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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
मैंने टिफिन जमीन पे रखा तो वो टिफिन लेकर लिफ्ट की राह देखे बगैर सीढ़ियों से ही उतर गया। घड़ी में 1:30 बज चुके थे पर रामू अभी तक नहीं आया था। कल मैंने कान्ता की बात सुनकर निश्चय कर लिया था की मैं किसी भी तरह रामू को समझाकर उसके साथ भेज देंगी। पर उसके पहले मैं अंतिम बार रामू से सेक्स करना। चाहती थी। 10-15 मिनट और हो गई, रामू नहीं आया। तभी मुझे खयाल आया की घर का सारा काम तो बाकी है, रामू के आने बाद काम में ही और आधा घंटा लेट हो जाएगा। तब मैं किचन में गई और बर्तन धोने लगी, सारे बर्तन धोकर बाहर आई पर रामू अभी तक नहीं आया था। मैं झाडू लगाकर पोंछा करके पानी बाथरूम में डाल ही रही थी तभी रामू आ गया।
मैं- “कहां थे इतनी देर?” मैंने पूछा।
रामू- “महेश साहब आज भी आने को बोल रहे थे, मैंने ना बोल दिया...” रामू ने कहा।
मैं- “अच्छा किया, वो दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ..." कहकर मैं बेडरूम में चली गई और एसी ओन कर दिया तब तक रामू आ गया।
रामू- “मेमसाब आज की पगार काट लेना...” रामू ने हँसते हुये कहा।
मैं- “काटूगी नहीं, अभी वसूल कर लूंगी..” कहते हुये मैं मुश्कुराई।
रामू ने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया और मेरी गर्दन पे चुंबन करने लगा। बीच-बीच में मेरे होंठों को। उसके होंठों से छू लेता था।
थोड़ी देर बाद मैंने रामू के होंठों पे मेरे होंठ रगड़ते हुये कहा- “मेरी जगह तुम आ जाओ..."
अब रामू दीवार से सटकर खड़ा था और उसकी जगह मैं। मैंने उसकी बनियान को पकड़ा और अलग-अलग दिशा में खींचकर बनियान को फाड़ दिया। अब मेरी निगाहों के सामने रामू का काला सीना था। मैंने उसके दोनों काले
निप्पलों का बारी-बारी चुंबन किया, और फिर झुकती हुई जमीन पर बैठ गई।
मैंने उसकी चड्डी में उंगलियां हँसाई और एक ही झटके में रामू को जनमजात नंगा कर दिया। मैं पहली बार इतनी नजदीक से रामू के लण्ड को देख रही थी।
सच कहूँ तो अब तक जितनी बार भी देखा है उतनी बार अलाप-जलाप ही देखा है। पर आज मैं इतनी नजदीक थी की उसका रंग, गंध और साइज महसूस भी कर सकती थी और ध्यान से देख भी सकती थी। रामू जितना काला था उससे भी उसके लण्ड का रंग ज्यादा काला था, और गंध तो हर मर्द के लण्ड से आती ही है, पेशाब और पसीने की बदबू, किसी में कम तो किसी में ज्यादा। रामू के लण्ड की साइज देखकर मेरे मुँह से निकल गया- “महाराजा...” जो रामू ने सुन लिया।
रामू- “मेमसाब, अपुन के लण्ड को महाराजा क्यों बोली आप?” रामू ने पूछा।
मैं- “पहले के जमाने में सबसे बड़े राजा को महाराजा बोलते थे इसलिए..” मैंने कहा।
रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।
मैं- “चुप...” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।
रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।
मैं- “चुप...” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।
रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।
मैंने मुँह खोला और रामू के लण्ड को सुपाड़े तक मुँह में लिया और थोड़ी देर कुल्फी की तरह सुपाड़े को चूसती रही, और फिर मुंह से निकालकर मैंने उसके लण्ड के पीछे के भाग को मुठ्ठी में जकड़कर जोर से दबाया, जिससे रामू के मुँह से आऽs निकल गई।
मैं- “कभी बाल निकालते हो की नहीं?” मेरे हाथ में उसके बाल चुभ रहे थे।
रामू- “कल निकालकर आऊँगा...” रामू ने कहा। वो जानता नहीं था की अब हमारा कल कभी आने वाला नहीं था।
मैंने उसके लण्ड को पीछे से मुठ्ठी में जकड़ा हुवा था, इसलिए उसका लण्ड आधा ही दिख रहा था। मैंने मेरी जीभ निकालकर उसके आधे लण्ड को चाटना चालू किया। मैंने ऊपर, नीचे, आजू, बाजू चौतरफा से लण्ड को चाट-चाट के गीला कर दिया। हर बार रामू के मुँह से सिसकारी निकलती थी और लण्ड झटके मारता था। फिर मैंने मेरी मुठ्ठी की गिरफ्त से रामू के लण्ड को आजाद किया और फिर आगे से दो उंगली से पकड़कर ऊपर किया। इस बार मैंने उसे पीछे की तरफ चाटना चालू किया। पीछे की तरफ से चाटने से उसके लण्ड के बाल मेरे मुँह पर चुभ रहे थे। फिर से मैंने लण्ड को चौतरफा से चाटकार गीला कर दिया, अब रामू का लण्ड पूरी तरह से गीला हो गया था।
मैंने अब रामू के लण्ड को छोड़ दिया और मुँह में लेकर चूसने लगी। उसका लण्ड इतना बड़ा था की मैं उसे कभी भी पूरा मुँह में नहीं ले सकती थी। जितना ले सकती थी उतना अंदर लेकर बाहर निकालती थी।
धीरे-धीरे रामू के सिर पे उत्तेजना उस कदर चढ़ने लगी की वो मेरा मुँह पकड़कर अपना लण्ड ज्यादा से ज्यादा अंदर तक डालने की कोशिश करने लगा। वो जिस तरह से मेरा मुँह चोदने लगा था, उससे मेरे मुँह में दर्द होने लगा था, मेरी आँखों में पानी आने लगा था, और मुँह में से ‘गों-गों की आवाज आने लगी थी।
रामू के मुँह से सिसकारियां फूटनी शुरू हो गई थीं। धीरे-धीरे रामू का लण्ड ज्यादा से ज्यादा सख़्त होता जा रहा था। वो बीच-बीच में कभी कभार मेरे बाल भी खींच लेता था। अब मुझे लगने लगा था की रामू किसी भी वक़्त झड़ सकता है और थोड़ी ही देर में मेरा अंदाजा सही निकला।
रामू- “मेमसाब, मेरा निकलने वाला है...” कहते हुये रामू ने अपना पानी छोड़ दिया, जो कुछ मेरे मुँह में तो कुछ मेरे चेहरे पर गिरा।
मैंने उसके लण्ड को मुँह से निकालकर हाथ से पकड़ लिया और मैं हाथ को आगे-पीछे करने लगी। उसके लण्ड से पानी निकलना बंद हुवा तब मैं खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर मुँह अंदर और बाहर से साफ किया। मैं बाहर आई तब रामू जमीन पर अपने मुरझाये लण्ड को पकड़कर बैठा था।
वो देखते हुये मैंने कहा- “रामू अब मैं तुम्हारी पगार वसूल करूंगी, पाँच मिनट के अंदर-अंदर किसी भी तरह तुम्हारे महाराजा को खड़ा करके मुझसे सेक्स करो...”
रामू- “पाँच ही मिनट मेमसाब... इतना जल्दी तो किसी का भी खड़ा नहीं हो सकता...” रामू ने कहा।
मैं- “वो तुम जानो रामू.. पर तुम्हारे पास अब पाँच मिनट ही हैं...” मैंने कहा।
रामू- “ओके मेमसाब, मेरी भी एक शर्त है जो आपको जाने बिना माननी पड़ेगी..." रामू ने कहा।
मैं- “मंजूर है...” मैंने कहा, फिर बाथरूम में जाकर मुँह अंदर और बाहर से धोया और बाहर आई।
रामू उसका मुरझाया लण्ड पकड़कर जमीन पर बैठा था। उसने अभी तक अपनी शर्त नहीं बताई थी। वो शायद ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहता था।
मैं- “जल्दी से शर्त बताओ रामू..” मैंने कहा।
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
मैं जमीन पर सो गई क्योंकि अब पाँच मिनट के लिए रामू जो कहे वोही करना था। मैंने सोचा था की वो शर्त में पैसे मांगेगा या दो बार चोदने दे ना ऐसा कुछ कहेगा। मैं तो यहां मेरी ही बनाई हुई जाल में फस गई थी। ये बात अलग थी की मुझे अब ये जाल सोने की लगने लगी थी।
रामू मेरे उरोजों के पास बैठ गया और कपड़ों के ऊपर से ही मेरे उरोजों को सहलाते हुये बोला- “गाउन को ऊपर करिए मेमसाब..”
मैंने गाउन को थोड़ा ऊपर करके उसके सामने परेशान आँखों से देखा।
रामू- “यहां तक कीजिए.” रामू ने मेरे पेट पर हाथ रखकर कहा।
मैंने गाउन खींचा और गाण्ड उठाकर नाभि तक कर दिया। रामू सरकते हुये लेटने लगा, लेटते हुये उसने उसके मुँह के सामने मेरी चूत आए उसका ध्यान रखा, जिससे हुवा ये की उसका लण्ड मेरे चेहरे के सामने आ गया।
रामू- “मेमसाब, जब आप मेरा लण्ड चूसेंगी तब अपुन आपकी चूत चाटेगा... और ये क्या आपकी चूत में से तो नादियां बह रही हैं..” रामू ने मेरी चूत के दोनों होंठों को अलग-अलग करते हुये कहा।
रामू 69 की बात कर रहा था, पर उसने ये बात घुमा-फिराकर कहा था। उसके लण्ड से इस वक़्त पेशाब की बदबू गायब थी, जिसकी जगह वीर्य की गंध आ रही थी। रामू का लण्ड देखकर मुझे वो कहावत याद आ गई- जिंदा । हाथी लाख का और मरा हुवा हाथी सवा लाख का...” यहां मामला उल्टा था- “खड़ा लण्ड सवा लाख का और मुरझाया लण्ड नहीं किसी काम का...”
तभी मेरे बदन में सनसनाहट सी फैल गई, सारे शरीर में आग लग गई। मैंने नीचे देखा तो रामू ने अपनी जबान मेरी चूत में डाल दी थी। मैं उसके बालों को धीरे से सहलाने लगी।
रामू- "मेमसाब, आप भी मेरा.....”
रामू को मैंने इतना ही बोलने दिया क्योंकि उसने बोलने के लिए चूत से जबान बाहर निकाल दी थी, जो अब मेरे लिए असह्य था तो मैंने उसके सिर को पीछे से धक्का लगाकर मेरी जांघों के बीच ले लिया था।
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
तभी मेरे बदन में सनसनाहट सी फैल गई, सारे शरीर में आग लग गई। मैंने नीचे देखा तो रामू ने अपनी जबान मेरी चूत में डाल दी थी। मैं उसके बालों को धीरे से सहलाने लगी।
रामू- "मेमसाब, आप भी मेरा.....”
रामू को मैंने इतना ही बोलने दिया क्योंकि उसने बोलने के लिए चूत से जबान बाहर निकाल दी थी, जो अब मेरे लिए असह्य था तो मैंने उसके सिर को पीछे से धक्का लगाकर मेरी जांघों के बीच ले लिया था।
मैंने रामू के लण्ड को पकड़ा और सहलाते हुये मैंने उस पर फूक मारी, ये सोचकर की मेरी फूक से रामू का लण्ड खड़ा हो जाय। फिर मैंने मेरे मुँह में ढेर सारा थूक लिया और रामू का लण्ड मुँह में लिया और टाफी की तरह उसे इस तरफ से उस तरफ और उस तरफ से इस तरफ चुभलाया, जिससे रामू का लण्ड अच्छी तरह से साफ हो गया। फिर मैं थूक निगल गई और उसके लण्ड के छेद को जीभ से चाटने लगी। तभी मेरे मुँह से चीत्कार निकलते-निकलते रह गई, लण्ड मुँह में था नहीं तो निकल ही जाती। क्योंकि रामू ने दो उंगलियां मेरी गाण्ड में घुसेड़ दी थीं।।
रामू ने पीछे से उंगलियां इतनी जोर से घुसेड़ी थी की मैं जितनी हो सके उतनी आगे हो गई थी, जिससे रामू की जबान मेरी चूत के अंदर दूसरे मर्दो के लण्ड जितनी अंदर चली गई थी। रामू का लण्ड अभी तक बड़ा नहीं हुवा था, पर सख्त हो गया था जिससे मुझे चूसने में मजा आने लगा था, और मैं अपना मुँह आगे-पीछे करके चूस रही थी। रामू मेरी गाण्ड में उंगली घुसेड़ता था तब मेरी चूत भी आगे होकर उसकी जबान को ज्यादा अंदर ले लेती थी। शुरू में तो रामू धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करता था, पर बाद में उसने स्पीड बढ़ा दी, जिससे पीछे की तरफ दर्द हो रहा था पर आगे की तरफ का मजा भी बढ़ गया।
मेरी नशों में खून लावा की तरह बहने लगा था। मुझे अब रामू के लण्ड को पकड़ने की जरूरत नहीं थी, तो मैंने उसके सिर को पकड़ लिया।
रामू मुझे तीनों तरफ से चोद रहा था। हर रोज जहां उसका लण्ड होता था वहां आज उसकी जबान थी, और जहां उसकी जबान होती थी वहां उसका लण्ड था। मैंने उससे कहा था ना उल्टा-सुल्टा मत करवाना तो उसने मुझसे उल्टा-सुल्टा नहीं करवाया और वो खुद उल्टा कर रहा था। समय के साथ-साथ मेरी मस्ती और रामू का लण्ड । बढ़ते ही जा रहे थे। मुझे अब मंजिल दिखने लगी थी। मैं मेरी टांगों को पीछे की तरफ खींचने लगी थी। रामू का लण्ड अब चूत में लेना हो तो ले सकें, उतना बड़ा हो गया था। मैं उसे मस्ती से चूस रही थी, मेरी टाफी पिघलने की जगह बड़ी होकर कुल्फी बन चुकी थी।मैंने सुना था की वीर्य निकलने के बाद फिर से लण्ड खड़ा करके उससे चुदवाओ तो मजा दोगुना आता है।
मैं- “अयाया... ऊऊओहो... हुउऊउउ..” करते हुये मेरा पानी छूट गया। मैं असीम आनंद में पहुँच गई, मैंने सख्ती से रामू का चहरा तब तक मेरी चूत पे दबाकर रखा जब तक मेरी सीत्कार थमी नहीं। मैंने रामू का लण्ड मुँह से । निकाला तो रामू उल्टा ही नीचे की तरफ होता हुवा मेरे चेहरे के सामने उसका मुँह लाया और मुझे किस करने लगा। मैंने मेरी जीभ बाहर निकाली जिसे रामू ने अपनी जबान से सहलाई।
फिर बोला- “मेमसाब आज से अपुन आपका गुलाम, आज से अपुन वोही करेगा जो आप कहेंगी...”
थोड़ी देर तक मैं और रामू ऐसे ही जमीन पर लेटे रहे, और फिर मैं खड़ी होकर बेड पे आ गई। मेरे पीछे रामू भी ऊपर मेरी दो टांगों के बीच में आ गया। मैंने भी उसके आते ही मेरी टांगों को चौड़ी कर दी थी। रामू मेरी गर्दन को चूमते चाटते हुये उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत के द्वार पे घिसने लगा।
मैं- “धीरे से डालना रामू..” मैंने रामू की पीठ पर चिकोटी लेते हुये कहा।
रामू- “जो हुकुम मेमसाब का...” कहते हुये रामू ने उसके लण्ड को निशाने पर लगाकर धीरे से धक्का दिया।
मुझे दर्द तो हुवा पर हर रोज से कम, और दर्द से ऐसा मालूम हो रहा था की उसके लण्ड का % हिस्सा अंदर गया होगा, और दो धक्के लगाए रामू ने तो उसका पूरा लण्ड अंदर घुस गया। उसके बाद रामू कुछ पल के लिए रुक गया। रामू ने मेरे होंठों को उसके होंठों की गिरफ्त में लेकर धीरे-धीरे हिलाना चालू कर दिया। थोड़ी देर पहले मैं झड़ी थी, इसलिए अभी तक मैं थोड़ी सुस्त थी, पर लण्ड चूत में पाकर फिर से मेरे तन-बदन में मस्ती छाने लगी थी। मैं रामू की पीठ सहलाने लगी और थोड़ी ही देर में मैं कराहने भी लगी।
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
रामू- “मेमसाब कभी ऊपर बैठ के चुदवाया है?” रामू अब पूरी स्पीड से चुदाई कर रहा था।
मैं- “नहीं...” मैंने भारी आवाज में कहा।
राम्- “चुदवाओगी?” रामू ने पूछा।
मैं- “हाँ... मैं तो हमेशा चुदवाने के नये-नये तरीकों के लिए तैयार ही होती हैं."
रामू- “तो फिर आ जाओ मेरे ऊपर..." रामू ने मेरे ऊपर से हटते हुये कहा।
रामू के हटते ही मैं बेड पर साइड में हो गई, वो बेड के बीच में लेट गया। मैं घुटनों के बल खड़ी होकर रामू की जांघों पर बैठ गई। मैंने रामू का लण्ड सहलाया, मेरी नरम-नरम उंगलियों के छूते ही रामू के लण्ड ने झटका मारा। मैं थक के चूर हो गई थी। मैंने मेरा चेहरा रामू के सीने में दबाकर रखा था, मेरे बालों को रामू सहला रहा था। थोड़ी देर बाद रामू ने मेरी पीठ थपथपाई तो मैंने नजरें उठाई और उसकी तरफ देखा।
राम्- “मेमसाब, आपका तो दो बार हुवा, अपुन का तो एक ही बार हुवा है.." रामू ने कहा।
मैं- “मैं बहुत थक चुकी हूँ, अब नहीं कर सकती..” मैंने कहा।
रामू- “टेन्शन मत लो मेमसाब, अब आपको नहीं करना, मैं करूंगा। आप उठ जाइए मेरे ऊपर से.."
मैं ऐसे बैठी-बैठी ही बेड पर झुक गई, और उसके बाजू में लेट गई।
रामू- “एक मिनट, आता हूँ मेमसाब...” कहते हुये रामू खड़ा होकर अटैच बाथरूम के अंदर जाकर पेशाब करके बाहर आया और फिर से मेरे बाजू में लेट गया, उसके शरीर में से पेशाब की बास फिर से आने लगी थी।
मैं- “पेशाब तो धोकर आना था, रामू..” मैंने कहा।
रामू- “क्या मेमसाब आप भी... आप अपुन पर पेशाब कर लो, अपुन कुछ नहीं बोलेगा...”
रामू इतना कहकर मेरी तरफ हो गया और मेरे उरोजों को चूसने लगा। थोड़ी देर पहले ही झड़ने के करण मुझे कोई रोमांच नहीं हो रहा था, जो रामू जल्द ही समझ गया। रामू मेरे सारे बदन को सहलाते हुये मेरे हर एक अंग को चूमने लगा, उसकी उंगलियां किसी सांप की भांति मेरे शरीर पे फेरने लगा।
थोड़ी ही देर में मैं फिर से गरम हो गई। मेरे गरम होते ही रामू मेरी टांगों के पास आ गया। वो अच्छी तरह जानता था की लोहा गरम हो तब हथौड़ा मार देना चाहिए। वो क्या संसार के सारे मर्द ये बात अच्छी तरह जानते हैं, एक नीरव को छोड़कर। उसने मेरी दोनों टाँगें एक साथ ऊपर उठाई और कंधे पर ले ली।
रामू ने लण्ड मेरी चूत पर रखकर कहा- “एक साथ ही पूरा डाल रहा हूँ मेमसाब..." और मैं कुछ समझें और बोलू उसके पहले उसने लण्ड को मेरी चूत में एक साथ ही पूरा घुसेड़ दिया।
मुझे कोई ज्यादा तकलीफ नहीं हुई इस बार। शायद उसकी वजह ये भी हो सकती है कि मैं पिछले एक घंटे में तीसरी बार उसका लण्ड मेरी चूत में ले रही थी। रामू ने धीरे-धीरे हिलाना चालू कर दिया। मैंने उसके हाथों को मजबूती से पकड़ लिया और उसके हर धक्के के साथ मैं जब ऊपर सरकती, तब उसके हाथों को खींचकर नीचे होने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद अचानक रामू रुक गया।
मैं- “क्या हुवा?” मैंने उसकी आँखों में आँखें डालकर पूछा।
रामू- “मेमसाब, साहब आपको चोदते हुये ऐसे रुक जाते हैं तो, क्या कहती हो?” रामू ने पूछा।
मैं- “मैं करो, करो ऐसा कहती हूँ...” मैं समझ गई थी की वो मेरे मुँह से गंदे शब्द सुनना चाहता है।
मेरी बात सुनकर रामू ने फिर से हिलाना चालू कर दिया। कुछ पल के लिए वो निराश भी हुवा, पर मुझे उसकी कोई टेन्शन नहीं थी, मेरे हुश्न के आगे वो निराशा कहां टिकने वाली थी। हर धक्के के बाद उसका लण्ड और । सख़्त होता जा रहा था, जिससे मेरी चूत की पकड़ उसके लण्ड पे ज्यादा होती जा रही थी। जिससे हम दोनों की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन मस्ती के साथ-साथ मुझे थकान भी महसूस हो रही थी, क्योंकि मैंने पहली बार इतनी देर तक सेक्स किया था।
थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद रामू ने मेरी टांगों को फैलाने को कहा।
मेरे टाँगें फैलाते ही वो हर रोज की तरह मेरी टांगों के बीच आकर मुझे चोदने लगा। वो मेरे बदन के ऊपरी हिस्से को सहलाते हुये चाटने लगा। मैं उसके सीने को सहलाते हुये बीच-बीच में उसकी गर्दन को चूमने लगी। रूम हम दोनों की सिसकारियों से गूंजने लगा। आज मैंने एसी फुल कर रखा था, नहीं तो रामू का पशीना आज भी मेरे बदन को भिगो रहा होता।
दस मिनट की चुदाई के बाद मुझे मेरी मंजिल नजदीक दिखने लगी थी। पर रामू अभी और कितनी देर करेगा वो समझ में नहीं आ रहा था। और आज के दिन तो झड़ने के बाद अंदर लण्ड तो क्या उंगली भी एक पल के लिए मैं सहन नहीं कर पाऊँगी, वो मैं जानती थी। मैंने मेरी टांगों से रामू की कमर को पकड़ लिया और गाण्ड उचका-उचकाकर सामने वार करने लगी। मैंने रामू का मुँह खींचा और उसके होंठों को चूसने लगी। मैं अब किसी भी तरह रामू को भी मेरे साथ मंजिल तक पहुँचाना चाहती थी।
मैंने रामू के नीचे के होंठ को काटते हुये उससे पूछा- “मुझे तुम इस वक़्त दिल में क्या कह रहे हो?”
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
दस मिनट की चुदाई के बाद मुझे मेरी मंजिल नजदीक दिखने लगी थी। पर रामू अभी और कितनी देर करेगा वो समझ में नहीं आ रहा था। और आज के दिन तो झड़ने के बाद अंदर लण्ड तो क्या उंगली भी एक पल के लिए मैं सहन नहीं कर पाऊँगी, वो मैं जानती थी। मैंने मेरी टांगों से रामू की कमर को पकड़ लिया और गाण्ड उचका-उचकाकर सामने वार करने लगी। मैंने रामू का मुँह खींचा और उसके होंठों को चूसने लगी। मैं अब किसी भी तरह रामू को भी मेरे साथ मंजिल तक पहुँचाना चाहती थी।
मैंने रामू के नीचे के होंठ को काटते हुये उससे पूछा- “मुझे तुम इस वक़्त दिल में क्या कह रहे हो?”
रामू- “कुछ नहीं, मेमसाब, मेमसाब कह रहा हूँ...” रामू ने कहा।
मैं- “झूठ बोल रहे हो तुम, वो तो तुम मुँह पर भी कह सकते हो, सच बताओ..” मैंने फिर से पूछा।
रामू इस वक़्त उसका लण्ड पूरा अंदर डालता था और फिर सुपाड़े तक बाहर निकाल रहा था- “पहले आप बताओ, साहब रुक जाते हैं तो आप क्या कहती हो?" इतना कहकर उसने अपनी जबान बाहर निकली।
मैं- “चोदो, जल्दी से चोदो ऐसा कहती हूँ.” इतना कहकर मैंने उसकी जबान को मेरे होंठों की बीच ले ली और फिर चूसकर छोड़ दी।
रामू- “रंडी... मैं आपको रंडी कह रहा हूँ इस वक्त दिल में...” इतना बोलते-बोलते रामू की सांसें भारी हो गई।
मैं- “तो फिर इतना शर्माते क्यों हो? मैं तुम्हारी रंडी ही तो हूँ..” इतना कहकर मैंने रामू की गर्दन पे काट लिया।
मेरी बात सुनकर रामू का जोश बढ़ गया और हर धक्के के साथ उसकी सांसें भारी होने लगी।
मैं- “जल्दी से चोदो रामू अपनी रंडी को...” इतना ही बोलना पड़ा मुझे और वो झड़ने लगा।
उसके लण्ड से वीर्य की धार मेरी चूत के अंदर तेजी से निकलने लगी। मैं तो मानो इस वक़्त की ही राह देख रही थी, मैं भी झड़ गई और झड़ते ही मैंने फिर से रामू के हाथ मजबूती से पकड़ लिए और एकाध मिनट तक लंबी-लंबी सांसें लेते हुये झड़ती रही।
रामू को गये आधा घंटा हो गया था। मैं बेड पर लेटी हुई उसके और कान्ता के बारे में सोच रही थी। मैंने रामू के आने से पहले तो ऐसा सोच लिया था की आज मैं चुदाई के बाद रामू को कहूंगी की वो कान्ता के लेकर कहीं चला जाय। इसीलिए तो मैंने आज खुले मन से रामू के सामने समर्पण किया था। पर चुदाई के बाद रामू ने जो कहा वो सुनकर मैं कुछ भी बोल ना पाई।।
रामू- “मेमसाब, आज के बाद अपुन ये कांप्लेक्स छोड़कर कहीं नहीं जाएगा, खुद भगवान भी लेने आएगा तो बोल देगा की मेमसाब के बिना अपुन नहीं आएगा...”
उसकी बात सुनकर मैंने कान्ता के बारे में जो बात करनी थी वो नहीं की, पर मजाक जरूर किया- “वहां तो उर्वशी, मेनका जैसी अप्सराएं हैं, मुझे छोड़कर नहीं जाओगे तो घाटे में रहोगे...”
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
रामू- “वो भी आपसे ज्यादा चिकनी और मलाईदर नहीं हो सकती मेमसाब, चाहे कुछ भी हो जाय अपुन आपको छोड़कर कभी नहीं जाएगा...” रामू ने फिर उसकी बात दोहराई।
मैं- “मैं कहूँ तो भी नहीं जाओगे?” ये कहकर मैं उसका मन जानना चाहती थी कि वो बोले कि- “हाँ, आप बोलो तो जाऊँगा..." ऐसा बोल दें तो मेरा काम आसान हो जाय और कान्ता की जिंदगी सवंर जाय।
लेकिन रामू ने कहा- “उसके सिवा जो भी कहेंगी वो करूंगा पर जाने को मत बोलना..."
मैं- “मैं तुम्हें क्यों कहूँगी जाने को?” मैंने कहा और उसके बाद रामू निकल गया पर मुझे दुविधा में डालता गया। मैंने बहुत सोचा, कई तरीके सोचे रामू को कान्ता के साथ भेजने के, पर कोई तरीका परफेक्ट नहीं लग रहा था। सोचते-सोचते कब आँख लग गई वोही मालूम नहीं पड़ा।
फिर जब मैं उठी तो देखा की 7:30 बज चुके थे, मैंने नीरव को मोबाइल किया और कहा- “बाहर से खाना लेकर आना...” नीरव आया तब तक मैं टीवी देखती रही, पर मेरा दिमाग तो रामू और कान्ता की तरफ ही था, मैं कुछ तय नहीं कर पा रही थी की क्या करूं?
नीरव टोस्ट सैंडविच और पावभाजी लेकर आया था। हमने मिलकर खा लिया और फिर मैं बर्तन मांजकर रूम में गई तो नीरव जाग रहा था और मोबाइल पे गेम खेल रहा था। पर मैं आज इतनी थकी थी की नहाए बगैर दो मिनट में नीरव के पहले सो गई।
दूसरे दिन सुबह नीरव ने चाय पीते हुये कहा- “जल्दी से खाना बना लो, डाक्टर के पास जाना है शायद हम दोनों
का चेकप करना पड़ेगा...”
मैं- “कौन से डाक्टर को दिखाना है?” मैंने पूछा।
नीरव- “डा. मित्तल शाह को..” नीरव ने कहा।
मैं- “वो मी आंड मम्मी हास्पिटल वाली को?” मैंने कहा।
नीरव- “हाँ वही, राजकोट की सबसे अच्छी डाक्टर वही तो है...” नीरव ने चाय खतम करते हुये कहा।
उसके बाद मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया, खाना खाकर मैंने बर्तन साफ किए बिना ही छोड़ दिए। 11:00 बजे मैं और नीरव हास्पिटल पहुँच गये। 3:00 बजे हमारी बारी आई। डाक्टर ने पहले मेरी सोनोग्राफी कराई और कुछ रिपोर्ट निकलवाए ये कहकर की अगर आपकी रिपोर्ट नार्मल आए तो ही हम आपके पति का चेकप करेंगे, ज्यादातर प्राब्लम फिमेल में ही होती है।
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RE: Hindi Antarvasna - चुदासी
नीरव- “हाँ वही, राजकोट की सबसे अच्छी डाक्टर वही तो है...” नीरव ने चाय खतम करते हुये कहा।
उसके बाद मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया, खाना खाकर मैंने बर्तन साफ किए बिना ही छोड़ दिए। 11:00 बजे मैं और नीरव हास्पिटल पहुँच गये। 3:00 बजे हमारी बारी आई। डाक्टर ने पहले मेरी सोनोग्राफी कराई और कुछ रिपोर्ट निकलवाए ये कहकर की अगर आपकी रिपोर्ट नार्मल आए तो ही हम आपके पति का चेकप करेंगे, ज्यादातर प्राब्लम फिमेल में ही होती है।
रिपोर्ट और सोनोग्राफी में ही 5:00 बज गये। दोनों के रिपोर्ट दूसरे दिन आने वाले थे, नीरव और मैं घर के लिए निकल ही रहे थे कि नीरव को आफिस से काल आ गया तो नीरव ने मुझसे कहा- “निशु तुम रिक्शा में चली जाओ, मुझे जल्दी से आफिस जाना पड़ेगा..."
नीरव के कहने पर मैं रिक्शा में बैठ गई। घर थोड़ा ही दूर था, तभी मेरा ध्यान जोपड़पट्टी के पास लड़ रहे दो आदमियों पर गई। मैंने रिक्शा में से बाहर झांक के देखा तो दोनों में से एक रामू था और दूसरा कान्ता का । पति। वो दोनों जहा लड़ रहे थे, उसके सामने की तरफ जाकर मैं उतर गई और देखने लगी की क्या हो रहा है? उन लोगों की आवाज मुझे सुनाई नहीं दे रही थी, पर एक दूसरे की तरफ हाथ कर-करके गालियां दे रहे होंगे ऐसा लग रहा था।
कान्ता के पति के हाथ में लोहे की राड थी जिसकी एक तरफ धार निकली हुई थी। रामू ने उससे कुछ कहा तो गुस्सा होकर वो रामू को वो राड से मारने को दौड़ा। वो रामू के नजदीक गया और जैसे ही राड उठाकर रामू को मारने गया, तभी रामू ने उसका वो राड वाला हाथ पकड़ लिया और फिर उसे जोर-जोर से मारने लगा, थोड़ी मार खाते ही कान्ता का पति चिल्लाने लगा।
कान्ता के पति के पास बचने का एक ही उपाय था, वो राड छोड़ देना और उसने राड छोड़ भी दी और सड़क पे पड़ा एक पत्थर उठाया और रामू को दे मारा। पत्थर रामू के सिर पे लगा और खून बहने लगा। रामू ने अपना हाथ सिर पे रखा जिससे उसका हाथ खून से भर गया। रामू ने हाथ नीचे किया और देखा की उसका हाथ खून
से रंगा हुवा था।
रामू का गुस्सा सातवें आसमान पे चढ़ गया, उसने लंबी-लंबी छलाँग भरी और कान्ता के पति को पकड़ लिया
और फिर कालर से पकड़कर ऊपर करके नीचे पटका। कान्ता के पति ने नीचे गिरते ही रामू को फिर से गालियां देनी शुरू कर दी। रामू उसके पैरों को कान्ता के पति के दोनों तरफ करके खड़ा हो गया और उसने राइ को दोनों हाथ से मजबूती से पकड़ा और कान्ता के पति को मारने के लिए हाथ ऊपर किया।
वहां पर जो लोग इसे अभी तक तमाशा समझकर देख रहे थे, सबकी आँखें चौंधिया गई, पर अब बहुत देरी हो चुकी थी, किसी में भी हिम्मत नहीं थी बीच में पड़ने की।
जैसे ही रामू ने पूरे जोश से राड को थोड़ी ही नीचे किया तो मेरे मुँह से चीख निकल गई- “रामू..” मेरी चीख सुनते ही रामू का हाथ रुक गया, और उसने मेरी तरफ देखा। शायद आवाज की दिशा से उसने अंदाजा लगाया होगा की मैं किस तरफ खड़ी हूँ। मैंने जरा सी भी देरी की होती तो कान्ता का पति जिंदा नहीं होता।
रामू का सारा बदन जनून के मारे थरथरा रहा था, उसकी आँखों में रोशनी की जगह चिंगारी दिख रही थी। मैंने उस चिंगारी को सामने देखकर मेरा सिर दो बार 'ना' में हिलाया, जिसे देखकर रामू ने अपने हाथ से राड को फेंक दिया और कान्ता के पति के बाजू में जमीन पे बैठ गया। ये देखकर वहां खड़े लोगों में से ज्यादातर लोगों का ध्यान मेरी तरफ गया।
जिसे देखकर मुझे बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हुई। मैं नजर नीचे करके वहां से जल्दी से सरक गई। वहां जितने भी लोग थे, उसमें से कोई मुझे जानता होगा ऐसा तो मुझे नहीं लगता था। ये सोचकर मुझे थोड़ी राहत हुई। घर आकर रह-रहकर मुझे रामू की आँखें दिखाई दे रही थीं, उसका जनून देखकर मैं आज बहुत डर गई थी।
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