Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:07 PM,
#43
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


स्नेहा, पोलीस को देख कर थोड़ी डर गयी, पर मनु उससे आँख दिखाता कहने लगा.... "चल ले चल, कहाँ ले चल रहा है.... मैं भी तो तेरी औकात देखूं थुल्ले"

पोलीस वाला.... आए लड़की ये साइको है क्या, एसपी और थुल्ले मे इसे कोई फ़र्क नही पता...

स्नेहा.... सर मैं इनके तरफ से माफी मांगती हूँ. शराब ज़्यादा पीने से इनका मानसिक संतुलन लगता है बिगड़ गया है, अनाप-शनाप बक रहे हैं. सर, मैं इन्हे अच्छे से जानती हूँ, इन्होने कुछ नही किया, आप को किसी ने कोई रॉंग इन्फर्मेशन दी है.

पोलीस वाला.... तू बड़ी वकालत कर रही है इसकी, इसके बदले क्या तू जाएगी जैल बोल.

मनु.... जा बे, इसे यहाँ से ले जा कर तो बता, एक रेपटा दूँगा कि सारे होश ठिकाने आ जाएँगे. थाने मे क्या सारे इनस्पेक्टर और थुल्ले मार गये, जो एसपी हो कर खुद आया है मुझे आरेस्ट करने...

स्नेहा.... सर, एक्सट्रीमली सॉरी.... मनु पागल हो गये हो क्या, कोई ऐसे पोलीस वाले से बात करता है...

पोलीस वाला.... इसकी तो, मुझे चॅलेंज करता है.... (इतना कह कर एसपी ने स्नेहा के हाथ मे हथकड़ी लगा दिया) ... अब तो यही लड़की जैल जाएगी. सेक्स रॅकेट का ऐसा केस लगाउन्गा कि थाने और कोर्ट के बीच सारी जिंदगी पिस जाएगी.

स्नेहा.... सर मुझे क्यों आरेस्ट कर रहे हो.... मनु... देखो ये मुझे ले जा रहे हैं.....

मनु.... हां तो जाओ, थोड़ा जैल भी घूम कर आओ. ठीक है एसपी साहब ईगो की लड़ाई मे आप जीते. ले जाओ इसे, पर जाओ जल्दी यहाँ से मुझे बैठ कर शराब पीना है.

स्नेहा, मनु की बात सुन कर उस पर गुस्से से बरस पड़ी. दो लाइन मनु को सुनाती, और एक बार एसपी से मिन्नते करती कि वो उसे छोड़ दे. स्नेहा नोन-स्टॉप 5मिनट तक लगातार दोनो से कहती ही रह गयी... दोनो के तो कान बजने लगे....

मनु..... स्टॉप्प्प्प... ओये नौटंकी छोड़ उसे, वरना तेरे ड्रामे के चक्कर मे ये हम दोनो को बहरा कर देगी.

पोलीस वाला ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा. उसके साथ मनु भी हँसने लगा. स्नेहा को सारा खेल समझ मे आ गया. वो चिढ़ गयी, और चिल्ला-चिल्ला कर पूरा घर आसमान पर उठा ली. मनु उसे शांत करते हुए कहने लगा....

"इस कामीने से मिलो स्नेहा, ये है अपना दोस्त अखिल. लगता है ताज़ा-ताज़ा एसपी बना है. और अखिल ये हैं मेरी दोस्त, मेरी बॉस, और मेरे बिज़्नेस को देखने वाली, दा स्ट्रॉंग लेडी स्नेहा".

अखिल.... स्नेहा, ज़रा सा स्नेह हम पर भी कर दो. तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की का स्नेह मिल जाए तो ज़िंदगी बन जाए.

मनु..... कर दिया फ्लर्टिंग शुरू... और बता कब आया, और ऐसे सब को डरा कर आने की क्या ज़रूरत थी....

अखिल..... थोड़ी सी शरारत समझ ले. वैसे भी ऐसे रेस्पॉन्सिबल पोस्ट पर आया हूँ कि यार इस वर्दी के साथ हमारा हसना भी एक इश्यू बन जाता है.... खैर मिलने आया था मिल लिया अब मैं चलता हूँ.

मनु.... बैठ ना तू भी कहाँ जा रहा है, दो चार पॅक मार कर जाना.

दो चार पॅक के नाम सुनते ही, स्नेहा की आँखें बड़ी हो गयी...... "लो जी आप की बॉस आखें दिखाने लगी, सूभ रात्रि... मैं तो चला, आते जाते रहूँगा"

अखिल के जाते ही स्नेहा, मनु को आखें दिखाती पुच्छने लगी..... "मनु, ये सब क्या हो रहा था"

मनु.... कुछ नही स्नेहा, कुछ बातें नासूर हो कर चुभती है. उसी का दर्द मिटा रहा था.

स्नेहा.... तो उन्हे सुना कर आओ ना मनु जिन्होने तुम से कहा, यूँ खुद को सज़ा क्यों देते हो.

मनु.... क्या करूँ फिर दर्द-ए-गुम भुलाने के लिए....

स्नेहा...... दर्द भुलाने के लिए मस्ती करो मनु.... हसीन शाम है, और तुम हो की सुस्त पड़े हो...

मनु.... अच्छा जी, तो मेडम मूड से आई हैं....

स्नेहा..... उफफफ्फ़ जालिम मूड तो हमेशा बना रहता है, पर कोई ध्यान दे तो ना....

मनु.... श्रमण को बोल दूं ध्यान देने के लिए...

स्नेहा.... मार डालूंगी जो दोबारा ऐसा कहा तो, तुम ने समझ क्या लिया है मुझे... हुहह ! गो टू हेल... मैं जा रही हूँ, आज के बाद अपनी शकल तक नही दिखाउंगी....

मनु.... आररीए ... आररीए ... आररीईए तुम तो खफा हो गयी.... सूओ सॉरी बाबा ... मज़ाक कर रहा था...

स्नेहा.... ऐसा भी कोई मज़ाक करता है क्या मनु, मुझे बहुत बुरा लगा.....

"बुरा लगा तो अभी अच्छा कर देते हैं मेडम का मूड" .... इतना कहते हुए मनु ने स्नेहा को पिछे से पकड़ लिया और उसे गर्दन पर किस करने लगा.....

स्नेहा.... ह्म ! ऐसे ही तो मेरा मूड अच्छा हो जाएगा....

मनु.... नही स्नेहा, मैं क्या जानता नही तुम मेरे लिए आई हो. आज मुझे सेक्स पार्ट्नर की नही एक दोस्त की ज़रूरत है....

स्नेहा.... हा हा हा.... मतलब तुम्हे पता था, कि मैं तुम्हारे अपसेट होने की वजह से आई हूँ. वैसे सोच लो, यहाँ आना तो सिर्फ़ एक बहाना भी हो सकता है.

मनु.... हा हा हा, अच्छा है. लेकिन आज नही कुछ भी. आज तुम यदि मेरे लिए आई हो तो मुझे बातें करो ना प्लीज़. मेरा मन ज़रा भी नही लग रहा...

स्नेहा.... ठीक है मनु सर जैसा आप कहें. उस श्रमण को भी बुला लीजिए, उसे भी आप की बहुत चिंता थी. वैसे भी, खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे तीन यार.

फिर क्या था तीनो की महफ़िल जमने लगी, हाइ टारगेट श्रमण ही था, जिसे जिया के नाम पर स्नेहा और मनु दोनो छेड़ रहे थे.
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए ) - by desiaks - 11-17-2020, 12:07 PM

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