RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
सर मुझसे बोले "तेरी रचना झड़ .... गयी है इसलिये अब ..... हालत खराब है उसकी .....पर तेरे सर नहीं मानेंगे .... अब तो मुझे खास मजा आ रहा हें ..... आखिर बुर ....ऐसे ... रोज रोज ... थोड़े मिलती है चोदने को ...."
सर ने एक मिनिट के लिये चुदाई रोक दी. "इत्ते में खलास हो गयी तू रचना ? "रचना लंबी लंबी सांसें लेती हुई संभलने की कोशिश करने लगी. हंसते हुए सर उसके गाल चूमते रहै, फ़िर अचानक फ़िर से रचना के होंठों को अपने मुंह में पकड़ा और शुरू हो गये. अब वे पूरी ताकत से चोद रहै थे. उनका पूरा लंड रचना की बुर में अंदर बाहर हो रहा था.
रचना छटपटाने लगी. बहुत छूटने की कोशिश की पर सर के आगे उसकी क्या चलने वाली थी. सर अब कस के धक्के लगा रहै थे, बिना किसी परवाह के कि उनके नीचे कोई चुदैल रंडी नहीं बल्कि मेरी नाजुक बहना थी.
सर अब ऐसे कसके रचना की धुनाई कर रहै थे कि देख देख कर मुझे ही डर लग रहा था कि रचना को कुछ हो न जाये. अचानक रचना ने आंखें बंद कर लीं और लस्त हो गयी, छटपटाना भी बंद हो गया.
"बेहोश हो गयी शायद, बेचारी की पहली बार है, बुर ने जवाब दे ही दिया आखिर बेचारी की, आखिर ऐसे सोंटे के आगे उसकी क्या चलती, इसने तो बड़ों बड़ों को खलास कर दिया है, ये बच्ची किस खेत की मूली है" सर ने बड़े गर्व से कहा.
सर हांफ़ते हुए बोले "अभी नहीं ... अब .. आयेगा मजा .... लगता है कि किसी .... रबड़ की .... गुड़िया को .... चोद रहा हूं ... ... ऐसे किसी बेहोश बदन को .... कचरने में .... क्या आनंद .... आता .... है ... इसे भी मजा .... आ रहा होगा ....बेहोशी में भी .... नंबर एक की .... चुदैल कन्या .... है ये ..."
दो मिनिट बाद सर भी कस के चिल्लाये और झड़ गये. फ़िर रचना के बदन पर पड़े पड़े जोर जोर की सांसें भरते हुए लस्त पड़कर आराम करने लगे.
पांच मिनिट बाद मैं और सर दोनों उठ बैठे. सर ने उठकर मेरा लंड चाटा और फ़िर रचना की बुर में मुंह डाल दिया. लपालप उनकी बुर से बहते वीर्य और पानी का भोग लगाने लगे. बीच में मेरी ओर मुड़कर बोले "बैठा क्यों है रे मूरख? भोग नहीं लगाना है? अरे इस प्रसाद से स्वादिष्ट और कुछ नहीं है इस दुनिया में. चल, घुस जा अपनी बहन की टांगों में"
. मैंने सर का झड़ा लंड मुंह में लिया और चूस डाला. रचना की बुर के पानी और उनके वीर्य का मिला जुला स्वाद था. फ़िर रचना की बुर अपनी जीभ से साफ़ करने में लग गया.अब पाल सर ने मेरी और देखा
मुझे बिस्तर पर सुला कर मेरा झड़ा लंड सर ने प्यार से मुंह में लिया और चूसने लगे. एक हाथ बढ़ाकर उन्होंने थोड़ा नारियल तेल अपनी उंगली पर लिया और मेरे गुदा पर चुपड़ा. फ़िर मेरा लंड चूसते हुए धीरे से अपनी उंगली मेरी गांड में आधी डाल दी.
"ओह ... ओह .." मेरे मुंह से निकला.
"क्या हुआ, दुखता है?" सर ने पूछा.
"हां सर ... कैसा तो भी होता है"
"इसका मतलब है कि दुखने के साथ मजा भी आता है, है ना? यही तो मैं सिखाना चाहता हूं अब तुझे. गांड का मजा लेना हो तो थोड़ा दर्द भी सहना सीख ले" कहकर सर ने पूरी उंगली मेरी गांड में उतार दी और हौले हौले घुमाने लगे. पहले दर्द हुआ पर फ़िर मजा आने लगा. लंड को भी अजीब सा जोश आ गया और वो खड़ा हो गया. सर उसे फ़िर से बड़े प्यार से चूमने और चूसने लगे "देखा? तू कुछ भी कहै या नखरे करे, तेरे लंड ने तो कह दिया कि उसे क्या लुत्फ़ आ रहा है"
पांच मिनिट सर मेरी गांड में उंगली करते रहै और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुंह चोदने की कोशिश करने लगा.
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