Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:22 PM,
#88
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
29


मेरी चेहरे पर पसीने की बूंदे छा गयी थीं, "मुझे भी तुम्हारा लंड अच्छा लग ….ओ……ओ……..ओ….. ओह …….. अक्कू मैं अब आने वाली हूँ ," अचानक मेरा शरीर मेरे रति निष्पति के द्वार पर खड़ा था। 

मैं वासना के ज्वर से प्रताड़ित कांपते हुए चीखी ," अक्कू मेरी गांड फाड़ डालो पर मुझे झाड़ दो। अक्कू मेरे अक्कू मारो मेरी गांड …… आँ….. आँ…….. आँ………आँ……..आँ…….ओऊन्न्ग्ग्ग……..अाॅन्न्ह……..अक्कू ," मैं चीखते हुए झड़ने लगी। 

मेरी छोटी से ज़िंदगी में वो सबसे प्रचंड रति-निष्पति थी। उसकी तीव्रता से मेरी सांस मेरे गले में अटक गयी। मेरे पेट में एक अजीब सा दर्द फ़ैल गया। मेरे सारा शरीर अकड़ गया और फिर मानों एक सैलाब मेरे शरीर में बाँध तोड़ कर बाढ़ की तरह सब तरफ फ़ैल गया। 

मैं बेबस अपने चरम-आनंद के प्रचंड झोंकों से कांप-कांप कर अपने भाई को दुहाई दे रही थी ," अक्कू मेरे अक्कू मेरे प्यारे अक्कू मुझ और झाड़ो। "

अक्कू को उस कच्ची उम्र में भी मम्मी और डैडी की चुदाई देख कर समझ आ गया था कि अब उसकी बड़े बहन अनर्गल बक रही थी। उसने मेरे पसीने से लथपत कमर को सहला कर और भी ज़ोरों से मेरी गांड की बेदर्द निरंकुश चुदाई बिना थके और धीरे हुए अविरत जारी रखी। 

मेरी गांड से अब 'फच-फच ' की आवाज़ें आ थीं। अक्कू का लंड अब बे रोक-टोक मेरी गांड में रेल के इंजन के पिस्टन की तरह सटासट दौड़ रहा था। मेरी साँसे अब हांफने में बदल गयीं थीं। 

अक्कू को मेरी ज़ोर से गांड मारने की याचनाएं बेकार लग रहीं होगीं क्योंकी वो अब मेरी गांड उतनी हैवानियत से मार रहा था जितनी डैडी ने मम्मी की गाड़ मारते हुए दिखाई थी। 

मैं फिर से आने वाली थी। मेरी सिस्कारियों में मेरे झड़ने की मीठी पीड़ा से सुबकने के मधुर स्वर भी शामिल हो गए ,"अक्कू …… अक्कू …….. अक्कू …….. अक्कू ………. आन्ह…… आन्ह……… अआह……… ओऊन्नन्न्न्न…….. उउउउन्न्न्न्न्न्म्म्म्म्म्म……. , “ मैं बिलबिला के झड़ने लगी। 

अक्कू के मेधावी मस्तिष्क ने उसके सारे अनुभवों की विवेचना कर ली थी और अब उसे अपनी बड़ी बहन के निर्देशों की कोई भी आवश्यकता नहीं थी। 

अक्कू ने मेरी पसीने से लथपत कमर कके ऊपर झुक कर ममेरी छाती के उभारों को अपनी बड़ी मुट्ठियों में जकड़ लिया। मेरी छाती से उपजे दर्द ने मेरी गांड से उबलते आनंद को और भी परवान चढ़ा दिया। अक्कू ने मेरी घुंडियों को बेदर्दी से मसला,खींचा और मड़ोड़ा। मैंने चीख कर, सुबक कर और सिसकारी मर कर बार बार झाड़ गयी। 

इस बार अक्कू ने तो झड़ने का नाम ही नहीं लिया। मैं पांच के बात गिनती गिनना भूल गयी। अक्कू के एक भयंकर धक्के से मेरा रति-निष्पति से शिथिल शरीर पूरा हिल उठे और मैं मुंह के बल पलंग पर गिर गयी। अब मैं मुंह के बल पट लेती थी। 

अक्कू ने एक पल के लिए भी अपना लंड मेरी फड़कती गांड में से नहीं निकलने दिया। पट लेटने से मेरी गांड और संकरी हो गयी। अक्कू का लंड मुझे और भी भीमकाय लगने लगा। उसके हाथ मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे पर उनसे मेरी घुंडियों की प्रतारणा अविरत होती रही। 

मैं बार बार झड़ने की मीठी यातना से थक कर चूर हो चुकी थी , " अक्कू अब तुम झड़ जाओ प्लीज़। मेरी गांड अब बहुत जल रही है। उसे अपने रस से ठंडा कर दो। "

अक्कू अब तलक मेरी गांड एक घंटे से भी ऊपर मार चूका था। 

अक्कू ने कसमसा कर मेरी घुंडियों को कस कर निचोड़ दियस औऐर मेरी हल्की चीख और भी ऊंची हो गयी जैसे ही उसका गरम लंड का रस मेरी गांड में बौछारें मारने लगा। मैं बिलबिला उठी आनंद के अतिरेक से। अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने मेरे आनंद को को और भी उन्नत कर दिया। सिर्फ इस विचार से कि मेरे छोटे भैया को मेरी गांड मारने से इतना आनंद आ रहा है उससे मेरे आनंद के चरमसीमा अपरिमित असीमित सीमा में बदल गयी। 

मैं एक बार फिर से झाड़ गयी पर इस बार मेरा रति-निष्पति ने मुझे लगभग बेहोश कर दिया। मैंने आनंद से अभिभूत हो आँखें बंद कर लीं और अक्कू का गरम लंड का रस मेरी जलती गांड को 'शीतल' करने का प्रयास कर रहा था। 

न जाने कितनी देर बाद दोनों हाँफते भाई-बहन फिर दुबारा जीवित संसार के सदस्य बने। 

"दीदी, आई लव यू ," अक्कू ने धीरे से फुसफुसा कर मेरे कान की लोलकी [इयर-लोब्यूल] को चूसते हुए फुसफुसाया। 

मैं अक्कू के अपनी गांड की चुदाई से इतनी थक चुकी थी कि बस पलंग की चादर में दबे अपने होंठों की मुस्कान से ही अपने प्यार को दर्षा पाई। 

दोनों बहन-भाई ना जाने कितनी देर तक एक दुसरे से उलझे ऐसे ही लेते रहे। 

"दीदी, क्या अब मैं आपको सीधा लिटा कर आपकी गांड मारूं ?" अक्कू डैडी की सारी क्रियाओं का प्रदर्शन करना चाह रहा था। 

मैंने खिलखिला कर हंस दी ," अक्कू , मेरे प्यारे भैया , तुम जब जैसे भी मेरी गांड मार सकते हो। अब यह गांड तो तुम्हारी है 

, पर तुम्हारा लंड अब मेरा है। "

अक्कू भी अपनी उम्र के बच्चों की तरह खिलखिला उठा , "दीदी यह अदला बदली तो मुझे स्वीकार है। इस तरह तो मैं आपके गांड जब चाहे मार सकता हूँ। "

मैंने भी हँसते हुए कहा ," मेरे बुद्धू छोटे भैया , यह ही तो मैंने पहले कहा था। "

अक्कू ने मेरा मुंह मोड़ मैंने मेरी फड़कती नासिका को चूम लिया ," दीदी मुझे अब आपकी गांड आपका मुंह देखते हुए मारनी है। "
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 02-10-2018, 12:22 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 2,062 9 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 1,000 10 hours ago
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 834 10 hours ago
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,743,001 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 574,988 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,337,260 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,020,635 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,795,037 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,198,613 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,154,912 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)