Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:16 PM,
#61
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 52

केवल एक मिनट में ही शालू ने अपना गोरा चिकना नंगा बदन अपने दो कपड़ों में ढक लिया…मैंने भी अपने पप्पू मियां को अंदर कैद कर पैंट ठीक कर ली…
मगर शैतान शालू को तो अपनी चुदाई बीच में रुकने का बदला लेना था…वो तुरंत बाथरूम की ओर गई.. एक बार मुझे पलट कर देखा… मुस्कुराई…और एक झटके में दरवाजा खोल दिया…
दरवाजा अंदर की ओर खुलता था…अंदर सफ़ेद लाइट झमाझम चमक रही थी…उसमे एक तरफ ही वेस्टर्न सीट लगी थी…मैं जहाँ खड़ा था, वहाँ से वो जगह साफ़ दिख रही थी..
कहते हैं ना कि कोई-कोई दिन आपके लिए बहुत भाग्यशाली होता है..तो आज यह भी देखना था..मैंने सबसे पहले शानदार पूरे नंगे चूतड़ देखे…
क्या लुभावना दृश्य था..!!!मेरी आँखें तो पलक झपकना ही भूल गई..मैं एकटक उसको निहार रहा था..
दरअसल रोज़ी अभी अभी ही शू शू करके उठी होगी..उसने अपनी नीली साड़ी पूरी ऊपर कर अपने बाएं हाथ से पकड़ी हुई थी…
और उसकी कच्छी जो शायद गुलाबी ही थी.. जैसी वहाँ से दिख रही थी… उसने अपने घुटनों तक उतार रखी थी..और वो हल्के से झुक कर फ्लश कर रही थी…
वो इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि बाथरूम का दरवाजा खुल गया है…मेरी आँखों ने भरपूर उसके मतवाले चूतड़ों के दर्शन किये…
अभी मैं कुछ सोच ही रहा था कि शालू ने एक और हरकत कर दी…उसने ऐसे जाहिर किया जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है, वो तेज आवाज में बोली- अररररर ऐ एई… तू यहाँ रोज़ी…?और स्वभाविक ही रोज़ी ने घूमकर उसको देखा…
उसने वो कर दिया जिसकी उम्मीद न तो मुझे थी और ना शायद शालू को ही…
रोज़ी- हाय राम…और उसने अपनी साड़ी दोनों हाथों से पकड़ी.. और शरमा कर अपने चेहरे तक ले जाकर ढक ली…इस दृश्य की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी..
रोज़ी के घूमने से उसकी गुलाबी कच्छी ढीली हो उसके घुटनों से सरक कर नीचे गिर गई…उसकी साड़ी और उसका पेटीकोट दोनों वो खुद पूरा उठाकर अपने चेहरे तक ले गई थी…
उसका कमर के नीचे का भाग पूरा नंगी अवस्था में बाथरूम की सफ़ेद चमकती लाइट से भी ज्यादा चमक रहा था..पतली कमर, पिचका हुआ पेट, लम्बी टाँगें, गोल सफ़ेद चिकनी जांघें… और जांघों के बीच फूली हुई चूत का उभार खिला खिला साफ दिख रहा था…
.!यह तो नहीं पता चला कि उस पर बाल थे या नहीं.. और अगर थे तो कितने बड़े..
वैसे जितनी साफ़ वो दिख रही थी उस हिसाब से तो चिकनी ही होगी.. या होंगे तो थोड़े थोड़े ही होंगे…दिल चाह रहा था कि अंदर जाऊं और उसके इन प्यारे होंठों पर अपने होंठ रख दूँ…
रोज़ी की तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी…
मगर शालू पूरे होश में थी… वो चाहती तो दरवाजा बंद कर देती और सब कुछ सही हो जाता…
मगर वो तो किसी और ही मूड में थी.. वो अंदर जाकर रोज़ी के कंधे पर हाथ रख कर बोली- अरे सॉरी यार… मुझे नहीं पता था कि तू अंदर है… चल अब तेरा तो हो गया ना…
रोज़ी- तू बहुत गन्दी है रे ! तू बाहर जा ना…
शालू- हा हा… क्या बात करती हो दीदी? आपका तो हो गया ना… अब आप बाहर जाओ ना.. मुझे भी तो करनी है…
और अस्वभाविक रूप से शालू नीचे बैठ गई और रोज़ी की कच्छी को पकड़ ऊपर करने लगी..इतनी देर में मैंने रोज़ी की चूत के भरपूर दर्शन कर लिए थे…
शालू- अब कपड़े तो सही कर लो दीदी.. कब तक अपनी मुनिया को हवा लगाओगी?
अब जैसे रोज़ी को होश आया.. कि चेहरा छुपाने के लिए उसने क्या कर दिया था !?!और शालू तो पिछले एक साल में मेरे साथ रहकर पूरी बेशर्म हो ही गई थी…
उसने कच्छी को रोज़ी के चूतड़ों पर चढ़ाते हुए अपने एक हाथ से रोज़ी की गुलाबी चूत को सहलाया और कच्छी के अंदर करते हुए बोली- बहुत प्यारी है दीदी अपनी मुनिया… इसको धो तो लिया था ना?
और रोज़ी ने अब अपनी साड़ी छोड़कर नीचे कर दिया और शालू के धप्प लगाते हुए बोली- पूरी पागल ही है तू… चल हट…
अभी तक शायद उसको पता नहीं था.. या वो मेरे बारे में बिलकुल भूल ही गई थी.. कि मैं बाहर कमरे में से दोनों की हर हरकत को देख रहा हूँ…
रोज़ी बाहर आ दरवाजा अभी बंद ही कर रही थी, इतनी देर में शालू अपनी कुर्ती ऊपर उठा अपनी लेग्गिंग चूतड़ों से नीचे खिसका सीट पर बैठने की तैयारी कर रही थी…
रोज़ी- अरे दरवाजा तो बंद करने देती… तू सच पूरी पागल है… हे… हे…
और जैसे ही रोज़ी दरवाजा बंद कर घूमी, मुझे देख उसे सब कुछ अहसास हो गया… वो बुरी तरह झेंप गई और अब शरमा रही थी…
रोज़ी- अरे सर, आपने शालू को रोका नहीं… वो अंदर.. मैं.. ये…
मैं- अरे… मैं काम में बिजी था… और वो पता नहीं कैसे.. मुझे पता ही नहीं चला…
रोज़ी- वो.. ओह… मैं तो…
मैं- अरे इतना घबरा क्यों रही हो? शादीशुदा हो.. समझदार हो… हो जाता है ऐसा… कोई बड़ी बात नहीं है..
रोज़ी- वो सब अचानक… मेरे को तो पता ही नहीं था.. और आप भी…?
मैं- अरे यार, कुछ नहीं हुआ… इतनी सुन्दर तो हो तुम.. जरा सा देख लिया तो क्या हो गया? वैसे एक बात बोलूँ…रोज़ी ने अपनी नजर बिल्कुल नीचे कर रखी थी.. वो बहुत शरमा रही थी…
लेकिन इतना शुक्र था कि वो कमरे से बाहर नहीं गई थी.. वो मुझसे बात कर रही थी…
रोज़ी- क्या सर?
मैं- तुम अपने नाम से लेकर.. अंदर तक गुलाब ही हो.. मतलब गुलाबी…
रोज़ी- धत्त.. क्या कह रहे हो सर आप?
मैं- सच यार… मजा आ गया… कच्छी से लेकर अंदर तक सब गुलाबी था…
रोज़ी- आप भी ना सर… अपने सब देख लिया…?
मैं- अरे यार इतना सुन्दर दृश्य कौन.. छोड़ता है… और वाकयी बहुत प्यारी लग रही थी…रोज़ी के चेहरे से लग रहा था कि उसको मेरी बात अच्छी लग रही है..
रोज़ी- यह शालू भी बहुत गन्दी है.. ये सब उसकी वजह से हुआ…
मैं- हा हा.. मेरे लिए तो बहुत लकी रही यार.. और तुमको उससे बदला लेना हो तो ले लो.. जाओ दरवाजा खोल दो.. हा… हा…
रोज़ी- धत्त.. मैं ऐसी नहीं हूँ… आपका मन कर रहा हो तो आप खुद खोलकर देख लीजिये…
मैं- अरे इतनी खूबसूरत देखने के बाद तो अब किसी और की देखने का दिल ही नहीं करेगा… सच बहुत सुन्दर है तुम्हारी…
और अब रोज़ी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई !मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी.
कुछ देर बाद शालू भी अपने काम में लग गई.अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था.

कहानी जारी रहेगी.

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#62
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अपडेट. 53

रोज़ी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई !मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी.
कुछ देर बाद शालू भी अपने काम में लग गई.अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था.
दोपहर को लंच करने के बाद मैंने सलोनी को फोन लगाया…उधर से मधु की आवाज आई- कौन..??
मैं- अरे मधु तू.. क्या हुआ? सलोनी कहाँ है??
मधु- अरे भैया.. हम स्कूल में हैं… भाभी की जॉब लग गई है… वो अंदर हैं…
मैं- क्यों? तू बाहर क्यों है?
मधु- अरे अंदर उनका इंटरव्यू चल रहा है… वो कुछ समझा रहे थे !
मैं- ओह… मगर तू उसका ध्यान रख… देख वो क्या कर रही है?
मधु- हाँ भइया… पर क्यों?
मैं- तुझसे जो कहा, वो कर ना…
मधु- पर वो अपने कोई पुराने दोस्त के साथ हैं.. वो क्या नाम बोला था? हाँ याद आया… मनोज… वो उनके कोई पुराने दोस्त हैं… वो ही हैं यहाँ बड़े वाले टीचर..मेरे दिमाग में एक झनका सा हुआ… अरे मनोज वो तो कहीं वही तो नहीं…
मुझे याद आया सलोनी ने एक दो बार बताया था.. उसका फोन भी आया था शायद… मनोज उसके स्कूल के समय से दोस्त था…पर हो सकता है कि कोई और हो…
तभी मधु की आवाज आई- भैया.. ये तो… अंदर…
मैं- क्या अंदर? क्या हो रहा है?
मधु- व्व्व्व्व्व्वो भाभी अंदर… और व्व्व्वो !!!!!
ऑफिस में ही शालू और रोज़ी से मस्ती करने के बाद मैं बहुत आराम से फोन पर बात कर रहा था…लण्ड को अपनी खुराक भरपूर मिल गई थी, फिर भी दिल तो बावरा होता है रे…
सलोनी का फोन मधु के पास था… दोनों किसी स्कूल में थी जहाँ सलोनी ने जॉब करने के लिए कहा था…मधु ने के ऐसी बात बताई कि मेरे कान खड़े हो गए…
झूठ नहीं बोलूंगा.. कान के साथ लण्ड भी खड़ा हो गया था…
मधु- भैया… भाभी अंदर कमरे में हैं… यहाँ उनका कोई दोस्त ही बड़ा सर है… वो क्या बताया था… हाँ मनोज नाम है उनका…
मैंने दिमाग पर ज़ोर डाला… उसने बताया था कि कॉलेज में उसके विनोद और मनोज बहुत अच्छे दोस्त थे, दोनों हमारी शादी में भी आये थे.मैंने मधु को कमरे में देखने को बोला..
मधु- व्वव… व्वव… वो भाभी तो मनोज सर की गोद में बैठी हैं…
.!मैं सारा किस्सा एकदम से समझ गया… दिल चाह रहा था कि भागकर वहाँ पहुँच जाऊँ…
मैंने मधु को निर्देश दिया- सुन मधु फोन ऐसे ही वहीं खिड़की पर रख दे.. स्पीकर उनकी तरफ रखना… और तू वहीं खड़े होकर देखती रह…मधु ने तुरंत ही यह काम कर दिया और मुझे आवाज आने लगी…
मनोज- सच सलोनी.. कसम से तुम तो बहुत सेक्सी हो गई हो… मुझे पहले पता होता तो चाहे कुछ हो जाता.. मैं तो तुमसे ही शादी करता…
सलोनी- हाँ… और जैसे मैं कर ही लेती… मैंने तो पहले ही सोच रखा था कि शादी माँ डैड की मर्जी से ही करूँगी… और यकीन मानना, मैं बहुत खुश हूँ…
‘पुच्छ पुच च च च च च पुच…’
सलोनी- ओह क्या करते हो मनोज… अपना मुँह पीछे रखो ना… जब से आई हूँ, चूमे ही जा रहे हो..
मनोज- अरे यार, कंट्रोल ही नहीं हो रहा…
सलोनी- हाँ, वो तो मुझे नीचे पता चल रहा है… कितना चुभ रहा है…
मनोज- हा हा हा… यार, यह तुमको देखकर हमेशा ही खड़ा होकर सलाम करता था मगर तुमने कभी इस बेचारे का ख्याल ही नहीं किया..
सलोनी- अच्छा… तो तुम्हारे दोस्त के साथ दगा करती..?
मनोज- इसमें दगा की क्या बात थी यार? तुम तो हमेशा से खुले माइंड की रही हो… ऐसे तो अब भी तुम अपने पति से दगा कर रही हो…
सलोनी- क्यों ऐसा क्या किया मैंने… ऐसी मस्ती तो तुम पहले भी किया करते थे.. हे… हे… क्यों याद है बुद्धू… या याद दिलाऊँ?
मनोज- अरे उस मस्ती के बाद ही तो मैं पागल हो जाता था… फिर पता नहीं क्या क्या करता था… तुम तो हाथ लगाने ही नहीं देती थी… तुम्हारे लिए तो बस विनोद ही सब कुछ था…
सलोनी- अरे नहीं यार… तुम ही कुछ डरपोक किस्म के थे…
मनोज- अच्छा मैं डरपोक था…?? वो तो विनोद की समझ कुछ नहीं कहता था…वरना न जाने कबका.. सब कुछ कर देता…
सलोनी- अच्छा जी क्या कर देते??? बोल तो पाते नहीं थे.. और करने की बात करते हो…
मनोज- बड़ी बेशरम हो गई है तू…
सलोनी- मैं हो गई हूँ बेशरम… यह तेरा हाथ कहाँ जा रहा है… चल हटा इसको…
मनोज- अरे यार, बहुत दिनों से तेरी ये चीजें नहीं देखी.. शादी के बाद तो कितना मस्ता गई है.. जरा टटोलकर ही देखने दे…
सलोनी- जी बिल्कुल नहीं… ये सब अब उनकी अमानत है… तुमने गोद में बैठने को बोला तो प्यार में मैं बैठ गई… बस इससे ज्यादा कुछ नहीं… समझे बुद्धू… वरना मैं तुम्हारे यहाँ जॉब नहीं करुँगी…
मनोज- क्या यार?? तुम भी न…ऐसे ही हमेशा के एल पी डी कर देती हो..
सलोनी- हा हा हा हा… मुझे पता है तुम्हारे के एल पी डी का मतलब… और ज्यादा हिलाओ मत… कहीं यन मेरी जींस में छेद ना कर दे…
मनोज- हा हा… तो दे दो ना इस बेचारे का छेद इसको.. फिर अपने आप ढूंढ़ना बंद कर देगा…

सलोनी- जी नहीं, यहाँ नहीं है इसका छेद… इसको कहीं और घुसाओ…
मनोज- अरे यार, कम से कम इसको छेद दिखा तोदो… बेचारा कब से परेशान है…
सलोनी- अच्छा जैसे पहले कभी देखा ही नहीं हो… अब तो रहने ही दो…
मनोज- अरे यार तब की बात अलग थी… तब तो मैं दोस्त का माल समझ कुछ ध्यान से नहीं देखता था..
सलोनी- हाँ हाँ मुझे सब पता है… कितना घूरते थे… और मौका लगते ही छूते और सहलाते थे.. वो तो मैंने कभी विनोद से कुछ नहीं कहा… वरना तुम्हारी दोस्ती तो ही गई थी… हे हे…
मनोज- अच्छा तो यह तुम्हारा अहसान था?
सलोनी- और नहीं तो क्या…
मनोज- तो थोड़ा सा अहसान और नहीं कर सकती थीं…पता नहीं था क्या कि मैं कितना परेशान रहता था…
सलोनी- वैसे सच बोलूं… तुमने कभी हिम्मत नहीं की… तुम्हारे पास तो कई बार मौके थे… और शायद मैं मना भी नहीं करती…
मनोज- अच्छा इसका मतलब.. मैं बेबकूफ था…ऐं ऐं ऐं ऐं…
सलोनी- हा हा… हा हा… हा हा… ओह… रहने दो न.. बहुत गुदगुदी हो रही है… अहा… ये क्या कर रहे हो…?? अरे छोड़ो न इन्हें…
मनोज- यार सच बहुत जानदार हो गए हैं तुम्हारे बूब.. कितना मजा आ रहा है इनको पकड़ने में…
सलोनी- देखो मैं अब जा रही हूँ ओके.. तुम बहुत परेशान कर रहे हो…
मनोज- अरे यार तुमने ही तो कहा था… अब कोशिश कर रहा हूँ तो मना कर रही हो…
सलोनी- ये सब उस समय के लिए बोला था… अब मैं किसी और की अमानत हूँ…
मनोज- अरे यार, मैं कौन का अमानत में ख़यानत कर रहा हूँ.. जैसी है वैसी ही पैक करके पहुँचा दूंगा…
सलोनी- हाँ मुझे पता है.. कैसे पैक करोगे… मेरे मियां को दाग पसंद नहीं है समझे बुद्धू…
मनोज- कह तो ऐसे रही हो जैसे अब तक बिल्कुल साफ़ और चिकनी हो… न जाने कितने दाग लग गए होंगे…
सलोनी- जी नहीं… मेरी उस पर एक भी दाग नहीं है.. जैसे तुमने पहले देखी थी.. अब तो उससे भी ज्यादा अच्छी हो गई है…
ओह माय गॉड !इसका मतलब विनोद तो उसका बॉय फ्रेंड था ही..फिर यह मनोज भी क्या उसको नंगी देख चुका है…मैं और भी ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा…

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:16 PM,
#63
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 54

मैं एक लाइव ऑडियो सुनते हुए अपनी ही सेक्सी बीवी के रोमांस की कल्पना कर रहा था कि कैसे मेरी प्यारी सलोनी अपने पुराने दोस्त कि गोदी में बैठी होगी… उसने क्या-क्या पहना होगा…
वैसे उनकी बातों से लग रहा था कि उसने जीन्स और टॉप या शर्ट पहनी होगी…
मनोज ना जाने कहाँ कहाँ और किन किन अंगों को छू रहा होगा और मसल रहा होगा…
मनोज का लण्ड ना जाने कितना बड़ा होगा और सलोनी के मखमल जैसे चूतड़ों में कहाँ रगड़ रहा होगा या हो सकता है कि गड़ा होगा …
ये विचार आते ही मेरा कई बार का झड़ा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा…
मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को मसलते हुए उनकी बातें सुनते हुए मस्त होने लगा…
मुझे मधु से जलन सी होने लगी कि वो तो लाइव मजे ले रही होगी और मैं यहाँ केवल सुन पा रहा हूँ…
तभी उनकी आवाजें आने लगी…
सलोनी- ओह मनोज…तुम क्या कर रहे हो ?? समझा लो अब अपने इस पप्पू को… ठीक से बैठने भी नहीं दे रहा…
.!
मनोज- कहाँ यार ..कितना तो शांत है… वरना इतने पास घर का द्वार देख .. अब तक तो दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाता ..
सलोनी- हाँ हाँ रहने दो.. यह दरवाजा इसके लिए नहीं खुलेगा… और खिला क्या रहे हो आजकल इसको.. जो इतना मोटा होता जा रहा है… पहले तो काफी कमजोर था ना… हा हा हा…
मनोज- हाँ हाँ… उड़ा लो मजाक ..तुमको तो उस समय केवल विनोद का ही पसंद आता था… मेरा कभी तुमने ध्यान दिया… हाथ तक तो नहीं लगाती थी.. हर समय विनोद का ही पकड़े रहती थीं… पता है उस समय मेरे इस पर क्या गुजरती थी…??
सलोनी- अच्छा तुम ही हर समय वहीं घुसे रहते थे.. तुमको तो देखने में ना जाने क्या मजा आता था?? छुप-छुप कर हमको ही देखते रहते थे… और झूट मत बोलो.. मुझे याद है अच्छी तरह से… 2-3 बार मैंने तुम्हारे लल्लू को पकड़ा तो था… तभी तो उसकी सेहत के बारे में याद है…
मनोज- हाँ सब पता है… मुझे देखने को भी मना करते थे… हर समय कहीं ना कहीं भेजने का सोचते रहते थे… और उसको पकड़ना कहते हैं क्या?? कभी मेरे इस बेचारे को पकड़कर किस किया… प्यार से चूमा क्या तुमने… बस पकड़कर पीछे को धकेल दिया… तुमको पता है कितना गुस्सा आता था मुझे…
सलोनी- हाँ, उस समय तुमको बचा लेती थी बच्चू.. अगर विनोद को मालूम हो जाता कि तुम भी अपना लिए फिर रहे हो न तो सोचो वो क्या कर देता… उसको तुमसे बहुत प्यार था… इसलिए देखने या छूने में कुछ नहीं कहता था… मगर इसका मतलब यह थोड़े ही था कि सब कुछ कर लेते..
मनोज- अरे यार, मुझे पता होता कि तुम किसी और से शादी करने वाली हो.. तो कसम से मैं नहीं छोड़ता… वो तो विनोद कि वजह से मैं शांत रहता था..
सलोनी- अच्छा जी.. तो क्या करते???
मनोज- अच्छा तो बताऊँ… यह देख… जैसे पूरी नंगी लेटी रहती थी ना और मेरे पूरे घर में घूमती रहती थी… ना जाने कितनी बार…
सलोनी- अह्ह्हाआ ओह धीरे से… क्या कितनी बार??? हे हे…मनोज- अरे यार, तुम्हारे इस प्यारे से छेद को अपने पप्पू से पूरा भर देता…
सलोनी- ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ… वहाँ से अपना हाथ हटाओ… ऊपर रखने दिया बस उतना ही बहुत है…
मनोज- अरे यार, ऊपर से ही रख रहा हूँ… कौन सा चेन खोलकर अंदर डाल दिया…
सलोनी- सोचना भी मत…
मनोज- अरे इतना नखरा क्यों कर रही हो…?? दिखा दो ना एक बार… देखूँ तो सही, पहले में और अब में कितना अंतर आ गया..
सलोनी- नहीं जी.. कोई अंतर नहीं आया… अभी भी पहले जैसी ही है… और अब यह किसी की अमानत है ! समझे…? जब मौका था तब तो तुमने चखा नहीं… तो अब तो तुमको देखने को भी नहीं मिलेगी…
मनोज- और अगर जब विनोद आएगा तो उसको भी मना करोगी?
सलोनी- और नहीं तो क्या…?? उसकी भी शादी हो गई.. मेरी भी… अब उसको क्या मतलब..?? वो तो तुमने अभी तक शादी नहीं की..
इसलिए तुमको थोड़े मजे करा दिए… पर इससे ज्यादा कुछ नहीं.. समझे बुद्दू..
मनोज- वाह यह तो वही बात हुई ना… कि भूखे के आगे खाना तो रखा.. पर खिलाया नहीं..
सलोनी- हाँ तुम जैसे भूखे ही होगे ना… ना जाने कहाँ कहाँ.. क्या क्या करते रहते होगे…
मनोज- अरे चलो ठीक है… पर थोड़ा सा दूध तो पिला दो यार.. कितने प्यारे हो गए हैं तुम्हारे ये मम्मे…
सलोनी- अच्छा बस अब छोड़ भी दो ना… पूरा टॉप खराब कर दोगे तुम… मुझे अभी घर भी वापस जाना है…
मनोज- अरे यार पिला दो ना… क्यों इतना नखरे कर रही हो… पहले भी तो पीता था…इस पर तो तुमको ऐतराज नहीं होता था… चलो उतार दो अब टॉप.. वरना फाड़ दूंगा हाँ..
सलोनी- ओह रुको ना यार.. एक मिनट… अह्हाआआ… नहींईइइइयय यार, बस ऊपर कर लेती हूँ… इतना ही… अर्रर्र रे… कोई आ जाएगा बाबा… बस्स्स्स्स… अब नहीईईईई…
मनोज- वाओ यार क्या मस्त गोले हैं… तुम क़यामत हो यार !
पुचह्ह्ह्ह्ह… पुच पुच चचच मु ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… पुच पुच…
सलोनी- ओह धीरे यार… अह्ह्ह्ह्ह… अह… दांत नहीईइइ इइइइ… लाल कर दिया… तुझे सब्र नहीं है… कबाड़ा करेगा क्या?
मनोज- मजा आ गया… क्या टेस्ट है यार… ऐसा लग रहा है…जैसे हर सिप के साथ… मुँह मीठे दूध से भर जा रहा हो… बिल्कुल मक्खन जैसे हैं तेरे मम्मे…
सलोनी- ओह अब ये क्या कर रहे हो…???
मनोज- एक मिनट यार… सच तू तो बिलकुल मॉडल लगती है यार… पूरे गोल और तने हुए मम्मे ..कितनी पतली कमर.. और बिल्कुल चिकना पेट… और मन मोहने वाली नाभि.. वाओ यार… और तेरी ये लो वेस्ट जीन्स… कितनी नीची है यार…गजब्ब्ब यार ! तूने तो कच्छी भी नहीं पहनी… क्या बात है यार ???? सच में सेक्स की देवी लग रही है…
सलोनी- ओह क्या कर रहे हो… नहीं ना बटन मत खोलो ओह… अह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्हाआआ आआ…

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08-08-2020, 01:16 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 55

मनोज- वाओ यार क्या मस्त गोले हैं… तुम क़यामत हो यार !पुचह्ह्ह्ह्ह… पुच पुच चचच मु ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… पुच पुच…
सलोनी- ओह धीरे यार… अह्ह्ह्ह्ह… अह… दांत नहीईइ… लाल कर दिया… तुझे सब्र नहीं है… कबाड़ा करेगा क्या??
मनोज- मजा आ गया… क्या टेस्ट है यार… ऐसा लग रहा है…जैसे हर सिप के साथ… मुँह मीठे दूध से भर जा रहा हो… बिल्कुल मक्खन जैसे हैं तेरे मम्मे…
सलोनी- ओह अब ये क्या कर रहे हो…???
मनोज- एक मिनट यार… सच तू तो बिलकुल मॉडल लगती है यार… पूरे गोल और तने हुए मम्मे ..कितनी पतली कमर.. और बिल्कुल चिकना पेट… और मन मोहने वाली नाभि.. वाओ यार… और तेरी ये लो वेस्ट जीन्स… कितनी नीची है यार…गजब्ब्ब यार ! तूने तो कच्छी भी नहीं पहनी… क्या बात है यार ???? सच में सेक्स की देवी लग रही है…
सलोनी- ओह क्या कर रहे हो… नहीं ना बटन मत खोलो ओह… अह्ह्ह् ह्ह्ह्हाआ आआआ…
यह रब भी कितनी जल्दी अपना बदला पूरा कर लेता है..
अभी कुछ देर पहले ही मैं अपने केबिन में शालू को नंगी करके उसके रसीले मम्मे चूस रहा था… और अब मनोज अपने ही केबिन में मेरी बीवी के टॉप को ऊपर कर उसके मम्मे चूस रहा था…
मैं उसके गोरे जिस्म की कल्पना कर रहा था…
मैंने उसकी लो वेस्ट जीन्स देखी थी… पहले भी वो कई बार पहन चुकी थी… मगर कच्छी के साथ ही पहनती थी…
जीन्स उसके मोटे गदराये चूतड़ से 3 इंच नीचे तक ही आती है… उसकी कच्छी का काफी हिस्सा दिखता रहता है..
और अब तो उसने बिना कच्छी के पहनी है…
उसकी जीन्स का बटन उसकी चूत की लकीर से एक इंच ऊपर ही था और फिर २ इंच की चेन है.. जिसको खोलते ही उसकी चूत भी साफ़ दिख जाती है..
जीन्स इतनी टाइट है कि बटन खुलते ही चेन अपने आप खुल जाएगी..
मैं यही सोच रहा था कि मनोज पूरा मजा ले रहा होगा.. 100% उसकी उँगलियाँ मेरी बीवी की चूत पर होंगी…
उधर उनकी आवाजें आनी कम तो हो गई थीं.. मतलब अब उनके हाथ ज्यादा काम कर रहे थे…
सलोनी- ओह मनोज प्लीज मत करो… अह्हाआ… देखो मान जाओ.. कोई आ जायेगा अभी… और बखेड़ा हो जायेगा…
पुच च च च च शस्स्… चपरर्र… पुच…
मनोज- क्या लग रही हो तुम यार ! सच पूरा बम का गोला हो… यार तुम्हारी मुनिया तो और भी प्यारी हो गई… लगता है जैसे स्कूल में पड़ने वाली लड़की की हो…
सलोनी- हाँ मुझे पता है… मेरी बहुत छोटी हो गई है… और तुम्हारा बहुत बड़ा… हा हा… अब अपना यह मुँह बंद करो… ओके ज्यादा लार मत टपकाओ… अपना हाथ मेरी जीन्स से बहार निकालो.. चलो.. मुझे जाना भी है यार… बाहर मधु वेट कर रही होगी …
अह्हाआ आआ ओह बस्स्स्स्स… न यार …ओह ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह
मनोज- वाओ यार सच यहाँ से तो नजर ही नहीं हटती.. क्या मजेदार और चिकनी है… और क्या खुशबू है यार…
सलोनी- अच्छा हो गया बस बहुत याराना… चलो अब पीछे हो…
मनोज- नहीं यार… ऐसा जुल्म मत करो… ओह नहीं यार… अभी रुको तो… बस एक मिनट… यार अभी कर लेना बंद…
सलोनी- क्यों… अब क्या अंदर घुसोगे…
मनोज- अरे नहीं यार… इतनी जगह कहाँ है इसमें.. बस जरा अपने पप्पू को भी दिखा दूँ… बहुत दिनों से उसने कोई अच्छी मुनिया नहीं देखी…
सलोनी- जी नहीं… रहने दो… यहाँ कोई प्रदर्शनी नहीं लगी है.. जो कोई भी आये और देख ले…
.!
उउउउइइइइ री रे रे बाप रे याआआआअरर्र… ये तो बहुत बड़ा और कितना गरम है… अह्ह्ह्ह्हाआआ… आआ
ओह ! लगता है मनोज ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था.
मनोज- अह्ह्ह… ऐसे ही जान.. कितना सुकून मिल रहा है इसको… यह तो तुम्हारे हाथ की गर्मी से ही पिघलने लगा…
मुझे पता था… यह सलोनी की सबसे बड़ी कमजोरी है.. लण्ड देखते ही उसे अपने हाथ से पकड़ लेती है…
इस समय वो जरूर मनोज का लण्ड पकड़ ऊपर से नीचे नाप रही होगी…
मनोज- अह्ह्ह्हाआ…आआ…
सलोनी- सच यार …कितना मोटा और बड़ा हो गया है यार ये तो…
मनोज- आअह्ह्ह्ह्हाआ… अरे हाँ यार… मुझे भी आज यह पहली बार इतना मोटा नजर आ रहा है.. लगता है तुम्हारी मुनिया देख फूल रहा है साला… हा हा…
सलोनी- ओह सीधे रहो ना.. मेरी जीन्स क्यों खींच रहे हो…
मनोज- अरे अह्ह्हाआआ… ओह यार ये इतनी टाइट क्यों है… नीचे क्यों नहीं हो रही… प्लीज जरा देर के लिए उतार दो ना…
सलोनी- बिलकुल नहीं… देखो मेरी जीन्स भी मना कर रही है… हमको और आगे नहीं बढ़ना है, समझे…
मनोज- यार, मैं तो मर जाऊँगा… अह्ह्हाआ…
सलोनी- हाँ जैसे अब तक कुछ नहीं किया तो जैसे मर ही गए…
मनोज- यार, जरा सी तो नीचे कर दो.. मेरे पप्पू को मत तरसाओ… एक चुम्मा तो करा दो ना अपनी मुनिया का…
सलोनी- तो यार पूरी तो बाहर है… लो अह्ह्ह्हाआआआ… कितना गरम है यार… हो गया ना चुम्मा…ओह ! लगता है सलोनी ने मनोज का लण्ड अपनी चूत से चिपका लिया था.
मनोज- आआआ आह्ह ह्ह्हाआ नहीईईई और करो याआअरर्र…
सलोनी- क्या मोटा सुपारा है यार.. बिल्कुल लाल मोटे आलू जैसा..
मनोज- हाइईन्न्न हैं…कक्क क्या बोला तुमने…
सलोनी- अरे यार इसको आगे वाले को सुपारा ही कहते हो ना…
मनोज- हे हे व्व्वो हाँ बिलकुल.. लेकिन तुम्हारे मुँह से सुनकर मजा आ गया… एक बात पूछूं.. क्या तुम सेक्स के समय इनके देशी नाम भी बोलती हो?
सलोनी- आरए हाँ यार.. वो सब तो अच्छा ही लगता है ना…
मनोज- वाओ यार… मैं तो वैसे ही शर्मा रहा था… यार प्लीज मेरा लण्ड को कुछ तो करो यार…
सलोनी- अरे, तो कर तो रही हूँ… पर प्लीज उसके लिए मत कहना… मैं अभी तुम्हारे साथ कुछ भी करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हूँ…
मनोज- प्लीज यार अह्ह्ह्हाआआआ… ऐसे ही अह्ह्ह्ह… तुम्हारे हाथ में तो जादू है यार… अह्ह्हा… आआ… ओह्ह्ह आअह्ह्ह्हा… आआआ…
पता नही चल रहा था कि सलोनी मनोज के लण्ड से हाथ से ही कर रही थी या मुँह से? वैसे उसको तो चूसने की बहुत आदत है…
तभी…आह्ह्ह्हाआ… आआआ… आआ उउउउउ…
सलोनी- ओह, तुमने मेरा पूरा हाथ ख़राब कर दिया… वैसे.. वाह कितना सारा… यार आराम से… बस्स्स्स्स ना हो गया अब तो…ठक ठक…ठक ठक…
सलोनी- अर्र रे कौन आया..?
मनोज- अरे सोहन होगा… कॉफ़ी लाया होगा… जल्दी से सही कर लो…
मनोज- आओ कौन है?‘-हम हैं सर…कॉफ़ी…’
मनोज- अरे इधर स्टूल पर क्यों बैठ रही हो.. सामने कुर्सी पर बैठो न..
सलोनी- अरे नहीं, मैं ठीक हूँ…
मनोज- हाँ लाओ सोहन… यहाँ रख दो !
सोहन- जी सर……..
…ओह ओह सॉरी सर…
मनोज- देखकर नहीं रख सकते… सब गिरा दी…

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:17 PM,
#65
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 56

हर अगला पल एक नए रोमांच को लेकर आ रहा था मेरे जीवन में ! मैं फोन हाथ से पकड़े कान पर लगाये हर हल्की से हल्की आवाज भी सुनने की कोशिश कर रहा था.
अभी-अभी मेरी बीवी ने अपने पुराने दोस्त के लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उसका पानी निकाला था… हो सकता है कि उसने लण्ड को चूमा भी हो !
ना केवल मेरी बीवी सलोनी अपने दोस्त के लण्ड से खेली बल्कि अपने कपड़े हटा कर अपने कीमती खजाने, वो अंग जो हमेशा छुपे रहते हैं… उनको भी नंगा करके उसने अपने दोस्त को दिखाया !
जहाँ तक मुझे समझ आया… उसने अपनी चूचियाँ नंगी करके उससे चुसवाई, मसलवाई… अपनी चूत को ना केवल नंगी करके दिखाया बल्कि चूत को दोस्त के हाथ से सहलवाया भी… हो सकता है उसने ऊँगली भी अंदर डाली हो…
कुल मिलाकर दोनों अपना पूरा मनोरंजन किया था… और साथ में मेरा, मधु और आपका भी…
उस आवाज से मुझे यह तो लग गया था कि वहाँ कुछ गिरा था… पर क्या और कहाँ… और अभी वहाँ क्या चल रहा था?पता नहीं चल रहा था…
तभी मुझे मधु की आवाज सुनाई दी- हेलो भैया…बहुत समझदार थी मधु… उसने मेरे दिल की बात सुन ली थी…
मैं- हाँ मधु… अभी क्या हो रहा है?
मधु- हे हे भैया… भाभी तो ना जाने क्या क्या कर रही थी अंदर… आपने सुना न… हे हे हे हे…
मैं- अरे तू पागलों की तरह हंसना बंद कर और बता मुझे !
मधु- क्या भैया??
मैं- अरे तूने जो देखा और अभी ये सब क्या हुआ !
मधु- अरे भाभी स्टूल पर बैठी हैं ना… तो वो चाय जो लेकर आया था उसने भाभी को देखते हुए चाय गिरा दी !
मैं- अरे कहाँ गिरा दी… और क्या देखा उसने?
मधु- वो भाभी के बैठने से उनकी जीन्स नीचे हो गई थी, और उनके चूतड़ देख रहे थे… बस उनको देखते ही उसने चाय मेज पर गिरा दी… हे हे हे हे… बहुत मजा आ रहा है…
मैं- ओह फिर ठीक है… किसी पर गिरी तो नहीं ना?
मधु- नहीं… पर वो आदमी चाय साफ़ करते हुए अभी भी भाभी के चूतड़ ही निहारे जा रहा है…
.!
मैं- क्यों? सलोनी कुछ नहीं कर रही?
मधु- अरे वो तो उसकी और पीठ करके बैठी हैं ना… और उसकी नजर वहीं है, घूर घूर कर देख रहा है…
मैं- चल ठीक है तू अपनी जगह बैठ… शाम को मिलकर बात करते हैं.
तभी मेरा केबिन में रोज़ी ने प्रवेश किया…ओह मैं सोच रहा था कि शालू को बुलाकर थोड़ा ठंडा हो जाता क्योंकि इस सब घटनाक्रम से मेरा लण्ड बहुत गर्म हो गया था.मगर रोज़ी को भी देख दिल खुश हो गया… आखिर आज सुबह ही उसकी चूत और गांड के दर्शन किये थे…
रोज़ी- मे आई कम इन सर?
मैं- हाँ बोलो रोज़ी क्या हुआ? क्या फिर टॉयलेट यूज़ करना है?
वो बुरी तरह शरमा रही थी, उसकी नजर ऊपर ही नहीं उठ रही थी, वो जमीन पर नजर लगाये अपने पैर से जमीन को रगड़ भी रही थी…
रोज़ी- ओह…ववव वो नहीं सर…
मैं- अरे यार… तुम इतना क्यों शरमा रही हो… ये सब तो नार्मल चीजें हैं… हम लोगों को आपस में बिल्कुल खुला होना चाहिए… तभी जॉब करने में मजा आता है… वरना रोज एक सा काम करने में तो बोरियत हो जाती है…
रोज़ी- जी सर… वो आज आपने मुझे देख लिया न तो इसीलिए…
मैं – हा हा… अरे… मैं तो तुमको रोज ही देखता हूँ… इसमें नया क्या?
मैं उसका इशारा समझ गया था पर उसको सामान्य करने के लिए बात को फॉर्मल बना रहा था… मैं चाह रहा था कि जल्द से जल्द रोज़ी खुल जाये और फिर से चहकने लगे !
रोज़ी- अरे नहीं सर… आप भी ना…
लग रहा था कि वो अब कुछ नार्मल हो रही थी, वो आकर मेरे सामने खड़ी हो गई थी…मैंने उसको बैठने के लिए बोला…
वो मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई…
रोज़ी- वो सर, आपने मुझे उस हालत में देख लिया था…
मैं- ओह क्या यार? क्या सीधा नहीं बोल सकती कि नंगी देख लिया था !
रोज़ी- हम्म्म्म… वही सर…
मैं- अरे तो क्या हुआ…?? वो तो शालू ने भी देखा था… और तुम्हारे बदन पर केवल तुम्हारे पति का कॉपीराइट थोड़े ही है कि उसके अलावा कोई और नहीं देखेगा?
रोज़ी- क्या सर? आप कैसी बात करते हो… एक तो आपने मुझे वैसे देख लिया… और अब ऐसी बातें… मुझे बहुत शर्म आ रही है…
मैं- यह गलत बात है रोज़ी जी… कल से अपनी यह शर्म घर छोड़कर आना… समझी… वरना मत आना…
रोज़ी- नहीं सर, ऐसा मत कहिये प्लीज… यहाँ आकर तो मेरा कुछ मन बहल जाता है वरना…
मैं- अरे कोई परेशानी है क्या? रोज़ी, तुम्हारी शादी को कितना समय हो गया?
रोज़ी- यही कोई साढ़े चार साल…
मैं- फिर कोई बेबी?
रोज़ी- हुआ था सर, पर रहा नहीं…
मैं- ओह आई एम सॉरी…
रोज़ी- कोई बात नहीं सर…
मैं- फिर दुबारा कोशिश नहीं की?
रोज़ी- डॉक्टर ने अभी मना कर रखा है सर !
मैं- ओह… तुम्हारी सेक्स लाइफ तो सही चल रही है ना?
रोज़ी- ह्म्म्म्म… ठीक ही है सर…
वो अब काफी नार्मल हो गई थी… मेरी हर बात को सहज ले रही थी…
मैं- अरे ऐसे क्यों बोल रही हो? कुछ गड़बड़ है क्या?
रोज़ी- नहीं सर, ठीक ही है…
वो अभी भी आपने बारे में सब कुछ बताने में झिझक रही थी… मैं माहोल को थोड़ा हल्का करने के लिए- वैसे रोज़ी, सच… तुम अंदर से भी बहुत सुन्दर हो… तुम्हारा एक एक अंग साँचे में ढला है… बहुत खूबसूरत ! सच…रोज़ी बुरी तरह से लजा गई…
रोज़ी- सर…
मैं- अरे यार, इतना भी क्या शर्माना…
मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोल अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था क्योंकि वो बहुत देर से तने तने अंदर दर्द करने लगा था… मेरा लण्ड कुछ देर पहले सलोनी और अब रोज़ी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था और लाल हो रहा था…
मैं अपनी कुर्सी से उठकर रोज़ी के पास जाकर खड़ा हुआ…
मैं- लो यार, अब शरमाना बंद करो… मैंने तो तुमको दूर से नंगी देखा पर तुम बिल्कुल पास से देख लो… हा हा… और चाहो तो छूकर भी देख सकती हो…
रोज़ी की आँखें फटी पड़ी थी… वो भौंचक्की सी कभी मुझे और कभी मेरे लण्ड को निहार रही थी…मैं डर गया कि पता नहीं क्या करेगी…



कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:17 PM,
#66
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 57

मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोल अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था क्योंकि वो बहुत देर से तने तने अंदर दर्द करने लगा था… मेरा लण्ड कुछ देर पहले सलोनी और अब रोज़ी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था और लाल हो रहा था…
मैं अपनी कुर्सी से उठकर रोज़ी के पास जाकर खड़ा हुआ…
मैं- लो यार, अब शरमाना बंद करो… मैंने तो तुमको दूर से नंगी देखा पर तुम बिल्कुल पास से देख लो… हा हा… और चाहो तो छूकर भी देख सकती हो…
रोज़ी की आँखें फटी पड़ी थी… वो भौंचक्की सी कभी मुझे और कभी मेरे लण्ड को निहार रही थी…
मैं डर गया कि पता नहीं क्या करेगी…
रोज़ी मेरे केबिन में कुर्सी पर बैठी कसमसा रही थी… 28-29 साल की एक शादीशुदा मगर बेहद खूबसूरत लड़की जिसको मेरे यहाँ ज्वाइन किये अभी एक महीना ही हुआ था…
उसकी आज सुबह ही मैंने नंगी चूत और चूतड़ के दर्शन कर लिए थे और इस समय वो कुर्सी पर बैठी थी…
मैं उसके ठीक सामने खड़ा था… मेरा लण्ड पेंट से बाहर था पूरी कड़ी अवस्था में… और वो रोज़ी से चेहरे के इतना निकट था कि उसके बाल उड़ते हुए मेरे लण्ड से टकरा रहे थे…
निश्चित ही उसको मेरे लण्ड की खुशबू आ रही होगी जो आज सुबह से ही मस्त था… नलिनी भाभी और शालू के थूक और चूत की खुशबू से लण्ड महक रहा था क्योंकि आज सुबह से तो मैंने एक बार भी लण्ड नहीं धोया था…
रोज़ी बहुत तेज साँस ले रही थी, उसकी घबराहट बता रही थी कि उसको इस तरह सेक्स करने की बिल्कुल आदत नहीं थी..
वो एक शर्मीली और शायद अब तक अपने पति से ही एक बंद कमरे में चुदी थी… और शायद अपने पति के अलावा उसने किसी का लण्ड नहीं देखा था…
ज़माने भर की घबराहट उसके चेहरे से नजर आ रही थी- …स्स्सर ये क्या कर रहे हैं आप? प्लीज इसको बंद कर लीजिये… कोई आ जाएगा…
मैं अपने लण्ड को और भी ज्यादा आगे आकर ठीक उसके गाल से पास लहराते हुए- …अरे क्या यार… मैंने कहा ना यहाँ हम सब दोस्तों की तरह रहते हैं… जब मैंने तुम्हारे अंग देखे हैं तो तुम मेरे अच्छी तरह से देख लो… मैं नहीं चाहता कि फिर मेरे सामने आते हुए तुमको जरा भी शर्म आये…
रोज़ी- ओह.. न…नही ऐसी कोई बा…त नहीं है.. मुझे बहुत डर ल…लग रहा है… प्लीज…
रोज़ी ने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए.
अब मैंने अपना लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर लण्ड का टॉप रोज़ी हाथों के पिछले हिस्सों पर रगड़ा…रोज़ी के हाथ कांपने लगे…
मैं- यह गलत बात है यार रोज़ी… हम बाहर निकाले खड़े हैं और तुम देख भी नहीं रही?रोज़ी के मुख से जरा भी आवाज नहीं निकल रही थी…
उसके लाल कांपते होंठों को देख, जो बस जरा से खुले थे, मेरा दिल बेईमान होने लगा… मैंने लण्ड को हिलाते हुए ही… रोज़ी की नाक के बिल्कुल पास से लाते हुए उसके कांपते होंठों से हल्का सा छुआ..

[Image: 55c0d6ade8bab_512.gif]

बस यही वो पल था जब रोज़ी को अपने होंठ सूखे होने का एहसास हुआ.. और उसने अपनी जीभ निकाल अपने होंठों को गीला करने का सोची.. और उसकी जीभ सीधे मेरे लण्ड के सुपारे को चाट गई…
लण्ड इस छुअन को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसमें से एक दो बून्द पानी की बाहर चमकने लगी…
रोज़ी को भी शायद नमकीन सा स्वाद आया होगा… उसने एक चटकारा सा लिया कि यह कैसा स्वाद है..
और अबकी बार उसने अपने हाथ अपनी आँखों से हटा लिए…
रोज़ी ने आँखे खोलकर जैसे ही लण्ड को अपने होंठों के इतने पास देखा…
वो बुरी तरह शर्मा गई और उसको एहसास हो गया कि यह जो उसने अभी लिया वो किस चीज का स्वाद था…
उसकी तड़प देख मुझे एहसास हो रहा था कि यह इतनी जल्दी सब कुछ के लिए तैयार नहीं होगी… और मैं जबरदस्ती को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था… मैं चाहता था कि रोज़ी खुद पूरे खेल में साथ दे, तभी मजा आएगा…
मैंने रोज़ी के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा- ओह, इतना क्यों शरमा रही हो यार… हम केवल थोड़ा सा एन्जॉय ही तो कर रहे हैं… जिससे हम दोनों को ही कुछ ख़ुशी मिल रही है.. अगर तुमको अच्छा नहीं लग रहा तो कसम से मैं कभी तुम्हें बिल्कुल परेशान नहीं करूँगा.. वो तो तुम खुद को नंगा देखे जाने से इतना शरमा रही थी तभी मैंने तुम्हारी शरम दूर करने के लिए ही ये सब किया…
रोज़ी- व्व्व वो बात नहीं… स्सर… प्पर !
मतलब उसका भी मन था मगर पहली बार होने से शायद घबरा रही थी.
इसका मतलब अभी उसको समय देना होगा.. धीरे धीरे सब सामान्य हो जायेगा…
मैं- अच्छा बाबा ठीक है… अब एक किस तो कर दो, मैंने अंदर कर लिया !
रोज़ी जैसे ही आँखे खोलकर आगे को हुई, एक बार फिर मेरा लण्ड उसके होंठों पर टिक गया, अबकी बार तो कमाल हो गया..
रोज़ी ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पीछे करते हुए कहा- ओह सर.. आप भी ना… इसको अंदर कर लो.. मैं अभी इस सबके लिए तैयार नहीं हूँ…
मेरे दिल ने एक जैकारा लगाया.. वाओ इसका मतलब बाद में तैयार हो जाएगी…
मैंने उसको ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं समझा… मैंने अपना लण्ड किसी तरह पेंट में अंदर किया और नार्मल हो अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया…
रोज़ी अपनी जगह से उठकर- सॉरी सर, मैंने आपका दिल दुखाया…फिर कमबख्त कातिल मुस्कुराहट के साथ पूछा- क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ?मेरे कोई जवाब न देने पर भी वो मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस गई.
मैं कुछ देर तक उसकी हरकतों के बारे में सोचता रहा… फिर अचानक से मुझे जोश आया कि देखूँ तो सही कि कैसे सुसु कर रही है…
और अपनी जगह से उठकर मैं बाथरूम के दरवाजे तक गया…
मैं कई तरह से सोचता हुआ कि ना जाने बाथरूम में रोज़ी क्या कर रही होगी??अभी सूसू कर रही होगी…?या कर चुकी होगी…?कमोड पर साड़ी उठाये बैठी होगी…?या वैसे ही खड़ी होगी जैसा मैंने सुबह देखा था.. !!
अपने ख्यालों में उसकी सुसु करती हुई तस्वीर लिए मैंने बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल दिया और…कहते हैं कि यह मन बावला होता है…यह प्रत्यक्ष प्रमाण मेरे सामने था…
एक मिनट में ही मेरे मन ने रोज़ी के ना जाने कितने पोज़ बना दिए थे… और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब…

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:17 PM,
#67
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 58

कहते हैं कि यह मन बावला होता है…यह प्रत्यक्ष प्रमाण मेरे सामने था…
एक मिनट में ही मेरे मन ने रोज़ी के ना जाने कितने पोज़ बना दिए थे… और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब धूमिल हो गए…
रोज़ी दर्पण के सामने खड़े हो अपने बाल ठीक कर रही थी… उसने बड़े साधारण ढंग से मुझे देखा जैसे उसको पता था कि मैं जरूर आऊँगा…
मेरे ख्याल से उसको चौंक जाना चहिए था मगर ऐसा नहीं हुआ, वो मुझे देख मुस्कुराई- …क्या हुआ?
मैं- कुछ नहीं यार… मेरा भी प्रेशर बन गया…
और उसको नजरअंदाज कर मैं अपना लण्ड बाहर निकाल उसके उसकी ओर पीठ कर मूतने लगा…यह बहाना भी नहीं था, इस सबके बाद मुझे वाकयी बहुत तेज प्रेशर बन गया था मूतने का…
मैंने गौर किया कि रोज़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ा, वो वैसे ही अपने बाल बनाती रही और शायद मुस्कुरा भी रही थी…
बहुत मुश्किल है इस दुनिया में नारी को समझ पाना और उनके मन में क्या है… यह तो उतना ही मुश्किल है जैसे यह बताना कि अंडे में मुर्गा है या मुर्गी…
मूतने के बाद मैंने जोर जोर से पाने लण्ड को हिलाया.. यह भी आज आराम के मूड में बिल्कुल नहीं था… अभी भी धरती के समानान्तर खड़ा था…
मैं लण्ड को हिलाते हुए ही रोज़ी के पास चला गया…वो वाशबेसिन के दर्पण के सामने ही अपने बाल संवार रही थी…
मैं लण्ड को पेंट से बाहर ही छोड़ अपने हाथ धोने लगा.. रोज़ी ने उड़ती नज़र से मुझे देखा, बोली- अरे… इसको अंदर क्यों नहीं करते?
मैं हँसते हुए- हा…हा… तुमको शर्म नहीं आती जहाँ देखो वहीं अंदर करने की बात करने लगती हो… हा हा…
वो एकदम मेरी द्विअर्थी बात समझ गई… और समझती भी क्यों नहीं… आखिर शादीशुदा और कई साल से चुदवाने वाली अनुभवी नारी है…
रोज़ी- जी वहाँ नहीं… मैं पैंट के अंदर करने की बात कर रही हूँ…
मैं- ओह मैं समझा कि साड़ी के अंदर.. हा हा…
रोज़ी- हो हो… बस हर समय आपको यही बातें सूझती हैं?
मैं- अरे यार अब… जब तुमने बीवी वाला काम नहीं किया तो उसकी तरह व्यवहार भी मत करो… ये करो… वो मत करो… अरे यार जो दिल में आये, जो अच्छा लगे, वो करना चाहिए…
रोज़ी- इसका मतलब पराई स्त्री के सामने अपना बाहर निकाल कर घूमो?
मैं- पहले तो आप हमारे लिए पराई नहीं हो… और यही ऐसी जगह है जहाँ इस बेचारे को आज़ादी मिलती है… और रोज़ी डियर, मुझको कहने से पहले अपना नहीं सोचती हो…
रोज़ी- मेरा क्या…? मैं तो ठीक ही खड़ी हूँ ना…
मैं- मैं अब की नहीं, सुबह की बात कर रहा हूँ… कैसे अपनी साड़ी पूरी कमर से ऊपर तक पकड़े और वो सेक्सी गुलाबी कच्छी नीचे तक उतारे… अपने सभी अंगों को हवा लगा रही थीं… तब मैंने तो कुछ नहीं कहा…
रोज़ी- ओह… आप फिर शुरू हो गए… अब बस भी करो ना…
मैं- क्यों? तुम अपना बाहर रखो कोई बात नहीं… पर मेरा बाहर है तो तुमको परेशानी हो रही है?
रोज़ी- अरे आप हमेशा बाहर रखो और सब जगह ऐसे ही घूमो… मुझे क्या !
रोज़ी मेरे से अब काफी खुलने लगी थी… मेरा प्लान ..उसको खोलने का कामयाब होने लगा था…
रोज़ी- अच्छा मैं चलती हूँ… उसने एक पैकेट सा वाशबेसिन की साइड से उठाया…
मेरी जिज्ञासा बढ़ी- अरे इसमें क्या है???
वो शायद टॉयलेट पेपर में कुछ लिपटा था… मैंने तुरंत उसके हाथ से झपट लिया..
मैं- यह क्या लेकर जा रही हो यहाँ से…
और छीनते ही वो खुल गया, तुरंत एक कपड़ा सा नीचे गिरा..
अरे… यह तो रोज़ी की कच्छी थी… वही सुबह वाली.. सेक्सी, हल्के नेट वाली… गुलाबी..
रोज़ी के उठाने से पहले ही मैंने उसको उठा लिया…
मेरा हाथ में कच्छी का चूत वाले हिस्से का कपड़ा आया जो काफी गीला और चिपचिपा सा था…
.!
ओह तो रोज़ी ने बाथरूम में आकर अपनी कच्छी निकाली थी… ना कि मूत किया था…इसका मतलब उस समय यह भी पूरी गीली हो गई थी..
रोज़ी ने मेरे लण्ड को पूरा एन्जॉय किया था, बस ऊपर से नखरे दिखा रही थी…
रोज़ी- उफ्फ… क्या करते हो?? दो मेरा कपड़ा…
मैं- अरे कौन सा कपड़ा भई…?
मैंने उसके सामने ही उसकी कच्छी का चूत वाला हिस्सा अपनी नाक पर रख सूंघा…- अरे, लगता है तुमने कच्छी में ही शूशू कर दिया..
रोज़ी- जी नहीं, वो सूसू नहीं है… प्लीज मुझे और परेशान मत करो… दे दो ना इसे…
मैं- अरे बताओ तो यार क्या है यह..?
रोज़ी- मेरी पैंटी.. बस हो गई ख़ुशी… अब तो दो ना !
मैं- जी नहीं, यह तो अब मेरा गिफ्ट है… इसको मैं अपने पास ही रखूँगा…रोज़ी चुपचाप पैर पटकते हुए बाथरूम और फिर केबिन से भी बाहर चली गई… पता नहीं नाराज होकर या…
फिर मैं कुछ काम में व्यस्त हो गया.
शाम को फोन चेक किया तो तीन मिसकॉल सलोनी की थीं…मैंने सलोनी को कॉल बैक किया…
सलोनी- अरे कहाँ थे आप… मैं कितना कॉल कर रही थी आपको…
मैं- क्या हुआ?
सलोनी- सुनो… मेरी जॉब लग गई है .. वो जो स्कूल है न उसमें…
मैं- चलो, मैं घर आकर बात करता हूँ…
सलोनी- ठीक है… हम भी बस पहुँचने ही वाले हैं…
मैं- अरे, अभी तक कहाँ हो?
सलोनी- अरे वो वहाँ साड़ी में जाना होगा ना… तो वही शॉपिंग और फिर टेलर के यहाँ टाइम लग गया..
मैं- ओह… चलो तुम घर पहुँचो… मुझे भी एक डेढ़ घण्टा लग जाएगा…
सलोनी- ठीक है कॉल कर देना जब आओ तो…मैं- ओके डार्लिंग… बाय..
सलोनी- बाय जानू…
मैं अब यह सोचने लगा कि यार यह सलोनी, मेरी चालू बीवी शाम के छः बजे तक बाजार में कर क्या रही थी?और टेलर से क्या सिलवाने गई थी?
है कौन यह टेलर?

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:17 PM,
#68
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 58

मैंने सलोनी को कॉल बैक किया…
सलोनी- सुनो… मेरी जॉब लग गई है.. वो जो स्कूल है न उसमें…
मैं- चलो, मैं घर आकर बात करता हूँ…
सलोनी- ठीक है… हम भी बस पहुँचने ही वाले हैं…
मैं- अरे, अभ तक कहाँ हो?
सलोनी- अरे वो वहाँ साड़ी में जाना होगा ना… तो वही शॉपिंग और फिर टेलर के यहाँ टाइम लग गया..
मैं- ओह… चलो तुम घर पहुँचो… मुझे भी एक डेढ़ घण्टा लग जाएगा…
सलोनी- ठीक है कॉल कर देना जब आओ तो…
मैं- ओके डार्लिंग… बाय..
सलोनी- बाय जानू…
मैं अब यह सोचने लगा कि यार यह सलोनी, मेरी चालू बीवी शाम के छः बजे तक बाजार में कर क्या रही थी?और टेलर से क्या सिलवाने गई थी?है कौन यह टेलर?
पहले मैं घर जाने कि सोच रहा था… पर इतनी जल्दी घर पहुँचकर करता भी क्या? अभी तो सलोनी भी घर नहीं पहुँची होगी…
मैं अपनी कॉलोनी से मात्र दस मिनट की दूरी पर ही था, सोच रहा था कि फ्लैट की दूसरी चाबी होती तो चुपचाप फ्लैट में जाकर छुप जाता और देखता वापस आने के बाद सलोनी क्या क्या करती है.पर चाबी मेरे पास नहीं थी… अब आगे से यह भी ध्यान रखूँगा…
तभी मधु का ध्यान आया… उसका घर पास ही तो था… एक बार मैं गया था सलोनी के साथ…सोचा, चलो उसके घर वालों से मिलकर बता देता हूँ और उन लोगों को कुछ पैसे भी दे देता हूँ…अब तो मधु को हमेशा अपने पास रखने का दिल कर रहा था…
गाड़ी को गली के बाहर ही खड़ा करके किसी तरह उस गंदी सी गली को पार करके मैं एक पुराने से छोटे से घर में घर के सामने रुका…उसका दरवाजा ही टूटफूट के टट्टों और टीन से जोड़कर बनाया था…मैंने हल्के से दरवाजे को खटखटाया…
दरवाजा खुलते ही मैं चौंक गया… खोलने वाली मधु थी… उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहना था… मुझे देखते ही खुश हो गई…
मधु- अरे भैया आप?
मैं- अरे तू यहाँ… मैं तो समझ रहा था कि तू अपनी भाभी के साथ होगी…
मधु- अरे हाँ.. मैं कुछ देर पहले ही तो आई हूँ… वो भाभी ने बोला कि अब शाम हो गई है तू अब घर जा.. और कल सुबह जल्दी बुलाया है…मैं मधु के घर के अंदर गया, मुझे कोई नजर नहीं आया…
मैं- अरे कहाँ है तेरे माँ, पापा?
मधु- पता नहीं… सब बाहर ही गए हैं… मैंने ही आकर दरवाजा खोला है…बस उसको अकेला जानते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया…मैंने वहीं पड़ी एक टूटी सी चारपाई पर बैठते हुए मधु को अपनी गोद में खींच लिया.
मधु दूर होते हुए- ओह.. यहाँ कुछ नहीं भैया… कोई भी अंदर देख सकता है.. और सब आने वाले ही होंगे… मैं कल आऊँगी ना.. तब कर लेना…
वाह रे मधु… वो कुछ मना नहीं कर रही थी… उसको तो बस किसी के देख लेने का डर था.. क्योंकि अभी वो अपने घर पर थी तो…
कितनी जल्दी यह लड़की तैयार हो गई थी… जो सब कुछ खुलकर बोल रही थी..मैं मधु और रोज़ी की तुलना करने लगा…यह जिसने ज्यादा कुछ नहीं किया.. कितनी जल्दी सब कुछ करने का सहयोग कर रही थी…और उधर वो अनुभवी.. सब कुछ कर चुकी रोज़ी.. कितने नखरे दिखा रही थी…
शायद भूखा इंसान हमेशा खाने के लिए तैयार रहता है.. यही बात थी.. या मधु की गरीबी ने उसको ऐसा बना दिया था?मैंने मधु के मासूम चूतड़ों पर हाथ रख उस अपने पास किया और पूछा- अरे मेरी गुड़िया.. मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा… यह तो बता सलोनी खुद कहाँ है?
मधु- वो तो शंकर अंकल के यहाँ होंगी… वो उन्होंने तीन साड़ियाँ ली हैं ना.. तो उसके ब्लाउज और पेटीकोट सिलने देने थे…मैं- अरे कुछ देर पहले फोन आया था कि वो तो उसने दे दिए थे…
मधु- नहीं, वो बाजार वाले दर्जी ने मना कर दिया था.. वो बहुत दिनों बाद सिल कर देने को कह रहा था..तो भाभी ने उसको नहीं दिए…और फिर मुझको छोड़कर शंकर अंकल के यहाँ चली गई…
मैं सोचने लगा कि ‘अरे वो शंकर… वो तो बहुत कमीना है…’और सलोनी ने ही उससे कपड़े सिलाने को खुद ही मना किया था…
तभी…मधु के चूतड़ों पर फ्रॉक के ऊपर से ही हाथ रखने पर मुझे उसकी कच्छी का एहसास हुआ…मैंने तुरंत अचानक ही उसके फ्रॉक को अपने दोनों हाथ से ऊपर कर दिया…उसकी पतली पतली जाँघों में हरे रंग की बहुत सुन्दर कच्छी फंसी हुई थी…
मधु जरा सा कसमसाई… उसने तुरंत दरवाजे की ओर देखा… और मैं उसकी कच्छी और कच्छी से उभरे हुए उसके चूत वाले हिस्से को देख रहा था…उसके चूत वाली जगह पर ही मिक्की माउस बना था..
मैंने कच्छी के बहाने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा- यह तो बहुत सुन्दर है यार..अब वो खुश हो गई- हाँ भैया.. भाभी ने दो दिलाई..
और वो मुझसे छूटकर तुरंत दूसरी कच्छी लेकर आई..वो भी वैसी ही थी पर लाल सुर्ख रंग की..
मैं- अरे वाह.. चल इसे भी पहन कर दिखा…मधु- नहीं अभी नहीं… कल..
मैं भी अभी जल्दी में ही था… और कोई भी आ सकता था…फिर मैंने सोचा कि क्या शंकर के पास जाकर देखूँ, वो क्या कर रहा होगा??
पर दिमाग ने मना कर दिया… मैं नहीं चाहता था कि सलोनी को शक हो कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ…
फिर मधु को वहीं छोड़ मैं अपने फ्लैट की ओर ही चल दिया… सोचा अगर सलोनी नहीं आई होगी तो कुछ देर नलिनी भाभी के यहाँ ही बैठ जाऊँगा..और अच्छा ही हुआ जो मैं वहाँ से निकल आया… बाहर निकलते ही मुझे मधु की माँ दिख गई.. अच्छा हुआ उसने मुझे नहीं देखा…
मैं चुपचाप वहाँ से निकल गाड़ी लेकर अपने घर पहुँच गया.मैं आराम से ही टहलता हुआ अरविन्द अंकल के फ्लैट के सामने से गुजरा…
दरवाजा हल्का सा भिड़ा हुआ था बस… और अंदर से आवाजें आ रही थीं…मैं दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा कि कहीं सलोनी यहीं तो नहीं है…?
नलिनी भाभी- अरे, अब कहाँ जा रहे हो.. कल सुबह ही बता देना ना…
अंकल- तू भी न.. जब बो बोल रही है तो.. उसको बताने में क्या हर्ज है.. उसकी जॉब लगी है.. उसके लिए कितनी ख़ुशी का दिन है…
नलिनी भाभी- अच्छा ठीक है… जल्दी जाओ और हाँ वैसे साड़ी बांधना मत सिखाना जैसे मेरे बांधते थे..
अंकल- हे हे… तू भी ना.. तुझे भी तो नहीं आती थी साड़ी बांधना… तुझे याद है अभी तक कैसे मैं ही बांधता था..?
नलिनी भाभी- हाँ हाँ.. मुझे याद है कि कैसे बांधते थे.. पर वैसे सलोनी की मत बाँधने लग जाना..
अंकल- और अगर उसने खुद कहा तो…
नलिनी- हाँ वो तुम्हारी तरह नहीं है… तुम ही उस बिचारी को बहकाओगे..
अंकल- अरे नहीं मेरी जान.. बहुत प्यारी बच्ची है.. मैं तो बस उसकी हेल्प करता हूँ..
नलिनी- अच्छा अब जल्दी से जाओ और तुरंत वापस आना…
मैं भी तुरंत वहाँ से हट कर एक कोने में को सरक गया, वहाँ कुछ अँधेरा था…इसका मतलब अरविन्द जी मेरे घर ही जा रहे हैं.. सलोनी यहाँ पहुँच चुकी है और अंकल उसको साड़ी पहनना सिखाएंगे…
वाह.. मुझे याद है कि सलोनी ने शादी के बाद बस 5-6 बार ही साड़ी पहनी है… वो भी तब, जब कोई पारिवारिक उत्सव हो तभी…और उस समय भी उसको कोई ना कोई हेल्प ही करता था… मेरे घर की महिलायें ना कि पुरुष…
पर अब तो अंकल उसको साड़ी पहनाने में हेल्प करने वाले थे… मैं सोचकर ही रोमांच का अनुभव करने लगा था…कि अंकल.. सलोनी को कैसे साड़ी पहनाएंगे…
पहले तो मैंने सोचा कि चलो जब तक अंकल नहीं आते.. नलिनी भाभी से ही थोड़ा मजे ले लिए जाएँ.. पर मेरा मन सलोनी और अंकल को देखने का कर रहा था…
रसोई की ओर गया… खिड़की तो खुली थी… पर उस पर चढ़कर जाना संभव नहीं था… इसका भी कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा…फिर अपने मुख्य गेट की ओर आया और दिल बाग़ बाग़ हो गया…सलोनी ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था…क्या किस्मत थी यार…??
और मैं बहुत हल्के से दरवाजा खोलकर अंदर झांकने लगा…और मेरी बांछें खिल गई…अंदर… इस कमरे में कोई नहीं था… शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे…
बस मैंने चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा दिया और चुपके चुपके बैडरूम की ओर बढ़ा…मन में एक उत्सुकता लिए कि जाने क्या देखने को मिले…???

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:18 PM,
#69
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 59

सलोनी ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था…क्या किस्मत थी यार…??
और मैं बहुत हल्के से दरवाजा खोलकर अंदर झांकने लगा…और मेरी बांछें खिल गई…अंदर… इस कमरे में कोई नहीं था… शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे…
बस मैंने चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा दिया और चुपके चुपके बैडरूम की ओर बढ़ा…मन में एक उत्सुकता लिए कि जाने क्या देखने को मिले…????
कमरे में प्रवेश करते हुए एक डर सा भी था..लो कर लो बात… अपने ही घर में घुसते हुए डर लग रहा था मुझे..जबकि पड़ोसी मेरी बीवी के साथ बेधड़क मेरे बेडरूम में घुसा हुआ था और ना जाने क्या-क्या कर रहा था…
मैं बहुत धीमे क़दमों से इधर उधर देखते हुए आगे बढ़ रहा था कि कहीं कोई देख ना ले !सच खुद को इस समय बहुत बेचारा समझ रहा था…
मुझे अच्छी तरह याद है करीब एक साल पहले एक पारिवारिक शादी के कार्यक्रम में भी सलोनी को साड़ी नहीं बंध रही थी तब उसके ताऊ जी ने उसकी मदद की थी…
पर उस समय मैं नहीं देख पाया था कि कैसे उन्होंने सलोनी को साड़ी पहनाई क्योंकि ताऊजी ने सबको बाहर भेज दिया था और मैंने या किसी ने कुछ नहीं सोचा था…क्योंकि ताऊजी बहुत आदरणीय थे…
मगर अब अरविन्द अंकल को देखने के बाद तो किसी भी आदरणीय पर भी भरोसा नहीं रहा था…फ़िलहाल किसी तरह मैं बेडरूम के दरवाजे तक पहुंचा, दरवाजे पर पड़ा परदा मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं था…
इसके लिए मैंने मन ही मन अपनी जान सलोनी को धन्यवाद दिया क्योंकि ये मोटे परदे उसी की पसंद थे जो आज मुझे छिपाकर उसके रोमांच को दिखा रहे थे.
अंदर से दोनों की आवाज आ रही थी, मैंने अपने को पूरी तरह छिपाकर परदे को साइड से हल्का सा हटा अंदर झाँका…देखने से पहले ही मेरा लण्ड पैंट में पूरी तरह से अपना सर उठकर खड़ा हो गया था, उसको शायद मेरे से ज्यादा देखने की जल्दी थी.
अंदर पहली नजर मेरी सलोनी पर ही पड़ी, माय गॉड.. यह ऐसे गई थी आज?पूरी क़यामत लग रही थी मेरी जान…उसने अभी भी जीन्स और टॉप ही पहना था…
पर्पल रंग की लोवेस्ट जींस और सफ़ेद शर्ट नुमा टॉप जो उसकी कमर तक ही था… टॉप और जींस के बीच करीब 6-7 इंच का गैप था जहाँ से सलोनी की गोरी त्वचा दिख रही थी…सलोनी की पीठ मेरी ओर थी इसलिए उसके मस्त चूतड़ जो जींस के काफी बाहर थे वो दिख रहे थे…
अब मैंने उनकी बातें सुनने का प्रयास किया…
अंकल- अरे बेटा तू चिंता ना कर… मैं सब सेट कर दूंगा…
सलोनी- हाँ अंकल, आप कितने अच्छे हो मगर भाभी की यह साड़ी मैं कैसे पहनूँगी?
अंकल- अरे मैं हूँ ना… तू ऐसा कर, तेरे पास जो भी पेटीकोट और ब्लाउज हों वो लेकर आ… मैं अभी मैच कर देता हूँ… देखना तू कल स्कूल में सबसे अलग लगेगी…
सलोनी- हाँ अंकल… मैं भी चाहती हूँ कि मेरी जॉब का पहला दिन सबसे अच्छा हो ! मगर इस साड़ी ने सब गड़बड़झाला कर दिया..
अंकल- तू जो साड़ियाँ लाई है.. हैं तो सब बढ़िया…
सलोनी- हाँ अंकल, मगर इनके ब्लाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही मिलेंगे ना… बस कल की चिंता है…
सलोनी बेडरूम में ही अपनी कपड़ों के रैक में खोजबीन सी करने लगी…
मुझे याद है कि उसके पास कोई 3-4 ही साड़ियाँ थीं.. जो उसने शुरू में ही ली थी… और सभी फंक्शन में पहनने वाली हैवी साड़ियां थीं.. जो रोज रोज नहीं पहन सकते… शायद इसीलिए वो परेशान थी..तभी सलोनी अपनी रेक के सबसे नीचे वाले भाग को देखने के लिए उकड़ू बैठ गई…
मैंने साफ़ देखा कि उसकी जींस और भी नीचे खिसक गई और उसके चूतड़ लगभग नंगे देख रहे थे…अब मैंने अंकल को देखा,वो ठीक सलोनी के पीछे ही खड़े थे और उनकी नजर सलोनी के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी…
फिर अचानक अंकल सलोनी के पीछे ही बैठ गए..मुझे नजर नहीं आया मगर शायद उन्होंने अपना हाथ सलोनी के उस नंगे भाग पर ही रखा था…
अंकल- क्यों, आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई बिना कच्छी के? देख सब नंगे दिख रहे हैं…
सलोनी- हाँ हाँ… लगा लो फिर से हाथ बहाने से… आप भी ना अंकल… तो क्या हुआ?? सब आपकी तरह थोड़े ना होते हैं…
अंकल भी किसी से कम नहीं थे, उन्होंने हाथ फेरते हुए ही कहा- अरे मैं भी यही कह रहा हूँ बेटा… सब मेरे तरह शरीफ नहीं होते… मैं तो केवल हाथ ही लगा रहा हूँ… बाकी रास्ते में तो सबने क्या क्या लगाया होगा…सलोनी हाथ में कुछ कपड़े ले जल्दी से उठी…
सलोनी- अच्छा अंकल जी, छोड़ो इन बातों को… आप तो जल्दी से मेरी साड़ी का सेट करो, मुझे बहुत टेंशन हो रही है…तभी कुछ देर तक अंकल और सलोनी ने कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट निकाला..
अंकल- बेटा, मेरे हिसाब से तू इनमें बहुत ठीक लगेगी…
सलोनी- मगर अंकल इस साड़ी के साथ, आपको यह पेटीकोट कुछ गहरा नहीं लग रहा?
अंकल- अरे नहीं बेटा… तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ… पर आजकल साड़ी इतनी पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा…
सलोनी- हाँ हाँ आप तो रहने ही दो… चलो मैं ये दोनों कपड़े पहन कर आती हूँ ! फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना…उसने पेटीकोट और ब्लाउज हाथ में लिये..
अंकल- अरे रुक ना… कहाँ जा रही है बदलने?

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:20 PM,
#70
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 60

अंकल- अरे नहीं बेटा… तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ… पर आजकल साड़ी इतनी पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा…
सलोनी- हाँ हाँ आप तो रहने ही दो… चलो मैं ये दोनों कपड़े पहन कर आती हूँ ! फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना…
उसने पेटीकोट और ब्लाउज हाथ में लिये..अंकल- अरे रुक ना… कहाँ जा रही है बदलने?
सलोनी- अरे बाथरूम में, और कहाँ? आप साड़ी ही तो बांधोगे ना.. ये पेटीकोट और ब्लाउज तो मुझे पहनने आते हैं..अंकल- जी हाँ, पर साड़ी के साथ पेटीकोट और ब्लाउज मैं फ्री पहनाता हूँ…
अब तुम सोच लो पेटीकोट और ब्लाउज भी मुझ ही से पहनोगी, तभी साड़ी भी पहनाऊँगा… हा हा हा…सलोनी- ओह ब्लैकमेल… मतलब साड़ी पहनाने की फीस आपको एडवांस में चाहिए…अंकल- अब तुम जो चाहे समझ लो… मेरी यही शर्त है…सलोनी- हाँ हाँ… उठा लो मज़बूरी का फ़ायदा… अच्छा जल्दी करो अब..मेरे पतिदेव कभी भी आ सकते हैं..
उसने अपना मोबाइल को चेक करते हुए कहा…एक बार तो मुझे लगा कि कहीं वो मुझे कॉल तो नहीं कर रही…मैंने तुरंत अपना मोबाइल साइलेंट कर लिया…
अंकल सलोनी के हाथ से ब्लाउज ले खोलकर देखने लगे..सलोनी ने अपने टॉप के बटन खोलते हुए बोली- अब ये कपड़े तो मैं खुद उतार लूँ या ये भी आप ही उतारोगे?अंकल- हाँ, रुक रुक… आज सब मैं ही करूँगा…और सलोनी बटन खोलते खोलते रुक गई…
अब अंकल ने ब्लाउज को अपने कंधे पर डाला और बड़े अंदाज़ से सलोनी के टॉप के बाकी बचे बटन खोलने लगे… और सलोनी ने भी बिना किसी विरोध के अपना टॉप उतरवा लिया.
शुक्र है भगवान का कि उसने अंदर ब्रा पहनी थी जो बहुत सेक्सी रूप से उसके खूबसूरत गोलाइयों को छुपाये थी मगर ‘लो वेस्ट जींस’ में उसका नंगा सुतवाँ पेट और ऊपर केवल ब्रा में कुल मिलकर सलोनी सेक्स की देवी जैसी दिख रही थी…
सलोनी होंठों पर मुस्कुराहट लिए लगातार अंकल की आँखों और उनके कांपते हाथों को देख रही थी और अंकल की पतली हालत को देखकर मुस्कुराते हुए वो पूरी शैतान की नानी लग रही थी.
अंकल ने जैसे ही ब्रा को उतारने का उपक्रम किया कि तभी सलोनी जैसे जागी- अरर…अई इसे क्यों उतार रहे हैं? ब्लाउज तो इसके ऊपर ही पहनओगे ना?
अंकल- व्व…वो… ह…हाँ.. पर क्या तुम ब्रा नहीं बदलोगी?सलोनी- वो तो सुबह भी देख लूंगी, अभी तो ऐसे ही पहना दो…
मैं केवल यह सोच रहा था कि चलो ऊपर का तो ठीक ही है पर नीचे का क्या होगा??
नीचे तो उसने कुछ नहीं पहना है, जींस उतरते ही उसकी चूत, चूतड़ सब दिखाई दे जायेंगे… क्या यह मेरी सलोनी ऐसे ही खड़ी रहेगी?
मैं अभी सोच ही रहा था कि… अंकल ने सलोनी की जींस का बटन खोल दिया !तब भी सलोनी ने फिर थोड़ा सा विरोध किया- …अरे अंकल पहले ब्लाउज तो पहना ही देते, फिर नीचे का…
अंकल ने जैसे कुछ सुना ही नहीं… चाहते तो जींस की चेन दोनों भाग को खींच कर खुल जाती… मैंने भी कई बार खोली है.. पर अंकल जींस की चेन को अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ बड़े रुक रुक कर खोल रहे थे…
चेन ठीक सलोनी की फूली हुई चूत के ऊपर थी..
.!और शतप्रतिशत उनकी उंगलियाँ सलोनी की नंगी चूत को स्पर्श हो रही होंगी…
इसका पता सलोनी के चेहरे को देखकर ही लग रहा था.. उसने मदहोशी से अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसके लाल रक्तिम होंठ काँप रहे थे…
चेन खोलने के बाद अंकल ने उसकी जींस दोनों हाथ से पकड़ पहले सलोनी के चूतड़ से उतारी और फिर सलोनी के जांघों और पाँव से !
सलोनी ने भी बड़े सेक्सी अंदाज़ से अपना एक एक पैर उठा उसे दोनों पैरों से निकलवा लिया.इस दौरान अंकल की नजर ऊपर सलोनी की चूत और उसकी खुलती बंद होती कलियों पर ही थी…
मेरे बेडरूम में अंकल की सांसें इतनी तेज चल रही थी जैसे कई मील दौड़ लगाकर आये हों…और अब सलोनी अंकल के सामने कमरे की सफेद रोशनी में केवल छोटी मिनी ब्रा में पूरी नंगी खड़ी थी…अब शायद उसको कुछ शर्म आ रही थी.. उसने अपनी टांगों को कैची की तरह बंद कर लिया था.
अंकल ने मुस्कुराते हुए ही पेटीकोट उठाया और उसको पहनाने लगे…अब मुझे अंकल बहुत ही शरीफ लगने लगे…
एक इतने खूबसूरत लगभग नग्न हुस्न को देखकर भी अंकल उसको बिना छुए, बिना कुछ किये, कपड़े पहनाने लगे !वाकयी बहुत सयंम था उनमें…
अंकल ने ऊपर से पेटीकोट ना डालकर सलोनी के पैरों को उठवा कर नीचे से पहनाया और बहुत ही सेक्सी अंदाज़ से सलोनी के साथ चुहल करते हुए उसके पेटीकोट का नाड़ा बाँधा…फिर उन्होंने सलोनी को ब्लाउज पहनाते हुए कई बार उसकी चूची को छुआ और बटन लगाते हुए दबाया भी !
मैं बुरी तरह बैचेन हो रहा था और सोच रहा था कि क्या ताऊजी ने भी सलोनी को ऐसे ही छुआ होगा?या इससे भी ज्यादा?
क्योंकि उस शादी से पहले एक बार भी हमारे घर ना आने वाले ताऊजी उस शादी के बाद 3-4 बार चक्कर लगा चुके हैं…अब यह राज तो सलोनी या फिर ताऊजी ही जाने !
इस समय तो अरविन्द अंकल बहुत प्यार से बताते हुए सलोनी के एक एक अंग को छूते हुए उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे !
कहानी जारी रहेगी.

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