Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:37 PM,
#55
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा ने जैसे ही कामया को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और कामया को अपने ऊपर अपने लिंग पर सवार होते हुए देखता रहा कामया की उत्तेजना इतनी थी, कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि भीमा चाचा उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी योनि को खोलकर उसके मोटे से लिंग को अपने अंदर उतार लिया 

वो धीरे धीरे उसके लिंग पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लिंग बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से भीमा चाचा के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी 

पर भीमा चाचा तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लिंग को बहू की योनि में अड्जस्ट करने लगे थे बहू भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी 

भीमा भी अपनी बाहों को घुमाकर बहू को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज बहू ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी बहू की योनि तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लिंग को चूसते हुए बहू की थी वो नीचे पड़े हुए बहू को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था 

और कामया अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर भीमा चाचा के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी चाचा को जोर से जकड़े, हर धक्के में वो छूट जाते थे लिंग अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही चाचा को छोड़ कर सीधी उनके लिंग पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती, 

उसके उछलने से जो नजर भीमा देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा भीमा हर धक्कों के साथ ही बहू की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था 

कामया भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और चाचा के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को भीमा चाचा के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी चाचा के दोनों हाथों के आगे झुक गया 

दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए भीमा के दोनों हाथों के आगे कामया को लटके हुए देखता हुआ भीमा अब भी, कामया को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी, अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा गुस्सा आज बहू को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लिंग की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से चूत पर बहू के अंदर और अंदर तक पहुँच गया 

उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और बहू धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई भीमा की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर बहू के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने बहू के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी 

अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से भीमा ने बहू को हिलाया 
भीमा- बहू 
कामया- उूउउम्म्म्मम 
भीमा- उठो हहुउऊउउ
कामया भी थोड़ा सा हिली और अपने को भीमा से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी 

किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर भीमा चाचा की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार भीमा चाचा की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी 




उसके कदम ठीक से नहीं पड़ रहे थे बहुत ही थकान लग रहा था पर एक तरंग उसके शरीर में थी जो उसे और भी मदहोशी के आलम की ओर ले जा रही थी वो किसी तरह से कमरे से बाहर निकली और सीढ़िया उतरती हुई अपने कमरे में आ गई कमरे में कामेश अब भी सो रहा था कामया बाथरूम में गई और अपने को साफ करके वापस कामेश के पास आके 
सो गई थकान के चलते वो कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ… सुबह जब कामेश ने उसे उठाया तो 10 बज चुके थे 
कामेश उसके लिए चाय कमरे में ही ले आया था कामया चाय पीते हुए अपने पति को तैयार होते देख रही थी वो अब भी बेड पर ही थी 

कामेश- क्या बात है बहुत देर तक सोई कल रात को नींद नहीं आई क्या 

कामया- हाँ… 

कामेश- रात को कहाँ गई थी 

कामया- 
उसके सिर पर जैसे आसमान गिर गया हो चेहरा सफेद हो गया था जब कामेश ने उससे पूछा 
कामेश- टीवी देख रही थी क्या 

कामया- हाँ… नींद नहीं आ रही थी इसलिए 

कामेश- इसलिए तो कहता हूँ थोड़ा सा घर के बाहर निकलो घर में पड़ी पड़ी बोर भी हो जाती हो और कोई एक्सर्साइज भी नहीं तो थकान कहाँ से होगी 

कामया- जी 
पर कामया के दिमाग़ में वो बात घूम रही थी कि कल रात को जो उसने किया था अगर कामेश बाहर निकलकर उसको ढूँढ-ता तो .........
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