेगा, चलो अब चुप हो जाओ, तुम बस तमाशा देखो, मैं उसके साथ क्या क्या करता हूँ..."
मेरी बात पूरी होते-२ सोनी भी ऊपर आ चुकी थी, उसके हाथ में उसकी मेली कुचली सी ब्रा थी..मैं हाथ आगे करके उसे उसके हाथ से ले लिया. उसके मुम्मो की गर्मी अभी भी उसके बड़े-२ कपों में थी, मैंने उसे सूंघकर देखा, उसमे से वही नशीली सी और मादक सी खुशबू आ रही थी, जिसे मैं पिछले २ दिनों से महसूस करते हुए , उसकी चुदाई कर रहा था..मेरा लंड भी अब तन कर खड़ा हो चूका था.
सोनी सर झुका कर खड़ी थी, मैंने उस ब्रा को सन्नी और विशाल को दे दिया, वो दोनों भी उसे किसी कुत्ते की तरह सूंघने लगे और अपने मुंह पर मलने लगे.
सोनी सर झुकाए ये सब देख रही थी, और अपने पैरों से जमीन को कुरेद रही थी, हम सभी की हरकतें देखकर उसके सूट में से उसके निप्पल तन कर खड़े हो चुके थे, जो मुझे साफ़ दिखाई दे रहे थे, उसकी चूत में भी इस समय घमासान चल रहा होगा.
मैंने थोडा गुस्से वाले लहजे में कहा : "ये इतनी गन्दी ब्रा क्यों पहनती हो..."
सोनी : "जी...वो..हमारे पास 2 ही ब्रा हैं...अन्नू और मैं उससे ही काम चला लेते हैं.."
मैं : "ये तुम्हारी है या अन्नू की.."??
सोनी : "जी ये तो अन्नू की है..आज मैंने पहनी थी.."
मैं : "अच्छा ये लो...अपने लिए नयी ब्रा ले लेना.." और ये कहकर मैंने उसे 500 के दो नोट दिए.., वो खिल उठी और उसने चुप चाप वो लिए और अपनी मुट्ठी में दबा लिए.
सोनी : "आपका धन्यवाद...अब मैं जाऊ.."
मैं : "जाऊ...कैसे..पहले ये ब्रा पहनो, फिर जाना..."
सोनी : "जी...यहाँ...मैं अन्दर बाथरूम में जाकर पहनू क्या.."
मैं : "नहीं , यहीं पहनो...हमारे सामने "
उसने कोई जवाब नहीं दिया और धीरे से आगे आई और मेरे हाथों से अपनी ब्रा लेकर खड़ी हो गयी..और फिर उसने दूसरी तरफ सर घुमाया और अपना सूट उतारने लगी..
मैं : "यहाँ मुंह करो...हमारी तरफ..." वो लाचार सी दिखाकर हमारी तरफ मुड़ी और अपना सूट उतारने लगी.
जैसे -२ उसका नंगा पेट दिखाई देने लगा, उन दोनों की हालत खराब होती चली गयी..मैं आराम से बैठा ये सब तमाशा देख रहा था, आखिर रिमोट तो मेरे ही पास था न इस खेल का..
उसके भरे हुए मुम्मो के पास आकर उसका सूट अटक गया, बड़ा टाईट था , उसने एक दो बार कोशिश की पर सूट उसके मुम्मो से ऊपर नहीं गया.
मैंने उसकी विडम्बना देखी और मैं अपनी जगह से उठा और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया..और उसके सूट के किनारे पकड़कर उसे एक झटके में ऊपर खींच दिया.
उसके दोनों मुम्मे छलक कर बाहर आये और सामने बैठे सन्नी और विशाल की नजरों के सामने उजागर हो गए, बिलकुल नंगे, दूध जैसे, भरे हुए, और उनपर मोटे-२ कंचे जैसे निप्पल...
मैंने अपना सर उसके कंधे पर रखा और अपने दोनों हाथ आगे करके उसके दोनों मुम्मो को पकड़ा और उन्हें अपनी हथेली के ऊपर उठाया..जैसे उनक वजन तोलने की कोशिश कर रहा हूँ...
मेरी इस हरकत से सोनी की आँखें बंद हो गयी और उसने अपना सर पीछे करके मेरे कंधे पर गिरा दिया और उसके मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी...."आआअह्ह्ह बाबु....ये क्या कर रहे हो....छोड़ो न....
" पर उसके हाव भाव से पता नहीं चल रहा था की वो छोड़ने को कह रही है या पकड़ने को..
मैं : "एक काम करते हैं, हम ही तुम्हारे लिए ब्रा लेकर आ जायेंगे...पर इसके लिए तुम्हारा नाप भी तो लेना होगा..
मैं अपने हाथों से तुम्हारी छाती का साइज़ ले रहा हूँ...और इसके अनुसार ही मैं तुम्हारे लिए ब्रा लेकर आऊंगा..ठीक है न.." फिर मैंने आगे बेठे हुए उन दोनों ठरकीयों को आँख मारी और उन्हें भी आने को कहा, वो भी आगे आये और उसके दोनों उभारों को थाम कर मसलने लगे..
सन्नी : "हाँ...तुम सही कह रहे हो...मैं भी इसी तरह से तुम्हारा साइज़ नाप कर ले जाता हूँ और तुम्हारे लिए कल एक नयी ब्रा लेकर आऊंगा..." विशाल ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी और वो भी अपनी बड़ी हथेलियों से सोनी का नाप लेने में लग गया.
अब उस सोनी के शरीर पर तीन जोड़ी हाथ घूम रहे थे और उसके स्तनों का मर्दन करने में लगे हुए थे.. मेरा लंड कड़क हो चूका था, मैंने उसे सोनी की गांड में सटा दिया...वो बिफर सी उठी मेरे इस हमले से...और घूम कर मेरी तरफ मुंह किया और बोली "अह्ह्हह्ह साब.....ले लो...ये सोनी तो तुम्हारी है.....जहाँ से , जैसा नाप लेना है ले लो....छाप दो अपने हाथों के निशान मेरे पुरे जिस्म पर, मसल डालो मेरे शरीर के हर हिस्से को...जैसा आप चाहो मजा लो साब्ब....ये सोनी तुम्हारी सेवा में हाजिर है...."
उसके ऐसा कहते ही उन दोनों का चेहरा देखने लायक था, अब उन्हें विश्वास होने लगा था की शायद आज उनकी वर्जिनिटी जाकर रहेगी... उसने अपने होंठ मेरे मुंह से सटा दिए और उन्हें चूसने लगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसके होर्न पर रखे और उन्हें दबाने लगा और उसके नर्म और मुलायम होंठो से मीठा शहद पीने लगा.
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12-13-2020, 03:00 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
सन्नी ने कांपते हुए हाथो से उसकी सलवार का नाड़ा खींचा और उसे उतार दिया, नीचे उसने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, विशाल ने उसकी पेंटी को पकड़ा और उसे नीचे उतार दिया, उसकी चूत से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी.
मैंने उसकी चूत में हाथ डालकर उसके जूस को इकठ्ठा किया और उसके मुंह में डाल दिया, वो मेरी उँगलियाँ किसी पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी और उन्हें साफ़ करने में लग गयी..
उसने फिर मेरी शर्ट उतारी और नीचे बैठ कर मेरी जींस के बटन खोलने लगी..और उसे नीचे कर दिया..
मेरा लंड उछल कर उसके मुंह से जा टकराया, फिर वो सन्नी की तरफ मुड़ी और उसकी जींस को भी उतारा और फिर विशाल की भी...
अब वो रंडियों की तरह , हमारे सामने जमीन पर, अपने पंजो के बल, नंगी बैठी थी, उसने एक हाथ में सन्नी का और दुसरे में विशाल का लंड पकड़ा और उसे हिलाने लगी, और अपने मुंह में मेरा लंड डालकर चूसने लगी,
हम तीनो की आँखें बंद होने लगी , मैंने उसके सर के ऊपर हाथ रखा और आठ दस धक्के मार दिए उसके मुंह में, फिर उसने मेरा लंड बाहर निकाला और घूम कर सन्नी के लंड को चूसने लगी, और मेरे लंड को हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने विशाल के लंड को भी चूसा और बाकी दोनों को मसला..
इस तरह बारी-२ से वो लगभग दस मिनट तक सभी का लंड चुस्ती रही और मसलती रही..और फिर एक साथ हम सभी उसके नंगे जिस्म के ऊपर झड़ने लगे...
मेरा लंड उस समय उसके मुंह में था, मैंने उसे बाहर निकला और उसके चेहरे और मुम्मो का निशाना बना कर धारे मारनी शुरू कर दी..
"आआआअह्ह्ह ले साली.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....भेन चोद....तेरी माँ चोदुं......अह्ह्हह्ह्ह्ह .......ओफ्फ्फफ्फ्फ़ .......एई......ईई........"
विशाल और सन्नी की पिचकारियाँ भी उसके कानो में पड़ने लगी, उन्होंने भी उसके चेहरे और छाती को पूरी तरह से भिगो डाला....
उसकी हालत बड़ी खराब हो चुकी थी, पुरे चेहरे पर सफ़ेद वीर्य की चादर सी बिछी हुई थी, वो किसी पोर्न स्टार की तरह बेठी हुई थी, फिर उसने अपने मुंह पर गिरे वीर्य को साफ़ किया और उसे चाटने लगी..
हम सभी सोफे पर बैठ कर गहरी साँसे लेने लगे.
अपने चेहरे और छाती को पूरी तरह से साफ़ करने के बाद वो उठी और बाथरूम में जाकर साफ़ होकर आ गयी, वापिस अन्दर आते हुए मैंने नोट किया की उसका एक हाथ अपनी रस टपकाती चूत के ऊपर है, मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और वो आकर मेरे घुटनों के ऊपर अपने मुम्मे टीकाकर बैठ गयी, और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
जल्दी ही मेरे लंड में फिर से कसाव आने लगा, उसने फिर सन्नी और विशाल के लंड को भी उसी स्टाईल में चूसा और उनके लंडो को भी खड़ा कर दिया.. उसके बाद वो खड़ी हुई और उठकर मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रखा और बैठ गयी..
"आआआआआह्ह .....साब्ब्ब्बब......क्या लंड है आपका....अह्ह्हह्ह ....."
और उसने मेरे गले में बाहें डालकर ऊपर नीचे होने लगी..मेरे दोनों तरफ बेठे सन्नी और विशाल एक हाथ से अपना लंड और दुसरे से उसके हिलते हुए मुम्मो को पकड़कर दबा रहे थे...
मेरे लंड पर सोनी अपनी चूत को बुरी तरह से पीस रही थी, मैंने हाथ नीचे करके उसकी फेली हुई गांड को पकड़ा और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर लगा दी..बड़ा ही टाईट था वहां का छेद...
मेरे मन में उसकी गांड को मारने का विचार आया...और जिस तरह से उसे चुदाई का नशा चड़ा हुआ था, शायद आज वो मना भी ना करे, मैंने उसे अपनी गोद से उतारा और वो अनमने मन से उठ कर सन्नी के लंड पर जा बेठी, सन्नी को अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ की देर से ही सही, आज उसका कुंवारापन तो चला गया, आखिर उसका लंड भी घुस ही गया किसी की चूत में...
उसने दुगने जोश से उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए...और अपने मुंह में उसके मुम्मे लेकर बच्चे की तरह से चूसने लगा.. मैं बाथरूम से सरसों का तेल लेकर आया और उसे अपने लंड पर मलने लगा, और कुछ तेल लेकर मैंने सोनी की गांड के छेद पर भी लगाया और अपनी ऊँगली से उसे अन्दर तक रन्वा कर दिया..
सोनी भी शायद मेरा उद्देश्य समझ चुकी थी, उसने मेरी तरफ दयनीय तरीके से देखा की शायद मुझे उसपर दया आ जाए पर मैं अपने फेंसले पर अडिग था, कल पापा ने भी उसकी गांड में लंड डालने की कोशिश की थी पर वो बिदक गयी थी, फिर पापा ने अन्नू की गांड मारकर काम चलाया था,
वैसे एक बात तो मैं भी कहूँगा, जब लंड को सनक लग जाए की उसे गांड में ही जाना है तो उसके आगे चूत की कुछ नहीं लगती , लंड को तो बस गांड ही चाहिए उस समय..
जैसे वो लोग होते हैं न, नॉन वेज खाने वाले, जो लोग मटन खाते है, वही जानते है की असली नॉन वेज तो वही है, ना की चिकन या फिश वगेरह....
खेर..सन्नी जो पहली बार किसी की चूत मार रहा था, उसके लंड ने अब झड़ना शुरू कर दिया था, उसने अपना सारा रस सोनी की चूत में निकाल दिया..
"आआआआह्ह्ह्ह हूऊऊ .....अह्ह्ह्ह ....हाय री सोनी.....क्या चीज है यार.....अह्ह्हह्ह......मेरी वर्जिनिटी ले गयी रे....अह्ह्ह्ह....मजा आ गया.....थेंक्स...." और उसने भावुक होकर उसके चेहरे को चूम लिया.
अब सोनी उसके लंड से उठी और विशाल की तरफ बड़ी...मैंने विशाल को बेड पर लेटने को कहा, वो लेटा और सोनी ने उसके लंड को भी निगल कर उसका कुंवारापन छीन लिया एक ही झटके में...."
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......मेरा लंड.....ये क्या हो रहा है....अह्ह्ह्ह....मेरी स्किन फंस गयी है.....अहह....." पहली चुदाई के कारण उसके लंड के आगे के हिस्से की स्किन अन्दर जब रगड़ खायी तो उसे बड़ा दर्द हुआ, कोन कहता है की पहली बार करने में दर्द सिर्फ लड़की को होता है...
खेर उसने थोड़ी देर कोशिश करने से अन्दर की चिकनाहट को अपने लंड पर लपेट कर जब धक्के मारने शुरू किये तो उसका दर्द जाता रहा.
अब तो वो अपने मुंह पर पड़ रहे उसके मुम्मो के थपेड़ों के मजे ले रहा था और उसकी चूत में अपने लंड से थपेड़े दे रहा था..
मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद में लगाया तो उसका शरीर कांप सा गया, पर तेल की चिकनाहट के कारण लंड जब उसके भूरे छेद में जाकर फंसा तो मैंने भी अपनी कमर उसके साथ आगे पीछे करनी शुरू कर दी...
उसकी चूत में पहले से ही लंड था, और मैं अब उसकी गांड में भी लंड डालकर एक साथ दोनों छेदों को मारने की तय्यारी कर रहा था, जल्दी ही मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया,
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12-13-2020, 03:00 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने सोचा की यही सही समय है, और मैंने उसके कुल्हे पकडे और एक दो तेज धक्के मारे और अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतार दिया...वो चिल्ला पड़ी. "आआआअह्ह्ह ऊऊओ साब्ब्ब्ब ......क्या कर दिया......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....बड़ा दर्द हो रहा है...साब्ब्ब.....अह्ह्हह्ह ....ओफ्फ्फ्फ़ मर गयी रे.....अह्ह्ह्ह..."
मैंने उसकी चीखों की परवाह नहीं की और अपने काम में लगा रहा, नीचे से विशाल भी उसकी चूत में लंड पेल रहा था, जिससे उसे मजा आ रहा था, पर मेरे द्वारा पेले जा रहे लंड से उसे दर्द भी उतना तेज हो रहा था, जिसकी वजह से वो चूत के खेल को एन्जॉय नहीं कर पा रही थी... अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में जा कर धंस चूका था, वो मेरे और विशाल के बीचे सेंडविच बनी हुई चुद रही थी, साली को बड़ा शौक था न चुदने का, ले चूस अब, और कहाँ गयी इसकी शेरो शायरी...पिछली बार जब मैंने उसे चोदा था तो बड़ी शायरी निकल रही थी, आज कहाँ घुस गयी वो..
शायद उसकी गांड में ही घुस गयी होगी...जहाँ मेरा लंड है..हा हा..
मैंने हँसते हुए उसकी गांड के छेद को खोलना शुरू कर दिया, अब उसका दर्द भी कम होने लगा था,
पीछे और आगे, दोनों तरफ से उसके अन्दर मजे की तरंगे उठने लगी थी, और वो उन्हें महसूस करके मजे से आँखें बंद करवा के , रंडियों की तरह, चुदाई करवा रही थी...अब उसके मुंह से कुछ कुछ निकलने भी लगा था...
"अह्ह्ह ओफ्फ्फ अह्ह्ह्ह साब ....क्या मजा....अह्ह्ह्ह आया ......अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ....पीछे से भी....उतना ही मजा....अ आऽऽ रहा है....जितना आगे से....पहले क्यों नहीं फाड़ी मेरी गांड आपने....अह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़.....मांन्न.......अह्ह्हह्ह.....आयी......अयीई.....ई.......अह्ह्ह्ह......मर गयी रे......इतना मजा तो आजतक नहीं आया....अह्ह्ह्ह......."
और आखिर वो अपनी शायरी के कीड़े से बाज नहीं आई और बोली
"चोदो मुझे चूत में, चोदो मुझे गांड में..
डालो अपना लंड दिन रात मेरे हर छेद में
आप मालिक हो मेरे, मैं हूँ आपकी दासी
जब कहोगे , मैं चुदुंगी आपसे,
मैं तो बन गयी हूँ, आपके लंड की बांदी."
अचानक विशाल ने उसके दोनों मुम्मे पकडे और उसकी चूत में अन्दर झड़ना शुरू कर दिया...और जोरों से हाँफते हुए उसकी छाती से लिपट गया.
मेरे लंड पर, अन्दर की दीवार के दूसरी तरफ से निकलता, विशाल के लंड का रस, साफ़ महसूस हो रहा था, मैंने भी अपनी सारी शक्ति इकठ्ठा की और तेजी से उसकी गांड के अन्दर के धक्को की स्पीड बड़ा दी और जल्दी ही मैंने भी उसकी कुंवारी गांड को अपने रस के स्वाद से अवगत करवाया और झड़ने के बाद अपना लंड उसकी गांड सेs निकाला और लेट गया..
सभी थोड़ी देर तक लेटे रहे और फिर एक एक करके बाथरूम गए और साफ़ होकर वापिस आये और फिर वो दोनों अगले दिन फिर आने का वादा करके वापिस चले गए,
मैंने वहीँ लेटा रहा , नंगा, और वो सोनी भी वहीँ लेटी रही मेरे पास, नंगी.
मैं लेटा हुआ सोनी के नंगे बदन को सहला रहा था, की तभी उसकी छोटी बहन अन्नू ऊपर आई और हमें नंगे एक दुसरे की बाँहों में लेटे हुए देखा, हमने अपने नंगे शरीर को छिपाने की कोई चेष्ठा नहीं की.

अन्नू : वाह साब...आप तो मेरी बहन के पीछे ही पड़ गए, और आपने तो अब अपने दोस्तों से भी चुदवाना शुरू करवा दिया है मेरी बहन को..
उसकी बात सुनकर सोनी बीच में ही बोल पड़ी : तुझे क्या लेना...ये मेरी मर्जी है, मैं किसी से भी चुदवाऊ तुझे क्या, तू भी ना जाने कहाँ कहाँ मुंह मारती है, मैंने तुझे कभी रोका है क्या, और आज तो मैंने अपनी गांड भी मरवा ली साब से..ये देख.." और उसने अपनी फेली हुई गांड के लाल छेद को अपनी बहन को दिखाया..
अन्नू (हेरानी से) : "दीदी..आपने अपनी चूत की सील अभी दो दिन पहले ही तुडवाई है और आज गांड भी मरवा ली...चूत से गांड तक का सफ़र बड़ी जल्दी पूरा कर लिया.."
सोनी :"मैं तो हर तरह की चुदाई करवाना चाहती हूँ... मैंने अपने जितने भी साल बिना चुदे गुजरे हैं, मैं नहीं चाहती की ऐसे मजे मैं अब बिना लिए कोई भी दिन निकालू..मुझे तो बस अब रोज लंड चाहिए, चूत में और गांड में, मुंह में और हाथ में, हर जगह, हर रोज..."
अन्नू समझ गयी की उसकी बहन अब पूरी तरह से चुद्दकड़ बन चुकी है, उसे समझाना बेकार है, वैसे भी वो सिर्फ शिकायत इसलिए कर रही थी की उसे चुदाई से दूर क्यों रखा जा रहा है,
मैं उसकी बात को समझ चुका था, उसे इसलिए परेशानी नहीं थी की उसकी बहन की इतनी चुदाई क्यों हो रही है, उसे परेशानी थी की उसकी क्यों नहीं हो रही ...
मैं : "तुम्हारा इशारा मैं समझ गया हूँ अन्नू...तुम चिंता मत करो, कल जब मेरे दोस्त आयेंगे तो उनसे तुम्हारी चुदाई भी करवाऊंगा..ठीक है.."
और वो मुस्कुराने लगी , मैंने इशारे से उसे अपने पास आने को कहा. वो किसी दासी की तरह मेरे लंड के पास आकर बैठ गयी और उसे सहलाने लगी, उसकी बहन का हाथ पहले से ही मेरे लंड पर था, और उसने भी वहीँ हाथ लगा कर उसे मसलना शुरू कर दिया..
जल्दी ही मेरे लंड का साइज़ बढ़ने लगा और मैंने अन्नू को कपडे उतरने को कहा, वो तो जैसे इसी इन्तजार में बैठी थी, उसने झट से अपने कपडे उतारे और मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर आ बैठी..
"अह्ह्ह्हह्ह साब.....जब से आपके घर आई हूँ, मेरी चूत हमेशा गीली रहती है, इतने बड़े-२ लंड लिए हैं यहाँ आकर की अपनी गली के लोंडो के लंड अब नुन्नी लगते हैं.... अह्ह्हह्ह्ह्ह बड़ा मजा आता है....आपके मोटे और लम्बे लंड को लेने में....चोदो न...जोर से ...अपनी अन्नू को...अह्ह्ह्हह्ह sssssssssssssss....
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12-13-2020, 03:00 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उसके दोनों तरबूजों को पकड़कर दबाना और नीचे से उसकी चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया, साथ में लेटी हुई सोनी भी उठी और मेरे मुंह के ऊपर अपनी रसीली चूत को लेकर बैठ गयी, अपनी बहन की तरफ मुंह करके...
मैंने उसकी गीली चूत को सुखाना शुरू किया और उन दोनों बहनों ने एक दुसरे के गिले मुंह को..उनकी लार निकल कर मेरी छाती पर गिर रही थी, मैंने अपने शरीर के इस तरह से झटके दे रहा था की अन्नू और सोनी की चूत में एक साथ मेरा लंड और जीभ अन्दर जा रहे थे..और फिर जब तीनो ने झड़ना शुरू किया तो कमरे में जैसे बारिश आ गयी,
सब चीजे भीगने लगी, मेरा मुंह सोनी के रस से , अन्नू की चूत मेरे गाड़े वीर्य से, मेरा लंड उसके ठन्डे रसीले शहद से और सोनी की चूत मेरी थूक और उसके रस के मिले जुले मिश्रण से..
हम सभी नीचे उतरे और नहाने के लिए बाथरूम में गए , उन दोनों नौकरानियो ने मुझे राजा की तरह ट्रीट करते हुए मुझे नहलाया, मेरे हर अंग पर अपने शरीर से रगड़-२ कर साबुन लगाया ..फिर हम तैयार होकर नीचे वापिस आ गए.
शाम को जब ऋतू आई तो मैंने उसे आज के बारे में बताया की सन्नी और विशाल तो आज सोनी की चूत मारकर ही काम चला गए,
जिसे सुनकर ऋतू को बड़ा गुस्सा आया, वो बोली जब से ये दोनों चुडेले आई हैं उसके हिस्से की चुदाई भी वो लेजा रही हैं.. मैंने ये सुनकर उसके गुस्से को शांत किया और उसे उसी वक़्त उसके कमरे में लेजाकर खूब चोदा..रात को भी वो मेरे पास ही सोयी..कहना जरुरी तो नहीं है, पर हमने उस रात भी लगभग २ बार और चुदाई की.
अगले दिन मैंने कॉलेज में सन्नी और विशाल से घर पर जल्दी आने को कहा, क्योंकि मैं आज उन्हें सिर्फ ऋतू के मजे दिलाना चाहता था..और ऋतू भी दो दिनों से तड़प रही थी नए लंडो को लेने के लिए.
मैं दो बजे घर पहुंचा, ३ बजे के आसपास वो दोनों भी आ गए,आते ही उन्होंने मुझे दस हजार रूपए दे दिए,
ऋतू चार बजे के आस पास आती थी, इसी बीच उन दोनों ने सोनी को अपने पास बुलाया और उन दोनों ने उसे ब्रा और पेंटी के नए सेट दिए, जिसे पाकर वो बड़ी खुश हुई.. मैंने उसे पहले ही बता दिया था की आज उसकी चुदाई नहीं हो पाएगी, आज हमारा कुछ और प्रोग्राम है, वो समझ तो गयी थी पर उसने कुछ कहा नहीं.वो ख़ुशी-२ अपनी पेंटी-ब्रा लेकर नीचे चली गयी.
थोड़ी देर में ही ऋतू भी आ गयी, मैंने और वो दोनों उसके कमरे में गए, हम सभी वहीँ बैठ गए,
ऋतू : "आप सब बैठो, मैं बाथरूम में चेंज करके आती हूँ"
सन्नी :"अरे ऋतू, अब हमसे कैसा शर्माना, हमने तो तुम्हारे हर अंग को देखा है"
ऋतू उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी, उसने वहीँ खड़े होकर अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए. उसने शर्ट और फिर स्कर्ट भी उतार कर सन्नी और विशाल की तरफ फेंकी , और फिर उसने हाथ पीछे करके अपनी ब्रा भी उतारी और उसे मेरी और फेंका, बड़ी गरम थी वो ..
मैंने उसे सुँघा, उसमे से वही भीनी-२ खुशबू आ रही थी जो मुझे अक्सर उसकी चूत को चाटने में आती थी..
सन्नी और विशाल भी आँखे फाड़े ऋतू और उसके मोटे-२ लटकते हुए मुम्मो को देख रहे थे.. और अंत में उसने अपनी पेंटी को नीचे खिसकाना शुरू किया, और उसे ऊपर उछाल दिया, जिसे सन्नी ने लपक लिया और उसके गिले वाले हिस्से को अपने मुंह और होंठो पर मलने लगा.
और फिर अचानक ऋतू ने अपनी चूत में ऊँगली डालकर उसमे से वही डिल्डो निकला,...... साली कुतिया..अपनी चूत में डिल्डो लेकर वो आज स्कूल गयी थी... उसकी चूत से जैसे ही डिल्डो बाहर आया, उसकी चूत में जमा हुआ सुबह से उसके रस का बाँध जैसे टूट गया , वो भी उसकी चूत से बहकर नीचे गिरने लगा और उसकी गोरी -२ टांगो से होता हुआ नीचे की और आने लगा..
ये देखकर सन्नी और विशाल के सबर का बाँध टूट गया, उन्होंने आनन फानन में अपने कपडे उतारे और ऋतू की दोनों टांगो को पकड़ कर उसकी बहती हुई चूत के नीचे कुत्तो की तरह मुंह खोलकर बैठ गए और ऊपर से हो रही अमृत वर्षा का आनंद सीधा अपने मुंह में लेने लगे, और फिर उन्होंने ऋतू की एक-२ टांग को अपनी गर्म जीभ से चाटना शुरू कर दिया, वो जैसे उसकी मोटी जांगो को अपनी जीभ के ब्रश से पोलिश कर रहे थे, जैसे -२ वो उसकी टांग को चाट रहे थे, ऋतू की टांगो में एक नयी तरह की चमक से आती जा रही थी,..
वो खड़ी हुई मचल रही थी, दोनों के सर के ऊपर हाथ रखकर वो उन्हें और जोर से चाटने के लिए उकसा रही थी..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह सनी.......विशाल्ल्ल्ल......चाटो.....मेरी टाँगे.....अह्ह्हह्ह ...म्मम्मम.....ओफ्फफ्फ्फ़.......मजा आ रहा है...अह्ह्ह....गुदगुदी....हो रही है.......अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह "
और अचानक सन्नी ने अपनी जीभ उसकी खुली हुई चूत के अन्दर डाल दी...ऋतू तो अब जैसे उसके मुंह को कुर्सी समझ कर बैठी थी वहां..वो नीचे था अपना मुंह ऊपर किये, उसकी चूत पर लगाये और ऋतू उसके बालों को पकडे बैठी थी वहां उसके मुंह पर अपनी चूत टिकाये..
मैंने भी अब कपडे उतारे और उसकी जांघो को चाटना शुरू कर दिया, दूसरी जांघ विशाल चाट रहा था, बीच में सन्नी था...विशाल ने उसके पैरों की उंगलिया अपने मुंह में लेकर चुसनी शुरू कर दी..
ऋतू की तो जैसे जान ही निकल गयी, उसे लगा की उसके पैरों की उँगलियों को चुस्वाने में भी उसे वैसा ही आनंद मिल रहा है जैसा उसकी चूत को चूसने में मिलता है,
उसने अपने पैरों को उसके मुंह में ठूसना शुरू कर दिया, और अपनी चूत को और जोरों से सन्नी के मुंह पर ठोंकना...
मैंने भी उसके पेरों की उँगलियाँ अपने मुंह में डाली, बड़ी ही मुलायम थी वो, उसे गुदगुदी भी हो रही थी, और मजा भी आ रहा था..
अब उसका हाल ऐसा था मानो उसके शरीर में एक नहीं बल्कि तीन - तीन चुते हैं, जिसे तीन अलग-२ लोग चूस रहे हैं और उसे मजा दे रहे हैं... "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हह मरररर गयी.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आशु.........सन्नी.......विशाल्ल्ल........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म बड़ा मजा आ रहा है...... चुसो इन्हें....ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....इतना मजा आज तक नहीं आया....आशु.....भैय्या.....अह्ह्ह........"
और फिर मैंने उसकी चूत पर अपने होंठ लगाये और सन्नी ने मेरी जगह ले ली..आज सच में उसकी चूत भी बड़ी ठंडी और मुलायम और नम सी लग रही थी..
शायद उसे ऐसा मजा पहली बार मिल रहा था...इसलिए...मैं समझ गया की उसके पैर की उंगलिया उसका वीक पॉइंट है. और फिर विशाल भी उसकी चूत को चाटने के लिए उसके नीचे आया और मैं उसके पैरों की तरफ गया..
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12-13-2020, 03:00 PM,
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ऋतू की चूत से निकलते पानी से हम तीनो पूरी तरह से भीग चुके थे, आज तक मैंने जितनी भी चुते मारी थी, उनमे ऋतू ही ऐसी थी जिसमे से सबसे ज्यादा रस निकलता था, और आज भी वो हमें अपने रस से नहलाने में लगी हुई थी, पर अब उसकी चूत में लंड निगलने की खुजली होने लगी थी, उसने मेरी तरफ देखा और इशारे से पूछा, मैंने उसे आँखों हो आँखों में चुदने को कहा...मेरा इशारा पाते ही उसने अपनी चूत को नीचे बैठे विशाल के मुंह से हटाया और उसके कंधे पर हाथ रखकर , उसकी छाती से अपनी गीली चूत को रगड़ते हुए, नीचे की और आने लगी, विशाल को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ, उसने सोचा भी नहीं था की ऋतू अपने आप अपनी चूत में उसका लंड लेने को तैयार हो जायेगी..
जैसे ही विशाल के लंड ने ऋतू की चूत को छुआ, ऋतू ने विशाल का मुंह पकड़ा और उसे अपने दांये मुम्मे के ऊपर दबा दिया, विशाल ने अपना मुंह खोला और ऋतू के तने हुए निप्पल ने विशाल के मुंह में प्रवेश किया और नीचे विशाल के तने हुए लंड ने ऋतू की चूत में..
"अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......अह्ह्हह्ह म्मम्मम्म बड़ा लम्बा लंड है.....तुम्हारा....विशाल...ओह्ह्ह्हह्ह माय गोड.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह फक में.....विशाल....फक मी....विथ यु लॉन्ग पेनिस.... ."
ऋतू ने ना जाने कितने लम्बे और मोटे लंड लिए थे अपनी नन्ही सी चूत में, पर फिर भी वो विशाल के मामूली से लंड को लम्बा कह रही थी, मैं समझ गया की वो सिर्फ उसे ज्यादा उत्तेजित करने के लिए ही ऐसा कह रही है, वर्ना उस कमरे में इस वक़्त मेरे से लम्बा और मोटा लंड किसी का नहीं था..
और जैसा ऋतू चाहती थी, वैसा ही हुआ, अपने लंड की तारीफ सुनकर तो विशाल के अन्दर का जानवर जाग गया उसने ऋतू के दोनों मुम्मे स्टेरिंग की तरह पकडे और उन्हें चबाते हुए, दबाते हुए, मसलते हुए, नीचे से अपने लंड का एक्सेलेटर दबा दिया और अपने लंड के लम्बे-२ प्रहार करने लगा उसकी वेलवेट जैसी चूत में...
"अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ अह्ह्ह्ह ईई धीरे.....धीईएरे.....अह्ह्ह्ह मार डाला आःह्ह.........धीरे विशाल.....तुम्हारे दांत लग रहे हैं.....अह्ह्हह्ह ....ओयीईई .....मर गयी रे.....म्मम्मम.....मजा आ रहा है....विशाल्ल्ल्ल.....और तेज....अह्ह्हह्ह हाआन्न्न हा....ऐसे ही....अह्ह्हह्ह .......अह्ह्ह....."
सन्नी बेचारा विशाल की किस्मत देखकर जल सा रहा था, उसने सोचा था की पहले वो ऋतू की चूत मारेगा, पर विशाल ने बाजी मार ली, पर तभी उसे ऋतू की गांड का छेद दिखाई दिया, उसने अपने लंड पर थूक मली और उठ कर ऋतू के पीछे जा लगा और सटा दिया अपना थूक से भीगा सुपाडा उसकी गांड के भूरे से छेद पर...
जैसे ही ऋतू ने अपनी गांड के छेद पर उसके लंड की दस्तक सुनी, उसने मुड़ कर देखा और सन्नी को पाकर, मुस्कुराते हुए उसने अपनी गांड के मसल्स ढीले किये और उसके लंड के लिए पीछे का दरवाजा खोल दिया ..
सन्नी ने भी बिना कोई देरी किये अपना लंड अन्दर डाल दिया... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....मर गयी रे.....म्म्म्मम्म्म्मम्म "
"दो-दो लम्बे लंड ....अह्ह्ह्हह्ह्ह्तुम दोनों तो मेरी जान लेकर रहोगे....अह्ह्हह्ह्ह्ह .....म्मम्म...." और उसने पीछे मुंह किया और सन्नी के सर को पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठो को चूसने लगी, किस्स करने लगी उसे टायटेनिक वाले पोस में.. फर्क सिर्फ इतना था की ये रोज़ यानी ऋतू इस समय नंगी थी और उसकी गांड में पीछे से जेक यानी सन्नी का लंड था...और साथ ही साथ आगे से उसकी चूत में भी विशाल का लंड था, कुल मिला कर मुझे वो टायटेनिक मूवी, वो भी 3D में अपने सामने देखने में काफी मजा आ रहा था..अब देखना ये था की कोन सबसे पहले डूबता है..
मैं भी अपना लंड लेकर ऋतू के पास पहुंचा और उसने मेरे लम्बे लंड को देखते ही लपका और उसे चुसना शुरू कर दिया, आगे बैठा हुआ विशाल उसके दांये मुम्मे को बच्चे की तरह चूस रहा था, पीछे उसकी गांड मार रहा सन्नी बांये मुम्मे को मसलते हुए, उसके कंधे को चाट रहा था, और गांड में धक्के भी मार रहा था, और ऋतू मेरे लंड पर अपनी जीभ से और दांतों से अपनी कलाकारी दिखाने में लगी हुई थी.. और सबसे पहले ऋतू की चूत में फंसे विशाल के लंड ने उसकी चूत के समुन्दर में डूबना शुरू किया और अपना रस वहां के खारे पानी में मिलाने लगा...
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू........मैं तो गया......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ......फुक्क........फक्क.........अह्ह्हह्ह ........" और उसने अपना पसीने से भीगा मुंह ऋतू के गीले मुम्मो के बीच छुपा लिया.
विशाल के पीछे-२ उसका दोस्त सन्नी भी अपने लंड की पतवार को ऋतू की गांड में ज्यादा देर तक नहीं चला पाया और उसने भी अपने लंड से झाग निकालनी शुरू कर दी, जो उसकी गांड रूपी अथाह समुद्र में लीन होती चली गयी..
"अह्ह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह....ऋतू......माय डार्लिंग......अह्ह्हह्ह ऊफफ्फ्फ्फ़....ओग्ग्ग्ग..........."
ऋतू के दोनों छेद उन दोनों के रस से भर चुके थे, वो अपने तीसरे छेद यानी मुंह में भी रस भरकर, एक साथ तीनो छेदों को रस से भरने का कीर्तिमान बनाना चाहती थी, इसलिए उसने जल्दी -२ मेरे लंड को चुसना और मेरी गोटियों को मसलना शुरू कर दिया...उसकी मेहनत रंग लायी और मेरे लंड से भी ढेर सारा रस निकलकर उसके मुंह में जाने लगा और उसने बिना कोई बूँद वेस्ट करे वो सारा रस अपने पेट में उतार दिया...
आज पहली बार उसकी चूत, गांड और मुंह में एक साथ लंड से निकले रस आये थे, जो तीन नदियों की भाँती अलग-२ रास्तो से होकर उसके शरीर के अन्दर एक जगह मिलकर महासागर का निर्माण कर रहे थे.
उसे आज जितनी संतुष्टि कभी नही मिली थी..
उसके बाद ऋतू जब उठी तो उसकी चूत और गांड में से उन दोनों का रस निकल-२ कर नीचे गिरने लगा, जिसे वो अपने हाथो से इकठ्ठा करके अपने मुंह में भरने लगी..फिर उसने सभी के लंड चुसे और उन्हें साफ़ सुथरा करके चमका दिया.
विशाल और सन्नी का तो जैसे जन्म सफल हो गया था.
वो दोनों थोड़ी देर तक बैठे रहे और फिर कपडे पहन कर वापिस अपने-२ घर चले गए..अगले दिन आने का वादा करके..
ऋतू भी इस ठुकाई से बुरी तरह से थक चुकी थी, उसे उठने में भी आलस आ रहा था.. मैंने टाइम देखा तो 6 बजने वाले थे, यानी पापा के आने का टाइम हो चुका था.
थोड़ी ही देर में बेल बजी और नीचे से पापा की आवाज आई, वो सोनी से मम्मी और हम दोनों के बारे में पूछ रहे थे,
सोनी ने बताया की मम्मी तो अपनी सहेली के घर गयी है और हम दोनों ऊपर है, फिर पापा के ऊपर आने की आवाज आई, मैंने और ऋतू ने अपने नंगे शरीर के ढकने की कोई कोशिश नहीं की...
पापा : "हाय...बच्चो...ओहो...यहाँ तो मस्ती चल रही है...गुड है."
ऋतू : "हाय पापा...गुड इवनिंग..आओ न....मैं आपकी थकान उतार दूं..."
ऋतू ने सेक्सी लहजे में पापा को चुदाई का निमंत्रण दिया, ये साली ऋतू भी न...अभी-२ उसने तीन लंड लिए हैं और फिर से पापा से चुदाई करवाने को तैयार हो गयी...कमाल है ये..
पापा : "नहीं ...ऋतू..अभी नहीं, मैंने और मम्मी ने अभी एक पार्टी में जाना है, और तुम भी अब अपना ये तरीका, यानी एक दुसरे के साथ कमरे में नंगे, कभी भी चुदाई करने का, बदल लो कुछ दिनों के लिए...
तुम्हे याद है न..कल तुम्हारे दादाजी आ रहे हैं...वो घर में कैसे कपडे पहने या कैसे रहे इन सब में काफी स्ट्रिक्ट हैं...तुम्हे पता तो है..तुम्हारी मम्मी को भी उनके सामने अपने सर को हमेशा पल्लू या चुन्नी से ढक कर रहना पड़ता ,
वो थोड़े पुराने विचारों के हैं...और हम लोग तो आजकल की दुनिया से भी काफी आगे निकल चुके हैं...जो उनकी समझ से बाहर हैं..मैं नहीं चाहता की जब तक वो यहाँ रहे उन्हें हमारे बारे में किसी भी तरह का शक हो..
उनके जाने के बाद तो फिर से तुम जो चाहे, जब चाहे, किसी के साथ भी चुदाई कर सकते हो..पर जब तक वो हैं, तब तक नहीं...समझ गए न.."
मैं और ऋतू एक साथ बोले : "जी पापा...समझ गए"
और फिर पापा नीचे चले गए.
ऋतू (नाराजगी भरे स्वर में ) " ये क्या भैय्या...दादाजी तो मुझे सबसे अच्छे लगते हैं, और उनके आने पर मैं सबसे ज्यादा खुश थी, पर मैंने ये तो बिलकुल नहीं सोचा था की उनके आने के बाद मेरी चूत प्यासी ही रह जायेगी, तुम तो जानते हो की मैं आपसे चुदे बिना एक दिन भी नहीं रह सकती, पापा का लंड लेने में भी कितना मजा आता है और आज तो विशाल और सन्नी ने भी ऐसा मजा दिया की मैं तो सोच रही थी की अपनी सहेलियों को भी बुला कर अपने घर में एक दिन सभी मिलकर एक साथ चुदाई का प्रोग्राम बनाते हैं...
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12-13-2020, 03:00 PM,
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पर ये दादाजी के आने से तो सब गड़बड़ हो जाएगा..कुछ करो न...भैय्या...मैं आपसे चुदे बिना नहीं रह सकती...प्लीस.."
मुझे उसकी इस हालत पर बड़ी दया आ रही थी..
मैं : "तू फिकर मत कर ऋतू..मैं कुछ सोचता हूँ..."
और मैं सोचने लगा की दादाजी से कैसे निपटा जाए...पर मुझे उस वक़्त कुछ सूझ नहीं रहा था, क्योंकि दादाजी सही में काफी स्ट्रिक्ट थे इन सब बातों में, मुझे याद है एक बार, जब मैं और ऋतू एक दुसरे को पकड़ने के लिए घर में भाग रहे थे और मैंने जब ऋतू को पकड़कर उसे सोफे पर गिरा दिया था और उसके पेट में गुदगुदी करने लगा तो दादाजी ने देख लिया था और उन्होंने मुझे ऐसा करने पर काफी डांटा था और कहा था की अब ऋतू बड़ी हो रही है...मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए...भाई बहन को ऐसा करना शोभा नहीं देता..वगेरह - २ ...
चलो जो होगा देखा जाएगा..
मैं और ऋतू उठे और कपडे पहन कर नीचे आ गए, मम्मी भी आ चुकी थी तब तक, पापा उन्हें भी दादाजी के बारे में बता रहे थे, मम्मी भी ये सोचकर की उनकी तरह-२ की चुदाई अब बंद हो जायेगी, काफी परेशान सी लग रही थी..
अब मैं आपको अपने दादाजी के बारे में बताता हूँ
उनकी उम्र लगभग 62 साल है, और वो अभी भी अपने खेतों में हल चलाना , ट्रेक्टर चलाना इत्यादि खुद ही करते हैं, जिसकी वजह से उनका शरीर काफी बलिष्ट है और उम्र भी काफी कम लगती है,
वो पापा के बड़े भाई जैसे लगते हैं, ना की उनके पिता की तरह, वो शुरू से ही बड़े अनुशासन में रहने वाले रहे हैं, गांधी के नियमो का पालन करने वाले.,
दादी का देहांत दस साल पहले हो चूका था, और वो अकेले रहते थे गाँव में, पर उन्होंने कभी भी दूसरी शादी करने की बात सोची भी नहीं, कई लोगो ने उन्हें ये राय दी पर उन्होंने ये कहकर की उनके जीवन में सिर्फ एक ही औरत थी जिसे उन्होंने प्यार किया है और वो थी उनकी पत्नी, उसके अलावा वो किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकते...
जब खेती का टाइम नहीं होता था तो वो कुछ समय अपने दोनों बेटो यांनी हमारे या राकेश अंकल के घर पर जाकर गुजारते थे..और इस बार उन्होंने हमारे घर पर आने की सोची थी जिसे लेकर सभी लोग परेशान से लग रहे थे,
हम सभी को उनके आने की बड़ी ख़ुशी थी पर अपने जीवन में आये इस नयी तरह की आजादी, जिसमे हम कभी भी किसी की भी चूत मार लेते थे, उसके खोने का डर था. और आप तो जानते हैं की एक बार चुदाई की आदत लग जाए तो उसे बदलना कितना मुश्किल है..
मतलब कुल मिला कर हमें उनके सामने अपने इस नए खुलेपन को छुपाना होगा और एक दुसरे से चुदाई को थोड़े दिनों तक के लिए भुलाना होगा.. सभी की बाते सुनकर सोनी का तो रोना ही फूट गया, उस बेचारी की चूत की अभी तो ढंग से ठुकाई भी नहीं हुई थी और अब ये करफ्यू .... वो अपनी किस्मत को मन ही मन कोस रही थी और साथ ही साथ अन्नू को भी, उसकी ही नजर लगी थी उसकी ताजा चुदी चूत को..
मम्मी और पापा तैयार होकर पार्टी में चले गए, उनके जाते ही सोनी रोती हुई मेरे पास आई और बोली "बाबु...ये क्या...मेरी चूत की खुजली तो अभी तक पूरी तरह से मिटी भी नहीं है और अब ये तुम्हारे दादाजी आ रहे हैं...
मैं क्या करुँगी..मुझे तो ये सोचकर ही कुछ हो रहा है की आपसे बिना चुदे मैं अपने दिन कैसे निकलूंगी...कितना मजा आ रहा था..और अब आपके दादाजी आ जायंगे कल तो सब बंद..मुझे नहीं पता...आप कुछ करो..."
पहले ऋतू और अब सोनी...दोनों मुझे कुछ करने को उकसा रही थी, पीछे खड़ी हुई अन्नू की सूरत भी देखने लायक थी…
वो वैसे तो अपनी चूत में कई लंड ले चुकी थी पर जब से हमारे घर के लंड लेने शुरू किये थे उसने भी अपने मोहल्ले को लोंडो को भाव देना बंद कर दिया था,...मतलब अब उसकी चुदाई यहाँ नहीं हुई तो वो ना घर की रहेगी न घाट की..
सभी के चेहरे लटके हुए थे, और मुझे मालुम था की उन लटके हुए चेहरों को कैसे खिले हुए चेहरों में बदला जा सकता है..मैंने अपनी जींस नीचे गिरा दी और अपना अन्डरविअर भी... और उनके चेहरों के सामने मेरा लंड चमकता हुआ दिखाई देने लगा..और जैसा मैंने कहा था, उनके चेहरे एक दम से खिल उठे, क्योंकि उन्हें मालुम था की दादाजी के आने से पहले सिर्फ आज का ही दिन है उनके पास जिसमे वो खुल कर चुद सकती हैं...
सोनी ने अपनी चोली उतार डाली...और नीचे उसने विशाल और सन्नी के द्वारा लायी गयी नयी ब्रा पहनी हुई थी, पर उसके मोटे मुम्मे उनके द्वारा लायी गयी ब्रा में ठीक से समां नहीं पा रहे थे, नाप तो शायद उन्होंने ठीक ही लिया था अपनी हथेलियों से उसके मुम्मो का...पर पता नहीं क्यों, तंग निकली ये निगोड़ी ब्रा उसकी...
मैंने उसे भरोसा दिलाया की मैं उसके लिए नयी ब्रा मंगवा दूंगा..वो खुश हो गयी और फिर जब उसने नीचे अपना घाघरा उतार कर , ब्लेक पेंटी में फंसी हुई, अपनी मांसल गांड दिखाई तो उसे देखकर मेरे मुंह में तो पानी आ गया, वो ज्यादा टाईट होने की वजह से उसे काफी सेक्सी लुक दे रही थी, मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसके सेक्सी कुल्हों को मसलते हुए उसके होंठों का रस पीना शुरू कर दिया,
अन्नू ने भी अपने कपडे उतार दिए थे, और वो नंगी होकर मेरी टांगो के बीच जगह बनाकर बैठ गयी और मेरे खड़े हुए लंड को चूसकर उसे चुदाई के लिए तैयार करने लगी..
ऋतू तो अभी-२ चुद कर आई थी पर लंड को देखते ही ना जाने उसकी चूत में क्या खुजली होने लगती है, वो भी नंगी होकर उन दोनों के साथ मेरे लंड के मजे लेने को तैयार हो गयी,
शायद वो ये भी सोच रही थी की ना जाने अगली बार कब चुदाई करने को मिले, इसलिए वो आज, ज्यादा से ज्यादा बार चुद कर अपना कोटा पूरा करना चाहती थी, पर वो बेचारी ये नहीं जानती थी की चूत को तो हर दिन लंड चाहिए..
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