Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:25 PM,
#91
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 81

मैं कितना भी मस्ती के मूड में था और चाहे बहुत अधिक खुल चुका था… शायद हर तरह की आवारागर्दी करना चाहता था मगर इस समय खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस परिस्थति से कैसे निकला जाये !
मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि कोई भी इंसान हमारी मजबूरी का फ़ायदा उठाये, अपनी मर्जी से हम कुछ भी करें वो हर हाल में अच्छा लगता है मगर इस तरह डरा धमका कर ऐसे पुलिस वालों के सामने मैं किसी भी हाल में अपनी बीवी की बेइज्जती नहीं चाहता था.
सलोनी भी पूरी तरह से इन लोगों का विरोध कर रही थी, उसको भी ये सब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था कि एक गंदा सा हवलदार उसको छुए और उसके साथ ऐसे बदसुलूकी करे, वो हर तरह से विरोध कर रही थी.
इंस्पेक्टर भी साला कमीना टाईप का ही था, तभी वो कुछ नहीं सुन रहा था या हो सकता है कि उसका रात की ड्यूटी में ऐसे ही लोगों का सामना होता हो इसीलिए वो हम पर जरा भी भरोसा नहीं कर रहा था.
सलोनी मचलती हुई और उनकी हरकतों का विरोध करती हुई उनके बीच खड़ी थी, हवलदार उसके पीछे खड़ा हुआ उसको पकड़े था और इंस्पेक्टर उसके सामने खड़ा उसको देख रहा था.
मैं एक तरफ साइड में खड़ा ये सब देख रहा था और उनसे बचने की तरकीब सोच रहा था.
हवलदार ने सलोनी की शर्ट उसके पेट तक ऊँची कर पकड़ ली और खी खी कर हंसने लगा.हवलदार- यह देखो भाई… पूरी नंगी है सुसरी… गाड़ी में ही करा रही थी.सलोनी ने पूरी ताकत लगा दी हवलदार के हाथ से शर्ट छुड़वाने में.इंस्पेक्टर- सीधी खड़ी रह…
और उसने अपना हाथ सलोनी के पेट पर रख सहलाया- ..ये बिना कपड़ों के क्या कर रही थी..??
सलोनी की चूत का उभार इतना ज्यादा उभरा हुआ है कि उसके खड़े होने पर भी उसकी चूत के होंठ दिख रहे थे.
ऊपर से वो हमेशा उनको चिकना रखती थी इसीलिए वो कुछ ज्यादा ही हर किसी को आकर्षित करते हैं.
सच सलोनी किसी सेक्स की मूरत की तरह खड़ी थी… उसकी शर्ट का ऊपर का बटन खुला था और गाला भी काफी बड़ा था जिससे उसकी गदराई मुलायम चूची का काफी भाग बाहर झाँक रहा था.
इंस्पेक्टर ने सलोनी के पेट को सहलाते हुए ही अपना हाथ सीधा किया, उसकी उँगलियाँ सलोनी की चूत के ऊपरी हिस्से तक पहुँच गई.
सलोनी ने पैरों को झटका जिससे उसका हाथ वहाँ से हटा तो नहीं पर हाँ थोड़ा सा नीचे को और हो गया.
इंस्पेक्टर- अरे क्यों मचल रही है… अपने इस मुँह से फ़ूट ना.. यह अपनी इस चिड़िया को खोलकर कहाँ जा रही थी.. लग तो ऐसा ही लग रहा है जैसे खूब खिला पिला रही है इसको?
सलोनी- नहीईइइइइइ इइइइइ प्लीज सर मत करिए…
अरे यह क्या..???? इंस्पेक्टर की पूरी हथेली सलोनी की चूत पर थी, उसने सलोनी की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
सलोनी- अह्ह्हाआआआ मत करो…
इंस्पेक्टर- सच वे… बहुत चिकनी है …
हवलदार- भाई अंदर से भी चेक करो ना.. कहीं कुछ छुपा कर तो नहीं ले जा रही…
इंस्पेक्टर- वो तू अपने डंडे से चेक कर लेना.. हा हा हा…हवलदार- हा हा हा भाई आप आगे से चेक कर लो… मेरा डंडा तो इसको पीछे से चेक कर रहा है… साली खूब मालदार है…
मैं चौंक गया… इसका तो मैंने ध्यान ही नहीं दिया… हवलदार सलोनी को पकड़ने के बहाने से उसके नंगे चूतड़ों से बुरी तरह चिपका था…
मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया- यह आप लोग कर क्या रहे हो?? आप शायद जानते नहीं हो, मैं इसकी शिकायत ऊपर तक करूँगा…
इंस्पेक्टर- जा भाग यहाँ से… तू शिकायत कर.. तब तक हम इसकी शिकायत पर मोहर लगा देते हैं..
ओह… ये तो खुलेआम गुंडागर्दी पर आ गए थे…
मैं- आप लोग ऐसा नहीं कर सकते.. हम पति पत्नी हैं..
इंस्पेक्टर- तो जा पहले सबूत लेकर आ… साले हमको बेवक़ूफ़ समझता है… पति पत्नी रात को इस समय नंगे घूमते हैं..
और एक झटके में उसने सलोनी की शर्ट के सारे बटन खोल दिए.
सलोनी सामने से पूरी नंगी दिखने लगी… उसकी सफ़ेद तनी हुई चूचियाँ और उन पर सफ़ेद धब्बे के निशान लाइट में चमक रहे थे… जो शायद क्लब में किसी के वीर्य के थे…
उधर हवलदार ने पीछे से शर्ट पकड़ पूरी निकाल वहीं डाल दी… सलोनी ने इसका पूरा विरोध किया मगर उनके सामने उसकी एक ना चली… अब उनके सामने खुली सड़क पर सलोनी पूरी नंगी खड़ी थी.
.!
इंस्पैक्टर उसके चूची को हाथ में ले मसलते हुए बोला- देख साले.. बोल रहा है बीवी है… हर जगह से तो गंदे पानी से लितड़ी पड़ी है…
हवलदार- हाँ भाई, पीछे भी सब जगह लगा है…लगता है कईयों से चुदवा कर आ रही है.
मैं असहाय सा उनको यह सब करता देख रहा था.
तभी इंस्पेक्टर ने सलोनी को घुमाया- दिखा तो साले, इसकी गांड कैसी है… चूत तो बिल्कुल मक्खन की टिक्की जैसी है…अरे यह क्या???
हवलदार ने अपने नेकर की साइड से लण्ड बाहर निकाला हुआ था, उसके काले लण्ड का अगला भाग बाहर दिख रहा था, कमीना अपने नंगे लण्ड को सलोनी के चूतड़ों से चिपकाये था.
इंस्पेक्टर- हा हा तूने डंडा बाहर भी निकाल लिया?हवलदार- हाँ भाई पीछे चेक कर रहा था…इंस्पेक्टर- हा हा हा बाहर ही चेक किया या अंदर भी देख आया?
हवलदार- अरे भाई अभी तो बाहर ही.. अंदर चेक करने के लिए तो हैलमेट पहना पड़ेगा… हा हा हा… हो हो हो…
दोनों पागलों की तरह हँसते हुए सलोनी को रगड़ रहे थे.. इंस्पेक्टर ने सलोनी की गर्दन पकड़ उसको झुका दिया और पीछे से उसके चूतड़ों पर चपत लगा लगा कर देखने लगा.
इंस्पेक्टर- अरे हाँ यार.. कितना यह तो लपलपा रही है.. आज तो इसकी गांड मारने में मजा आ जाएगा !
अब मेरा सब्र की इंतेहा हो गई थी- अगर आप लोगों ने इसको नहीं छोड़ा तो मैं अभी फोन करता हूँ…
इंस्पेक्टर ने हवलदार को बोला- अबे तू देख इसको क्या बक रहा है यह.. तब तक मैं इसके नट बोल्ट खोलता हूँ !
हवलदार- अरे छोड़ो भाई, इसको गाड़ी पर लेकर चलते हैं… मेरे से तो बिल्कुल नहीं रुका जा रहा.. क्या मक्खन मलाई चूत है इसकी…
वो पीछे से ही सलोनी की चूत को उँगलियों से रगड़ रहा था…
मुझमें ना जाने कहाँ से जोश आ गया, मैंने दोनों को एक साथ जोर से धक्का दिया, वो दोनों वहीं सड़क पर गिर पड़े !
मैंने सलोनी को पकड़ा और वहाँ से भागने लगा मगर तभी हवलदार ने अपना डंडा मेरे पैरों में मार दिया, मैं वहीं गिर पड़ा …
इंस्पेक्टर- साले तू तो अब गया… देखना कितना लम्बा तुझको अंदर करूँगा अब मैं..
मेरी हालत ख़राब थी …
सलोनी- नहीं सर प्लीज इनको छोड़ दीजिये.. आप चाहे कुछ भी कर लीजिये पर हमको छोड़ दीजिये..
मैं अवाक सा उसको देख रहा था… सलोनी रोये जा रही थी और मेरे से चिपकी थी… वो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार थी.
इंस्पेक्टर- नहीं… इसको तो मैं आज यही ठीक करूँगा.
उसने हवलदार के हाथ से डंडा ले लिया …
वो जैसे ही मुझे मारने को आया, सलोनी तुरंत खड़ी हो उसने इंस्पेक्टर के हाथ का डंडा पकड़ लिया…
सलोनी- आपको तो विश्वास नहीं है ना पर ये मेरे पति ही हैं… मैं इनको हाथ भी नहीं लगाने दूंगी… चलो आओ…. कर लो मेरे साथ अपने मन की…
इंस्पेक्टर मुँह खोले उसको देख रहा था…
हवलदार- वाह भाई, अब तो यह अपनी मर्जी से चुदवायेगी.. चलो भाई, गाड़ी के अंदर आज इसकी जमकर ठुकाई करते हैं, बहुत टाइट माल हाथ लगा है आज तो…
सलोनी बिना उनके कुछ कहे उनकी गाड़ी की ओर बढ़ गई.. मैं पूरी नंगी सलोनी को जाता देख रह था… हवलदार भी उसकी ओर पीछे पीछे जाने लगा.
इंस्पेक्टर- सुन साले, तेरा लौड़ा बहुत अकड़ रहा है? रोक इसको… तू इस पर नजर रख.. मैं उसको देखता हूँ…और हवलदार नाक मुँह सिकोड़ता हुआ इंस्पेक्टर के हाथ से डंडा ले मेरे पास आ गया और इन्स्पेटर गाड़ी की ओर चला गया.
सलोनी पहले ही वहाँ पहुँच गई थी.
हाय… यह अब क्या होने जा रहा था…?????????

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:25 PM,
#92
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 82

सोचा था पूरी रात खूब मस्ती करेंगे.. आज वो सब कुछ करेंगे जो केवल कल्पना ही किया करते थे मगर अब मुझे अपने निर्णय पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था…
मैं सपने में भी नहीं चाहता था कि सलोनी, मेरी प्यारी जान को जरा भी कष्ट हो, उसकी मर्जी के बिना कोई उसे छू भी सके…
मगर इस समय वो मेरे लिए कुर्बानी देने को तैयार थी…
उसने अपना संगमरमरी बदन एक दुष्ट पुलिस वाले के हाथों से नुचवाने का सोच लिया…
अगर वो अपनी मर्जी से कर रही होती तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होता मगर यहाँ तो सब कुछ अलग था जिसे मैं कभी पसंद नहीं कर सकता था.
मेरी सलोनी बिना वस्त्रों के नंगी पुलिस वालों की जीप के अंदर थी और वो इंस्पेक्टर भी उसके साथ था, ना जाने कमीना कैसे कैसे उसको परेशान कर रहा होगा.
मैंने हवलदार को देखा, उसका ध्यान मेरी ओर नहीं था, वो साला लगातार जीप की ओर ही देख रहा था जैसे उसको अपनी बारी का इन्तजार हो.
मैं चुपचाप पीछे से निकल अपनी कार तक आया और फ़ोन निकाल सोचने लगा किसको फ़ोन करूँ?
100 नंबर पर तो करना बेकार था, वो इसी को कॉल करते !
तभी मुझे एक ओर से गाड़ी की लाइट नजर आई, जैसे ही गाड़ी निकट आई, मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.
यह अमित की गाड़ी थी !
मुझे इसका ध्यान पहले क्यों नहीं आया ! अमित के तो कई दोस्त पुलिस में उच्च पद पर हैं.
मेरे रोकने से पहले ही उसने गाड़ी रोक दी, शायद उसने भी मुझे देख लिया था.
मैं जल्दी से उसके पास गया.
अमित- अरे तू… इस समय… यहाँ???
मैं- यह सब छोड़… तू जल्दी नीचे आ… ये साले पुलिस वाले… उस जीप में सलोनी को…
मेरे इतना कहते ही अमित सब कुछ समझ गया, वो बड़ी फुर्ती से नीचे उतरा…
अमित- कौन है साला कुत्ता? वो कुछ ज्यादा ही गुस्से में आ गया था…
मैंने घड़ी देखी इस सबमें करीब 15 मिनट बीत चुके थे… यानि सलोनी पिछले 15 मिनट से उस इंस्पेक्टर के साथ थी, ना जाने कमीने ने कितना परेशान किया होगा उसको.
हम दोनों तेजी से जीप की ओर बढ़े… हवलदार भी शायद मुझे ना पाकर जीप के पास चला गया था… उसको मेरे से ज्यादा दिलचस्पी सलोनी को देखने की थी.
हम जैसे ही वहाँ पहुँचे, हवलदार ने हमको देख लिया…
हवलदार- ऐ कहाँ जा रहे हो? रुको यहीं…वो बहुत कड़क आवाज में चिल्लाया..
मैं तो रुक गया पर अमित सीधे जीप तक पहुँच गया…अमित- कौन है बे… बाहर निकल…तभी इंस्पेक्टर गुस्से से बाहर निकला…
अरे बाप रे ! उसके काले और मोटे से शरीर पर केवल एक बनियान था, आस्तीन वाले बनियान में उसका थुलथुला शरीर बहुत ही भद्दा लग रहा था.
मैंने नीचे देखा… उसका काला सा लण्ड दिखा जो ऊपर को खड़ा था…पता नहीं साला क्या कर रहा था??
इंस्पेक्टर- कौन हो वे तुम??? निकलो यहाँ से… नहीं तो यहीं एनकाउंटर कर दूंगा…इंस्पेक्टर बहुत गुस्से में था…
अमित बिना कुछ बोले किसी को फ़ोन कर रहा था…अमित- ले साले, अपने बाप से बात कर ! तेरी तो मैं ऐसी-कम-तैसी करता हूँ.
इंस्पेक्टर- कौन है फ़ोन पर??? मैं तो अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ…
इंस्पेक्टर की आवाज एकदम से नरम हो गई थी, शायद उसको लग गया था कि जरूर किसी बड़े अफसर का फ़ोन होगा.
उसने फ़ोन लेकर बात करनी शुरू कर दी… मुझे नहीं पता कि क्या बात कर रहा था…
मैं चुपचाप जीप की ओर चला गया… हवलदार भी अब शायद डर गया था, उसने मुझे नहीं रोका.
मैंने जीप के अंदर झांक कर देखा, पिछली सीट पर सलोनी पूरी नंगी लेटी थी.
मैंने तुरंत उसको अपनी बाँहों में लिया… ओ माय गॉड… वो रो रही थी.
मैंने किसी तरह उसको जीप से बाहर निकाला… मेरे बराबर में अमित भी था… वो भी मेरे पीछे आ गया था…
अमित- ओह ! यह क्या किया इसने साले हरामी ने ! अभी इसकी खबर लेता हूँ !
अमित ने अपना कोट निकाल कर सलोनी को दे दिया.
सलोनी बहुत डर गई थी, लगता है उसने बहुत कुछ झेला है, जिसकी आदत शायद उसको बिल्कुल नहीं थी, उसने कोट लेकर पहन लिया और उसको कस कर आगे से पकड़ लिया.
उधर इंस्पेक्टर ने भी अपनी पैंट पहन ली थी, दोनों बहुत डरे हुए थे.
अमित ने बताया कि उसने एस पी से बात कराई थी इसीलिए दोनों बहुत डरे हुए थे.
दोनों एक स्वर में- सर जी हमको माफ़ कर दो… ववव वो… अब नहीं होगा…
कमाल है… मैंने पहले बार पुलिस वालों को ऐसे रिरियाते देखा था… कमाल कर दिया था अमित ने…
अमित- नहीं कमीनो… तुमने मेरी भाभी के साथ यह नीच कर्म किया है, तुमको तो सजा मिलेगी ही मिलेगी…
फिर मेरे से कहा- सुन, तू इनके ही पुलिस स्टेशन में जा… और इनके खिलाफ रिपोर्ट दाखिल करके आ.
मैं- पर इस समय… और सलोनी…
अमित- अरे तू भाभी की चिंता ना कर… मैं इनको घर छोड़ता हूँ… फिर वहीं तेरे पास आ जाऊँगा… पर इन सालों को मत छोड़ना…
मुझे भी बहुत गुस्सा तो आ रहा था पर सलोनी को इस समय ऐसी हालत में नहीं छोड़ना चाह रहा था, पर जब अमित ने बोल दिया तो फिर मुझे कोई डर नहीं था.
अमित- सारे केस लगाना इन सालों पर… रेप, छेड़खानी, बिना वजह परेशान करना, मारपीट और…
इंस्पेक्टर- नहीं सर ऐसा कुछ नहीं किया हमने… वो सब गलतफहमी हो गई थी… हमको नहीं पता था कि ये वाकई इनकी पत्नी हैं… तो…
अमित- तो साले बलात्कार कर देगा… पत्नी नहीं है तो तेरी जागीर हो गई?
अमित बहुत गुस्से में था, वो तो इंस्पेक्टर पर हाथ भी उठा देता मगर सलोनी ने पकड़ लिया.
सलोनी- अब छोड़ो न अमित… मुझे बहुत डर लग रहा है… अब चलो यहाँ से… और हाँ साहिल तुम भी घर ही चलो… मुझे नहीं करना कोई केस…
पर अब मैं कैसे छोड़ सकता था, मैंने भी कमर कस ली…
मैं- नहीं जान, इसने तुम्हारे साथ गलत हरकत की है, मैं अब इसको नहीं छोड़ूंगा…
अमित सलोनी को पकड़ अपनी गाड़ी की ओर ले गया… मैंने भी उसको ठीक से पकड़ गाड़ी में बैठा दिया.
अमित- देख साहिल, तू वहाँ पहुँच… मैं भाभी को घर छोड़ फिर वहीं आता हूँ… छोड़ूंगा नहीं इनको…
फिर उसने सलोनी से पूछा- …भाभी इसने क्या क्या किया?
सलोनी ने अपना सर झुका लिया… उसकी आँखों में फिर से आँसू आ गए थे…
अमित- चलो रहने दो भाभी…मैं समझ गया, मैं इनको बिल्कुल नहीं छोड़ने वाला…चल तू पहुँच… मैं आता हूँ.
और उसने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी…
अब इंस्पेक्टर और हवलदार वहीं मेरे से माफ़ी मांगने लगे पर मैं कैसे उनकी बात मानता…
काफी देर बाद हम उनके पुलिस स्टेशन पहुँचे… वहाँ भी वो दोनों मेरी खातिरदारी और माफ़ी में ही लगे रहे.
जब वो लिखने को राजी ही नहीं हो रहे थे, तब मैंने अमित को फ़ोन किया.अमित- हाँ बोल?
मैंने ध्यान दिया वहाँ से खिलखिलाने की आवाजें आ रही हैं…मैं- यार ये तो लिख ही नहीं रहे… तू क्यों नहीं आ रहा??
अमित- अरे यार छोड़ उनको… ये सलोनी भाभी मुझे आने ही नहीं दे रही… मना कर रही हैं… और सुन वो इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर पाया था… सलोनी भाभी ने मुझे सब कुछ बता दिया है… मुझे लगता है उसकी भी ज्यादा गलती नहीं है… ऐसा कर तू आ जा यहाँ छोड़ उन्हें !
मैंने घड़ी देखी सुबह के 4 बजने वाले थे… हुआ कुछ नहीं और मैं डेढ़ घंटे से परेशान हो रहा था.
मैंने उन दोनों को वहीं छोड़ा और थके कदमों से अपनी गाड़ी की ओर बढ़ा…
मैंने सोचा सलोनी पहले भी वो सब बता सकती थी… फ़ालतू में मेरे दो घण्टे खराब हो गए.
अब गाड़ी चलाते हुए फिर से मेरा दिमाग घूमने लगा- अबे साले पिछले दो घंटे से अमित तो सलोनी के साथ ही है और आज तो उसने उसको पूरी नंगी भी देख लिया है. ना जाने वो क्या कर रहे होंगे? और अमित कह भी रहा था कि वो उसकी सेवा कर रही है.
मेरा पैर एक्सीलेटर पर अपने आप दब गया, घर जाने की जल्दी जो थी…
देखूँ तो सलोनी कैसी सेवा कर रही है उसकी…???

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:25 PM,
#93
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 83

सुबह की हल्की रोशनी चारों और फैलनी शुरू हो गई थी, मुझे काफ़ी थकान महसूस होने लगी थी… सब कुछ बहुत अच्छा हुआ था मगर बस मुझे यह पुलिस वाला मामला बिल्कुल पसंद नहीं आया था.
गाड़ी चलाते हुए मैं किसी तरह अपने कॉलोनी तक पहुंचा …थैंक गॉड, अब कुछ नया नहीं हुआ था, वहाँ भी कोई नहीं था.
बाहर की ओर अमित की गाड़ी भी खड़ी थी, इसका मतलब अभी तक जनाब मेरे फ्लैट में ही थे.. ना जाने क्यों मेरे होंठों पर एक मुस्कराहट सी आ गई.. मैंने पार्किंग में गाड़ी खड़ी की.
मैने घड़ी देखी 4:35 हो चुके थे… पूरी रात खूब धमाचौकड़ी मचाई थी हमने… अब तो फ्लैट में जाने की जल्दी थी.
मुझे इस बात की चिंता नहीं थी, बिल्कुल नहीं थी कि सलोनी अमित के साथ अकेली है या वो वहाँ कुछ हरमन झोली कर रही होगी.
मैं तो चाह रहा था कि वो चाहे किसी से भी चुदाई करे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, मैं उसकी हर मस्ती में साथ था पर मेरी इच्छा उसको चुदाई करवाते देखने की थी और इतना सब होने के बाद भी मुझे दुःख इसी बात का था कि सलोनी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया !
मैं तो उसके हर बात में साथ हूँ फिर उसने मुझे पुलिस वालों के साथ क्यों जाने दिया जब उसने कुछ करना ही नहीं था.
अगर उसको अमित के साथ ही कुछ करना था तो मैं कौन सा उसको रोक रहा था और मेरा इतना समय भी ख़राब हुआ, साथ ही कितनी थकान भी हो गई.
पूरे कम्पार्टमेंट में कोई नहीं था, मैं आसानी से अपने फ्लैट तक पहुँच गया.
मैंने घण्टी नहीं बजाई.. यह मैंने पहले ही सोच लिया था कि आज सलोनी को बिना बताये ही फ्लैट में प्रवेश करूँगा.
अगर उसने पूछा तो मेरे पास बहाना भी था कि तुमको डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था इसीलिए खुद अंदर आ गया.
मैंने अपने पर्स से चाबी निकाल बहुत चुपके से फ्लैट का दरवाजा खोला और बहुत शांति से ही अंदर प्रवेश कर गया.
पहली नजर में मुझे वहाँ कोई नजर नहीं आया, मैंने चुपके से दरवाजा बंद किया पर जैसे ही घूमा…
अरे बाप रे…
मेरे सभी विचारों को लकवा मार गया… अमित सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था…
उसने मुझे देख लिया था !
अमित बहुत धीमी आवाज में ही बोला- चल अच्छा हुआ, तू आ गया… मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था, बहुत मुश्किल से भाभी को सुलाया है… लगता है बहुत ज्यादा ही डर गई हैं बेचारी…
.!
मैं- अरे तो तू यहाँ अकेला ही बैठा है, तेरे को ऐसे छोड़ कैसे सो गई यार?
अमित- अरे तू फ़ोर्मल्टी मत कर.. वो बहुत ज्यादा थकी और परेशान थीं इसीलिए मैंने उनको सुला दिया था… फिर सोचा कि तू आ जाये तभी निकलूँगा. चल अब मैं भी चलता हूँ.. तू भी आराम कर ले…
मैं- तू पागल हो गया है क्या? अब इस समय कहाँ जायेगा… 3-4 घंटे यहीं आराम कर ले… सुबह चले जाना..
मैंने अब देखा अमित ने कपड़े पहले ही बदल लिए हैं, मतलब उसका भी दिल अभी जाने का नहीं है.
उसने मेरा ही एक लोअर पहना हुआ था और ऊपर उसका अपना सेंडो बनियान मगर मुझे उसके कपड़े वहाँ कहीं नजर नहीं आये, मतलब उसने मेरे बैडरूम में ही कपड़े बदले होंगे.
पता नहीं क्या क्या हुआ होगा???अमित- पर यार तुम लोग डिस्टर्ब होंगे, मुझे जाने दे.मैं- तूने रुचिका को तो बोल दिया होगा ना?
अमित- वो उसकी तो कोई फ़िक्र नहीं, उसको तो रात ही फोन कर दिया था !
मैं- तो तू अब कुछ मत सोच, चल अंदर तू आराम कर… मैं भी फ्रेश होकर आता हूँ.
अमित ने एक दो बार और थोड़ा सा ही विरोध किया फिर वो रुकने को राजी हो गया, मैं उसको अंदर ले गया.
बिस्तर पर एक ओर चादर ओढ़े सलोनी सो रही थी.
मुझे नहीं पता उसके बदन पर क्या था? या उसने कुछ पहना भी था या नहीं !?
मुझे उसका चेहरा तक नहीं दिख रहा था वो अपनी तरफ मुँह किये सो रही थी, बहुत थक गई थी बेचारी !
अमित ने मेरी ओर देखा, मैंने उसको बिस्तर की ओर इशारा किया.
उसकी आँखें जरा सी सिकुड़ी…
मैं फुसफुसाते हुए ही- …तू इधर को सो जा… मैं बीच में लेट जाऊँगा…वो बिना कुछ कहे दूसरे कोने में सिकुड़ कर लेट गया.
ना जाने क्यों? मुझे उस पर कुछ ज्यादा ही शक हुआ कि यह जो सब जगह कितना मजाकिया है, हर समय महिलाओं में घुसा रहता है… हर समय बस फ़्लर्ट ही करता रहता है, आज इतना सीधा क्यों है? क्यों इतना ज्यादा शरीफ बन रहा है…?
और सलोनी भी चाहे कितना भी थकी हो, वो अमित को अकेला छोड़ कैसे सो गई?
सब कुछ अजीब सा लग रहा था मगर वो सब मैं केवल अनुमान ही लगा सकता था.
फिलहाल दोनों को छोड़ मैं बाथरूम में चला गया, जल्दी से फ्रेश हो कपड़े बदल कर मैं भी कमरे में आ गया.
यह क्या? सलोनी ने करवट बदल ली थी, उसका मुँह अब अमित की ओर था… और सबसे बड़ी बात, वो बिस्तर के बीच आ गई थी.
मैं चाहता तो उसको एक ओर कर बीच में लेट सकता था मगर अभी भी मेरे दिल में शरारत ही थी, सलोनी को बीच में लिटाने में भी मुझको कोई ऐतराज नहीं था.
मैंने अमित को देखा, वो दूसरी ओर करवट लिए सो रहा था या सोने की एक्टिंग कर रहा था.
मैं चुपचाप दूसरी ओर लेट गया, मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी मगर दिल में एक उत्सुकता थी जो मुझे सोने नहीं दे रही थी कि सलोनी ना जाने कैसे कपड़ों में या हो सकता है नंगी ही हम दोनों के बीच लेटी है?
अमित इतना सीधा तो नहीं है कि एक नंगी खूबसूरत नारी को अपनी गाड़ी में लेकर आया जो हल्के नशे में भी थी.. उसको बिना चोदे छोड़ा हो…
और अब दोनों मेरे सामने ऐसे एक्टिंग कर रहे हैं… अगर कुछ हुआ होगा तो जरूर कुछ न कुछ तो बात करेंगे ही…
जहाँ इतना अपनी नींद की कुर्बानी दी है, वहाँ कुछ और भी कर सकता हूँ.
हालाँकि नींद मेरे ऊपर हावी होती जा रही थी…
पता नहीं क्या हुआ? और होगा????

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08-08-2020, 01:26 PM,
#94
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 84

अमित इतना सीधा तो नहीं है कि एक नंगी खूबसूरत नारी को अपनी गाड़ी में लेकर आया जो हल्के नशे में भी थी.. उसको बिना चोदे छोड़ा हो…
और अब दोनों मेरे सामने ऐसे एक्टिंग कर रहे हैं… अगर कुछ हुआ होगा तो जरूर कुछ न कुछ तो बात करेंगे ही…
जहाँ इतना अपनी नींद की कुर्बानी दी है, वहाँ कुछ और भी कर सकता हूँ.
हालाँकि नींद मेरे ऊपर हावी होती जा रही थी…
कुछ देर तक मैं दोनों को देखता रहा, दोनों ही गहरी नींद सो रहे थे, उनको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उनके बीच कुछ हुआ होगा.
मगर मेरा दिमाग तो शैतान का दिमाग बन गया था, इसकी वजह पिछले कुछ दिनों से सलोनी का व्यवहार ही था.. जो कुछ मैंने देखा और सुना था उसको जानकर कोई धर्मात्मा भी विश्वास नहीं करता कि यहाँ बंद कमरे में सलोनी और अमित अकेले हों… वो भी ऐसी स्थिति के बाद जिसमे सलोनी को पूरी नंगी देख लिया हो… ना केवल नंगी देखा बल्कि उसको लगभग नंगी ही अपनी गाड़ी में बिठाकर लाया हो… फिर भी कुछ ना हुआ हो.. सब कुछ सोचकर असंभव सा ही लगता था.
ना जाने कितने विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे और सोचते सोचते ना जाने कब मैं सो गया… वैसे भी सुबह के 5 तो बज ही गए थे और थकान भी काफी हो गई थी, शारीरिक भी और मानसिक भी.
कोई तीन घंटे मैं सोता रहा… मुझे कुछ नहीं पता कि इस बीच क्या हुआ??? काफी गहरी नींद आई थी और अच्छी भी.
मेरी उठने की वजह स्वयं नहीं थी बल्कि वो आवाज थी जो मैंने सुनी… मुझे लगा जैसे कुछ बहुत तेज गिरा हो…
मेरी नींद तो खुल गई थी परन्तु मैंने आँख नहीं खोली थी…मैं लेटे लेटे ही आवाज की दिशा और स्थान का अवलोकन करता रहा…
कुछ समय बाद फिर हल्की आवाज आई, यह मेरे बैडरूम से तो नहीं आई थी… अरे यह आवाज तो बाथरूम से आई थी.
अब मैंने अपनी पूरी आँखें खोल देखा, कमरे में अभी भी अँधेरा ही था, शायद सलोनी ने इसलिए लाइट नहीं जलाई और परदे नहीं हटाये थे ताकि मुझे कष्ट ना हो और आराम से सोता रहूँ.
मेरी आँखें अभी भी खुलने को मना कर रही थी क्योंकि नींद पूरी नहीं हुई थी.
मैंने पास से मोबाइल उठाकर टाइम देखा, सवा आठ हो चुके थे… मैं उठकर बाथरूम के दरवाजे तक गया और कान लगाकर आवाज सुनने लगा.
अरे सलोनी अंदर अकेली नहीं थी, उसके साथ अमित भी था.
और रात वाले सभी विचार तुरंत मेरे दिमाग में आ गए, इसका मतलब ये आपस में पूरी तरह खुल गए हैं और अभी भी मस्ती कर रहे हैं !
साफ लग रहा था कि दोनों एक साथ स्नान कर रहे हैं.
अमित को तो सलोनी पहले से ही पसंद करती थी, फिर कल जो उसने हमारी मदद की थी, उससे तो वो मेरा भी चहेता हो गया था.
फिर सलोनी तो वैसे भी, जो उसकी जरा भी परवाह करता है, उस पर जान न्यौछावर कर देती है…
अब यह जानना था कि क्या अमित उसकी वो पसंद बन गया था कि उससे चुदवा भी ले… या अभी तक उसको भी उसने केवल ऊपरी मस्ती के लिए ही रखा था.
अब इतने समय में मैं यह तो जान गया था कि सलोनी हर किसी से तो नहीं चुदवाती… उसको ऊपरी मस्ती करने और लेने का शौक ही था.
और बहुत कम मर्द ही उसकी पसंद थे जिनसे वो चुदवाती थी, मेरे सामने उसको केवल मस्ती करने में मजा आता था, वो मेरे सामने चुदवाना भी नहीं चाहती थी.
शायद उसको डर था कि ऐसा देखने के बाद मेरा प्यार उसके लिए कम हो जायेगा ! ..ये केवल मेरे विचार थे जो कुछ मैंने अभी तक उसको जाना था.
मेरा दिल बाथरूम के अंदर देखने का कर रहा था मगर अंदर देखने का कोई साधन मेरे पास नहीं था.
हाँ बाथरूम से बाहर देखने के लिए तो मैंने जुगाड़ कर लिया था मगर बाहर से अन्दर का नज़ारा नहीं देखा जा सकता था.
मैं पूरे मनोयोग से आवाजें सुनने लगा… बाहर पूरी शांति थी तो हर आवाज मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी.
अमित- हम्म्म्म पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च पुचच च च
सलोनी- ओह बस्स्स्स ना.. कल से हजार से ज्यादा बार चूम चुके हो…
अमित- पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… कहाँ मेरी जान… अभी एक ही बार तो…
सलोनी- देखो अमित, मैंने तुम्हारी सारी इच्छाएँ पूरी कर दी हैं… अब तुम घर जाओ.. रुचिका भी तुम्हारा इंतजार कर रही होगी… कल से कितनी बार उसने फोन किया है.
अमित- पुचच च च पुचच च च पुच च च… तुम बहुत सेक्सी हो सलोनी सच… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… आई लव यू जानेमन… पुचच च च पुचच च च पुचच च च !
सलोनी- ओह… फिर से… अह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ क्या करते हो?!!? फिर से गीला कर दिया …अह्ह्हाआआआ…
अमित- अह्हा पुचच च च क्या चूत है यार तुम्हारी… हजारों में एक… पुचच च च… वाह क्या टेस्ट है… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च…
सलोनी- अह्ह्हाआआ अब क्या खा जाओगे..? अह्ह्हाआआ ओह्ह नहीईइइइ अह्ह्हाआआआ बस्स्स्स्स्स्स अमित बस ना…
अमित- सुनो जानेमन, अभी मेरी एक इच्छा रह गई है… उसको अब तुम्हारे ऊपर है… कैसे पूरा करती हो.
सलोनी- पागल हो गए तुम… कल से कितनी सारी तुम्हारी इच्छाएँ पूरी की है… तुमको याद भी हैं या नहीं… और फिर से एक और इच्छा ..अब तुम रुचिका की इच्छाए पूरी करवाओ ..तुम्हारी सभी हो गई हैं.
अमित- पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… जानेमन इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता… और मेरी तो केवल 3-4 ही हैं.
सलोनी- अह्हहाआआआ 3-4… अहा… कितनी सारी तो मैंने ही पूरी की… बस्स्स्स्स्स्स ना.. ओह क्यों काटते हो?!
अमित- पुचच च च पुचच च च अच्छा इतनी सारी बताओ फिर…सलोनी- अह्ह्हाआआ अब गिनानी भी होंगी.. तो सुनो… पहली: चलती गाड़ी में चुसवाया तुमने अपना…
.!
अमित- पुचच च च हा हा क्या?? देखो नाम बोलने की शर्त थी… हैं… पुचच च च पुचच च च च पुचच च च…
सलोनी- हाँ और दूसरी इन सबके गंदे नाम भी बुलवाये… जो मैं केवल साहिल के सामने ही बोल पाती थी… पर तुम्हारे सामने भी बोलने पड़े…
अमित- तो मजा तो उसी में ही है जानेमन ..पुचच च च पुचच च च पुचच च च… पर अभी भी गच्चा दे देती हो…
सलोनी- जी नहीं… तुमने अपना लण्ड नहीं चुसवाया था चलती गाड़ी में… और फिर मेरी चूत भी चाटी थी… अह्ह्हाआआ बस ना…
अमित- और क्या किया था..????? बस चाटी ही थी ना… चोदा तो नहीं था… अभी तो चलती गाड़ी में चोदने का भी मन है…
सलोनी- हाँ फिर कहीं भिड़ा देना… अह्ह्हाआआ.. गाड़ी को… !!
अमित- पुचच च च पुचच च च पुचच च च… अरे नहीं जानेमन बहुत एक्सपर्ट हूँ.. मैं इसमें.. रुचिका तो अक्सर ऐसे ही चुदवाती है…
अह्हाआआ… अछआ… तो ये भी… अरे इतने कसकर नहीं यार… दर्द होता है… आखिर ये लण्ड भी अब तुम्हारा ही है…
सलोनी- हाँ बहुत शैतान है यह तुम्हारा लण्ड… पुचच च च पुचच च च…अमित- अह्ह्हाआआ फिर??
सलोनी- फिर मुझे नंगी ही पार्किंग से यहाँ तक लाये… वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा… कितना डर गई थी मैं… पागल… अह्हाआआ पुचच च च पुचच च च…
अमित- यही तो मजा है जानेमन… मजा भी तो कितना आया था… अह्ह्हाआ ओह !!सलोनी- और फिर तुम्हारी वो सारी इच्छाएँ… पुचच च च पुचच च च पुचच च च अह्ह्हाआआ हो गया…अमित- अह्ह्हाआआ अह्हाआआ अह्ह्ह अउउउ हह्ह्ह्ह्ह कम्माल कर दिया तुमने जाने मन… इतनी जल्दी …अह्ह्हाआआआ…
सलोनी- बस्सस्स्स्स न हो गया ना… चलो अब… जल्दी करो… मुझे स्कूल भी जाना है… अंकल भी आने वाले होंगे ..और साहिल को भी उठाना है… चलो जल्दी करो…
अमित- अंकल क्यों?
सलोनी- वो स्कूल में साड़ी पहनकर जाना होता है… और मुझे पहननी नहीं आती… इसीलिए वो मदद करते हैं.
…ह्म्म्म्म… !!!!
उनकी इतनी बात सुनकर ही मुझे काफी कुछ पता चल गया था कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है.अब आगे आगे देखना था कि क्या होता है?!!?

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:26 PM,
#95
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 85

सलोनी- बस्सस्स्स्स न हो गया ना… चलो अब… जल्दी करो… मुझे स्कूल भी जाना है… अंकल भी आने वाले होंगे ..और साहिल को भी उठाना है… चलो जल्दी करो…अमित- अंकल क्यों?
सलोनी- वो स्कूल में साड़ी पहनकर जाना होता है… और मुझे पहननी नहीं आती… इसीलिए वो मदद करते हैं.…ह्म्म्म्म… !!!!
उनकी इतनी बात सुनकर ही मुझे काफी कुछ पता चल गया था कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है.अब आगे आगे देखना था कि क्या होता है?!!?मैं अपनी जगह आकर सो गया…
आधे घंटे तक दोनों बाहर वाले कमरे में ही थे… हाँ 1-2 बार कुछ काम करने या कपड़े लेने सलोनी आई थी, उसने मुझे चूमा भी था
पर मैं वैसे ही सोने का बहाना करता रहा.
फिर शायद अंकल जी आ गए थे और अमित भी चला गया था, अब मुझे भी तैयार होकर काम पर जाना था, 9 से भी ऊपर हो गए थे.
तभी सोचा कि एक बार अंकल को साड़ी पहनाते देखकर बाथरूम में चला जाऊँगा, और मैं उठकर बाहर कमरे में देखने लगा.
मैंने देखा सलोनी ने पेटीकोट और ब्लाउज पहले ही पहना हुआ है, फिर भी अंकल ने कुछ मजा लेते हुए उसको साड़ी पहनाई.
आज इतना जरूर हुआ कि सलोनी ने खुद ही पहनी और अंकल ने केवल उसको गाइड किया.
पर मैंने इतना जरूर सुना कि अंकल को पता था हम रात देर से आये और सलोनी अमित के साथ आई थी.
मगर उनकी बातें मुझे ज्यादा साफ़ साफ़ नहीं सुनाई दी… हाँ इतना भी पता चला कि विकास उसको लेने आने वाला है क्योंकि स्कूल बहुत दूर है.
तभी मुझे याद आया और मैंने अपना पेन रिकॉर्डर जो पहले ही फुल चार्ज कर लिया था, ओन करके सलोनी के पर्स में डाल दिया.
फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने चला गया.
बाथरूम में नहाते हुए मैं सोचने लगा कि कल का पूरा दिन बहुत ही खूबसूरत था… और रात तो उससे भी ज्यादा सेक्सी… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन जी लिया हो…
सबसे बड़ी बात… मेरी जान सलोनी… वो तो इतनी खुश दिख रही थी जितना मैंने आज तक नहीं देखा था, उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है !
और मुझे क्या चाहिए?!!?
अगर यह सब मेरे संज्ञान के बिना होता तो शायद गलत होता मगर हम दोनों को ही ऐसा मजेदार जीवन पसंद था… हम इस सबका भरपूर मजा ले रहे थे…
सुबह अमित चला गया, वो मुझसे बिना मिले ही गया, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था मगर अब ये सब मुझे कोई बुरा नहीं लगा, उसको अगर सलोनी पसंद है और सलोनी भी उसको पसंद करती है तो दोनों को रोमांस करने दो…
मुझे भी दूसरी लड़कियों का मजा मिल रहा है और सलोनी को इस तरह फ़्लर्ट करते देखने में भी मजा आ रहा है.
कोई दस मिनट बाद मुझे बस सलोनी की आवाज सुनाई दी- सुनो, मैं जा रही हूँ… नाश्ता आपको भाभी दे देंगी.
मैं सोच ही रहा था कि कौन भाभी और यह मधु क्यों नहीं आई?
उसने तो सुबह-शाम आने को कहा था !
मधु की मीठी मीठी यादों में नहाकर में बाहर निकला, हमेशा की तरह नंगा… मधु की कोमल चूत को याद करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था, जो इस समय बहुत प्यारा लग रहा था.
बाहर आते ही एक और सरप्राइज तैयार था…
मेरे सामने नलिनी भाभी मुस्कुराते हुए खड़ी थी, उनकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर ही थी.
एक पल के लिए मैं जरूर चौंका क्योंकि मैं उनकी बिल्कुल उम्मीद नहीं कर रहा था मगर फिर मेरे होंठों पर भी मुस्कराहट आ गई.
अब समझ आया कि सलोनी नलिनी भाभी को बोल गई होगी.
मुझे कुछ अफ़सोस भी था, मैं विकास से मिलना चाहता था, मगर वो शायद अब चले गए थे.
मैं- ओह भाभी जी, आप यहाँ? क्या बात? अंकल कहाँ चले गए?
नलिनी भाभी मुँह दबाकर मुस्कुरा रही थी- वो तो सलोनी को लेकर गए हैं.. तुमसे कुछ कहकर नहीं गई?
मैं- अरे अंकल गए हैं? …पर वो तो शायद किसी और के साथ जाने वाली थी !
नलिनी भाभी शायद कुछ शरमा सी रही थी, माना हम दोनों चुदाई कर चुके थे, मगर कवल एक बार ही की थी… वो भी उनके घर पर.. शायद इसीलिए वो शरमा रही थी.
दूसरे नलिनी भाभी ने मेरे साथ चुदाई तो कर ली थी मगर वो पूरी घरेलू औरत हैं, हाँ अब उनमें कुछ खुलापन आ रह है, अंकल के खुले व्यवहार और सलोनी के कारण !
उन्होंने इस समय आसमानी रंग का गहरे गले का गाउन पहना था जो ज्यादा पारभासक तो नहीं था मगर फिर भी उनके अंगों का पता चल रहा था.
मैं- तो भाभी जी किसलिए आई थी आप…सलोनी ने क्या कहा था?
नलिनी भाभी- बस तुम्हारा ध्यान रखने के लिए और नाश्ता देने के लिए.
मैं- तो ध्यान क्यों नहीं रख रही… करो ना सेवा… हम तो नाश्ता बाद में करेंगे, पहले इस बेचारे पप्पू को नाश्ता करा दो.. देखो कैसे अकड़ रहा है भूख के मारे !
मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ जोर से हिलाया तो अब नलिनी भाभी कुछ खुली, वो मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए बोली- जी नहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है, सलोनी ने तो केवल तुमको ही नाश्ते के लिए कहा था… और इसको तो… लगता है वो खूब खिला पिला कर गई होगी !
मैंने भाभी को कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया- अरे मेरी प्यारी और भोली भाभी जी… अगर इसका पेट भरा होता तो ऐसे लालची होकर अपने खाने को नहीं देख रहा होता…
नलिनी भाभी- यह तो हर समय भूखा ही रहता है.
मैंने नलिनी भाभी के मांसल चूतड़ों को मसलते हुए उनको अपने से चिपका लिया, मेरे से पहले मेरे लण्ड ने उनकी चूत को ढूंढ लिया और भाभी की गद्देदार चूत से जोंक की तरह चिपक गया.
मेरे हाथों को तो लगा ही था कि उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है जब मैंने उनके चूतड़ों को सहलाया मगर अब मेरे लण्ड ने पक्का कर दिया था कि वाकई उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है, ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड ने नंगी चूत को ही छू लिया हो.
नलिनी भाभी बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी, उनकी झिझक मेरे छूते ही ख़त्म हो गई थी.
नलिनी भाभी- अहाहाहा… कितना प्यारा और सख्त है तुम्हारा…
अब उन्होंने मेरे लण्ड को अपने हाथ से खुद व खुद ही पकड़ लिया… उनकी गरम हथेली में जाते ही लण्ड ने मेरे सोचने समझने की शक्ति को ख़त्म कर दिया…
मैं भूल गया कि मुझे ऑफिस भी जाना है और सलोनी अकेली अंकल के साथ गई है, या वो स्कूल में क्या क्या करेगी और मधु के बारे में भी…
अभी तो बस नलिनी भाभी और उनकी चुदी हुई ही सही मगर गद्देदार चूत ही दिख रही थी.
मैंने एक बात नोटिस की कि पीछे दिनों में मैं जितनी चुदाई कर रहा था और जितनी ज्यादा चूतें देख रहा था, मेरे चोदने की शक्ति और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी, और लण्ड हर समय चोदने को तैयार रहने लगा था.
नलिनी भाभी को देखते ही लण्ड फिर से चोदने को तैयार हो गया था… और नलिनी भाभी शायद यही सोचकर आई थी…
उन्होंने केवल एक बार ही मना किया था… फिर वो नीचे बैठ मेरे लण्ड को चूसने लगी…
.!
मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था… उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था…अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था…मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं खुला तो नहीं है, मैं बोला- भाभी दरवाजा?
मैंने बस इतना ही कहा था… भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया…मतलब वो पूरी योजना बनाकर आई थी.
मुझे भी ऑफिस की कोई जल्दी नहीं थी, रोजी सब देख ही लेती है.
मैं तसल्ली से भाभी को चोदना चाहता था, अंकल भी कम से कम दो घंटे तो नहीं आने वाले थे क्योंकि अंकल की गाड़ी की स्पीड के अनुसार उनको 40-45 मिनट तो स्कूल पहुँचने में ही लगेंगे.
फिर अभी तो उनके साथ सलोनी भी है… पता नहीं स्कूल लेकर भी जाएंगे या कहीं रास्ते में ही ‘चल छैंया चल छैंया’ करने लगें !

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08-08-2020, 01:26 PM,
#96
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 86

अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था…मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं खुला तो नहीं है, मैं बोला- भाभी दरवाजा?मैंने बस इतना ही कहा था… भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया…मतलब वो पूरी योजना बनाकर आई थी.

पर मुझे क्या उनकी बीवी इस समय मेरे बैडरूम में ही लण्ड को चूस रही है और अब उसकी जोरदार चुदाई होने वाली है, मैंने सब सोच लिया था कि आज तो मैं उनकी मसालेदार गांड भी जमकर चोदूंगा.
मैंने भाभी को उठकर खड़ा किया और उनका गाउन नीचे से पकड़ ऊपर किया, उन्होंने गाउन निकलवाने में पूरी मदद की, मैंने गाउन को ऊपर करते हुए उसको उनके गले से पूरा निकाल दिया.
वाह्… क्या मस्त जवानी थी… नलिनी भाभी मेरे सामने एक माइक्रो ब्रा में खड़ी थी.
यह ब्रा शायद वो कल ही खरीद कर आई थी जो केवल उनके चुचूकों को ही आवरण प्रदान कर रही थी शेष पूरी चूची नंगी दिख रही थी, ब्रा केवल दो बारीक डोरियों से उनके पीठ से बंधी थी.
मैंने अपने हाथों से उनके सम्पूर्ण चिकने बदन को सहलाया.
मेरे बेडरूम में मेरे बिस्तर पर नलिनी भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी, नलिनी भाभी पूरी नंगी, उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था…
वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी… कभी अपने मम्मों को मसलती तो कभी अपने पैरों को खोलती… अपनी चूत की कलियों को दिखा रही थी.
मैं कुछ देर तक उनके मस्ताने रूप को निहारता रहा… उनका एक एक अंग साँचे में ढला था… इस उम्र में भी उन्होंने खुद को इतना ज्यादा मेन्टेन किया था कि कुंवारी लड़कियों को भी मात दे रही थी.
उनकी बल खाती कमर, उठी हुई चूचियाँ और चूत के ढलान को देख मुझे कही पुराना पढ़ा हुआ एक लेख याद आ गया:
‘नारी जब तक सेक्स के प्रति लालयित रहती है तभी तक अपने अंगों और खुद का ध्यान रखती है,
जब उसकी इच्छा सेक्स से हट जाती है उसके अंग अपनी ख़ूबसूरती खो देते हैं और वो खुद भी मोटी, बेडौल हो जाती है !’
अगर ऐसा है तब तो नारी को सारी उम्र ही सेक्स करते रहना चाहिए, इससे वो आखिर तक खूबसूरत बनी रहनी चाहिए.
नलिनी भाभी के अंदर भी सेक्स की लालसा चरम पर थी इसीलिए उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी और उनका हर अंग अपनी चमक बिखेर रहा था.
नलिनी भाभी ने मदहोश आँखों से अपनी बाहें फैला दी.. वो वासनामय आमंत्रण दे रही थी…
नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ… आआह्ह
मैं भी उनके नागिन जैसे बलखाते बदन से चिपक गया…
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ खुद अपनी टांगों के बीच रख ठीक चूत पर जकड़ लिया तो अपने एक हाथ को उनकी टांगों के बीच तिकोने पर ले गया, उनकी बेपर्दा चूत मेरी उँगलियों के नीचे थी, उनकी चूत रस से भरी पड़ी थी फ़िर वो बुरी तरह प्यास से तरस रही थी.
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी पर हाथ रखा हो, मैं बोला- वाह भाभी कितनी आग निकल रही है तुम्हारी इस भट्टी से आज… क्या बात है भाभी? लग रहा है कल से प्यासी की प्यासी ही है यह?
नलिनी भाभी- और नहीं तो क्या… रात से इसमें आग लगी पड़ी है… तुम दोनों तो रात भर मस्ती से चुदाई कर रहे थे, और तुम्हारे अंकल केवल देखने के शौकीन ! मैंने कितना कहा पर कहाँ किया कुछ… बस सलोनी को देखकर ही ढीले हो गए.
नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ आआ हाँ रे… रात से ही यह परेशान है… तुम्हारे अंकल तो सलोनी को देखकर ही ढीले हो गए… और मैं रात भर तड़फती रही… कितनी देर तक तो तुम्हारा इन्तजार किया… पर तुम तो सलोनी को किसी और के पास छोड़कर कहाँ चले गए थे…??? अह्हाआआ इसको तो बस तुम्हारे डंडे का ही इन्तजार था… अब डाल दो ना…
मैं नलिनी की बात से चौंका, मतलब रात उन्होंने हमको देख लिया था?
मैं- क्या मतलब भाभी??? क्या रात अंकल ने कुछ देखा?नलिनी भाभी- और नहीं तो क्या… वो सलोनी किसके साथ थी रात… अह्ह्हाआआआ…
मैंने एक उंगली उनकी चूत में घुसेड़ दी…नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआ…आआआ करो और करो… प्लीज बहुत अच्छा लग रहा है… हाँ… वो… कुछ तो मैंने देखा… फिर तेरे अंकल ने ही… अह्हाआआमैं- क्याआआ देखा…???नलिनी भाभी- अह्ह्हाआआआ बताती हूँ… उन्होंने बताया था…
भाभी जरुरत से ज्यादा ही गर्म दिख रही थी… वो खुद लण्ड को डालने के लिए रिरिया रही थी, इसका मतलब रात बहुत कुछ हुआ था… जो नलिनी भाभी इस कदर गरम थी, भाभी की बातें सुन मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था- हाँ बताओ न भाभी…
मैंने सोचा मेरा वॉइस रिकॉर्डर सब जगह तो काम नहीं करेगा… और अनु भी अभी नादान ही है, वो बहुत कम ही सलोनी के साथ रहती है, अगर सलोनी के दिल की सारी इच्छाएँ जाननी हैं तो नलिनी भाभी को सेट करना होगा… एक यही हैं जो सलोनी की हर बात अच्छी तरह से मुझे बता सकती हैं… इससे सलोनी के सेक्स के बारे में भी पता चल जायेगा और नलिनी भाभी के जिस्म का भी मजा मिल जायेगा…
मैंने उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालते हुए कहा- भाभी, सच कितनी चिकनी हो रही है आपकी चूत… ऐसा लग रहा है जैसे मलाई की फैक्टरी हो…
मैं अपनी उंगली को चूत के हर कोने में घुमा रहा था, वो मदहोश हुई जा रही थी, बोली- अह्ह्ह्हाआआ मेरे राजा… करो जल्दी… मैं मर जाऊँगी… जल्दी ..करो ना… अह्हा अह्ह्हह्ह्ह उउउउउउ…
मैं- भाभी एक बात बोलूं?
नलिनी भाभी- अब कुछ मत बोल… अह्ह्हाआआ केवल अपना अंदर डाल दे… अह्ह्हाआआआ बहुत मजा आ रहा है… अह्ह्हाआआ जल्दी कर ना…
मैं- नहीं भाभी, इसको जितना करेंगे उतना मजा आएगा… आप देखना ..आज मैं आपको कितना मजा देता हूँ… आज इस चूत की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा… मगर मेरे लण्ड को सलोनी के चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आता है.
नलिनी भाभी- क्याआआआआ अह्हाआआ कर और कर अह्ह्हाआआआ… क्या कह रहा है… सलोनी की… पर वो तो तेरी बीवी ही है ना… अह्ह्हाआआआ… यह क्या हो जाता है तुम मर्दों को… तेरे अंकल भी आजकल सलोनी की ही बात करते हुए चोचचच… चोदते हैं अह्ह्ह्हाआआआ… जब देखो उसकी ही नंगपने की बात करते हैं… पर क्या तुझको अच्छा लगता है कि कोई दूसरा उसको चच…चोदे… अह्ह्हाआआआआ
नलिनी भाभी रुक रुक कर ही सही पर मेरे रंग में रंगने को तैयार थी, उनके मुख से चोदने जैसा शब्द सुनना बहुत भा रहा था.
उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और मसले जा रही थी.
मेरे लंड की सभी नसें बुरी तरह तन गई थी… मेरा लण्ड उनके नंगे जिस्म से ज्यादा हमारी बातों से तन खड़ा था.
पर मुझे चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी, पूरे दो घंटे थे मेरे पास, आज मैं नलिनी भाभी को पूरा शीशे में उतारना चाह रहा था… यह मेरा वो मोहरा था जो मुझे हर पल की जानकारी दे सकता था क्योंकि सलोनी भी अपनी हर बात उनको बता देती थी और भाभी के अनुसार अंकल भी उनसे सभी बात कर लेते थे.
फिर तो उनको सलोनी की हर हरकत का पता होगा.. और आगे जो होगा वो भी मुझे पता चल जायगा.

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:26 PM,
#97
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 87

नलिनी भाभी रुक रुक कर ही सही पर मेरे रंग में रंगने को तैयार थी, उनके मुख से चोदने जैसा शब्द सुनना बहुत भा रहा था.उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और मसले जा रही थी.
मेरे लंड की सभी नसें बुरी तरह तन गई थी… मेरा लण्ड उनके नंगे जिस्म से ज्यादा हमारी बातों से तन खड़ा था.
पर मुझे चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी, पूरे दो घंटे थे मेरे पास, आज मैं नलिनी भाभी को पूरा शीशे में उतारना चाह रहा था… यह मेरा वो मोहरा था जो मुझे हर पल की जानकारी दे सकता था क्योंकि सलोनी भी अपनी हर बात उनको बता देती थी और भाभी के अनुसार अंकल भी उनसे सभी बात कर लेते थे.
फिर तो उनको सलोनी की हर हरकत का पता होगा.. और आगे जो होगा वो भी मुझे पता चल जायगा.
मैंने एक हाथ से भाभी के चूतड़ को मसलते हुए उनकी चूची के निप्पल को अपने होंठों से पकड़ लिया जबकि मेरादूसरा हाथ तो उनकी चूत से खेल ही रहा था.
नलिनी भाभी को मैं हर मजा दे रहा था, वो भी मदहोशी में मचले जा रही थीं.
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्हाआआआ अह्ह्ह्ह ओह उफ़्फ़्फ़फ़्फ़ और ऊऊऊ ऊऊओओ ओ र आह्ह्ह्हा…
उनके मुख से सिसकारी रुक ही नहीं रही थीं.
नलिनी भाभी- ह्हाआआआआ अह्ह्ह्ह्ह तुझको सलोनी को किसी और के साथ देखना अच्छा लगता है… तुझे गुस्सा नहीं आता?
मैं- क्याआ भाभी… क्यों?? अगर उसको इसमें मजा आता है तो क्या जाता है… मैं भी तो मजे करता हूँ ना पुच पचर पुप्प्च…निप्पल को चूसते हुए ही मैं जवाब दे रहा था.
नलिनी भाभी- ह्हह्ह…अह्हह्ह आह्ह… तुम बहुत अच्छे हो… सलोनी बहुत लकी है… अब करो न… अह्हाआआ… प्लीज… अह्हा…
मैं- पहले बताओ ना रात क्या हुआ था? मैं तो कहीं काम में फंस गया था और अमित ने ही सलोनी को यहाँ छोड़ा था. भाभी बताओ ना, क्या दोनों ने आपस में चुदाई की थी.. आपने देखा था क्या??
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्हाआआ, अरे जैसे वो आये थे… और आपस में कर रहे थे… उससे तो यही था कि दोनों ने रात भर यहाँ खूब धमाचौकड़ी की होगी… सलोनी तो उसको छोड़ ही नहीं रही थी… ऐसे चिपकी जा रही थी जैसे उसमें गोंद लगा हो… अह्ह्ह्ह हाह हा हा वैसे तो भैया भैया कह रही थी मगर… हा हा हा… अह्ह्हाआ करो न अह्हा…
मैं- हाँ भाभी… सब बताओ ना, ऐसे नहीं… मुझे सब कुछ डिटेल में सुनना अच्छा लगता है…
नलिनी भाभी- हाँ हाँ… अह्हाआआआ… पहले तू अपना मेरी इसमें डाल… तभी मैं तुझे सब कुछ बताऊँगी… अह्हाआआआ देख बहुत मन कर रहा है ! पहले डाल, फिर मैं तुझे उसकी सारी बातें बताऊँगी…
मैंने भी अब सोचा कि हाँ, यही सही रहेगा… मेरा भी लण्ड अब डण्डा बन गया था, मुझसे भी बिल्कुल नहीं रुका जा रहा था.
मैंने ऐसी पोजीशन में उनको चोदने की सोची कि लम्बे समय तक मैं उनको चोद सकूँ… दोनों को मजा आये और थकान भी ना हो…
मैं बायीं करवट के लेट गया और भाभी को अपनी ओर घुमा लिया… मैंने उनकी टांग उठा अपनी कमर के ऊपर तक ले गया, फिर भाभी को इतना अपने से चिपका लिया कि उनकी रसभरी चूत मेरे लण्ड तक चिपक गई.
मैंने अपने हाथ से उनकी चूत के होंठों को खोलते हुए अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर सरका दिया.
नलिनी भाभी- ह्हाआआअहआ गया… मजा आ गया !
और कुछ ही देर में मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत के अंदर था… अब हम दोनों लेटे लेटे ही चुदाई कर रहे थे… भाभी प्यार भरी आँखों से मुझे देख रही थी.. उनको भी विश्वास नहीं था कि इतने आराम से भी चुदाई हो सकती है.
मैं- हाँ भाभी, आज हम सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे… बस आप सलोनी की चुदाई बताती जाओ.. मैं आपको इतने लयबद्ध तरीके से चोदूंगा कि कई MP3 की डीवीडी बन जाएँगी…
नलिनी भाभी- हा हा हा हा अह्ह्ह अहा हाह…
वो हंसते हुए सिसकारती जा रही थी.
मैं बहुत हलके हलके धक्के लगाते हुए उनको पुचकार रहा था- …बताओ ना भाभी?
नलिनी भाभी कुछ ही देर में नार्मल हो गई… वो मेरे हर धक्के का पूरा लुत्फ़ उठा रही थीं.
नलिनी भाभी- हाँ ऐसे ही… सच बहुत मजा आ रहा है… तुम तो जादूगर हो…
हाँ तो मैं बता रही थी… तुम्हारे अंकल रात बहुत परेशान थे कि तुम दोनों कहाँ चले गए… बस बाहर ही घूम रहे थे और सिगरेट पर सिगरेट…
उनको सलोनी की बहुत चिंता थी… मैंने कई बार उनको अंदर बुलाया पर वो आते, थोड़ी देर लेटते फिर उठकर बाहर आ जाते.
मैंने उनको चुदाई के लिए भी मनाने की कोशिश की पर वो कहाँ माने वाले थे… सलोनी ने तो उन पर जादू कर दिया है. फिर मैं सो गई… करीब तीन बजे सुबह इन्होने मुझे उठाया… वो सलोनी आई है…
तब मैंने देखा सलोनी एक कोट पहने खड़ी थी… पूरी नंगी… और उसके साथ एक लड़का ..वो क्या नाम बताया था तुमने अमित.. हाँ वो भी था.
उनको फ्लैट की चाबी चाहिए थी… पता नहीं अपनी कहाँ खोकर आ गई थी… मेरे पास एक मास्टर चाबी भी है ना… बस उसी से उन्होंने अपना फ्लैट खोला था.
मैंने तो उससे कुछ नहीं पूछा ..कि तेरी ऐसी हालत कैसे हुई… बस यही उसके साथ गए थे…
जब ये आधे घंटे तक नहीं आये तब मैं बाहर गई… तब ये तुम्हारी रसोई से लगे खड़े थे, मैं चुपचाप इनके पीछे गई… तब मैंने देखा सलोनी पूरी नंगी कुछ बना रही थी…
और वो लड़का अमित भी पूरा नंगा था… उसके पीछे खड़ा सिगरेट पी रहा था… दोनों जरूर चुदाई करने के बाद अब कुछ खाने रसोई में आये थे.
मैं- तुमको कैसे पता… हो सकता हो वैसे ही खड़े हों.. या केवल ऊपरी मजे किये हों.. चुदाई ना की हो?
नलिनी भाभी- अह्हा अह्ह्ह… अरे पागल इतना तो मैं समझ ही सकती हूँ ना… अमित का थक कर सिगरेट पीना… और उसका मुरझाया हुआ लण्ड… उस पर कुछ लगा भी था .. बिल्कुल चुदाई के बाद ही ऐसा होता है. और फिर तेरे अंकल ने भी बताया के दोनों मजेदार चुदाई करके आये थे… उन्होंने तो पूरा ही देखा था…
मैं अब भाभी को तेजी से चोदने लगा… यह सोचकर के कल रात सलोनी ने यही पर अमित से खूब चुदाई करवाई होगी.
मैंने सोचा कि सुबह उनकी बातों से भी लग रहा था कि दोनों ने बहुत कुछ किया है.
मैं- अच्छा भाभी फिर अंकल ने क्या बताया?और अपने चोदने की स्पीड तेज कर दी.
नलिनी भाभी- अह्हा अह्हा हां… आःह्हाआ ह्हह्हाआ ह्हह्हाआआआह ओह हाः आअह्ह्हाआ आआआअह्ह अह्ह्ह करो बस्स्स करूओ अह्ह्हाआ अह्ह्हाआ ह ओह… वो कुछ नहीं कह रहे थे… उनसे आज सब डिटेल में पूछकर फिर तुमको बताऊँगी… अह्हा बस अब करो तुम… अह्ह्हाआ ओहअह्ह्हाआआआ
और फिर मैंने उनको घोड़ी बना कुछ और तेज धक्के लगा अपना सारा वीर्य उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
नलिनी भाभी के साथ यह भी बहुत मजा था… मेरे रस की एक एक बून्द भाभी की चूत में जा रही थी.. बहुत ही गर्म गर्म लग रहा था…
मेरे लण्ड और मेरे लिए यह स्वर्ग का सा अहसास था.
सच बहुत ही दमदार चुदाई का मजा मैंने और भाभी ने लिया था…
अब मुझे भाभी से बहुत कुछ पता चलने वाला था… उन्होंने वादा किया था कि वो सलोनी से उसकी सारी बातें पूछेंगी और फिर मुझे भी बताएँगी.
अब मुझे सलोनी से ज्यादा खुलने की जरूरत नहीं थी.. छुपकर ही उसकी चुदाई का मजा लेना था मुझे !

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:26 PM,
#98
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 88

प्यार… पिछले कुछ दिनों में ही प्यार की परिभाषा मेरे लिए बिल्कुल बदल सी गई थी…जिस प्यार को मैं पहले समर्पण और वफादारी और ना जाने कितने भारी भारी शब्द समझता था, वे सब अब मेरे से दूर हो गए थे..मैं सलोनी से हमेशा से ही बहुत प्यार करता था मगर अगर पहले के प्यार पर नजर डालूँ तो वो केवल स्वार्थ ही नजर आता है…
हम कितना एक दूसरे को समय दे पाते थे.. सच कहूँ तो दोस्तों कभी कभी तो बिना चुदाई किये हुए भी 15 दिन गुजर जाते थे और हम जब बिस्तर पर चुदाई कर रहे होते थे तभी एक दूसरे को प्यार भरी बात कर पाते थे वरना बाकी समय केवल जरुरत की बात ही होती थी.
मुझे नहीं लगता कि कभी एक दूसरे से कुछ दिन भी अलग होने में हमको कोई कमी महसूस होती थी… हाँ बस इतना था कि हमको ये लगता था..सलोनी का तो पता नहीं…पर मुझे तो यही लगता था कि सलोनी बिल्कुल पाक साफ है… वो केवल मुझी से चुदवाती है.
पता नहीं साला यह कैसा प्यार है जो केवल एक उस छोटे से छेद के लिए होता है जिसको आमतौर पर हम गन्दा, छी और ना जाने क्या क्या बोलते हैं.
अरे नारी के शरीर में सबसे जरूरी अगर कुछ है तो वो उसका दिल है और अगर उसका दिल आपसे खुश है तभी वो आपसे सच्चा प्यार कर पाती है.
बस इतनी सी बात मुझे समझ आ गई थी और मैंने महसूस किया था कि पिछले दिनों में हमारा प्यार बहुत बढ़ गया था.
मैं अब हर पल बस सलोनी के बारे में ही सोचता रहता था पहले भी मैं कई दूसरी लड़कियों और स्त्रियों से सम्बन्ध बना चुका था पर उस समय उनकी चुदाई करते हुए मैं कभी सलोनी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता था पर इस समय चुदाई के समय भी मुझे सलोनी ही दिखाई देती थी और मैं सलोनी की ही बात करता रहता था.
बिल्कुल सच कह रहा हूँ… इसका कारण सलोनी की मस्ती या चुदाई के बारे में जानना ही नहीं था बल्कि मैं उसके हर पल के बारे में जानकारी रखना चाहता था, उसके हर पल में बस उसके निकट रहना चाहता था कि उस पर कोई मुसीबत ना आये.. वो जो चाहती है उसको वो सारी ख़ुशी मिले.
सच मेरा प्यार सलोनी के प्रति ओर भी ज्यादा हो गया था… सेक्स तो हमको कहीं से भी मिल जाता है पर वो ख़ुशी क्षणिक या कुछ पल की ही होती है… मगर सच्चा प्यार केवल पत्नी से ही मिलता है जो तहेदिल से हमारा ख्याल रखती है बिना किसी स्वार्थ के…
वो ख्याल ही मेरे लिए सच्चा प्यार है.
पहले मैं सोच रहा था कि सलोनी से खुलकर बात करता हूँ और दोनों मिलकर खूब मजे करेंगे, एक दूसरे के सामने खूब ऐश करेंगे, वो अपनी चुदाई के किस्से मुझे बताएगी और मैं अपनी चुदाई के किस्से उसको बताऊँगा…
मगर भाभी से चुदाई करने के बाद मैंने यह विचार त्याग दिया… अगर हम एक दूसरे के सामने दूसरों की चुदाई के किस्से बताते हैं और एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी करने लगे तो फिर हमारा प्यार खत्म ही हो जायेगा… फिर दूसरे भी हमको गलत समझने लगेंगे… हो सकता है हम बदनाम हों जाएँ और सब कुछ ख़त्म हो जाये.
इसलिए मैंने सलोनी के बारे में जानने के लिए दूसरे जरिये निकाले… वॉइस रिकॉर्डर तो था ही… फिर घर पर मधु थी और अब ये नलिनी भाभी भी बता सकती थी…
अभी वीडियो रिकॉर्डिंग या वीडियो कैमरे के बारे में मैंने कुछ नहीं सोचा था क्योंकि इसके लिए बहुत योजना से काम करना पड़ता.
हाँ, एक काम मैंने और सोच लिया था कि कभी सलोनी को बताये बिना अगर घर में रहना हो तो मेरे बेडरूम में ही एक स्टोर था जो बहुत छोटा था, उसमें लाइट भी नहीं थी उसमें केवल बेकार डिब्बे और फ़ालतू सामान पड़ा था, उसको मैंने थोड़ा सा साफ़ कर लिया था.
इस स्टोर में सलोनी कभी नहीं आती थी… डर के कारण… उसको अँधेरे से बहुत डर लगता था.
इसी का फायदा मैंने उठाने की सोची… अगर मैं इस स्टोर में छुप जाता हूँ तो सलोनी को मेरे घर पर होने की जानकारी नहीं हो सकती थी…
और मैं आराम से उसको देख सकता था…
बस यही सब मैंने सोचकर रखा था…कि अबकी बार जब पारस आएगा तो मैं यही करूँगा जिससे उनकी चुदाई पूरी तरह देख सकूँ.
फिलहाल तो मैंने नलिनी भाभी को पूरी तरह खुश कर दिया था, उनकी चूत की खूब कुटाई करने के बाद हम दोनों नंगे ही बाथरूम में नहाये, फिर मैंने एक बार फिर उनकी गाण्ड को भी चोदा, साबुन के चिकने झाग लगाकर उनकी गांड मारने में खूब मजा आया.
फिर भाभी ने नंगे बदन ही रसोई में मेरे लिये नाश्ता गर्म किया, बल्कि मैंने ही उनको एक भी कपड़ा नहीं पहनने दिया था.
उन्होंने जब गाउन पहनने के लिए सीधा किया, तभी मैंने खींचा और वो फट गया. वो नाराज भी हुई मगर मैंने उनको बोल दिया कि नाश्ता तभी करूँगा जब आप बिल्कुल नंगी रहोगी क्योंकि सलोनी मुझे ऐसे ही नाश्ता करवाती है…
नलिनी मेरी चुदाई से इतनी खुश थी कि मेरी हर बात मानने को तैयार थी, हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए ही नाश्ता किया.
फिर मेरे दिमाग में एक शरारत आई, मैंने सोचा नलिनी भाभी भी अब सलोनी की तरह ही सेक्स को पसंद करने लगी हैं, अब उनको भी सलोनी की तरह ही खोलना चाहिए, तभी वो सलोनी से पूरी तरह ओपन हो पाएँगी और फिर सलोनी भी अपनी सभी बातें उनसे करने लगेगी तो भाभी से मेरे को पता लगती रहेंगी.
बस मैंने भाभी को खोलने का प्लान अभी से शुरू कर दिया, वैसे वो बिस्तर पर सलोनी से भी ज्यादा खुल चुकी थी, चुदाई के समय मैंने जो किया और कहा, उन्होंने उसमें पूरा साथ दिया मगर वो बेडरूम के अंदर की बात थी, अब मैं उनको बाहर भी खोलना चाहता था क्योंकि रसोई में नंगी रहकर नाश्ता गर्म करते हुए या साथ नाश्ता करते हुए वो उतना सुविधाजनक महसूस नहीं कर रही थी जितना कपड़े पहने हुए रहती हैं.
जबकि सलोनी नंगी भी काम करती थी तो ऐसा लगता था जैसे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता, वो इस सबकी आदी हो चुकी थी.
मैं ऐसा ही नलिनी भाभी को भी बनाना चाहता था, एक दो बार ऐसे ही नंगी रहने से वो भी इसे सामान्य रूप से लेने लगेंगी.
तैयार होने के बाद मैंने उनसे पूछा- भाभी, यहीं रुकोगी या अपने फ्लैट पर जाओगी?
नलिनी भाभी- अरे जाना वहीं था पर तुमने छोड़ा कहाँ जाने लायक, अब क्या नंगी ही जाऊँगी? लाओ, मुझे कोई सलोनी का ही गाउन दो, कम से कम कुछ तो छुपेगा.
मैं- क्या भाभी आप भी… इतनी खूबसूरत लग रही हो और इस खूबसूरती को छुपाने की बाअत कर रही हो… मेरी बात मानो, आप ऐसे ही रहा करो.
नलिनी भाभी ने मेरा कान पकड़ते हुए- हाँ बदमाश, तू तो यही चाहेगा… जैसा सलोनी को बना दिया है तूने… कोई कपड़ा पहनना ही नहीं चाहती.
मैं- अरे सच भाभी, आप उससे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो.
नलिनी भाभी- ना जी मुझे तो बक्श ही दो… मुझसे बिना कपड़े के नहीं रहा जायेगा… ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख रहे हों.
मैं- अभी कहाँ भाभी… चलो ऐसे ही मुझे नीचे पार्किंग तक छोड़ने चलो… हा हा हा… फिर देखना कितना मजा आता है.
नलिनी भाभी- ये सब तो तेरी सलोनी को ही मुबारक… देखा मैंने कि कैसे नंगी आई थी… मैं ऐसा नहीं कर सकती, अब तुम जाओ.. मैं कर लूंगी कुछ इन्तजाम !
मैं- नहीं भाभी, आप को बाहर तक तो मुझे छोड़ने आना ही होगा.
नलिनी भाभी- तुम पागल हो गए हो क्या…?? मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती.
मैं- देख लो भाभी… वरना मैं नहीं जाऊँगा और अभी अंकल आकर आपको ऐसे मेरे साथ देख लेंगे.
नलिनी भाभी- ओह… तुम तो बहुत ज़िद करते हो… दोपहर के 12 बज रहे हैं, कोई भी बाहर हो सकता है… और तुमको देर नहीं हो रही?
मैं- बिल्कुल नहीं… आपको ऐसे तो छोड़कर नहीं जा सकता.
नलिनी भाभी थोड़ी देर ना नुकुर करने के बाद मान गई बल्कि उन्होंने कहा कि तुम अब अपना फ्लैट बंद ही कर दो, मैं अपने फ्लैट में चली जाती हूँ.
वाह… नलिनी भाभी नंगी मेरे फ्लैट से अपने फ्लैट तक जाएँगी.. मजा आ जायेगा…
मैं सोचने लगा… काश कोई बाहर उनको नंगा देख भी ले… फिर मैं उनके चेहरे के भावों का मजा लूंगा.
पर उन्होंने ज़िद की- पहले तुम देखो, जब कोई नहीं होगा तभी मैं बाहर निकलूँगी.
मैंने बाहर आकर देखा, कोई नहीं था, मैंने उसको बताया कि बाहर कोई नहीं है.
मेरे फ्लैट से उनका फ्लैट बायीं ओर कोई 20 कदम के फासले पर था, हमारी बिल्डिंग के हर फ्लोर पर केवल दो ही फ्लैट हैं तो ऐसे किसी के आने का ज्यादा डर नहीं रहता..
हाँ अगर ऊपर से कोई नीचे आ रहा हो तो वो भी सीढ़ी से तभी किसी के देखने की संभावना थी.
इसीलिए भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं.. वो तो रोज ही घर ही रहती थीं, उनको पूरा आईडिया होगा कि दोपहर को इस समय सुनसान ही होता है क्योंकि ज्यादा चहल पहल सुबह-शाम ही रहती है.
मैंने कुछ देर इन्तजार भी किया मगर कोई नहीं आया… अब मुझे ऑफिस भी जाना था इसलिए मैंने भाभी को आने का इशारा कर दिया.
उन्होंने भी मेरे पीछे से बाहर झांक कर देखा, जब वो संतुष्ट हो गई तो तन कर बाहर निकली जैसे उन्होंने कोई किला जीत लिया हो…
.!नलिनी भाभी- देखा… मैं कितनी बहादुर हूँ !वो नंगी ऐसे चल रही थी कि अगर कोई देख ले तो बेहोश हो जाए !

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:26 PM,
#99
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 89

मुझे ऑफिस भी जाना था इसलिए मैंने भाभी को आने का इशारा कर दिया.उन्होंने भी मेरे पीछे से बाहर झांक कर देखा, जब वो संतुष्ट हो गई तो तन कर बाहर निकली जैसे उन्होंने कोई किला जीत लिया हो…
नलिनी भाभी- देखा… मैं कितनी बहादुर हूँ !वो नंगी ऐसे चल रही थी कि अगर कोई देख ले तो बेहोश हो जाए !
मैं बहुत उम्मीद से किसी के आने और देख लेने का इन्तजार कर रहा था…मगर नाउम्मीदी ही हाथ लगी…कोई नहीं आया…
एक अनोखे रोमांच से मैं गुजर रहा था और यह भी पक्का था कि नलिनी भाभी को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था… उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस तरह बिना कपड़ों के बिल्कुल नंगी होकर वो फ्लैट के बाहर गैलरी में घूमेगी !
जब नंगे बदन पर बाहर की हवा लगती है तो ऐसा महसूस होता है जैसे कोई अजनबी पुरुष नंगे बदन को सहला रहा हो !
नलिनी भाभी उसी का आनन्द ले रही थी.
जब वो अपने फ्लैट तक अपने मस्ताने नंगे बदन को लहराती हुई लेकर पहुँचीं..
तभी उनको याद आया कि अरे उनके फ्लैट की चाबी तो वहीं रह गई है…
मैं उनको एक प्लानिंग के तहत ही वहीं छोड़ चाबी खुद लेने अपने फ्लैट तक आया, चाबी तो मुझे तुरंत ही मिल गई मगर फिर भी मैं कुछ समय लगाया कि कोई न कोई भूला भटका ही सही, वहाँ आ जाये और नलिनी भाभी का मस्ताना बदन देख उसको मजा आ जाये…
पता नहीं मेरी यह इच्छा पूरी होती या नहीं… पर आज किस्मत कुछ ज्यादा ही साथ थी, मुझे बाहर आहट सी हुई, मैंने चाबी लेकर बाहर को देखने का प्रयास किया तो मुझे सीढ़ी से किसी के उतरने का अहसास सा हुआ.
मतलब कोई नीचे से तो नहीं पर हाँ ऊपर से जरूर कोई आ रहा था.
फ़िर मैंने सोचा कि वैसे भी नीचे से तो वही वहाँ आता जिसे हमारे फ्लोर पर ही रुकना होता…क्योंकि 16 मंजिल पर कोई भी लिफ्ट से ही आता था… अब इससे ऊपर भी कोई गया होगा तो लिफ्ट से ही गया होगा…
हाँ ऊपर से जरूर कोई सीढ़ी से आ सकता था.. जो उस समय आ रहा था.
अब यह देखना था कि उसको देखकर नलिनी भाभी या उस पर क्या फर्क पड़ता है !
तभी मैंने देखा कि वो टॉप फ्लोर पर रहने वाले एक बुजुर्ग थे… वो 80 साल से भी ज्यादा उम्र के थे… मगर बहुत ज्यादा हेल्थ कॉन्शियस थे, मैंने ज्यादातर उनको सीढ़ी से ही आते जाते देखा था.
आज भी वो अपनी फोल्डिंग छड़ी लेकर बहुत ही धीमी गति से एक एक सीढ़ी उतर कर नीचे आ रहे थ.
उनके आँखों का ऑपरेशन भी हो चुका था, उनकी आँखों पर हमेशा एक मोटा काला चश्मा चढ़ा रहता था, जहाँ तक मुझे याद है उनको बहुत ही कम दिखाई देता था.
मतलब यह अहसास तो रहेगा कि कोई दूसरा वहाँ खड़ा है मगर उसको कितना दिख रहा है… इसका पता नहीं चलेगा.
मैंने अब थोड़ा आगे आकर नलिनी भाभी को देखा तो वो भी सांस रोके एक साइड को होकर खड़ी थी, उनको भी लग रहा था कि वो अंकल बिना कुछ देखे चुपचाप निकल जायेंगे.
और शायद होता भी ऐसा ही अगर कोई भी आवाज उनको नहीं आती तो वो कुछ भी देखने की कोशिश नहीं करते, उनको शायद किसी एक ही आँख से जरा सा ही दिखता होगा जिससे वो जांच परख कर एक एक कदम आगे बढ़ाते हैं.
मगर या तो उनको किसी का अहसास हुआ या फिर उन्होंने कोई आवाज सुनी कि आखिर की एक सीढ़ी पहले ही उन्होंने एक ओर को देखा… फिर वो लड़खड़ाए और… ‘आअह…’ की आवाज के साथ गिर पड़े.
आदत अनुसार मैं एकदम आगे को बड़ा पर तुरंत ही मैंने अपने कदम पीछे खींच लिए, कारण नलिनी भाभी भी उनको पकड़ने आगे को बढ़ी.
उनको आगे बढ़ते देख मैं पीछे को हो गया था.
स्वाभिविक है कि वो यह भूल गई कि उन्होंने कुछ नहीं पहना है, वो पूरी नंगी ही उनके पास पहुँच गई और उन्होंने बिना कुछ सोचे अंकल को लपक कर उठा लिया.
मैं नलिनी भाभी की बाहों में अंकल को देख रोमांच से भर गया.
पूरी नंगी भाभी ने झुककर अंकल को पकड़ लिया पर अंकल ने भी तुरंत उनको पकड़ा.
मैं गौर से उनकी हर हरकत को देख रहा था… अंकल का हाथ भाभी की कमर पकड़ने के लिए आगे बढ़ा और काँपता हुआ हाथ उनके नंगे चूतड़ों पर चला गया.
भाभी ने उनको दोनों हाथों से संभाला हुआ था, वो कुछ कर भी नहीं सकती थी.
अंकल ने दोनों हाथ से भाभी की टांग को जांघ के पास पकड़ लिया.
भाभी भी काँप रही थी मगर उन्होंने अंकल को नहीं छोड़ा.
अंकल तो कुछ थोड़ा बहुत बोल भी रहे थे, जो मुझे समझ नहीं आ रहा था, मगर भाभी कुछ नहीं बोल रही थी, शायद उनको अपनी आवाज पहचाने जाने का डर था.
मगर तभी अंकल ऊपर को उठते हुए ही उनकी जांघ से हाथ सरकाते हुए उनकी कमर तक ले गए और पूरी तरह ऊपर उठकर खड़े हो गए.
अब उन्होंने भाभी के कंधे पकड़े हुए थे उनको कोहनी भाभी के नंगी चूची से छू रही थी.
तभी मैंने अंकल की आवाज सुनी- अरे नलिनी, तू यहाँ नंगी क्या कर रही है??? अरविन्द कहाँ है…??
मैं चौंक गया कि ‘अरे इनको तो सब दिखता है और इन्होंने भाभी को पहचान भी लिया.. अब क्या होगा?’
नलिनी भाभी- कहाँ अंकल… व्वव्वो…
अंकल: क्या वव्वो लगा रखी है… कुछ पहना क्यों नहीं तूने… नंगी क्यों है?
और बोलते हुए बुड्ढे ने अपने एक हाथ से भाभी को कंधे से पकड़े हुए ही दूसरे हाथ से उनकी चूची को सहलाते हुए चिकने पेट तक लाये, फिर अपने हाथ को उनकी फूली हुई चूत के ऊपर रख दिया.
‘बिना कच्छी या कुछ पहने क्या कर रही है तू यहाँ?’
नलिनी भाभी- अरे दादा जी… वो आप… क्या आपको दिखने लगा?
अंकल- तो क्या तूने मुझे अँधा समझा था? सब कुछ दिखता है.. वो तो शरीर थोड़ा सा साथ नहीं देता बस…
अंकल ने अपना हाथ अभी भी भाभी की चूत पर रखा हुआ था और भाभी भी कुछ नहीं कह रही थी.
तभी भाभी ने उनको सही करते हुए सीधा खड़ा किया और उनकी छड़ी पकड़ाते हुए बोली- अरे अंकल वो मैं सलोनी के यहाँ थी… काम ख़त्म करके नहाने जा रही थी, तभी आपकी आवाज सुनी और बिना कुछ सोचे आपको उठाने आ गई, जल्दी में कुछ भी नहीं पहन पाई…
अंकल भाभी के कंधे और चूतड़ों पर हाथ रखे आगे बढ़ने लगे, बोले- हा हा हा… इसका मतलब आज पहले बार मेरा गिरने से फायदा हुआ…
नलिनी भाभी- कैसा फ़ायदा अंकल …
अंकल- चल छोड़… मुझे अपने यहाँ ले चल.. लगता है घुटने में चोट आई है.
अब भाभी के पास कोई चारा नहीं था, वो उनको पकड़े मेरे फ्लैट की ओर ही आने लगी क्योंकि उनका फ्लैट तो बंद था.
अब मैं अगर खुद को उनकी नजर में आने देता तो मामला बिगड़ जाता, बुड्ढा एकदम समझ जाता कि मेरे और भाभी के बीच जरूर कोई चोदमचुदाई हुई है.
मैंने दोनों को आते देख तुरंत चाबी को वहीं रखा और अपने फ्लैट से बाहर आ रसोई वाली खिड़की की ओर चला गया.
वहाँ से एकदम से किसी की नजर मुझ पर आसानी से नहीं पड़ सकती थी.
जब दोनों मेरे फ्लैट के अंदर चले गए… मैंने देखा अंकल का हाथ पूरा फैला हुआ भाभी के चूतड़ों पर था.
मतलब यह बुड्ढा भी साला पूरा चालू था.
तभी भाभी ने पीछे मुड़कर देखा, मैंने हंसते हुए खुद तो ऑफिस जाने का इशारा किया और अपने एक हाथ से गोल बनाकर दूसरी हाथ की उंगली उसमें डालते हुए चुदाई का इशारा किया… ‘मजे करो…’
उन्होने मुझे गुस्से से देखा पर मैं दोनों को वहीं छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया.

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:26 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 90

अपने ख्यालों में खोया हुआ मैं ऑफिस जा रहा था…
एक बहुत ही गर्म दिन की शुरुआत हुई थी और लण्ड इतनी चुदाई के बाद भी अकड़ा पड़ा था. इस साले को तो जितना माल मिल रहा था, उतना यह तंदरुस्त होता जा रहा था और जरा सी आहट मिलते ही खड़ा हुए जा रहा था.
मैं यही सोच रहा था कि ऑफिस जाते ही सबसे पहले तो शालू को ही पेलूँगा, तभी यह कुछ देर शांत रहेगा.
और फिर मुझे रोजी की मस्त चूत भी याद आ रही थी.. अगर वो मान गई तो उसकी भी बजा दूँगा.
शालू और रोजी की चूतों को याद करते हुए मैं मजे से गाड़ी चलाता हुआ जा रहा था कि..
‘जब किस्मत हो मेहरबान… तो बिना तजुर्बे के भी मिल जाते हैं कदरदान…’
यही मेरे साथ लगातार हो रहा था…
मैंने देखा एक खूबसूरत ‘बला’ सामने खड़ी लिफ्ट मांग रही है…
पहले तो सोचा कि क्यों समय बर्बाद करूँ… निकल चलूँ और ऑफिस में जाकर मजे करूँ… परन्तु उसकी खूबसूरती ने मुझे ब्रेक दबाने पर मजबूर कर दिया.
जैसे ही मैंने उसके निकट गाड़ी रोकी… ‘अरे… यह तो सलोनी की सहेली है…’
मैं 3-4 बार उससे मिल चुका था… क्या नाम था उसका ?? पता नहीं… पर हाँ सलोनी… इसको नीलम कहकर ही बुलाती है… यह NRI है, ऑस्ट्रेलिया से आई है शायद… इसकी शादी वहीं हुई है… पर अब यहीं रह रही है. इसकी पति से नहीं बनती, वो अभी भी ऑस्ट्रेलिया में ही है, पर अभी तक कानूनी अलगाव नहीं हुआ है.
नीलम बहुत ही खूबसूरत है… 5’5″ लम्बी.. उम्र कोई 30 साल पर लगती 25 की है… बिल्कुल गोरा रंग जैसे दूध में सिन्दूर मिला दिया गया हो… भूरे बाल… जो उसने शार्ट स्टेप कटिंग कराये हुए हैं… गुलाबी लब.. जो बाहर को उभरे हुए हैं… ये दर्शाते हैं कि इसको चूसने का बहुत शौक होगा, और तीखे नयन नक्श.. सब उसको बहुत खूबसूरत दिखाते थे.
बाकी उसका मॉडर्न लिबास उसके सेक्सी बदन का हर उभार अच्छी तरह दिखा रहा था.
मैं समझता हू कि उसका फिगर एक परफेक्ट फिगर था 36-26-36 का… थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होगा बस !
कुल मिलाकर .पहली नजर में ही उसको देखकर कोई भी आहें भरने लगता होगा और उसको सुपर सेक्सी की संज्ञा दे देता होगा.
वही सुपर सेक्सी नीलम आज लिफ्ट मांगने मेरे सामने खड़ी थी.
मैंने बिल्कुल उसके निकट जाकर गाड़ी रोक दी.
नीलम अंग्रेजी में- क्या आप मुझे…. तक… अरे जीजू आप… वाओ…
और बिना किसी औपचारिकता के दरवाज़ा खोल मेरे निकट बैठ गई, मैंने गेट लॉक पहले ही खोल दिया था.
नीलम ने नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहना था… दोनों ही कपड़े बहुत कसे थे, उसके चिकने बदन से चिपके थे.
मैं- हेलो नीलम… यहाँ कैसे.. कहाँ जा रही हो… गाड़ी कहाँ है तुम्हारी?
नीलम- अरे जीजू, मैं तो बड़ी परेशान हो गई थी… थैंक्स गॉड जो आप मिल गए… मुझे एक पार्टी से मीटिंग करने जाना है… इट्स अर्जेंट… और मेरी गाड़ी ख़राब हो गई.
मैं- अरे तो कहाँ छोड़ दी?
नीलम- अरे वो सब तो मैंने टैकल कर लिया… बस आप मुझे वहाँ तक 15 मिनट में छोड़ दें… अमेरिका की पार्टी है… वक्त के पाबंद हैं.
मैं- डोन्ट वरी… अभी छोड़ देता हूँ.
वो पीछे को जाने लगी… उसके चूतड़ मेरी तरफ थे, मुझे अचानक ना जाने क्या हुआ मैंने एक चपत उसके कूल्हे पर लगा दी.
मैं- क्या कर रही हो? बैठती क्यों नहीं?
नीलम ने अपने चूतड़ को हिलाते हुए ही पैर पीछे को रख पीछे वाली सीट पर चली गई.
नीलम- अरे कुछ नहीं जीजू.. वो मुझे चेंज भी करना था… मैं जल्दी में ऐसे ही आ गई थी.. अब अगर इन कपड़ों में उस पार्टी से मिली तो मुझे मैनेजर नहीं चपरासी समझेंगे…
मैं- हा हा हा.. क्या यार?
उसने मेरे द्वारा चूतड़ पर हाथ मारने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी.
मैं- इतनी सेक्सी तो लग रही हो… अब क्या करोगी?
मुझे यह तो पता था कि नीलम बहुत बोल्ड है पर मेरे से ज्यादा खुलकर बात करने का मौका कभी नहीं मिला था.
पर आज उसने अपनी बोल्डनेस मुझे दिखा दी.
नीलम- क्या जीजू… इन घर के कपड़ों में भी… मैं आपको सेक्सी लग रही हूँ… हा हा हा… इनमें तो सब कवर है… कुछ भी नहीं दिख रहा…
मैं- वाओ मेरी साली साहिबा… तो क्या दिखाना चाह रही हो?
नीलम- अरे आप तो हमारे प्यारे जीजू हैं… जो देखना चाहो… बस इशारा कर देना !
मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा… ओह गॉड… उसने अपना टॉप निकल दिया था… वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी…
मैं- अरर्र…रेए… यह क्या कर रही हो?
नीलम- हा हा हा हा… अरे अपने ही तो कहा था कि देखना है… हा हा !
मैं- अरे ऐसे तो नहीं… चलती सड़क है… अओर…
नीलम- अरे जीजू घबराओ मत… बस कपडे चेंज कर रही हूँ… अब वहाँ जाकर तो कर नहीं पाऊँगी.
और वो बिना किसी डर के मेरी गाड़ी के पीछे बैठ आराम से अपने कपड़े बदल रही थी.
उसने अपनी बेग से एक लाल सूर्ख… सिल्की टॉप निकाला जो अजीब कटिंग से बना था.
मैंने सोचा कि वो इसे जल्दी से पहन ले.. पता नहीं फिर कहीं कोई पुलिस वाला न देख ले… अबकी बार तो जरूर बुरा फंस जाऊँगा.
मगर वो तो पूरे मूड में थी, उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
एक पल को तो मेरी धड़कन भी रुक गई… ना जाने वो क्या करने वाली थी?
क्या चूचियाँ थी उसकी… एकदम सुन्दर आकार में… गोल… तनी हुई… और गुलाबी निप्पल… दर्पण में देखकर ही दिल वावरा हो गया और मैं पीछे चेहरा घुमाकर देखने लगा.
नीलम- अर रे जीजू… क्या करते हो? प्लीज आगे देखो ना…
मैं- क्यों अब शर्म आ रही है क्या?
नीलम- अरे नहीं… जीजू.. कोई शर्म नहीं… आप गाड़ी चला रहे हो ना इसीलिए… अभी आप गाड़ी चलाइये… इनको फिर कभी देख लेना… मैं कहीं भागी नहीं जा रही…
मैं मुँह बाये बस उसको देखे जा रहा था.
नीलम ने अपनी दोनों चूची को सहलाकर ठीक किया और फिर अपना टॉप पहन लिया.
टॉप बहुत ही मॉडर्न स्टाइल का था… कई जगह से कट लिए हुए… यह समझो जैसे बहुत कम छिपा रहा था और काफी कुछ दिखा रहा था.
मैं अब आगे देखकर गाड़ी चला रहा था परन्तु मेरी नजर बैक व्यू मिरर पर ही थी.
जैसे मैं कोई भी दृश्य चोदना नहीं चाह रहा था… मैं नीलम के बदन के हर हिस्से को नंगा जी भरकर देखना चाहता था.
नीलम के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी, उसको मेरी सारी स्थिति का पता था और वो इसका पूरा मजा ले रही थी.
मेरे लिए इतना ही काफी था कि यह खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी, इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल-कुचल सकता हूँ.पर आज मैं नीलम की मछली को देखने के लिए पागल था.
.!
अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी.
मैं सांस रोके उसको देख रहा था… मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे.
मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता… पर पक्का ही था कि जब सलोनी कच्छी नहीं पहनती तो नीलम ने भी नहीं पहनी होगी… आखिर यह तो सलोनी से भी ज्यादा मॉडर्न है.
मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था.
नीलम ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया…

कहानी जारी रहेगी.

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