Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:20 PM,
#10
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
और उधर कामया का तो सारा शरीर ही आग में जल रहा था जैसे ही भीमा चाचा का हाथ उसके कंधे पर टकराया उसके अंदर तक सेक्स की लहर दौड़ गई उसके पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये और शरीर काँपने लगा था उसे ऐसे लग रहा था कि वो बहुत ही ठंडी में बैठी है, वो किसी तरह से ठीक से बैठी थी पर उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था वो ना चाहते हुए भी थोड़ा सा तनकर बैठ गई उसकी दोनों चूचियां अब सामने की ओर बिल्कुल कोई माउंटन पीक की तरह से खड़ी थी और सांसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी उसकी सांसों की गति भी बढ़ गई थी भीमा के सिर्फ़ दोनों हाथ उसके कंधे पर छूने जैसा ही एहसास उसके शरीर में वो आग भर गया था जो कि आज तक कामया ने अपने पूरे शादीशुदा जिंदगी में महसूस नहीं किया था 

कामया अपने आपको संभालने की पूरी कोशिश कर रही थी पर नहीं संभाल पा रही थी वो ना चाहते हुए भी भीमा चाचा से टिकने की कोशिश कर रही थी वो पीछे की ओर होने लगी थी ताकि भीमा चाचा से टिक सके 
उसके इस तरह से पीछे आने से भीमा भी थोड़ा आगे की ओर हो गया अब भीमा का पेट से लेकर जाँघो तक कामया टिकी हुई थी उसका कोमल और नाजुक बदन भीमा के आधे शरीर से टीके हुए उसके जीवन काल का वो सुख दे रहे थे जिसकी कि कल्पना भीमा ने नहीं सोची थी भीमा के हाथ अब पूरी आ जादी से कामया के कंधे पर घूम रहे थे वो उसके बालों को हटा कर उसकी गर्दन को अपने बूढ़े और मजबूत हाथों से स्पर्श कर कामया के शरीर का ठीक से अवलोकन कर रहा था वो अब तक कामया के शरीर से उठ रही खुशबू में ही डूबा हुआ था और उसके कोमल शरीर को अपने हाथों में पाकर नहीं सोच पा रहा था कि आगे वो क्या करे पर हाँ… उसके हाथ कामया के कंधे और बालों से खेल रहे थे कामया कर उसके पेट पर था और वो और भी पीछे की ओर होती जा रही थी आगर भीमा उसे पीछे से सहारा ना दे तो वो धम्म से जमीन पर गिर जाए वो लगभग नशे की हालत में थी और उसके मुख से धीमी धीमी सांसें चलने की आवाज आ रही थी उसके नथुने फूल रहे थे और उसके साथ ही उसकी छाती भी अब कुछ ज्यादा ही आगे की ओर हो रही थी

भीमा खड़ा-खड़ा इस नज़ारे को देख भी रहा था और अपनी जिंदगी के हँसीन पल को याद करके खुश भी हो रहा था वो अपने हाथों को कामया की गर्दन पर फेरने से नहीं रोक पा रहा था अब तो उसके हाथ उसके गर्दन को छोड़ उसके गले को भी स्पर्श कर रहे थे कामया जो कि नशे की हालत में थी कुछ भी सोचने और करने की स्थिति में नहीं थी वो बस आखें बंद किए भीमा के हाथों को अपने कंधे और गले में घूमते हुए महसूस भरकर रही थी और अपने अंदर उठ रहे ज्वार को किसी तरह नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही थी उसके छाती आगे और आगे की ओर हो रहे थे सिर भीमा के पेट पर टच हो रहा था कमर नितंबों के साथ पीछे की ओर हो रही थी

बस भीमा इसी तरह उसे सहलाता जाए या फिर प्यार करता जाए यही कामया चाहती थी बस रुके नहीं उसके अंदर की ज्वाला जो कि अब किसी तरह से भीमा को ही शांत करना था वो अपना सब कुछ भूलकर भीमा का साथ देने को तैयार थी और भीमा जो कि पीछे खड़े-खड़े कामया की स्थिति का अवलोकन कर रहा था और जन्नत की किसी अप्सरा के हुश्न को अपने हाथों में पाकर किस तरह से आगे बढ़े ये सोच रहा था वो अपने आप में नहीं था वो भी एक नशे की हालत में ही था नहीं तो कामया जो कि उसकी मालकिन थी उसके साथ उसके कमरे मे आज इस तरह खड़े होने की कल्पना तो दूर की बात सोच से भी परे थी उसके पर आज वो कामया के कमरे में कामया के साथ जो कि सिर्फ़ एक ब्लाउस और पेटीकोट डाले उसके शरीर से टिकी हुई बैठी थी और वो उसके कंधे और गले को आराम से सहला रहा था अब तो वो उसके गाल तक पहुँच चुका था कितने नरम और चिकने गाल थे कामया के और कितने नरम होंठ थे अपने अंगूठे से उसके होंठों को छूकर देखा था भीमा ने भीमा थोड़ा सा और आगे की ओर हो गया ताकि वो कामया के होंठों को अच्छे से देख और छू सके भीमा के हाथ अब कामया की गर्दन को छू कर कामया के गालों को सहला रहे थे कामया भी नशे में थी सेक्स के नशे में और कामुकता तो उसपर हावी थी ही भीमा अब तक अपने आपको कामया के हुश्न की गिरफ़्त में पा रहा था वो अपने को रोकने में असमर्थ था वो अपने सामने इतनी सुंदर स्त्री को को पाकर अपना सूदबुद खो चुका था उसके शरीर से आवाजें उठ रही थी वो कामया को छूना चाहता था और चूमना चाहता था सबकुछ छूना चाहता था भीमा ने अपने हाथों को कामया की चिन के नीचे रखकर उसकी चिन को थोड़ा सा ऊपर की ओर किया ताकि वह उसके होंठों को ठीक से देख सके कामया भी ना नुकर ना करते हुए अपने सिर को उँचा कर दिया ताकि भीमा जो चाहे कर सके बस उसके शरीरी को ठंडा करे 


उसके शरीर की सेक्स की भूख को ठंडा कर दे उसकी कामाग्नी को ठंडा करे बस भीमा उसको इस तरह से अपना साथ देता देखकर और भी गरमा गया था उसके धोती के अंदर उसका पुरुष की निशानी अब बिल्कुल तैयार था अपने पुरुषार्थ को दिखाने के लिए भीमा अब सबकुछ भूल चुका था उसके हाथ अब कामया के गालों को छूते हुए होंठों तक बिना किसी झिझक के पहुँच जाते थे वो अपने हाथों के सपर्श से कामया की स्किन का अच्छे से छूकर देख रहा था उसकी जिंदगी का पहला एहसास था वो थोड़ा सा झुका हुआ था ताकि वो कामया को ठीक से देख सके कामया भी चेहरा उठाए चुपचाप भीमा को पूरी आजादी दे रही थी कि जो मन में आए करो और जोर-जोर से सांस ले रही थी भीमा की कुछ और हिम्मत बढ़ी तो उसने कामया के कंधों से उसकी चुन्नी को उतार फैका और फिर अपने हाथों को उसके कंधों पर घुमाने लगा उसकी नजर अब कामया के ब्लाउज के अंदर की ओर थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी एक हाथ एक कंधे पर और दूसरा उसके गालों और होंठों पर घूम रहा था 
भीमा की उंगलियां जब भी कामया के होंठों को छूती तो कामया के मुख से एक सिसकारी निकलजाति थी उसके होंठ गीले हो जाते थे भीमा की उंगलियां उसके थूक से गीले हो जाती थी भीमा भी अब थोड़ा सा पास होकर अपनी उंगली को कामया के होंठों पर ही घिस रहा था और थोड़ा सा होंठों के अंदर कर देता था 

भीमा की सांसें जोर की चल रही थी उसका लिंग भी अब पूरी तरह से कामया की पीठ पर घिस रहा था किसी खंबे की तरह था वो इधर-उधर हो जाता था एक चोट सी पड़ती थी कामया की पीठ पर जब वो थोड़ा सा उसकी पीठ से दायां या लेफ्ट में होता था तो उसकी पीठ पर जो हलचल हो रही थी वो सिर्फ़ कामया ही जानती थी पर वो भीमा को पूरा समय देना चाहती थी भीमा की उंगली अब कामया के होंठों के अंदर तक चली जाती थी उसकी जीब को छूती थी कामया भी उत्तेजित तो थी ही झट से उसकी उंगली को अपने होंठों के अंदर दबा लिया और चूसने लगी थी कामया का पूरा ध्यान भीमा की हरकतों पर था वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था वो अब नहीं रुकेगा हाँ… आज वो भीमा के साथ अपने शरीर की आग को ठंडा कर सकती है वो और भी सिसकारी भरकर थोड़ा और उँचा उठ गई भीमा के हाथ जो की कंधे पर थे अब धीरे-धीरे नीचे की ओर उसकी बाहों की ओर सरक रहे थे वो और भी उत्तेजित होकर भीमा की उंगली को चूसने लगी भीमा भी अब खड़े रहने की स्थिति में नहीं था 


वो झुक कर अपने हाथों को कामया की बाहों पर घिस रहा था और साथ ही साथ उंगलियों से उसकी चुचियों को छूने की कोशिश भी कर रहा था पर कामया के उत्तेजित होने के कारण वो कुछ ज्यादा ही इधर-उधर हो रही थी तो भीमा ने वापस अपना हाथ उसके कंधे पर पहुँचा दिया और वही से धीरे से अपने हाथों को उसके गले से होते हुए उसकी चुचियों पहुँचने की कोशिश में लग गया उसका पूरा ध्यान कामया पर भी था उसकी एक ना उसके सारी कोशिश को धूमिलकर सकती थी इसलिए वो बहुत ही धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था कामया का शरीर अब पूरी तरह से भीमा की हरकतों का साथ दे रहे थे वो अपनी सांसों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी तेज और बहुत ही तेज सांसें चल रही थी उसकी उसे भीमा के हाथों का अंदाजा था कि अब वो उसकी चूची की ओर बढ़ रहे है उसके ब्लाउज के अंदर एक ज्वार आया हुआ था उसके सांस लेने से उसके ब्लाउज के अंदर उसकी चूचियां और भी सख़्त हो गई थी निपल्स तो जैसे तनकर पत्थर की तरह ठोस से हो गये थे वो बस इंतजार में थी कि कब भीमा उसकी चूचियां छुए और तभी भीमा की हथेली उसकी चुचियों के उपर थी बड़ी बड़ी और कठोर हथेली उसके ब्लाउज के उपर से उसके अंदर तक उसके हाथों की गर्मी को पहुँचा चुकी थी कामया थोड़ा सा चिहुक कर और भी तन गई थी भीमा जो कि अब कामया की गोलाईयों को हल्के हाथों से टटोल रहा था ब्लाउज के उपर से और उपर से उनको देख भी रहा था और अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि वो क्या कर रहा था सपना था कि हकीकत था वो नहीं जानता था पर हाँ… उसकी हथेलियों में कामया की गोल गोल ठोस और कोमल और नाजुक सी रूई के गोले के समान चुचियाँ थी जरूर वो एक हाथ से कामया की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही टटोल रहा था या कहिए सहला रहा था और दूसरे हाथ से कामया के होंठों में अपनी उंगलियों को डाले हुए उसके गालों को सहला रहा था वो खड़ा हुआ अपने लिंग को कामया की पीठ पर रगड़ रहा था और कामया भी उसका पूरा साथ दे रही थी कोई ना नुकर नहीं था उसकी तरफ से कामया का शरीर अब उसका साथ छोड़ चुका था अब वो भीमा के हाथ में थी उसके इशारे पर थी अब वो हर उस हरकत का इंतजार कर रही थी जो भीमा करने वाला था
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