RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अगली ट्रेन एक घंटे बाद थी….कुछ मुसाफिर तो अगली ट्रेन के टिकेट पहले से ही ले चुके थे….राज चेर पर बैठा-2 कल की तरह रुक्मणी और औराधा की बातों को सुनने लगा…..कंट्रोल रूम में पीछे की तरफ बाथरूम थे……जिनमे एक लॅडीस था और एक जेंट्स….तभी अनीता उठ कर बाथरूम की तरफ गयी….तो वो राज के पीछे से गुज़री…..राज की जैसे ही नज़र साड़ी में क़ैद अनीता की गान्ड पर पड़ी….राज का लंड तुनक उठा…..और उसका लंड पाजामे में कुलाँचे भरने लगा…..राज ने जो प्लान सोचा था….अब उसको काम में लाने का टाइम आ गया था….”आहह कैसे दिखती होगी अनीता की गान्ड कितनी मोटी है साली के एक बार मिल जाए तो आह….” ये सोचते हुए राज का लंड पूरी औकात में आ गया…..
राज के लंड ने उसके पाजामे में तन कर तंबू सा बना दिया….जो बाहर से देखने से सॉफ पता चल रहा था….थोड़ी देर बाद अनीता के कदमो की आवाज़ आई…..राज अपनी पीठ पीछे टिका कर चेर पर लेट सा गया….और अपने पायजामे के ऊपेर से अपने लंड को जड से पकड़ लिया….ताकि वो ज़्यादा से ज़्यादा बड़ा दिख सके….उसने अपनी आँखें बंद कर ली, और वोही हुआ जो राज चाहता था….जब अनीता वापिस आई, और राज के पीछे से गुजरने लगी, तो उसकी नज़र राज पर पड़ी…जो अपने हाथ से अपने लंड को पाजामे के ऊपेर से पकड़े हुए था….अनीता एक दम धीरे-2 चलाने लगी…..और राज के लंड का मुयायना करने लगी….
पर वो रुक नही सकती थी….वो वापिस अपने टेबल पर आए और चेर पर बैठ कर सोचने लगी. थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने रुक्मणी को धीरे से बुलाया, और अपने पास आने को कहा.. रुक्मणी उठी, और चेर खिसका कर अनीता के पास करके बैठ गयी….
अनीता: (एक बार इधर उधर देख कर) अये रुक्मणी वो देख लगता है, आज राज हीरो का लंड उसे तंग कर रहा है….देख साला कैसे अपने लंड को पकड़ कर बैठा है….
रुक्मणी: तुमने देखा उसे अपना पकड़े हुए….?
अनीता: हां अभी देखा है…..ये देख तो सही….
रुक्मणी उठी, और बाथरूम की तरफ जाने लगी…..जब वो राज के पीछे से गुज़री, तो उसने पलट कर तिरछी नज़रों से राज की तरफ देखा, जो अभी भी अपने आँखे बंद किए हुए, लेटा हुआ था….राज ने अभी भी अपने लंड को हाथ में पाजामे के ऊपेर से थाम रखा था….रुक्मणी अच्छे से तो नही देख पे…..पर वो बाथरूम में चली गयी…रुक्मणी के जाने के बाद, राज उठा और बाथरूम की तरफ चला गया….वो बाथरूम में घुसा, और जान बूझ कर कुछ आहह अह्ह्ह की आवाज़ की, और अपने पाजामे को नीचे सरका दिया….
राज ने अपने बाथरूम का डोर थोड़ा सा खोल रखा था….और दीवार की तरफ देखते हुए, अपने लंड को हाथ से सहलाने लगा….रुक्मणी उससे अगले बाथरूम में बैठी हुई राज की आवाज़ सुन कर चोंक गयी….वो बाथरूम से बाहर आई तो उसने देखा कि साथ वाले जेंट्स बाथरूम का डोर हलका सा खुला हुआ था….अंदर लाइट जल रही थी…..जिससे अंदर का नज़ारा सॉफ दिखाई दे रहा था…..रुक्मणी धीरे से थोड़ा आगे बढ़ी….और दीवार से सटते हुए अंदर झाँका…..उसके हाथों मे पहनी हुई चूड़ियों की आवाज़ ने उसकी मौजूदगी से राज को आगाह करवा दिया…..राज ने अपने लंड को जड से पकड़ कर दबाया, और उसका लंड और लंबा हो गया…..जैसे ही रुक्मणी ने अंदर देखा तो उसका केलज़ा मुँह को आ गया…..
अंदर राज अपने मुनसल जैसे लंड को हिला रहा था…..राज के लंड की लंबाई और मोटाई देख कर रुक्मणी की गान्ड का छेद फुदकने लगा….बुर कुलबुलाने लगी…..राज ने थोड़ी देर अपने लंड का दीदार रुक्मणी को करवाया, और अपना पाजामा ऊपेर करने लगा…. रुक्मणी जल्दी से वापिस आ गयी…..और अनीता के पासकर बैठ गयी….उसकी साँसे उखड़ी हुई थी. और आँखो में जैसे वासना का नशा भरा हो…..”क्या हुआ रुक्मणी…तेरी साँस क्यों फूली है….” अनीता ने रुक्मणी के लाल चेहरे और उखड़ी हुई सांसो को देख कर पूछा….”पूछ मत यार, क्या लौडा है साले अपने हीरो का…..बाप रे बाद इतना बड़ा और मुनसल जैसा लंड साला जैसे गधे का लंड हो….”
अनीता: क्या बोल रही है तू…..?
रुक्मणी: सच कर रही हूँ अनु……तू अगर एक बार देख लेती, तेरी बुर की धुनकि बजने लगती….साले का ये लंबा लंड है….(रुक्मणी ने हाथ से इशारा करते हुए दिखाया…) और इतना मोटा….मेने तो इतना मोटा लंड कभी नही देखा…
अनीता: सच कह रही है तू ?
रुक्मणी: हां सच में तेरी इस मोटी गान्ड की कसम….
अनीता: चुप कर रंडी साली जब देखती हूँ….मेरी गान्ड के पीछे ही पड़ी रहती है.
रुक्मणी: तो क्या बोलती है…..साले चिकने को फँसाया जाए…..
अनीता: नही रुक्मणी ये ठीक नही……देख वो हमारे साथ जॉब करता है….जवान खून है अगर साले ने बाहर किसी के सामने कुछ बक दिया तो ख़ामाखाँ बदनामी हो जाएगी…
रुक्मणी: अर्रे यार कुछ नही होता साले को सॉफ -2 बोल देंगे मज़ा लो और अपना -2 रास्ता नापो. और तू तो है ही समझदार….यार पटा ना उसे….
अनीता: अच्छा -2 देखती हूँ…पहले ये तो पता चले साले का लौडा बुर और गान्ड मारने के लिए उतावला है भी या नही….
रुक्मणी: यार कुछ भी कर पर जल्दी कर…..मेरी बुर और गान्ड दोनो छेद में खुजली हो रही है….जब से उसका लंड देखा है…..
अनीता: अच्छा तू बैठ अपनी टेबल पर जाकर….देखती हूँ कि, अपना चिकना हाथ आने वाला है कि नही….
रुक्मणी अपने टेबल पर जाकर बैठ गयी….और अनीता उठ कर राज के पास गयी…और राज के पास जाकर चेर पर बैठते हुए बोली…..”और राज बाबू कैसे हो…..क्या बात है आज बड़े फॉर्मल कपड़ो में जॉब पर चले आए…..”
राज: वो बस ऐसे आज तबियत थोड़ी खराब थी…..नहाने और तैयार होने का मन नही किया, तो ऐसे ही चला आया…..
अनीता: ( थोड़ा सा झुक कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर क़ैद दोनो तरबूजों के बीच की घाटी के दर्शन करवाती हुई) उफ्फ ये गरमी भी ना…..और कहाँ पर रह रहे हो……
राज: ये वो जो अपने यहाँ काम करता है ना अंजुम उसी के घर पर किराए पर रह रहा हूँ.
अनीता: अच्छा कितना किराया ले रहा है वो तुमसे….
राज: ये खाने का मिला कर 4000 रुपये दे रहा हूँ…..
अनीता: ये तो बहुत ज़्यादा है….पहले बताया होता तो तुम्हे रुक्मणी के घर मे रूम दिलवा देती…..उसका इतना बड़ा घर है….और रहने वाले सिर्फ़ दो जने है बेटा उनका बाहर देल्ही में पढ़ रहा है…..
राज: कोई बात नही में ठीक हूँ….
अनीता: और कभी हमारे साथ भी बैठ कर बातें वाते कर लिया करो…..यूँ अकेले बैठे-2 बोर नही हो जाते……
राज: जी ज़रूर….में सोचता था कि शायद आप दोनो को बुरा ना लगे कि में आपके साथ ही चिपका रहता हूँ……
अनीता: अर्रे चिपकने को थोड़ा ही बोला है…बातें करने को कह रही हूँ…..
|